भारत में किसी विधेयक को धन विधेयक कौन प्रमाणित करता? - bhaarat mein kisee vidheyak ko dhan vidheyak kaun pramaanit karata?

Bharat Me Kisi Vidheyak Ko Dhan Vidheyak Kaun Pramanit Karta Hai -


A. वित्त मंत्री
B. राष्ट्रपति
C. लोकसभा का अध्यक्ष
D. प्रधानमंत्री

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Comments Bharat mein harit kranti on 20-12-2021

Bharat mein harit kranti prarambh hua

Aditya chawada on 13-01-2021

किसी विधेयक धन विधेयक के रुप मै कोन प्रमाणित करता है|

Ramdhan on 29-01-2020

किस देश में सूची प्रणाली प्रचलित है

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History of India and Indian National Movement - 1

10 Questions 20 Marks 12 Mins

Last updated on Oct 1, 2022

The Chhattisgarh Public Service Commission (CGPSC) has released the CGPSC SSE Result for the Mains exam that was conducted from 26th to 29th May 2022. The result is out for the Advt. No. 09/2021. A total number of 2548 candidates appeared in the Mains exam of which 509 candidates are selected for the Interview. The Interview date will be announced by the CGPSC soon through its official website. The candidates who will be selected finally under CGPSC recruitment, will get a salary range between Rs. 25,300 to Rs. 56,100.

धन विधेयक को कौन प्रमाणित करता है?

(A) राष्ट्रपति
(B) प्रधानमंत्री
(C) लोकसभा अध्यक्ष
(D) केंद्रीय वित्त मंत्री

भारत में किसी विधेयक को धन विधेयक कौन प्रमाणित करता? - bhaarat mein kisee vidheyak ko dhan vidheyak kaun pramaanit karata?

धन विधेयक को लोकसभा अध्यक्ष प्रमाणित करता है। किसी विधेयक धन विधेयक होने या ना होने का निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करता है और उसका निर्णय अंतिम होता है। इस निर्णय को न्यायालय सदन या राष्ट्रपति अस्वीकार नहीं करता है जब राष्ट्रपति के समक्ष विधेयक को भेजा जाता है तब उस पर लोकसभा अध्यक्ष द्वारा धन विधेयक लिखा होता है। धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं लोकसभा से पास होने के बाद धन विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है और राज्यसभा धन विधेयक को न तो उसे अस्वीकार कर सकती है और न ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है वह कुछ सिफारिशों के साथ भेज सकती है।....अगला सवाल पढ़े

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  • अनुच्छेद 110 के अंतर्गत धन विधेयक की परिभाषा दी गई है |इसके तहत कोई विधेयक धन विधेयक तक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी के लिए विषयों से संबंधित प्रावधान है;
  1. कर लगाना, कम करना या बढ़ाना, उसको नियमित करना इसमें उसमें कोई परिवर्तन करना हो |
  2. भारत सरकार की ओर से ऋण लेना, नियमित करना या किसी अधिभार में कोई परिवर्तन करना हो |
  3. भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में कुछ धन डालना हो या निकालना हो |
  4. भारत की संचित निधि में से किसी व्यय संबंध में धन दिया जाना हो |
  5. भारत की जमा पूंजी में से किसी भी व्यक्ति किए जाने की घोषणा करना या ऐसे व्यय को बढ़ाना हो |
  6. भारत की संचित निधि तथा सार्वजनिक लेखों में धन जमा करने या लेखों की जांच पड़ताल करनी हो तथा उपरोक्त (1) से (6) में उल्लेखित विषयों में से संबंधित विषय |
  7. धन की आय तथा व्यय के प्रति अन्य किसी प्रकार का मामला हो|

  • 27 Aug 2020
  • 5 min read

संसद में प्रस्तुत होने वाले विधेयकों की चार श्रेणियों में से एक धन विधेयक है। 

संविधान के अनुच्छेद 110 में धन विधेयक की परिभाषा दी गई है। 

कोई विधेयक धन विधेयक माना जाएगा यदि वह: 

  • किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन अथवा विनियमन करता हो।
  • केंद्र सरकार द्वारा उधार लिये गए धन के विनियमन से संबंधित हो।
  • भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, या ऐसी किसी निधि में धन जमा करने या उसमें से धन निकालने संबंधित हो।
  • भारत सरकार की संचित निधि से या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा करता हो।
  • भारत सरकार की संचित निधि से धन का विनियोग करता हो।
  • भारत की संचित निधि पर भारित किसी व्यय की उद्घोषणा या इस प्रकार के किसी व्यय की राशि में वृद्धि करता हो।
  • भारत की संचित निधि या लोक लेखे में किसी प्रकार के धन की प्राप्ति या अभिरक्षा या इनसे व्यय या इनका केंद्र या राज्य की निधियों का लेखा परिक्षण करता हो।
  • उपरोक्त विषयों का आनुषंगिक कोई विषय हो।

कोई विधेयक धन विधेयक नहीं माना जाएगा यदि वह:

  • जुर्माने या अन्य धन संबंधी शास्तियों के अधीन अधिरोपण करता हो।
  • किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिये किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिवर्तन या विनियमन, परिहार का उपबंध करता है। 
  • अनुज्ञप्तियों के लिये या की गई सेवाओं के लिये शुल्कों की मांग करता है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • किसी विधेयक के बारे में विवाद उठने पर कि वह धन विधेयक है अथवा नहीं, लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। 
  • किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में अध्यक्ष द्वारा प्रमाण पत्र दिये जाने के बाद उसकी प्रकृति के प्रश्न पर न्यायालय में अथवा किसी सदन में अथवा राष्ट्रपति द्वारा विचार नहीं किया जा सकता।
  • धन विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • धन विधेयक को सरकारी विधेयक माना जाता है तथा इसे केवल मंत्री द्वारा ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

धन विधेयक पारित करने की प्रक्रिया:

  • संविधान में (अनुच्छेद-110) संसद द्वारा धन विधेयक को पारित करने के संबंध में एक विशेष प्रक्रिया निहित है तथा उसे पारित करने के लिये अनुच्छेद 109 के तहत विशेष प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।
  • लोकसभा में पारित होने के उपरांत उसे राज्यसभा के विचारार्थ भेजा जाता है।
    • 14 दिनों के अंदर उसे स्वीकृति देनी होती है अन्यथा इसे राज्यसभा द्वारा पारित माना जाता है।
  • लोकसभा के लिये यह आवश्यक नहीं कि वह राज्यसभा की सिफारिशों को माने।
  • यदि लोकसभा किसी प्रकार की सिफारिश को मान लेती है तो फिर इस विधेयक को सदनों द्वारा संयुक्त रूप से पारित माना जाता है।
    • यदि लोकसभा कोई सिफारिश नहीं मानती है तो इसे मूल रूप से दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है।

धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा के पास शक्तियाँ:

  • धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा की शक्तियाँ सीमित हैं।
    • राज्यसभा के पास इसके संबंध में प्रतिबंधित शक्तियाँ हैं।
  • यह धन विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती है
    • राज्यसभा केवल  सिफारिश कर सकती है।

धन विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति की भूमिका:

  • इसे केवल राष्ट्रपति की सिफारिश के बाद ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • दोनों सदनों द्वारा पारित होने क बाद धन विधेयक को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तो या तो वह इस पर अपनी सहमति देता है या फिर इसे रोक कर रख सकता है।
    • राष्ट्रपति इसे किसी भी दशा में सदन को पुनः विचार के लिये नहीं भेज सकता।

भारत में धन विधेयक को कौन प्रमाणित करता है?

सही उत्तर अध्यक्ष है। उच्च सदन में भेजने से पहले, लोकसभा अध्यक्ष विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करता है।

धन Vidhayak को कौन प्रमाणित करता है?

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