उत्तर:-यह हिटलर द्वारा जर्मनी में प्रतिपादित सिद्धांत था| यह सैनिकवाद,वीरपूजा , राज्य की सर्वोच्चता के सिद्धांत, यहूदी विरोधी विचारधारा तथा आर्य प्रजाति की श्रेष्ठता का समन्वय था|
2. हिटलर के उत्कर्ष में वर्साय संधि का क्या महत्व था?
उत्तर:- वर्साय की संधि को जर्मनी की जनता एक अपमानजनक संधि मानती थी| उसे सैनिक एवं आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया गया| अतः जर्मन वर्साय की संधि को "एक राष्ट्रीय कलंक" मानते थे| हिटलर ने जनभावना को और अधिक उभारा और जनता में अपनी पहचान बनायी| धीरे धीरे जर्मन जनता हिटलर के नाजी दर्शन की ओर आकर्षित हुयी| वर्साय की संधि हिटलर को राजनीतिक उत्कर्ष की ओर ले गया|
3. वेमर गणतंत्र ने हिटलर के उदय का मार्ग कैसे प्रशस्त कर दिया?
उत्तर:-वेमर गणतंत्र ने 10 अगस्त, 1919 को वेमर संविधान लागू किया| इसके अनुसार जर्मनी में संघीय शासन व्यवस्था लागू की गयी तथा राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियाँ दी गयी| नयी सरकार ने ही वर्साय की अपमानजनक संधि की| इसकी जर्मनी में काफी तीखी प्रतिक्रिया हुयी| हिटलर ने भी जर्मन के साथ अपना स्वर मिलाया| सामाजिक स्तरीकरण में सैनिकों का महत्व बढ गया| राजनेता और सेना उग्र राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय सम्मान की माँग करने लगे| हिटलर ने भी इसी विचार को नाजीवाद के रूप में प्रस्तुत किया| वेमर गणतंत्र ने हिटलर के उदय का मार्ग प्रस्तुत किया|
4. जर्मन पूंजीपतियों ने हिटलर का साथ क्यों दिया?
उत्तर:-जर्मनी का एक बड़ा जनसमुदाय, जिसमें मध्यम वर्ग और बेरोजगार थे, यहूदी विरोधी थे| साधारण जनता भी यहूदियों से घृणा करती थी| वह यहूदियों को सूदखोर मानकर आर्थिक दूर्दशा के लिए उन्हें उत्तरदायी मानती थी| हिटलर ने यहूदियों के प्रति घृणा का प्रचार किया| हिटलर के इन विचारों का सेना, उद्योगपतियों, भूमिपतियों एवं गणतंत्र विरोधी राजनीतिज्ञों पर बड़ा प्रभाव पड़ा| वे सभी हिटलर को जर्मनी का मसीहा मानकर उसके साथ हो गये|
5. हिटलर की यहूदियों के प्रति क्या नीति थी?
उत्तर:-हिटलर ने यहूदियों को नष्ट करने की नीति अपनायी| यहूदियों को अवांछित प्रजाति घोषित कर अवर्णनीय अत्याचार किये| यहूदी छात्रों एवं शिक्षकों को स्कूलों से निकाल दिया गया| यहूदियों को नौकरियों से निकाल दिया गया| उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई | मताधिकार से वंचित कर नागरिकता छीन ली गई| यहूदियों को जर्मन छोड़कर जाने को विवश किया गया| यातना शिविरों में पशुओं की तरह रखा गया| गैस चैंबर में डालकर लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई|
6. हिटलर ने शिक्षा व्यवस्था में क्या परिवर्तन किए?
