अपने गाँव या मुहल्ले के स्वच्छता अभियान पर एक समाचार तैयार कीजिए - apane gaanv ya muhalle ke svachchhata abhiyaan par ek samaachaar taiyaar keejie

स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय

स्कूलों में ज़्यादा स्वस्थ बच्चे औरशिक्षा में वॉशसहयोग करता है

  • में उपलब्ध:
  • English
  • हिंदी

स्कूल में बच्चे काफी समय बिताते हैं इसलिए इसमें दो मत नहीं है कि स्कूल का वातावरणउनके स्वास्थ्य और शिक्षा की निरंतरता मेंएक बड़ी भूमिका निभाता है। जब स्कूलों में लड़के और लड़कियों, दोनों के लिए स्वच्छ शौचालय होते हैं, स्वच्छ पानी मिलता है और माहौल स्वास्थ्यवर्धक होता है, तो इससे स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती है और सीखने में सहयोग मिलता है।

जब स्कूलों में पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य (वॉश) संबंधी सेवाएँउपलब्ध होती हैं,तो अधिक लड़कियां स्कूल पढ़ने जाती हैं, जिससे उनकीजल्दी शादी और गर्भधारण का खतरा कम होता है। ऐसा इसलिए होताहै कि लड़कियां मासिक धर्म के दौरान अक्सर स्कूल नहीं जाती, क्योंकि स्कूल में उपयुक्त सुविधाएं नहीं होती हैं;इससेधीरे-धीरे वो पढ़ाई में पीछे होने लगती हैं और यहां तक कि वे स्कूल छोड़ देती हैं। अध्ययनोंसे पता चला है कि भारत में स्कूल जाने वाली लड़कियों में से एक चौथाई लड़कियां मासिक धर्म के दौरान स्कूल नहीं गईं। इसका एक प्रमुख कारण है स्कूलों में लड़कियों के लिए अलगशौचालय का न होना, सैनिटरी पैड न मिलना और स्कूलों में उपलब्ध शौचालयों का गंदा होना (साथ ही उचित सफाई, पानी और सैनिटरी पैडकेलिएकूड़ेदान की सुविधाओं की कमी होना भी कारण है)[1]।

अध्ययन के अनुसार, भारत में लड़कियों के लिए लगभग 22 प्रतिशत स्कूलों में ठीक तरह से बने शौचालय नहीं थे, और 58 प्रतिशत प्रीस्कूलों में तो शौचालय ही नहीं थे(बच्चोंपरत्वरितसर्वेक्षण2013 - 14)। साथ ही, लगभग 56 प्रतिशत प्री-स्कूलों के परिसर में पानी नहीं था। भारत के कई गाँवों के स्कूलों में साफ़पानी भी एक प्रमुख मुद्दाहै, क्योंकि कई स्कूलों में लोहे, आर्सेनिक या फ्लोराइड जैसे दूषित पदार्थों के परीक्षण के लिए वहाँ पर्याप्त वॉटर ट्रीटमेंट (जल उपचार) की सुविधा नहीं है।

इस समस्या को दूर करने के लिए भारत सरकार ने देशभर में ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय’ (एसबीएसवी) या ‘क्लीन इंडिया, क्लीन स्कूल’ अभियान की शुरुआत साल 2014 में की थी। एसबीएसवी का लक्ष्य बच्चोंतथा उनके परिवारों और आस-पास के लोगोंकी स्वास्थ्य और स्वच्छता संबंधित आदतों में सुधार लाकर बच्चों के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर एक दिखने वाला बदलाव लाना है। इसका एक उद्देश्य यह भी है कि स्कूलों के भीतर स्वच्छता प्रथाओं और पानी तथा स्वच्छता सुविधाओं के सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा दिया जाए और वॉश पाठ्यक्रम और शिक्षण केतरीकों में सुधार हो। इससे बच्चों के स्वास्थ्य, स्कूल में दाखिला, हाज़िरी और उनके स्कूल मेंबनेरहने में सुधार हुआ है;साथ ही नई पीढ़ी के बच्चों के लिए रास्ता मज़बूत हुआ है।

एसबीएसवी अच्छी वॉश प्रथा पर विशेष ध्यान देता है, जिसमें साफ़पानी, सामूहिक हाथ धोना एवं शौचालय और साबुन की व्यवस्था करना शामिल है, ताकि सभी बच्चे और शिक्षक इसका उपयोग स्कूल परिसर में शौचालय के लिए कर सकें। इसमें ऐसेकार्य भी शामिल हैं जो स्कूलों में अच्छी प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं तथा जो पानी, सफाई और स्वच्छता से संबंधित बीमारियों को रोकने में मदद करते हैं।

