फुटबॉल को इंग्लिश में कैसे लिखते हैं? - phutabol ko inglish mein kaise likhate hain?

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दुनिया में खेल तो बहुत सारे हैं लेकिन फुटबॉल या सॉकर (नॉर्थ अमरीका में कहा जाने वाला नाम) का पायदान सबसे ऊपर रखा गया है। इस खेल को इसकी सादगी की वजह से बेहद पसंद किया जाता है।

एक खुली जगह, दो खिलाड़ी और एक फुटबॉल, ऐसे शुरू हो सकता है फुटबॉल का खेल।

देखते ही देखते इस खेल में परिवर्तन होता गया और प्रीमियर लीग, ला लीगा और बहुत से अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स ने इस खेल को बहुत बड़ा बना दिया। इसके साथ ही वर्ल्ड कप, यूरूज़, ओलंपिक गेम्स ने इस खेल में चार चांद लगा दिए और यही वजह है कि इस खेल की दिलचस्पी समय के साथ बढ़ती चली गई और यह सभी प्रतियोगिताएं फूटबॉल के नियमों के अनुसार चलती हैं।

इस खेल के नियम फीफा द्वारा निर्धारित किए गए हैं। FIFA वह संगठन है जिसके अंतर्गत फुटबॉल की सभी गतिविधियां की जाती हैं।

फुटबॉल पिच: आकार, आयाम और लेआउट

कैसे खेला जाता है फुटबॉल, इसे समझने के लिए फुटबॉल फील्ड के बारे में जानना ज़रूरी।

फुटबॉल फील्ड के ऊपर घास होती है या फिर उसके उपर नकली घास की परत डाल कर उसे टर्फ के तौर पर बनाया जाता है। इसका आकार रेक्टेंगुलर होता है और इसे 90 से 120 मीटर लंबा बनाया जाता है। साथ ही इसकी चौड़ाई 45 से 90 मीटर होती है।

फील्ड की लंबाई में जो बॉर्डर बने हुए होते हैं उन्हें टचलाइन्स या साइड-लाइन्स कहा जाता है और जो बॉर्डर पिच की चौड़ाई की दिशा में होते हैं उन्हें गोल-लाइन कहते हैं। मैदान के चारो कोनों यानी कॉर्नर पर एक-एक झंडा लगा हुआ होता है।

खेलने वाली सतह को साइड-लाइन और गोल-लाइन में बांटा जाता है और साथ ही फील्ड के आधे हिस्से में एक हाफ-लाइन भी बनाई जाती है। यह लाइन दोनों गोल के सामने फील्ड के आधे हिस्से में बनाई जाती है।

सेंटर सर्किल को हाफ-लाइन के मिड-पॉइंट पर बनाया जाता है।

दोनों गोल-लाइन के बीच के हिस्से में दो गोलपोस्ट बनाए जाते हैं। ज़्यादातर गोलपोस्ट भी रेक्टेंगुलर ही होते हैं और इन्हें मेटल या लकड़ी से बनाया जाता है। इसकी लम्बाई 7.32 मीटर और ऊंचाई 2.44 मीटर होती है। गोलपोस्ट में नेट लगा हुआ होता है।

हर गोलपोस्ट के पास एक पेनल्टी एरिया होता है जिसे 18 यार्ड बॉक्स भी कहा जाता है। पेनल्टी एरिया गोल से 16.5 मीटर की दूरी पर होता है। इतनी ही दूरी दोनों गोलपोस्ट और पेनल्टी एरिया के बीच होती है।

इसी बीच एक 6 यार्ड बॉक्स भी होता है और वह पेनल्टी एरिया के अंदर और गोलपोस्ट के इर्द गिर्द बना हुआ होता है। दोनों तरफ यह गोल लाइन से 5.5 मीटर अंदर की ओर होता है।

11 मीटर की दूरी पर एक निशान होता है जिसे पेनल्टी स्पॉट कहा जाता है। इस निशान को 6 यार्ड और 18 यार्ड बॉक्स के बाहरी हिस्से पर बनाया जाता है।

फुटबॉल खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है और यह लगभग 90 मिनट तक चलता है। इस खेल को 45 मिनट के दो हाफ में बांटा जाता है। पहले हाफ के बाद 15 मिनट का ब्रेक लिया जाता है।

मुकाबले की शुरुआत सेंटर पॉइंट के सेंटर सर्किल से होती है और दोनों में से एक टीम गेंद को किक मार कर इसकी शुरुआत करती है। दोनों टीमों का मकसद अपने प्रतिद्वंदी के एरिया में गेंद को ले जा कर गोल दागना होता है।

अटैकिंग टीम जब गेंद को गोल करने की ओर लेकर जाती है तो ऐसे में गेंद या फुटबॉल का गोल-लाइन को पार करना अनिवार्य होता है। 90 मिनट के अंतराल में जो टीम ज़्यादा गोल दागती है उसे विजेता घोषित किया जाता है।

मैच के निर्धारित समय के अलावा कुछ अतिरिक्त मिनट जोड़ सकते हैं, जिसे इंजरी टाइम कहा जाता है। यह समय इसलिए दिया जाता है कि इंजरी या किसी और वजह से मुकाबले को रोका जाता है, तो ऐसे में अतिरिक्त समय देकर उसे पूरा किया जाता है। हाफ टाइम के बाद दोनों टीमें गोलपोस्ट बदल लेती हैं और इस बार पहले हाफ की डिफेंडिंग टीम सेंटर सर्किल से मुकाबले की शुरुआत करती है।

इस खेल में सिर्फ एक खिलाड़ी होता है, जो गेंद को हाथ से भी संभाल सकता है।

गौरतलब है कि गोलकीपर गेंद को तभी हाथ लगा सकता है, जब गेंद पेनल्टी एरिया के अंदर आ जाए। इसके अलावा डिफेंड करते हुए गोलकीपर अपने शरीर का कोई भी हिस्सा लगाकर गेंद को गोल करने से रोक सकता है।

अगर गोलकीपर अपने प्रतिद्वंदी खिलाड़ी के मारे हुए शॉट को रोकने में सफल होता है, तो उसके बाद वह अपने हाथों से गेंद उठाकर फील्ड में फेंक कर (18 यार्ड बॉक्स के अंदर से) खेल को दोबारा शुरु कर सकता है। इसके अलावा अगर वह गेंद को किक मार कर आगे बढ़ाना चाहता है, तो वह पेनल्टी एरिया के अंदर और बाहर से मार सकता है।

बाकी बचे हुए 10 खिलाड़ियों को आउटफील्ड प्लेयर्स कहा जाता है। हर टीम, मुकाबले के बीच सब्सीट्यूशन (सीमित बार) का इस्तेमाल कर सकती है। एक खिलाड़ी को अगर सब्सीट्यूशन के चलते बाहर किया जाता है तो वह दोबारा मुकाबले का हिस्सा नहीं बन सकता है।

आज के समय में हर फुटबॉलर को एक किरदार दिया जाता है। कुछ खिलाड़ी डिफेंडर होते हैं और वह गोल एरिया के इर्द गिर्द होते हैं। इनके अलावा कुछ अटैक करते हैं और उनका काम गोल करना होता है।

ऐसे में पूरी टीम एकजुट होकर खेलती है और जीत की ओर बढ़ने की कोशिश करती है।

फील्ड के अंदर के खिलाड़ी अपने स्थान के लिए हाथ और बाजुओं का इस्तेमाल नहीं कर सकते। खिलाड़ी अपनी पोजिशन मिलने के बाद वह पैर से गेंद को मार सकते हैं और साथ ही वह हेडर (अपने सर) का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अपने खिलाड़ियों को गेंद पास करना खेल को बढ़ाने का एक तरीका है। हालांकि गेंद को हमेशा प्लेइंग एरिया के अंदर ही रखना होता है।

थ्रो इन, गोल किक और कॉर्नर किक

अगर एक खिलाड़ी से गेंद टकराने के बाद गेंद साइड-लाइन के बाहर चली जाती है तो उनका प्रतिद्वंदी गेंद को थ्रो मार कर मुकाबले को दोबारा शुरू करता है।

थ्रो के समय एक खिलाड़ी अपने साथी की ओर गेंद फेंकता है और खेल को आगे बढ़ाता है।

जब भी एक खिलाड़ी थ्रो करता है तो उसके दोनों पैर ज़मीन से जुड़े हुए होने चाहिए। अगर गेंद फेंकते समय थ्रोअर के पैर हवा में आ जाते है, तो उसे फ़ाउल करार दिया जाता है और गेंद की पोजिशन उनके प्रतिद्वंदियों के पास चली जाती है।

