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नमस्कार दोस्तों ! आज हम “Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवि और उनकी प्रमुख रचनाएं” के बारे में अध्ययन करने जा रहे है। आशा करते है कि आज की जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। श्री कृष्ण का उल्लेख प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद के प्रथम, अष्टम और दशम मंडल में मिलता है। इसके बाद छांदोग्य उपनिषद में पहली बार कृष्ण का उल्लेख मिलता है । कृष्ण भक्ति पर रचित सबसे महत्वपूर्ण पुराण श्रीमद्भागवत पुराण (दक्षिण भारत में रचित) है। श्रीमद्भागवत पुराण में श्री कृष्ण की रासलीला का मोहक चित्रण होने के बावजूद राधा का स्पष्ट नामोल्लेख भी नहीं मिलता है। जैन साहित्य में श्री कृष्ण की कथा को हरिवंश पुराण के नाम से जाना गया है। हिंदी का कृष्ण भक्ति साहित्य महाभारत से नहीं बल्कि पुराणों से प्रभावित है। महाभारत के कृष्ण कूटनीतिज्ञ, नीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, द्वारिकाधीश, लोक रक्षककारी श्री कृष्ण है। पुराणों के कृष्ण माखन चोर, गोपाल, लीलाधारी, लोकरंजनकारी, नंदलाल है। कृष्ण भक्ति साहित्य ने भी लोकरंजनकारी रूप को आधार बनाया है । संस्कृत काव्य परंपरा में अश्वघोष के बुद्धचरित में कृष्ण का पहली बार उल्लेख मिलता है। भट्ट नारायण के वेणी संहार (नाटक) और हाल की गाहा सतसई में भी कृष्ण का उल्लेख मिलता है। जैसा कि आप जानते हैं कि 9 वीं सदी में दक्षिण भारत में आलवारो ने राम और कृष्ण की भक्ति की। अंदाल श्रीकृष्ण को पति के रूप में मानती है । कृष्ण भक्ति साहित्य की प्रचुरता 12 वीं सदी से प्रारंभ होती है। कृष्ण भक्ति साहित्य को शास्त्रीय धरातल पर स्थापित करने का श्रेय गोस्वामी बंधुओं को दिया जाता है, विशेषकर – रूप गोस्वामी को। हिंदी में पहली बार पृथ्वीराज रासो में कृष्ण भक्ति का उल्लेख मिलता है। Ashtchhap Kavi | अष्टछाप के प्रमुख कविकृष्ण भक्ति पर साहित्य में रचनाएं करने वाले बहुत से कवि हुए हैं। जिनमें कुंभनदास, सूरदास, परमानंददास, चतुर्भुज दास, गोविंद स्वामी, छीत स्वामी, नंद दास, कृष्णदास, रसखान, मीरा बाई, रहीम, कवि गंग, बीरबल, होलराय, नरहरि बंदीजन, नरोत्तम दास स्वामी आदि कवियों का नाम प्रमुख रूप से आता है। कृष्ण भक्ति पर साहित्य में रचना करने वाले कवियों में आठ कवियों का प्रमुख स्थान रहा है। इन अष्ट कवियों की मंडली को Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवि कहा जाता है। इन प्रमुख कवियों की जानकारी हम निम्नानुसार प्राप्त करेंगे :
कुंभन दास | Kumbhan Dasकुंभनदास का जन्म 1468 ई. में गोवर्धन के निकट जमुनावटी गांव में हुआ था । यह प्रथम अष्टछाप कवि कहलाते हैं। यह अष्टछाप के वरिष्ठ कवि भी कहलाते हैं। इनके सात पुत्र थे। जिनमें सबसे छोटे चतुर्भुज दास है। एक बार अकबर ने इन्हे दरबार में बुलवाया था, तब उन्होंने यह पद सुनाया :
कांकरोली के विद्यासागर में इनके 186 पद प्राप्त होते हैं। कुम्भनदास का साहित्यिक सौष्ठव उतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि संगीत व लय की योजना। परमानंद दास | Parmanand Dasइनका जन्म 1493 ई. में उत्तर प्रदेश के कन्नौज के गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। काव्य सौंदर्य के दृष्टिकोण से इनका सूरदास और नंददास के बाद तीसरा स्थान है। बाल लीला के पद गाने में परमानंद का स्थान सूरदास के बाद दूसरा है। इनकी प्रमुख रचनाएं :
कृष्ण दास | Krishna Dasकृष्ण दास का जन्म गुजरात के राजनगर के चिलोतरा गांव में हुआ। ये निम्न कुनबी जाति के थे। इनकी मातृभाषा गुजराती थी। ये अधिकारी व प्रशासक वर्ग के नाम से विख्यात हैं । इनकी प्रमुख रचना :
इनकी एक शिष्या थी – गंगाबाई हिला। वह यह पद गाती थी :
