जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में निहित व्यंग को स्पष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक प्रधानता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है? - jorj pancham kee naak paath mein nihit vyang ko spasht karate hue bataie ki maanasik pradhaanata se mukti paana kyon aavashyak hai?

जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ में भारतीय अधिकारियों, मंत्रियों और कार्यालयी कार्य प्रणाली पर कठोर व्यंग्य किया गया है। इसे स्पष्ट कीजिए।

‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मंत्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में तहलका मचने, अफसरों और मंत्रियों के परेशान होने की स्थिति देखकर यही लगता है कि जैसे आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम हों। देश के सम्मान से सरकारी कर्मचारियों का कुछ लेना-देना नहीं होता है। यदि उनकी स्वार्थपूर्ति हो रही हो तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुँचाने में जरा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। येन-केन प्रकारेण स्वार्थ सिधि ही उनका उद्देश्य बनकर रह गया है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में निहित व्यंग को स्पष्ट करते हुए बताइए कि मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक?

Solution : जॉर्ज पंचम की नाक. पाठं एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है।

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में क्या व्यंग्य निहित है?

Solution. 'जॉर्ज पंचम की नाक' नामक पाठ व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मंत्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है

मानसिक पराधीनता से मुक्ति पाना क्यों आवश्यक है?

मानसिक पराधीनता से मुक्ति का मार्ग, स्वदेशी मान्यताओं में भरोसे से ही मिलेगी मंजिल आज मानसिक गुलामी से मुक्ति की चर्चा भले ही अंग्रेजी राज से आजादी के 75 वर्ष बाद हो रही हो परंतु इसके अवयवों में अरब तुर्क अफगानों की अधीनता से उत्पन्न मानसिक विकार भी उतना ही महत्व रखते हैं।

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर बताइए कि प्रस्तुत कहानी में किस किस पर व्यंग्य किया गया है और क्यों?

नाक तो सिर्फ़ एक चाहिए थी और वह भी बुत के लिए । 1. सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।