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परिचय(Introduction to DC Generator)जैसा कि हम लोग जानते ही हैं कि डीसी मशीन को दो प्रकार से प्रयोग कर सकते है। यदि हम डीसी मशीन को डीसी जेनरेटर (DC Generator in hindi) के रूप में इस्तेमाल करते है तो यह मैकेनिकल ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा मे परिवर्तित करता है। यदि हम डीसी मशीन को मोटर के रूप में इस्तेमाल करते है। तो इसमें मशीन विद्युत ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा मे परिवर्तित करता है। तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में डीसी जेनरेटर के बारे में पढ़ेंगे कि इसका कहां कहां इस्तेमाल किया जाता है। दोस्तों इस आर्टिकल को पूरा पढ़िएगा आपको काफी कुछ जानने को मिलेगा। जब हम डीसी मशीन को प्राइम मूवर के द्वारा घुमाते है तो वह मशीन मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित करता है। इसी प्रकार की व्यवस्था को डीसी जनरेटर कहते हैं। डीसी जनरेटर भी कई प्रकार के होते हैं जिसके बारे में हम आगे बताएंगे। डीसी जनरेटर का कार्य सिद्धांत (Working principle of DC generator in Hindi)चलिए आसान भाषा में समझते हैं की डीसी जनरेटर का कार्य सिद्धांत क्या होता है। दोस्तों डीसी जनरेटर में जैसा कि हम जानते हैं कि इसमें एक मैग्नेटिक फील्ड उपस्थित रहता है। विद्युत चुंबकीय क्षेत्र के बीच में हमारा आर्मेचर रहता है। जिसमे आर्मेचर चालक लगे होते हैं। अब चुकी जनरेटर को प्राइम मूवर के द्वारा आर्मेचर को घुमाया जाता है। अतः इसके साथ-साथ आर्मेचर चालक भी घूमते हैं। अब हम जानते हैं कि यह आर्मेचर विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में स्थित है। अतः आर्मेचर चालक जिस स्पीड से घूमता है उसी स्पीड से विद्युत चुंबकीय फ्लक्स को काटता है। जब कोई धारावाही चालक या क्वायल किसी विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में घूमता है तो उस चालक या कुंडली के दोनों सिरों पर एक emf उत्पन्न होता है। अगर हम इस क्वायल पर कोई लोड लगा दे तो क्वाइल में धारा बहने लगती है। ऊपर दिया गया वर्णन विद्युत उत्पादन का एक सिंपल सा सिद्धांत है use जो हर प्रकार के जनरेटर में इस्तेमाल होता है। इस सिद्धांत से जैसा कि हम जानते हैं कि हमें अल्टरनेटिंग करंट उत्पन्न होता है। लेकिन हम डीसी जनरेटर की बात कर रहे हैं तो जनरेटर में इस अल्टरनेटिंग करंट को डीसी करंट में बदलने के लिए एक प्रकार की व्यवस्था लगाई जाती है जिसे हम कमयुटेटर कहते हैं। यह कमयुटेटर बाई डायरेक्शनल(bidirectional sognal) सिग्नल को यूनिडायरेक्शनल सिग्नल (unidirectional siganl) में परिवर्तित करता है। इसे भी पढ़ें :-
डीसी जनरेटर के प्रकार (Types of DC generator in Hindi)दोस्तों डीसी मशीन कितने प्रकार का होता है। उतने ही प्रकार के डीसी जनरेटर भी होते हैं। क्योंकि डीसी मशीन को ही तो हम डीसी जनरेटर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। डीसी जनरेटर भी मुख्यतः दो प्रकार का होता है।