उत्तर:-हिटलर ने शिक्षा की पद्धति में अनेक परिवर्तन किए| सरकारी नियंत्रण में शिक्षा की व्यवस्था की गई| शिक्षालयों में विद्यार्थियों पर नाजी दर्शन थोपा गया| पाठ्यपुस्तक पुनः लिखवाया गया| प्रजाति विज्ञान को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया| शारीरिक गठन एवं चरित्र बल पर विशेष ध्यान दिया गया| विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में जर्मन जाति की श्रेष्ठता की शिक्षा दी जाती थी| यहूदियों से घृणा करने, हिटलर के प्रति समर्पण एवं वीर पूजा की शिक्षा दी जाती है| जर्मन युवकों को राजनीतिक सैनिक बनाना ही नाजी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य था|
7. हिटलर ने आर्थिक व्यवस्था में क्या सुधार किए?
उत्तर:-हिटलर ने योजनाबद्ध रुप से जर्मनी का आर्थिक विकास करने का निश्चय किया| सभी आर्थिक सुधार राजकीय नियंत्रण में किये गए| कृषि के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम बनाया गया जिससे खाद्यान्न उत्पादन में जर्मनी शीघ्र आत्मनिर्भर हो सके| उद्योगों के विकास के लिए चतुवर्षीय योजना 1936 में लागू की गयी जिससे स्वावलंबी बन सके कारखानों में तालाबंदी, हड़ताल आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया| जर्मन लेबर फ्रंट का निर्माण पर पूंजीपतियों उद्योपतियों और श्रमिकों के झगड़े दूर करने का प्रयास किया गया| स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन एवं उपभोग पर बल दिया गया| आयात को नियंत्रित किया गया, निर्यात को बढ़ावा दिया गया| हिटलर के इन कार्यों से जर्मनी में पुनः आर्थिक प्रगति हुई|
8. रोम बर्लिन टोकियो धुरी का गठन कैसे हुई?
उत्तर:-अबीसीनियाई युद्ध में जर्मनी ने इटली की सहायता की थी| फलतः, रोम (इटली की राजधानी) और बर्लिन (जर्मनी की राजधानी) ने आपस में एक संधि कर ली| यह रोम बर्लिन धुरी के नाम से विख्यात हुआ| 1936 में जर्मनी और जापान ने साम्यवाद के विरुद्ध एक आपसी समझौता (कामिण्टर्न विरोधी समझौता) किया| 1937 में इटली भी इसमें सम्मिलित हो गया| फलतः यह त्रिदलीय संधि रोम बर्लिन टोकियो धुरी के नाम से विख्यात हुई|
9. हिटलर ने पोलैंड पर क्यों आक्रमण किया? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:-वर्साय की संधि में पोलैंड को जो पोलिश गलियारा दी गई थी उसे हिटलर ने वापस माँगा | हिटलर की माँग को पोलैंड ने ठुकरा दिया| फलतः 1 सितम्बर 1939 को हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया| इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ हो गया|
हिटलर का उदय – नात्सीदल और उसके प्रमुख नेता हिटलर ने जो आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त की, उसके मूल में अनेक राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक कारण निहित थे। उनमें कुछ निम्नलिखित थे-
हिटलर का व्यक्तित्व
नात्सीदल के उत्कर्ष का एक प्रमुख कारण उसका आकर्षक कार्यक्रम था। जर्मनी के अधिकांश दलों ने इस कार्यक्रम में अपने कार्यक्रम की झलक देखी। नात्सी कार्यक्रम में, सम्पत्ति की सुरक्षा का आश्वासन तथा साम्यवादियों का दमन, श्रमिकों को शोषितों से मुक्ति का, उपभोक्ताओं को उत्पादकों के शोषण से बचाने का, छोटे-छोटे व्यापारियों को बङे-बङे मुनाफाखोरों से बचाने का आश्वासन दिया गया। हिटलर के इस कूटनीतिक कार्यक्रम ने सबको संतुष्ट कर दिया। इसके अलावा, इस कार्यक्रम का जोर-शोर के साथ प्रचार किया गया। नात्सी दल के तूफानी दस्तों के सैनिक शक्ति प्रदर्शन से जहाँ अन्य दलों के कार्यकर्त्ता भयभीत हो गए थे, वहीं सामान्य लोगों को यह विश्वास होने लगा था कि नात्सी दल ही जर्मनी को स्थाई शांति तथा व्यवस्था प्रदान कर सकेगा।