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बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करते समय क्यों चढ़ाते हैं दुर्वा, जानें इसकी कथाहिंदू मान्यताओं के अनुसार कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जानी जरूरी है. शास्त्रों में बुधवार (Wednesday) का दिन भगवान गणेश (Lord Ganesha) को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की प ...अधिक पढ़ें
हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा विधि और पूजा सामग्रियां अलग-अलग तरह की होती हैं. हिंदू धर्म में कोई भी पूजा पाठ या शुभ काम बिना गणेश भगवान (Lord Ganesha) की पूजा कर या आरती उतारे शुरू नहीं की जाती. गणपति जी को प्रथम पूज्य देवता की उपाधि प्राप्त है. इसलिए हर शुभ कार्य में सबसे पहले उन्हें याद किया जाता है. हिन्दू धर्म में सप्ताह का हर दिन खास है और उसका अलग महत्व है. बुधवार (Wednesday) का जहां बुध ग्रह से संबंध माना जाता है. वहीं शास्त्रों में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा कर उनकी कृपा पाई जा सकती है. मान्यता के अनुसार, बुधवार के दिन विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा करने से विशेष लाभ होता है. भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा घास जरूर चढ़ाई जाती है. आइए जानते हैं भगवान गणेश को दूर्वा घास क्यों चढ़ाते हैं और क्या है इसके पीछे की कथा। कथा दूर्वा चढ़ाने के नियम गणेश मंत्र जरूर करें ये उपाय ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Religion FIRST PUBLISHED : July 28, 2020, 12:00 IST Ganesh Ji Ko Durva Chadhane Ke Niyam: हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा (Worship) करने की कोई न कोई खास विधि (Method) होती है, और कुछ ऐसी चीज़े भी होती हैं जो उन देवी देवताओं को बेहद पसंद होती है. उनके बिना पूजा पाठ अधूरा माना जाता है. उन्हीं में से एक है प्रथम पूज्य श्री गणेश जी (Lord Ganesha), वैसे तो भगवान गणेश खाने पीने के बेहद शौकीन हैं. कई सारी चीज़े जैसे लड्डू, मोदक भगवान गणेश को बेहद पसंद हैं, लेकिन इसके अलावा एक चीज़ और है जिसके बिना भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है और वो है दूर्वा. भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा अर्पित करना जरुरी माना गया है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों? पौराणिक कथा के अनुसार यह भी पढ़ें- भगवान शिव के त्रिशूल, डमरू, नाग, नंदी, त्रिपुंड किसके प्रतीक हैं और उन्हें कैसे प्राप्त हुए? एक अन्य कथा इस बात की जानकारी महाराज जनक तक पहुंची और उन्होंने ब्राम्हण गणेश से इस बात के लिए क्षमा मांगी. तब गणेश जी वहां से उठे और एक गरीब ब्राम्हण के घर जाकर भोजन करने की बात कही. तब गरीब ब्राम्हण की पत्नी ने भगवान गणेश को भोजन में दूर्वा घांस दी जिसे खाते ही भगवान गणेश की भूख शांत हो गई. वे पूरी तरह से तृप्त हो गए, इसके बाद भगवान गणेश ने उन दोनों पति-पत्नी को मुक्ति का आशीर्वाद दिया तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. यह भी पढ़ें – भगवान कार्तिकेय क्यों होते हैं मयूर पर सवार, जानें देवी-देवता पशु पक्षी की सवारी क्यों करते हैं? दूर्वा का महत्व दूर्वा चढ़ाने के नियम ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी| Tags: Lord ganapati, Religion FIRST PUBLISHED : January 03, 2022, 18:02 IST गणेश जी को दूर्वा कैसे चढ़ाने चाहिए?गणेश जी को दूर्वा की पत्तियां विषम संख्या में (जैसे 3, 5, 7) अर्पित करनी चाहिए. गणेश जी को सबसे ज्यादा गुड़हल लाल फूल विशेष रूप से प्रिय है. दूर्वा को ज्यादा समय ताजा रखने के लिए पानी में भिगोकर चढ़ाते हैं. इन दोनों कारणों से गणपति के पवित्रक बहुत समय तक मूर्ति में रहते हैं.
गणेश जी को दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ होता है?Significance Of Durva: भगवान गणेश की पूजा में मोदक का भोग और दूर्वा (Durva) चढ़ाने का विशेष रूप से महत्व होता है. दूर्वा चढ़ाने से सभी तरह के सुख और संपदा में वृद्धि होती है. बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा अधूरी मानी जाती है.
गणेश जी को कितनी दूर्वा चढ़ाएं?कितनी गांठ चढ़ाएं दूर्वा
ऐसे में एक गांठ 2 दूर्वा से मिलकर बनती है। इसलिए 22 दूर्वा को एक साथ जोड़कर 11 जोड़े तैयार कर लें। इसके बाद इन 11 गांठों को भगवान गणेश के चरणों में अर्पित करें। अगर 11 गांठ नहीं मिल रही है, तो गणपति जी को 3 या 5 गांठ वाली दूर्वा भी अर्पित की जा सकती है।
दूर्वा की गांठ कैसे बनाये?कैसे बनाएं दूर्वा की गांठ? 21 दूर्वा को एकसाथ इकट्ठी करके 1 गांठ बनाई जाती है तथा कुल 21 गांठें गणेशजी को मस्तक पर चढ़ाई जाती हैं। पाठकों के लिए प्रस्तुत है श्री गणेश और दूर्वा की पौराणिक कथा... एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था, उसके कोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी।
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