सेपरेटली एक्साइटिड जनरेटर (Separately excited generator)जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि इस जनरेटर को एक्साइट करने के लिए एक अलग से excitation सप्लाई की जरूरत पड़ती है। अब चित्र में देख सकते हैं कि जनरेटर में एक अलग से excitation winding लगी हुई है जिसे अलग से एक सप्लाई दिया गया है। इस प्रकार के जनरेटर में residual मैग्नेटिज्म ना होने के कारण इसे अलग से excitation सप्लाई के द्वारा एक्साइट किया जाता है। उपयोग(use):- यह जनरेटर बहुत कम जगह पर प्रयोग किया जाता है। क्योंकि इसको चालू करने के लिए एक अलग से एक्स आईटी असम सप्लाई की जरूरत पड़ती है। अतः इसका उपयोग स्पेशल एप्लीकेशन के लिए जैसे जहाज में डीसी सप्लाई की आपूर्ति के लिए तथा एयरक्राफ्ट में भी डीसी सप्लाई की आपूर्ति के लिए किया जाता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वार्ड लियोनार्ड मेथड (Ward Leonard Method) में किया जाता है। यह डीसी मोटर की गति नियंत्रण की विधि है। जिसमें मुख्य जनरेटर के रूप में सेपरेटली एक्साइटिड जनरेटर का इस्तेमाल किया जाता है। सेल्फ एक्साइटेड डीसी जेनरेटर(Self excited DC generator in Hindi)इस प्रकार के जनरेटर में इसके फील्ड मैग्नेट को किसी अलग सप्लाई या सोर्स से एक्साइट नहीं करना पड़ता है। इसके फील्ड मैग्नेट में उपस्थित Residual magnetism के कारण कम मात्रा में आर्मेचर में e.m.f. पैदा हो जाता है। जिससे मैग्नेटिक पोल एक्साइट हो जाता है। चलिए इसकी क्रिया को आसान भाषा में समझते हैं। सबसे पहले हमें Residual magnetism को समझना पड़ेगा। जब हम किसी इलेक्ट्रोमैग्नेट पोल में क्वायल के माध्यम से सप्लाई देते हैं। तो पोल में उपस्थित डोमेन एलाइन (align) हो जाते हैं। मतलब की मैग्नेट के डोमिन की गति की दिशा एक समान हो जाती है। और जब सप्लाई हटाते हैं तो मैग्नेटिक पोल के डोमेन फिर zig – zag motion में गति करने लगते हैं। लेकिन सप्लाई हटाने के बाद भी कुछ डोमेन ऐसे होते हैं, जो एक समान दिशा में गति करते रहते हैं। यही डोमेन जो सप्लाई हटाने के बाद भी पोल में एक समान दिशा में गति करते हैं या align रहते हैं। Residual magnetism पैदा करते हैं। जिसकी मात्रा बहुत कम होती है। अतः जब वह जनरेटर में आर्मेचर घूमता है तो चुकी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पोल में पहले Residual magnetism के कारण residual flux रहता है। जिससे आर्मेचर चालक उस flux को काटता है, और थोड़ा सा emf पैदा होता है। अब वह emf मैग्नेटिक पोल के लिए सप्लाई का काम करता है तथा पोल में और ज्यादा फ्लक्स बनता है। जैसे-जैसे आर्मेचर का स्पीड बढ़ता है वैसे वैसे emf का मान बढ़ता है। यह उपयुक्त प्रक्रिया जनरेटर में काफी तेजी से होता है। और यह emf जनरेटर में पैदा हो जाती है। इसलिए इस प्रकार के जनरेटर को self-excited जनरेटर कहते हैं। self-excited जनरेटर मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
डीसी सीरीज जनरेटर (DC Series Generator)इस जनरेटर में मुख्य फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर की सीरीज में जुड़ा होता है। इसलिए इसे डीसी सीरीज जेनरेटर कहते हैं। इसमें फील्ड वाइंडिंग सीरीज में जुड़े होने के कारण आर्मेचर में जितनी धारा बहती है उतनी ही धारा फील्ड वाइंडिंग में भी बहती है। इसकी सीरीज फील्ड वाइंडिंग मोटे तार के कम लपेटा (turn) देकर बनाया जाता है। सीरीज जनरेटर का प्रयोग बहुत कम किया जाता है। उपयोग(uses):- इसका उपयोग डीसी सप्लाई वाले डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में एक बूस्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। डीसी शंट जेनरेटर (DC shunt generator)जेनरेटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के समांतर में जोड़ा जाता है। इसके फील्ड वाइंडिंग पतले तार के अधिक लपेटा देकर बनाया जाता है। इसमें आर्मेचर करंट बहुत कम मात्रा में बहता है। उपयोग:- इसका उपयोग छोटे अस्तर वाले डीसी पावर सप्लाई के लिए किया जाता है। डीसी कंपाउंड जनरेटर (DC Compound Generator)इस प्रकार के जनरेटर में दो प्रकार के बाइंडिंग सीरीज फील्ड वाइंडिंग तथा संत फील्ड वाइंडिंग लगे होते हैं। अतः इसमें वाइंडिंग का कनेक्शन दो प्रकार का हो सकता है।
