फणीश्वर नाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी कौन सी है? - phaneeshvar naath renu kee prasiddh kahaanee kaun see hai?

फणीश्वरनाथ रेणु

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फणीश्वर नाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी कौन सी है? - phaneeshvar naath renu kee prasiddh kahaanee kaun see hai?

जन्म 04 मार्च 1921
निधन 11 अप्रैल 1977
जन्म स्थान ग्राम औराही हिंगना, अररिया, बिहार
कुछ प्रमुख कृतियाँ
मैला आँचल (1954), परती परिकथा, दीर्घतया, जुलूस, पलटू बाबू रोड (सभी उपन्यास) । ठुमरी, अगिनखोर, आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप (सभी कहानी-संग्रह) । ऋणजल-धनजल, वन तुलसी की गंध, श्रुत-अश्रुत पूर्व (संस्मरण) । नेपाली क्रान्ति कथा (रिपोर्ताज)।
विविध
जबसे होश संभाला शोषण-दमन के खिलाफ लड़ाई में शामिल रहे। इस प्रसंग में सोशलिस्ट पार्टी में शामिल। 1942 के भारत-छोड़ो आंन्दोलन में प्रमुखता से भाग लिया।
जीवन परिचय
फणीश्वरनाथ रेणु / परिचय

कहानियाँ

  • रसप्रिया / फणीश्वरनाथ रेणु
  • ठेस/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • मारे गये गुलफाम / फणीश्वरनाथ रेणु
  • एक आदिम रात्रि की महक / फणीश्वरनाथ रेणु
  • पंचलाईट / फणीश्वरनाथ रेणु
  • नैना जोगिन / फणीश्वरनाथ रेणु
  • पुरानी कहानी: नया पाठ / फणीश्वरनाथ रेणु
  • लालपान की बेगम / फणीश्वरनाथ रेणु
  • पहलवान की ढोलक / फणीश्वरनाथ रेणु
  • संवदिया / फणीश्वरनाथ रेणु
  • अक्ल और भैंस / फणीश्वरनाथ रेणु
  • पुरानी कहानी : नया पाठ / फणीश्वरनाथ रेणु
  • तीन बिन्दियाँ / फणीश्वरनाथ रेणु
  • अग्निखोर / फणीश्वरनाथ रेणु (कहानी संग्रह)
  • अच्छे आदमी / फणीश्वरनाथ रेणु (कहानी संग्रह)
  • ठुमरी/ फणीश्वरनाथ रेणु (कहानी संग्रह)
  • अक्ल और भैंस/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • अग्नि-संचारक/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • अतिथि-सत्कार/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • अथ बालकाण्डम‌ / फणीश्वरनाथ रेणु
  • अभिनय/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • एक अकहानी का सुपात्र / फणीश्वरनाथ रेणु
  • ना जाने केहि वेष में.../ फणीश्वरनाथ रेणु
  • पार्टी का भूत/ फणीश्वरनाथ रेणु
  • वण्डरफ़ुल स्टूडियो / फणीश्वरनाथ रेणु
  • विकट संकट/ फणीश्वरनाथ रेणु

निबंध

  • ईश्वर रे, मेरे बेचारे...! / फणीश्वरनाथ रेणु

उपन्यास

  • कितने चौराहे / फणीश्वरनाथ रेणु
  • जूलूस / फणीश्वरनाथ रेणु
  • दीर्घतपा / फणीश्वरनाथ रेणु
  • परती परिकथा / फणीश्वरनाथ रेणु
  • पलटू बाबू रोड / फणीश्वरनाथ रेणु
  • मैला आंचल / फणीश्वरनाथ रेणु

यात्रा संस्मरण

  • ऋणजल धनजल / फ़णीश्वरनाथ रेणु

रिपोर्ताज

  • कुत्ते की आवाज़ (रिपोर्ताज) / फणीश्वरनाथ रेणु
  • जै गंगा ! (रिपोर्ताज) / फणीश्वरनाथ रेणु

रेणु के बारे में लेख व संस्मरण

  • रेणु नहीं हैं, मेरे लिए यह अब भी अख़बारी अफ़वाह है / निर्मल वर्मा

Phanishwar Nath Renu फणीश्वरनाथ रेणु

फणीश्वर नाथ 'रेणु' (4 मार्च 1921-11 अप्रैल 1977) हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। उनके पहले उपन्यास मैला आंचल लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। इन्टरमीडिएट के बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया । उनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी । पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था ।उनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है । उनकी साहित्यिक कृतियाँ हैं; उपन्यास: मैला आंचल, परती परिकथा, जूलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे, पलटू बाबू रोड; कथा-संग्रह: एक आदिम रात्रि की महक, ठुमरी, अग्निखोर, अच्छे आदमी; रिपोर्ताज: ऋणजल-धनजल, नेपाली क्रांतिकथा, वनतुलसी की गंध, श्रुत अश्रुत पूर्वे । तीसरी कसम पर इसी नाम से प्रसिद्ध फिल्म बनी ।

