दुनिया भर में भारत मे ही सबसे ज्यादा मेले होते है, क्योंकि मेला भारत की एक सांस्कृतिक और धार्मिक परम्परा है। भारत में होने वाले प्रत्येक मेले और त्यौहारों के पीछे कई धार्मिक , सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व का समावेश होता है । भारत के अलग – अलग राज्यों में होने वाले भव्य और प्रसिद्ध मेलों के बारे में अधिक जानने के लिए आईये देखते है कि भारत के प्रमुख मेले कौन कौन से है? मेला क्या है? देखें मेले की पूरी जानकारी। Show
मेला किसे कहते है ?इस आर्टिकल की प्रमुख बातें
जब किसी एक स्थान पर बहुत से लोग किसी सामाजिक , धार्मिक एवं व्यापारिक या अन्य कारणों से एकत्र होते हैं तो उसे मेला कहते हैं । भारतवर्ष में लगभगहर माह मेले लगते रहते ही है । सबसे बड़ा मेला कुम्भ मेला कहा जाता है।
मेला कब होता है ?मेलों में भारतीय संस्कृति की झलक पाई जाती है । इन मेलों में सामाजिकता , संस्कृति आदि का अद्वितीय सम्मिलन होता है। मार्च , अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा मेले लगते हैं , इसका कारण ये हो सकता है कि इस समय किसानों के पास कम काम होता है । जून , जुलाई , अगस्त ओर सितंबर में नहीं के बराबर मेले लगते हैं । इस समय किसान सबसे अधिक व्यस्त होते हैं और बारिश का मौसम भी होता है। मेले में आप क्या क्या खरीदते हैं ?गुब्बारे से लेकर खिलौने , कपड़े , जूते , कलाकृतियां , बर्तन , रसोई के उपकरण , घरेलू उपकरण , फर्नीचर और बहुत सारे चीजे खरीदने के लिए होता है। बच्चे विशेष रूप से मेलों को पसंद करते हैं , क्योंकि उन्हें विभिन्न खिलौने खरीदने और विभिन्न प्रकार के झूलों और नौका पहियों पर खेलने के लिए मिलता है।
भारत के प्रमुख मेले कौन कौन से है ?मेला भारतीय संस्कृति का प्रमुख अंग है। भारत में मेला आर्थिक , सामाजिक , सांस्कृतिक व धार्मिक विविधताओं काअपूर्व संगम है । यहाँ सर्वाधिक मेले फरवरी , मार्च और अप्रैल तथा मई माह में लगते हैं । तो आइए देखते है भारत के कौन कौन से मेले दुनियाभर में प्रसिद्ध है। गंगासागर मेला – पश्चिम बंगालपश्चिम बंगाल में इस मेले का आयोजन कोलकाता के निकट हुगली नदी के तट पर ठीक उस स्थान पर किया जाता है , जहाँ पर गंगा बंगाल की खाड़ी में मिलती है । इसीलिए इस मेले का नाम गंगासागर मेला है । यह मेला विक्रमी संवत के अनुसार प्रतिवर्ष पौष मास के अन्तिम दिन लगता है । कुंभ मेला – प्रयाग , हरिद्वार , उज्जैन और नासिककुम्भ पर्व हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है , जिसमें करोड़ों श्रद्धालु कुम्भ मेले में स्नान करते हैं। कुंभ मेला चार जगहों (प्रयाग , हरिद्वार , उज्जैन और नासिक ) पर प्रत्येक 12 वर्ष में होता है। यह मेला मकर संक्रान्ति के दिन प्रारम्भ होता है , जब सूर्य और चन्द्रमा , वृश्चिक राशि में और वृहस्पति , मेष राशि में प्रवेश करते हैं । मकर संक्रान्ति के होने वाले इस योग को ” कुम्भ स्नान – योग ” कहते हैं और इस दिन को विशेष मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार इस दिन खुलते हैं। यहाँ स्नान करना साक्षात् स्वर्ग दर्शन माना जाता है । इसका हिन्दू धर्म मे बहुत ज्यदा महत्व है । पुष्कर मेला – राजस्थानपुष्कर ऊंट मेला या कार्तिक मेला जो राजस्थान में अजमेर से लगभग 11 किलोमीटर दूर पुष्कर कस्बे में हर साल आयोजित किए जाते हैं । पुष्कर राजस्थान का एक बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। पुष्कर मेले में देश – विदेश से हजारों पर्यटक हर साल आते हैं । मेले के कुछ खास आकर्षणों में यंहा होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं। पुष्कर मेला भारत का सबसे बड़ा पशु मेला है जो 9 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। यह भारत का एकमात्र ऐसा स्थान भी है जहां भगवान ब्रह्मा की मंदिर हैं । ऐसा माना जाता है कि मंदिर के चारों ओर की झील को 33 मिलियन हिंदू देवताओं द्वारा कार्तिक पूर्णिमा की रात को पवित्र किया जाता है । पुष्कर मेला 100 साल से भी अधिक पुराना है और शुरू में इस मेले का आयोजन हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक के चंद्र माह में कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता था । सोनपुर मवेशी मेला – बिहारसोनपुर मेला बिहार के सारण और वैशाली जिले की सीमा पर गंगा और गंडक नदी के मिलन स्थल सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा में लगता हैं । यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं । मेले को ‘ हरिहर क्षेत्र मेला ‘ के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं। विश्व प्रसिद्ध सोनपुर पशु मेला विदेशी सैलानियों के लिए खास आकर्षण है । कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर अगले एक महीने तक चलने वाले सोनपुर मेले को देश – दुनिया में एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के तौर पर जाना जाता है इस मेले में हाथी , घोड़े , ऊंट , कुत्ते , बिल्लियां और विभिन्न प्रकार के पक्षियों सहित कई दूसरी प्रजातियों के पशु – पक्षियों का बाजार सजता हैं। हेमिस गोम्पा मेला – लद्दाखहेमिस गोम्पा मेला लद्दाख का बहुत ही प्रसिद्ध मेला है ये भारत के प्रमुख मेले के रूप में शामिल हैं। जो लद्दाख में बौद्ध समुदाय द्वारा आयोजित किया जाता है । हेमिस गोम्पा मेला लद्दाख के सबसे बड़े बोद्ध मठ हेमिस गोम्पा में आयोजित किया जाता है । हेमिस गोम्पा मेला हर साल बौद्धिक कैलंडर के अनुसार पांचवे महीने में मनाया जाता है । हेमिस गोम्पा मेले का सबसे बड़ा आकर्षण है स्थानीय लोगों द्वारा मुखौटा पहनकर किए जाने वाला नृत्य है। हेमिस मठ 11 वीं शताब्दी के पहले से ही अस्तित्व में था , जिसे सन् 1962 में लद्दाख के राजा सेंग्गे नंग्याल द्वारा फिर से बनवाया गया । अम्बूबाची मेला – आसामआसाम के गुवाहाटी में कामाख्या देवी का मंदिर परिसर में यह मेला का आयोजन किया जाता है। भारत के पूर्वत्तर क्षेत्र में ये एक प्रमुख और बहुत ही प्रसिद्ध मेले है।अंबुबाची महोत्सव जब तक कामाख्या देवी का मासिक धर्म संपन्न होता है , तब तक यहां भव्य मेला लगता है । इसी मेले को अंबुबाची महोत्सव कहा जाता है । पुरातन काल की कथाओं के अनुसार भगवान शंकर की पहली पत्नी सती के मृतदेह के तकरीबन 51 टुकड़े पृथ्वी के विविध स्थानों पर गिरे थे । जिस स्थान पर उनकी योनि गिरी थी , उसी स्थान पर कामाख्या देवी का मंदिर बना है। कोलायत मेला- राजस्थानराजस्थान के बीकानेर में होने वाला यह भब्य मेला भारत के प्रमुख मेले हैं। कोलायत में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है , जिसे कोलायत मेला कहते हैं। कोलायत मेले में बड़ी संख्या में साधु – संत और श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। कोलायत मेले में पशुओं सहित अन्य वस्तुओं की खरीद फरोख्त की जाती है । कोलायत मेले में भैंस , ऊंट , घोड़े सहित अन्य मवेशी बेचे जाते हैं। यहां हर साल लगभग एक लाख तक की भीड़ इकठ्ठा होती है । बेणेश्वर धाम मेला – राजस्थानभारत के प्रमुख मेल जो राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में माही, सोम और जाखम नदियों के पावन जल से घिरा प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण बेणेश्वर धाम मेला लगता है।जंहा हजारों लाखों की संख्या में लोग मेले और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं। यहां विविध संस्कृतियों का नजारा भी यहां देखने को मिलता है । टापू पर बेणेश्वर शिव का मंदिर है जिसे 500 वर्ष पहले डूंगरपुर के महारावल आसकरण ने बनवाया था। चंद्रभागा मेला – राजस्थानराजस्थान के झालरापाटन में हर साल कार्तिक महीने में चंद्रभागा मेला लगता है। भारत के ये प्रमुख मेले चंद्रभागा नदी के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन दूर दूर से श्रद्धालु आकर डुबकी लगाते हैं । लोग पारंपरिक परिधान पहन कर आते हैं और सबसे पहले नदी में स्नान करके अराधना करते हैं , फिर मेला घूमते हैं । यहां की ख़ासियत पशु मेले की भी है । पशु पालन विभाग की देख रेख में बहुत बड़ा पशु मेला लगता है , जिसमें कई अलग अलग पशु प्रदर्शित होते हैं। यंहा लाखों की संख्या में लोग मेला घूमने आते हैं। नौचंडी मेला – उत्तर प्रदेशभारत के प्रमुख मेले नौचंडी मेला उत्तरप्रदेश के मेरठ में यह मेला प्रति वर्ष लगता है और यह ऐतिहासिक हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्रतीक है । चैत्र मास के नवरात्रि त्यौहार से एक सप्ताह पहले लगता है और एक माह तक चलता है। मेले में हर साल लाखों की संख्या में लोग