डेड सी में इंसान क्यों नहीं डूबता? - ded see mein insaan kyon nahin doobata?

इसे कहते हैं मौत का समुद्र फिर भी यहां नहीं डूबता कोई, बेहद दिलचस्प है इसकी कहानी

फीचर टीम, अमर उजाला Updated Tue, 30 Oct 2018 04:26 PM IST

समुद्र की लहरें देखकर मन मचल उठता है उसमें छलांग मारने के लिए, लेकिन इंसान अपने अरमानों पर तब काबू पा लेता है जब उसे याद आता है कि तैरना तो आता ही नहीं… लेकिन ऊपर वाले ने उन लोगों का भी बंदोबस्त किया है जो तैरना चाहते है, लहरों के साथ खेलना चाहते हैं और वो भी बिना लाइफ जैकेट के। जी हां, यहां कुछ ऐसा ही है। दिलचस्प बात तो ये है कि ये जगह अब पर्यटकों के फेवरेट स्पॉट बन चुका है। 

'डेड सी' और 'अरबी झील' के नाम से मशहूर
जॉर्डन, इजराइल और फिलीस्तीन के बीच में मौजूद है यह जगह मृत सागर के नाम से मशहूर है! जी हां, इसे 'डेड सी' और 'अरबी झील' के नाम से जाना जाता है। बताना चाहेंगे कि मृत सागर समुद्र तल से लगभग 400 मीटर नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है। जिसकी लम्बाई तकरीबन 65 किलोमीटर और चौड़ाई 8 किलोमीटर है। मृत सागर का पानी दुनिया के दूसरे जलस्रोतो से कहीं ज्यादा खारा है। जी हां, इसके पानी में क्षारीय मात्रा दूसरे समुद्रों से लगभग 6-7 गुना ज्यादा है। इस समुद्र की दूसरी बड़ी खासियत ये है कि इसका पानी अपने खारेपन की वजह से कहीं ज्यादा भारी है। इस कारण इसका पानी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है। इस वजह से यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि इस सागर में किसी भी इंसान का डूबना असंभव है। अपनी इन्हीं अद्भुत खूबियों के चलते हमेशा से ही यह सैलानियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सैलानी इसके अद्भुत नजारों को देखने और इसकी खासियत से रूबरू होने जाते हैं।

सबसे हैरान कर देने वाली बात तो आपके लिए ये होगी जब आप जानेंगे कि यहां वो इंसान भी आसानी से तैर सकता है जो तैरना भी नहीं जानता। लोग यहां आते हैं और इस समुद्र में आसानी से लेट कर पिकनिक मनाते हैं। यकीन नहीं तो इसकी तस्वीरें देख लीजिए। अगर फिर यकीन न हो तो यूट्यूब पर डेड सी लिखते है कई वीडियो इस बात का प्रमाण देने के लिए आपके सामने होंगे। जी हां, आपको दूर-दूर तक कोई किनारा नजर नहीं आएगा और लोग यूं ही समुद्र के पानी ने बिना हाथ पैर चलाए तैरते मिलेंगे। बताते चलें कि इस खासियत के चलते 2007 में इसका नाम विश्व के सात अजूबों की लिस्ट के लिए चयनित किया गया था। लेकिन उस समय इसके पक्ष में ज्यादा वोटिंग नहीं हुई वरना आप आज इसे भी दुनिया के सात अजूबों के रूप में जान रहे होते।

समुद्री जीव और पौधों के लिए जानलेवा
इस समुद्र के पानी में खनिज लवण जैसे ब्रोमाइड, मैग्नीशियम, कैल्शियम, सल्फर आदि अत्यधिक मात्रा में पाया जाता है। इसी कारण से इसका पानी न तो पीने लायक रहता है और न ही इसमें पाया जाने वाला नमक प्रयोग के लायक होता है। इसका पानी इतना खारा होता है कि इसमें कोई भी मछली या अन्य जलीय जीव जिंदा नहीं रह पाता। जलीय पौधों का इसमें पनप पाना ही काफी मुश्किल होता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया और शैवाल पाए जाते हैं। इस सागर के पास किसी जलीय जीव या पेड़ पौधों का पनप पाना मुश्किल है। इस कारण से इसके आस-पास पेड़ पौधे नहीं दिखाई पड़ते और इसे 'मृत सागर' की संज्ञा दी जाती है।

