गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है? - gagaree phootee bail piyaasa indar sena ke is khelageet mein bailon ke pyaasa rahane kee baat kyon mukharit huee hai?

Q4. गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित हुई है?

Answer :
बैल हमारी कृषि संस्कृति के अविभाजित हिस्सा हैं या यूँ कहें बैल भारतीय कृषि संस्कृति की रीढ़ की हड्डी हैं। बैल ही खेतों को जोतकर अन्न उपजाते हैं। उनके प्यासे रहने पर कृषि प्रभावित होती है इसलिए गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात कृषि के संदर्भ में मुखरित हुई है।


Solution : बैल हमारी कृषि संस्कृति के अविभाजित हिस्सा हैं या कहें बैल भारतीय कृषि संस्कृति की रीढ़ की <br> हड्डी हैं। बैल ही खेतों को जोतकर अन्न उपजाते हैं। उनके प्यासे रहने पर कृषि प्रभावित होती है इसलिए <br> गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात कृषि के संदर्भ में <br> मुखरित हुई है।

गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात क्यों मुखरित?

Answer : बैल हमारी कृषि संस्कृति के अविभाजित हिस्सा हैं या यूँ कहें बैल भारतीय कृषि संस्कृति की रीढ़ की हड्डी हैं। बैल ही खेतों को जोतकर अन्न उपजाते हैं। उनके प्यासे रहने पर कृषि प्रभावित होती है इसलिए गगरी फूटी बैल पियासा इंदर सेना के इस खेलगीत में बैलों के प्यासा रहने की बात कृषि के संदर्भ में मुखरित हुई है।

गगरी फूटी बैल प्यासा का क्या अर्थ है?

➲ 'गगरी फूटी बैल प्यासा' से लेखक का आशय यह है कि चारों तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा है और पानी के अभाव में घरों की गगरिया फूटने तक की नौबत आ चुकी है और बैल यानी पशु प्यासे मर रहे हैं। फूटी गगरी में पानी नहीं ठहरता।