फणीश्वर नाथ "रेणु"
फणीश्वर नाथ रेणु की प्रसिद्ध कहानी कौन सी है? - phaneeshvar naath renu kee prasiddh kahaanee kaun see hai?
जन्म४ मार्च १९२१
अररिया, बिहार, भारत
मृत्यु11 अप्रैल 1977 (उम्र 56)
व्यवसायउपन्यासकार, संसमरणकार
उल्लेखनीय कार्यsमैला आँचल
जीवनसाथीsरेखा, पद्मा और लतिका रेणु
सन्तानकविता रॉय ,पद्म पराग रेणु, नवनीता, अपरजीत, दक्षिणेश्वर प्रसाद राय, वहीदा रॉय
फणीश्वर नाथ "रेणु"

फणीश्वर नाथ 'रेणु' (४ मार्च १९२१ औराही हिंगना, फारबिसगंज - ११ अप्रैल १९७७) एक हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। इनके पहले उपन्यास मैला आंचल को बहुत ख्याति मिली थी , जिसके लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जीवनी[संपादित करें]

फणीश्वर नाथ ' रेणु ' का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था। उस समय यह पूर्णिया जिले में था। उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। रेणु जी का बिहार के कटिहार से गहरा संबंध रहा है। पहली शादी कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड अंतर्गत बलुआ ग्राम में काशी नाथ विश्वास की पुत्री रेखा रेणु से हुई ,हसनगंज के ही गांव महमदिया ग्राम में पद्मा रेणु की मायके हैं और रेणु जी के दो और पुत्री सबसे बड़ी कविता रॉय और सबसे छोटी वहीदा रॉय की शादी महमदिया और कवैया गांव में हुई है। प्रारंभिक शिक्षा फारबिसगंज तथा अररिया में पूरी करने के बाद रेणु ने मैट्रिक नेपाल के विराटनगर के विराटनगर आदर्श विद्यालय से कोईराला परिवार में रहकर की। इन्होने इन्टरमीडिएट काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 1942 में की जिसके बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया जिसके परिणामस्वरुप नेपाल में जनतंत्र की स्थापना हुई। पटना विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ छात्र संघर्ष समिति में सक्रिय रूप से भाग लिया और जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति में अहम भूमिका निभाई। १९५२-५३ के समय वे भीषण रूप से रोगग्रस्त रहे थे जिसके बाद लेखन की ओर उनका झुकाव हुआ। उनके इस काल की झलक उनकी कहानी तबे एकला चलो रे में मिलती है। उन्होने हिन्दी में आंचलिक कथा की नींव रखी। सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय, एक समकालीन कवि, उनके परम मित्र थे। इनकी कई रचनाओं में कटिहार के रेलवे स्टेशन का उल्लेख मिलता है।

लेखन-शैली[संपादित करें]

इनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी जिसमें पात्र के प्रत्येक मनोवैज्ञानिक सोच का विवरण लुभावने तरीके से किया होता था। पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था क्योंकि पात्र एक सामान्य-सरल मानव मन (प्रायः) के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता था। इनकी लगभग हर कहानी में पात्रों की सोच घटनाओं से प्रधान होती थी। एक आदिम रात्रि की महक इसका एक सुंदर उदाहरण है।

रेणु की कहानियों और उपन्यासों में उन्होंने आंचलिक जीवन के हर धुन, हर गंध, हर लय, हर ताल, हर सुर, हर सुंदरता और हर कुरूपता को शब्दों में बांधने की सफल कोशिश की है। उनकी भाषा-शैली में एक जादुई सा असर है जो पाठकों को अपने साथ बांध कर रखता है। रेणु एक अद्भुत किस्सागो थे और उनकी रचनाएँ पढते हुए लगता है मानों कोई कहानी सुना रहा हो। ग्राम्य जीवन के लोकगीतों का उन्होंने अपने कथा साहित्य में बड़ा ही सर्जनात्मक प्रयोग किया है।

इनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है और इन्हें आजादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी दी जाती है। अपनी कृतियों में उन्होंने आंचलिक पदों का बहुत प्रयोग किया है।

साहित्यिक कृतियाँ[संपादित करें]

उपन्यास[संपादित करें]

रेणु को जितनी ख्याति हिंदी साहित्य में अपने उपन्यास मैला आँचल से मिली, उसकी मिसाल मिलना दुर्लभ है। इस उपन्यास के प्रकाशन ने उन्हें रातो-रात हिंदी के एक बड़े कथाकार के रूप में प्रसिद्ध कर दिया। कुछ आलोचकों ने इसे गोदान के बाद इसे हिंदी का दूसरा सर्वश्रेष्ठ उपन्यास घोषित करने में भी देर नहीं की। हालाँकि विवाद भी कम नहीं खड़े किये उनकी प्रसिद्धि से जलनेवालों ने. इसे सतीनाथ भादुरी के बंगला उपन्यास 'धोधाई चरित मानस' की नक़ल बताने की कोशिश की गयी। पर समय के साथ इस तरह के झूठे आरोप ठण्डे पड़ते गए।

रेणु के उपन्यास लेखन में मैला आँचल और परती परिकथा तक लेखन का ग्राफ ऊपर की और जाता है पर इसके बाद के उपन्यासों में वो बात नहीं दिखी।