मेले का आनंद लेने आते हैं। सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला – हरियाणासूरज कुंड मेला हरियाणा के जिले फरीदाबाद में आयोजित किया जाता है। यह मेला प्रतिवर्ष फरवरी माह में आयोजित किया जाता है . यह एक हस्त शिल्प मेला है जिसमें राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध हस्त शिल्पियों व कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। इस मेले में देश विदेश के कलाकार होते है। वर्तमान में इस मेले में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा , लोक कला , लोक व्यंजनों के अतिरिक्त लोक संगीत और लोक नृत्यों का भी संगम होता है । इस मेले में हर वर्ष किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला , संस्कृति , सामाजिक परिवेश और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है । माघ मेला – प्रयागराज भारत के प्रमुख मेले और दुनिया भर में सबसे बड़ा कहे जाने वाला माघ मेला उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में जनवरी – फरवरी माह में यहां पवित्र ‘ संगम ‘ के किनारे विश्व प्रसिद्ध माघ मेला आयोजित होता है । बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। इस माघ मेले को कल्पवास भी कहा जाता है। माघ मेला हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। यंहा देश विदेश से लोग मेला देखने आते है। श्रावणी मेला – झाड़खंडझाड़खंड के देवघर में श्रावण के महीने के दौरान बाबाधाम का महत्व बढ़ता है। और भारत के एक और प्रमुख मेले का आयोजन होता है। जंहा लाखो की संख्या में लोग आते है। यह दुनिया का सबसे लंबा धार्मिक मेला है यह अनुमान लगाया जाता है कि एक महीने की इस अवधि में लगभग 50 लाख तीर्थयात्री बाबादम जाते हैं। मेडारम जात्रा – तेलंगानादक्षिण भारत के प्रमुख मेले मेडारम जात्रा हर दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है। ये दक्षिण भारत के कुंभ मेले के तौर पर मशहूर है। समक्का – सारलम्मा देवी के दर्शन हेतु इस जात्रा में लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं । यहां मुर्गे और बकरों की बलि दी जाती है । इसके अलावा नारियल और गुड़ विशेष रूप से चढ़ाए जाते हैं। चार दिवसीय जात्रा में देश – विदेश के करीब डेढ़ करोड़ लोगों आते है। इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है। यूनेस्को ने इसे सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया है। त्रिशूर पूर्णम – केरलभारत के दक्षिण में केरल राज्य के प्रमुख मेले, थेक्किनाडु मैदान पर्वत पर स्थित वडक्कुन्नाथन मंदिर में , नगर के बीचोंबीच आयोजित होता है। यह मलयाली मेडम मास की पूरम तिथि को मनाया जाता है। त्रिशूर पूरम त्रिशूर नगर का वार्षिकोत्सव है । यह भव्य रंगीन मंदिर उत्सव केरल के सभी भाग से लोगों को आकर्षित करता है। त्रिशूर में हाथियों का जुलूस सभी के आकर्षण का केंद्र रहता है जिसे देखने के लिए भारत के अलावा दुनिया भर के पर्यटक आते हैं । छत्तीसगढ़ के प्रमुख मेले :
छत्तीसगढ़ के अन्य प्रमुख मेले –
उत्तराखंड के प्रमुख मेले :
मध्यप्रदेश के प्रमुख मेले :
बिहार के प्रमुख मेले :
उत्तर प्रदेश के प्रमुख मेले :
राजस्थान के प्रमुख मेले :
हरियाणा के प्रमुख मेले :
ओडिशा के प्रमुख मेले :
गुजरात के प्रमुख मेले :
जम्मू कश्मीर के प्रमुख मेले :
महाराष्ट्र के प्रमुख मेले :
झारखंड के प्रमुख मेले :
पश्चिम बंगाल के मेले :
आसाम के प्रमुख मेले :
केरल के प्रमुख मेले :
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भारत का सबसे बड़ा मेला कौन सा है?भारत का सबसे बड़ा मेला कहाँ लगता है? सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं।
मेले कितने प्रकार के होते हैं?भरारा मेला
यह मेला ज्येष्ठ की १ (मई) से प्रारम्भ होता है, यह प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। देवता कोटेश्वर मेले में लाये जाते है और उनके सम्मान के रूप में बकरों को बलिदान किया जाता है। मेला सांस्कृतिक और मनोरंजक है और नाटी नृत्य किया जाता है। लोग 'हिंडोला' सवारी का भी आनंद लेते हैं।
भारत का राष्ट्रीय मेला कौन सा है?कुंभ मेला – प्रयाग , हरिद्वार , उज्जैन और नासिक
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