1938 में जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष निम्न में से कौन थे? - 1938 mein jayapur prajaamandal ke adhyaksh nimn mein se kaun the?

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Last updated on Sep 29, 2022

Rajasthan 3rd Grade Teacher Recruitment for Level 1 & Level 2 will be done through REET 2022 Scores. 48,000 vacancies have been released for this recruitment. Earlier, the REET 2022 Certificate Notice is out, for candidates on 6th December 2022! Candidates can download the certification through the official certificate link. REET 2022 Written Exam Result was out on 29th September 2022! The final answer key was also out with the result. The exam was conducted on the 23rd and 24th of July 2022. The candidates must go through the REET Result 2022 to get the direct link and detailed information on how to check the result. The candidates who will be finally selected for 3rd Grade Teachers are expected to receive Rs. 23,700 as salary. Then, the candidates will have to serve a probation period which will last for 2 years. Also, note during probation, the teachers will receive only the basic salary.

?श्री अर्जुनलाल सेठीने राजस्थान में क्रांति और जनजागृतीपैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
?अर्जुन लाल सेठी ने जयपुर में 1905 में जैन शिक्षा प्रसार समितिकी स्थापना की इसके अंतर्गत वर्द्धमान विद्यालय, वर्द्धमान छात्रावास और वर्द्धमान पुस्तकालय चलाए गए सेठ जी ने देश में भावी क्रांति के लिए युवकों को तैयार किया अर्जुन लाल सेठीने भारत में अंग्रेजी राज पर रचना करी थी
?अर्जुन लाल सेठी के निधन पर पंडित सुंदरलाल ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था की “”दधीचि जैसा त्याग और दृढ़ता लेकर वे जन्में थे और उसी दृढ़ता में उन्होंने मृत्यु को गले”” लगाया
?जयपुर उत्तरदायी शासन की स्थापना करने,नागरिक अधिकारों की मांग और शासन की दमनात्मक नीतियोंका संगठित व प्रभावी मुकाबला करने हेतु जयपुर के कार्यकर्ताओं द्वारा कई संस्थाओं की सनातन धर्म मंडल, समाज सुधार मंडल, जयपुर हितकारिणी सभाकी स्थापना की गई
?इन संस्थाओं ने समाज सुधार के साथ  राजनीतिक जागृतिका कार्य भी किया गया जयपुर राज्य में प्रशासनिक कार्यों में फारसी भाषा का प्रयोगकिया जाता था रीजेन्सी की हुकूमत के समय अंग्रेजी का अधिक प्रचलन बढ़ने लगा स्थानीय लोगों को फारसी भाषा का ज्ञान होने के बावजूद उन्हें सरकारी नौकरियों में नहीं लिया जाता था इस कारण जनता के प्रबुद्ध वर्ग मे असंतोष व्याप्त हो गया
?परिणाम स्वरूप ठाकुर कल्याण सिंह, श्यामलाल वर्मा आदि के नेतृत्व में 1922में जयपुर में हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए आंदोलन किया गया
?जयपुर में राजनीतिक आंदोलन का प्रारंभ अर्जुन लाल सेठी द्वारा किया गया बाद में यह कार्य सेठ जमुनालाल बजाज द्वारा रचनात्मक कार्य में परिवर्तित हो गया 1921 के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर राज्य में सेवा समितियोंकी स्थापना हुई
?जमनालाल बजाज द्वारा 1927 में चरखा संघ की स्थापना की गई *

?1931 में श्री कपूरचंद पाटनी*द्वारा जयपुर राज्य प्रजामंडल की स्थापनाकी गई थी यह राज्य का पहला प्रजामंडल था 
?लेकिन सरकार द्वारा इसके कार्यों में तरह-तरह की बाधाएंउत्पन्न करने और अपेक्षित जनसहयोग व उत्साहित कार्यकर्ताओं के अभावके कारण यह अगले 5 वर्षों तक राजनीतिक दृष्टि से प्रभावी भूमिका नहीं निभा पाया इस कारण अगले 5 वर्षों तक यह प्रजामंडल निष्क्रियबना रहा इस दौरान इसकी संपूर्ण गतिविधियां खादी उत्पादन और प्रचार जैसेे रचनात्मक कार्यतक ही सीमित रही यह प्रजामंडल राजनीतिक दृष्टिसे अधिक प्रभावशाली नहींरहा
?कांग्रेस के हरिपुरा प्रस्ताव के बाद जमनालाल बजाज लाल बजाज की प्रेरणा व हीरालाल शास्त्री के सक्रिय सहयोग से 1936-37जयपुर राज्य प्रजामंडल का पुनर्गठन किया गया  

