अपने पूर्वजों के नाम कैसे पता करें - apane poorvajon ke naam kaise pata karen

अपने पूर्वजों के नाम कैसे पता करें - apane poorvajon ke naam kaise pata karen

यहां पिंडदान करवाने पहुंचे लोगों ने बताया कि यदि आप अपने पूर्वजों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं लेकिन आपको उनके बारे में जनने की उत्सुकता है और उनकी मोक्ष प्राप्ति के लिए वहां पहुंचे हैं तो वहां मौजूद पंडे आपको आपके पूर्वजों की सारी जानकारी दे देते हैं। लेकिन शर्त ये हैं कि आपके पूर्वज कभी गया में आए हों और उन्होंने पिंडदान किया हो।

अपने पूर्वजों के नाम कैसे पता करें - apane poorvajon ke naam kaise pata karen

पंडों के पास पोथियों की तीन स्तर पर होती है व्यवस्था

यहां पहुंचने वाले लोगों का नाम पंडों के पास सुरक्षित रहता है। क्योंकि जब भी कोई नया व्यक्ति पिंडदान के लिए गया पहुंचता है तो यहां पंड़ों द्वारा एक फॉर्म भरवाया जाता है जिसमें कि उनका नाम गोत्र से लेकर सभी चीज़ें लिखी होती है। बाद में उसे पोथियों के साथ रख दिया जाता है। इसी प्रकार यहां आकर पिंडदान कराने वाले सभी लोगों का नाम किसी न किसी पंडा के पास सुरक्षित 'पंडा-पोथी' में दर्ज है, जिसे पंडा बहुत आसानी से खोज निकालता है।

अपने पूर्वजों के नाम कैसे पता करें - apane poorvajon ke naam kaise pata karen

यहां के पंडों का दावा है कि उनके पास 250 से 300 सालों तक के बही-खाते सुरक्षित हैं। यही कारण है कि कई विदेशी या NRI अपने पूर्वजों की खोज के लिए भी इन पंडा-पोथी का सहारा लेते हैं। पंडों के मुताबिक गया के पंड़ों के पास पोथियों की तीन स्तरिय व्यवस्था होती है। जिससे वे आसानी से पूर्वजों की पोथी ढ़ूढ़ लेते हैं।

पहली पोथी इंडेक्स की तरह होती है, जिसमें सबंधित व्यक्ति के जिले, गांव और क्षेत्र का नाम होता है। उस पोथी में 250 से ज्यादा साल से उस गांव से आए लोगों के बारे में पूरी जानकारी होती है जिसमें व्यक्ति का पता, व्यवसाय और पिंडदान के लिए गया आने की तिथि लिखी होती है।

दूसरी पोथी हस्ताक्षर की होती है, जिसमें पंडों द्वारा लोगों से हस्ताक्षर करवाए जाते हैं और गया आए लोगों की जानकारी के साथ आने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर भी होते हैं। इसमें व्यक्ति का नाम, नंबर और पृष्ठ की संख्या दर्ज रहती है।

तीसरी पोथी में वर्तमान कार्यस्थल तक की जानकारी होती है। इस पोथी में किसी गांव के रहने वाले लोग अब कहां रह रहे हैं और क्या कर रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी इसमें होती है। पिंडदान के लिए आने वाले लोग अपने वंशज के मिल जाने के बाद सहजता से उस पंडे द्वारा कर्मकांड करवाते हैं और अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान करते हैं।

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लाल कपड़े में सुरक्षित होती है पोथियां

पुजारी के मुताबिक पोथियों को रासायनिक पदार्थों का उपयोग कर सुरक्षित रखा जाता है। इसके अलावा उन्हें लाल कपड़े में बांधकर रखा जाता है, जिससे की वो सुरक्षित रहे। बरसात से पहले सभी पोथियों को धूप में रखा जाता है, ताकि नमी के कारण पोथियां खराब ना हो जाएं।

अपनी वंशावली कैसे पता करें?

पंडों के पास पोथियों की तीन स्तर पर होती है व्यवस्था.
पहली पोथी इंडेक्स की तरह होती है, जिसमें सबंधित व्यक्ति के जिले, गांव और क्षेत्र का नाम होता है। ... .
दूसरी पोथी हस्ताक्षर की होती है, जिसमें पंडों द्वारा लोगों से हस्ताक्षर करवाए जाते हैं और गया आए लोगों की जानकारी के साथ आने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर भी होते हैं।.

अपने पूर्वजों ko कैसे पता करें?

जितना हो सके अपने परिवार के इतिहास के बारे में पता करें। पुराने फोटो एलबम देखें और अपने परिवार के सदस्यों से पूछें कि वे क्या जानते हैं। जहाँ तक उन्हें याद हो, दादा-दादी, परदादा-दादा-दादी और अन्य रिश्तेदारों के नाम पूछें। उन पूर्वजों के नाम, स्थान और समय निर्धारित करें जिनके बारे में आप जानना चाहते हैं।

वंशावली लेखन का कार्य कौन लोग करते हैं?

वंशावली लेखन के लिए क्षेत्रानुसार एक जाति समुदाय की ओर से यह कार्य किया जाता रहा हैं। जिसमें जागा, याज्ञिक, बरोठ, राव, भार, पुरोहित तथा पंडो को नामों से इन्हें जाना जाता रहा हैं।

वंशावली का क्या महत्व है?

वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान के राष्ट्रीय सचिव रामप्रसाद ने कहा कि वंशावली से सबसे अधिक लाभ यह होता है कि लोगों को यह पता लग सकता है कि उसके पूर्वज किस जाति और किस गोत्र के थे और किस धर्म के अनुयायी थे और किस देवी देवता की पूजा करा करते थे।