गणेश जी पर दूर्वा कैसे चढ़ाएं? - ganesh jee par doorva kaise chadhaen?

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बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करते समय क्यों चढ़ाते हैं दुर्वा, जानें इसकी कथा

गणेश जी पर दूर्वा कैसे चढ़ाएं? - ganesh jee par doorva kaise chadhaen?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है.

शास्त्रों में बुधवार (Wednesday) का दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की प ...अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : July 29, 2020, 06:59 IST

    हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा विधि और पूजा सामग्रियां अलग-अलग तरह की होती हैं. हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पाठ या शुभ काम बिना गणेश भगवान (Lord Ganesha) की पूजा कर या आरती उतारे शुरू नहीं की जाती. गणपति जी को प्रथम पूज्य देवता की उपाधि प्राप्त है. इसलिए हर शुभ कार्य में सबसे पहले उन्हें याद किया जाता है. हिन्दू धर्म में सप्ताह का हर दिन खास है और उसका अलग महत्व है. बुधवार (Wednesday) का जहां बुध ग्रह से संबंध माना जाता है. वहीं शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा कर उनकी कृपा पाई जा सकती है. मान्यता के अनुसार, बुधवार के दिन विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष लाभ होता है. भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा घास जरूर चढ़ाई जाती है. आइए जानते हैं भगवान गणेश को दूर्वा घास क्यों चढ़ाते हैं और क्या है इसके पीछे की कथा।

    कथा
    पौराणिक कथा के अनुसार अनलासुर नाम का एक दैत्य हुआ करता था. अनलासुर का आंतक चारों तरफ फैला था. इस दैत्य के आंतक से सारे देवी-देवता बहुत ही परेशान हो गए थे. कोई भी देवता इस राक्षस को मार नहीं पा रहे थे. तब सभी देवता अनलासुर के आंतक से त्रस्त होकर भगवान गणेश की शरण में गए. तब भगवान गणेश ने अनलासुर को निगल लिया था. अनलासुर को निगलने के कारण भगवान गणेश के पेट में बहुत जलन होने लगी थी. उनकी इस जलन को शांत करने के लिए मुनियों ने उन्हें खाने के लिए दूर्वा घास दी थी. इसे खाते ही भगवान गणेश के पेट की जलन शांत हो गई थी. तभी से भगवान गणेश की पूजा में उन्हें दूर्वा चढ़ाई जाती है.

    दूर्वा चढ़ाने के नियम
    भगवान गणेश की पूजा-आराधना में दूर्वा चढ़ाने से सभी तरह के सुख और संपदा में वृद्धि होती है. पूजा में दूर्वा का जोड़ा बनाकर भगवान को चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि दूर्वा घास के 11 जोड़ों को भगवान गणेश को चढ़ाना चाहिए. दूर्वा को चढ़ाने के लिए किसी साफ जगह से ही दूर्वा घास को तोड़ना चाहिए. गंदी जगहों से कभी भी दूर्वा घास को नहीं तोड़ना चाहिए. दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के 11 मंत्रों का जाप जरूर करें.

    गणेश मंत्र
    ऊँ गं गणपतेय नम:
    ऊँ गणाधिपाय नमः
    ऊँ उमापुत्राय नमः
    ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
    ऊँ विनायकाय नमः
    ऊँ ईशपुत्राय नमः
    ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
    ऊँएकदन्ताय नमः
    ऊँ इभवक्त्राय नमः
    ऊँ मूषकवाहनाय नमः
     ऊँ कुमारगुरवे नमः

    जरूर करें ये उपाय
    भगवान गणेश को घी और गुड़ का भोग लगाना चाहिए. भोग लगाने के बाद घी-गुड़ गाय को खिला देनी चीहिए. ऐसा करने से घर में धन व खुशहाली आती है. अगर घर में नकारात्मक शक्तियों का वास है, तो घर के मंदिर में सफेद रंग के गणपति की स्थापना जरूर करनी चाहिए. मान्यता है कि इससे सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश होता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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    Tags: Religion

    FIRST PUBLISHED : July 28, 2020, 12:00 IST

    Ganesh Ji Ko Durva Chadhane Ke Niyam: हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा (Worship) करने की कोई न कोई खास विधि (Method) होती है, और कुछ ऐसी चीज़े भी होती हैं जो उन देवी देवताओं को बेहद पसंद होती है. उनके बिना पूजा पाठ अधूरा माना जाता है. उन्हीं में से एक है प्रथम पूज्य श्री गणेश जी (Lord Ganesha), वैसे तो भगवान गणेश खाने पीने के बेहद शौकीन हैं. कई सारी चीज़े जैसे लड्डू, मोदक भगवान गणेश को बेहद पसंद हैं, लेकिन इसके अलावा एक चीज़ और है जिसके बिना भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है और वो है दूर्वा. भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा अर्पित करना जरुरी माना गया है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों?

