104 वां संविधान संशोधन क्या है? - 104 vaan sanvidhaan sanshodhan kya hai?

Testbook Edu Solutions Pvt. Ltd.

1st & 2nd Floor, Zion Building,
Plot No. 273, Sector 10, Kharghar,
Navi Mumbai - 410210

[email protected]

Toll Free:1800 833 0800

Office Hours: 10 AM to 7 PM (all 7 days)

104 वां संविधान संशोधन क्या है? - 104 vaan sanvidhaan sanshodhan kya hai?

कानून और न्याय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा में संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) बिल, 2019 पेश किया।

यह विधेयक अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के आरक्षण से संबंधित प्रावधानों में संशोधन करता है। संविधान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससीज़ और एसटीज़ के लिए सीटों के आरक्षण और मनोनयन के द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करता है। संविधान के लागू होने के बाद 70 वर्ष की अवधि के लिए यह प्रावधान लागू किया गया था और 25 जनवरी, 2020 को यह समाप्त हो जाएगा। बिल एससी और एसटी के लिए आरक्षण को 25 जनवरी, 2030 तक 10 वर्षों के लिए और बढ़ाने का प्रयास करता है।

आरक्षण को आर्टिकल 334 में शामिल किया गया है।आर्टिकल 334 कहता है कि एंग्लो-इंडियन, एससी और एसटी को दिए जाना वाला आरक्षण 40 साल बाद खत्म हो जाएगा. इस खंड को 1949 में शामिल किया गया था. 40 वर्षों के बाद इसे 10 वर्षों के विस्तार के साथ संशोधित किया जा रहा है।

>> संविधान में किये गये प्रमुख संशोधन।

105 वां संविधान संशोधन क्या है?

राज्य ने संविधान (105वां संशोधन) अधिनियम, 2021 पर निर्भर कानून का बचाव किया। इसके अनुसार, इस संशोधन ने राज्य सूचियों और पिछड़े वर्गों की पहचान करने और उन्हें अधिसूचित करने की राज्यों की शक्ति को संरक्षित किया।

104 वां संविधान संशोधन में क्या है?

104 वें संविधान संशोधन अधिनियम ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन के लिए सीटों के आरक्षण को समाप्त कर दिया और एससी और एसटी के लिए आरक्षण को दस साल तक बढ़ा दिया। भारत के संविधान के अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति द्वारा 'आंग्ल भारतीय' समुदाय के सदस्यों को लोकसभा में नामित किया जा सकता है।

104 वा संविधान संशोधन कब हुआ था?

104वां संविधान संशोधन 2019 में हुआ था। 26 जनवरी 2021 तक भारतीय संविधान में 104 संशोधन हो चुके हैं।

106 वां संविधान संशोधन कौन सा है?

Notes: 106वां संविधान संशोधन 22 मई 2006 को स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कार्य, लोकतांत्रिक नियंत्रण और पेशेवर प्रबंधन के माध्यम से सहकारी समितियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से पेश किया गया। पारित होने के लिए लोकसभा में विधेयक पर चर्चा नहीं की जा सकी। विधेयक 18.05.2009 को 14 वीं लोक सभा के विघटन पर समाप्त हो गया।