अगर इस दौरान गेंद गोल-लाइन या गोलपोस्ट एरिया को पार कर जाती है और ऐसे में दो नतीजे निकल सकते हैं। गेंद अगर आखिरी बार अटैक करने वाले खिलाड़ी को लग जाती है तो इसे गोल-किक में बदल दिया जाता है।

ऐसे में गोल-किक के दौरान डिफेंडिंग टीम 6 यार्ड बॉक्स में कहीं भी खड़े हो कर गेंद को वापस खेल में ला सकती है।

दूसरा, अगर गेंद डिफेंड करने वाले खिलाड़ी को लग जाए तो उसे कॉर्नर-किक में बदला जाता है। कॉर्नर के दौरान अटैकिंग टीम का खिलाड़ी कॉर्नर फ्लैग के पास गेंद को रख कर किक करता है और खेल दोबारा शुरू होता है।

कॉर्नर को गोल दागने का एक बेहतरीन अवसर माना जाता है क्योंकि गेंद और खिलाड़ी गोल के सबसे करीब होते हैं। ऐसे में खिलाड़ी सीधा ही गोलपोस्ट को पार करने की कोशिश करता है और अपने साथियों को गेंद पास करता है।

फ़ाउल, कार्ड, फ्री किक और पेनल्टी किक

अगर एक टीम के पास गेंद है तो दूसरी टीम बॉल को टैकल कर मुकाबले को अपनी ओर लाने का कार्य करती है।

एक टैकल नियमों में और नियमों के विरुद्ध भी हो सकता है। यदि कोई भी टैकल या ब्लॉक नियमों के साथ किया गया है तो खेल को जारी रखा जाता है।

हालांकि अगर कोई भी टैकल नियमों के विरुद्ध है तो खेल को वहीं रोका जाता है और रेफरी या असिस्टेंट रेफरी (assistant referee) द्वारा इसे फ़ाउल करार दिया जाता है।

जाने या अनजाने में यदि कोई खिलाड़ी गेंद को हाथ से स्पर्श कर देता है तो उसे भी फ़ाउल कहा जाता है। यह नियम गोलकीपर के लिए अमान्य है अगर उन्होंने पेनल्टी एरिया में ऐसा किया है तो।

फ़ाउल को पहले आंका जाता है और उसी हिसाब से रेफरी या तो चेतावनी देता है या फिर कार्ड देता है।

येलो कार्ड एक तरह की चेतावनी होती है, लेकिन दो येलो कार्ड को रेड कार्ड करार किया जाता है। जिस भी खिलाड़ी को रेड कार्ड मिलता है, उसे उसी समय खेल को छोड़ना पड़ता है और वह अगले मुकाबले में भी भाग नहीं ले सकता।

अगर फ़ाउल गंभीर है तब भी रेड कार्ड दिया जा सकता है और साथ ही इसी बीच गोल हो जाए तो उस गोल को भी खारिज कर दिया जाता है।

अगर कोई खिलाड़ी स्पोर्ट्समैन स्पिरिट का उलंघन करता है तो ऐसे में उसे रेड कार्ड दिया जाता है।

फ़ाउल हो जाने के बाद प्रतिद्वंदी टीम को फ्री किक दी जाती है।

जिस भी जगह पर फ़ाउल होता है उसी जगह पर गेंद को रखा जाता है और डिफेंडिंग खिलाड़ी को कम से कम 9.15 मीटर की दूरी पर खड़ा होना होता है। ऐसे में किक करने वाला खिलाड़ी या तो सीधा गोल पर निशाना साध सकता है या फिर वह अपने साथी को गेंद पास कर सकता है।

ऐसा ज़रूरी नहीं है कि जिस भी खिलाड़ी ने फ़ाउल जीता है, वह ही फ्री किक को ले सकता है बल्कि टीम का कोई भी खिलाड़ी फ्री किक ले सकता है।

कई बार ऐसा भी होता है कि एक फ़ाउल के बाद रेफरी खेल को न रोके और चलते रहने दे। ऐसा तब होता है जब फ़ाउल के बाद फ्री किक हासिल करने वाली टीम गेंद को अपने पास रख ले और खेल को जारी रखे।

एडवांटेज और खेल के दोबारा शुरू होने से पहले कुछ सेकंड का समय मिलता है और उसी बीच रेफरी को तय करना होता है कि वह खेल को जारी रखें या प्रतिद्वंदी को फ्री किक दे दे।

