100 लाख गांठ से ज्यादा उत्पादन: सरकारी अनुमान पिछले साल तक देश में कपास का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य गुजरात रहा है लेकिन इस साल महाराष्ट्र ने गुजरात को दूसरे नंबर पर धकेल दिया है और देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक बन गया है. दोनो राज्यों की तरफ से जारी हुए 2016-17 के लिए तीसरे अग्रिम अनुमान से यह जानकारी निकलकर सामने आई है. महाराष्ट्र में इस साल कपास का उत्पादन 100 लाख गांठ से ज्यादा अनुमानित किया गया है. भारतीय कपास का सबसे बड़ा खरीदकार बना पाकिस्तान Show महाराष्ट्र कृषि विभाग की ओर से जारी 2016-17 के लिए तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस साल राज्य में कपास उत्पादन 102.32 लाख गांठ (170 किलो) होने का अनुमान है जो अबतक का सबसे अधिक उत्पादन होगा. वहीं गुजरात कृषि विभाग के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक इस साल उत्पादन 80 लाख गांठ ही हुआ है. महाराष्ट्र कृषि विभाग ने फरवरी में जब दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया था तो राज्य में सिर्फ 71.73 लाख गांठ कपास उत्पादन का आंकड़ा ही जारी किया था लेकिन तीसरे अग्रिम अनुमान में इसमें 30 लाख गांठ से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है. केंद्रीय कपड़ा एवं महिला तथा बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने 7 अक्टूबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये द्वितीय कपास दिवस पर भारतीय कपास के लिए अब तक का पहला ब्रांड एवं लोगो लॉन्च किया। अब भारत का प्रमुख कपास विश्व कपास व्यापार में ‘कस्तूरी कॉटन’के रूप में जाना जाएगा। कस्तूरी कॉटन ब्रांड सफेदी, चमक, मृदुलता, शुद्धता, शुभ्रता, अनूठापन एवं भारतीयता का प्रतिनिधित्व करेगा। इस अवसर पर माननीया मंत्री ने कहा कि आज वह चिर प्रतीक्षित क्षण है जब भारतीय कपास को ब्रांड एवं लोगो से सम्मानित किया गया है। यह कार्यक्रम और अधिक महत्वपूर्ण बन गया है क्योंकि आज दुनिया भर में द्वितीय विश्व कपास दिवस मनाया जा रहा है। मंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कपास के महत्व का वर्णन किया। उन्होंने कहा, ‘कपास भारत की प्रमुख वाणिज्यिक फसलों में से एक है और यह लगभग 6.00 मिलियन कपास कृषकों को आजीविका प्रदान करती है। भारत कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और विश्व में कपास का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। भारत प्रति वर्ष लगभग 6.00 मिलियन टन कपास का उत्पादन करता है जो विश्व कपास का लगभग 23 प्रतिशत है। भारत विश्व की कुल जैविक कपास ऊपज के लगभग 51 प्रतिशत का उत्पादन करता है जो वहनीयता की दिशा में भारत के प्रयासों को प्रदर्शित करता है। श्रीमती ईरानी ने कहा कि जैविक उत्पादों की वहनीयता, अखंडता एवं समग्र खोज सुनिश्चित करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय रूप से स्वीकृत संस्थागत प्रणाली के जरिये सत्यापित तुलनायोग्य अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर आधारित एक प्रमाणन प्रणाली स्थापित किए जाने की आवश्यकता है। तदनुरुप, कपड़ा मंत्रालय ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत एपीडा के जरिये जैविक कपास के लिए एक प्रमाणन प्रणाली की अनुशंसा की है जो समस्त कपड़ा मूल्य श्रृंखला में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। इसी प्रकार, एपीडा के समक्ष अजैविक कपास के लिए भी एक प्रमाणन प्रणाली की अनुशंसा करने का मामला उठाया गया है जिससे कि उपयुक्त तरीके से कपास का उपयोग बढ़ाया जा सके। मंत्री ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने कपास का अब तक का सर्वोच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का प्रचालन किया और उम्मीद जताई कि नए कपास सीजन के दौरान, एमएसपी