23 फरवरी, रविवार को फाल्गुन मास की अमावस्या है। अमावस्या की रात में चंद्र नहीं दिखता, इस रात में अंधेरा अधिक रहता है। अंधेरा होने से नकारात्मकता ज्यादा बढ़ जाती है। Show
Ujjain, First Published Feb 22, 2020, 11:01 AM IST उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अमावस्या की रात घर में कुछ खास जगहों पर दीपक जलाने से नकारात्मकता दूर की जा सकती है। दीपक की रोशनी से अंधकार समाप्त होता है और सकारात्मकता बढ़ती है। जानिए अमावस्या की रात घर के आसपास किन खास जगहों पर दीपक जलाना चाहिए... पहली जगह दूसरी जगह तीसरी जगह चौथी जगह पांचवीं जगह Last Updated Feb 22, 2020, 11:01 AM IST पितरों को अमावस का देवता माना गया है. शास्त्रों के अनुसार हर अमावस्या के दिन पितृ अपने घर अपने वंशजों के पास आते हैं और उनसे अपने निमित धर्म-कर्म, दान-पुण्य की आशा करते हैं. यदि हम उनके निमित अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो वह प्रसन्न होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद मिलता है.पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय ज्योतिष एवं तंत्र शास्त्र में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है. अमावस्या तिथि को हर तरफ घोर अंधकार छाया रहता है, ऐसे में यदि कोई मनुष्य नियमपूर्वक स्वच्छ वस्त्र धारण कर अमावस्या की रात्रि में कुछ स्थानों में दीपक का प्रकाश करें तो उस जातक को ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मनुष्य पर मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण. इनमें पितृ ऋण को सबसे प्रमुख माना गया है. पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त माता तथा परिवार के वह सभी दिवंगत सदस्य जो पितरों में शामिल हो गए है वह सभी पितृ ऋण में आते हैं. पितृ ऋण से मुक्ति के लिए, पितरों की तृप्ति के लिए, उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर कुछ विशेष उपाय अवश्य ही करने चाहिए. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात को इन पांच स्थानों पर तेल का दीपक जलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है और मां लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है. हिंदू धर्म में तुलसी को सर्वाधिक पवित्र तथा माता स्वरुप माना जाता है. सामान्यतः सभी हिन्दू परिवारों में तुलसी अवश्य ही मिलती है. तुलसी मां को घर-घर में पूजा जाता हैं. भगवान श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों को तुलसी के बिना भोग सम्पूर्ण ही नहीं समझा जाता है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में तुलसी के निकट एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए. इससे भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते है एवं मां लक्ष्मी भी उस घर को कभी भी छोड़कर नहीं जाती हैं. शास्त्रों एवं वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार को बहुत साफ और सजा कर रखना चाहिए. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर एक एक दीपक अवश्य जलाना चाहिए. इससे घर में प्रेम, हर्ष-उल्लास और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनता है और मां लक्ष्मी की असीम कृपा बनती है. अमावस्या की रात को घर की छत पर भी एक दीपक अवश्य जलाना चाहिए. इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और घर में किसी भी अशुभ शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है. अमावस की रात में घर की छत पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है. अमावस्या की रात्रि को घर के मंदिर में भी एक दीपक जलाना चाहिए. इससे हमें अपने इष्ट देवता, कुल देवता और सभी देवी-देवताओं की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है घर धन-धान्य से भरा रहता है. पीपल पर देवताओं और पितरों दोनों का वास माना गया है. अमावस्या की रात को पीपल के नीचे एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए. इससे शनि, राहु-केतु का प्रकोप शांत होता है. कुंडली के ग्रहों के शुभ फल मिलते हैं एवं पितरों की भी पूर्ण कृपा प्राप्त होता है. यदि पीपल का पेड़ किसी मंदिर में हो तो और भी उत्तम है. अमावस्या पर पितरों की पूर्ण कृपा प्राप्त करने के आसान से उपायपितरों को अमावस का देवता माना गया है. शास्त्रों के अनुसार हर अमावस्या के दिन पितृ अपने घर अपने वंशजों के पास आते हैं और उनसे अपने निमित धर्म-कर्म, दान-पुण्य की आशा करते हैं. यदि हम उनके निमित अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो वह प्रसन्न होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद मिलता है. यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होगी. पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है और मेहनत