अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता है तथा धूल और मिट्टी में क्या अंतर है? - akhaade kee mittee kee kya visheshata hai tatha dhool aur mittee mein kya antar hai?

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 Dhool Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

प्रश्न1. हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?

उत्तर: हीरे के प्रेमी उसे साफ-सुथरा तथा आंखों में चकाचौंध पैदा करता हुआ देखना पसंद करते हैं।

प्रश्न2. लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?

उत्तर: लेखक ने अखाड़े की मिट्टी में लेटने के सुख को दुर्लभ माना है।

प्रश्न3. मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?

उत्तर: मिट्टी की आभा धूल है, उसकी पहचान धूल के रंग- रूप से ही होती है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न1. धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?

उत्तर: धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना इसलिए नहीं की जा सकती क्योंकि धूल में पडकर शिशु कई प्रकार के खेल खेलते हैं। उनके मुंह पर मिट्टी तथा धूल पडते वह उसकी सुंदरता को ओर बड़ा देते है। इसलिए हम धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना नहीं कर सकते।

प्रश्न2. हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?

उत्तर: हमारी सभ्यता धूल से इसीलिए बचना चाहती है क्योंकि उन्हें लगता है कि धूल उनकी सुंदरता छीन लेती है। इस कारण वह ऊंची ऊंची इमारतों पर रहते हैं। उनको नहीं पता की धूल कोई बुरी चीज नहीं है।

प्रश्न3. अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?

उत्तर: अखाड़े की मिट्टी को दूध, तेल तथा मट्ठे से मिलाया जाता है। इस वजह से अखाड़े की मिट्टी साधारण मिट्टी से भिन्न होती है।

प्रश्न4. श्रद्धा, भक्ति, स्नेह को व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकर है?

उत्तर: श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन इसलिए है क्योंकि क्षत्रिय अपने स्थान में आकर धूल को अपने माथे से लगाकर तथा पहलवान अखाड़े में धूल को माथे से लगाकर उसके प्रति अपना श्रद्धा तथा भक्ति प्रकट करता है। इसलिए श्रद्धा, भक्ति, स्नेहा की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन है।

प्रश्न5. इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर: इस पाठ में लेखक ने नागरिया सभ्यता पर यह व्यंग किया है कि वह धूल से बचना चाहते हैं। उन्हें धूल से कोई मतलब नहीं हैं, उन्हें तो सिर्फ कांच और हीरे पसंद है। इस पाठ में लेखक ने नागरिक सभ्यता पर यह व्यंग किया है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:

प्रश्न1. लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?

उत्तर: लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ इसलिए मानते हैं, क्योंकि वह गोधूलि का महत्व जानते हैं और उन्हें पता है कि गोधूलि उनके मुंह पर निखार प्रकट करती है। इसलिए लेखक बालकृष्ण के मुंह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ मानते हैं।

प्रश्न2. लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?

उत्तर: लेखक ने धूल और मिट्टी में अंतर बताया कि धूल और मिट्टी दोनों एक दूसरे से मिलते जुलते शब्द है। धूल और मिट्टी में उतना ही अंतर है। जैसे: शब्द और रस में, सूरज और चांद में।

प्रश्न3. ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?

उत्तर: ग्रामीण परिवेश में प्राकृतिक धूल के द्वारा अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है। जैसे: शिशु के मुंह पर जिस प्रकार फूल शोभा प्रकट करते हैं। ठीक उसी प्रकार धूल भी शिशु के मुंह पर शोभा प्रकट करती है। शाम की धुल ग्रामीण परिवेश में इतनी सुंदर लगती है उतनी वह शहरों में नहीं लगती।

प्रश्न4. ‘हीरा वही घन चोट न टूटे’- का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: ‘ हीरा वही घन चोट न टूटे’ इसका अर्थ है कि हीरा हथौड़े की चोट से भी नही टूटता है। ठीक उसी प्रकार ग्रामीण लोग भी मेहनत करते हैं कभी हार नहीं मानते। चाहे सामने कितनी भी मुसीबत आ जाए कभी हार नही मानते है।

प्रश्न5. धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की योजनाओं को स्पष्ट निम्न प्रकार से किया गया है।

– ‘धूल’ जीवन का यथार्थवादी गद्य है।

– ‘धूलि’ उसी जीवन की कविता है।

– ‘धूली’ छायावादी दर्शन है।

– ‘धूरि’ लोक संस्कृति का नवीन संस्करण है।

– ‘गोधूलि’ गायों एवं ग्वालों के पैरों से उड़ने वाली धूलि है।

प्रश्न6. ‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस पाठ धूल में लेखक ने धूल के महत्व को बताया हैं। इसमें उन्होंने बताया है, कि शहर के लोग किस प्रकार धूल से डरते हैं, परंतु ग्रामीण लोगों उसे आभूषण की रहा अपने शरीर से लगाते है।

प्रश्न7. कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने क्या कहा है?

