अक्षय तृतीया का दिन
* इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
* प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
* ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
* इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
* आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना
चाहिए।
* नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया
* इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
* इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
* नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।* श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
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हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
* वृंदावन के श्री बाँकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढँके रहते हैं।
व्रत कथा : प्राचीनकाल में सदाचारी तथा देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था। उसका परिवार बहुत बड़ा था।
इसलिए वह सदैव व्याकुल रहता था। उसने किसी से इस व्रत के माहात्म्य को सुना। कालांतर में जब यह पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया।
विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की। गोले के लड्डू, पंखा, जल से भरे घड़े, जौ, गेहूँ, नमक, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना तथा वस्त्र आदि दिव्य वस्तुएँ ब्राह्मणों को दान कीं। स्त्री के बार-बार मना करने, कुटुम्बजनों से चिंतित रहने तथा बुढ़ापे के कारण अनेक रोगों से पीड़ित होने पर भी वह अपने धर्म-कर्म और दान-पुण्य से विमुख न हुआ। यही वैश्य दूसरे जन्म में
कुशावती का राजा बना।
अक्षय तृतीया के दान के प्रभाव से ही वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना। वैभव संपन्न होने पर भी उसकी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं हुई।
अक्षय तृतीया का माहात्म्य
* जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
* इस दिन परशुरामजी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।* शुभ व पूजनीय कार्य इस दिन
होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
* श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
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जानिए क्या करें और क्या न करें
सनातन धर्म में वैशाख मास का काफी महत्व है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह शुभ तिथि 26 अप्रैल दिन रविवार को है और यह बेहद शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था। मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले दान का फल अक्षय होता है यानी कई जन्मों तक इसका लाभ मिलता है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया पर क्या करना चाहिए और क्या नहीं….
अक्षय तृतीया पर क्या करें
नवग्रह की होती है शांति
अक्षय तृतीया पर कलश का दान व पूजन अक्षय फल प्रदान करता है। इस जल से भरे कलश को मंदिर या किसी जरूरतमंद को दान करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पितरों को भी अक्षय तृप्ति होती है और नवग्रह की शांति होती है।
इनका पाठ करना होता है बेहद शुभ
इनकी विशेष कृपा होती है प्राप्त
अक्षय तृतीया पर तुलसी की जड़ को दूध से सींचे। भगवान विष्णु की पूजा को तुलसी पत्र के बिना अधूर माना जाता है। ऐसा करने पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या ना करें
माता लक्ष्मी नही आतीं घर
अक्षय तृतीया का दिन पुण्य कार्य करने का होता है। इस दिन ऐसा कोई कार्य ना करें, जिससे किसी के मन को दुख पहुंचे। साथ ही किसी से कड़वा बोलना भी अच्छा नहीं माना गया है। इस दिन स्वार्थ नीहित कार्य करना चाहिए। अगर आप दुसरों को दुख पहुंचाएंगे तो माता लक्ष्मी कभी नहीं आएंगी।
एक दिन पहले कर लें यह कार्य
माना जाता है अशुभ
भविष्य पुराण में बताया गया है कि अक्षय तृतीया पर भूलकर भी उपनयन संस्कार नहीं करना चाहिए। इस दिन आपको पहली बार जनेऊ बिल्कुल धारण नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।