Show
सामाजिक विज्ञानHistoryGeographyPoliticalEconomicsइतिहास पाठ 1(यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)NCERT BOOK (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से इतिहास का पाठ 1 (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय) को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। माइंड मैप (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)
अभ्यास के प्रश्नप्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए ?
उत्तर:- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी :-
ख) काउंट कैमिलो दे कावूर :
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध :- 15वीं शताब्दी से ही यूनान ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था। परन्तु 19वीं सदी तक राष्ट्रवाद की भावना पूरे यूरोप में फैल चुकी थी। सन् 1821 में यूनान में भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष प्रारंभ हुआ। इस संघर्ष में उन्हें यूरोप के लोगों का साथ मिला। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंत में 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि के अनुसार यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी गई। (घ) फ्रैंकफर्ट ससंद : 1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीक विलियम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की। लेकिन उसने इसे अस्वीकार कर दिया उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। उसके सैनिकों ने क्रांतिकारियों को कुचल दिया जिससे यह संसद भंग हो गई। (ड) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओ की भूमिका : राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओ ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। महिलाओं ने अलग से संगठन स्थापित किए। उन्होंने अपने अखबार शुरू किए। राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से भाग लिया फिर भी उन्हें मताधिकार से वंचित रखा गया। यहाँ तक की सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा में भी महिलाओ को केवल प्रेक्षक बनाकर दर्शक दीर्घा में खड़ा कर दिया। प्रश्न 2. फ़्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ़्रांसीसी क्रांतिकारियो ने क्या कदम उठाए ? उत्तर:- फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए क्रान्तिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए।
प्रश्न 3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उनका क्या महत्व था ? उत्तर :-मारीआन:-मारीआन फ्रांस का राष्ट्र का प्रतीक था। यह एक लोकप्रिय ईसाई नाम था। इसलिए फ्रांस में स्वतंत्रता के प्रतीक को यही नाम दिया गया। इस छवि को लाल टोपी, तिरंगा और कलगी के साथ दिखाया है। जर्मेनिया:- यह जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी। यह बलूत वृक्ष के पत्तों को मुकुट पहनती है। जर्मेनिया की छवि हाथ में तलवार लिए हुए राइन नदी पर पहरा दे रही है। जर्मेनिया गुणों से युक्त राष्ट्रीयता व देशभक्ति का प्रतीक है। इनका निम्नलिखित महत्त्व था:
प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण कि प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाइए ? उत्तर:- (i) पहला चरण:-1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीक विलियम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की। लेकिन सम्राट ने आस्ट्रिया के डर से इसे अस्वीकार कर दिया। उसके सैनिकों ने क्रांतिकारियों को कुचल दिया। (ii)दूसरा चरण:- क्रांति की असफलता के बाद जर्मनी का एकीकरण सैन्य शक्ति और कूटनीति से शुरू हुआ जिसका नेतृत्व बिस्मार्क ने किया। बिस्मार्क ने ‘रक्त और लौह’ की नीति के अंतर्गत डेनमार्क के साथ तीन युद्ध किया और शैल्सविग का क्षेत्र जीत लिया। (iii)तीसरा चरण:-उसके बाद 1866 में आस्ट्रिया के साथ युद्ध हुआ। इस युद्ध में जीत के बाद बहुत सारे प्रदेश जर्मनी में मिल गए। (iv)चौथा चरण:- तीसरा युद्ध फ्रांस के साथ 1870 में हुआ जिसमे फ्रांस की पराजय हुई। इस प्रकार जर्मनी का एकीकरण हुआ और प्रशिया के विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट बना दिया गया। प्रश्न 5.अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए? उत्तर :- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने बहुत बदलाव किए जिन्हें 1804 का सिविल कोड के नाम से जाना जाता है।
चर्चा करें प्रश्न 1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया? उत्तर: उदारवादियों द्वारा की गई फ़रवरी 1848 की क्रांति से फ्रांस के शासक लुई फिलिप को शासन छोड़कर भागना पड़ा। इस क्रांति के बाद राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों को बल मिला। राजनैतिक विकास
सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन
आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन
प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें। उत्तर: यूरोप में राष्ट्रवाद के निर्माण में सांस्कृतिक विरासत का अहम योगदान रहा। इसके तीन उदाहरण निम्न है:-
प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए। उत्तर 19वीं शताब्दी में लगभग पूरे यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना विकसित हो चुकी थी जिस कारण राष्ट्रीय राज्यों का उदय हुआ। इसके दो उदाहरण इटली और बेल्जियम है। इटली:-इटली का अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें सबसे शक्तिशाली सार्डीनिया का राज्य था। इसका प्रधानमंत्री कैवूर (Cavour) था। इटली में अनेक क्रान्तिकारी विद्रोह हुए जिनके फलस्वरूप वहाँ कुछ राजनीतिक सुधार हुए। परन्तु इटली की वास्तविक सफलता का श्रेय कैवूर को जाता है। कैवूर ने 1859 ई० में ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध करके लोम्बार्डी पर अधिकार कर लिया और उसे सार्डीनिया में मिला लिया। इसके बाद 1860 ई० में टस्कनी, माडोना, पार्मा और उत्तर में स्थित पोप के राज्य अपने आप सार्डीनिया के साथ आ मिले। लगभग इसी समय (1860 ई० में ही) गैरीबाल्डी के प्रयासों से सिसली तथा नेपल्स के राज्य भी सार्डीनिया के साथ सम्मिलित हो गए। 1866 ई० में ऑस्ट्रिया-प्रशिया युद्ध में विस्मार्क का साथ देने पर वेनेशिया का प्रदेश सार्डीनिया को मिल गया। 1870 ई० फ्रांस-प्रशिया के युद्ध के समय फ्रांस द्वारा रोम खाली किए जाने पर सार्डीनिया ने रोम पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार इटली राष्ट्र का निर्माण हुआ परन्तु इटली में एकीकरण के बाद राजतन्त्र की स्थापना हुई क्योंकि अभी वहाँ इसी की आवश्यकता अनुभव की गई। बेल्जियम:-1815ई० की वियना संधि द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया। परंतु बेल्जियम में कैथोलिक समर्थक थे और हॉलैंड में प्रोटेस्टेंट समर्थक। हॉलैंड का शासक भी हॉलैंडवासियों को बेल्जियम से श्रेष्ठ मानता था। उसने पूरे बेल्जियम में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की घोषणा कर दी। सभी राजनीतिक पद हाॅलैंड वासियों को ही दे दिए। बेल्जियमवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया। इंग्लैंड ने इस विद्रोह में उनका सहयोग किया। जिस कारण 1830 ई० में बेल्जियम को स्वतंत्र करना पड़ा। इसके बाद यहां इंग्लैंड जैसी कानून व्यवस्था कायम कर दी। 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था? उत्तर:
5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ? उत्तर: बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपने के निम्नलिखित कारण थे: –