?इस प्रजामंडल का मूल उद्देश्य उत्तरदायित्व शासन की स्थापना करना था प्रारंभ में जयपुर के एडवोकेट श्री चिरंजीलाल मिश्रा को प्रजा मंडल का अध्यक्ष बनाया गया श्री हीरालाल शास्त्री को महामंत्री व श्री कपूरचंद पाटनी को संयुक्त मंत्री बनाया गया 
?प्रजामंडल के अन्य प्रमुख सदस्य बाबा हरिश्चंद्र, सर्व श्री हंस दी राय ,लादूराम जोशी, टीकाराम पालीवाल, पूर्णानंद जैन, हरिप्रसाद शर्मा ,रामकरण जोशी, सरदार मल गोलेछा ,रूप चंद सोगानी आदि थे
?इसी समय श्री हीरालाल शास्त्री ने वनस्थली में स्थापित अपनी संस्था जीवन कुटीर के माध्यम से कार्यकर्ताओं की एक अच्छी मंडली तैयार कर ली गई थी श्री हीरा लाल शास्त्रीद्वारा तैयार की गई कार्यकर्ताओं की मंडली में गांव-गांव जाकर प्रजामंडल का संदेश पहुंचाया
?नवगठित प्रजामंडल ने 1937 से अपना  कार्य करना प्रारंभ कर दिया था 1938में प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन जयपुर में करने और सेठ जमुनालाल बजाज को इस प्रजामंडल का अध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया गया 1938में सेठ जमुनालाल बजाज को जयपुर प्रजामंडल का अध्यक्ष बनाया गया
?जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में जयपुर प्रजामंडल का प्रथम अधिवेशन 8 और 9 मई 1938 को जयपुर में आयोजित किया गया था जयपुर प्रजामंडल के प्रथम अधिवेशन में श्रीमती कस्तूरबा गांधी ने भी भाग लिया था जयपुर प्रजामंडल के प्रथम अधिवेशन में जयपुर महाराजा से उत्तरदायी शासन की मांगकी गई थी
?साथ ही में 1 फरवरी को राज्य सभाए करने, जुलूस निकालने और संगठन बनाने की स्वतंत्रता राज्य नहीं देता है तो प्रजामंडल सिविल नाफरमानी करने को मजबूर होगा
?सरकार ने मांगे स्वीकार करने की जगह इस प्रजामंडल को गैर कानूनी संस्था घोषितकर दिया था
?जयपुर सरकार द्वारा कानून बनाकर इस प्रजामंडल को गैरकानूनी घोषित करने का मुख्य उद्देश्य प्रजामंडल की जनता को हतोत्साहितकरना था
?श्री जमुनालाल बजाज जयपुर राज्य की सीमा में नहीं रहते थे इस कारण इस संस्था का पंजीकरण नहीं हो पाया था जमुनालाल बजाज सीकर के निवासी थे और उस समय यह वर्धा में रहते थे यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोषाध्यक्ष थे
?शेखावाटी किसान सभाजो कई वर्षों से शेखावाटी के किसानों में राजनीतिक जागृति उत्पन्न कर ठिकानेदारों के अत्याचारों के विरुद्ध संघर्ष कर रही थी “1938 में श्री हीरालाल शास्त्री के प्रयासों*से शेखावाटी किसान सभा का जयपुर प्रजामंडल में विलय कर लिया गया
?जयपुर प्रजामंडल में किसान शक्ति के व्यापक समर्थन के जुडजाने से जयपुर प्रजामंडल की शक्ति और लोकप्रियता में असाधारण वृद्धि हुई 30 मार्च 1938को सरकार ने आदेश जारी किया कि राज्य की कोई भी संस्था बिना पंजीकरण करवाएं किसी भी तरह की गतिविधियां नहींकर सकती हैं
?संस्था के पंजीकरण के लिए सरकार द्वारा ऐसी शर्तें लागू कर दी गई जिसे प्रजामंडल अपनी गतिविधियां नहींचला सकता यही से संघर्ष की शुरुआत हुई जयपुर राज्य में प्रशासन पर अंग्रेज अधिकारियों का नियंत्रण था