के तहत खरीद और बढ़ाई जाएगी। सीसीआई ने कपास उत्पादक सभी राज्यों में 430 खरीद केंद्र खोले हैं और किसानों के खातों में 72 घंटे के भीतर डिजिटल तरीके से भुगतान किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए, सीसीआई द्वारा एक मोबाइल ऐप ‘कौट-ऐली’का विकास किया गया है जिससे कि मौसम की स्थिति, फसल की स्थिति तथा सर्वश्रेष्ठ कृषि प्रचलनों के बारे में नवीनतम सूचना उपलब्ध कराई जा सके। एमएसएमई मिलों, खादी ग्रामोद्योग, सहकारी क्षेत्र मिलों को अपनी नियमित बिक्री में सीसीआई द्वारा प्रति कैंडी 300 रुपये की छूट दी जा रही है जिससे कि उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता क्षमता एवं दक्षता बढ़ाई जा सके। यह भी कहा गया कि कपास का उपयोग टेक्निकल टेक्सटाइल के सभी आयामों में किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, माननीया मंत्री ने जानकारी दी है कि सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए विधेयक पारित किए हैं जो उद्योगों के लिए भी लाभदायक साबित होंगे। माननीया मंत्री ने कपास उपयोग एवं अनुप्रयोग में उभरते परिदृश्यों पर विचारों के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए ‘न्यू-लुक कॉटन’की थीम पर टेक्सप्रोसिल एवं सीआईटीआई द्वारा आयोजित वेबिनार के उद्घाटन सत्र में भाग लिया। भारत में कपास उत्पादन का एक लंबा इतिहास रहा है, अंग्रेज़ों के भारत आने से पहले ही देश में कई तरह की कपास की किस्मों का उत्पादन किया जाता था। आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2003-04 में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक और कपास का सातवाँ सबसे बड़ा निर्यातक था। वर्ष 2002 में जीन संवर्द्धित (Genetically Modified-GM) कीट प्रतिरोधी बीटी कपास हाइब्रिड्स (Bt-Cotton Hybrids) के आगमन से देश का कपास सेक्टर पूरी तरह से परिवर्तित हो गया। मौजूदा समय में बीटी कपास देश के कपास क्षेत्र का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। Table of Contents
अनुमानतः इस वर्ष भारत, चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक बन जाएगा। हालाँकि आलोचकों का कहना है कि बीटी कपास हाइब्रिड्स ने किसानों, खासकर संसाधनों की कमी से जूझ रहे किसानों, की आजीविका को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है और कृषि संकट में योगदान दिया है। भारत के कौन से दो राज्य कपास के सबसे बड़े उत्पादक हैं?सही उत्तर गुजरात है। गुजरात कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है। कपास सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है और कुल वैश्विक रेशा उत्पादन का लगभग 25% है। तमिलनाडु और ओडिशा राज्यों में भी कपास उगाई जाती है।
भारत में कपास उत्पादक राज्य कौन कौन से हैं?गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश मिलकर देश के उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत कपास उत्पन्न करते हैं। देश की लगभग 60 प्रतिशत कपास का उत्पादन केवल तीन राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश में होता है। अन्य मुख्य उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा है।
कपास का दूसरा नाम क्या है?कपास एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है। व्यावसायिक जगत में यह 'श्वेत स्वर्ण' के नाम से जानी जाती है।
कपास के उत्पादन में महाराष्ट्र और गुजरात अग्रणी राज्य है क्यों?समुद्री नम जलवायु, कुहासा रहित दिन, पर्याप्त जल धारण क्षमता, और स्थानीय माँग कपास के उत्पादन को बढ़ावा देती है। ये सारी सुविधाएँ महाराष्ट्र में उपलब्ध हैं, जिससे यह देश का सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य बन गया है। अत: कपास के उत्पादन में महाराष्ट्र प्रसिद्ध है।
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