भारत और नेपाल के बीच विवाद - bhaarat aur nepaal ke beech vivaad

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भारत-नेपाल सीमा विवाद: विवादित इलाकों पर विशेषज्ञ पैनल ने ओली सरकार को सौंपी रिपोर्ट

भारत और नेपाल के बीच विवाद - bhaarat aur nepaal ke beech vivaad

पीएम ओली ने जवाब देने के लिए 10 दिन का समय मांगा.

India-Nepal Border Dispute: भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद की वजह कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के पक्ष में एतिहासिक स ...अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 06, 2020, 08:57 IST

    काठमांडू. भारत के खिलाफ सीमा विवाद को लेकर सबूत जुटाने के लिए गठित नेपाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट ओली (KP Sharma Oli) सरकार को सौंप दी है. इस कमेटी का गठन कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल दावे के समर्थन में ऐतिहासिक सबूत जुटाने के लिए जून 2020 में किया गया था. नेपाल के विवादित नक्शा जारी करने के बाद से ही दोनों देशों में तनाव की स्थिति बनी हुई है.

    नौ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने फिर एक बार भारत से बातचीत का अनुरोध किया है. भारत की ओर से नवंबर 2019 में नया नक्शा प्रकाशित करने के करीब छह महीने बाद मई में नेपाल ने अपने देश का नया संशोधित राजनीतिक एवं प्रशासनिक नक्शा जारी किया था, जिसमें नेपाल ने उत्तराखंड के तीन क्षेत्रों पर अपना दावा जताया था. भारत के तीन क्षेत्रों पर अपना दावा जताने वाले इस नक्शे को नेपाल की संसद ने मंजूर कर दिया था. भारत ने इसे पहले ही खारिज करते हुए क्षेत्र में नेपाल द्वारा की गई 'कृत्रिम वृद्धि' की कोशिश करार दिया था.

    नेपाल जुटा रहा है सबूत
    विदेश मंत्री ज्ञवाली ने संवाददाताओं से कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच वर्ष 1816 में हुई सुगौली की संधि को भारत के साथ नेपाल की सीमा के सीमांकन का मुख्य आधार माना गया है. उन्होंने कहा, ' समिति के गठन का उद्देश्य सीमा वार्ता में नेपाल के पक्ष को तैयार करना था और उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया.' ज्ञवाली ने कहा कि समिति ने नेपाल के दावे को साबित करने के संबंध में कई साक्ष्य एकत्र किए हैं. उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार किसी भी समय भारतीय पक्ष से चर्चा करने को तैयार है. समिति ने अपने अध्ययन के दौरान इतिहासकारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों, नौकरशाहों, राजनेताओं और पत्रकारों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित हस्तियों का साक्षात्कार किया.

    हालांकि इसके गठन के समय नेपाल के कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था क नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किस लिये किया गया? बता दें कि भारत के साथ सीमा विवाद के बीच नेपाल ने चाल चलते हुए 20 मई को कैबिनेट में नए नक्शे को पेश किया था. जिसे नेपाली संसद की प्रतिनिधि सभा ने 13 जून को अपनी मंजूरी दे दी थी. इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है. वहीं भारत ने इसका विरोध करने के लिए नेपाल को एक डिप्लोमेटिक नोट भी सौंपा था. इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल के नए नक्शे को ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ भी करार दिया था.

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    Tags: Bharat Nepal seema vivad, India aur Nepal ke relation, Indo-Nepal Border, Indo-Nepal Border Dispute, KP Sharma Oli, Nepal and China Border

    FIRST PUBLISHED : October 06, 2020, 08:55 IST

    हिंदी न्यूज़ उत्तराखंडभारत-नेपाल से बीच 205 साल पुराना विवाद सुलझने का रास्ता खुला,जानें क्या है मामला

    भारत और नेपाल के बीच सीमा से जुड़े विवादों को आपसी समझ और पुराने संबंधों को केंद्र में रखकर बातचीत के जरिए सुलझाने की सहमति से उत्तराखंड के कालापानी सहित कई सीमा विवादों को अब सुलझाया जा सकेगा।

    भारत और नेपाल के बीच विवाद - bhaarat aur nepaal ke beech vivaad

    Himanshu Kumar Lallदेहरादून, पूरन बिष्टMon, 04 Apr 2022 10:04 AM

    भारत और नेपाल के बीच सीमा से जुड़े विवादों को आपसी समझ और पुराने संबंधों को केंद्र में रखकर बातचीत के जरिए सुलझाने की सहमति से उत्तराखंड के कालापानी, लिम्पियाधूरा और लिपूलेख से संबधित सीमा विवाद को हल करने की राह खुल गई। दोनों देशों के बीच 1817 यानी 205 साल से विवाद चला आ रहा है। 

