भोलनाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है? Show
भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। परन्तु आज हमारे खेलने का सामान इन सब वस्तुओं से भिन्न है। हमारे खेलने के लिए आज क्रिकेट का सामान, भिन्न−भिन्न तरह के वीडियो गेम व कम्प्यूटर गेम आदि बहुत सी चीज़ें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं। भोलानाथ जैसे बच्चों की वस्तुए सुलभता से व बिना मूल्य खर्च किए ही प्राप्त हो जाती हैं परन्तु आज के बच्चों की खेल सामग्री मूल्य खर्च करने पर ही प्राप्त होती है। Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? Question भोलनाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?Solution भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। परन्तु आज हमारे खेलने का सामान इन सब वस्तुओं से भिन्न है। हमारे खेलने के लिए आज क्रिकेट का सामान, भिन्न−भिन्न तरह के वीडियो गेम व कम्प्यूटर गेम आदि बहुत सी चीज़ें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं। भोलानाथ जैसे बच्चों की वस्तुए सुलभता से व बिना मूल्य खर्च किए ही प्राप्त हो जाती हैं परन्तु आज के बच्चों की खेल सामग्री मूल्य खर्च करने पर ही प्राप्त होती है।आपके विचार से भोलनाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है? भोलानाथ भी बच्चे की स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में रूचि लेता है। उसे अपनी मित्र मंडली के साथ तरह-तरह की क्रीड़ा करना अच्छा लगता है। वे उसके हर खेल व हुदगड़ के साथी हैं। अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता। इसलिए रोना भूलकर वह दुबारा अपनी मित्र मंडली में खेल का मजा उठाने लगता है। उसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है। 571 Views प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है? माता से बच्चे का रिश्ता ममता पर आधारित होता है जबकि पिता से स्नेहाधारित होता है । बच्चे को विपदा के समय अत्याधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता थी। भोलानाथ का अपने पिता से अपार स्नेह था पर जब उस पर विपदा आई तो उसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। माँ के आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। 1574 Views पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों? पाठ में ऐसे कई प्रसंग आए हैं जिन्होंने मेरे दिल को छू लिए- 589 Views भोलनाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है? (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुएँ होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। आज जमाना बदल चुका है। आज माता-पिता अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे बच्चों को बेफिक्र खेलने-घूमने की अनुमति नहीं देते। हमारे खेलने के लिए आज क्रिकेट का सामान, भिन्न-भिन्न तरह के वीडियो गेम व कम्प्यूटर गेम आदि बहुत सी चीज़ें हैं जो इनकी तुलना में बहुत अलग हैं। भोलानाथ जैसे बच्चों की खेलने की सामग्री आसानी से व सुलभता से बिना मूल्य खर्च किये ही प्राप्त हो जाती हैं जबकी आज के बच्चों की खेल सामग्री बाज़ार से खरीदना पड़ता है । 795 Views आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए। छात्र स्वयं अपने अनुभव के आधार पर करे- उधारणतः 1804 Views आपके खिलौने और भोलानाथ के खिलौनों में क्या अंतर है?भोलानाथ व उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों पर पड़ी चीजों को ही अपने खेल का आधार बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के पत्ते, गीली मिट्टी, घर के समान आदि वस्तुए होती थी जिनसे वह खेलते व खुश होते। परन्तु आज हमारे खेलने का सामान इन सब वस्तुओं से भिन्न है।
भोलानाथ और आज के बच्चों की खेलकूद में क्या अंतर है उदाहरण देकर समझाओ *?अब तो बच्चे प्लास्टिक और इलैक्ट्रोनिक्स के महँगे खिलौनों से खेलते हैं बरसात में बच्चे बाहर रह जाएँ तो आज मां-बाप की जान निकल जाती है। आज न कुएं रहे, न रहट, न खेती का शौक। इसलिए आज का युग पहले की तुलना में आधुनिक, बनावटी और रसहीन हो गया है।
बच्चे गीली मिट्टी से कौन सी मिठाई बनाते थे?उसमें चिलम के खोंचे पर कपड़े के थालों में ढेले के लड्डू, पत्तों की पूरी - कचौरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, फूटे घड़े के टुकड़ों के बताशे आदि मिठाइयाँ सजाई जातीं। ठीकरों के बटखरे और जस्ते के छोटे-छोटे टुकड़ों के पैसे बनते।
भोलेनाथ का बचपन का नाम क्या था?डॉ० भोलानाथ तिवारी (४ नवम्बर १९२३ - २५ अक्टूबर १९८९) हिन्दी के कोशकार, भाषावैज्ञानिक एवं भाषाचिन्तक थे।
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