का उचित फल प्राप्त नहीं होता है. हर अमावस के दिन एक ब्राह्मण को अपने घर पर बुलाकर प्रेमपूर्वक भोजन कराना चाहिए. इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे और आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएंगी. घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेगी और आपका घर-परिवार को टोने-टोटकों के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा. हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए. तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में सादे जल में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डालकर पितरों का तर्पण करना चाहिए. तर्पण में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती पर किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है. ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चढ़ा देना चाहिए. उस जल को यहां-वहां नहीं बहाना चाहिए. पितृ दोष निवारण के लिए यदि कोई व्यक्ति अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुए 7 बार परिक्रमा करता है. तत्पश्चात् ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिए क्षमा मांगता है तो उसके पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते है एवं उनका पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. अगर सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है. शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक अमावस्या को पित्तर अपने घर पर आते हैं. अतः इस दिन हर व्यक्ति को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए. इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है. पितरों को खीर बहुत पसंद होती है. इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है. जीवन से अस्थिरताएं दूर होती हैं. इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए. प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए. इससे घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है और पितरों का पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. अमावस्या को करने चाहिए ये विशेष उपायहम सभी जानते हैं कि जब अमावस्या की रात आती है तो चारों तरफ अंधेरा होता है. ऐसे में यह रात टोटकों और तांत्रिक उपायों के लिए भी काफी उत्तम माना जाती है. इसके इलावा इस रात कुछ खास कार्य करने से जबरदस्त लाभ भी मिलता है. अमावस्या की रात उस व्यक्ति के लिए लाभदायक सिद्ध होती है, जिसे कालसर्प दोष होता है. ऐसे में आपको घर में एक अच्छे पंडित को बुलाकर पूजा या हवन करवाना चाहिए और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसके अलावा अमावस्या के दिन एक सूखा नारियल लेकर उसमें एक छेद करके रवा या आटा घी में सेककर उसे बूरा और चीनी से भर दें. इसके बाद उसे किसी निर्जन स्थान पर पेड़ के नीचे जहां चीटियां हों, वहां डाल कर रख दें और ध्यान रखें कि नारियल का खुला हिस्सा धरती के ऊपर ही हो. फिर वापस मुड़कर न देखें. बता दें कि यह बहुत ही अमोघ उपाय है. इससे दुःख पीड़ा दूर होती है और सुख समृद्धि, यश और हर्ष की प्राप्ति होती है. इस उपाय से पितृ दोष से भी शांति मिलती है. प्रत्येक अमावस्या के दिन करें ये खास उपाय
ये भी पढ़ें- सभी 12 राशि के जातकों पर पड़ेगा हरियाली अमावस्या का प्रभाव, किसी भी तरह के संकट से बचने के लिए जरूर अपनाएं ये उपायपूजा करते समय दीपक का मुख किधर होना चाहिए?पूजा करते समय ध्यान रखें कि घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर जलाना चाहिए। तेल का दीपक अपने दाएं हाथ की ओर रखना चाहिए।
अमावस्या के दिन पितरों के लिए क्या करना चाहिए?इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान तथा दान देने का भी खास महत्व है। * हर अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें। * 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें तथा पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।
घर की चौखट पर दीपक जलाने से क्या होता है?दीपक अंधकार खत्म करता है और प्रकाश फैलाता है। मान्यता है देवी-देवताओं को दीपक की रोशनी विशेष प्रिय है, इसीलिए पूजा-पाठ में दीपक अनिवार्य रूप से जलाया जाता है। रोज शाम के समय मुख्य द्वार के पास दीपक लगाना चाहिए। ये दीपक घर में नकारात्क ऊर्जा के प्रवेश को रोकता है।
अमावस्या की रात को क्या करना चाहिए?अमावस्या के अन्य उपाय
अमावस्या के दिन मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं। अमावस्या के दिन काली चींटियों को शक्कर मिला हुआ आटा जरूर खिलाएं। शाम के वक्त किसी अच्छे पुरोहित को बुलाकर घर में हवन करवाएं। अमावस्या की तिथि प्रमुख रूप से पितरों को समर्पित होती है।
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