    42 साल पहले फिर बनी कमेटी: 1980 में भारत सरकार ने विवाद निपटाने के लिए एक समिति बनाई। 1997 में दोनों देशों के संयुक्त तकनीकी दल वहां भेजने की बात की हुई पर कोई दल वहां नहीं भेजा।  कैसे पकड़ा तूल: लिपुलेख दर्रे समेत कालापानी और लिम्पियाधूरा को पिछले साल नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल कर 1817 से चले आ रहे सीमा विवाद को चरम पर पहुंचा दिया। 

    उत्तराखंड में गोरखा शासन का जब 1817 में जब अंत हुआ तो सुगौली संधि में यह तय हुआ कि, काली या महाकाली नदी के पार का पश्चिमी हिस्सा भारत के पास रहेगा।  1815 में एक नेपाली अधिकारी बमशाह चौतरिया ने ईस्ट इंडिया कंपनी पर नेपाल की 20 हजार हे. भूमि पर कब्जे का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद ब्रिटिश अधिकारी कैप्टन वेब की टीम ने इस मामले की जांच की थी। जिसमें नेपाल का दावा झूठा पाया गया था।

    क्या है सीमा विवाद
    नेपाल का आरोप है कि, भारत ने कालापानी महाकाली नदी का कृत्रिम उदगम स्थल बनाकर उसके भूभाग को कब्जे में किया है। उसका दावा है कि, महाकाली की मूल धारा कुटी-यांगती नदी है।

    यह भी जानें 
    -नेपाल के 26 जिलों की 1750 किमी. लंबी सीमा भारत से लगती है।
    -कालापानी में 1962 से भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की चेक पोस्ट है।
    -भारत के गब्र्यांग के लोगों के नाम दर्ज है कालापानी की जमीन।
    -2020 में नेपाल के नए नक्शे से रिश्तों में आया था तनाव।

    144 साल पुराने गजेटियर में भी विवाद का जिक्र
    आज के उत्तराखंड के इतिहास, समाज, संस्कृति पर महत्वपूर्ण गजट लिखने वाले अंग्रेस प्रशासक ईटी अटकिंसन ने भी इस सीमा विवाद का जिक्र किया है। अटकिंसन ने 1880 में यह गजट लिखे थे। अटकिंसन ने बम शाह चौतरिया के दावे और कैप्टन वेब के फैसले का जिक्र गजेटियर में किया है।

    भारत और नेपाल के बीच विवाद - bhaarat aur nepaal ke beech vivaad

    भारत और नेपाल के बीच विवाद क्या है?

    भारत और नेपाल के दोस्ताना रिश्तों में साल 2020 में तब खटास आ गई थी जब नेपाल ने एक नए राजनीतिक नक़्शा जारी किया जिसमें उसने कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख के उन इलाकों को अपने क्षेत्र में दिखाया जिन्हें भारत उत्तराखंड राज्य का हिस्सा मानता है.

    भारत नेपाल विवाद के दो प्रमुख मुद्दे क्या है?

    This is Expert Verified Answer. Answer: "भारतनेपाल के मध्य हालिया विवाद का कारण उत्तराखंड के धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ती एक सड़क है। नेपाल का दावा है कि कालापानी के पास पड़ने वाला यह क्षेत्र नेपाल का हिस्सा है और भारत ने नेपाल से वार्ता किये बिना इस क्षेत्र में सड़क निर्माण का कार्य किया है।"

    भारत और नेपाल के बीच सीमा रेखा का नाम क्या है?

    भारत-नेपाल सीमान्त, भारत और नेपाल के बीच का खुला हुआ अन्तरराष्ट्रीय सीमान्त (बॉर्डर) है। यह 1,751 कि॰मी॰ (1,088.02 मील) लम्बा है जिसमें हिमालयी भूभाग एवं सिन्धु-गंगा मैदान सम्मिलित हैं।

    नेपाल क्या भारत में आता है?

    नेपाल (आधिकारिक रूप में, संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र नेपाल) एक बहुत खुवसुरत दक्षिण एशियाई स्थलरुद्ध राष्ट्र है। नेपाल के उत्तर मे चीन का स्वायत्तशासी प्रदेश तिब्बत है और दक्षिण, पूर्व व पश्चिम में भारत अवस्थित है। नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक हिन्दू धर्मावलम्बी हैं।