फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

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फेफड़ों में इन्फेक्शन - Lung Infections in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

परिचय:

जब वायरस, बैक्टीरिया या कभी-कभी फंगी किसी व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंच कर विकसित होना शुरू कर देते हैं, तो फेफड़ों में इन्फेक्शन होने लगता है। फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियां होती हैं जिन्हें “एयर सैक” (Air sacs) कहा जाता है। फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण ये थैलियां मवाद या अन्य द्रव भर जाती हैं, जिसके कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। 

फेफड़ों में संक्रमण होने के लक्षणों में मुख्य रूप से छाती में दर्द होना और बार-बार खांसी होना आदि शामिल हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन के कारण होने वाली खांसी सामान्य खांसी से अलग प्रकार की होती है।

फेफड़ों में इन्फेक्शन का परीक्षण डॉक्टर के द्वारा किया जाता है और परीक्षण के दौरान वे मरीज से उसकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं। फेफड़ों में इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए छाती का एक्स रे और सीटी स्कैन करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। 

सामान्य स्वच्छता बनाए रखने और नियमित रूप से हाथ धोने की आदत से फेफड़ों में संक्रमण होने से बचाव किया जा सकता है। कुछ टीके भी उपलब्ध हैं जो कुछ प्रकार के फेफड़ों के संक्रमण होने का खतरा कम कर देते हैं। लंग इन्फेक्शन का इलाज एंटीबायोटिक या एंटीफंगल दवाओं के साथ किया जाता है। लंग इन्फेक्शन में होने वाली खांसी व दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर दवाएं और कफ सिरप भी दी जाती हैं। बहुत अधिक बुरा इंफेक्शन होने पर ऑक्सीजन और इसी तरह के दूसरे लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाले ट्रीटमेंट भी रोगी को दिए जाते हैं। 

फेफड़ों में इन्फेक्शन होने से श्वसन तंत्र खराब होना, फेफड़ों संबंधी अन्य गंभीर समस्याएं पैदा होना और यहां तक की हार्ट फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। 

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

फेफड़ों का इन्फेक्शन क्या होता है? - What is Lung Infections in Hindi

लंग इन्फेक्शन क्या है?

फेफड़ों में संक्रमण होने की स्थिति को लंग इन्फेक्शन कहा जाता है। यह संक्रमण फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों में भी हो सकता है, जिस स्थिति को “निमोनिया” कहा जाता है। इसके अलावा संक्रमण फेफड़ों के बड़े श्वसनमार्गों में भी हो सकता है, जिसे “ब्रोंकाइटिस” कहा जाता है।

(और पढ़ें - निमोनिया में क्या खाना चाहिए)

फेफड़ों में इन्फेक्शन के प्रकार - Types of Lung Infections in Hindi

लंग इन्फेक्शन के लक्षण - Lung Infections Symptoms in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

फेफड़ों (लंग) में इन्फेक्शन के कारण और जोखिम कारक - Lung Infections Causes & Risk Factors in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन क्यों होता है?

बैक्टीरिया और वायरस, फेफड़ों में इन्फेक्शन पैदा करने वाले मुख्य दो कारण हैं। मरीज के सांस लेने के दौरान ये रोगाणु फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियों में जमा हो जाते हैं। फेफड़ों में पहुंचने के बाद ये रोगाणु विकसित होने लग जाते हैं और इनकी संख्या भी बढ़ने लग जाती है।

फेफड़ों का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है। ये रोगाणु मरीज के खांसने, बोलने और छींकने पर हवा में फैल जाते हैं और उस हवा में सांस लेने के कारण स्वस्थ आदमी के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। मरीज के द्वारा संक्रमित की गई किसी वस्तु को छूने से भी स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - सीने में संक्रमण का इलाज)

फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ ऐसे कारक हैं, जो फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ाते हैं, जैसे:

  • धूम्रपान करना - धूम्रपान करने से आपके शरीर की प्राकृतिक रक्षा क्षमता कमजोर हो जाती है, जो निमोनिया का कारण बनने वाले बैक्टीरिया और वायरस से सुरक्षा प्रदान करती है। (और पढ़ें - धूम्रपान के नुकसान)
  • सेकेंड हैंड स्मोक - किसी दूसरे व्यक्ति के धूम्रपान करने से निकलने वाले धुएं के संपर्क में आने से भी लंग इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। 
  • व्यावसायिक कारक - काम के दौरान धूल या अन्य औद्योगिक रसायनों के संपर्क में आने से फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। 
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाले रोग - एड्स और डायबिटीज जैसे कुछ रोग हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देते हैं, जिससे फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - एचआईवी टेस्ट क्या है)
  • बचपन - खासकर से बच्चों में लंग इन्फेक्शन होने का खतरा अधिक होता है क्योंकि वे दूसरे बच्चों के संपर्क में आते रहते हैं जो वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। बच्चे अक्सर अपने हाथों को नियमित रूप से नहीं धोते। छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होती है, जिससे उनमें किसी भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 
  • वृद्धावस्था - अधिक उम्र होने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने लग जाती है, जिससे फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। 
  • ऑपरेशन या चोट - यदि हाल ही में किसी प्रकार का ऑपरेशन होना या किसी प्रकार की चोट लगने से भी संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
  • आईसीयू में होना - यदि कुछ समय पहले आप इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती थे, तो उससे फेफड़ों में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

(और पढ़ें - आईसीयू क्या है)

फेफड़ों में इन्फेक्शन से बचाव - Prevention of Lung Infections in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

फेफड़ों के इन्फेक्शन से बचाव कैसे करें?

कुछ उपाय अपना कर फेफड़ों में इन्फेक्शन होने से रोकथाम की जा सकती है:

  • पर्याप्त नींद लें - संक्रमण जैसी स्थितियों से निपटने के लिए पूरी नींद लेना और आराम करना जरूरी होता है।
  • तनाव को कम करें - ऐसा कुछ काम ना करें जिनसे आपको तनाव होता है, यदि आपको तनाव है तो उसको ठीक करने की कोशिश करें (और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)
  • स्वच्छ पानी पिएं - जिन क्षेत्रों में स्वच्छ पानी उपलब्ध ना हो वहां पर बोतल बंद पानी या अन्य पेय पदार्थ ही पीने चाहिए। (और पढ़ें - गर्म पानी पीने के फायदे)
  • स्वस्थ आहार खाएं - अच्छा व स्वस्थ आहार संक्रमण से लड़ने में शरीर की मदद करता है। समय-समय पर सभी प्रकार के स्वस्थ भोजन खाने चाहिए।
  • खूब मात्रा में तरल पदार्थ पिएं - दिन में कम से कम 8 गिलास तरल पदार्थ पीने चाहिए, इनमें पानी, फलों से रस व अन्य स्पोर्ट्स ड्रिंक शामिल हैं। विभिन्न प्रकार के तरल पदार्थों पीने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना और भी बेहतर है।
  • धूम्रपान छोड़ दें - तंबाकू आपके फेफड़ों को कमजोर बना देता है, जिससे वे संक्रमण से नहीं लड़ पाते। धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में लंग इन्फेक्शन होने के जोखिम सामान्य व्यक्ति से अधिक पाए जाते हैं।  (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)
  • अपने हाथों को अच्छे से धोएं - ऐसे बहुत सारे रोगाणु हैं, जो हाथों के माध्यम से ही हमारे शरीर के अंदर जाते हैं और संक्रमण फैलाते हैं। अपने हाथों को रोजाना दिन में कई बार साबुन के साथ अच्छे से धोना चाहिए। यदि आप हाथ धोने में समर्थ नहीं हैं तो अल्कोहल युक्त सेनिटाइजर्स का उपयोग कर सकते हैं। 
  • अपनी आंखों को ना रगड़ें - ऐसा करने से हाथों पर उपस्थित रोगाणु आंख की अश्रु नलिकाओं (Tear ducts) से होते हुए श्वसनमार्गों तक जा सकते हैं। (और पढ़ें - आँख लाल होने के लक्षण)
  • सीढ़ियों का इस्तेमाल करें - नियमित रूप से रोजाना 30 मिनट शारीरिक गतिविधि करने से फेफड़ों में दबाव कम हो जाता है और ऑक्सीजन प्राप्त करने की क्षमता में भी सुधार होता है। शारीरिक रूप से गतिशील रहने से मेटाबॉलिज्म में भी सुधार होने लगता है। 
  • फ्लू का टीका लगवाएं - हर साल फ्लू के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने वाला टीका लगवाएं (और पढ़ें - फ्लू के घरेलू उपाय)
  • हवा का ध्यान रखें - जिन लोगों के फेफड़ों में इन्फेक्शन है, उनको हवा में पार्टिकुलेट (Particulates) नामक प्रदूषण की मात्रा का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। प्रदूषित हवा में पार्टिकुलेट एक प्रकार का सूक्ष्म कण होता है जो कठोर या तरल भी हो सकते हैं। जब हवा अधिक प्रदूषित हो, तो उस दौरान जितना हो सके कम घर से बाहर निकलना चाहिए।
    अन्य वायु प्रदूषणों से भी बचना चाहिए, जैसे तंबाकू, लकड़ी और तेल का धुंआ, वाहनों से निकलने वाला धुंआ व अन्य औद्योगिक प्रदूषण आदि। ये सभी प्रकार के प्रदूषण फेफड़ों के अंदर जाकर उन्हें क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। इसके अलावा पराग आदि से होने वाली एलर्जी से भी बचाव रखना चाहिए। 

