अच्छा अतिथि कौन कहलाता है तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर? - achchha atithi kaun kahalaata hai tum kab jaoge atithi paath ke aadhaar par?

अच्छा अतिथि कौन कहलाता है तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर? - achchha atithi kaun kahalaata hai tum kab jaoge atithi paath ke aadhaar par?

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प्रश्न 1. अच्छा अतिथि कौन कहलाता है ?तुम कब जाओगे अतिथि' पाठ के आधार पर लिखिए।

  • Posted by Khushi Kaur 1 year, 9 months ago

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    sorry, i couldn't write this answer in hindi in very well manner.?

    उत्तर: - अच्छा अतिथि वह होता है जिसके साथ हम कुछ दिन रहना पसंद करते हैं और फिर वह अपने घर वापस चला जाता है।

    अच्छा अतिथि कौन कहलाता है तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर? - achchha atithi kaun kahalaata hai tum kab jaoge atithi paath ke aadhaar par?

    Posted by Munish Munish 2 months ago

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    Posted by Anshika Raj 1 month, 2 weeks ago

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    Posted by Aahan Mathur 4 weeks, 1 day ago

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    Posted by Kaif Saudagar 2 weeks ago

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    Posted by Vansh Jain 5 days, 9 hours ago

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    Posted by Ritu Arora 2 months, 1 week ago

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    Posted by Akansha Pandey 1 month, 2 weeks ago

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    Posted by Lakhina Mandloi 1 month, 2 weeks ago

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    Posted by Thanveer Mohammed 1 month ago

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    Posted by Netaish Bhat 2 weeks, 6 days ago

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    अच्छा अतिथि कौन कहलाता है तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर? - achchha atithi kaun kahalaata hai tum kab jaoge atithi paath ke aadhaar par?

    अति लघू उत्तरीय प्रश्न

    (प्रत्येक 1 अंक)

    प्रश्न 1. कैलेण्डर की तारीख फड़फड़ाने का क्या आशय है? ‘तुम कब जाओगे अतिथि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
    अथवा
    कैलेण्डर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही थीं? 
    उत्तरः बेचैनी से दिन बीत रहे हैं। लेखक अपने अतिथि को दिखाकर दो दिनों से तारीखें बदल रहा था। ऐसा करके वह अतिथि को यह बताना चाह रहा था कि उसे यहाँ रहते हुए चौथा दिन शुरू हो गया है। तारीखें देखकर शायद उसे अपने घर जाने की याद आ जाए। यदि अतिथि थोड़ी देर तक टिकता है तो वह देवता रूप बनाए रखता है, पर फिर वह मनुष्य रूप में आ जाता है।
    व्याख्यात्मक हल:
    अतिथि के जाने के इन्तजार में लेखक के दिन बहुत बेचैनी से बीत रहे हैं।
    प्रश्न 2. स्नेहपूर्वक मिलने के बावजूद लेखक अपने मित्र के आने पर आशंका से क्यों ग्रस्त थे?
    उत्तरः पता नहीं कब तक ठहरेगा।
    व्याख्यात्मक हल:
    मित्र के आने पर लेखक उससे बहुत स्नेह के साथ मिला लेकिन इसके साथ लेखक को अतिथि के अधिक दिन रुकने की शंका व भय था।

    प्रश्न 3. डिनर पर मध्यमवर्गीय हिसाब से उच्च श्रेणी का भोजन क्यों परोसा गया? 
    उत्तरः जिससे अतिथि के मन पर मेहमान नवाजी की छाप रहे और सम्भावना थी कि अतिथि एकाध दिन ही ठहरेंगे।

    प्रश्न 4. लेखक का सौहार्द बोरियत में क्यों बदल गया? ‘तुम कब जाओगे अतिथि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
    उत्तरः मेहमान के लम्बे समय तक टिकने व अनचाहा बोझ बनने के कारण।
    व्याख्यात्मक हल:
    लेखक का सौहार्द बोरियत में इसलिए बदल गया क्योंकि मेहमान को आए चार दिन हो चुके थे वह जाने का नाम नहीं ले रहा था अब वह एक अनचाहे बोझ के समान लग रहा था जिससे लेखक मुक्त होना चाहता था।

    लघु उत्तरीय प्रश्न

    (प्रत्येक 2 अंक)

    प्रश्न 1. उफ, तुम कब जाओगे, अतिथि? इस प्रश्न के द्वारा लेखक ने पाठकों को क्या सोचने पर विवश किया है?
    उत्तरः इस प्रश्न द्वारा लेखक ने पाठकों को यह सोचने पर मजबूर किया है कि अच्छा अतिथि कौन होता है? वह, जो पहले से अपने आने की सूचना देकर आए और एक-दो दिन मेहमानी कराके विदा हो जाए न कि वह, जिसके आगमन के बाद मेज़बान वह सब सोचने को विवश हो जाए, जो इस पाठ का मेज़बान निरन्तर सोचता रहा। उफ! शब्द द्वारा मेज़बान की उकताहट को दिखाया गया है।

    प्रश्न 2. अच्छा अतिथि कौन कहलाता है ? 
    उत्तरः वास्तव में अच्छा अतिथि तो वही होता है जो पहले से अपने आने की सूचना देकर आए और एक या दो दिन की मेहमानी कराकर विदा ले।

    प्रश्न 3. लेखक का बटुआ क्यों काँप गया? ‘तुम कब जाओगे अतिथि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
    अथवा
    ”अन्दर ही अन्दर कहीं मेरा बटुआ काँप गया।“ कथन की व्याख्या कीजिए।
    उत्तरः अतिथि के स्वागत-सत्कार में अधिक खर्च होने व आर्थिक स्थिति बिगड़ने के डर से लेखक का बटुआ काँप उठा।
    व्याख्यात्मक हल:
    जिस दिन अतिथि आया, मेजबान को उस दिन आशंका हुई कि कहीं वह कुछ दिन ठहरने की इच्छा से तो नहीं आया। उसकी आवभगत पर होने वाले खर्चे का अनुमान लगा कर लेखक भयभीत हो उठा था। उसे अपनी आर्थिक स्थिति बिगड़ने की आशंका सताने लगी।

    प्रश्न 4. मध्यम वर्गीय लोग अपने अतिथियों का स्वागत अपनी सीमा से बढ-चढ़कर क्यों करते हैं?उत्तरः मध्यमवर्ग में दिखावा छाया हुआ है इसलिए स्वागत-सत्कार में बजट बिगड़ जाता है और दो-चार दिन में ही हालत पतली हो जाती है।

    प्रश्न 5. लेखक ने अतिथि का स्वागत किस प्रकार किया?
    उत्तरः
    लेखक ने अतिथि का स्वागत एक स्नेह-सी मुस्कराहट के साथ किया तथा एक उच्च-मध्यम वर्ग के परिवार के समान उसे डिनर, लंच कराया तथा रात को सिनेमा भी दिखाने ले गया।

    प्रश्न 6. अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने किस आशा के साथ अतिथि का सत्कार किया? और, किस रूप में?
    उत्तरः
    अगर विदा होते तो हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाते।
    व्याख्यात्मक हल:
    अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि में सिनेमा दिखाया। लेखक ने सोचा कि इसके बाद तुरंत भावभीनी विदाई होगी। वह अतिथि को विदा करने स्टेशन तक जाएँगे। इसी आशा के साथ लेखक ने दूसरे दिन भी अतिथि का सत्कार किया।

    प्रश्न 7. कौन-सा आघात अप्रत्याशित था? इसका लेखक पर क्या प्रभाव पड़ा?
    उत्तरः तीसरे दिन अतिथि ने कहा कि वह धोबी को अपने कपड़े धोने के लिए देना चाहता है। यह एक अप्रत्याशित आघात था। इसमें मेहमान के कई दिन और रुकने की संभावना हो गई थी। इसके बाद लेखक अतिथि को देवता न मानकर मानव तथा राक्षस मानने लगा था। उसका अतिथि राक्षस का रूप लेता जा रहा था।

    प्रश्न 8. ‘अतिथि सदैव देवता नहीं होता’ वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है। कथन की व्याख्या कीजिए।
    अथवा
    ‘अतिथि सदैव देवता नहीं होता, वह मानव और थोड़े अंशों में राक्षस भी हो सकता है।’ आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि आप इस बात से कहाँ तक सहमत हैं? 
    उत्तरः यदि अतिथि थोड़ी देर तक टिकता है तो वह देवता रूप बनाए रखता है, पर फिर वह मनुष्य रूप में आ जाता है। उसका मान-सम्मान होता है, और ज्यादा दिन तक टिकने पर वह राक्षस का रूप ले लेता है। तब वह राक्षस जैसा बुरा प्रतीत होता है। लेखक की इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ।

    प्रश्न 9. ‘सम्बन्धों का संक्रमण के दौर से गुजरना’-पंक्ति से क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।
    उत्तरः सम्बन्धों का संक्रमण के दौर से गुजरने का अर्थ है सम्बन्धों में परिवर्तन आना, सम्बन्धों में दरार आना। पहले जो सम्बन्ध आत्मीयतापूर्ण थे, वे अब तिरस्कार में बदलने लगे। लेखक की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी और सम्बन्ध बिगड़ने लगे।

    प्रश्न 10. घर की स्वीटनेस कब समाप्त हो जाती है? ‘तुम कब जाओगे अतिथि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
    उत्तरः
    घर में किसी अतिथि के अधिक दिनों तक रुकने पर घर की मधुरता समाप्त हो जाती है। घर के सदस्यों को औपचारिकतावश शिष्टता का दिखावा करना पड़ता है और वे आराम से नहीं रह पाते।

    प्रश्न 11. लेखक के मन में अतिथि को ‘गेट आउट’ कहने की बात क्यों आई ?
    उत्तरः
    चार दिन की मेहमाननवाजी के पश्चात् लेखक की सहनशीलता जवाब दे गई, वह सोचने लगा कि अतिथि को शराफ़त से लौट जाना चाहिए अन्यथा ‘गेट आउट’ भी एक वाक्य है, जो इसे बोला जा सकता है।

    प्रश्न 12. ‘अतिथि देवो भव’ उक्ति की व्याख्या करें। ‘तुम कब जाओगे अतिथि’ पाठ के आधार पर लिखिए।
    उत्तरः लेखक परम्परा के अनुसार हर अतिथि को देवता के समान समझता था। अतिथि पूज्य होता है लेकिन समयाभाव व महँगाई के कारण लोग आज अतिथि का पहले जैसा आदर सत्कार नहीं कर पाते।

    प्रश्न 13. अतिथि के टिके रहने पर परिस्थितियों में क्या परिवर्तन आया?
    उत्तरः जब अतिथि चार दिन तक नहीं गया तो लेखक के व्यवहार में निम्नलिखित परिवर्तन आए-
    (i) खाने का स्तर गिरकर खिचड़ी तक आ गया था।
    (ii) वह उसे गेट आउट! कहने के लिए भी तैयार था।
    (iii) अतिथि में उसे राक्षस का रूप दिखाई देने लगा था। वह मनुष्य वाली हरकतों पर उतरने के लिए तैयार था।

    अच्छा अतिथि कौन कहलाता है तुम कब जाओगे अतिथि ?; पाठ के आधार पर लिखिए?

    प्रश्न 2. अच्छा अतिथि कौन कहलाता है ? उत्तरः वास्तव में अच्छा अतिथि तो वही होता है जो पहले से अपने आने की सूचना देकर आए और एक या दो दिन की मेहमानी कराकर विदा ले।

    अच्छा अतिथि कौन होता है?

    लेखक को ऐसा अतिथि अच्छा लगता है।

    पाठ तुम कब जाओगे अतिथि में लेखक के अनुसार एक अच्छे अतिथि की क्या पहचान होती है?

    ➲ 'अतिथि तुम कब जाओगे' पाठ के आधार पर अगर कहें तो एक अच्छे अतिथि की यह विशेषता होनी चाहिए कि अतिथि किसी के घर आने से पहले पूर्व सूचना देकर आए। इसके अलावा अतिथि अपने मेजबान के घर बहुत अधिक दिनों तक नहीं कह रहे और जल्दी से जल्दी अपना काम खत्म कर चला जाए।

    उपवास रखने की बात लेखक ने क्यों तुम कब जाओगे अतिथि पाठ के आधार पर लिखिए?

    अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि में सिनेमा दिखाया। लेखक ने सोचा कि इसके बाद तुरंत भावभीनी विदाई होगी। वह अतिथि को विदा करने स्टेशन तक जाएँगे। इसी आशा के साथ लेखक ने दूसरे दिन भी अतिथि का सत्कार किया।