सूरदास | Surdasइनके बारे में हम पूर्व में विस्तार से अध्ययन कर चुके हैं। सूरदास के जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये :
गोविंद स्वामी | Govind Swamiइनका जन्म 1505 ई. में भरतपुर के निकट आतरी नामक गांव में हुआ। यह एकमात्र Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवि हैं, जिनका संबंध राजस्थान से है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि स्वयं तानसेन इनसे पद गायन की शिक्षा लेने आते थे । इन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर विठ्ठलाचार्य से शिक्षा ली थी। छीतस्वामी | Chhit swamiइनका जन्म 1515 ईस्वी में मथुरा में हुआ था । ये मथुरा के चौबे ब्राह्मण थे। ये प्रारंभ में छेड़छाड़ और गुंडागिरी का कार्य करते थे। बाद में उन्होंने विठ्ठलाचार्य से शिक्षा ली। ये बीरबल के पुरोहित थे। गोवर्धन के निकट 1585 ईस्वी में पुंछरी नामक स्थान पर इनका देहांत हुआ। इनका एक पद चर्चित है :
चतुर्भुज दास | Chaturbhuj Dasये कुंभन दास के सबसे छोटे पुत्र थे। इनका जन्म -1530 ई. और मृत्यु – 1585 ई. में हुयी। इनका जन्म गोवर्धन के निकट जमुनावती नामक ग्राम में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएं :
नंददास | Nand Dasइनका जन्म राजापुर ग्राम में 1533 ई. में और मृत्यु – 1582 ई. में हुयी। Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवियों में सबसे कनिष्ठ और अंतिम कवि कहे
जाते हैं। नंद दास के जन्म के बारे में भक्तमाल में लिखा मिलता है :
इनकी प्रमुख रचनाएं :
नंददास की प्रमुख रचनाओं का विश्लेषण :नंददास की प्रमुख रचनाओं का विश्लेषण इस प्रकार है : रास पंचाध्यायी
सिद्धांत पंचाध्यायी
रूप मंजरी
रसमंजरी (1550 ई.)
विरह मंजरी
दोस्तों ! उम्मीद करते है कि आपको “Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवि और उनकी प्रमुख रचनाएं” के बारे में अच्छे से समझ आया होगा। कृष्ण भक्ति साहित्य में इन अष्टछाप कवियों का प्रमुख स्थान है। परीक्षा की दृष्टि से इन्हें ध्यान में अवश्य रखे। यह भी जरूर पढ़े :
एक गुजारिश :दोस्तों ! आशा करते है कि आपको “Ashtchhap Kavi | अष्टछाप कवि और उनकी प्रमुख रचनाएं” के बारे में हमारे द्वारा दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी I यदि आपके मन में कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके अवश्य बतायें I हम आपकी सहायता करने की पूरी कोशिश करेंगे I नोट्स अच्छे लगे हो तो अपने दोस्तों को सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूले I नोट्स पढ़ने और HindiShri.com पर बने रहने के लिए आपका धन्यवाद..! अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक प्रसिद्ध कवि कौन है?अष्टछाप के कवियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सूरदास हैं जिन्होंने अपनी महान रचना सूरसागर में कृष्ण के बाल-रूप, सखा-रूप तथा प्रेमी रूप का अत्यंत विस्तृत, सूक्ष्म व मनोग्राही अंकन किया है।
अष्टछाप के सर्वश्रेष्ठ कवि कौन हैं?अष्टछाप के भक्त कवियों में सबसे ज्येष्ठ कुम्भनदास थे और सबसे कनिष्ठ नंददास थे। काव्यसौष्ठव की दृष्टि से सर्वप्रथम स्थान सूरदास का है तथा द्वितीय स्थान नंददास का है। सूरदास पुष्टिमार्ग के नायक कहे जाते है। ये वात्सल्य रस एवं श्रृंगार रस के अप्रतिम चितेरे माने जाते हंै।
हिंदी में अष्टछाप के कवि कौन कौन से हैं?Ashtchhap Kavi | अष्टछाप के प्रमुख कवि. कुम्भनदास. परमानन्द दास. कृष्ण दास. सूरदास. गोविंद स्वामी. छीत स्वामी. चतुर्भुज दास. नंददास. अष्टछाप के निम्नलिखित कवियों में से कौन गोसाईं विट्ठलनाथ के शिष्य हैं?वल्लभाचार्य के पुत्र विट्ठलनाथ ने 1565 ई. में अष्टछाप की स्थापना की।. अष्टछाप कवियों में 4 शिष्य वल्लभाचार्य के व 4 शिष्य विट्ठलनाथ के थे।. |