अगर डिफेंडिंग टीम द्वारा फ़ाउल पेनल्टी एरिया में हो तो उसका भुगतान ख़ास होता है। ऐसे में उनके प्रतिद्वंदियों को पेनल्टी किक मिलती है।

पेनल्टी किक के समय गेंद को पेनल्टी कॉर्नर पर रखा जाता है और खिलाड़ी वहां से सीधा गोल करने की कोशिश करता है। पेनल्टी किक के समय केवल गोलकीपर ही गेंद रोक सकता और बाकी खिलाड़ी पेनल्टी एरिया से बाहर होते हैं।

गोलकीपर को अपने दोनों पैर गोललाइन पर रखकर खड़ा होना होता है। किक मारने से पहले अगर कीपर अपनी जगह से हिल जाता है तो शॉट को दोबारा लिया जाता है।

अगर कोई खिलाड़ी पेनल्टी एरिया के अंदर फ़ाउल करता है तो उसके प्रतिद्वंदी को गोल किक मिलती है।

ऐसे में खिलाड़ी को ऑफसाइड के नियम का भी पालन करना होता है। जिस भी खिलाड़ी को पास मिल रहा होता है वह उस पहले आखिरी डिफेंसिव लाइन के पार नहीं जा सकता।

ऑफसाइड का नियम तभी लागू होता है, जब पास लेने वाला खिलाड़ी प्रतिद्वंदी के हाफ में हो। थ्रो के ज़रिए आने वाले पास के दौरान भी ऑफसाइड का नियम लागू होता है।

फुटबॉल के मुकाबलों में एक्स्ट्रा टाइम

फुटबॉल मुकाबले के बाद जिस टीम के गोल सबसे ज़्यादा होते हैं वह जीत जाती है। अगर मुकाबले में कोई भी टीम गोल न करे या दोनों टीमों के गोल 90 मिनट के बाद बराबर हों तो उस मुकाबले को ड्रॉ माना जाता है।

हालांकि बड़ी लीग या फाइनल मुकाबलों के दौरान मुकाबले का विजेता निकालना अनिवार्य होता है।

इसका एक और तरीका भी है। उदाहरण के तौर पर किसी बड़ी फुटबॉल प्रतियोगिता में नॉकआउट भी खेले जाते हैं, जिनमें दो लेग को पूरा किया जाता है।

अगर दो टीमों का एग्रीगेट बराबर है और उनके गोल भी बराबर हैं तो इसके बाद भी एक टीम का आगे जाना ज़रूरी होता है।

ऐसी स्थितियों को एक्स्ट्रा टाइम या पेनल्टी शूटआउट के ज़रिए सुलझाया जाता है।

एक्स्ट्रा टाइम 30 मिनट (15-15 के दो हाफ़) तक खेला जाता है। इसमें अगर कोई टीम जीत जाए तो उसे मुकाबले का विजेता घोषित किया जाता है।

अगर ऐसे में भी कोई टीम जीत नहीं पाती तो पेनल्टी शूट आउट को गेम में लाया जाता है।

पेनल्टी शूटआउट में 5 राउंड का एक सेट होता है। जहां एक-एक कर दोनों टीमों के खिलाड़ी गोल करने की कोशिश करते हैं। 5 राउंड के बाद जिस टीम का स्कोर ज़्यादा होता है, वह जीत जाती है। अगर इसके बाद भी स्कोर बराबर है तो इसके बाद सडन डेथ तकनीक को इस्तेमाल में लाया जाता है।

फुटबॉल खेल को इंग्लिश में क्या कहते हैं?

फुटबॉल (FootBall) = Football देवनागरी और रोमन लिपि में।

फुटबॉल का मीनिंग क्या होगा?

वैसे तो फुटबॉल एक ऐसा शब्द है, जिसका हिंदी में कोई सटीक शब्द नहीं है. लेकिन तमाम जानकारों का मानना है कि इसे हिंदी में "पैर से खेलने वाली गेंद" कहां जाता है. दरअसल फुटबॉल में दोनों टीमों के खिलाड़ी एक गेंद को पैर से खेलकर गोल करने की कोशिश करते हैं.

खेल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

A game is an activity or sport usually involving skill, knowledge, or chance, in which you follow fixed rules and try to win against an opponent or to solve a puzzle.

क्रिकेट को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

game Cricket is a game where two teams take turns to hit a ball with a bat and run up and down.