Show
पश्चिम बंगाल[संपादित करें]बंगाल में फुटबॉल की शुरुआत नागेंद्र प्रसाद सर्वाधिकारी ने 1877 में हेयर स्कूल में फुटबॉल टीम बनाकर की। सर्वाधिकारी को भारतीय फुटबॉल का पितामह कहा जाता है। इसके बाद यहां ढेरों फुटबॉल क्लब बने इनमें प्रमुख है मोहन बागान एथलेटिक क्लब (1889) जो बाद में नैशनल क्लब ऑफ इंडिया कहलाया। फुटबॉल बंगाल की संस्कृति का हिस्सा बन गई है। हर तबके का इंसान फुटबॉल से जुड़ा है। बॉलीवुड स्टार मिथुन चक्रवर्ती ने तो बंगाल फुटबॉल अकैडमी बनाने के लिए चंदा तक मांगा है। फीफा विश्व कप २०१० को देखने के लिए राज्य भर में 400 विशाल स्क्रीन लगाए गए थे। गोवा[संपादित करें]गोवा में फुटबॉल की शुरुआत 1883 में हुई जब आइरिश पादरी फादर विलियम रॉबर्ट लियोंस ने इसे ईसाई शिक्षा का हिस्सा बनाया। आज गोवा पश्चिम बंगाल, केरल और उत्तर-पूर्व के राज्यों के साथ भारत में फुटबॉल का केंद्र बन चुका है। यहां कई लोकप्रीय फुटबॉल क्लब हैं जैसे, सलगांवकर, डेंपो, चर्चिल ब्रदर्स, वॉस्को स्पोर्ट्स क्लब और स्पोर्टिंग क्लब डि गोवा आदि। गोवा के कई खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। इनमे प्रमुख हैं, ब्रह्मानंद संखवालकर, ब्रूनो कूटिन्हो, मॉरिसिओ अफोंसो, रॉबर्टो फर्नांडिस। ये सभी भारतीय फुटबॉल टीम के कैप्टन रह चुके हैं। केरल[संपादित करें]केरल में फुटबॉल की शुरुआत १८९० ई। में हुई जब महाराजा महाविद्यालय तिरुअनंतपुरम के रसायनशास्त्र के प्रोफेसर बिशप बोएल ने युवाओं को फुटबॉल खेलने की प्रेरणा दी। 1930 के दशक में राज्य में कई फुटबॉल क्लब बने। यहां फुटबॉल का एक स्थानीय रूप सेवन्स फुटबॉल बहुत प्रचलित है। इसमें दोनों तरफ सात-सात खिलाड़ी खेलते हैं। केरल ने कई सफल और मशहूर फुटबॉल खिलाड़ी दिए हैं। इनमें से प्रमुख हैं एल. एम. विजयन, वी. पी. साथयन, एन. पी. प्रदीप, के. अजयन और सुशांत मैथ्यू। मिजोरम[संपादित करें]मिजोरम में फुटबॉल सर्वाधिक लोकप्रीय खेल है। यहाँ लड़कियां भी इस खेल का हिस्सा हैं। फुटबॉल की लोकप्रियता के कारण ही यहाँ एड्स के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए संगठनों ने लाल फीता फुटबॉल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया था। यहां की राज्य सरकार ने ऐलान किया है कि वह फुटबॉल के मैदान के लिए अमेरिका से कृत्रिम घास मंगाने की घोषणा की है। मणिपुर[संपादित करें]मणिपुर को फुटबॉल के मंदिरों वाला राज्य कहा जाता है। यहां फुटबॉल एक धर्म की तरह जिया जाता है। मणिपुर में भी फुटबॉल अपनी फीमेल स्टार्स की वजह से पॉपुलर है। इस छोटे से राज्य में विमिंस मणिपुर फुटबॉल फेडरेशन के 450 से मेंबर हैं। मणिपुर की महिला फुटबॉल टीम ने 1993, 1995, 1998, 2000, 2001, 2002, 2003, 2005 में ऑल इंडिया विमिंस फुटबॉल चैंपियनशिप का खिताब जीता है। कुमारी देवी, लोकेशोरी देवी और सुरमाला चानू यहां की मशहूर फुटबॉल कोच रही हैं। सिक्किम[संपादित करें]सिक्किम में भी फुटबॉल ने अपनी जड़ें उस समय जमाईं जब यह खेल भारत में पनप रहा था। सिक्किम के बाहर पहली जीत करने वाला स्थानीय फुटबॉल क्लब था कुमार स्पोर्टिंग क्लब। यह जीत उसने 1948 में दर्जकी थी। 