Chapter 11 Show रामधारी सिंह दिनकर (गीत-अगीत ) 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए (क) नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे संबंधित पंक्तियों को लिखिए। उत्तरः नही का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब की सोचने वाली संबंधित पंक्तिया नीचे दिये गये हैं- गाकर गीत विरह के तटिनी वेगवती बहती जाती है, दिल हलका कर लेने को उपलों से कुछ कहती जाती है। तट पर एक गुलाब सोचता, " देते स्वर यदि मुझे विधाता, अपने पतझर के सपनों का मैं भी जग को गीत सुनाता । " (ख) जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तरः जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है इस वाक्य का अर्थ समझाने वाला पंक्ति नीचे दिया गया हैं (ग) प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है? उत्तरः प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है इस वाक्य का भाव समझाने वाला पंक्ति नीचे दिया गया हैं दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब बड़े साँझ आल्हा गाता है, पहला स्वर उसकी राधा को घर से यहाँ खींच लाता है। चोरी-चोरी खड़ी नीम की छाया में छिपकर सुनती है, 'हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना', यों मन में गुनती है। (घ) प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए। उत्तरः प्रथम छंद में वर्णित प्रकृति चित्रण को नीचे दिया गया हैं नही गीत गाकर बह रही थी, एक गुलाब तट पर रहकर सोच रहा , निझरी गीत गाकर बह रही थी। (ङ) प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंध की व्याख्या कीजिए। उत्तरः पशु-पक्षी अपने भोजन के लिए प्रकृति पर भरोसा करते हैं। प्रकृति भी पशु-पक्षी पर निर्भय हैं। (च) मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए। उत्तरः आकाश में उमड़ते बादल और रंग बिरंगे पक्षी तथा तरह तरह के कीड़े मकोड़े मानव को हमेशा आंदोलित करते हैं कि वह भी उनकी सारा आकाश में उड़ान भरी और मनुष्य ने हवा में उड़ान भरने के लिए साधन बना लिए। (छ) सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए। उत्तरः अगीत का कोई अस्तित्व नहीं होता, क्योंकि कभी न कभी उन्हें गाया भी जा सकता है। दोनों में देखने में अंतर है। जिस भावना या मनोदशा में गीत बनता है वह ही अगीत होता है। (ज) 'गीत-अगीत' के केंद्रीय भाव को लिखिए। उत्तरः गीत-अगीत के केंद्रीय भाव यह हैं कि- गीत रचने की मनोदशा ज्य़ादा महत्व रखती है, उसको महसूस करना आवश्यक है। जैसे कवि को नदी के बहने में भी गीत का होना जान पड़ता है। उसे शुक, शुकी के क्रिया कलापों में भी गीत नज़र आता है। 2. संदर्भ - सहित व्याख्या कीजिए (क) अपने पतझर के सपनों का मैं भी जग को गीत सुनाता उत्तरः (ख) गाता शुक जब किरण वसंती छूती अंग पर्ण से छनकर उत्तरः (ग) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना यों मन में गुनती है। उत्तरः प्रेमी का गाया हुआ गीत प्रेमिका के हृदय तक पहुँच जाता है। तभी वह सोचती है कि हे ईश्वर! वह प्रेमी के गीत की कड़ी नहीं बन सकी। इस प्रकार वह मन ही मन सोचने लगती है। 3. निम्नलिखित उदाहरण में 'वाक्य-विचलन' को समझने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए उदाहरण : तट पर एक गुलाब सोचता एक गुलाब तट पर सोचता है। (क) देते स्वर यदि मुझे विधाता उत्तरः यदि विधाता मुझे स्वर देते। (ख) बैठा शुक उस घनी डाल पर उत्तरः उस घनी डाल पर शुक बैठा । (ग) गूँज रहा शुक का स्वर वन में उत्तरः वन में शुक का स्वर गूँज रहा । (घ) हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की उत्तरः मैं कड़ी गीत की क्यों न हुई। (ङ) शुकी बैठ अंडे है सेती उत्तरः शुकी बैठ कर अंडे सेती है। DIKHA BORA हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की बिधना यों मन में गुनती है?प्रेमी-प्रेमिका के माध्यम से कवि ने गीतों के महत्व को स्पष्ट किया है। व्याख्या : जब संध्या के समय शुक गीत गाता है तो उसके गीत से मंत्रमुग्ध सी शुकी उसकी ओर खिचीं चली आती है और उसके मन में एक इच्छा जन्म लेने लगती है कि काश वह उस गीत को गा सकती वह भी उसकी कड़ी बन पाती।
ग प्रेमी जब गीत गाता है तब प्रेमिका की क्या इच्छा होती है?उत्तर: जब प्रेमी गीत गाता है तो प्रेमिका की इच्छा होती है कि वह उस गीत का एक हिस्सा बन जाए।
जब शुक गाता है तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता?(ख) जब शुक गाता है तो शुकी का ह्रदय प्रसन्नता से फूल जाता है। वह उसके प्रेम में मग्न हो जाती है। शुकी के ह्रदय में भी गीत उमड़ता है, पर वह स्नेह में सनकर ही रह जाता है। शुकी अपने गीत को अभिव्यक्त नहीं कर पाती वह शुक के प्रेम में डूब जाती है पर गीत गाकर उत्तर नहीं दे पाती है।
गीत अगीत में आपको कौन अधिक सुंदर लगा अपने विचार लिखिए?प्रश्न 8 – 'गीत अगीत' के केंद्रीय भाव को लिखिए।
नदी के गाने की तुलना गुलाब के मौन रहने से की गई है। शुक के गाने की तुलना शुकी के मौन से की गई है। प्रेमी के गाने की तुलना प्रेमिका के मौन से की गई है। इस तरह से इस कविता में कवि ने गीत और अगीत के माध्यम से प्रकृति का बड़ा ही मनोहारी वर्णन किया गया है।
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