Short shunt compound connection में शंट फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सापेक्ष जोड़ा जाता है। अतः यह shirts and compound connection कहलाता है। Long shunt compound connection में शंट फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर तथा सीरीज फील्ड वाइंडिंग दोनों के सापेक्ष जोड़ा जाता है। डीसी कंपाउंड जेनरेटर दो प्रकार के होते हैं।
Differential Compound Generator :-इस प्रकार के जनरेटर में दोनों प्रकार के फील्ड वाइंडिंग के फ्लक्स का अंतर (φsh – φse) ही परिणाम इफ्लक्स होता है। अतः इसे डिफरेंस इन कंपाउंड जनरेटर कहते हैं। उपयोग:- इस जनरेटर में लोड बढ़ने पर फ्लक्स घटता है। जिसके कारण यह emf घटता है तथा करंट कमान बढ़ जाता है। अतः हम इसे इलेक्ट्रिकल आर्क वेल्डिंग में प्रयोग करते हैं। क्योंकि इसमें हमें लो वोल्टेज(low voltage) और हाई करंट(high current) की आवश्यकता होती है। Cumulative Compound Generator:-इस प्रकार के जेनरेटर मे दोनो फील्ड वाइंडिंग के flux के योग ही परिणामी flux होता है। अतः इसमें flux का मान बढ़ता है। इसका flux जुड़ने के कारण इसके वोल्टेज characterstics, शंट जेनरेटर से अच्छा होता है। उपयोग:- इसका उपयोग बड़े स्तर पर डीसी supply के प्रयोग के लिए किया जाता है। Cumulative Compound Generator के अंतर्गत तीन प्रकार के जेनरेटर आते हैं।
ये तीनों प्रकार के जेनरेटर मे इसके दो फील्ड वाइंडिंग के flux की मात्रा को नियंत्रित करके ही बनाया जाता है। Owner of Hindi Hike : If you want to support me than you can donate me. Thank You..! Related posts:DC जनरेटर फील्ड का नाम क्या है answer?A Long shunt compound | लॉन्ग शंट कंपाउंड B Cumulative compound | संियी यौचगक C Differential compound | ववभेिक यौचगक D Short shunt compound | लघु शंट यौचगक Page 4 ELECTRICIAN – Semester 3 Module 1 - DC Generator Reviewed and updated on: 01st November 2019 Version 1.1 NIMI Question Bank Page 4 of 47 21 Why the armature ...
9 what is the name of DC generator field जनरेटर फील्ड का नाम क्या है Overline DC?डीसी कंपाउंड जनरेटर (DC Compound Generator)
इस प्रकार के जनरेटर में दो प्रकार के बाइंडिंग सीरीज फील्ड वाइंडिंग तथा संत फील्ड वाइंडिंग लगे होते हैं। अतः इसमें वाइंडिंग का कनेक्शन दो प्रकार का हो सकता है। Short shunt compound connection में शंट फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सापेक्ष जोड़ा जाता है।
DC जनरेटर क्या होता है?DC Generator in Hindi (डीसी जनरेटर):-
घुमने वाले coil को आर्मेचर कहा जाता है और मैगनेट को field magnet.
What is the principle of DC generator DC जनरेटर का सिद्धांत क्या है?डीसी जनरेटर कार्य सिद्धान्त (DC generator in hindi)
दिष्ट धारा जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है जिसके लिए चुम्बकीय क्षेत्र संवाहक या चालक तथा चालकों की चुम्बकीय क्षेत्र में गति ये सब यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक होते हैं।
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