1973 को सिक्किम के फुटबॉल इतिहास में टर्निंग पॉइंट माना जाता है, इस साल गोवा ने इसे 10-0 से हराया था। इसके बाद 1976 में सिक्किम फुटबॉल क्लब का गठन किया गया। सिक्किम फुटबॉल तब से लगातार पनप रहा है। सिक्किम का नाम उसके मशहूर फुटबॉल प्लेयर भाईचुंग भूटिया ने भी रोशन किया है। भाईचुंग को इंडिया फुटबॉल का पहला पोस्टर बॉय कहा गया है। वह पहला भारतीय फुटबॉल प्लेयर है जिसने इंग्लैंड में प्रफेशनल फुटबॉल खेली है। यह है वुवुजेला साउथ अफ्रीका का फुटबॉल वर्ल्ड कप जितना अपनी जोशीली टीमों के लिए जाना जाएगा उतना ही वुवुजेला के लिए। वुवुजेला साउथ अफ्रीका का बाजा है जिसे स्टेडियम में खुशी से झूमते दर्शक बजाते हैं। इसकी आवाज भी बड़ी अजीब है, लाखों मधुमक्खियों के भनभनाने जैसी। प्लास्टिक के बने एक मीटर लंबे वुवुजेला से फीफा इतना परेशान था कि वह इसे बैन करने जा रहा था। उसकी नजर में यह सिर्फ परेशान करने वाला भोंपू है। लेकिन साउथ अफ्रीका ने कहा दिया कि अगर साउथ अफ्रीका की फुटबाल का असली मजा लेना है तो इसे तो मंजूरी देनी ही होगी। https://web.archive.org/web/20100616081555/http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/6041902.cms सहायक एवं संदर्भ श्रोत[संपादित करें]हमारे दिल में फुटबॉल की धक...धक : नवभारत टाइम्स[मृत कड़ियाँ] भारत
N भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के द्वारा शासित है। 1948 से अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ फीफा द्वारा संबद्ध हो गयी। 1948 से भारतीय फुटबॉल महासंघ एशियाई फुटबॉल संघ के संस्थापक सदस्यों में है। भारतीय फुटबॉल टीम ने पहली और अंतिम बार 1950 में फीफा विश्व कप किया था परन्तु कुछ कारणों से वह इस प्रतियोगिता में हिस्सा न ले पाई।[3] भारतीय टीम ने अब तक दो एशियाई खेलों में स्वर्ण तथा एएफसी एशियाई कप में एक बार रजत जीता है। इतिहास[संपादित करें]भारतीय टीम ने 1930 में ही ऑस्ट्रेलिया, जापान, मलेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड का दौरा शुरू कर दिया। जल्द ही कई भारतीय फुटबॉल क्लबों की सफलता के बाद, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) 1937 में बनाई गई। 1948 का लन्दन ओलंपिक भारतीय टीम के लिए पहला बड़ा टुर्नामेन्ट था। वहाँ पर टीम को फ़्राँस से 2-1 से हार का सामना करना पड़ा।[4] भारतीय फुटबॉल टीम ने पहली और अंतिम बार 1950 में फीफा विश्व कप किया था परन्तु कुछ कारणों से वह इस प्रतियोगिता में हिस्सा न ले पाई।[3] 1951 से 1962 के कालखण्ड को भारतीय फुटबॉल का स्वर्ण युग माना जाता है। सैय्यद अब्दुल रहीम के प्रशिक्षण में भारतीय टीम एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीम बन गयी।[5] भारतीय टीम ने 1951 के एशियाई खेलों में स्वर्ण जीता, जिसकी मेजबानी भारत ने ही की थी।[6] 1954 के एशियाई खेलों, जो कि मनीला में हुए थे, में भारत ने ग्रुप चरण में दूसरा स्थान प्राप्त किया।[7] 1956 के ओलम्पिक खेलों में भारत ने चौथा स्थान प्राप्त किया। यह भारतीय टीम की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।[8] भारतीय टीम ने 1962 के एशियाई खेलों में दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर स्वर्ण पदक जीता।[9] 1964 एशियाई कप में भारत उपविजेता रहा। यह टुर्नामेन्ट भारतीय टीम के लिए यादगार साबित हुआ।