Show जल, वायु और पेड़-पौधों की भांति मिट्टी भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है । फसलों, पेड़-पौधों के उगने तथा मानवीय क्रियाकलापों के लिए मिट्टी आवश्यक है। परंतु जल, वायु, हिमानी तथा समुद्री लहरों एवं कई प्रकार के मानवीय क्रियाकलापों से मिट्टी का अपरदन होता है। इस कड़ी में आप मिट्टी अपरदन के कारण देखने जा रहे हैं। मिट्टी(मृदा) अपरदन के कारण/कारक मृदा अपरदन के दो कारण/कारक हैं:- 1• मानवीय कारककुछ मानवीय क्रियाकलाप मृदा अपरदन को बढ़ावा देते है। ये कारक निम्नलिखित है। • वनों की कटाई पेड़ अपनी जड़ों से मिट्टी को पकड़े रहती है, जिससे अपरदन कम होता है। मानव ने अपनी अनेक जरूरतों को पूरा करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की है। इस कारण वनस्पति का ह्रास हुआ है। परिणाम स्वरूप मृदा अपरदन या कटाव की गति में तेजी आई है। • अति पशुचारण अति पशुचारण से पशुओं के कठोर खुरों से घास का आवरण हट जाता है। जिससे मृदा ढीली पड़ जाती है। ऐसी ढीली मृदा को जल आसानी से बहाकर तथा वायु आसानी से उड़ा कर ले जाती है। जिससे मृदा का अपरदन होता है। • निर्माण कार्य सड़क, रेल मार्ग, पुल-पुलिया, भवन आदि के निर्माण के समय मिट्टी की खुदाई की जाती है। इन सब कारणों से मिट्टी का अपरदन होता है। • खनन कार्य खनिजों को जमीन से निकालने के लिए खुदाई की जाती है। इस कारण मिट्टी उखड़ जाता है। जिससे मिट्टी का अपरदन होता है। • कृषि कार्य तीव्र ढाल वाली भूमि पर सीढ़ीनुमा कृषि न करना, समोच्य रेखीय जुदाई न करना, फसलों को हेरफेर कर न लगाना तथा गहन कृषि आदि के कारण मृदा का अपरदन होता है। 2• प्राकृतिक कारकप्रकृति के कुछ ऐसे क्रियाकलाप हैं जिनसे मृदा का अपरदन होता है। वैसे क्रियाकलापों को प्राकृतिक कारक कहा जाता है। ये कारक निम्नलिखित हैं। जिनसे मृदा का अपरदन होता है। • जल जल मृदा अपरदन का प्रमुख कारक है यह वर्षा या नदी के द्वारा मिट्टी का कटाव करती है। जिससे भूमि अपरदित हो जाती है। विश्व में मृदा अपरदन का यह सबसे बड़ा कारक में से एक है। • वायु बंजर या वनस्पति रहित क्षेत्रों में हवा की गति अधिक होती है। जिस कारण धरातल की ऊपरी परत उड़कर अन्यत्र चला जाता है। इससे मिट्टी का अपरदन होता है। भारत के राजस्थान में इस प्रकार के अपरदन देखने को मिलता है। • हिमानी बर्फ की नदियां भी अपने मार्ग में या आसपास के क्षेत्रों में मिट्टी का कटाव करती है। ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के अपरदन देखने को मिलता है। • समुद्री लहरें समुद्री लहरें तटीय क्षेत्रों में मिट्टी या चट्टानों का कटाव करती है जिससे मृदा का अपरदन होती है। उपयुक्त कारक मृदा अपरदन के लिए जिम्मेवार हैं। ⭐ मिट्टी अपरदन के कारण निम्न रूप में प्रभाव पड़ता है। • मृदा की उर्वरा शक्ति में कमी होना ⭐ मिट्टी अपरदन के कारण के बाद हमारी कुछ और प्रस्तुति आप आगे देख सकते हैं। 👉 YouTube चैनल van hi jeevan hai पर आप ज्ञानवर्धक और रोचक जानकारी देख सकते हैं। जिसका लिंक विवरण सहित नीचे दिया जा रहा है। • चांद पर मानव की पहली यात्रा की कहानी का वीडियो • 10, 20, 50, 100, 200, 500 और ₹2000 के नोट छापने का खर्च कितना आता है। वीडियो के लिए क्लिक करें • चतरा गिद्धौर छठ पूजा का इतिहास और वर्तमान जानने के लिए क्लिक करें • राष्ट्रीय एकता पर एक मूक नाटक। इस नाटक में संवाद का प्रयोग नहीं किया गया है। click here • class 10th. संसाधनों के प्रकार 👉 बेबसाइट www.gyantarang.com पर आइए और रोचक, ज्ञानवर्धक, प्रतियोगिता से संबंधित प्रश्न और जानकारी पढ़ सकते हैं। • दशम् वर्ग का भूगोल • संविधान प्रश्नोंतरी के लिए क्लिक करें • प्राचीन इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्न • class 9th. का भूगोल के लिए क्लिक करें • class 9th. का अर्थशास्त्र के लिए क्लिक करें ⭐ मिट्टी अपरदन के कारण ( Causes to soil erosion) आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरूर बताइएगा। तथा इसे सब्सक्राइब भी कीजिएगा। ताकि हमारे द्वारा पोस्ट की गई जानकारी आपको तुरंत मिल सके। भारत में मृदा अपरदन का मुख्य कारण क्या है?भारत में मृदा अपरदन के मुख्य कारण
वानस्पतिक आवरण में कमी। वनों में आग लगना। भूमि को बंजर/खाली छोड़कर जल व वायु अपरदन के लिये प्रेरित करना। मृदा अपरदन को तेज़ करने वाली फसलों को उगाना।
मृदा अपरदन का कौन सा कारण?Solution : मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं - (1) जंगलों की कटाई-मृदा अपरदन के प्रमुख कारणों में से जंगलों की अंधाधुंध कटाई सर्वप्रमुख है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधने का काम करती हैं। इससे मृदा अपने स्थान से आगे नहीं बहती। इनसे मिट्टी नम रहती है।
मृदा अपरदन से सर्वाधिक प्रभावित राज्य कौन सा है?अवनालिका अपरदन सामान्यतः तीव्र ढालों पर होता है।
अपरदन के प्रमुख कारक कौन कौन से हैं?एक कारक (Agent) एक गतिशील माध्यम ( जैसे- प्रवाहित जल, हिमानी, हवा, लहरें एवं धाराएँ इत्यादि) है जो धरातल के पदार्थों को हटाता, ले जाता तथा निक्षेपित करता है। इस प्रकार प्रवाहयुक्त जल, भूमिगत जल, हिमानी, हवा, लहरों, धाराओं इत्यादि को भू-आकृतिक कारक कहा जा सकता है।
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