सब्सक्राइब करे youtube चैनल parallel plate capacitor in hindi समान्तर प्लेट संधारित्र : समांतर प्लेट संधारित्र में दो प्लेट अल्प दूरी पर व्यवस्थित करते है इन दोनों प्लेटों का आकार समान होना चाहिए। ये दोनों प्लेट समान्तर व्यवस्थित होती है और एक संधारित्र की रचना करती है इसलिए इसे समान्तर प्लेट संधारित्र
कहते है। प्लेटो को आवेशित करने के लिए एक प्लेट को बैटरी के धन सिरे से तथा दूसरी प्लेट को बैट्री के ऋण सिरे से जोड़ते है। जो प्लेट धन सिरे से जुडी है वह इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनावेशित हो जाती है तथा जो प्लेट ऋण सिरे से जुडी है वह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणावेशित हो जाती है। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है की जितना आवेश धन प्लेट पर है उतना ही आवेश ऋण प्लेट पर होगा लेकिन दोनों विपरीत प्रकृति के होंगे। माना
धन प्लेट पर +q आवेश है तो ऋण प्लेट पर -q आवेश होगा , चूँकि दोनों प्लेटो का आकार व आवेश समान है अतः दोनों प्लेटों पर आवेश का घनत्व भी समान होगा। (घनत्व = आवेश /क्षेत्रफल ) माना धन प्लेट पर आवेश घनत्व +σ है तथा ऋण प्लेट पर आवेश घनत्व –σ है। अतः प्रत्येक प्लेट के कारण σ/2ε0 विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है। दोनों प्लेटो के कारण उत्पन्न
विद्युत क्षेत्र σ/2ε0 एक ही दिशा में होंगे अतः दोनों प्लेटों के मध्य कुल उत्पन्न विद्युत क्षेत्र का मान कुल क्षेत्र E = ऋण प्लेट के कारण क्षेत्र + धन प्लेट के कारण क्षेत्र E = σ/2ε0 + σ/2ε0 कुल क्षेत्र E = σ/ε0 चूँकि σ = q /A अतः E = q /Aε0 उपान्त प्रभावप्लेट के किनारों पर पृष्ठ आवेश घनत्व का मान अधिक होता है जिससे विद्युत बल रेखाएं प्रतिकर्षित करती है और वक्रीय हो जाती है व विद्युत क्षेत्र असमान हो जाता है इस प्रभाव को उपान्त प्रभाव कहते है। नोट : हम यहाँ उपान्त प्रभाव को नगण्य मान रहे है। माना दोनों प्लेटो के मध्य की दूरी d है अतः विभव = विद्युत क्षेत्र x दुरी V = Ed V = qd /Aε0 समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का मान C = q /V V का मान रखने पर C = Aε0/d सूत्र को देखकर हम कह सकते है की समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का मान प्लेटों के क्षेत्रफल A के समानुपाती होता है तथा दोनों प्लेटो के मध्य की दुरी d के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
समान्तर-प्लेट संधारित्र की धारिता- चित्र में एक समान्तर-प्लेट संधारित्र दिखाया। गया है जिसमें मुख्यत: धातु की लम्बी व समतल दो प्लेटें Xव Y होती हैं जो एक-दूसरे के आमने-सामने थोड़ी दूरी पर दो विद्युतरोधी स्टैण्डों में लगी रहती हैं। इन समान्तर-प्लेटों के बीच वायु के स्थान पर कोई विद्युतरोधी माध्यम (परावैद्युतांक K) भरा है। समतल प्लेटों में से प्रत्येक का क्षेत्रफल A मीटर तथा उनके बीच की दूरी d मीटर है। जब प्लेट X को +q आवेश दिया जाता है तो प्रेरण के कारण प्लेट Y पर अन्दर की ओर -q आवेश तथा बाहर की ओर +q आवेश उत्पन्न हो जाता है, चूंकि प्लेंट Y पृथ्वी से जुड़ी है; अतः इसके बाहरी तल का +q आवेश पृथ्वी में चला जाएगा। अंतः प्लेटों के बीच वैद्युत-क्षेत्र उत्पन्न हो जाएगा और लगभग सभी जगह क्षेत्र की तीव्रता एकसमान होगी। समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता को निम्नलिखित प्रकार से बढ़ाया जा सकता है- 1. प्रयुक्त प्लेटें अधिक क्षेत्रफल की होनी चाहिए। 2. प्लेटों के बीच ऐसा माध्यम रखना चाहिए जिसका परावैद्युतांक अधिक हो। 