अधिक मास कौन सी साल में पड़ेगा? - adhik maas kaun see saal mein padega?

सौर वर्ष और चांद्र वर्ष में सामंजस्य स्थापित करने के लिए हर तीसरे वर्ष पंचांगों में एक चान्द्रमास की वृद्धि कर दी जाती है। इसी को अधिक मास या अधिमास या मलमास कहते हैं।

सौर-वर्ष का मान ३६५ दिन, १५ घड़ी, २२ पल और ५७ विपल हैं। जबकि चांद्रवर्ष ३५४ दिन, २२ घड़ी, १ पल और २३ विपल का होता है। इस प्रकार दोनों वर्षमानों में प्रतिवर्ष १० दिन, ५३ घटी, २१ पल (अर्थात लगभग ११ दिन) का अन्तर पड़ता है। इस अन्तर में समानता लाने के लिए चांद्रवर्ष १२ मासों के स्थान पर १३ मास का हो जाता है।

वास्तव में यह स्थिति स्वयं ही उत्त्पन्न हो जाती है, क्योंकि जिस चंद्रमास में सूर्य-संक्रांति नहीं पड़ती, उसी को "अधिक मास" की संज्ञा दे दी जाती है तथा जिस चंद्रमास में दो सूर्य संक्रांति का समावेश हो जाय, वह "क्षयमास" कहलाता है। क्षयमास केवल कार्तिक, मार्ग व पौस मासों में होता है। जिस वर्ष क्षय-मास पड़ता है, उसी वर्ष अधि-मास भी अवश्य पड़ता है परन्तु यह स्थिति १९ वर्षों या १४१ वर्षों के पश्चात् आती है। जैसे विक्रमी संवत २०२० एवं २०३९ में क्षयमासों का आगमन हुआ तथा भविष्य में संवत २०५८, २१५० में पड़ने की संभावना है।

18 सितंबर से अधिक मास की शुरू : ढाई साल में एक बार अधिक मास आता है। पंडित सत्यनारायण खंडेलवाल ने बताया कि तिथियों का घटना अाैर बढ़ने से अधिक मास का योग बनता है। गत बार 2018 में दो जेष्ठ होने से अधिकमास हुआ। गत बार 16 मई 2018 से अधिकमास शुरू हुआ था। 2018 में बाद इस साल 2020 में अधिकमास का योग बना है। इस बार हिंदू नववर्ष में आश्विन मास दो होने से अधिक मास है। यह अधिकमास 18 सितंबर से अधिक मास शुरू होगा।

इस बार हिंदू नववर्ष में यह त्योहार अाैर पर्व आएंगे

25 मार्च : चैत्री नवरात्रा स्थापना

26 मार्च : चेटीचंड, झूलेलाल जयंती

27 मार्च : गणगौर

2 अप्रैल : रामनवमी

6 अप्रैल : महावीर जयंती

8 अप्रैल : हनुमान जयंती

9 अप्रैल : शब्बेरात

13 अप्रैल : खालसा जयंती

25 अप्रैल : परशुराम जयंती व रमजान महीना शुरू

26 अप्रैल : अक्षय तृतीय व वर्षीय तप पारणा जैन

7 मई : बुध जयंती व पीपल पूर्णिमा

22 मई : शनि जयंती

25 मई : ईदुल फितर व महाराणा प्रताप जयंती

31 मई : महेश नवमी

1 जून : गंगा दशहरा

2 जून : निर्जला एकादशी

21 जून : विश्व योग दिवस

23 जून : जगन्नाथ रथ यात्रा

29 जून : भडिल्या नवमी

1 जुलाई : देव शयनी एकादशी

5 जुलाई : गुरु पूर्णिमा

10 जुलाई : नाग पंचमी

20 जुलाई : हरियाली अमावस्या

23 जुलाई : हरियाली तीज (झूला तीज)

1 अगस्त : बकरा ईद

3 अगस्त : रक्षाबंधन

6 अगस्त : सत्तुड़ी तीज

12 अगस्त : जन्माष्टमी

16 अगस्त : वत्स द्वादशी (बछ बारस)

22 अगस्त : गणेश चतुर्थी

23 अगस्त : ऋषि पंचमी

27 अगस्त : भागवत सप्ताह शुरू

28 अगस्त : तेजा दशमी व रामदेव मेला

29 अगस्त : जलझूलनी

30 अगस्त : मोहर्रम

1 सितम्बर : अनंत चतुर्दशी व श्राद्ध पक्ष शुरू

5 सितम्बर : शिक्षक दिवस

18 सितम्बर : अधिक मास शुरू (आश्विन शुक्ल पक्ष)

27 सितम्बर : पुरुषोत्तम कमला एकादशी

2 अक्टूबर : गांधी व शास्त्री जयंती

13 अक्टूबर : पुरुषोत्तम कमला एकादशी

16 अक्टूबर : अधिकमास समाप्त

17 अक्टूबर : शारदीय नवरात्रा स्थापना

24 अक्टूबर : दुर्गाष्टमी व महानवमी

25 अक्टूबर : विजया दशमी

30 अक्टूबर : शरद पूर्णिमा व बारहवफात

4 नवम्बर : करवा चौथ

13 नवम्बर : धनतेरस

14 नवम्बर : रूप चतुर्दशी व दीपावली

15 नवम्बर : खेखरा

16 नवम्बर : भाई-दूज

19 नवम्बर : लाभ पंचमी

22 नवम्बर : गोपाष्टमी

30 नवम्बर : गुरू नानक जयंती

15 दिसम्बर : मलमास

25 दिसम्बर : मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती व क्रिसमस डे