अतिरिक्त प्रश्न (परीक्षा-उपयोगी)1 अंक वाले प्रश्न (बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर) (MCQs)प्रश्न 1. जर्मनी के एकीकरण के मुख्य निर्माता कौन-कौन थे? (a) प्रशिया का शासक विलियम प्रथम। (b) प्रशिया का चांसलर बिस्मार्क (c) नैपोलियन बोनापार्ट। (d) जर्मन शासक फैड्रिक महान उत्तर:- (b) प्रशिया का चांसलर बिस्मार्क प्रश्न 2. किस घटना के साथ राष्ट्रवाद के स्पष्ट उत्थान की गाथा जुड़ी हुई है? (a) 1688 की शानदार क्रान्ति (b) 1789 ई. की फ्रांस की क्रांति (c) अमेरिका की क्रान्ति (d) 1917 की रूस की क्रान्ति उत्तर:- (d) 1789 ई. की फ्रांस की क्रान्ति प्रश्न 3. उन्नीसवीं सदी में ऐसी कौन-सी ताकत उभरी जिसने यूरोप की राजनीतिक और भौतिक दुनिया में भारी परिवर्तन किए?(CBSE 2011) (a) राष्ट्र-राज्य का उदय (b) क्षेत्रीय राज्य (c) बहुराष्ट्रीय राजवंशीय शासन (d) पूर्ण राजशाही उत्तर:- (a) राष्ट्र-राज्य का उदय। प्रश्न 4. एक आदर्श कल्पना जिसके वास्तविक अस्तित्व का होना असम्भव है, वह कहलाता है (CBSE 2011) (a) कल्पनादर्श (युटोपिया) (b) निरंकुश (c) सर्वश्रेष्ठ (d) उपरोक्त में से कोई नहीं उत्तर:- (a) कल्पनादर्श (युटोपिया) प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन ‘कल्पनादर्श समाज’ की सबसे अच्छी व्याख्या करता है? (CBSE 2011)
उत्तर:- (c) एक आदर्श समाज जिसकी प्राप्ति कभी नहीं हो सकती प्रश्न 6. नेपोलियन ने इटली पर आक्रमण कब किया?(CBSE 2011) (a) 1905 (b) 1821 (c) 1797 (d) 1795 उत्तर:- (c) 1797 प्रश्न 7. औद्योगिक क्रान्ति का प्रारंभ निम्नलिखित में से सबसे पहले किस देश में हुआ? (a) अमेरिका। (b) इंग्लैंड (c) फ्रांस। (d) रूस उत्तर:- (b) इंग्लैंड प्रश्न 8. नेपोलियन ने इटली पर कब विजय प्राप्त की? (CBSE 2011) (a) 1767 में। (b) 1777 में (c) 1787 में। (d) 1797 में उत्तर:- (d) 1797 में। प्रश्न 9. इटली के एकीकरण के मुख्य कर्णधार कौन-कौन थे? (a) मेज़िनी, गैरीबाल्डी आदि। (b) सार्डनिया का शासक विक्टर इमेनुयल द्वितीय (c) रूस का जार। (d) नैपोलियन तृतीयः उत्तर- (a) मेज़िनी, गैरीबाल्डी आदि प्रश्न 10. ‘ला पैट्रे’ और ‘ली सिटोएन’ विचार फ्रांसीसी क्रान्ति में क्या दर्शाते हैं?(CBSE 2011) (a) मातृभूमि और बच्चे (b) पितृभूमि और नागरिक (c) समुदाय और नागरिक (d) राज्य और समुदाय उत्तर:-(b) पितृभूमि और नागरिक प्रश्न 11. निम्नलिखित में कौन नागरिक संहिता (सिविल कोड) 1804 के सन्दर्भ में सत्य नहीं है? (CBSE 2011)
उत्तर:-(b) फ्रांस में लोकतंत्र का सर्वनाश प्रश्न 12. सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी निम्नलिखित में से किसने की ? (a) नीदरलैण्ड्स के राजा। (b) ज्युसेपे मेत्सिनी (c) ड्यूक मैटरनिख। (d) ऑटो वॉन बिस्मार्क उत्तर- (c) ड्यूक मैटरनिख प्रश्न 13. 1832 की ‘कुस्तुनतुनिया की संधि’ के संबंध में निम्नलिखित में से सही क्या है? CBSE 2012(Imp )
उत्तर- (b) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। प्रश्न 14. जर्मनी में माप की इकाई ‘ऐले’ का प्रयोग किसको मापने के लिए किया जाता था?CBSE 2011 (a) कपड़ा (b) धागा (c) भूमि (d) ऊंचाई उत्तर:-(a) कपड़ा प्रश्न 15. प्रशा जॉलवेराइन का मुख्य कार्य था। (CBSE 2011) (a) आयातित वस्तुओं पर कस्टम डयूटी (सीमा शुल्क) लगाना। (b) शुल्क अवरोधों को समाप्त करना। (c) सीमा शुल्क को कम करना। (d) व्यापार के नए नियम शुरू करना। उत्तर:- (b) शुल्क अवरोधों को समाप्त करना। प्रश्न 16.शुल्क अवरोधों को समाप्त करने के लिए प्रशा द्वारा बनाए गए शुल्क संघ का नाम था।(CBSE 2011) (a ) ऐले (b) जॉलवेराइन (c) ज्वेब्रकेन। (d) ला-पैट्री (पितृभूमि) उत्तर:- (b) जॉलवेराइन प्रश्न 17. निम्नलिखित में से फ्रांसीसी कलाकार की पहचान कीजिए जिसने चार चित्रों की एक शृंखला बनाई, जिसमें उसने सपनों का एक संसार रचा। (CBSE 2013) (a) कितागावा उतामारों (b) रिचर्ड एम.हो (c) वाल्टेयर। (d) फ्रेड्रिक सॉरयू उत्तर- (d) फ्रेड्रिक सॉरयू प्रश्न 18. 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मजदूरों और किसानों ने निम्नलिखित में से किसके विरुद्ध विद्रोह किया ? (CBSE Outside 2013) (a) आर्थिक कठिनाई. (b) राजनीतिक अस्थिरता (c) राजतंत्र. (d) क्रान्तिकारी युद्ध उत्तर- (a) आर्थिक कठिनाई प्रश्न 19. 1845 में सिलेसिया में बुनकरों द्वारा ठेकेदारों के खिलाफ विद्रोह करने का निम्नलिखित में से कौन-सा मुख्य कारण था ?(CBSE 2014)
