भारत की जनगणना 2011, सिक्किम भारत की जनगणना २०११, जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली द्वारा राष्ट्र को समर्पित भारत की १५वीं राष्ट्रीय जनगणना है, जो १ मई २०१० को आरम्भ हुई थी। भारत में जनगणना १८७२ से की जाती रही है और यह पहली बार है जब बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की गई। जनगणना को दो चरणों में पूरा किया गया। अंतिम जारी प्रतिवेदन के अनुसार, भारत की जनसंख्या २००१-२०११ दशक के दौरान १८,१४,५५,९८६ से बढ़कर १,२१,०८,५४,९७७ हो गई है और,[1] भारत ने जनसंख्या के मामले में अपने दूसरे स्थान को बनाए रखा है। इस दौरान देश की साक्षरता दर भी ६४.८३% से बढ़कर ६९.३% हो गई है।भारतीय संविधान की धारा २४६ के अनुसार देश की जनगणना कराने का दायित्व सरकार को सौंपा गया है या संविधान की सातवीं अनुसूची की क्रम संख्या ६९ पर अंकित है जनगणना संगठन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है जिसका उच्चतम अधिकारी भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होता है यह देश भर में जनगणना संबंधी कार्यों को निर्देशित करता है तथा जनगणना के आंकड़ों को जारी करता है वर्तमान में भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त डॉक्टर शिव चंद्र मौली है इन से पूर्व इस पद पर देवेंद्र कुमार सिकरी (२००४ से २००९)तक थे २०११ ईस्वी की जनगणना यानी १५वी जनगणना स्वतंत्र भारत की सातवीं जनगणना की शुरुआत महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त के द्वारा १ अप्रैल २०१० इसमें से हुई है सितंबर २०१० ईस्वी को केंद्रीय मंत्रिमंडल जाति आधारित जनगणना (१९३१ ईस्वी के बाद पहली बार) की स्वीकृति प्रदान की जो अलग से जून २०११ से सितंबर २०११ ईस्वी के बीच संपन्न हुई थी जनगणना २०११ ईसवी का शुभंकर प्रगणक शिक्षिका थी था इस का आदर्श वाक्य- हमारी जनगणना हमारा भविष्य। कार्यक्षेत्र और प्रक्रिया[संपादित करें]२०११ की जनगणना के लिए कुल २७ लाख अधिकारियों ने ७,००० नगरों/कस्बों और ६,००,००० गाँवों के परिवारों के यहाँ पधार कर आँकड़े जुटाए जिसमें लोगों को लिंग, धर्म, शिक्षा-स्तर और व्यवसाय इत्यादि में वर्गीकृत किया गया। इस काम में कुल २२ अरब रुपए खर्च किए गए। प्रति दस वर्षों में होनी वाली इस जनगणना में देश के विशाल आकार और सांस्कृतिक विविधता के अतिरिक्त भी बहुत सी चुनौतियाँ भी होती हैं। सामाजिक-आर्थिक एवं जाति आधारित जनगणना (एसईसीसी) २०११[संपादित करें]जनगणना में किसी व्यक्ति की जाति से संबंधित सूचना का समावेश, सत्तारूढ़ गठबंधन के कई बड़े नेताओं जैसे कि लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसे नेताओं की जोरदार मांग पर किया गया। इसी मांग का समर्थन विपक्षी पार्टियों जैसे कि भारतीय जनता पार्टी, अकाली दल, शिवसेना और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम[2] दलों द्वारा भी किया गया। जाति संबंधी सूचना का समावेश पिछली बार ब्रिटिश राज के दौरान हुई १९३१ की जनगणना में किया गया था। शुरुआती जनगणनाओं के दौरान, लोग अक्सर समाज में खुद को ऊँचे तबके का दिखाने के लिए अपनी जाति को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया करते थे, पर इस बार लगता है कि लोग सरकारी लाभ पाने के उम्मीद में अपनी जाति को निम्न बताने की चेष्टा करें।[3] स्वतंत्र भारत में जाति-गणना का सिर्फ एक उदाहरण मिलता है। केरल में १९६८ में ई.एम.एस. नंबूदिरीपाद की कम्युनिस्ट सरकार के द्वारा विभिन्न निचली जातियों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आकलन के लिए जाति-गणना की गयी थी। इस जनगणना को १९६८ का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कहा गया था और इसके परिणाम केरल के १९७१ के राजपत्र में प्रकाशित किए गए थे।[4] जनगणना[संपादित करें]इस जनगणना में तीन प्रश्नावलियाँ थीं, मकानसूचीकरण, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और परिवार-इकाईयाँ। मकानसूचीकरण अनुसूची[संपादित करें]मकानसूचीकरण अनुसूची में ३५ प्रश्न थे।[5]
परिवार अनुसूची[संपादित करें]परिवार अनुसूची में २९ प्रश्न हैं।[6][7]
