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कॉस्मेटिक सर्जरी बढ़ाए खूबसूरती- डॉ. प्रकाश छजलानी पूर्णतः बड़ी या सिर्फ नीचे से चौड़ी नाक को बिना कोई बाहरी निशान छोड़े सुडौल बनाया जा सकता है। इसमें नाक की हड्डी को चटका कर पास में लाते हैं, ताकि ऊपर का चौड़ापन कम हो और नीचे कार्टिलेज को तराशते हैं, जिससे नाक सुडौल दिखे। इसी तरह नाकके टेढ़ेपन को दूर किया जा सकता है या बैठी हुई नाक को ऊपर उठाया जा सकता है या फिर बहुत ही उठी हुई नाक को कम ऊँचा किया जा सकता है। इसी तरह कटे हुए होंठ के कारण उभरी नाक की विकृति को भी ठीक कर सकते हैं।
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शेयर करें August 11, 2020 कई बार आवाज़ आने में कुछ क्षण का विलम्ब हो सकता है! जब हम प्लास्टिक सर्जरी का नाम सुनते हैं तो ज्यादातर लोगों को लगता है कि ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति के बाहरी रंग-रूप और बनावट को बेहतर बनाया जाता है। उदाहरण के लिए- नोज जॉब (नाक की सर्जरी), ब्रेस्ट ऑगमेंटेशन (स्तन की वृद्धि), टमी टक (पेट कम करवाना) आदि। ये सभी कॉस्मेटिक सर्जरी हैं जो प्लास्टिक सर्जरी का एक अहम हिस्सा हैं लेकिन प्लास्टिक सर्जरी का मतलब सिर्फ इस तरह की सर्जरी ही नहीं है। प्लास्टिक सर्जरी में रीकंस्ट्रक्टिव यानी पुनर्निर्माण सर्जरी भी शामिल होती है। इन सर्जरियों के माध्यम से चेहरे और शरीर पर दिखने वाली कई तरह की त्रुटियों का समाधान किया जा सकता है। (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ी त्रुटियों को छोड़कर) उदाहरण के लिए- जन्मजात दोष जैसे- कटे-फटे होंठ, हथेली में अतिरिक्त उंगली या फिर शरीर पर जलने के निशान, कैंसर या टोसिस (ptosis) जैसी समस्याओं के लिए की जाने वाली सर्जरी। कई बार प्लास्टिक सर्जरी की मदद से शरीर की कई क्रियाओं को भी फिर से पहले जैसा करने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए- अगर दुर्घटना के बाद हाथ या पैर में कोई विकृति या विकलांगता आ जाए तो प्लास्टिक सर्जरी की मदद से उस विकृति को दूर कर शरीर के उस हिस्से के कार्य करने के तरीके को फिर से पहले जैसा किया जा सकता है। प्लास्टिक सर्जरी यह शब्द यूनानी भाषा (ग्रीक शब्द) प्लास्टिकोज से आया है जिसका अर्थ है सांचे में ढालना या आकार देना। जब जैसी जरूरत हो उसके हिसाब से सभी उम्र और समुदाय के लोग प्लास्टिक सर्जरी करवा सकते हैं। वर्ल्ड प्लास्टिक सर्जरी डे के मौके पर हम आपके लिए सम्मिलत जानकारी लेकर आए हैं कि आखिर प्लास्टिक सर्जरी क्या है और अगर आप इसे करवाने की सोच रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
प्लास्टिक सर्जरी के डॉक्टर प्लास्टिक सर्जरी के प्रकारसर्जरी
करवाने का उद्देश्य क्या है इसके आधार पर प्लास्टिक सर्जरी 2 तरह की होती है:
2. कॉस्मेटिक सर्जरी (और पढ़ें : ब्रेस्ट का आकार कम करने के उपाय, तरीके) प्लास्टिक सर्जरी से जुड़ी प्रक्रियाएंविभिन्न कार्यपद्धतियों का इस्तेमाल कर प्लास्टिक सर्जरी की जाती है। इनमें से कई प्रक्रियाएं तो ऐसी हैं जिनका लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है जबकि कुछ प्रक्रियाएं बिलकुल नई भी हैं। हर प्रक्रिया के अपने फायदे और जोखिम कारक होते हैं। प्लास्टिक सर्जरी से जुड़ी इन सभी प्रक्रियाओं के बारे में यहां जानें: स्किन ग्राफ्ट प्लास्टिक सर्जरी की एक प्रक्रिया हैस्किन ग्राफ्ट जिसे साधारण शब्दों में कहें तो त्वचा पर पैबंद लगाना हुआ और यह प्रक्रिया प्लास्टिक सर्जरी की सबसे फेमस प्रक्रियाओं में से एक है। इस प्रक्रिया में शरीर के एक हिस्से से त्वचा का एक टुकड़ा