  • मैला आंचल 1954
  • परती परिकथा 1957
  • जूलूस
  • दीर्घतपा 1964
  • कितने चौराहे 1966
  • कलंक मुक्ति 1972
  • पलटू बाबू रोड 1979

कथा-संग्रह[संपादित करें]

  • ठुमरी,1959
  • एक आदिम रात्रि की महक,1967
  • अग्निखोर,1973
  • एक श्रावणी दोपहर की धूप,1984
  • अच्छे आदमी,1986

रिपोर्ताज[संपादित करें]

  • ऋणजल-धनजल
  • नेपाली क्रांतिकथा
  • वनतुलसी की गंध
  • श्रुत अश्रुत पूर्वे

प्रसिद्ध कहानियाँ[संपादित करें]

  • मारे गये गुलफाम (तीसरी कसम)
  • एक आदिम रात्रि की महक
  • लाल पान की बेगम
  • पंचलाइट
  • तबे एकला चलो रे
  • ठेस
  • संवदिया

तीसरी कसम पर इसी नाम से राजकपूर और वहीदा रहमान की मुख्य भूमिका में प्रसिद्ध फिल्म बनी जिसे बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया और सुप्रसिद्ध गीतकार शैलेन्द्र इसके निर्माता थे। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर मानी जाती है। हीरामन और हीराबाई की इस प्रेम कथा ने प्रेम का एक अद्भुत महाकाव्यात्मक पर दुखांत कसक से भरा आख्यान सा रचा जो आज भी पाठकों और दर्शकों को लुभाता है।

सम्मान[संपादित करें]

  • अपने प्रथम उपन्यास 'मैला आंचल' के लिये उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

पुस्तक[संपादित करें]

  • फणीश्वर नाथ रेणु का कथा शिल्प, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के ग्रांट से प्रकाशित (१९९०), लेखक : रेणु शाह

भारत रत्न की मांग[संपादित करें]

समता पार्टी के महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव उदय मंडल [1]भारत सरकार से फणीश्वरनाथ 'रेणु' को भारत रत्न देने की मांग की।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

    • 1. फणीश्वरनाथ रेणु और सतीनाथ भादुड़ी के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन : डॉ ब्रजकिशोर झा, आनंद प्रकाशन, कोलकाता
    • 2. ढोंढायचरित मानस, सतीनाथ भादुड़ी (हिंदी अनुवाद : मधुकर गंगाधर), लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद
  • रेणु रचनावली, भाग - ५ (गूगल पुस्तक)
  • एक श्रावणी दोपहरी की धूप (गूगल पुस्तक ; लेखक - फणीश्वर नाथ ' रेणु ')
  • फणीश्वर नाथ ' रेणु ' : चुनी हुई रचनाएँ (गूगल पुस्तक)
  • परती परीकथा (गूगल पुस्तक ; लेखक - फणीश्वर नाथ ' रेणु ')
  • अभिव्यक्ति जालस्थल पर फणीश्वर जी के बारे में
  • फणीश्वर जी पुस्तक में[मृत कड़ियाँ]
  • फणीश्वर जी की रचनाएँ कविता कोश में
  1. "धानुक एकता महासंघ की ओर से साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु को भारत रत्न देने की उठ रही मांग". ETV Bharat News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-06-28.

फणीश्वरनाथ रेणु का प्रथम कहानी संग्रह का नाम क्या है?

रेणु के प्रसिद्ध उपन्यास, 'मैला आंचल' का प्रकाशन अगस्त 1954 में हुआ था, और उसके ठीक दस वर्ष पूर्व अगस्त, 1944 में उनकी पहली कहानी 'बटबाबा' साप्ताहिक 'विश्वमित्र' (कलकत्ता) में छपी थी। यानी रेणु की कहानियां 'मैला आंचल' के प्रकाशन के दस वर्ष पहले से ही छपने लगी थीं।

रेणु की कौन सी कहानी पाठ्यक्रम में है?

पंचलाइट एक हिन्दी कहानी है जिसके लेखक फणीश्वर नाथ रेणु हैं। यह कहानी रेणु के कहानी संग्रह 'ठुमरी' में संकलित है। यह कहानी आंचलिक कहानियों कि श्रेणी में एक प्रमुख कहानी मानी जाती है। यह कहानी 1950 से 1960 के मध्य लिखी गयी थी यह उत्तर प्रदेश और बिहार में हिन्दी साहित्य के कई पाठ्यक्रमों में भी शामिल है।

फणीश्वर नाथ रेणु के बचपन का नाम क्या था?

इनका जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिंगना गांव में हुआ था और इनकी मृत्यु 11 अप्रैल 1977 ईस्वी में हुई। रेणु जी के पिता शिलानाथ मंडल एक किसान थे और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। रेणु जी के बचपन का नाम फणीश्वरनाथ मंडल था

ठुमरी कहानी संग्रह के लेखक कौन है?

ठुमरी एक कथा-संग्रह है जिसके रचायिता फणीश्वर नाथ रेणु हैं।