18 फरवरी 1946 को मुंबई में नौसेना विद्रोह के पीछे क्या कारण उत्तरदाई थे? - 18 pharavaree 1946 ko mumbee mein nausena vidroh ke peechhe kya kaaran uttaradaee the?

  • 21 Feb 2020
  • 6 min read

संदर्भ?

74 वर्ष पहले 18 फरवरी, 1946 को तकरीबन 1,100 भारतीय नाविकों या HMIS तलवार के जहाज़ियों और रॉयल इंडियन नेवी (Royal Indian Navy-RIN) ने भूख हड़ताल की घोषणा की, जो कि नौसेना में भारतीयों की स्थितियों और उनके साथ व्यवहार से प्रभावित थी। इस हड़ताल को एक “स्लो डाउन’ हडताल भी कहा जाता है, जिसका अर्थ था कि जहाज़ी अपने कर्तव्यों को धीरे-धीरे पूरा करेंगे।

  • HMIS तलवार के कमांडर, F M किंग ने कथित तौर पर नौसैनिक जहाज़ियों को गाली देते हुए संबोधित किया, जिसने इस स्थिति को और भी आक्रामक रूप दे दिया।

1946 नौसेना विद्रोह: हड़ताल और मांग

  • 18 फरवरी को शुरू हुई इस हड़ताल में धीरे धीरे तकरीबन 10,000-20,000 नाविक शामिल हो गए, इसका कारण यह था कि कराची, मद्रास, कलकत्ता, मंडपम, विशाखापत्तनम और अंडमान द्वीप समूह में स्थापित बंदरगाहों के चलते एक बड़ा वर्ग इस हड़ताल के प्रभाव में आ गया।
  • हालाँकि इस हड़ताल की तत्काल मांग बेहतर भोजन और काम करने की स्थिति भर थी, लेकिन इस आंदोलन को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की व्यापक मांग में परिवर्तित होने में ज़्यादा वक्त नहीं लगा और देखते ही देखते इसने व्यापक रूप धारण कर लिया।

18 फरवरी 1946 को मुंबई में नौसेना विद्रोह के पीछे क्या कारण उत्तरदाई थे? - 18 pharavaree 1946 ko mumbee mein nausena vidroh ke peechhe kya kaaran uttaradaee the?

  • जल्द ही प्रदर्शनकारी नाविक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई, कमांडर F M किंग द्वारा दुर्व्यवहार और अपमानजनक भाषा का उपयोग करने के चलते कार्यवाही, RIN के कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते को उनके समकक्ष अंग्रेज़ कर्मचारियों के सममूल्य रखने, इंडोनेशिया में तैनात भारतीय बलों की रिहाई, और अधिकारियों द्वारा अधीनस्थों के साथ बेहतर व्यहार करने जैसे मुद्दों की मांग करने लगे।

1946 नौसेना विद्रोह: राष्ट्रवाद का उत्थान

  • RIN हड़ताल ऐसे समय में हुई जब देश भर में भारतीय राष्ट्रवादी भावना अपने चरम पर पहुँच गई थी। 1945-46 की सर्दियों में तीन हिंसक उतार-चढ़ाव देखने को मिले: नवंबर 1945 में कलकत्ता में INA के अधिकारियों के मामले की सुनवाई; फरवरी 1946 में दोबारा कलकत्ता में ही आईएनए अधिकारी राशिद अली को सज़ा और इसी महीने बॉम्बे में नौसेनिक विद्रोह।
  • इस हड़ताल को उस समय झटका लगा जब RIN के एक जहाज़ी बीसी दत्त को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसने HMIS तलवार पर ‘भारत छोड़ो’ का नारा दिया था। हड़ताल शुरू होने के अगले दिन से ही जहाजियों ने बॉम्बे के आसपास के क्षेत्रों में गाड़ियों में बैठकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, उन्होंने कांग्रेस का झंडा लहराते हुए प्रदर्शन किया।
  • जल्द ही आम जन भी इन जहाजियों के साथ शामिल हो गए, इसके चलते बंबई और कलकत्ता दोनों में एक आभासी गतिरोध उत्पन्न हो गया। दोनों शहरों में अनगिनत बैठकें, जुलूस और हड़ताल हुई। बंबई में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और बॉम्बे स्टूडेंट्स यूनियन के आह्वाहन पर मज़दूरों ने एक आम हड़ताल में भाग लिया। देश भर के कई शहरों में छात्रों ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए कक्षाओं का बहिष्कार किया।
  • इन हड़तालों और प्रदर्शनों के संबंध में राज्य की प्रतिक्रिया काफी क्रूर थी। एक अनुमान के अनुसार, पुलिस की गोलीबारी में 220 से अधिक लोग मारे गए, जबकि लगभग 1,000 घायल हुए।

विद्रोह के संबंध में कांग्रेस का रुख

  • आम तौर पर इतिहासकारों का मानना ​​है कि विद्रोहियों को न तो कांग्रेस और न ही मुस्लिम लीग का समर्थन मिला। हड़तालियों ने बंबई में एक शहर-व्यापी हड़ताल का आह्वान किया।
  • 22 फरवरी तक शहर का एक बड़ा हिस्सा हड़ताल से प्रभावित हो चुका था, हालाँकि शहर के विभिन्न स्थानों पर हिंसक घटनाएँ घटित हुई।

घटनाओं का महत्त्व

  • RIN विद्रोह आज एक किंवदंती बना हुआ है। यह एक ऐसी घटना थी जिसने ब्रिटिश शासन के अंत को देखने के भारतीय लोगों के दृढ़ संकल्प को मज़बूती प्रदान की। यह विद्रोह धार्मिक समूहों के बीच गहरी एकजुटता और सौहार्द का प्रमाण था, जो उस समय देश में फैलती साम्प्रदायिक घृणा और वैमनस्यता के प्रतिउत्तर के रूप में प्रस्तुत हुआ। हालाँकि दुखद बात यह है कि यह ऐसा समय था जब दो प्रमुख समुदायों के बीच एकता की तुलना में सांप्रदायिक एकता प्रकृति में अधिक संगठनात्मक थी। इसकी परिणति कुछ ही महीनों के भीतर नज़र भी आ गई, भारत इतिहास के एक बेहद भयानक सांप्रदायिक संघर्ष का गवाह बना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

18 फरवरी 1946 को बॉम्बे में नौसेना विद्रोह के पीछे क्या कारण उत्तरदायी थे?

फरवरी 1946 का नौसेना विद्रोह ब्रिटिश सरकार के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी की बात थी। ब्रिटेन ने दो शताब्दियों तक शासन किया और नौसेना विभाग की डींगें मारीं।

नौसेना विद्रोह के क्या कारण थे?

नौसैनिक विद्रोह का कारण था भारतीय सैनिकों को दिया जानेवाला घटिया भोजन, नस्लीय टिप्पणी,घटिया रहन सहन,अपने ब्रिटिश समकक्ष के तुलना में कम वेतन इत्यादि। विद्रोही नौसैनिकों की क्या मांग थी? नौसैनिकों की मुख्य मांग थी:-बेहतर रहन सहन, बेहतर भोजन,ब्रिटिश समकक्षों के समान वेतन। हालांकि यह सिर्फ आरंभिक मांग था।

नौ सेना विद्रोह कब और क्यों हुआ?

18 फरवरी 1946 को 'भड़का' भारतीय नौसेना विद्रोह (RIN) लंबे समय तक नवंबर 1945 में आजाद हिंद फौज (INA) के अफसरों और सैनिकों पर चलने वाले राजनीतिक मुकदमे की छाया में ढंका रहा. इस मुकदमे ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया हुआ था.

1946 में भारतीय नौसेना ने विद्रोह किया उस जहाज का नाम क्या था जिसमें यह विद्रोह हुआ था?

विद्रोह की स्वत:स्फूर्त शुरुआत नौसेना के सिगनल्स प्रशिक्षण पोत 'आई. एन.एस. तलवार' से हुई।