?जयपुर सरकार ने जमुनालाल बजाज के जयपुर राज्य में प्रवेश पर प्रतिबंधलगा दिया था राज्य द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को तोड़कर 1 फरवरी 1939 को जयपुर में प्रवेश कर नागरिक अधिकारों की मांग पूरजोर शब्दों में रखने का निर्णय लिया सरकार ने प्रजामंडल की मांगों पर विचार करने की वजह प्रजामंडल को अवैध घोषितकर दिया और राज्य में प्रवेश करते समय 1 फरवरी 1939 को  श्री जमुनालाल बजाज को बंदी बना लिया गया और इन्हें मोरा सागर डाक बंगले में रखा गया था वहां इन्हें पढ़ने के लिए अखबार तक नहीं दिया जाता था उन्हीं के साथ अन्य नेता श्री हीरालाल शास्त्री चिरंजीलाल अग्रवाल व कपूरचंद पाटनीभी बंदी बनाए गए


? राज्य सरकार द्वारा प्रजामंडल को अवैध घोषित करने के बाद प्रजामंडल का कार्यालय आगरा स्थानांतरितकर दिया गया 5 फरवरी 1939से सरकार की दमनकारी नीति के विरोध में प्रजामंडल ने सत्याग्रह प्रारंभकिया
?जयपुर में सत्याग्रह का संचालन गुलाबचंद कासलीवाल व दौलतमंद भंडारी के नेतृत्व में शुरू हुआ राज्य में सत्याग्रह के लिए जत्थे जयपुर राज्य के बाहर से मुंबई, वर्धा ,धूलिया आदि से आए थे इस सत्याग्रह में स्त्रियों ने भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोगकिया
?5 मार्च 1939 को हीरालाल शास्त्री की पत्नी रतन देवी के नेतृत्व में 6महिला स्त्रियों का जत्था गिरफ्तार हुआ था
?12 मार्च 1939 को हीरालाल शास्त्री (जयपुर सत्याग्रह काउंसिल के संयोजक) ने जयपुर दिवस मनाने की घोषणा की थी जयपुर दिवस के अवसरपर जमुना लाल बजाज ने संदेश भेजा था कि हम लड़ाई के मध्य में पहुंचचुके हैं इस सत्याग्रह में मुसलमानों ने भी प्रजामंडलका पूरा साथ दिया था
?18 मार्च 1939 को जयपुर में श्रीमती दुर्गा देवी शर्मा के नेतृत्व में महिला सत्याग्रह के प्रथम जत्थेने गिरफ्तारी दी
?अखिल भारतीय स्तर पर इस प्रश्न को गांधी जी ने उठाया व जयपुर के महाराजा को समझौते के लिए चेतावनी दी  जेल में बंद प्रजामंडल के नेताओं और सरकारों के बीच औपचारिक रूप से समझौता वार्ता शुरू हुई 5 अगस्त को प्रजामंडल की कार्यकारिणी के सदस्य रिहा कर दिए गए औपचारिक बातचीत के बाद 7 अगस्त 1939 को समझौता हुआ 

  • जिसके तहत प्रजामंडल को सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीयनकराना स्वीकार कर लिया गया
  • दूसरा सरकार ने प्रजामंडल की मूलभूत अधिकारों की मांग स्वीकार कर ली 

?इन सभी कारणों से गांधीजी के निर्देश से 18 मार्च 1939 को सत्याग्रह स्थगितकर दिया गया गांधी जी द्वारा जयपुर सत्याग्रह को अचानक स्थगित करने के कारण राधा-कृष्ण बजाज और श्रीमती रतन शास्त्री दिल्ली गई दिल्ली में उन्होंने गांधीजी को आंदोलन के बारे में बताया गया और सत्याग्रह की स्थिति से अवगत कराया गांधी जी ने सत्याग्रह को स्थगित करना उचित बताते बताया और लिखित रूप में श्रीमती रतन शास्त्री को आदेश दिया


?2 अप्रैल 1940 को प्रजामंडल और जयपुर सरकार के मध्य समझौता हुआ समझौते के तहत प्रजामंडल को 2 अप्रैल 1940 को पंजीकृतकर लिया गया
 इस विधिवत पंजीकृत प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष श्री हीरालाल शास्त्री 1940 में बने 


?2 अप्रैल 1940 को जयपुर सरकार और प्रजा मंडल के बीच हुए समझौते में निम्न शर्तें रखी गई

