चने का आटा कैसे बनता है - chane ka aata kaise banata hai

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चने का प्रयोग मनुष्य प्राचीन काल से ही करता आया है। यह एक बहुत ही लोकप्रिय खाद्य है। इसे कई तरह से प्रयोग किया जाता है। सीधे चने के रूप में, दाल के रूप में, बेसन की तरह या फिर सत्तू के तौर पर। किसी भी रूप में इसे खाया जाय, चना एक बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन है। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है। चने को पीसकर आटे के रूप में भी खूब प्रयोग किया जाता है। पीसा हुआ चना दो रूपों में प्रयोग किया जाता है बेसन के रूप में या फिर सत्तू के तौर पर। चने का यह दोनों ही रूप हमारे भोजन में कई तरह से काम आता है और ये दोनों ही न केवल हमारे भोजन को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि पौष्टिक तत्वों से भी भरपूर होता है। आज के इस पोस्ट में चने के इन्हीं दोनों अवतारों के बारे में बताया गया है और साथ ही चने के बेसन और सत्तू के बीच के अंतर को स्पष्ट किया गया है।


File:A photo of roasted bengal gram.JPG - Wikimedia Commons

चने का बेसन : एक बहुउपयोगी उत्पाद

चना का बेसन एक बहुत लोकप्रिय पीसा हुआ अनाज है जो लगभग हर भारतीय रसोई में प्रयोग होता है। यह न केवल मिठाईओं का एक प्रमुख इंग्रेडिएंट है बल्कि यह नमकीन डिश के साथ साथ सब्ज़ी बनाने के भी काम आता है। चना का बेसन एक प्रमुख खाद्य होने के साथ साथ एक अच्छा फेसवाश भी है।

File:Besan.JPG - Wikimedia Commons

चने के बेसन का न्यूट्रिशनल वैल्यू

चना का बेसन जैसा कि नाम है चने की दाल को पीस कर बनाया जाता है। यह पीले रंग का होता है। चने का बेसन कार्बोहायड्रेट और प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है। प्रति 100 ग्राम बेसन में कार्बोहायड्रेट 57 ग्राम तथा प्रोटीन 22 ग्राम होता है। बेसन की इतनी मात्रा से 381 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त बेसन में कई मिनरल्स मुख्यतः आयरन, सोडियम आदि भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। चने के बेसन में करीब 10 ग्राम फाइबर होता है जो पेट के लिए काफी लाभदायक होता है।

चने के बेसन का उपयोग

चना का बेसन भारत के अतिरिक्त नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और श्रीलंका में भी खूब प्रयोग किया जाता है। इससे कई तरह की मिठाइयां जैसे लड्डू, बूँदी, ढोकला, बेसन का हलवा, सोनपापड़ी आदि बनती है। इसका नमकीन फ्लेवर भी काफी लोकप्रिय है। सेव, भुजिया, नमकीन, फाफड़ा, पकौड़ी जैसे स्वादिष्ट और लोकप्रिय व्यंजन में बेसन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके अतिरिक्त भारतीय घरों में बनने वाली स्वादिष्ट कढ़ी का स्वाद कौन भूल सकता है जिसे बेसन की सहायता से ही बनाया जाता है। बेसन के गट्टे की सब्ज़ी, बेसन की बर्फी की सब्ज़ी बेसन के घोल को परतदार लपेट कर बनायी गयी सब्ज़ी भी काफी लोकप्रिय है। आँध्रप्रदेश में सेनेगा पिंडी कुरा भी बेसन से बनने वाली एक लोकप्रिय सब्ज़ी है। 

File:Besan ke Ladoo.JPG - Wikimedia Commons


चने के बेसन को फेशियल के तौर पर भी खूब प्रयोग किया जाता है। भारत में यह एक बहुत ही लोकप्रिय फेसवाश है। चने के बेसन को दही में मिलकर चेहरे पर लेप के रूप में लगाया जाता है। इससे चहरे पर रौनक और निखार आता है। चेहरा साफ़ और खिला खिला महसूस होता है।
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चना का सत्तू : एक एनर्जी ड्रिंक और भोजन

चने का सत्तू चने के विभिन्न लोकप्रिय उपयोगों में से एक है। यह एक सस्ता, स्वस्थ, पौष्टिक और ऊर्जा से भरपूर भोजन है। चने का सत्तू उत्तर भारत में खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में काफी लोकप्रिय खाद्य है। इसका प्रयोग मुख्य भोजन के रूप में, शीतल पेय के रूप में और सत्तू की पूड़ी के रूप में खूब होता है।

चने का सत्तू तैयार करने के लिए चने को पहले पानी में भिंगोया जाता है फिर इसे सुखाकर भूजा जाता है। भुने हुए चनों को चक्की में पीस कर आटे की तरह तैयार कर लिया जाता है। यह हल्का पीला होता है।


चने के सत्तू के पोषक तत्व

चने का सत्तू को एनर्जी ड्रिंक भी कहा जाता है। इसे इसी तरह से गूँथ कर लोई बनाकर भी खाया जाता है। सत्तू की 100 ग्राम मात्रा में 404 कैलोरी ऊर्जा होती है। इसमें 64 ग्राम कार्बोहायड्रेट और 22 ग्राम प्रोटीन होता है। इसके अतिरिक्त चने का सत्तू फाइबर का भी एक प्रमुख स्रोत होता है। इसमें 17 ग्राम फाइबर होता है। चने के सत्तू में मिनरल्स और विटामिन्स की भी कुछ मात्रा पायी जाती है। कुल मिलकर चने का सत्तू एक बहुत ही पौष्टिक, ऊर्जा से भरपूर और पेट के लिए लाभकारी भोजन है।

