फालतू कौन सी भाषा का शब्द है? - phaalatoo kaun see bhaasha ka shabd hai?

मैं सबूत की बात कर रहा था, तो वे प्रमाण का प्रयोग करने की सलाह दे रहे थे. कई शब्दों के विकल्प पर चूके, तो कहने लगे कि यही तो हम करना चाहते हैं. खोजें हिन्दी में ही अपने शब्दों को. उर्दू की शरण में क्यों जाएं? हिन्दी में उर्दू शब्दों की मौजूदगी को लेकर उनकी चिढ़ आखिर तक कायम रही. हाल के दिनों में ऐसी बहसें करने वाले लोग फेसबुक पर भी दिखने लगे हैं. उन सबसे मैं सवाल पूछना चाहता हूं. कैसे और क्यों करना चाहते हैं ये आप? जवाब यही होता है कि हिन्दी को बचाना है, गोया हिन्दी उर्दू के किसी नाव पर सवार होकर सरहद पार होने वाली हो.

कुछ उर्दू शब्दों को हिन्दी में खोजना मुश्किल

इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते… जंग में हर चीज जायज है, जैसे उन मुहावरों का क्या करिएगा, जो हमारे संप्रेषण को ऊंचाई देते हैं. हिन्दी में उर्दू के बहुत से ऐसे शब्द चलन में हैं, जिनका हिन्दी में विकल्प खोजना मुश्किल है. जैसे अचार और खतरा. इन दोनों शब्दों का कोई विकल्प हिन्दी में नहीं है. खतरा शायद अरबी शब्द है और अचार फारसी. सैकड़ों साल पहले ये दोनों शब्द हमारी भाषा में ऐसे घुल-मिल गए कि हममें से ज्यादातर लोगों को इसकी उत्पत्ति के बारे में पता ही नहीं होगा.

होली में हम अबीर लगाते हैं, ये शब्द अरब ये आया है. खबर, खजाना, कीमत, खरीद, गुस्सा, जान, जुनून, जुर्माना, जश्न, जहाज, जिंदगी.. ऐसे न जाने कितने शब्द हैं, जो हम-आप रोज बोलते-सुनते हैं. क्या उस वक्त हम ये सोचने लगें कि अरे.. अरे ये शब्द तो मुसलमानों की उर्दू से कूदकर हमारी हिन्दी में आ मिला है. इस घुसपैठिए को निकालो. कोई भी भाषा देश, काल, समाज के विभिन्न तबके के बीच संवाद और भाव को व्यक्त करने का माध्यम है. कोई भी भाषा तभी समृद्ध होती है, जब वो अच्छे शब्दों की आमद के लिए खिड़की-दरवाजे खोलकर रखती है.

ऐसा न हो तो कोई भी भाषा ठहर जाएगी, मर जाएगी. हिन्दी और उर्दू को हमजोली मानते हुए मशहूर कवि और शायर दुष्यंत कुमार ने लिखा था, “हिन्दी और उर्दू अपने-अपने सिंहासन से उतरकर जब आम आदमी के पास आती है, तो उनमें फर्क कर पाना बड़ा मुश्किल होता है. मेरी नीयत और कोशिश यह रही है कि इन दोनों भाषाओं को ज्यादा करीब ला सकूं. इसलिए गजलें मैं उस भाषा में लिखता हूं, जिसमें मैं बोलता हूं."

दुष्यंत ने हिन्दी में ही लिखा, लेकिन उर्दू को साथ लेकर लिखा. ऐसा लिखा कि ऊंची-ऊंची प्राचीरों और मैदानों से हुंकार भरने वाले नेताओं की जुबान से निकलने वाले दुष्यंत के शेर भीड़ में जोश भर देते हैं.

उर्दू - उर्दू भाषा  को कई लोग हिन्दी का एक रूप मानते हैं। उनके अनुसार यह हिन्दी का वो रूप है जिसमें अरबी और फ़ारसी के शब्द बहुत अधिक हैं और फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखी जाती है। इसमें संस्कृत के तत्सम शब्द कम हैं। ये मुख्यतः (दक्षिण एशिया के) मुसलमानों द्वारा बोली जाती है। उर्दू अधिकांशतः नस्तालीक लिपि में लिखी जाती है, जो फ़ारसी-अरबी लिपि का एक रूप है। उर्दू दाएं से बाएं लिखी जाती है। भारत में उर्दू देवनागरी में भी लिखी जाती है। इस भाषा के हजारों से भी अधिक शब्द हिन्दी में घुलमिलकर इसकी खूबसूरती बढ़ा रहे हैं। रोज काम आने वाले ऐसे कुछ शब्द हैं-

शिकारपुर : ¨हदी दिवस हर साल पूरे देश में पूरे जोश के साथ मनाया जाता है। विश्व में चीनी भाषा के बाद ¨हदी दूसरे नंबर की भाषा है। इसके बावजूद ¨हदी को जो उच्च दर्जा मिलना चाहिए था, वह अभी तक नहीं मिल सका है।