लिया जाता है और फिर किसी दूसरे क्षतिग्रस्त हिस्से को कवर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शरीर के जिस हिस्से से स्किन का टुकड़ा लिया जाता है उसे डोनर एरिया कहते हैं। स्किन ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया आमतौर पर त्वचा पर हुए किसी घाव को सही करने के लिए की जाती है, जैसे- जलने से हुआ घाव, किसी तरह की चोट या दुर्घटना के निशान या कैंसर आदि। डायबिटीक अल्सर या दबाव अल्सर (शय्यावरण त्वचा) जैसी समस्याओं का इलाज करने में भी स्किन ग्राफ्टिंग का इस्तेमाल होता है। यह ग्राफ्ट इनमें से किसी एक तरह का हो सकता है:
स्किन के किस हिस्से पर ग्राफ्टिंग की जानी है इसके आधार पर स्किन ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया 3 तरह की होती है:
स्किन ग्राफ्टिंग के अंतर्विरोध स्किन ग्राफ्टिंग से जुड़े जोखिम
ग्राफ्ट की असफलता या खराबी अगर प्रक्रिया करवाने के एक या दो हफ्ते बाद ग्राफ्ट सफेद या काला दिखने लगे तो इसका मतलब है कि ग्राफ्ट के ऊपरी सतह में खराबी आ गई है। इस तरह के मामलों में सिर्फ प्रभावित हिस्से को ही हटाया जाता है। हालांकि अगर पूरा का पूरा ग्राफ्ट ही असफल हो जाता है तो फिर सर्जरी को दोबारा करने की जरूरत पड़ती है। ग्राफ्ट की अस्वीकृति प्लास्टिक सर्जरी में उत्तकों का विस्तारटीशू एक्सपैन्शन या उत्तकों का विस्तार एक प्रक्रिया है जिसके जरिए प्लास्टिक सर्जन आपके शरीर में अतिरिक्त त्वचा को उत्पन्न करने लगते हैं जिसे बाद में किसी दूसरे क्षेत्र में ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस प्रक्रिया में त्वचा की सबसे मूलभूत प्रॉपर्टी का इस्तेमाल किया जाता है ताकि दबाव में आने पर वह हिस्सा फैल सके। इसके लिए, सर्जन स्किन के नीचे क्षतिग्रस्त हिस्से के पास ही छोटा सा टीशू एक्सपैंडर डाल देते हैं। इस एक्सपैंडर में एक थैली होती है जिसे डॉक्टर धीरे-धीरे सलाइन सलूशन से भरते जाते हैं ताकि मरीज की स्किन स्ट्रेच होती रहे। थैली से जुड़े एक ट्यूब से उसे भरा जाता है। टीशू एक्सपैंडर का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि वह उस हिस्से पर परफेक्टली फिट हो जाए। ज्यादातर एक्सपैंडर में 200मिलिलीटर तक सलाइन को भरा जा सकता है। अगर ज्यादा स्किन की जरूरत होती है तो वहां पर एक से ज्यादा एक्सपैंडर को भी इंसर्ट किया जाता है। एक्सपैंडर का साइज इस बात पर निर्भर करता है कि घाव का साइज क्या है, डोनर साइट का साइज क्या है, टीशू का बढ़ने वाला संभावित साइज क्या होगा। कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एक्सपैंडर का साइज घाव के क्षेत्र के साइज के बराबर होना चाहिए। इस तरह से जब एक्सपैंडर स्किन टीशू को डबल कर देता है तो इसका इस्तेमाल घाव के पूरे हिस्से के साथ ही डोनर हिस्से को भी कवर करने में किया जाता है। बाकी एक्सपर्ट्स सुझाव देते हैं कि एक्सपैंडर का बेस घाव के साइज से दोगुना या तीन गुना होना चाहिए। स्तन पुनर्निर्माण, टीशू एक्सपैंशन सर्जरी का सबसे कॉमन प्रकार है। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल बहुत अधिक जले हुए हिस्से के इलाज के लिए भी किया जाता है। टीशू एक्सपैंशन की प्रक्रिया मुश्किल होती है इसलिए आमतौर पर स्किन के मोटे हिस्से में जैसे- पीठ या धड़ में इसका सुझाव नहीं दिया जाता। मरीज के शरीर के जिस हिस्से में एक्सपैंडर लगाया जाता है वहां पर अस्थायी रूप से कुरूपता या भद्दापन आ जाता है। जब प्लास्टिक सर्जन को लगता है कि मरीज की स्किन पर्याप्त रूप से बढ़ गई है तो वे उस थैली में सलाइन डालना बंद कर देते हैं और फिर उसे 14 दिन तक उसी तरह रहने देते हैं ताकि स्किन स्ट्रेच हो जाए। इसके बाद विस्तृत हिस्से को हटाया जाता है और बढ़ी हुई स्किन को क्षतिग्रस्त हिस्से के ऊपर एक तरफ से घुमाया जाता है ताकि प्रभावित स्किन को रिप्लेस किया जा सके। स्तन पुनर्निर्माण के केस में ब्रेस्ट इम्प्लांट को बढ़ी हुई विस्तृत त्वचा के नीचे रखा जाता है। टीशू एक्सपैंशन