जनगणना रिपोर्ट[संपादित करें]जनसंख्यकी से अनंतिम आंकड़ों को ३१ मार्च २०११ को जारी किया गया। सम्पूर्ण रिपोर्ट के वर्ष २०१२ में जारी किये जाने की उम्मीद है।[8] जनसंख्या का कुल लिंग अनुपात 2011 में प्रत्येक १,००० पुरुषों के लिए ९४४ महिलाओं की है।[9] भारत में ट्रांसजेंडर(तीसरे लिंग) की आधिकारिक संख्या ४.९ लाख है। छह सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में आधी से अधिक आबादी निवास करती है। १.२१ अरब भारतीयों में से ८३३ मिलियन (६८.८४%) ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं जबकि ३७७ मिलियन शहरी क्षेत्रों में रहते हैं। भारत में ४५३.६ मिलियन लोग प्रवासी हैं, जो कुल आबादी का ३७.८% है। भारत हिंदू, इस्लाम धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म जैसे प्रमुख विश्वास प्रणालियों की मातृभूमि है, जबकि कई स्वदेशी धर्मों और आदिवासी धर्मों के घर भी हैं जो सदियों से प्रमुख धर्मों के प्रभाव से बच गए हैं। २०११ की जनगणना के अनुसार, भारत में कुल परिवारों की संख्या २४.4 of करोड़ है, जिनमें २०.२४ करोड़ हिंदू हैं, ३.१२ करोड़ मुसलमान हैं, ६.३ करोड़ ईसाई हैं, ४.१ करोड़ सिख हैं और १.९ करोड़ जैन हैं।[10][11] 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 30.1 लाख पूजा स्थल हैं।[12]
धर्म[संपादित करें]हिन्दुओं की जनसंख्या 79.8% (96.8 करोड़) है।[13] मुसलमानों की जनसंख्या 14.2% है (जनगणना के अनुसार 17.2 करोड़) जो की पिछले दसक 11% थी।[14][15] अगस्त 2011 में भारत की जनगणना के आंकड़ों को जारी किया गया था।[16] इसमें पता चला है कि 2,870,000 लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया में कोई धर्म नहीं बताया,[17] देश की जनसंख्या का लगभग 0.27%। हालांकि, संख्या में नास्तिक, तर्कसंगतवाद और उन लोगों को शामिल किया गया जो उच्च शक्ति में विश्वास करते थे। "अन्य" विकल्प नाबालिग या आदिवासी धर्मों के साथ-साथ नास्तिक और अज्ञेयवाद के लिए भी था। भारत में प्रमुख धार्मिक समूहों के लिए जनसंख्या का रुझान(1951–2011)
राज्यानुसार जनगणना रिपोर्ट[संपादित करें]
भाषा जनसांख्यिकी[संपादित करें]हिंदी भारत के उत्तरी हिस्सों में सबसे व्यापक बोली जाने वाली भाषा है।[19] भारतीय जनगणना "हिंदी" की व्यापक विविधता के रूप में "हिंदी" की व्यापक संभव परिभाषा लेती है।[20][21] 2011 की जनगणना के अनुसार, 57.1% भारतीय आबादी हिंदी को जानती है[22] जिसमें 43.63% भारतीय लोगों ने हिंदी को अपनी मूल भाषा या मातृभाषा घोषित कर दिया है।[23][24][25] भाषा डेटा 26 जून 2018 को जारी किया गया था।[26] भिली / भिलोदी 1.04 करोड़ वक्ताओं के साथ सबसे ज्यादा बोली जाने वाली अनुसूचित भाषा थी, इसके बाद गोंडी 29 लाख वक्ताओं के साथ थीं। 2011 की जनगणना में भारत की आबादी का 96.71% 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक अपनी मातृभाषा के रूप में बोलता है। द्विभाषीवाद और त्रिभाषीवाद पर 2011 की जनगणना रिपोर्ट, जो प्राथमिकता के क्रम में दो भाषाओं पर डेटा प्रदान करती है जिसमें एक व्यक्ति मातृभाषा के अलावा अन्य में कुशल है, सितंबर 2018 में जारी किया गया था।[27][28][29] भारत में द्विभाषी वक्ताओं की संख्या 31.49 करोड़ है, जो 2011 में जनसंख्या का 26% है।[30] भारतीय आबादी का 7% त्रिभाषी है।[31][32] हिंदी, बंगाली वक्ता भारत के सबसे कम बहुभाषी समूह हैं।[33]
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
https://www.indiaknowledgeofficial.co.in/2020/06/Bharat-ki-jangarna-GK.html?m=1 Archived 2020-06-13 at the Wayback Machine भारत में जनसंख्या आंकड़े कौन प्रस्तुत करता है?भारतीय संविधान की धारा २४६ के अनुसार देश की जनगणना कराने का दायित्व सरकार को सौंपा गया है या संविधान की सातवीं अनुसूची की क्रम संख्या ६९ पर अंकित है जनगणना संगठन केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है जिसका उच्चतम अधिकारी भारत का महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होता है यह देश भर में जनगणना संबंधी कार्यों को निर्देशित ...
भारत में जनगणना कौन करता है?दशकीय जनगणना के संचालन की जिम्मेदारी भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त का कार्यालय, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पास है। यह ऐतिहासिक हित का हो सकता है कि यद्यपि भारत की जनसंख्या जनगणना एक प्रमुख प्रशासनिक कार्य है; वर्ष 1951 की जनगणना तक प्रत्येक जनगणना के लिए तदर्थ आधार पर जनगणना संगठन की स्थापना की गई थी।
भारत में कौन सी संस्था जनगणना के आंकड़े एकत्रित करती है?1949 के बाद से यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त द्वारा कराई जाती है। 1951 के बाद की सभी जनगणनाएं 1948 की जनगणना अधिनियम के तहत कराई गईं। अंतिम जनगणना 2011 में कराई गई थी, तथा आगामी जनगणना 2021 में कराई जाएगी।
भारत के प्रथम जनगणना आयुक्त कौन है?लार्ड रिपिन दॄारा नियमित प्राधिकृत रूप से 1881 में पहली बार जनगणना करवाई गई। भारत के प्रथम जनगणना आयुक्त हेनरी प्लाउडेन थे। पहली बार जाति आधारित जनगणना 1931 में हुई थी। भारत में जनगणना का कार्य गृह मंत्रालय के आधीन महापंजीयक या जनगणना आयुक्त के निर्देश अनुसार होता है।
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