बालगोबिन को गृहस्थ होते हुए भी साधु क्यों कहा गया? - baalagobin ko grhasth hote hue bhee saadhu kyon kaha gaya?

बाल गोविंद भगत गृहस्थ थे, फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था?...

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बालगोबिन को गृहस्थ होते हुए भी साधु क्यों कहा गया? - baalagobin ko grhasth hote hue bhee saadhu kyon kaha gaya?

Preetisingh

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बाल गोविंद भगत एक साधु के समान जीवन व्यतीत करते थे वैसे सभी वस्तु साहब की ही मानती थी किसी की वस्तु को ना छूटे और ना ही अपने व्यवहार में लाते अपने खेत में पैदा अवसर पर लात साहब के दरबार में ले जाते हो वहां से मिला उनके साथ रूप में लाते थे और उसे सपना गुजारा चला दे इसलिए उन्हें साधु कहा जाता था

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बालगोबिन को गृहस्थ होते हुए भी साधु क्यों कहा गया? - baalagobin ko grhasth hote hue bhee saadhu kyon kaha gaya?

1 जवाब

बालगोबिन को गृहस्थ होते हुए भी साधु क्यों कहा गया? - baalagobin ko grhasth hote hue bhee saadhu kyon kaha gaya?

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बाल गोविन्द भगत को साधु क्यों कहा जाता था *?

बालगोबिन भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे। उनकी इन्हीं विशेषताओं के कारण वे साधु कहलाते थे।

बालगोबिन भगत गृहस्थ होते हुए साधुओं की श्रेणी में आते थे कैसे?

केवल गेरुआ वस्त्र पहनने से कोई साधु नहीं बन जाता है। साधु बनने के लिए आचार और विचारों में शुद्धता की आवश्यकता होती है। उनमें ये गुण था अस्तु वे गृहस्थी होकर भी सन्यासी थे वे स्वाभिमानी भी थे क्योंकि वे कभी भी किसी अन्य की चीज को बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं करते थे। वे किसी को भी खरा बोल देते थे

पुत्र की मृत्यु पर बालगोबिन क्या करने को कह रहे थे?

बेटे की मृत्यु के बाद बाल गोबिन भगत ने भी यही कहा था। "साई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाए। मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भूखा जाए।। (4) कबीर की तरह बालगोबिन भगत भी कनफटी टोपी पहनते थे, रामानंदी चंदन लगाते थे तथा गले में तुलसी माला पहनते थे

बालगोबिन भगत के गायन की क्या विशेषता है?

बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषता यह थी कि कबीर के सीधे-सादे पद उनके कंठ से निकल कर सजीव हो उठते थे, जिसे सुनकर लोग-बच्चे-औरतें इतने मंत्र-मुग्ध हो जाते थे कि बच्चे झूम उठते थे, औरतों के होंठ स्वाभाविक रूप से कॅप-कॅपाने लगते थे, हल चलाते हुए कृषकों के पैर विशेष क्रम-ताल से उठने लगते थे, उनके संगीत की ध्वनि-तरंग ...