  • जन-संस्था का नाम प्रजामंडल ही रहेगा 
  • प्रजा मंडल का सदस्य जयपुर राज्य के बाहर भी किसी भी राजनीतिक संस्था का सदस्य बनसकेगा
  • 3⃣ जनता को भाषण का अधिकार होगा
  • 4⃣ प्रजामंडल का उद्देश्यराज्य में महाराजा की छत्रछाया में उत्तरदायी शासनकी स्थापना करना है 
  •  

?यह सभी बातें जयपुर प्रजामंडल के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी इसके साथ ही जयपुर राज्य की राजनीतिक इतिहासमें एक नया अध्याय प्रारंभ हुआ मई 1940 में आपसी मतभेदों की वजह से कहीं कार्यकर्ताओं ने प्रजामंडल छोड़ दिया चिरंजीलाल अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रजामंडल प्रगतिशील दलनामक संगठन की स्थापना की गई

??जेंटलमेन एग्रीमेंट 1942?? 

?1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय श्री हीरालाल शास्त्री और जयपुर के प्रधानमंत्री की मिर्जा इस्माइल से एक समझौता हुआ था इस समझौते के तहत जयपुर में भारत छोड़ो आंदोलन नही चलाया गया था इस समझौते से नाराज प्रजामंडल के कुछ कार्यकर्ताओं ने अलग से आजाद मोर्चा का गठन किया और जयपुर में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया गया
?1942 में जयपुर राज्य प्रजामंडल की भूमिका विवादस्पद रही जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष श्री हीरालाल शास्त्री और जयपुर के प्रधान-मंत्री सर इस्माइल मिर्जा के संबंध अच्छेथे इस कारण जयपुर राज्य द्वारा प्रजामंडल को उनकी मांगों के प्रति संतुष्टकर दिया गया था जिस वजह से हीरालाल शास्त्री ने जयपुर में आंदोलन प्रारंभ करने का विचार त्याग दिया था लेकिन इस प्रजामंडल में एक ऐसा वर्ग था जो शास्त्री जी से सहमत नहींथा इस कारण समझोता वादी नीति के विरूद्ध हरिश्चंद्र के नेतृत्व में आंदोलन प्रारंभ कर दिया गया इस कारण शास्त्री जी को झुकना पड़ा
?16 सितंबर 1942 को जयपुर प्रजामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष श्री हीरालाल  शास्त्री जी ने जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा इस्माइल को पत्र लिखकर कुछ शर्तेंरखी
1. युद्ध के लिए राज्य अंग्रेजो को जन-धन की सहायता नहीं करेगा
2. प्रजामंडल को राज्य में शांतिपूर्वक युद्ध विरोधी अभियान चलानेकी अनुमति होगी 

3.  राज्य द्वारा उत्तरदायी शासन देने की दृष्टि से कार्यवाही जल्दी शुरु की जाएगी


? इन शर्तो की पालना न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई *26 अक्टूबर 1942*को जयपुर नरेश ने राज्य में संवैधानिक सुधारों के लिए विशेष समिति नियुक्त कि समिति ने राज्य में प्रतिनिधि सभा और लेजिस्लेटिव असेंबली के गठनका सुझाव दिया इस कारण शास्त्री जी ने महाराजा के विरुद्ध आंदोलन नहींछेड़ा थ शास्त्री जी के इस फैसले का विरोध किया गया
?यह समझौता भारत छोड़ो आंदोलन की मूल भावनाओंके विपरीत था जिस कारण कुछ लोगों ने अलग संगठन बनाकर भारत छोड़ो आंदोलन को सक्रिय बनाया जिससे शास्त्री जी को झुकना पड़ा और जयपुर के प्रधानमंत्री को आंदोलन की चेतावनी दी गई
?आंदोलन की चेतावनी मिलते ही प्रधानमंत्री सर इस्माइल मिर्जा ने पत्र द्वारा हीरालाल शास्त्री को वार्ता हेतु आमंत्रितकिया और हीरालाल शास्त्री और सरकार के बीच प्रजामंडल की शर्तों को स्वीकार कर लिया गया इनके बीच एक समझौता हुआ जिसे जेंटलमेन एग्रीमेंटकहा गया
?लेकिन यह एग्रीमेंट एक धोखा था हीरालाल शास्त्री द्वारा प्रधानमंत्री सर मिर्जा को दिए गए अल्टीमेटम में एक मागं थी वह मांग महाराजा ब्रिटिश सरकार से संबंध विच्छेदकरने किथी लेकिन इस एग्रीमेन्ट  इस मांग का कोई जिक्रनहीं था इस प्रकार जयपुर के प्रधानमंत्री सर मिर्जा ने जयपुर प्रजामंडल को कुछ किए बिना ही निष्क्रिय कर दिया इन सब वजह से हीरालाल शास्त्री जी की सर्वत्र आलोचना हुई 