लंग इन्फेक्शन का परीक्षण - Diagnosis of Lung Infections in Hindi

लंग इन्फेक्शन का परीक्षण कैसे किया जाता है?

स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों की जांच करते हैं, आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछते हैं और आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं। 

परीक्षण के दौरान डॉक्टर एक स्टीथोस्कोप (Stethoscope) नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी मदद से छाती से निकलने वाली आवाज को सुना जाता है। इस उपकरण की मदद से सांस के दौरान छाती से निकलने वाली किसी भी असाधारण आवाज की पहचान कर ली जाती है, जैसे घरघराहट।

  • ब्लड टेस्ट - इसकी मदद से खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच की जाती है, तो संक्रमण का संकेत देती है। खून टेस्ट की मदद से यह भी पता लगाया जाता है, कि बैक्टीरिया, वायरस या फंगस में से किस कारण से फेफड़ों में संक्रमण हुआ है और संक्रमण कितना गंभीर है। (और पढ़ें - प्रोलैक्टिन परीक्षण क्या है)
  • ब्लड कल्चर - इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया लिया जाता है, कि रोगाणु कहीं फेफड़ों से खून में तो नहीं फैल गए हैं। (और पढ़ें - लैप्रोस्कोपी क्या है)
  • धमनी रक्त गैस (Arterial blood gas) - अर्टेरियल ब्लड गैस एक प्रकार का खून टेस्ट होता है, जिसकी मदद से खून में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य प्रकार के कारकों के स्तर की सटीक रूप से जांच की जाती है। (और पढ़ें - एंडोस्कोपी कैसे करते हैं)
  • बलगम की जांच - थूक या बलगम की जांच करके यह पता लगाया जा सकता है, कि फेफड़ों में संक्रमण (निमोनिया) किस रोगाणु के कारण हुआ है। (और पढ़ें - बलगम की जांच क्या है)
  • एक्स रे - छाती का एक्स रे करने से लंग इन्फेक्शन की पुष्टि हो जाती है और यह भी पता लग जाता है कि फेफड़े का कौन सा क्षेत्र अधिक प्रभावित है। (और पढ़ें - एक्स-रे क्या है) 
  • सीटी स्कैन - इस टेस्ट की मदद से फेफड़ों की और स्पष्ट तस्वीर निकाली जाती है, जिसमें एक्स रे की तस्वीर से अधिक जानकारी होती है। (और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या है) 
  • ब्रोंकोस्कोपी - इस टेस्ट की मदद से फेफड़ों के वायुमार्गों की जांच की जाती है। इस टेस्ट के दौरान ब्रोंकोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, यह एक लचीली ट्यूब होती है जिसके सिरे पर एक लाइट और एक कैमरा लगा होता है। ब्रोंकोस्कोप को गले के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है। यदि आपके शुरुआती लक्षण गंभीर हैं, तो अक्सर डॉक्टर सबसे पहले ब्रोंकोस्कोपी ही करते हैं। इसके अलावा जो मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं और उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं से कोई सुधार नहीं हो रहा होता है, तो भी डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट कर सकते हैं। (और पढ़ें - ब्रोंकोस्कोपी क्या है)
  • पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse oximeter​) - इस टेस्ट की मदद से खून में ऑक्सीजन के स्तर की जांच की जाती है। पल्स ऑक्सीमीटर एक छोटा सा उपकरण होता है, जिसे उंगली लगाकर टेस्ट किया जाता है। 

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण क्या है? - phephadon mein inphekshan ke lakshan kya hai?

