गेहूं में रस्ट नामक रोग का वाहक कौन है? - gehoon mein rast naamak rog ka vaahak kaun hai?

हेलो ब्रो नाशिक हमारे को सुनाएं गेहूं की राष्ट्र रोग का रोगजनक खाली स्थान है इस क्वेश्चन का आंसर होगा फक्त सीनियर सीनियर सीनियर ऑफिसर रोग का रोगजनक है ठीक है अब बात करें पक्षी नहीं होता क्या है यह कब होता है ठीक है कब होता है जो कि गेहूं के ठीक है गेहूं की पत्तियों पर गेहूं की पत्तियों पतियों को संक्रमित करता है ठीक है क्या कह सकते हो प्रभावित होता है ठीक है क्योंकि जो गेहूं की पत्तियां हो जाती हैं उसमें एक ऐसे क्यों काले काले धब्बे से भी संत नहीं दिखाई देने लगे उसे बोलते हैं ठीक है तो क्योंकि पतियों को भी प्रभावित करता है जो पक्षी या कवक होता है ठीक है यह हो गया और सीनियर के बारे में आप समझते

यहां पर क्या प्रभाव हो सकते हैं ठीक है मतलब इस रोग से किस पादप आर्यन के हूं पर क्या प्रभाव हो सकते हैं तो जब यह लोग मतलब गेहूं के पौधों में होता है यानी संक्रमित होता गेहूं का पौधा तो इससे जो उत्पादन होती है लेकिन मतलब जो गेहूं का उत्पादन होता है वह लगभग 20% से 20% कम हो जाता है ठीक है कम हो जाता है उत्पादन होता है कम होता है 20% मतलब सामान्य से 20% कम हो जाता है तो गेहूं के रस रोग का रोगजनक जो है जिसका नाम है पक्षी नियम

हेलो फ्रेंड समारा क्वेश्चन है किस कवक से गेहूं की फसल में राष्ट्र रोग होता है ठीक है तो यहां पर क्या दिया है कि ऐसा कौन सा कवक होता है जो कि गेहूं की फसल में गेहूं की फसल के अंदर भी ट्रस्ट या रेस्ट लिखते हैं रस्ट रोग का कारक बनता है दोस्तों ऐसा कवक हमारा होता है पिक्सीन या लिखेंगे पिक्सी निया ग्रामीण ग्रामीण ग्रामीण नामक कवक जो होता है दोस्तों यह गेहूं की फसल में राष्ट्र रोग का कारक बनता है और यह जो राष्ट्र रोग होता है यह होता है गेहूं की पत्तियों में दिखने वाला रोग गेहूं की पत्तियों पर क्या लग जाता है जंग के समान

दाग लग जाते हैं ठीक है जिससे कि उसकी पत्तियां और उसका पौधा खराब होने लगता है और इस जंग जैसे दाग लगने के कारण है इस रोग को क्या कहते हैं दोस्तों इस रोक को रहोगे कहा जाता है तो हमें प्रश्न में पूछा गया था कि कौन सी कवक से गेहूं की फसल में राष्ट्रों होता है तो कब का नाम होता है पिक्सीन या ग्रह मिनी दोस्तों यह जो पिक्सी नियाग्रा मनीष होता है यह क्या करता है वृद्धि कर के पत्तों पर निषेचन की क्रिया करने लगता है जिसके कारण इसकी आबादी पत्तियों के ऊपर बढ़ने लग जाती है और हमारी जो गेहूं की फसल है उसकी उपज लगभग 20% तक कम आती है इस रोक को लगने के पश्चात आशा करते हैं आपके इस प्रश्न का उत्तर समझ आया होगा वीडियो को देखने के लिए धन्यवाद

गेहूं की फसल में रस्ट रोग की पहचान

गेहूं की फसल में रस्ट रोग की पहचान

लेखक - Dr. Pramod Murari | 31/1/2021

गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों में रस्ट रोग भी शामिल है। यह रोग तीन तरह का होता है। रस्ट रोग को गेरूई रोग और रतुआ रोग के नाम से भी जाना जाता है। यहां से आप ब्राउन रस्ट रोग, येलो रस्ट रोग और ब्लैक रस्ट रोग के लक्षण देख सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट में बताई गई दवाओं का प्रयोग कर के आप इस रोग पर नियंत्रण भी कर सकते हैं।

  • भूरा रतुआ रोग : इस रोग को ब्राउन रस्ट या पत्ती का रतुआ रोग भी कहते हैं। यह रोग देश के लगभग सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। इस रोग के होने पर शुरुआत में पत्तियों की ऊपरी सतह पर नारंगी रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। कुछ समय बाद यह धब्बे गहरे भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं। इस रोग के कारण गेहूं की पैदावार में 30 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 1.2 किलोग्राम डाईथेन एम 45 का छिड़काव करें ।

  • पीला रतुआ रोग : इसे येलो रस्ट या धारीदार रतुआ रोग भी कहा जाता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों पर पीली रंग की धारियां उभरने लगती हैं। कुछ समय बाद पूरी पत्तियां पीली रंग की हो जाती हैं। मिट्टी में भी पीले रंग के पाउडर के समान तत्व गिरने लगते हैं। कल्ले निकलने के समय इस रोग के होने पर पौधों में बालियां नहीं बनती हैं। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैंकोज़ेब 75 डब्ल्यूपी मिलाकर छिड़काव करें।