हर साल 14 सितंबर का दिन महाविद्यालयों में ¨हदी दिवस के रूप में बनाया जाता है। प्रयोगकर्ताओं की ²ष्टि से ¨हदी आज भी विश्व की दो बड़ी भाषाओं में से एक है। वि‌र्श्व के 203 देशों में से 180 देशों में किसी ने किसी रूप में ¨हदी की स्वरलहरियां गूंज रही हैं। रूस, चीन, जापान, हंगरी, अमेरिका, त्रिनीनाद, उज्वेकिस्तान, इटली, मारीशस, फीजी, गुयाना व नेपाल आदि दो दर्जन से अधिक देशों में 125 से अधिक कालेजों और विश्वविद्यालयों में ¨हदी भाषा का पठन-पाठन और शोध कार्य संपन्न हो रहा है। 500 विदेशी विद्वान ही ¨हदी भाषा और साहित्य को विश्वव्यापी बना रहे हैं।

फिर भी ¨हदी संघ की भाषा का अधिकारिक दर्जा प्राप्त नहीं कर पाई है। प्रथम वि‌र्श्व ¨हदी सम्मेलन का आयोजन 1974 में नागपुर में हुआ था जिसमें वि‌र्श्व भर के 34 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। तब से लेकर आज तक हम महज 21 देशों का ही समर्थन ¨हदी को संघ की भाषा बनवाने के लिए प्राप्त कर सके हैं। आज अन्य 96 देशों का समर्थन जुटाने की आवश्यकता है।

देश के कर्णधारों को इस ओर कार्य करने की जरूरत है। ¨हदी में संयुक्त राष्ट्र संघ में भाषण देने वाला प्रथम राजनयिक अटल बिहारी वाजपेयी हैं। इसके बावजूद अभी तक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा का दर्जा नहीं मिल सका है। वि‌र्श्व की भाषाओं की सबसे प्रमाणिक रिपोर्ट 'वाइटल साइन'2006-7 के अनुसार आगामी 100 सालों के बाद भी ¨हदी अपना परचम फहराएगी। रिपोर्ट के अनुसार विश्व में सौ वर्षो के बाद जिन भाषाओं का अस्तित्व कायम रहेगा उनमें ¨हदी के साथ बंगला, मंदरिन, चीनी, अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी, अरबी, पुर्तगाली, मलय, इण्डोनेशियन और फ्रेंच शामिल रहेंगी।

वर्तमान समय में ¨हदी भाषा के शब्द ही विदेशियों के प्रयोग में नहीं आए बल्कि ¨हदी में भी अब तक विदेशी भाषाओं के लगभग 10 हजार से अधिक ऐसे शब्द ऐसे रच बस गए हैं कि वह मूल ¨हदी जैसे ही लगते हैं। शब्द ग्रहण की यह परंपरा पुरानी है। रोजा, मजहब, खुदा, हज, सरकार, तहसीलदार, चपरासी, वकील, सिपाही, मुंशी व दीवान अरबी फारसी के शब्द हैं। बहादुर, चाकू, कैंची, कुली, तमंचा, तोप, दरोगा, लाश, चेचक आदि तुर्की के शब्द हैं। पश्तो भाषा के गुंडा, पटाखा, तहस-नहस, लुच्चा, अटकल शब्द हैं। पुर्तगाली के आलमारी, गोभी, गोदाम, पपीता, बोतल, मिस्त्री, संतरा और अंग्रेजी के ऑपरेशन, इंच, कलेक्टर, चाक, जज, दर्जन, परेड, मशीन व रंगरूट आदि अनेक शब्द हैं, जिन्हें हम ¨हदी का समझते हैं।

फारसी शब्द कौन सा है?

फारसी- आराम, अफसोस, किनारा, गिरफ्तार, नमक, दुकान, हफ़्ता, जवान, दारोगा, आवारा, काश, बहादुर, जहर, मुफ़्त, जल्दी, खूबसूरत, बीमार, शादी, अनार, चश्मा, गिरह इत्यादि। अरबी- असर, किस्मत, खयाल, दुकान, औरत, जहाज, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, कालीन, मालिक, गरीब, मदद इत्यादि।

आबरू कौन सी भाषा का शब्द है?

सामानी युग (सन् 874-999 ई.) युग फारसी भाषा के साहित्य की वास्तविक उन्नति का समय है।

तुर्की शब्द कौन कौन से हैं?

हिंदी में तुर्की शब्दों की सूची बहुत लम्बी है और यह शब्द अक्सर अरबी-फ़ारसी से भिन्न और हिंदी के देशज शब्दों की तरह ही लगते हैं, जैसे कि नौकर, बहादुर, चादर, चमचा, कैंची, हवा, छतरी, कुली (सामान उठाने वाला) और तोप।

फारसी भाषा कैसे बोली जाती है?

फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये अरबी-फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है।