फेफड़ों में इन्फेक्शन का इलाज कैसे किया जाता है?

ऐसे कई वायरस हैं, जिनके कारण होने वाले संक्रमण के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है। जब तक स्थिति का पूरी तरह से पता नहीं लग पाता, तब तक डॉक्टर आपके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। 

फेफड़ों के संक्रमण का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है, इलाज के लिए सही दवा का चयन संक्रमण के कारण के आधार पर किया जाता है। बैक्टीरिया के कारण होने वाला निमोनिया का इलाज ज्यादातर मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ घर पर ही किया जाता है। ज्यादातर लोगों में एंटीबायोटिक का असर एक से तीन दिन के अंदर दिखाई देने लग जाता है।

(और पढ़ें - शिशु में निमोनिया के लक्षण)

डॉक्टर आपकी खांसी को शांत करने के लिए भी कुछ दवाएं लिख सकते हैं, ताकि आप ठीक से आराम कर सकें। हालांकि खांसी, फेफड़ों से बलगम निकालने में मदद करती है इसलिए डॉक्टर खांसी को पूरी तरह से बंद करने की दवा नहीं देते। 

(और पढ़ें - शिशु की खांसी का इलाज)

यदि आपके लक्षण बहुत ही गंभीर हैं या आपको स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं हैं तो ऐसी स्थिति में आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अस्पताल में डॉक्टर आपकी दिल की धड़कनों, सांसों और आपके शरीर के तापमान की जांच करते हैं। 

अस्पताल में ये उपचार किए जा सकते हैं:

  • एंटीबायोटिक दवाओं को सीधे नसों में देना - इस उपचार प्रक्रिया के दौरान मरीज की नसों में सुई लगाकर (इंट्रावेनस) तरल के रूप में एंटीबायोटिक दवाएं  शरीर में पहुंचाई जाती हैं। 
  • ऑक्सीजन थेरेपी - इस उपचार की मदद से आपके खून में ऑक्सीजन के सामान्य स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। इस दौरान आपको ऑक्सीजन मास्क लगाकर या नाक में ट्यूब लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है। यदि स्थिति गंभीर है, तो आपको वेंटीलेटर (Ventilator) की आवश्यकता भी पड़ सकती है, यह एक ऐसी मशीन होती है जो सांस लेने में मरीज की मदद करती है। 
  • नेबुलाइजेशन (Nebulization) - यह एक मशीन होती है, जो दवाओं को सीधे फेफड़ों और श्वसनमार्गों तक पहुंचाती है। (और पढ़ें - नेबुलाइजर मशीन क्या है)

फेफड़ों के इन्फेक्शन के लिए कुछ घरेलू उपचार

  • खूब मात्रा में पानी पिएं, जिससे बलगम पतला होने लगता है और खांसी के साथ आसानी से निकलने लगता है। (और पढ़ें - पानी पीने के फायदे)
  • सोते समय अपने सिर के नीचे एक से अधिक तकिए लगाकर सोएं, ऐसा करने छाती में बलगम नहीं जम पाती और सांस लेने में आसानी रहती है। 
  • खांसी से राहत पाने के लिए शहद और नींबू के गर्म पेय पिएं।
  • फेफड़ों में संक्रमण के कारण होने वाली स्थितियों जैसे बुखार, गले में दर्द, सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द से राहत पाने के लिए दर्दनिवारक दवाएं लें।
  • गले में दर्द को ठीक करने के लिए गर्म पानी में नमक मिलाकर गरारे करें। (और पढ़ें - गले में दर्द के घरेलू उपाय)
  • खूब मात्रा में पानी पिएं।
  • गर्म पानी को किसी बर्तन में डालकर उसकी भाप लें, आप पानी में मेन्थॉल तेल भी मिला सकते हैं। 

(और पढ़ें - शहद और गर्म पानी के लाभ)

फेफड़ों में संक्रमण की जटिलताएं - Lung Infections Risks & Complications in Hindi

लंग इन्फेक्शन से क्या समस्याएं होती हैं?

