बुनियादी घटाव के कुल कथन होते हैं? - buniyaadee ghataav ke kul kathan hote hain?

गणित में जोड़ शिक्षण के तरीके और गतिविधियां, देखें गतिविधियों के माध्यम से

गणित सीखने-सिखाने के परम्परागत तरीकों में गणित सीखने की प्रक्रिया की लगातार होती गयी है और धीरे-धीरे वह परिणाम आधारित हो गयी। 

आप भी अपनी कक्षा में यही सब नहीं कर रहे हैं? कैसा माहौल रहता है आपकी गणित की कक्षा में? इसी माहौल से गुजर कर आपके सवालों के सही जवाब भी देने लगते होंगे।

 पर क्या आपने जानने की कोशिश की कि ने सही जवाब देने के लिए किस प्रक्रिया को अपनाया? एक साधारण जोड़ को बच्चे ने इस प्रकार किया।

बुनियादी घटाव के कुल कथन होते हैं? - buniyaadee ghataav ke kul kathan hote hain?

यहाँ विचार करें तो आप पाते हैं कि पहले प्रश्न को बच्चे ने सही हल किया परन्तु दूसरे शल में वही प्रक्रिया अपनाने के बाद भी क्यों उसका उत्तर सही नहीं हैं? क्या हमारी लक्ष्य केवल इतना है कि बच्चा जोड़ना सीख लें? या उसमें जोड़ करने की

प्रक्रिया की समझ भी विकसित करनी है वास्तव में जोड़ की समझ के विकास में निहित है। दो या अधिक वस्तुओं या चीजों को एक साथ मिलने से परिणाम के रूप में वस्तुओं की संख्या का बढ़ना।

स्थानीय मान का शामिल होना।

. यह समझना है कि हासिल अर्थात जोड़ की क्रिया में परिणाम दस या अधिक होने पर दहाई की संख्या अपने बायें स्थित दहाइयों में जुड़ती हैं जिसे हासिल समझा जाता है।

. परिणाम के साथ ही प्रक्रिया भी महत्वपूर्ण होती है। बच्चे जोड़ के सवाल खुद पहचान लेते हैं और हल कर लेते हैं ।

शिक्षण के तरीके और गतिविधियां:

बच्चों में इन दक्षताओं एवं कौशलों के विकास के लिये हमें कई तरह के उदाहरण देने होते और अभ्यासों को करने के मौके देने जरूरी होते हैं। यह मौके हम निम्नांकित प्रकार से पलब्ध करा सकते हैं।

कंकड़, पत्थर, बीज, पत्ती, कॅचे आदि बहुत सी वस्तुओं को बच्चों के अलग-अलग समूहों में मिलाने का अभ्यास कराना।

मौखिक रूप से बताने का मौका देना अर्थात भाषा का प्रयोग। चित्र का सहारा लेकर उसी संबोध को स्पष्ट कराना अर्थात चित्रों का प्रयोग।

अन्त में प्रतीक, संकेतों के माध्यम से मिलाने की क्रिया करना।

इस प्रकार हम जोड़ की अवधारणात्मक समझ में वस्तुओं या संख्याओं का 'बढ़ना पहुँचते हैं इसे अधिक गहराई से समझने-समझाने के लिए निम्नांकित गतिविधियों। क्रियाकलापों/तरीकों को सीखने-सिखाने तथा आकलन में प्रयुक्त कर सकते हैं।

गतिविधि - 1, बोल भाई कितने, बोल बहना कितने

बच्चों को गोल घेरे में खड़ा करें। बच्चों से गोल-गोल दायें से बायें घूमने को कहें। 

जब बच्चे घेरे में घूम रहे हों तब अचानक से 'बोल भाई कितने बोल बहना कितन बोलते-बोलते शिक्षक कोई संख्या बोलें।

• बोली हुई संख्या के बराबर संख्या का बच्चे समूह बनायेंगे।

. यह प्रक्रिया कई बार दोहराकर अलग-अलग संख्याओं का बोध करायेंगे । जैसे-3 बच्चे घूमते-घूमते अचानक से 3-3 के समूह में खड़े हों।