  • काला रतुआ रोग : इसे ब्लैक रस्ट या तने का रतुआ रोग भी कहते हैं। शुरुआत में इस रोग के होने पर पौधों के तने एवं पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। रोग बढ़ने के साथ धब्बों का रंग काला होने लगता है। 20 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान होने पर यह रोग तेजी से फैलता है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए 0.1 प्रतिशत टेबुकोनाजोले 250 ई.सी का छिड़काव करें।

यह भी पढ़ें :

  • गेहूं की फसल में चौड़ी पत्ती के खरपतवारों पर नियंत्रण के तरीके यहां से देखें।

हमें उम्मीद है इस पोस्ट में बताई गई जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो हमारे पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसान मित्रों के साथ साझा भी करें। इससे जुड़े अपने सवाल हमसे कमेंट के माध्यम से पूछें।

41 लाइक और 4 कमेंट

कहीं गेहूं की फसल को नष्ट न कर दे 'रस्ट'

चंद्रमणि तिवारी, दनकौर : पिछले वर्षो की तुलना में इस बार गेहूं की फसल काफी अच्छी है। मौसम भी इस

चंद्रमणि तिवारी, दनकौर :

पिछले वर्षो की तुलना में इस बार गेहूं की फसल काफी अच्छी है। मौसम भी इस फसल के लिए मुफीद रहा है। बावजूद इसके, किसानों की जरा सी लापरवाही बड़ा नुकसान कर सकती है। करीब एक महीने बाद फिर मौसम में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे हैं। सुबह कोहरा छाए रहने के बाद दोपहर तक आसमान साफ हो जाता है और धूप खिल जाती है। यही संयोजन गेहूं की फसल में रस्ट रोग को आमंत्रित करता है। पिछले वर्ष रस्ट रोग से किसानों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था।

तीन तरह का होता है रस्ट रोग : गेहूं की पत्तियों का रंग पीला पड़ रहा है और वे गिर रहीं हैं तो इसे हल्के में न लें। हो सकता है, फसल को भारी नुकसान पहुंचाने वाले गेरुई (रस्ट) रोग ने उसे अपनी जद में ले लिया हो। गेरुई रोग (रस्ट) तीन प्रकार का होता है। यह रोग फसल को पचास फीसद तक नुकसान पहुंचा सकता है। गेरुई रोग काला, सफेद और पीले रंग का हो सकता है।

गेरुई (रस्ट) रोग ने पिछले वर्ष भी ढाया था कहर: गेरुई रोग से गेहूं की फसल को 50 फीसद तक हानि पहुंच सकती है। गत वर्ष जपनद में कई इलाकों में गेहूं की फसल इस रोग की चपेट में आकर चौपट हो गई थी।

पत्तियों से शुरू होता है असर: गेरुई रोग में पत्तिया पीली होने लगती हैं और पौधे की वृद्धि रुक जाती है। किसान समय रहते फसल को रोग से बचाने के लिए उपाय कर सकते हैं।

गेहूं की फसल में कुछ दिनों से पत्तिया पीली पड़ती जा रही हैं। ऐसा लग रहा है कि फसल पर किसी रोग ने पैर पसार लिए हैं। इस संबंध में ब्लॉक में संपर्क साधा गया है। ठीक सलाह नहीं मिल रही है।

मीनू खान, किसान अट्टा फतेहपुर।

गेरुई रोग से बचाव के लिए किसान प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी, मैंकोजेब 75 प्रतिशत, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी, जिरम 80 प्रतिशत, थायोफनेट मिथाइल 70 प्रतिशत में घोल तैयार कर छिड़काव कर सकते हैं। यह रोग फसल को 50 फीसद नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बचाव आवश्यक है।

शिवकुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ।

गेहूं की रस्ट नामक रोग का वाहक कौन है?

गेरुई रोग से बचाव के लिए किसान प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी, मैंकोजेब 75 प्रतिशत, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी, जिरम 80 प्रतिशत, थायोफनेट मिथाइल 70 प्रतिशत में घोल तैयार कर छिड़काव कर सकते हैं। यह रोग फसल को 50 फीसद नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए बचाव आवश्यक है। शिवकुमार सिंह, कृषि विशेषज्ञ।

गेहूं में राष्ट्र रोग होने का क्या कारण है?

गेहूं में पीले रतुआ के कारण: जब बारिश के साथ सामान्य या सामान्य तापमान की तुलना में सिर्फ 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान होता है, तो गेहूं में पीले रतुआ के लिए बहुत अनुकूल पाया जाता है। तापमान भिन्नता का प्रभाव एक महीने के बाद दिखाई देगा।

गेहूं की फसल में कौन सा कवक रोग पाया जाता है?

गेहूँ का पर्ण झुलसा रोग या लीफ ब्लाइट रोग यह रोग मुख्यत: बाईपोलेरिस सोरोकिनियाना नामक कवक से पैदा होता है। यह रोग सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है लेकिन इस रोग का प्रकोप नम तथा गर्म जलवायु वाले उत्तर पूर्वी क्षेत्र में अधिक होता है

रस्ट रोग क्या है?

इस रोग में गेहूं की पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग की धारियां दिखाई देने लगती हैं। ये धीरे-धीरे पूरी पत्तियों को अपने संक्रमण से पीला कर देती हैं। इसके बाद पीले रंग का पाउडर जमीन पर बिखरा हुआ स्पष्ट दिखाई देने लगता है। इस रोग का पीले रंग की धारियों के रूप में दिखाई देना ही इसका प्रमुख लक्षण है।