??आजाद मोर्चा?? 
?जेंटलमेन एग्रीमेंट समझौते के तहत भारत छोड़ो आंदोलन में हीरालाल शास्त्री द्वारा निष्क्रिय बने रहने के कारण और महाराजा जयपुर के विरुद्ध आंदोलन करने का विचार त्याग देने के कारण एक अलग संगठन बनाकर जयपुर में भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारंभ किया इस संगठन का गठन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय किया गयान इस संगठन का नाम आजाद मोर्चा रखा गया था
?यह आन्दोलन  बाबा हरिश्चंद्र के नेतृत्व में चलाया गया 
?आजाद मोर्चा के अन्य कार्यकर्ता➖ गुलाबचंद कासलीवाल, चंद्रशेखर शर्मा, राधेश्याम शर्मा ,ओम दत्त शास्त्री, मदनलाल खेतान ,चिरंजीलाल, मिश्रीलाल, मुक्तिलाल मोदी, विजय चंद जैन ,अलाबक्ष चौहान, मास्टर आनंदीलाल नाई, भवरलाल सामोदिया आदि थे
?आजाद मोर्चा ने अपना आंदोलन जारी रखा आंदोलन जारी रखने के कारण और जेंटलमेन एग्रीमेंट का उल्लंघन करने के कारण सरकार ने आजाद मोर्चा के नेताओं को गिरफ्तारकर लिया गया था आजाद मोर्चा के नेताओं ने हीरालाल शास्त्री पर विश्वासघात का आरोप लगाया था छात्राओं ने भी इस आंदोलन में अपना योगदान दिया था वनस्थली विद्या पीठकी कुछ छात्राओं ने धरने दिये थे
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इनमें से एक छात्रा शांति देवी ने 5 अक्टूबर 1942 को एक सभा में जनता को संबोधित किया था 
?श्रीमती रतन शास्त्री ने बनस्थली विद्यापीठ के कार्यकर्ताओं और छात्रोंको आंदोलन में भाग लेने की खुली छूट दे दी थी इस कारण कार्यकर्ताओं ने बाहर जाकर काम किया बाहर भूमिगत रहते हुए आंदोलन का संचालन करने वालों में 
डॉक्टर बी केस्तकर मोहनलाल गौतम द्वारकानाथ कचरूआदि प्रमुख थे
?आंदोलन में जयपुर के कॉलेज और स्कूल के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया सर्वोदयी नेताजी सिद्धराज ढड्डाने भी इस आंदोलन के दौरान गिरफ्तारी दी थी
?1942 के आंदोलन का प्रभाव कम होने के साथ ही आजाद मोर्चा के कार्यकर्ताओं को रिहाकर दिया गया
?1945 में श्री जवाहरलाल नेहरू की प्रेरणा से आजाद मोर्चा को बाबा हरिश्चंद्र ने पुनः प्रजामंडल में विलीन कर दिया