बच्चों से 3 अथवा अन्य जो भी संख्यायें गतिविधि के दौरान बोली गई हैं उन संख्याओं कितने समूह बने।

 इस पर चर्चा करके फिर उसके माध्यम से जोड़ करके कुल संख्या पता कराये।

गतिविधि - 2, मिलाओ, बताओ

दो-दो बच्चों के समूह बनायें।

5 से अधिक वस्तुएँ किसी भी बच्चे के पास न हों।

दोनों बच्चों को वस्तुएँ मिलाने को कहें । अब वस्तुओं को गिनवाकर संख्या पता करें।

स्पष्ट करें- वस्तुओं को मिलाने से बनने वाला वस्तुओं का नया समूह 'बड़ा' होन है।

 दस वस्तुएँ होने पर जो समूह बनता है उसे 'दहाई' कहते हैं। इकाई के स्थान कुछ नहीं बचेगा अर्थात इकाई शून्य (0) हो जायेगी।

गतिविधि - 3

. १ बच्चों को साथ खड़ा करें और एक बच्चे को अलग खडा करके दहाई की संकल्पना को स्पष्ट करें।

9 बच्चों के साथ अलग-अलग खड़ा 1 बच्चा आ जाये तो दस बच्चों का एक समूह बन जायेगा।

दस बच्चों का 1 समूह है और अलग खड़े बच्चों की संख्या 'कुछ नहीं अर्थात शून्य (०) है।

इस प्रकार दस बच्चों का जो समूह बनता है उसे एक दहाई (10) से व्यक्त करते हैं। इस प्रकार कई बार इस गतिविधि को कराकर 1 दहाई और इकाई की अवधारणा स्पष्ट करते हुए जोड़ की समझ विकसित की जाए।

दहाई की संकल्पना स्पष्ट होने के पश्चात एक तरफ दस बच्चे और दूसरी तरफ दो बच्चे खड़ा करके गिनवायें एवं इकाई, दहाई की अवधारणा स्पष्ट करें।

चरण 1 - वस्तुओं के माध्यम से

• परिवेश में उपलब्ध वस्तुओं को बच्चों से गिनवाकर, शरीर के अंगों, हाथ-पैर की उंगलियाँ आदि गिनवाकर संख्या पूछे। एक समान वस्तुओं को लेकर पूछें, गिनो, मिलाओ और बताओ। पहले एक एक वस्तु का

जोड़, फिर दो-दो वस्तुओं का जोड़ फिर तीन-तीन, इसी प्रकार करते हुए बिना हासिल के जोड़ को वस्तुओं के माध्यम से करवायें।

चरण 2 - चित्रों के माध्यम से

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चरण 3- संख्याओं, अंकों के माध्यम से

अंक लिखकर उसी अंक के बराबर चित्र बनाकर जोड़ कर सकते हैं- जैसे

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संख्याओं और अंकों की पहचान होने पर केवल अंक लिखकर बिना हासिल वाले जोड़की अवधारणा स्पष्ट करें।

गतिविधि - 4

चरण 1- ठोस वस्तुओं के प्रयोग द्वारा

 बच्चों को 5-5 के छोटे समूहों में बाँट दें।

प्रत्येक समूह में अलग-अलग बीज, तीली, कंकड़, पत्ती दे।

अब बच्चों से 10 वस्तुओं के कुछ समूह, बण्डल

ढेरियों बनाने को कहे। कुछ खुली वस्तुएँ भी समूहों में रहें।

इसके बाद दी गयी संख्याओं के बराबर संख्या को वस्तुओं से प्रदर्शित करायें।

दोनों संख्याओं की ढेरियों, समूहों, बण्डलों और खुली वस्तुओं को मिलाकर अलग-अलग समूह बनवायें।

अब बण्डलों, समूहों, ढेरियों तथा खुली कुल वस्तुओं की संख्या पूछे। जो संख्या बच्चे बतायें उसे ढेरियों, बण्डलों, समूहों से गिनवाकर स्पष्ट करें। फिर इसे चित्र के माध्यम से निम्नवत हल करायें।

