अपठित काव्यांश अपठित काव्यांश अपठित काव्यांश किसी कविता का वह अंश होता है, जो पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों से नहीं लिया जाता है। इस अंश को छात्रों द्वारा पहले नहीं पढ़ा गया होता है। अपठित काव्यांश का उद्देश्य काव्य पंक्तियों का भाव और अर्थ समझना, कठिन शब्दों के अर्थ समझना, प्रतीकार्थ समझना, काव्य सौंदर्य समझना, भाषा-शैली समझना तथा काव्यांश में निहित संदेश। शिक्षा की समझ आदि से संबंधित
विद्यार्थियों की योग्यता की जाँच-परख करना है। अपठित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों को हल करने से पहले काव्यांश को दो-तीन बार पढ़ना चाहिए तथा उसका भावार्थ और मूलभाव समझ में आ जाए। इसके लिए काव्यांश के शब्दार्थ एवं भावार्थ पर चिंतन-मनन करना चाहिए। छात्रों को व्याकरण एवं भाषा पर अच्छी पकड़ होने से यह काम आसान हो जाता है। यद्यपि गद्यांश की तुलना में काव्यांश की भाषा छात्रों को कठिन लगती है। इसमें प्रतीकों का प्रयोग इसका अर्थ कठिन बना देता है, फिर भी निरंतर अभ्यास से इन कठिनाइयों पर विजय पाई जा
सकती है। अपठित काव्यांश संबंधी प्रश्नों को हल करते समय निम्नलिखित प्रमुख बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए – काव्यांश को हल करने में आनेवाली कठिनाई से बचने के लिए छात्र यह उदाहरण देखें और समझें – प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः
5. उदाहरण (उत्तर सहित) 1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – प्रश्नः
1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 2. चाहे जिस देश प्रांत पुर का हो प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 3. जब बहुत सुबह चिड़िया उठकर, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 4. क्षमा शोभती उस भुजंग को प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 5. सुरपति के हम ही हैं अनुचर जगतप्राण के भी सहचर, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 6. ओ नए साल, कर कुछ कमाल, जाने वाले को जाने दे. प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः
4. प्रश्नः 5. 7. स्वर में पावक यदि नहीं, वृथा वंदन है, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 8. साक्षी है इतिहास हमीं पहले जागे हैं, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 9. नहीं, ये मेरे देश की आँखें नहीं हैं प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 10. इन नील विषाद गगन में; प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 11. मलयज का झोंका बुला गया प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 12. छोड़ो मत अपनी आन, शीश कट जाए, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 13. सुरभित, सुंदर सुखद सुमन तुझ पर खिलते हैं, जो आवश्यक होते हमें, मिलते सभी पदार्थ हैं। दीख रही हैं कहीं दूर पर शैलश्रेणी, मृदु मलय वायु मानो तुझे चंदन चारु चढ़ा रही। क्षमामयी, तू दयामयी है, क्षेममयी है, हे शरणदायिनी देवि, तू करती सब का त्राण है। प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 14. मेले से लाया हूँ इसको प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 15. चंदा-तारों-सी सहज कांति, नदियों में है मुसकान भरी, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 16. नमन उन्हें मेरा शत बार! प्रश्नः 1. प्रश्नः
2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 17. मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में
बसा है। नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं, जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे, मैदान-गिरि-वनों में हरियालियाँ लहकतीं, जिसके अनंत धन से धरती
भरी पड़ी है, पृथ्वी-निवासियों को जिसने प्रथम जगाया, प्रश्नः 1. प्रश्नः
2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 18.ऐ अमरों की जननी, तुझको शत-शत बार प्रणाम। प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 19. नवीन कंठ दो कि मैं नवीन गान गा सकूँ, नवीन दृष्टि का नया विधान आज हो रहा, युगांत की व्यथा लिए अतीत आज रो रहा, नए समाज के लिए नवीन नींव पड़ चुकी, भविष्य-द्वार मुक्त से स्वतंत्र भाव से चलो, प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. 20. अरे निर्जन वन के निर्मल-निर्झर! प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. प्रश्नः 4. प्रश्नः 5. NCERT Solutions for Class 9 Hindiजर्रा जर्रा में कौन सा अलंकार है?'जर्रा-जर्रा' में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
थल थल में कौन सा अलंकार है?इस काव्यांश में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
जरी जरी में कौन सा अलंकार है?प्रस्तुत पद में यमक अलंकार है। इस पद में जरी शब्द में यमक अलंकार है क्योंकि इसका दो बार प्रयोग हुआ है और दोनों ही बार उसके अलग अलग अर्थ प्रकट हो रहे है।
में कौन सा अलंकार है?भारतीय साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं।
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