13 जनवरी 2021 : लोहड़ी पर्व

14 जनवरी : मकर संक्रांती

20 जनवरी : गुरू गोविंद सिंह जयंती

16 फरवरी : बसंत पंचमी

26 फरवरी : रामस्नेही जयंती

11 मार्च : महाशिवरात्रि

28 मार्च : होलिका दहन

29 मार्च : धुलेंडी

3 अप्रैल : शीतला सप्तमी

6 अप्रैल : दशामाता

9 अप्रैल : रंग तेरस

विवाह के मुहूर्त इस बार कम रहेंगे :

इस साल विवाह मुहूर्त काफी कम होंगे। पंडित सत्यनारायण खंडेलवाल ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास में विवाह मुहूर्त होंगे। वैशाख मास में मात्र विवाह मुहूर्त है। जबकि 8 मई से जेष्ठ मास शुरू हो जाएगा। जष्ठे मास में पांच विवाह के मुहूर्त है। यानि एक, दो, चार, पांच, 17, 18, 19, 23, 24 मई, 15 जून, 25 नवंबर, 30 नवंबर, सात, नौ, 11 दिसंबर इस साल के विवाह मुहूर्त होंगे। इसके बाद अगले वर्ष 2021 में जनवरी, फरवरी, मार्च में एक भी विवाह के मुहूर्त नहीं है। 2021 में सीधे 25 अप्रैल से विवाह मुहूर्त शुरू होंगे।

रतलाम. उज्जैन. वर्ष 2023 में अधिकमास के कारण ढाई माह का सावन मास रहेगा। इस कारण बाबा महाकाल की सवारियां 7 से अधिक निकलेंगी। करीब 19 वर्ष बाद इस तरह का संयोग बन रहा है। बता दे कि सावन माह में उज्जैन के साथ - साथ रतलाम के श्री गढ़कैलाश महादेव की सवारी भी निकलती है।

वर्ष 2023 कई मायनों में खास होगा। सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 अधिकमास वाला वर्ष है। इस वर्ष 13 माह होंगे। नए साल में 29 जून को देवशयन एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो रही है, जो कि कुल 148 दि

अधिक मास कौन सी साल में पड़ेगा? - adhik maas kaun see saal mein padega?

Anuradha Pandeyकार्यालय संवाददाता,धनबादMon, 12 Dec 2022 06:52 AM

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वर्ष 2023 कई मायनों में खास होगा। सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 अधिकमास वाला वर्ष है। इस वर्ष 13 माह होंगे। नए साल में 29 जून को देवशयन एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो रही है, जो कि कुल 148 दिनों तक रहेगी। अधिकमास होने के कारण इस बार सभी पर्व त्योहार 15-20 दिन की देरी से आएंगे। 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ चातुर्मास की समाप्ति होगी। अधिकमास प्रत्येक तीन वर्ष में आता है। पिछली बार वर्ष 2020 में अधिकमास अर्थात पुरुषोत्तम मास लगा था।

सावन में पुरुषोत्तम मास

वर्ष 2023 में सावन के महीने में पुरुषोत्तम मास लग रहा है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय बताते हैं कि सावन मास महादेव को समर्पित है, लेकिन अधिकमास के स्वामी श्री विष्णु हैं, इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस बार सावन में पड़ने के कारण यह अधिकमास और भी विशेष हो गया है, क्योंकि इस मास में जो भी जातक निष्ठापूर्वक भगवान का चिंतन मनन करेगा, उन्हें हरि और हर दोनों की कृपा प्राप्त होगी। 19 वर्षों बाद ऐसा संयोग हो रहा है, जब सावन माह में अधिकमास लग रहा है। राकेश पांडेय ने बताया कि पिछली बार वर्ष 2020 में अश्विन मास में अधिकमास पड़ा था।

क्या है अधिकमास

वेदाचार्य पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि प्रत्येक तीन वर्ष के दौरान चंद्र वर्ष में एक माह जोड़ दिया जाता है। उस वर्ष 12 के स्थान पर 13 माह हो जाता है। इस बढ़े हुए माह को ही अधिकमास कहते हैं। यह सौर वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाता है। बताया कि अधिकमास के माह का निर्णय सूर्य संक्रांति के आधार पर किया जाता है, जिसमें सूर्य संक्रांति नहीं होती, वह मास अधिकमास कहलाता है।

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2022 में अधिक मास कब लगेगा?

इस बार आषाढ़ मास 15 जून 2022, बुधवार से प्रारंभ हो गया है और 13 जुलाई, गुरु पूर्णिमा तक रहेगा। इस दिन महीने में भगवान शंकर व भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में कुछ उपायों को करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

2023 में अधिक मास कौन सा पड़ेगा?

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2023 में 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक मलमास रहेगा. मलमास हर 32 महीने और 16 दिन के बाद पड़ता है. अर्थात मलमास हर तीसरे साल आता है. साल में अधिक माह होने के कारण अधिकमास और अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित होता है.

2023 में मलमास कब लग रहा है?

16 दिसंबर के बाद से खरमास शुरू हो रहा है, जो 14 जनवरी 2023 तक रहेगा। हिंदू धर्म में खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।

अगला अधिक मास कब आएगा?

सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 अधिकमास वाला वर्ष है। इस वर्ष 13 माह होंगे। नए साल में 29 जून को देवशयन एकादशी के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो रही है, जो कि कुल 148 दिनों तक रहेगी। अधिकमास होने के कारण इस बार सभी पर्व त्योहार 15-20 दिन की देरी से आएंगे।