से जुड़े जोखिम और जटिलताएं
फ्लैप सर्जरीफ्लैप सर्जरी में स्किन के किसी एक हिस्से से त्वचा की एक पट्टी को काटा जाता है और उसे शरीर के किसी दूसरे हिस्से में रीप्लांट किया जाता है जिसमें मांसपेशियों, फैट या स्किन की कमी हो जाती है। कटी हुई स्किन में अपनी खून की सप्लाई होती है और यही चीज इसे स्किन ग्राफ्ट से अलग करती है जिसमें अपनी कोई रक्त धमनी नहीं होती। इसलिए स्किन ग्राफ्ट जिसे जीवित रहने के लिए स्किन के नीचे मौजूद रक्त धमनियों के साथ संपर्क बनाने की जरूरत होती है वहीं, फ्लैप खुद से जीवित रह सकता है क्योंकि उसके पास अपनी खून की सप्लाई होती है। फ्लैप सर्जरी अलग-अलग प्रकार की होती है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि फ्लैप को कहां से लिया गया है और उसमें क्या-क्या चीजें शामिल हैं। फ्लैप निम्नलिखित प्रकार के होते हैं:
रीजनल फ्लैप : फ्लैप को ऐसे हिस्से से प्राप्त किया जाता है जो क्षतिग्रस्त हिस्से से बिलुकल नजदीक होता है। उदाहरण के लिए- नाक की समस्या के लिए माथे से लिया गया फ्लैप। डिस्टेंट फ्लैप : इसमें क्षतिग्रस्त हिस्से से बहुत दूर मौजूद हिस्से से फ्लैप को प्राप्त किया जाता है। डिस्टेंट फ्लैप 2 तरह के होते हैं- माइक्रोवस्कुलर फ्री फ्लैप : यह फ्लैप क्षतिग्रस्त हिस्से के बहुत दूर के हिस्से से काटकर प्राप्त किया जाता है और फिर माइक्रोसर्जरी के जरिए इसकी रक्त धमनियों को दोबारा से अटैच किया जाता है। पिडकल्ड (डंडी) फ्लैप : फ्लैप अपनी रक्त धमनियों से जुड़ा ही रहता है और उसे सिर्फ घुमा दिया जाता है ताकि वह क्षतिग्रस्त हिस्से को ढक ले। उदाहरण के लिए- स्तन के पुनर्निर्माण के लिए पेट या पीठ से फ्लैप लेना। मसल या म्यूकोक्युटेनियस फ्लैप : इन फ्लैप्स में मांसपेशियां और स्किन दोनों होते हैं। स्तन की वृद्धि (ब्रेस्ट ऑगमेंटेशन) में इस्तेमाल होने वाला फ्लैप सबसे कॉमन मसल फ्लैप है। हड्डी और मुलायम टीशू का फ्लैप : जब हड्डी के साथ ही किसी मुलायम टीशू को भी किसी दूसरी जगह पर रीप्लांट करने की जरूरत होती है तब इस फ्लैप का इस्तेमाल किया जाता है। फ्लैप सर्जरी से जुड़े जोखिम और जटिलताएं लेजर सर्जरीलेजर प्लास्टिक सर्जरी एक कॉस्मेटिक प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर झुर्रियां, अनियमित और पिंगमेंटेड स्किन, किसी तरह के निशान, सन स्पॉट, मुंहासे और स्किन में किसी तरह की रक्त-कोष्ठक समस्या आदि के इलाज के लिए किया जाता है। स्किन पर बने टैटू को हटाने के लिए भी लेजर ट्रीटमेंट की मदद ली जाती है। इसमें अलग-अलग तरंगों (वेबलेंथ) के आधार पर अलग-अलग लेजर्स का इस्तेमाल किया जाता है। सेमिनार ऑफ प्लास्टिक सर्जरी में प्रकाशित एक आर्टिकल के मुताबिक, डर्मेटोलॉजिकल लेजर्स 5 तरह के होते हैं: (और पढ़ें : लेजर हेयर रिमूवल क्या है)
लेजर सर्जरी के खतरे