[10] इसके बाद भारतीय टीम के प्रदर्शन में गिरावट शुरू हो गयी। बहुत से प्रतियोगिताओं में असफल रहने के बाद 1982 के एशियाई खेलों में क्वार्टर फाइनल तक पहुँची, जिसकी मेजबानी दिल्ली ने की थी।[11] इसके बाद भारतीय टीम ने 20 वर्षों बाद 1984 एएफसी एशियाई कप के लिए क्वालीफाई किया।[12] 2003 के एफ्रो-एशियन खेलों, जिसकी मेजबानी हैदराबाद ने की थी, में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक जीता।[13] परिणामस्वरूप भारतीय टीम के तात्कालिक कोच स्टेफेन कोंसटेनटाइन एएफसी मैनेजेर ऑफ़ द मन्थ चुने गए।[13] 2006 में बॉब हॉटन भारतीय टीम के कोच चुने गए। उनके मार्गदर्शन में टीम ने 2007 नेहरु कप जीता। उसके अगले ही साल 2008 एएफसी चैलेंजर्स कप जीता जिसके फलस्वरूप 27 वर्षों बाद एशिया कप में क्वालीफाई किया। टीम ने 2009 में पुनः नेहरु कप जीता।[14] 2011 में भारत ने 2011 एएफसी एशियाई कप में भाग लिया। भारत इस प्रतियोगिता में सभी मैच हार गया परन्तु टीम ने विरोधियों के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया।[15] 2012 में भारतीय टीम ने पुनः नेहरु कप जीता।[16] 2019 में भरत के लिए क्वालीफाई किया 2019 एएफसी एशियाई कप इस समय में उन्होंने पहला मैच थाईलैण्ड के बीच एक रोमांचक मैच से जीता। गृह मैदान[संपादित करें]दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम भारतीय टीम का कोई स्थायी गृह मैदान नहीं है, क्योकि यहाँ (भारत) अधिकांश मैदान फीफा की नियमावली पर खरे नहीं उतरते। फीफा और एफसी से मान्यता प्राप्त मैदानों में अम्बेडकर स्टेडियम, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली, चेन्नई का नेहरु स्टेडियम, पुणे का छत्रपति शिवाजी स्टेडियम, कोलकाता का साल्टलेक स्टेडियम तथा बंगलौर का बंगलौर फुटबॉल स्टेडियम शामिल है। आधिकारिक प्रशिक्षण कर्मचारी[संपादित करें]टीम प्रबंधन तालिका
अतिरिक्त सदस्य कर्मचारी[संपादित करें]टीम प्रबंधन तालिका
अग्रिम मैच और पीछले परिणाम[संपादित करें]इस सूची में केवल इस वर्ष के मैच प्रदर्शित हैं- जीत ड्रॉ हार
सम्मान[संपादित करें]महाद्वीपीय[संपादित करें]
स्थानीय[संपादित करें]
कोच अभिलेख[संपादित करें]
प्रतियोगी खेलों में रिकॉर्ड[संपादित करें]फीफा विश्व कप[संपादित करें]
एएफसी एशियाई कप[संपादित करें]
एशियाई खेल[संपादित करें](2002 से अंडर-23 टीम)
सैफ कप[संपादित करें]
एएफसी चैलेंज कप[संपादित करें]
नेहरु कप[संपादित करें]
टीप और सन्दर्भ[संपादित करें]टीप
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
फुटबॉल के जन्मदाता कौन है?इंग्लैंड को आधुनिक फुटबॉल का जनक कहा जाता है।
फुटबॉल कब शुरू हुआ?भारतीय जमीन पर फुटबॉल का ये मुकाबला 9 अक्टूबर को खेला गया.
भारत के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी कौन है?सुनील छेत्री: भारत के सबसे प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी
क्रिस्टियानो रोनाल्डो के बाद सक्रिय खिलाड़ियों के बीच अंतरराष्ट्रीय मैचों में छेत्री ने दूसरा सबसे अधिक गोल किया। साथ ही 2 मैचों में 84 गोल करने के साथ भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए सर्वाधिक कैप्ड खिलाड़ी और शीर्ष गोल करने वाले खिलाड़ी भी हैं।
|