बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा र्हुई? Show बच्चों को जब घर के कार्य करने के लिए कहा गया तो वे करने के लिए तैयार तो हो गए लेकिन उन्हें कुछ भी न आता था। नतीजा यह हुआ कि घर में ऐसा अहसास होने लगा जैसे तूफ़ान आ गया हो। सबसे पहले दरी साफ की गई जिसने इतनी धूल उड़ाई कि घर ही धूल से भर गया बाद में पानी डालने से दरी की धूल कीचड़ ही हो गई। फिर पड़ी को पानी देने के बारे में सोचा तो छोटे से छोटा बर्तन भी इस कार्य हेतु जुज
लिया गया और नल पर इतना झगड़ा हुआ कि कोई पानी न भर सका। 921 Views भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।भरा पूरा परिवार सुखद तब बन सकता है जब सब मिल-जुलकर सभी कार्य करें व दुखद तब बनता है जब सभी स्वार्थ की भावना से कार्य करें, कोई अपने कार्यों के प्रति सचेत न हो। एक व्यक्ति पिसता रहे व दूसरे आराम करते रह। कामचोर कहानी के आधार पर तो यही कहा जा सकता है कि बच्चों
को पहले तो कोई काम सिखाया नहीं गया और न ही किसी काम की जिम्मेदारी उन पर डाली गई। सभी काम अम्मा या घर के नौकर करते थे। एक समय ऐसा आया कि अम्मा-अब्बा भी नौकरों से तंग आ गए। उन्हें अपने बच्चे भी निठल्ले लगने लगे। एकदम से उनका यह निर्णय लेना कि सभी काम बच्चे करें परिवार के लिए दुखदायी बन जाता है क्योंकि बच्चों को किसी काम को करने का सलीका ही नहीं आता। सारा घर तूफान आने की भांति बिखर जाता है। यह सब माँ सहन नहीं कर सकती और यह निर्णय लेती है कि यदि बच्चे काम करेंगे तो वह अपने मायके चली जाएँगी। अंत में
अब्बा बच्चों को हिदायत देते हैं कि वे किसी काम को हाथ नहीं लगाएँगे। यदि कोई काम करेंगे तो उन्हें रात का खाना नहीं दिया जाएगा। 385 Views कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे? इन बच्चों की आदतें बिगड़ने का कारण है इनसे बचपन में काम न लेना उन्हें किसी भी काम की जानकारी न देना। इसीलिए वे किसी भी काम को करने में सक्षम नहीं हैं। सभी कार्यों हेतु नौकरों पर निर्भर रहते हैं। 497 Views कहानी में 'मोटे-मोटे किस काम के हैं?' किन के बारे में और क्यों कहा गया? कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के’ घर के बच्चों के लिए कहा गया है क्योंकि उनके माता-पिता काे लगता है कि वे केवल नौकरों पर हुक्म चलाते हैं और खा-पीकर आराम करते हैं। घर का कोई काम नहीं करते। 2187 Views किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़ें और सुव्यवस्थित कार्यशैली पर एक लेख लिखें। लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी पढ़ने का प्रयास कीजिए। 1579 Views भरा पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दखु द कामचोर कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए?भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए। उत्तर:- भरा-पूरा परिवार तब सुखद बन सकता है जब सब मिल-जुलकर कार्य करें व दुखद तब बनता है जब सब स्वार्थ भावना से कार्य करें। कामों के क्षमतानुसार विभाजित करने से कहानी जैसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता है।
भरा पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है?Solution : जब घर के सभी सदस्य अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार मिलकर कार्य करें तब भरा-पूरा परिवार सुखद बन सकता है और जब कार्य के प्रति सचेत न रहकर आलस्य करें तब दु:खद बन सकता है। जैसे . कामचोर. कहानी में पहले बच्चों से काम नहीं कराया गया।
कामचोर कहानी से हमें क्या संदेश मिलता है?'कामचोर' कहानी क्या संदेश देती है? Solution: यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए।
भरा पूरा परिवार कैसे?कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए। भरा पूरा परिवार सुखद तब बन सकता है जब सब मिल-जुलकर सभी कार्य करें व दुखद तब बनता है जब सभी स्वार्थ की भावना से कार्य करें, कोई अपने कार्यों के प्रति सचेत न हो। एक व्यक्ति पिसता रहे व दूसरे आराम करते रह।
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