    पौराणिक कथा के अनुसार
    धार्मिक पुराणों में गणेशजी को दूर्वा चढ़ाने को लेकर कुछ कथाएं मिलती है. एक कथा के अनुसार एक समय अनलासुर नामक एक राक्षस हुआ करता था. उसने पृथ्वी पर हर जगह हाहाकार मचा रखा थी. वह राक्षस अपनी भूख शांत करने के लिए ऋषि मुनियों को निगल जाता था. जब राक्षस अनलासुर का आतंक बहुत बढ़ गया और देवता भी उसको रोकने में असमर्थ हो गए, तब सभी ऋषि-मुनि और देवतागण एकत्र होकर पार्वतीनन्दन के पास पहुंचे और उनसे अनलासुर को रोकने के लिए कहा, उनकी बात सुनकर गणेश जी को बड़ा क्रोध आया और राक्षस अनलासुर के साथ युद्ध करते करते वे उस राक्षस को ही निगल गए. जब गणेशजी ने राक्षस को निगल लिया इससे उनके पेट में जलन होने लगी. तब कश्यप ऋषि ने भगवान गणेश की परेशानी को दूर करने के लिए उन्हें 21 दूर्वा की गांठ खाने को दी. जिसके बाद उनकी जलन शांत हुई. इसी के बाद से माना जाने लगा की भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं.

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    एक अन्य कथा
    पार्वतीनन्दन को दूर्वा चढ़ाने को लेकर ग्रंथों में एक और कथा प्रचलित है. जिसके अनुसार एक बार देवर्षि नारद ने भगवान गणेश को सूचना दी कि पृथ्वी पर महाराज जनक को अहंकार आ गया है. वे स्वयं को तीनों लोकों के स्वामी मानने लगे हैं. नारद जी की बात सुनकर गणेश जी महाराज जनक का अहंकार तोड़ने के लिए ब्राम्हण का वेश बना कर मिथिला पहुंचे, और राजा के सामने जाकर कहा की मैनें इस नगरी की भव्यता के बारे में काफी सुना है. मैं वही देखने यहां आया हूँ और बहुत दिनों से भूखा हूं, महाराज जनक ने ब्राम्हण को भोजन कराने का आदेश दिया. भगवान गणेश भोजन करने बैठे और भोजन करते करते वे सारे महल और नगर का भोजन खा गए, लेकिन फिर भी उनकी भूख शांत नहीं हुई.

    इस बात की जानकारी महाराज जनक तक पहुंची और उन्होंने ब्राम्हण गणेश से इस बात के लिए क्षमा मांगी. तब गणेश जी वहां से उठे और एक गरीब ब्राम्हण के घर जाकर भोजन करने की बात कही. तब गरीब ब्राम्हण की पत्नी ने भगवान गणेश को भोजन में दूर्वा घांस दी जिसे खाते ही भगवान गणेश की भूख शांत हो गई. वे पूरी तरह से तृप्त हो गए, इसके बाद भगवान गणेश ने उन दोनों पति-पत्नी को मुक्ति का आशीर्वाद दिया तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

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    दूर्वा का महत्व
    दूर्वा को दूब, अमृता, अनंता, महौषधि कई नामों से भी जाना जाता है. सनातन धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य बिना हल्दी और दुर्वा के पूरा नहीं माना जाता.

    दूर्वा चढ़ाने के नियम
    भगवान गणेश को एक खास तरीके से दूर्वा चढ़ाई जाती है. पहले दूर्वा का जोड़ा बनाया जाता है. फिर उसे गणेश जी पर चढ़ाया जाता है. 22 दूर्वा को एक साथ जोड़ने पर दूर्वा के 11 जोड़े तैयार हो जाते हैं. इन 11 जोड़ों को गणेश जी पर चढ़ाना चाहिए.
    दुर्वा किसी मंदिर के बगीचे या साफ जगह पर उगी हुई ही लेना चाहिए.
    जहां गंदा पानी बहता हो, वहां की दूर्वा भूलकर भी न लें.
    दूर्वा चढ़ाने से पहले साफ पानी से इसे धो लेना चाहिए. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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    Tags: Lord ganapati, Religion

    FIRST PUBLISHED : January 03, 2022, 18:02 IST

    गणेश जी को दूर्वा कैसे चढ़ाने चाहिए?

    गणेश जी को दूर्वा की पत्तियां विषम संख्या में (जैसे 3, 5, 7) अर्पित करनी चाहिए. गणेश जी को सबसे ज्यादा गुड़हल लाल फूल विशेष रूप से प्रिय है. दूर्वा को ज्यादा समय ताजा रखने के लिए पानी में भिगोकर चढ़ाते हैं. इन दोनों कारणों से गणपति के पवित्रक बहुत समय तक मूर्ति में रहते हैं.

    गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ होता है?

    Significance Of Durva: भगवान गणेश की पूजा में मोदक का भोग और दूर्वा (Durva) चढ़ाने का विशेष रूप से महत्व होता है. दूर्वा चढ़ाने से सभी तरह के सुख और संपदा में वृद्धि होती है. बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है.

    गणेश जी को कितनी दूर्वा चढ़ाएं?

    कितनी गांठ चढ़ाएं दूर्वा ऐसे में एक गांठ 2 दूर्वा से मिलकर बनती है। इसलिए 22 दूर्वा को एक साथ जोड़कर 11 जोड़े तैयार कर लें। इसके बाद इन 11 गांठों को भगवान गणेश के चरणों में अर्पित करें। अगर 11 गांठ नहीं मिल रही है, तो गणपति जी को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा भी अर्पित की जा सकती है।

    दूर्वा की गांठ कैसे बनाये?

    कैसे बनाएं दूर्वा की गांठ? 21 दूर्वा को एकसाथ इकट्‍ठी करके 1 गांठ बनाई जाती है तथा कुल 21 गांठें गणेशजी को मस्तक पर चढ़ाई जाती हैं। पाठकों के लिए प्रस्तुत है श्री गणेश और दूर्वा की पौराणिक कथा... एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी।