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आत्मनिर्भरता पर निबंध- आत्मनिर्भर कैसे बनें | Essay on Self Reliance

इस आर्टिकल ‘आत्मनिर्भरता पर हिंदी निबंध’ (Essay on Self Relaince) के द्वारा आप जान पायेंगे कि सही मायनों में आत्म निर्भर का क्या अर्थ है, आत्मनिर्भर कैसे बनें । वे बच्चे जो अपने छोटे-बड़े कामों के लिए अपने परिवार पर आश्रित रहते हैं, उनके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर क्यों होना चाहिए। दूसरों पर निर्भर रहने के नुकसान पढ़ने के बाद आपको आत्मनिर्भरता का महत्त्व समझ आ जाएगा। आत्मनिर्भरता पर अनुच्छेद लिखने के लिए भी इस जानकारी का उपयोग कर सकते हैं।

आत्मनिर्भरता पर निबंध | आत्मनिर्भरता से व्यक्ति बनता है | Atmanirbharta Essay in Hindi

आत्मनिर्भरता की परिभाषा

आत्मनिर्भर शब्द का अर्थ है किसी कार्य के लिए स्वयं पर (अपने आप पर) निर्भर होना। मतलब अपने कार्यों को करने के लिए दूसरे किसी का इंतज़ार न करना। आत्म निर्भर होने का मतलब है कि हम अपने काम खुद करने में ना तो शर्म महसूस करें और न ही अपना काम दूसरों के भरोसे छोड़ दें।

आत्मनिर्भरता का मतलब है अपने आप पर निर्भर रहना यानी कि किसी भी काम को स्वयं ही करना। क्या आपने कभी यह कहावतें सुनी है – ‘अपना हाथ जगन्नाथ’ और ‘अपने मरे ही स्वर्ग मिलता है’ । इन दोनों कहावतों का सीधा सीधा संबंध आत्मनिर्भरता से है।

अपना हाथ जगन्नाथ – कहावत का मतलब है कि अपने हाथों से बढ़कर कोई सहारा नहीं होता है। आप जो भी काम अपने हाथ से करते हैं उसे यह मान कर चलिए कि वह काम भगवान के द्वारा किया गया है। दूसरी कहावत जो कहती है, ‘अपने मरे ही स्वर्ग मिलता है’ इसका मतलब है कि यदि आपको किसी काम का असली अनुभव ज्ञात करना है तो वह काम आपको पहले स्वयं करना होगा।

आत्मनिर्भरता पर अनुच्छेद Aatmnirbharta par Anuched

छोटे बड़े जानवरों या पक्षियों को भी देखें तो हमें पता चलता है कि वे सभी आत्मनिर्भर है। उन्हें अपने भोजन के लिए किसी दूसरे पर आश्रित रहने की आवश्यकता नहीं पड़ती। कोई भी दूसरा व्यक्ति उन्हें खाना लाकर नहीं देता। उनके जन्म लेते ही उनके मां-बाप उन्हें छोड़ देते हैं और वे अपने सारे काम स्वयं करना सीखते हैं।

खिलाड़ियों को जीत का स्वाद चखने के लिए स्वयं खेलना पड़ता हैं । किसान जब कड़ी मेहनत के बाद खेत में तैयार फ़सल को काटता है तो उसे एक अद्भुत सुख की प्राप्ति होती है। इसी तरह, यदि विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता हैं तो उन्हें स्वयं परीक्षा में शामिल होना पड़ेगा। परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए स्वयं अध्ययन करना होगा । इसी प्रकार जीवन के हर क्षेत्र में उसे ही सफलता मिलती हैं, जो आत्मनिर्भर होता है।

आत्मनिर्भरता से पैसे की निर्भरता कैसे कम करें

मनुष्य को जन्म लेने के बाद अपने मां बाप पर निर्भर रहना पड़ता है और थोड़ा बड़ा होने के बाद परिवार के साथ-साथ समाज का भी सहयोग लेना पड़ता है । इंसान पूर्णताया आत्मनिर्भर नहीं हो सकता। हम ऐसे समाज में रहते हैं जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । यहां एक हाथ से लेने और दूसरे हाथ से देने का रिवाज़ है।

एक परिवार में बच्चे अपने सामान खरीदने के लिए पैसों संबंधी की जरूरतों के लिए अपने मां बाप पर निर्भर होते हैं । इसमें कोई बुरी बात नहीं है, क्योंकि बच्चों की जरूरतों को उनके माता-पिता ही पूरा कर सकते हैं लेकिन बच्चों को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि वह बचपन से ही बचत करने की आदत डालें। आपके बचाए हुए पैसे आप को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेंगे।

दूसरों की वस्तुओं को देखकर अपने घर वालों से ज़िद करके उनके मेहनत से कमाए पैसे को बर्बाद न करें । बचत करने के अलावा जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें एक-एक पैसा कमाना सीखना चाहिए। ताकि मुश्किल की घड़ी में बीमारी के समय में या किसी प्राकृतिक आपदा के समय में, जब पैसा नहीं कमाया जा सकता, वह बचाया हुआ और अतिरिक्त कमाया हुआ पैसा उनकी मदद करेगा।

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दूसरों पर निर्भर रहने के नुकसान

  • आप उपहास के पात्र बन सकते हैं।
  • दूसरा व्यक्ति आपके काम को आपकी जरूरत के हिसाब से पूरा ना करें जिससे आपका नुकसान हो सकता है।
  • दूसरे व्यक्ति पर आश्रित होने से आपके काम में देरी हो सकती है।
  • अपने रिश्ते या ओहदे का फायदा उठा कर दूसरे से काम करवाने के कारण आप घृणा और नफरत का पात्र भी बन सकते हैं।
  • दूसरों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर रहने के कारण आप उस काम को खुद सीख नहीं पाते ।
  • औरों पर निर्भर होने की आदत के कारण जब वह कार्य आपको खुद करना पड़े तो आप को छोटा सा काम भी भारी लगता है।
  • इससे आपको काम ना करने की आदत पड़ जाती है और आपके शरीर में आलस्य की वृद्धि हो जाती है।
  • हम मानसिक रोगों से भी ग्रसित होते हो सकते हैं क्योंकि कहा जाता है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
  • दूसरों पर निर्भर व्यक्ति का समाज में सम्मान नहीं होता।
  • अपने हाथ से किए हुए काम का अलग ही सुख होता है।

आत्मनिर्भर होना उसके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है । आजकल के लोगों में ज्यादातर बीमारियां इसीलिए है क्योंकि जो पैसे वाले लोग हैं वे अपने सभी काम नौकरों के द्वारा करवाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें आराम की आदत पड़ गई है। वे यह नहीं जानते कि यह आराम उनके लिए आने वाले समय में दुखदाई होगा। इसलिए जितना हो सके हमें अपने हाथ से अपने काम करने चाहिए और तो और दूसरों के भी काम कर के दे सकते हैं । यदि आपके पास भरपूर पैसा है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप एक उंगली भी नहीं हिलाएंगे।

उपसंहार: आत्मनिर्भरता पर हिंदी निबंध

इसके अतिरिक्त, जब व्यक्ति आत्मनिर्भर होता है तब वह आत्म विश्वासी भी बन जाता है। वह ऊंची गर्दन कर शान से चलता है। ऐसे इंसान को सभी पसंद करते हैं क्योंकि अपने आप काम करने वालों पर अधिक विश्वास किया जा सकता है।

जिस प्रकार आत्मनिर्भरता एक व्यक्ति के लिए अच्छी है उसी प्रकार है देश के लिए भी लाभदायक है। कोई भी देश यह नहीं चाहता कि वह अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए दूसरे देशों पर आश्रित रहे सभी देशवासियों का कर्तव्य है कि वह अपने देश में बनी हुई वस्तुओं को प्राथमिकता दें । जब किसी देश के लोग स्वदेशी अपनाएंगे तभी वह देश आत्मनिर्भर बन सकता है।

बचपन में जो गुण अपना लिए जाएँ वे उम्र भर साथ रहते हैं। इसलिए, आप सभी को अपने और देश के विकास के लिए, ‘अपना काम स्वयं करो’ का नारा बुलंद करना चाहिए।

आत्मनिर्भरता निबंध (कठिन शब्द)

शब्दअर्थ
आत्मनिर्भर अपने आप पर निर्भर रहना, Self Dependent
बर्बाद खराब करना, फ़ालतू में खर्च करना, to waste
उपहास का पात्र मज़ाक उड़ाने के लिए दूसरों के निशाने पर होना
दुखदाई दुःख देने वाला
आश्रित किसी के सहारे रहना
प्राथमिकता किसी काम या इंसान की कद्र करना (to give preference)
स्वदेशी अपने देश में बना हुआ
बुलंद ऊंचा उठाना

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आत्मनिर्भरता क्या होती है?

आत्मनिर्भरता का अर्थ है अपने ऊपर निर्भर रहना, जो व्यक्ति दूसरे के मुँह को नहीं ताकते, वे ही आत्मनिर्भर होते हैं।

आत्मनिर्भरता आवश्यक क्यों?

आत्मनिर्भरता आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होती है, जिसके कारण सफलता की राह आसान हो जाती है । आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने समय का सदुपयोग भली-भांति कर पाने में सक्षम होता है । वह समाज में प्रतिष्ठा का पात्र बनता है ।

आत्मनिर्भरता से व्यक्ति क्या बनता है?

आत्मनिर्भरता का अर्थ होता है, अपने किसी भी काम लिए दूसरों पर निर्भर न होना। एक आत्मनिर्भर व्यक्ति अपने काम के लिए स्वयं के परिश्रम को महत्व देता है और बेहिचक अपने विचारों को प्रकट करता है। साथ ही वो अपने फैसले खुद ही लेना पसंद करता है। देखा जाए तो आत्मनिर्भरता व्यक्ति को जीवन में सही से चलना सिखाती है।

आत्मनिर्भर व्यक्ति के कौन कौन से गुण है?

(क) आत्मविश्वास में वृद्धि:- आत्मनिर्भर व्यक्ति में दूसरों से ज्यादा आत्मविश्वास होता है। (ख) साहस में वृद्धि:-आत्मनिर्भर व्यक्ति में किसी दूसरे पर अवलंबित इंसान की तुलना में अधिक साहस होता है। (ग) नेत्तृत्व के गुण में वृद्धि:-आत्मनिर्भरता से नेतृत्व के गुण में वृद्धि होती है।