​?26 अक्टूबर 1942को जयपुर महाराजा द्वारा संवैधानिक सुधार हेतु एक समिति का गठन किया गया था
? इस समिति में प्रतिनिधि सभा और लेजिस्लेटिव असेंबली के गठन का सुझाव दिया गया था
?इस समिति ने 2 अप्रैल 1943 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की
1⃣ जिसके तहत *एक विधानसभा
2⃣ एक प्रतिनिधि सभा की स्थापना करने
3⃣ कार्यपालिका में कम से कम आधे मंत्री जनता द्वारा निर्वाचित विधानसभा से लेने की सिफारिश की गई
?1944 के जयपुर प्रजामंडल के अधिवेशन की अध्यक्षता जानकी देवी बजाज ने की थी
?जिसमें 1 जून 1944को जयपुर राज्य में उत्तरदायी सरकार की स्थापना के लिए संवैधानिक सुधारों की घोषणा के तहत जयपुर राज्य सरकार अधिनियम पास हुआ
?जिसके तहत 1945 में विधानसभा और प्रतिनिधि सभा के निर्वाचन हुए
?इस निर्वाचन में जयपुर प्रजामंडल ने भी भागलिया था लेकिन विशेष सफलता प्राप्त नहीं होती
?सितंबर 1945 में नए व्यवस्थापक मंडल का गठन हुआ
?मार्च 1946 में टीकाराम पालीवाल ने विधानसभा में राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना संबंधी प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे स्वीकृत कर लिया गया
?1946 में राज्य में विधानसभा और विधान परिषद की स्थापना हुई
?प्रजा मंडल के सदस्य श्री देवी शंकर तिवारी व श्री दौलत राम भंडारी को 15 मई 1946 को राज्य मंत्रिमंडल में लिया गया
?इस प्रकार जयपुर राज्य राजस्थान का पहला राज्य बन गया जिसमें अपने मंत्रिमंडल में गैरसरकारी मंत्री की नियुक्ति की थी
?मार्च 1946 में जयपुर धारासभा में स्वीकृत उत्तरदायी सरकार संबंधी प्रस्तावका ध्यान रखते हुए राज्य का संशोधित विधान तैयार करने के लिए 14 मई 1947 को एक समिति नियुक्त की गई
?जयपुर सरकार और प्रजा मंडल के मध्य संवैधानिक सुधारों संबंधी 3 महीने बाद एक समझौता हुआ
?राज्य में इस समझौते के तहत राज्य में उत्तरदायी शासन की स्थापना का निश्चय हुआ
?1 मार्च 1948को जयपुर के प्रधानमंत्री वी.टी. कृष्णामाचारी में संवैधानिक सुधारों की घोषणाकी
?इसमें यह निश्चय कियागया कि मंत्रीमंडल को विकसित किया जाएगा और प्रधानमंत्री को छोड़कर शेष सभी मंत्री धारा सभा के समस्त दलो में से लिए जायेंगे
?प्रधानमंत्री को दीवान मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव और मंत्रियों को सचिव कहा जाएगा
?अब मंत्रिमंडल में एक दीवान एक मुख्य सचिव और पांच सचिव होंगे
?यह सब वर्तमान विधान के अधीन एक उत्तरदायी मंत्रिमंडल की भांति मिलकर कार्य करेंगे
?28 मार्च 1948 को महाराजा ने वी.टी. कृष्णाचार्य को दीवान नियुक्तकिया हीरालाल शास्त्री को मुख्य सचिव बनाया गया
?देवी शंकर तिवारी ,दौलतमल भंडारी, और टीकाराम को प्रजा मंडल की ओर से सचिवबनाए गए
?गीजगढ़ के ठाकुर कुशल सिंह और अजय राजपुरा के मेजर जनरल रावल अमरसिह को जागीरदारों का प्रतिनिधिकरने वाले सचिव थे
?वृहद राजस्थान का निर्माण होने तक यही लोकप्रिय मंत्रीमंडल बना रहा

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1938 में जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष कौन थे?

सही उत्‍तर जमनालाल बजाज है। जमनालाल बजाज की अध्यक्षता में 1938 में जयपुर राज्य प्रजामंडल का प्रथम वार्षिक अधिवेशन हुआ।

जयपुर प्रजामंडल के संस्थापक कौन थे?

सही उत्तर है दौलतमल भंडारी। दौलतमल भंडारी ने जयपुर में 'प्रजा मंडल' का गठन किया ।

1942 में जयपुर प्रजामंडल के अध्यक्ष कौन थे?

1942 को प्रजामण्डल के अध्यक्ष हीरालाल शास्त्री व रियासती प्रधानमंत्री मिर्जा इस्माइल के बीच जेन्टलमेट्स समझौता हुआ। जिसमें प्रजामण्डल को भारत छोड़ो आन्दोलन से अलग रखा गया। यह राजस्थान का प्रथम प्रजामण्डल था।

मारवाड़ प्रजामंडल के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

मारवाड़ प्रजामण्डल की स्थापना 1934 में जयनारायण व्यास तथा भंवरलाल सर्राफ ने की थी। मारवाड़ में राजनैतिक जागरूकता का श्रेय 1920 में स्थापित ''राजस्थान सेवा संघ'' की उपशाखा ''मारवाड़ सेवा संघ'' को जाता है। जिसकी अध्यक्षता चांदमल सुराणा ने की।