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि नॉन-ऐब्लेटिव सर्जरी की तुलना में ऐब्लेटिव लेजर सर्जरी में ज्यादा साइड इफेक्ट्स होते हैं खासकर उन लोगों में जिनकी स्किन का रंग गहरा होता है। वहीं दूसरी तरफ नॉन-ऐब्लेटिव सर्जरी बहुत धीरे-धीरे अपने नतीजे दिखाती है। इंडोस्कोपिक सर्जरीइंडोस्कोपिक सर्जरी में छोटे से ट्यूब जैसे- उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें कैमरा (इंडोस्कोप) अटैच होता है और इसे छोटा सा चीरा लगाकर स्किन के अंदर डाला जाता है। सर्जन कैमरे का इस्तेमाल अंदरूनी उत्तकों को देखने के लिए करता है ताकि प्रक्रिया को सही ढंग से किया जा सके। वैसे तो लंबे समय से इंडोस्कोपी का इस्तेमाल अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है लेकिन प्लास्टिक सर्जरी के फील्ड में इसका इस्तेमाल बिलकुल नया है। इंडोस्कोपिक सर्जरी को अलग-अलग उद्देश्यों के लिए किया जाता है जिसमें चेहरे और माथे की गहराई से पुनर्सज्जा किया जाना शामिल है। ब्रेस्ट ऑगमेंटेशन यानी स्तन की वृद्धि और ऐब्डोमिनोप्लास्टी यानी पेट कम करने की प्रक्रिया में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसके अतिरिक्त, इंडोस्कोप की मदद से मसल फ्लैप को आसानी से उठाकर दूसरी जगह पुनर्स्थापित किया जा सकता है और इसमें स्किन में बड़ा चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इंडोस्कोपिक सर्जरी का एक बड़ा फायदा ये है कि ये बाद में कोई बहुत बड़ा निशान या धब्बा नहीं छोड़ता है। ज्यादातर निशान छिप जाते हैं। सर्जरी के क्षेत्र से जुड़े दर्द और सूजन को मैनेज करना भी आसान होता है। इंडोस्कोपिक सर्जरी से जुड़े जोखिम बाकी के प्लास्टिक सर्जरी की ही तरह इंडोस्कोपिक सर्जरी के भी अपने कई जोखिम है जिसमें इंफेक्शन, हीमेटोमा, सेरोमा, नसों का रक्त धमनियों का क्षतिग्रस्त होना या आसपास के स्किन में किसी तरह की चोट या आघात लगना शामिल है। प्लास्टिक सर्जरी से पहले और बाद में इन बातों का ध्यान रखेंप्लास्टिक सर्जरी करवाने का फैसला करने से पहले इन बातों के बारे में जरूर जान लें:
प्लास्टिक सर्जरी के बाद किस तरह का पोस्टऑपरेटिव केयर करना है यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी सर्जरी किस तरह की है और शरीर के किस हिस्से पर हुई है। प्लास्टिक सर्जरी के डॉक्टरसंदर्भ
सम्बंधित लेखडॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ चेहरे की सर्जरी कितने रुपए में होती है?फेसलिफ्ट: चेहरे की झुर्रियों को हटाकर खूबसूरत दिखने के लिए
8-10 साल तक इसका असर रहता है। इस सर्जरी की मदद से आंखों के पास, ठोडी या मुंह के पास लटकी स्किन को टाइट किया जाता है। इस सर्जरी में 2.5 से 3 लाख रुपए लगते हैं।
प्लास्टिक सर्जरी से क्या नुकसान होता है?प्लास्टिक सर्जरी के हैं कुछ नुकसान
-प्लास्टिक सर्जरी मांसपेशियों और त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है। कई बार के आस-पास मांसपेशियां खराब हो सकती हैं। -सर्जरी काफी महंगी होती है और सही से सर्जरी ना होने पर दवा का रिएक्शन हो सकता है। -सर्जरी के निशान पड़ सकते हैं।
चेहरे पर प्लास्टिक सर्जरी कैसे करते हैं?प्लास्टिक सर्जरी तकनीक (plastic surgery techniques)
ग्राफ्ट को जीवित रखने के लिए ग्राफ्टेड जगह पर निर्भर रखा जाता है। टिशू एक्सपेंशन (tissue expansion): एक प्रक्रिया जो आसपास के टिशू को खींच कर अतिरिक्त त्वचा विकसित करती है। फिर यह अतिरिक्त त्वचा प्रभावित जगह के पुननिर्माण में मदद करती है।
प्लास्टिक सर्जरी करने से क्या होता है?क्या होती है प्लास्टिक सर्जरी? अमेरिकन बोर्ड कॉस्मेटिक सर्जरी के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी शरीर का मुख्य उद्देश्य शरीर के ऐसे हिस्सों का इलाज करना होता है, जो किसी बीमारी, संक्रमण, जन्मजात डिफेक्ट, ट्रॉमा या एक्सीडेंट की वजह से खराब हो जाते हैं. यह शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर विभिन्न मेडिकल टेक्निक के जरिए की जाती है.
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