चरण 2 - चित्र के माध्यम से

ठोस वस्तुओं की तरह ही चित्र के माध्यम से हल करायें- इसके लिए शिक्षक बोर्ड पर सवाल दें जिनको तीलियों के बंडल और खुली तीलियों के माध्यम से बच्चों से हल कराये। साथ ही अंक का ज्ञान भी करायें।

उसके बाद सभी बच्चों को बतायें कि "दाशमिक संख्या पद्धति में 10 इकाइयों की एक दहाई" बनती है। इसके बाद बोर्ड पर सवाल दें और उन्हें चित्रों के माध्यम से हल करने को कहें।

चरण 3 - संख्या के माध्यम से

शिक्षक पहले स्वयं दो-तीन सवाल संख्या के माध्यम से हल करके बतायें। फिर बच्चों से पाठ्यपुस्तक एवं अभ्यास पुस्तिका में दिए गए सवालों को हल कराएं। इसी तरह से 3 अंकों एवं चार ओं का जोड़ करायें।

हासिल का जोड़

38 और 48 का जोड़ करने की प्रक्रिया निम्नांकित चरणों में की जायेगी।

चरण -1 ठोस वस्तुओं के प्रयोग द्वारा

बच्चों को 5-5 के छोटे समूहों में बाँट दें।

. बच्चों के प्रत्येक समूह में 10-10 तीलियों के बण्डल और अलग से कुछ तीलियों लेने के लिए कहें।

दी गयी दोनों संख्याओं के बराबर की संख्या में बण्डलों और तीलियों को लेकर अलग-अलग संख्या समूह में बनवायें।

 दोनों संख्याओं के आधार पर बने दो समूहों को मिलाकर बनाये गये समूह को गिनवा कर स्पष्ट करें।

फिर इसे चित्र के माध्यम से हल करायें।

परण-2 चित्र के माध्यम से

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चरण-3 संख्याओं के साथ अभ्यास

हासिल वाले जोड़ के सवालों के कुछ उदाहरण श्यामपट्ट पर हल करें, बच्चों से कराएं बच्चों से पाठ्यपुस्तक में दिए गए अभ्यासों पर कार्य कराएं। उनसे चर्चा करते रहें- सवाल को

हल किया?

          38 48 = 86

यहाँ बच्चों को यह समझने में मदद करें कि- "10 इकाई होते ही एक दहाई" बन जाती है।

 इसलिए इकाई वाली संख्या जो कि 6 है को इकाई के स्थान पर और दहाई जो कि दस है उसे दहाई वाली संख्या में जोड़ देना होगा।

                                 प्रेरणा तालिका

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घटाव कितने प्रकार के होते हैं?

घटाव से संबंधित नियम.
शून्य का घटाव.
एक अंक का घटाना.
दो अंकों का घटाना.
तीन अंकों का घटाना.
चार अंकों का घटाना.
दशमलव पर आधारित घटाना.
भिन्नों पर आधारित घटाना.

घटाव की अवधारणा क्या है?

जोड़ने की प्रक्रिया के विरुद्ध प्रक्रिया को घटाना (en:Subtraction) कहा जाता है। जब किसी संख्या अथवा अंक से किसी दूसरी संख्या या अंक को कम किया जाता है तो उसे घटाना कहा जाता है। घटाने को - चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है, जिसे ऋण (en:Minus) चिह्न कहते हैं।

संख्याओं को पढ़ाने का सही क्रम क्या है?

प्राथमिक स्तर पर संख्याओं की सहज समझ को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए अर्थात बच्चे वस्तुओं की संख्या को गिनने से पहले ही पहचान सकेंगे। प्राथमिक स्तर पर संख्याओं की अनुक्रम असंगति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, बच्चों को पहले अंक लिखने का अभ्यास करना चाहिए और फिर संख्या नामों की ओर जाना चाहिए।

बुनियादी गणित क्या है?

जोड़- घटाना और गुणा- भाग बुनियादी गणित है जो सभी को पता होना चाहिए।