Show चौरी चौरा कांड 4 फरवरी 1922[1] को ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी, जब असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी, जिससे उनके सभी कब्जेधारी मारे गए। इस घटना के कारण तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मृत्यु हुई थी। महात्मा गांधी, जो हिंसा के घोर विरोधी थे, ने इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन को रोक दिया था।[2] परिणाम[संपादित करें]इस घटना के तुरन्त बाद गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने की घोषणा कर दी। बहुत से लोगों को गांधीजी का यह निर्णय उचित नहीं लगा। विशेषकर क्रांतिकारियों ने इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष विरोध किया। [2] 1922 की गया कांग्रेस में प्रेमकृष्ण खन्ना व उनके साथियों ने रामप्रसाद बिस्मिल के साथ कन्धे से कन्धा भिड़ाकर गांधीजी का विरोध किया। चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और अधिकांश को बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी।[3] इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये। बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई, 1923 के दौरान फांसी दे दी गई। इस घटना में 14 लोगों को आजीवन कैद और 10 लोगों को आठ वर्ष सश्रम कारावास की सजा हुई। 1922 प्रतिकार चौरी चौरा[संपादित करें]1922 में गोरखपुर में चौरा चौरी कांड पर अभिक भानु द्वारा फिल्म का निर्माण भी किया है अभी भानु द्वारा निर्देशित प्रतिकार चौरा चौरी की कहानी उस समय के नरसंहार को दर्शाती है[4][5] फिल्म में मुख्य भूमिका सांसद और अभिनेता रवि किशन ने निभाई है निर्माता और निर्देशक अभिक भानु द्वारा बड़ी ही खूबसूरती के साथ फिल्म को फिल्माया गया है[6][7] स्मारक[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
चौरी चौरा कांड कब और कहाँ हुआ था?चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा था (वर्तमान में तहसील है) जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है।
5 फरवरी 1922 में क्या हुआ था?गोरखपुर शहर से 26.3 किलोमीटर पूरब में स्थित ऐतिहासिक स्थल चौरीचौरा 4 फरवरी 1922 को हुए जनआंदोलन के लिए याद किया जाता है. विदेशी कपड़ों का बहिष्कार के साथ उन्हें जलाया जा रहा था. इसी बीच पहुंचे अंग्रेज अफसर के आदेश पर चली गोली से 11 क्रांतिकारियों की मौत हो गई. 50 से अधिक क्रांतिकारी घायल हो गए.
4 फरवरी 1922 को क्या घटना घटी थी?महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के दौरान 4 फरवरी 1922 को एक गुस्साई भीड़ ने गोरखपुर के चौरी चौरा पुलिस थाने में आग लगा दी थी। इस घटना में पहली बार क्रांतिकारियों के गुस्से का शिकार पुलिस वाले हुए थे। इसमें 23 पुलिस वालों की मौत हो गई थी। इन पुलिस वालों को शहीद माना गया था, क्योंकि वे ड्यूटी कर रहे थे।
चोर चोरी कांड क्यों हुआ?बहुत से लोगों को गांधीजी का यह निर्णय उचित नहीं लगा। विशेषकर क्रांतिकारियों ने इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष विरोध किया। 1922 की गया कांग्रेस में प्रेमकृष्ण खन्ना व उनके साथियों ने रामप्रसाद बिस्मिल के साथ कन्धे से कन्धा भिड़ाकर गांधीजी का विरोध किया।
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