उत्तर: लेखक ने जब पुस्तक विक्रेता द्वारा भेजा निंमत्रण पत्र पढ़ा उसमे गोधूलि की बेला में आने का आग्रह था। तो लेखक ने इसे कविता की विडंबना माना। क्योंकि कवियों ने गोधूलि की महिमा बताई है। परन्तु यह गोधूलि गायों, ग्वालों के पैरो से उड़ती ग्राम की धूलि थी। शहरी लोग इसकी सुंदरता और महत्ता को कहाँ समझ पाते हैं। इसका अनुभव तो गाँव में रहकर ही किया जा सकता है। यहाँ तक कि कविता के पास भी इसके महत्व के बयान की क्षमता नहीं होती।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न1. फूल के ऊपर जो रेनू उसका श्रृंगार बनती है वही धूल शिशु के मुंह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।

उत्तर: आशय से यह है कि धूल को भूल कर भी हेय नहीं मानना चाहिए। क्योंकि यही धूल फूलों की पंखुड़ियों पर और छोटे बच्चों के चेहरे पर पड़कर उनके सौंदर्य को और भी बढ़ा देती है।

प्रश्न2. ‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?

उत्तर: लेखक का आशय यह है कि वह नर धन्यवाद के पात्र हैं जो धूल में खेल रहे शिशुओं को बिना संकोच के गोदी में उठा कर उन्हें गले से लगा लेते हैं।

किंतु लेखक के मन में धूल को लेकर गर्व नहीं है क्योंकि लेखक धूल को मैला करने वाली चीज मानता है।

प्रश्न3. मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में चाँद और चाँदनी में।

उत्तर: आशय यह है कि जिस तरह शब्द में रस निहित है, शरीर में प्राण और चाँद में चाँदनी। इसी प्रकार मिट्टी और धूल का अटूट संबंध है। क्योंकि धूल मिट्टी का ही अंश है। इसे मिट्टी से उसी तरह से अलग नहीं किया जा सकता है। जैसे रस को शब्द से, देह को प्राणों से और चाँदनी को चाँद से।

प्रश्न 4. हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।

उत्तर: लेखक नगर में बसने वालें सच्चे देशभक्तों से कहता है। कि तुम इस धूल को अपने माथे से लगाओ।

क्योंकि सच्चे वीर देश की मिट्टी को अपने मस्तिष्क पर लगाकर गर्व महसूस करते हैं। परंतु यदि तुम इतना नहीं कर सकते तो कम-से-कम इसे अपने पांव से लगाओ। इनसे संपर्क न तोड़ो। इनका तिरस्कार न करो। इनका महत्त्व स्वीकार करो।

प्रश्न 5. वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।

उत्तर: यहां हीरा ग्रामीण लोगों का और कांच शहरी लोगों का सूचक है। घन की चोट खाने पर भी न टूटकर हीरे ने अपनी दृढ़ता का परिचय दिया है। उसी तरह ग्रामीण, हीरे की तरह मज़बूत और सुदृढ़ होते हैं। लेकिन ज्यादा सताए जाने पर वे उलटकर वार भी कर सकते हैं। समय का हथौड़ा इस सच्चाई को सामने लाता है।

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अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषताएं होती है?

Answer: अखाड़े की मिट्टी साधारण धूल नहीं होती। यह मिट्टी अखाड़े में अपने गांव आजमाने वाले जवानों के शरीर पर लगे तेल, मट्ठे और उनकी मेहनत से बहे हुए पसीने से सिझाई हुई होती है। अखाड़े में परिश्रम करने से पसीने से तर बतर जवानों के शरीर पर यह मिट्टी ऐसे फिसलती है जैसे वह कुआं खोदकर बाहर निकला हो।

लेखक के अनुसार धूल और मिट्टी में क्या अंतर है?

Answer: लेखक ने धूल और मिट्टी में बहुत अंतर बताया है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, मिट्टी रुप है तो धूल प्राण है। मिट्टी की आभा धूल है तो मिट्टी की पहचान भी धूल है।

मिट्टी की आभा क्या है?

मिट्टी की आभा का नाम 'धूल' है और मिट्टी के रंग-रूप की पहचान उसकी धूल से ही होती है।

धूल पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है?

Answer: प्रस्तुत पाठ का शीर्षक 'धूल' एक महान उद्देश्य लिए हुए है। लेखक भारत को गाँवों का देश ही मानता है। ग्राम्य संस्कृति की गरिमा को अक्षुण्ण रखने के उद्देश्य से वह 'धूल' के बहाने गाँव, मिट्टी के घरों, कच्ची धूल भरी सड़कों, खेतों, खलिहानों, बगीचों, तालाबों के प्रति हमारा ध्यान आकृष्ट कराना चाहता है।