जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserve) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय परिस्थितिक तंत्र हैं, जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) के मानव और जैवमंडल प्रोग्राम (MAB) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (निचय) राष्ट्रीय सरकारों द्वारा नामित किए जाते हैं और उन राज्यों के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में रहते हैं जहां वे स्थित हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र अपने स्थायी उपयोग के साथ जैव विविधता के संरक्षण को समेटने वाले समाधानों को बढ़ावा देते हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र (निचय) में स्थलीय, समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। इनका उद्देश्य जैवविविधता संरक्षण के साथ-साथ ऐसे सुरक्षित क्षेत्र की स्थापना करना है जहां पारिस्थितिकी एवं पर्यावरणीय जीव विज्ञान के आधारभूत एवं विशिष्ट शोध कार्य किये जा सकें। Show
वर्तमान में 131 देशों में 727 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं, जिनमें 22 ट्रांसबाउंड्री साइट शामिल हैं, जो कि जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के वैश्विक नेटवर्क (World network of Biosphere reserves- WNBR) से संबंधित हैं। विश्व का पहला बायोस्फीयर रिजर्व 1979 में स्थापित किया गया था। भारत में 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र हैं। इनमें से 12 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र यूनेस्को द्वारा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्राप्त हैं। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के कार्य (Function of Biosphere reserveजैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की योजना और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों और सभी इच्छुक हितधारकों को शामिल करते हैं। वे तीन मुख्य “कार्यों” को एकीकृत करते हैं: संरक्षण (Conservation)जैव विविधता और सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण अर्थात वन्यजीवों के साथ आदिवासियों की संस्कृति और रीति-रिवाजों का भी संरक्षण। विकास (Development)आर्थिक विकास जो सामाजिक-सांस्कृतिक और पर्यावरणीय रुप से टाकाऊ हो। यह सतत् विकास के तीन स्तंभों को मज़बूत करता है: सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण का संरक्षण। वैज्ञानिक अनुसंधान, निगरानी एवं शिक्षास्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण एवं सतत् विकास के संदर्भ में अनुसंधान गतिविधियों, पर्यावरण शिक्षा, प्रशिक्षण तथा निगरानी को बढ़ावा देना। जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र की संरचनाजैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के तीन कार्यों को जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र के तीन मुख्य क्षेत्रों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाता है। ये 3 क्षेत्र निम्नवत् होते हैं: क्रोड क्षेत्र, बफर क्षेत्र तथा संक्रमण क्षेत्र। क्रोड क्षेत्र (Core Zones)क्रोड क्षेत्र वन्यजीवों के संरक्षण के लिए पूर्णतया सुरक्षित है। यह एक ऐसा पारितंत्र है जिसमें किसी विशेष उद्देश्य के लिए अनुमति को छोड़कर प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस क्षेत्र में स्थानिक एवं जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण पौधों एवं वन्यजीवों के अनुकूल आवास पाए जाते हैं। क्रोड क्षेत्र में ऐसै वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं किये जा सकते जो प्राकृतिक क्रियाओं तथा वन्य जीवन को प्रभावित करें। एक क्रोड क्षेत्र एक ऐसा संरक्षित क्षेत्र होता है, जिसमें सामान्यतः वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम,1972 के तहत संरक्षित राष्ट्रीय उद्यान या अभयारण्य शामिल होते हैं। बफर क्षेत्र (Buffer Zone)बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र के चारों ओर का क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिये किया जाता है जो पूर्णतया नियंत्रित व गैर-विध्वंशक हों। इसमें सीमित पर्यटन, मछली पकड़ना, चराई आदि शामिल हैं। इस क्षेत्र में मानव का प्रवेश कोर क्षेत्र की तुलना में अधिक एवं संक्रमण क्षेत्र की तुलना में कम होता है। अनुसंधान और शैक्षिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है। संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone)संक्रमण क्षेत्र जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र का सबसे बाहरी भाग होता है। यह निचय प्रबंधन एवं स्थानीय लोगों के मध्य सहयोग का क्षेत्र है। इसमें बस्तियाँ, फसलें, वानिकी, प्रबंधित जंगल और मनोरंजन के लिये क्षेत्र तथा अन्य आर्थिक उपयोग क्षेत्र शामिल हैं। जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र (Biospheres Reserves)प्रजातियों के संरक्षण तथा जैवविविधताओं के विकास के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जैव मंडल आरक्षित क्षेत्रो की स्थापना की। जीव मण्डल रिजर्व किसी भी स्थान के स्थाई विकास को संरक्षित रखने और उसे नष्ट होने से बचाने में वहां के पेड़ पौधों तथा सूक्ष्म जीव जन्तु की संख्या और उनका अपने पारिस्थितिक तंत्र में समन्वय होना अत्यंत आवश्यक है भारत के 18 जैव मण्लीय आरक्षित क्षेत्र घोषित हो चुके हैं।
मन्नार की खाड़ी 1. यह कच्छ के पश्चात् भारत का दूसरा सबसे बड़ा जैव मण्डल रिजर्व है। 2. मन्नार की खाड़ी का भारतीय भाग जो रामेश्वरम द्वीप से लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक विस्तृत क्षेत्र पर फैला है। 3. यह यूनेस्को के जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्रो के नेटवर्क के अन्र्तगत सम्मिलित हैं । यह प्रवाल भित्तिओ के लिए जाना जाता है। ग्रेट निकोबार 1. यह भारत के दक्षिणतम द्वीप, ग्रेट निकोबार द्वीपसमूह पर स्थित है। 2. यह डिबू साइखोवा व नोक रेक के पश्चात् तीसरा सबसे छोटा जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र है।इसके अन्र्तगत कैम्पवेल राष्ट्रीय उद्यान व गैलिथिया राष्ट्रीय उद्यान सम्मिलित हैं। 3. इसे यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त है।
1. यह एक राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व व जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र है यह असोम में कोकराझार , बोंगाईगांव, नलवरी ,काम रूप व दारांग जिलों में मानस नदी के प्रवाह क्षेत्र में स्थित है। भारत के जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र कौन कौन से हैं?भारत में जैव मंडल आरक्षित केंद्र
वायनाड, नागरहोल, बांदीपुर एवं मुदुमलाई, नीलांबुर, साइलेंट वैली एवं सिरुवानी पहाड़ियों (तमिलनाडु, केरल एवं कर्नाटक) का हिस्सा। चमोली, पिथौरागढ़ एवं बागेश्वर जिलों (उत्तराखंड) का हिस्सा। गारो हिल्स (मेघालय) का हिस्सा। अंडमान एवं निकोबार (अंडमान निकोबार द्वीप समूह) का दक्षिणतम द्वीप।
भारत में जैव आरक्षित क्षेत्र कितने हैं 2022?भारत सरकार ने देश भर में 18 बायोस्फीयर संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए हैं। ये बायोस्फीयर भंडार भौगोलिक रूप से जीव जंतुओं के प्राकृतिक भू-भाग की रक्षा करते हैं और अकसर आर्थिक उपयोगों के लिए स्थापित बफर जोनों के साथ एक या ज्यादा राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण्य को संरक्षित रखने का काम करते हैं।
भारत का सबसे बड़ा जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र कौन सा है?2 भारत में सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व कच्छ बायोस्फीयर रिजर्व है जो गुजरात राज्य में स्थित है। इसमें लगभग 12454 किमी 2 क्षेत्र शामिल है।
भारत में प्रथम जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र कौन सा है?नीलगिरि बायोस्फीयर रिजर्व: -
नीलगिरि जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र भारत का पहला और सबसे पुराना जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र है, जिसे वर्ष 1986 में स्थापित किया गया था।
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