3. प्लेटों के बीच की दूरी (d) कम लेनी चाहिए अर्थात् प्लेटें परस्पर समीप रखनी चाहिए। विषय सूची समांतर प्लेट संधारित्रदो समतल अथवा समांतर लंबी धातु की प्लेटें तथा उनके बीच वायु अथवा पराविद्युत माध्यम उपस्थित हो तो इस प्रकार के समायोजन को समांतर प्लेट संधारित्र (parallel plate capacitor in hindi) कहते हैं। Note – समांतर प्लेट संधारित्र का एनसीईआरटी बुक में नाम समांतर पट्टिका संधारित्र है। इसलिए आप कंफ्यूज न होना समांतर पट्टिका संधारित्र का मतलब समांतर प्लेट संधारित्र ही है। समांतर प्लेट संधारित्र की धारितासमांतर प्लेट संधारित्रमाना समांतर प्लेट संधारित्र में धातु की दो समतल P1 व P2 प्लेटें हैं। जो एक दूसरे से d दूरी पर स्थित हैं। इन प्लेटों के बीच पराविद्युत पदार्थ k भर दिया जाता है। तथा प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है। जब प्लेट P1 को +q आवेश दिया जाता है। तो प्रेरण के कारण प्लेट P2 की भीतरी सतह पर उतना ही -q आवेश तथा बाहरी सतह पर +q आवेश उत्पन्न हो जाता है। चूंकि P2 प्लेट पृथ्वी से जुड़ी हुई है। इसलिए +q आवेश पृथ्वी में चला जाता है। तब इस प्रकार दोनों प्लेटों P1 और P2 पर बराबर तथा विपरीत आवेश होगा। यदि प्रत्येक प्लेट पर पृष्ठ आवेश घनत्व σ है तो σ = \frac{q}{A} Note – समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से संबंधित एक प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है जो वार्षिक परीक्षाओं में जरूर पूछ लिया जाता है की पढ़ें…
वान डी ग्राफ जनित्र क्या है रचना एवं कार्य विधि, इसके उपयोग बताइए समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता को प्रभावित करने वाले कारकसमांतर प्लेट संधारित्र की धारिता निम्नलिखित तीन बातों पर निर्भर करती
है। समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से सम्बन्धित प्रश्नसमांतर प्लेट संधारित्र की धारिता से संबंधित परीक्षाओं में आंकिक प्रश्न आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। इसलिए आप इस टाॅपिक से संबंधित सभी आंकिक प्रश्नों को हल करके जरूर देखें। जिसमें से एक प्रश्न को हल करने पर तरीका हमने आपको बताया है। Q.1 एक समांतर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल 40 सेमी2 है। एवं दोनों प्लेटों के बीच विद्युत क्षेत्र की तीव्रता 30 न्यूटन/कूलाम है। तो प्रत्येक प्लेट पर आवेश को ज्ञात कीजिए? हल – दिया है प्लेट का क्षेत्रफल A = 40
सेमी2 या A = 40 × 10-4 मीटर2 q = 12 × 10-14 × 8.85 यह आंकिक प्रश्न कठिन था। इस प्रश्न को हल करने में संधारित्र की धारिता के केवल एक सूत्र का ही प्रयोग नहीं किया गया है बल्कि कई सूत्रों से एक नई सूत्र को बनाया गया है। जिससे यह प्रश्न हल हुआ है। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है। चूंकि यहां सूत्रों से सूत्र बनाए गए हैं इसीलिए अच्छे से समझें। समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का सूत्र क्या है?` समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता, <br> `C = (Q)/(V) = (Q)/((sigma)/(epsi_(0)).
समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक का निगमन कीजिए इसकी धारिता को कैसे बढ़ाया जा सकता?I संधारित्र के प्लेटों के बीच बहने वाली धारा है,. V संधारित्र के प्लेटों के बीच का विभवान्तर है,. C संधारित्र की धारिता है जो संधारित्र के प्लेटों की दूरी, उनके बीच प्रयुक्त डाइएलेक्ट्रिक पदार्थ, प्लेटों का क्षेत्रफल एवं अन्य ज्यामितीय बातों पर निर्भर करता है। संधारित्र की धारिता निम्नलिखित समीकरण से परिभाषित है-. संधारित्र की धारिता का सूत्र क्या होता है?किसी संधारित्र की धारिता, संधारित्र की एक प्लेट को दिए गए आवेश तथा दोनों प्लेटों के बीच उत्पन्न विभवांतर के अनुपात के बराबर होती है। संधारित्र की धारिता का मात्रक फैरड होता है। एवं विमीय सूत्र [M-1L-2T4A2] होता है।
समांतर प्लेट संधारित्र के लिए धारिता का मान क्या है ?`?सूत्र को देखकर हम कह सकते है की समांतर प्लेट संधारित्र की धारिता का मान प्लेटों के क्षेत्रफल A के समानुपाती होता है तथा दोनों प्लेटो के मध्य की दुरी d के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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