बुखार में कौन सा एंटीबायोटिक लेना चाहिए? - bukhaar mein kaun sa enteebaayotik lena chaahie?

तीन दिनों तक बुखार रहने के बाद ही बच्चों को दें एंटीबायोटिक

Author: JagranPublish Date: Mon, 20 Sep 2021 01:51 AM (IST)Updated Date: Mon, 20 Sep 2021 01:51 AM (IST)

वायरल बुखार का प्रकोप फिलहाल तेजी से बढ़ा है। ऐसे में बच्चों के खानपान से लेकर रहन-सहन पर भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। यदि 100 डिग्री फैरेनहाइट से अधिक बुखार तीन दिनों तक रहे तो इसके बाद डाक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवा देने की जरूरत है।

पटना । वायरल बुखार का प्रकोप फिलहाल तेजी से बढ़ा है। ऐसे में बच्चों के खानपान से लेकर रहन-सहन पर भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। यदि 100 डिग्री फैरेनहाइट से अधिक बुखार तीन दिनों तक रहे तो इसके बाद डाक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक दवा देने की जरूरत है। इससे पहले एंटीबायोटिक दवाएं देना बच्चों में इनके प्रति प्रतिरोधी क्षमता (रेसिस्टेंस) बढ़ाने का खतरा बढ़ाता है। ऐसे में अनावश्यक एंटीबायोटिक देना भी खतरनाक है। दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम 'हेलो डाक्टर' में रविवार को पीएमसीएच के पूर्व विभागाध्यक्ष सह वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डा. निगम प्रकाश नारायण ने पाठकों के प्रश्नों के जवाब में दीं। प्रस्तुत है चुनिंदा प्रश्न और उनके जवाब-

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: हर 10 में एक मरीज डेंगू से पीड़ित :

डा. निगम प्रकाश नारायण ने बताया कि वायरल बुखार हर सीजन में आता है। इस बार बिना फ्लू के भी इंफेक्शन आ रहा है। यह तीन-चार दिनों में ठीक हो जाता है। यदि तीन दिनों के बाद भी बुखार नहीं उतर रहा है तो नजदीकी डाक्टर की सलाह पर बच्चों को एंटीबायोटिक दवाओं व आवश्यक जांच कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जांच में यह बात भी सामने आ रही है कि हर 10 मरीजों में एक डेंगू संक्रमित निकल रहा है। ऐसे में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। बच्चों को फुल बाजू के कपड़े पहनाने के साथ-साथ मच्छरदानी में सुलाने की आदत डालने की जरूरत है। बदलते मौसम में लो या हाई तापमान से बच्चों को बचाएं। बोतल से दूध नहीं पिलाएं। यदि बोतल से पिलाने की मजबूरी हो तो इसे 20 मिनट गर्म पानी में खौलाएं। इसके बाद दूध पिलाएं।

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: मोबाइल और टीवी से रखें दूर :

बच्चों में यह सामान्य सी आदत बनती जा रही है कि उन्हें खाने के समय मोबाइल या टीवी देखते हुए खिलाया जाता है। सोते समय मोबाइल का उपयोग या आनलाइन कक्षा में भी लगातार मोबाइल का उपयोग हो रहा है। यह भी आंखों में तनाव का कारण बन सकता है। ऐसे में बच्चों को मोबाइल और टीवी से दूर रखें।

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मेरे 13 वर्ष के बेटे को बुखार है, क्या करें?

: शशि वर्णवाल, अनीसाबाद।

- तीन दिनों तक बुखार होने पर केवल पारासिटामोल का उपयोग करें। यदि तीन दिनों के बाद भी बुखार बना रहें तो आप नजदीकी शिशु रोग विशेषज्ञ की सलाह पर एंटीबायोटिक दवा का उपयोग कर सकते हैं।

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बच्चे को उल्टी-दस्त हो रही है, क्या करें?

: रिकू वैशाली।

- दूषित खाना-पानी नहीं दें। ओआरएस व जिक का घोल पिलाएं। तरल पदार्थ में नारियल पानी आदि दे सकते हैं। यदि पांच दिन तक बच्चा ठीक नहीं हो रहा है या बच्चा सुस्त होने लगा है तो नजदीकी डाक्टर से मिलें।

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क्या बच्चे का वायरल फीवर बड़े को भी प्रभावित कर सकता है?

: उषा पांडेय, आरपीएस मोड़।

- अमूमन घर में एक व्यक्ति को वायरल फीवर हो जाए तो अन्य लोगों को भी इसका खतरा रहता है। थोड़ी सी सतर्कता से इससे बच सकते हैं। ऐसे में विशेष सावधानी की जरूरत है।

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तीन वर्ष का बच्चा है। नाक से पानी आता है थोड़ी खांसी भी होती है।

: कृष्ण प्रकाश लाल, बैरिया।

- केवल खांसी का सीरप दें। बुखार होने पर पारासिटामोल का उपयोग करें। कोई एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं है।

Edited By: Jagran

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एंटीबायोटिक का गलत इस्तेमाल पूरी दुनिया में बड़ा खतरा बनता जा रहा है।  एंटीबायोटिक का असर कम होने के कारण बैक्टीरिया इतने मजबूत हो चुके हैं कि हर साल सात लाख लोग इस कारण जान गंवा रहे हैं। 2050 तक यह तादाद एक करोड़ तक पहुंच सकती है।  एम्स के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर आशुतोष बिश्वास ने बताया कि खांसी, जुकाम होने पर लोग अक्सर एंटीबायोटिक लेते हैं लेकिन एक वक्त के बाद इन दवाओं का असर होना बंद हो जाता है।