चने के सत्तू का उपयोग

चने का सत्तू कई तरह से हमारे भोजन में काम आता है। बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि प्रदेशों में यह खूब चाव से खाया जाता है। गर्मी की लू में तपन से बचने के लिए चने के सत्तू का पेय बिहार में खूब लोकप्रिय है। इसे काले नमक के साथ सेवन किया जाता है। यह डिहाइड्रेशन के प्रभाव को कम करता है और शरीर को शीतलता और ऊर्जा प्रदान करता है। सत्तू को गूँथ कर ऐसे भी खाया जाता है। सत्तू में हरी मिर्च, धनिया पत्ती, निम्बू आदि मिलकर पराठों में भरने के लिए स्टफ्फिंग भी बनाया जाता है। ये पराठे बहुत स्वादिष्ट होते हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लिट्टी चोखा बनाने के लिए भी इसी स्टफिंग का प्रयोग किया जाता है।

File:Sattu Ke Parathe.JPG - Wikimedia Commons

सत्तू के अन्य नाम

चने का सत्तू भारत के कई राज्यों में प्रयोग में लाया जाता है। उड़ीसा में इसे चतुआ बंगाल में चातु या सातु, पूर्वी उत्तर प्रदेश में घाटी तेलंगाना में सत्तू पिंडी गुयाना, फिजी और त्रिनिदाद में सतवा कहा जाता है।

चना के बेसन और चने के सत्तू में क्या अंतर है

  • चने का बेसन चने के दाल को पीस कर तैयार किया जाता है जबकि चने का सत्तू चने को भूंजने के बाद पीस कर तैयार किया जाता है।
  • चने का बेसन पीला और नमीयुक्त एक दूसरे से चिपकने वाले पाउडर के समान होता है जबकि चने का सत्तू हल्का पीला, भुरभुरा और एकदम शुष्क होता है।

File:Besan ke sev.JPG - Wikimedia Commons

  • चने का बेसन का प्रयोग मिठाई बनाने में किया जाता है जबकि चने के सत्तू की कोई मिठाई नहीं बनायी जाती है। हालाँकि उड़ीसा में पके केले और छेने को मिलाकर एक मीठी डिश बनायी जाती है।

  • चने के बेसन से कई स्नैक्स जैसे सेव, नमकीन, सब्ज़ी आदि बनाया जाता है। चने के सत्तू का ऐसा प्रयोग नहीं मिलता है।

  • चने के बेसन को पेय या ऐसे ही गूँथ कर नहीं खाया जाता है किन्तु चने के सत्तू से स्वादिष्ट एनर्जी ड्रिंक बनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे ऐसे भी गूँथ कर खाया जाता है।

  • चने के बेसन का प्रयोग फेसवाश के रूप में भी किया जाता है किन्तु चने के सत्तू का ऐसा प्रयोग नहीं होता है।
चित्र:Litti chokha dipped in Ghee.jpg - विकिपीडिया
  • चने का बेसन पराठे या बाटी में स्टफिंग के रूप में नहीं प्रयोग किया जाता है किन्तु चने के सत्तू से स्वादिष्ट पराठे और बाटी या लिट्टी बनती है।
  • पोषक तत्वों में तुलना 
     

100 g

Chana Besan

Chana Sattu

Calories

381

404

Carbohydrates

57 g

64 g

Fat

6 g

5 g

Protein

22 g

22 g

Sodium

59 mg

64 mg

Fiber

10 g

17 g

Potassium

846 mcg

Vitamin A

3%

1%

Vitamin C

5%

7%

Calcium

4%

11%

Iron

27%

35%


उपसंहार
चना का बेसन और सत्तू दोनों ही हमारे भोजन को वैरायटी प्रदान करता है। चने के बेसन से बनी स्वादिष्ट मिठाईयाँ और नमकीन की विभिन्न क़िस्में हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हैं। इसी तरह से चने का सत्तू चाहे पेय के रूप में प्रयोग किया जाय या फिर भोजन के तौर पर या फिर स्वादिष्ट लिट्टी तैयार करने के लिए, हमारे भोजन को एक अनोखा फ्लेवर प्रदान करता है।

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चने का आटा और बेसन में क्या फर्क है?

आमतौर पर चने के आटे को लोग बेसन समझ लेते हैं। लेकिन ये बाजार में मिलने वाले बेसन से अलग होता है। दरअसल बेसन को रिफाइन किया जाता है, जिससे इसका फाइबर आदि निकल जाता है। जबकि चने को जब छिलके सहित पीसा जाता है, तो जो आटा तैयार होता है, वो बेसन से मोटा होता है और उसमें फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है।

चने की रोटी खाने से क्या फायदा होता है?

चने की रोटी गेहूं की रोटी की तुलना में अधिक प्रोटीन युक्त होता है। उदाहरण के लिए एक चने की रोटी खाने से आपको लगभग 10 ग्राम प्रोटीन मिलता है, जो कि गेहूं की रोटी की तुलना में ज्यादा है। वहीं इसे खाकर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगेगी और आप कंप्लीट महसूस करेंगे। इस तरह ये आपको मोटापा और इटिंग डिसऑर्डर से भी बचा सकती है।

चने की रोटी क्या है?

चने के आटे की रोटी पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है। चने के आटे की रोटी में फाइबर और प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है, साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जाता है। आइए जानते हैं चने के आटे की रोटी खाने के क्या-क्या फायदे होते हैं।

बेसन कौन सी दाल से बनता है?

चने की दाल से बेसन बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल में लगभग 500 ग्राम चना दाल लें। अब गैस पर हल्की आंच पर पैन गर्म करें और चने की दाल डालकर 7 से 10 मिनट तक भून लें। अब दाल को एक बाउल में निकालें और फिर मिक्सर में डालकर महीन पीस लें।