सांस और त्वचा की बीमारियों के उपचार में मददगार
वहीं दूसरी तरफ इसका पानी अपनी विशेष खूबियों की वजह से कई बीमारियों को दूर करने और दवा बनाने के लिए उपयोगी साबित होता है। इसमें पाए जाने वाले खनिज लवण इसके वातावरण के साथ घुलकर कई प्रकार की बीमारियों को खत्म करने में लाभदायक साबित होते है। चौथी सदी से यह अपने कुछ खास लक्षणों की वजह से जाना जाता रहा है। ऐसी मान्यता है कि इसकी सतह से शिलाजीत निकालकर मिस्र देशों में बेचा जाता था।

वैज्ञानिकों की माने तो इस सागर में ब्रोमिन अधिक मात्रा में पाया जाता है जो हमारी धमनियों के लिए लाभदायक होता है। इसके साथ-साथ इसमें मैग्नीशियम पाए जाने के चलते यह हमारी त्वचा और सांस सम्बंधित बीमारियों के इलाज के लिए भी कारगर है। मृत सागर सांस और त्वचा जैसी कई अन्य बीमारियों के इलाज के रूप में बहुत मशहूर है। इसके चिकित्सीय गुणों की वजह से यहां सैलानियों के लिए बेहतर सुविधा का प्रबंध किया जाता है, जहां कई होटल शापिंग सेंटर आदि भी बनाए गए हैं।

इसके पश्चिमी तट के किनारे पर्यटकों के लिए स्वास्थ्य केंद्र भी खोले गए हैं। इसके किनारे की काली मिट्टी चेहरे को निखारने के लिए बेहद उपयोगी है। इसे लोग अपने चेहरे पर लगाते हैं। यह कितनी खास होती है, इसको इसी से समझा जा सकता है कि कुछ सौन्दर्य कंपनियां भी यहां की मिट्टी का प्रयोग अपने सौन्दर्य प्रोडक्ट को बनाने में करती हैं।

अद्भुत सागर पर मंडरा रहा है खतरा, लेकिन क्यों...
दुनियाभर में मशहूर यह सागर पानी की कमी की वजह से सिकुड़ रहा है। इसमें मुख्यत: जार्डन नदी और अन्य छोटी नदी का पानी आकर गिरता है। गौरतलब हो कि जार्डन नदी सीरिया और लेबनान के रास्ते से गुजरती है। दूसरा इसके आपसी मतभेद का भी इस सागर पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसा भी बताया जाता है कि अब इजराइल ने जार्डन नदी का पानी अपनी दक्षिण इलाकों की आबादी के लिए इस्तेमाल करने लगा है। इस कारण इस मीठे और खारे पानी के मिलन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। लिहाजा मृत सागर धीरे-धीरे अपनी मौत की कगार पर पहुंच रहा है।

हालांकि, इसके ऊपर मंडराने वाले खतरे को भांपते हुए दुनिया भर के पर्यावरण संरक्षक एक साथ आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इसके चाहने वालों के लिए भी गम का माहौल बना हुआ है, जिसको बचाने के लिए सैलानी कई तरह से प्रदर्शन भी कर चुके हैं। अभी 2016 में दुनिया के लगभग 25 तैराकों ने जार्डन से 17 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए, इजराइल पहुंच कर एक मृत सागर को बचाने का एक संदेश दिया था।

कोई व्यक्ति मृत सागर में क्यों नहीं डूब सकता?

आम पानी की तुलना में मृत सागर के पानी में 20 गुना ज्यादा ब्रोमीन, 50 गुना ज्यादा मैग्नीशियम और 10 गुना ज्यादा आयोडीन होता है। इस समुद्र को 'सॉल्ट सी' भी कहा जाता है। मृत सागर के पानी में नमक की मात्रा इतनी ज्यादा है कि इसमें कोई भी व्यक्ति नहीं डूबता है।

दुनिया का ऐसा कौन सा सागर है जिसमें कोई डूब नहीं सकता?

मृत सागर समुद्र तल से 440मीटर नीचे, दुनिया का सबसे निचला बिंदु कहा जाने वाला सागर है। इसे खारे पानी की सबसे निचली झील भी कहा जाता है। ६५ किलोमीटर लंबा और १८ किलोमीटर चौड़ा यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है, जिससे तैराकों का डूबना असंभव होता है।

मृत सागर को मृत सागर क्यों कहा जाता है?

क्यों पड़ा मृत सागर नाम नमक ज्यादा होने के कारण इसमें मछली या दूसरे जलीय जीव जीवित नहीं रह सकते। यदि गलती से कोई जीव मृत सागर में आ जाता है तो वह तुरंत मर जाता है। इसके अलावा यहां जलीय पौधे भी नहीं पनप पाते, केवल कुछ बैक्टीरिया और शैवाल ही मिलते हैं। यही कारण है कि इसे मृत सागर का दर्जा दिया गया है।

मृत सागर की गहराई कितनी है?

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