[1] रिव्यूऑफ़मेंस्ट्रुअलहाइजीनमैनेजमेंटइनस्कूल्सइनइंडिया, डिपार्टमेंटऑफ़क्लीनिकलसाइंसेज, लिवरपूलस्कूलऑफ़ट्रॉपिकलमेडिसिन (एलएसटीएम), लिवरपूल, यूकेएंडयूनिसेफ2014 -15      

भारत के हर स्कूल में छह आवश्यक साधन होने चाहिए, जो कि स्कूल में साफ़ पानी, सफाईऔरस्वच्छता(वॉश) कार्यक्रम का निर्माण करती हैं।

  1. लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय और दोनों में साबुन की सुविधाएं।साथ ही उपयुक्त मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन सुविधाएं, कपड़े बदलने के लिए अलग स्थान, कपड़े धोने के लिए पर्याप्त पानी और मासिक धर्म संबंधित कचरों के लिए कूड़ेदान की सुविधाएं भी होनी चाहिए।
  2. कई लोगों के लिए एक साथ हाथ धोने की सुविधाएं होनी चाहिए, जिससे 10-12 छात्र एकही समय में हाथ धो सकें। हाथ धोने का स्थान साधारण, व्यापक करने योग्य और संधारणीय होना चाहिए, जिसमें पानी की खपत भी कम होती हो।
  3. बच्चों के लिए उपयुक्त और लंबे समय तक टिकने वाली सुरक्षित पेयजल व्यवस्था और हाथ धोने के लिए रोज़ाना पर्याप्त पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूल की सफाई तथा भोजन की तैयारी एवं उसे पकाने के लिए साफ़ पानी का इंतजाम भी वहाँ होना चाहिए। पूरे विद्यालय में पेयजल के सुरक्षित रखरखाव और भंडारण की व्यवस्था कियाजाना चाहिए।
  4. सभी पानी, स्वच्छता और हाथ धोने की सुविधाओं को स्वच्छ, इस्तेमाल करने योग्य और देख-रेख मेंरखने की आवश्यकता है, जिससे परिणाम सुनिश्चित किए जा सकेंऔर इन प्रणालियों पर किया गया व्यय व्यर्थ ना हो।
  5. पानी, सफाई और स्वच्छता से संबंधित व्यवहार-परिवर्तन का संदेश देने वाली क्रियाएँसभी बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा होनी चाहिए। महिला शिक्षकों द्वारा संवेदनशीलऔर सहायक तरीके से लड़कियों को उनके मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के बारे में सिखाया जाना चाहिए।
  6. कौशल, ज्ञान और अनुभव के सही समावेश को विकसित करने के लिए इस क्षेत्र में विभिन्न स्तरों परयोग्यता में सुधार किए जाने की जरूरत है, ताकि स्कूलों में पानी, सफाई और स्वच्छता कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से सुविधा, वित्त, प्रबंधन और निगरानी प्रदान की जा सके।

भारत में स्वच्छ स्कूलों के लिए भागीदारी

‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय’ अभियान के लिए यूनिसेफ भारत सरकार का एक मजबूत सहायक है, जो यह सुनिश्चित करने कीकोशिश कर रहा है कि भारत के प्रत्येक स्कूल मेंसफाई और स्वच्छतासंबंधित सुविधाएँ मौजूद हो।

हम यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तर पर काम कर रहे हैं कि स्कूलों में स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) और स्कूल विकास योजनाओं के लिए वॉश एक प्रमुख एजेंडा हो।हमारे कार्यक्रम लगातार बच्चों की वॉश के बारे में जानकारी और क्षमताबढ़ाने का प्रयास करते हैं, ताकि वे स्कूलों में वॉश सुविधाओं की माँग का अधिक समर्थन कर सकें।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए यूनिसेफ द्वारा स्कूलों में स्वच्छता, जागरूकता और अभ्यास किट विकसित किए गए थे। यह किट बच्चों को मज़ेदार तरीके से स्वच्छता की अच्छी आदतों को साझा करना एवं निरंतर पालन करना सिखाती है। यह किट सदैव शौचालय का प्रयोग करने और भोजन से पहले,शौच के बाद और खेलने के बाद साबुन से हाथ धोने पर केंद्रित है।

यूनिसेफ स्कूलों में वॉश कार्यक्रम पर अधिकारियों, शिक्षकों, संसाधन समन्वयकों और स्कूल के अन्य अधिकारियों के प्रशिक्षण में सहयोग कर रहा है, ताकि वॉश सुविधाओं के पर्यवेक्षण, संचालन और रखरखाव में कौशल अंतराल को संबोधित किया जा सके, और आसपास के समुदायों में पानी, सफाई और स्वच्छताकीगतिविधियों को बढ़ाया जा सके।

बच्चों के जीवन में स्कूल एक महत्वपूर्ण संस्थान है,और जब ये साफ-सुथरे होते हैं तो वे स्वच्छ और स्वस्थ समुदायों को बनाने में योगदान करते हैं, वर्तमान और भविष्य, दोनों में।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग