युवकों का समाज में स्थान शीर्षक निबंध का केंद्रीय भाव क्या है?
अथवा
युवा शक्ति विषय पर संक्षिप्त में एक निबंध लिखिए।
अथवा
युवकों का समाज में स्थान नामक निबंध के माध्यम से लेखक ने युवकों को कौन सा संदेश देने का प्रयास किया है स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आचार्य नरेंद्र देव के अनुसार समाज में युवकों की क्या भूमिका होनी चाहिए।
वर्तमान समाज में स्थिरता आ गई है। विकास की गति मंद हो गई है इस चिंतन का प्रारंभ कर आचार्य नरेंद्र जी ने युवकों का समाज में स्थान को लिखा है जिसमें उन्होंने युवकों का समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका बताया है। नए समाज के रचनाकार विचारों के संपादक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करने वाले युवक ही होते हैं।
लेखक यह मानते हैं वृद्ध जहां समाज का नेतृत्व करता है वहां मुख्य आधार उनका अनुभव होता है ।किंतु वही नए प्रकार की शिक्षा व प्रश्नों को नहीं उठाते एक नियत ढर्रे पर चलते रहते हैं। जिससे विकास की गति मंद पड़ जाती है। अतः नव युवकों को समाज व देश की बागडोर संभालने चाहिए युवकों की माता को बताते हुए लेखक ने कहा है।
1.युवक मैं साहस और शौर्य तेज त्याग की भावना प्रबल होती है।
2. युवक ने समाज के संस्थापक होते हैं।
3. युवक आत्म बलिदान के लिए उद्धत होते हैं।
4. युवक समाज के अच्छे नेतृत्वकर्ता होते हैं।
5. संकटकालीन परिस्थितियों का सामना युवक धैर्य पूर्वक व हिम्मत से करते हैं।
6. युवक रचनात्मक कार्य करने हेतु लालायित रहते हैं।
7. नूतन समाज की रचना का और प्रचलित सामाजिक पद्धति को तोड़ने की युवक में सामर्थ होती है।
8. युवक भाव प्रमाण होता है तथा शक्ति का भंडार होता है।
नरेंद्र जी कहते हैं कि युवक का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है यदि वृत्त अपने अधिकारों का हस्ता रण नहीं करेगा तो न युवकों को अपने कर्तव्यों का बोध नहीं हो सकेगा। युवकों की शक्ति का सदुपयोग करना अति आवश्यक है वरना वह शक्ति व्यर्थ चली जाएगी सबसे ज्यादा आवश्यकता इस बात के लिए है कि समाज की उन्नति हो तथा विकास ने आयाम को प्राप्त करें जिसके लिए नहीं हुकुम को सामने लाना आवश्यक है।
राष्ट्र उत्थान में युवा शक्ति की भूमिका क्या है?
युवा शक्ति के भंडार होते हैं वह किसी की स्थिति में सामंजस्य कर लेता है वह भाव प्रवण होता है समाज की हर परिस्थिति में वह उसका नेतृत्व करता है जैसे समाज स्वतंत्र होने की चेष्टा कर रहा हो तो वह उस कार्य में लग जाता है यदि समाज सांप्रदायिक दंगों से गुजर रहा है तो वह उसका नेतृत्व करने लगता है ऐसे देखे तो युवक जिस भी कार्य को करता है वह पूरी भावना से पूर्ण करने में लग जाता है
यही गुण राष्ट्र के उत्थान में योगदान देता है । वे राष्ट्र धर्म निभाने को तत्पर रहते हैं लेखक ने कहा भी हैं, युवक अभी संसार के किचन में नहीं फंसा है वह आत्म बलिदान के लिए तैयार रहता है राष्ट्र हित में आंदोलन करता है रूढ़िवादिता व कुरीतियों के विरुद्ध आवाज उठाने की हिम्मत रखता है। अतः राष्ट्र उत्थान में युवा महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।