उचित इलाज करवाने पर फेफड़ों में इन्फेक्शन से ग्रस्त ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों में संक्रमण की स्थिति गंभीर होती है, जिससे कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं।

फेफड़ों में इन्फेक्शन से होने वाली जटिलताएं अत्यधिक गंभीर हो सकती है, जिनके परिणामस्वरूप फेफड़े स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं और यहां तक कि मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। 

इसमें शामिल है:

यदि आपको पहले से ही फेफड़ों से जुड़े रोग हैं, तो संक्रमण होने से उनकी स्थिति और बदतर हो जाती है। इन स्थितियों में कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और वातस्फीति (सांस फूलने से संबंधित स्थिती) आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर)

अन्य जटिलाएं जैसे:

  • श्वसन तंत्र खराब होना
  • श्वसन तंत्र बंद हो जाना, ऐसा तब होता है जब फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं।
  • कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
  • फेफड़ों के आस-पास द्रव इकट्ठा होना (प्ल्यूरल इफ्यूजन)
  • फेफड़े के अंदर फोड़ा बनना - यदि फेफड़े में कहीं पर मवाद इकट्ठा होने लगे तो वहां पर फोड़ा भी बन सकता है।

(और पढ़ें - हृदय रोग के लक्षण)

फेफड़ों में बैक्टीरियल इंफेक्शन होना कितना गंभीर है? - How Serious is a Bacterial Lung Infection in Hindi?

निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण आमतौर पर हल्के होते हैं, लेकिन जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है या उनकी बीमारी पुरानी होती है, तो ये समस्या गंभीर रूप ले सकती है, जैसे कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)।

संदर्भ

  1. Alvaro Ruibal. et al. Lung Infection and Treatment . Journal of Lung Diseases and Treatment. [Internet]. OMICS International.
  2. State of Victoria. [Internet]. Department of Health & Human Services. Chest infections.
  3. NewYork-Presbyterian Hospital. [Internet]. New York, United States; TREATMENT FOR INFECTIOUS LUNG DISEASES.
  4. Speert DP. Bacterial infections of the lung in normal and immunodeficient patients.. Novartis Found Symp. 2006;279:42-51; disussion 51-5, 216-9. PMID: 17278384.
  5. South Dakota Department of Health. [Internet]. Pierre, SD; COMMON VIRAL RESPIRATORY DISEASES.

फेफड़ों में इन्फेक्शन की दवा - Medicines for Lung Infections in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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फेफड़ों में इन्फेक्शन की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Lung Infections in Hindi

फेफड़ों में इन्फेक्शन के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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सर्जरी के लिए बैस्ट डॉक्टर


  • दिल्ली में ट्यूब थोराकोस्टोमी के डॉक्टर
  • दिल्ली में फेफड़ों का ट्रांसप्लांट के डॉक्टर
  • मुंबई में परिफुप्फुसोच्छेदन (प्ल्यूरेक्टोमी) के डॉक्टर
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फेफड़े कमजोर होने के क्या लक्षण है?

जब हम श्वसन रोगों के लक्षणों के बारे में बात करते हैं तो खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और हिमोपटाइसिस (बलगम में खून आना) प्रमुख लक्षण हैं। खांसी लंबे समय तक बलगम और कभी-कभी बलगम में खून के साथ भी मौजूद हो सकती है।

फेफड़ों की सफाई के लिए क्या करें?

यदि आप भी अपने फेफड़ों को मजबूत करने के उपाय जनाना चाहते हैं तो आज हम आपको फेफड़ों की सफाई के लिए घरेलू उपाय के बारे में बताएंगे।.
गर्म भाप गर्म भाप को लेना फेफड़ों की सफाई का काफी पुराना और असरदार घरेलू नुस्खा है, हवा को नम रखने से लंग्स को साफ किया जा सकता है। ... .
ग्रीन टी ... .
एरोबिक एक्सरसाइज ... .
धूम्रपान न करे.

छाती में इंफेक्शन होने से क्या होता है?

अगर आप चेस्ट इंफेक्शन से पीड़ित हैं तो प्रोटीन का अधिक सेवन करना आइडियल है. छाती में संक्रमण आपके एनर्जी लेवल को काफी कम कर सकता है और आपको कम महसूस करा सकता है. इसके साथ ही दाल कई अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है जो आपके फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती है.

छाती में इन्फेक्शन कैसे ठीक करें?

छाती में संक्रमण (chest infection) एक तरह का संक्रमण है, जो आपके निचले बड़े वायुमार्ग (ब्रांकाई) और आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है। निमोनिया और ब्रोंकाइटिस सबसे आम छाती में संक्रमण हैं। ब्रोंकाइटिस आमतौर पर एक वायरल संक्रमण के कारण होता है। निमोनिया आमतौर पर बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है।