उन्होंने बताया कि खांसी, जुकाम व वायरल संक्रमण की वजह से होने वाले बुखार के कारण लगभग 75 फीसदी लोग डॉक्टरों से पूछे बिना एंटीबायोटिक दवाएं ले लेते हैं। इस वजह से एंटीबायोटिक का असर कम होने के कारण बैक्टीरिया इतने मजबूत हो चुके हैं कि इन दवाओं ने असर करना बंद कर दिया है। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया से पैदा होने वाली बीमारियों से लड़ती हैं। इसका मतलब है कि वे वायरस से नहीं लड़ सकतीं, इसलिए सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक नहीं लेनी चाहिए। 

इन बीमारियों के लिए न लें एंटी बायोटिक दवाएं
खांसी, जुकाम, मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, फ्लू, ब्रॉन्काइटिस, गले में संक्रमण और वायरल संक्रमण की वजह से होने वाला निमोनिया होने पर लोग एंटी बायोटिक दवाएं लेते हैं तो इसका मरीज पर कोई असर नहीं होता। 

किडनी और लिवर को नुकसान पहुंचाती हैं एंटीबायोटिक दवाएं
प्रोफेसर आशुतोष बिश्वास के मुताबिक एंटीबायोटिक दवाओं के गंभीर साइड इफेक्ट होते हैं। इनके अधिक इस्तेमाल से किडनी और लिवर के अलावा मस्तिष्क को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। यहां तक कि इन दवाओं से किडनी और लिवर फेल भी हो सकता है। कई बार दवा लेने के काफी समय बाद इनके नुकसान का असर दिखता है। कभी-कभी ये दवाएं शरीर में एलर्जी व अन्य नई बीमारियों को पैदा करने का सबब बन जाती हैं। 

आरएमएल के डॉक्टरों के लिए गाइडलाइन बनाई
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में माइक्रोबाइलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर नंदिनी दुग्गल का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाएं सिर्फ बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए इस्तेमाल करनी चाहिएं न कि वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए। उन्होंने बताया कि एंटीबायोटिक्स डॉक्टर की सलाह के बगैर न लें। हर बीमारी के लिए अलग प्रकार के एंटीबायोटिक्स होते हैं, जिसे डॉक्टर की सलाह से ही समझ सकते हैं। हमने इन दवाओं के इस्तेमाल के लिए अस्पताल के डॉक्टरों के लिए गइडलाइन बनाई है।

बीच में एंटीबायोटिक छोड़ने पर अधिक नुकसान
प्रोफेसर आशुतोष के मुताबिक डॉक्टर जितने समय के लिए एंटीबायोटिक कोर्स करने की सलाह दें, उसे अवश्य पूरा करें, तबीयत ठीक लगने पर बीच में ही इनका सेवन बंद न कर दें।  अगर आप थोड़ा सा आराम महसूस होते ही दवा खाना बंद कर देते हैं तो बीमारी के बैक्टीरिया और ताकतवर हो जाते हैं और आपको पुन: संक्रमित कर देंगे।  इन्हें खाना खाने से एक घंटा पहले या दो घंटे बाद लेना चाहिए। 

नंबर गेम
07 लाख लोग हर साल एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध की वजह से जान गंवा रहे हैं हर साल। एंटीबायोटिक का असर कम होने के कारण बैक्टीरिया इतने मजबूत हो चुके हैं कि हर साल सात लाख लोग इस कारण जान गंवा रहे हैं। 
 75 फीसदी लोग खांसी, जुकाम, फ्लू, और वायरल बुखार में एंटीबायोटिक ले लेते हैं जानकारी के अभाव में

बुखार में कौन सी एंटीबायोटिक देना चाहिए?

बुखार होने पर पारासिटामोल का उपयोग करें। कोई एंटीबायोटिक्स देने की जरूरत नहीं है।

सबसे अच्छी एंटीबायोटिक दवा कौन सी है?

यहां वे 5 एंटीबायोटिक दवाओं के सॉल्यूशन हैं, जिन पर आप भरोसा कर सकती हैं.
1 अमोक्सिसिलिन ( Amoxicillin ) ... .
2 एज़िथ्रोमाइसिन ( Azithromycin ) ... .
3 डॉक्सीसैकलिन ( Doxycycline or Tetracycline ) ... .
4 मेट्रोनिडाजोल (metronidazole) ... .
5 सेफैलेक्सिन ( Cephalexin ).

Fever आने पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए?

पैरासिटामोल - Paracetamol लपोल, डिसप्रोल, हैडेक्स, पैनाडोल - Calpol, Disprol, Hedex, Panadol. पेरासिटामोल दर्द से राहत देता है। यह शरीर के तापमान में वृद्धि (बुखार) को भी कम करता है। यदि आवश्यक हो तो आप प्रत्येक 4-6 घंटे में पेरासिटामोल की खुराक ले सकते हैं, लेकिन 24 घंटे की अवधि में चार से अधिक खुराक नहीं लें।

वायरल फीवर में कौन सी मेडिसिन ले?

वायरल फीवर (Viral Fever) में हल्दी और सौंठ का पाउडर काफी फायदेमंद है. सौंठ यानी कि अदरक का पाउडर, जिसमें फीवर को ठीक करने वाले गुण मौजूद होते हैं. इसके लिए बस आपको एक छोटी चम्मच हल्दी, एक चम्मच काली मिर्च का पाउडर, थोड़ी सी चीनी और एक चम्मच सौंठ का पाउडर मिलाएं. इन सभी चीजों का एक कप पानी में उबाल लें.

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