Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Exercise Questions and Answers. Show
RBSE Class 7 Hindi Solutions Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन केRBSE Class 7 Hindi हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Questions and Answersकविता से - प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. कविता से आगे - प्रश्न 1. (ख) हाँ, हमने भी एक बार तोता पाला था। मेरे पिताजी ने उसे एक बहेलिया से खरीदा था। पिताजी उसके लिए एक पिंजरा भी खरीद कर लाए थे। उसी पिंजरे में उसे रखा था। तोते की परवरिश भी एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। हमने पिंजरे में पानी पीने के लिए एक कटोरी रखी थी। उसको खाने के लिए अमरूद, आम जैसे मौसमी फल और हरी मिर्च आदि देते थे। सुबह जब पिताजी उसे पिंजरे में रख कर बगीचे में ले जाते थे तब वह पेड़ों और हरियाली को देखकर बहुत प्रसन्न हो जाता था। पिंजरे से बाहर निकलने के लिए और उड़ने के लिए पिंजरे में पंख फड़फड़ाने लगता था। प्रश्न 2. पक्षियों के न रहने पर यह सन्तुलन बिगड़ने लगता है। बहुत से पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते रहते हैं। इससे हमारा पर्यावरण सन्तुलित रहता है। इसके साथ ही पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों का प्रकीर्णन करते हैं। इस प्रकार पक्षी पेड़-पौधे के उगने तथा उनकी वृद्धि करने में भी सहायक होते हैं। अनुमान और कल्पना - प्रश्न 1. प्रश्न 2. भाषा की बात - प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
RBSE Class 7 Hindi हम पंछी उन्मुक्त गगन के Important Questions and Answersप्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. रिक्त स्थानों की पूर्ति - प्रश्न 6. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. लघूत्तरात्मक प्रश्न - प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. निबन्धात्मक प्रश्न - प्रश्न 16. प्रश्न 17. हम पंछी उन्मुक्त गगन के Summary in Hindiपाठ-परिचय - इस कविता के रचयिता शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं। इसमें अन्य सभी सुविधाओं की तुलना में पक्षियों के माध्यम से आजादी को श्रेष्ठ बताया गया है। सप्रसंग व्याख्याएँ - 1. हम पंछी उन्मुक्त ............................................................ की मैदा से। कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' द्वारा रचित 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। यहाँ पिंजरे में बन्द पक्षी मनुष्य से अपनी अभिलाषा व्यक्त करते हुए कहते हैं। व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि हम खुले आसमान में उड़ने वाले आजाद पक्षी हैं। इसलिए पिंजरे में कैद होकर हम अपना मधुर गान नहीं गा सकेंगे। भले ही वह पिंजरा सोने का बना हुआ क्यों न हो? उल्लास में खुले हुए हमारे पंख पिंजरे में लगी इन सोने की तीलियों से टकराकर टूट जाएँगे। हम पक्षी नदियों और झरनों का बहता जल पीने वाले हैं। हम पिंजरे में कैद होकर भूखे-प्यासे रहकर मर जाएँगे। हमारे लिए पिंजरे में सोने की कटोरी में रखे हुए मैदा से तो अच्छी नीम की कड़वी निबौरी है। भाव यह है कि पिंजरे में कैद होकर सोने की कटोरी में रखी मैदा खाने से आजाद होकर खुले आकाश में उड़ना अधिक अच्छा है। 2. स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में .............................................. अनार के दाने। कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं। यहाँ पक्षी अपने बंधनयुक्त जीवन की परेशानियों और अपनी इच्छाओं को व्यक्त कर रहे हैं। व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि सोने की इन जंजीरों में बंधकर हम अपनी स्वाभाविक चाल और उड़ने के ढंग आदि सभी को भूल गये हैं। पेड़ों की फुनगी पर बैठना और पंखों के सहारे झूलना, अब तो हमारे लिए बस सपने की बात बनकर रह गयी है। इस बंधन में पड़ने से पहले हमारी भी यही इच्छा थी कि हम इस खले नीले आसमान की सीमा तक उड़ें और सूर्य की लाल किरणों के समान अपनी चोंच खोलकर आकाश में छाये तारों रूपी अनार के दाने चुगते रहें। 3. होती सीमा हीन। .................................................................... विजन डालो। कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' द्वारा रचित 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। पक्षी यहाँ अपने भावों को व्यक्त कर रहे हैं। व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि स्वतन्त्र रहते हुए आसमान की ऊँचाइयों को छूते हुए उनके पंखों में इस प्रकार की होड़ लग जाती कि उड़ते-उड़ते या तो वे क्षितिज को पा जाते या फिर अपने प्राण गंवा देते। पक्षी कहते हैं कि चाहे उन्हें रहने के लिए घोंसला न दो। टहनी का आश्रय भी तहस-नहस कर दो, लेकिन ईश्वर ने उन्हें पंख दिए हैं तो उनकी उड़ान में बाधा न डालो। उन्हें आजादी के साथ उड़ने दो। पंखों की होडा होडी से क्या तात्पर्य है?2 पंखों की होड़ा-होड़ी का अर्थ है एक दूसरे से आगे बढ़ने की चाह। एक दूसरे से आगे बढ़ने की चाह सदा उड़ने की चाह।
होड़ा होड़ी शब्द का अर्थ क्या है?होड़-होड़ी का हिंदी अर्थ
एक दूसरे से आगे बढ़ जाने का प्रयत्न। प्रतिस्पर्धा। बाजी। शर्त।
पंखों की होड़ा होड़ी का पक्षी क्या परिणाम होता है?अर्थात पंछी कहना चाहते हैं कि इस सीमाहीन क्षितिज के साथ हम अपने पंखों की प्रतिस्पर्धा करते हैं और हम इस प्रतिस्पर्धा में उस सीमाहीन क्षितिज तक पहुंच जाते हैं, नहीं तो हम अपने प्राण छोड़ देते हैं। स्पष्ट है कि पक्षी सीमाहीन क्षितिज के साथ अपने पंखों की होड़ा-होड़ी करना चाहते हैं।
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