उत्तर- (a) ठेकेदारों ने उनके भुगतानों में भारी कमी कर दी प्रश्न 20. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन जॉलवेराइन कहे जाने वाले संघ द्वारा लागू किए गए सुधारों के सन्दर्भ में सत्य नहीं है? (CBSE 2011)
उत्तर:- (b) सदस्य राज्यों में वस्तुओं, लोगों और पूँजी के अबाध प्रवाह का विरोध। प्रश्न 21. वियना काँग्रेस किस वर्ष में आयोजित की गई थी? (CBSE 2011 ) (a) 1815 (b) 1845 (c) 1885 (d) 1915 उत्तर:- (a) 1815 प्रश्न 22. निम्नलिखित में कौन 1815 के वियना संधि से सम्बन्धित है?(CBSE 2011) (a) बिस्मार्क (b) ड्यूक मैटरनिख (c) लुई फिलिप (d) विक्टर इमेन्युअल उत्तर:-(b) ड्यूक मैटरनिख प्रश्न 23. रूढ़िवादी क्या बनाने और बचाए रखने में विश्वास नहीं रखते थे? (CBSE 2011) (a) राजतंत्र। (b) लोकतन्त्र (c) राज्य और समाज की पारम्परिक संस्थाएँ। (d) सामाजिक अनुक्रम उत्तर:-(b) लोकतन्त्र प्रश्न 24. निम्नलिखित में किसने कहा था कि, “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।” (CBSE 2011 ) (a) लुई फिलिप (b) बिस्मार्क (c) विक्टर इमेनुएल (d) मैटरनिख d) मैटरनिख प्रश्न 25. कवियों तथा कलाकारों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सा देश ‘यूरोपीय सभ्यता के पालना’ के रूप में जाना गया? (CBSE 2011) (a) ग्रीस (b) इटली (c) फ्रांस (d) स्विट्जरलैण्ड (a) ग्रीस प्रश्न 26. निम्नलिखित में से कौन 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि के सन्दर्भ में सत्य है?(CBSE 2011)
उत्तर:-(d) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। प्रश्न 27. इटली के गुप्त संगठन- ‘यंग इटली’ का गठन किसने किया था?(CBSE, 2011) (a) गैरीबाल्डी। (b) मेत्सिनी (c) कावूर। (d) विक्टर इमेनुएल उत्तर:- (c) मेत्सिनी प्रश्न 28. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन मेत्सिनी द्वारा दिए गएविचारों के सम्बन्ध में सत्य है?(CBSE, 2011)
उत्तर:-(a) राजतन्त्रों का विरोध और लोकतान्त्रिक गणराज्यों का समर्थन प्रश्न 29. निम्नलिखित में से इटली का कौन-सा नेता न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखनेवाला? (CBSE 2011) (a) मेत्सिनी (b) कावूर (c) गैरीबॉल्डी (d) विक्टर इमेनुएल द्वितीय उत्तर:-(b) कावूर प्रश्न 30. आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेन्ट के विरुद्ध आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया? (CBSE 2011) (a) गैरीबाल्डी (b) वोल्फ़ टोन (c) मेत्सिनी (d) कावूर उत्तर:- (b) वोल्फ़ टोन निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें प्रश्न 1- निरंकुशवाद को परिभाषित कीजिए। उत्तर:- ऐसी शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता ये अत्यंत केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती हैं। प्रश्न 2. 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मज़दूरों और किसानों ने किसके विरुद्ध विद्रोह किया ? (CBSE Outside 2013) उत्तर:- ‘आर्थिक कठिनाई’ 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मज़दूरों और किसानों ने आर्थिक कठिनाई के विरुद्ध विद्रोह किया। प्रश्न 3- उदारवाद का अर्थ बताइए। उत्तर:- उदारवाद (libration) मध्य वर्गो के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष बराबरी । प्रश्न 4. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ? ( CBSE Outside Delhi 2015 ) उत्तर:- वे यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराना चाहते थे और वहाँ राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना करना चाहते थे। प्रश्न 5. जर्मेनिया का अर्थ बताइए। उत्तर:- जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक, चाक्षुष अभिव्यक्तियों में बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनाती है। क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक हैं। प्रश्न 6. 1832 की उस सन्धि का नाम लिखिए जिसने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी। (Delhi 2016) उत्तर – 1832 की कुस्तुनतुनिया की सन्धि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी। प्रश्न 7. पूरे यूरोप में 1830-1848 में शिक्षित अभिजात वर्ग के मध्य राष्ट्रीय भावनाओं का संचार करने वाली घटना का नाम लिखिए। (Delhi 2016) उत्तर- ग्रीस का स्वतंत्रता संग्राम। प्रश्न 8. 1815 के बाद के वर्षों में यूरोप के क्रांतिकारियों का मूल उद्देश्य क्या था ? (Delhi 2016)
प्रश्न 9. 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में किसको जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया? (Outside Delhi 2016) उत्तर- 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशिया के शासक केसर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया। प्रश्न 10- 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् फ्रांस में आए दो बदलावों का वर्णन करो । उत्तर:-
प्रश्न 11. 1861 में एकीकृत इटली का राजा किसे घोषित किया गया? (Outside Delhi 2016) उत्तर:- 1861 में इमेनुएल द्वितीय (Emmanual II) को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया। प्रश्न 12. बेगार का क्या अर्थ है ? (Outside Delhi 2017) उत्तर:-बेगार का अर्थ है कि किसी व्यक्ति से काम ले लेना परंतु बदले में उसे कुछ न देना। यह एक प्रकार की शोषण का एक ढंग है। प्रश्न 13. 1898 में स्थापित प्रजातंत्रीय और सामाजिक गणतंत्रों के विषय में फ्रेड्रिक सारयु ने बहुत से चित्र क्यों बनाए ? उत्तर:- स्वतंत्रता की देवीय मूर्ती को श्रद्धांजली देने के लिए। प्रश्न 14. 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में बैठक क्यों हुई ? (Delhi 2018) उत्तर:- 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बैठक, अफ्रीका का आपस में विभाजन करने के लिए हुई थी। प्रश्न 15, जर्मनी में किस राष्ट्र ने राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में प्रभावशाली भूमिका निभाई ? उत्तर:- प्रशिया ने राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में प्रभावशाली भूमिका निभाई। प्रश्न 16. वियतनाम में फ्रांसीसियों की पराजय के बाद जिनेवा में चली शांति वार्ताओं का क्या परिणाम निकला ? (Delhi 2016) उत्तर:-फ्रांस की पराजय के पश्चात् जिनेवा में चली शांति वार्ताओं में वियतनामियों को देश के विभाजन के प्रस्ताव को मानने के लिए मज़बूर किया गया। उत्तरी भाग में हो ची मिन्ह (Ho Chi Minh) और साम्यवादियों की सत्ता स्थापित हुई जबकि दक्षिणी भाग में बाओ डाई (Bao Dai) की सत्ता बनी रही। प्रश्न 17. औद्योगिकीकरण के फलसवरूप यूरोप में कौन से नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए। उत्तर- श्रमिक वर्ग के लोग और मध्य वर्ग जो उद्योगपति इत्यादि। प्रश्न 18. 19वीं शताब्दी में उदारवाद की आर्थिक क्षेत्र में प्रमुख मांग क्या थी? उत्तर- उदारवाद, बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणो को खत्म करने के पक्ष में था । प्रश्न 19. “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को जुकाम हो जाता है।” यह कथन किसका है? (Outside Delhi 2016) उत्तर- आस्ट्रिया के चान्सलर ड्यूक मैटरनिख का प्रश्न 20. ज्युसेपी मेत्सिनी ने किन दो भुमिगत संगठनों की स्थापना की? उत्तर – ज्युसेपी मेत्सिनी ने निम्नलिखित दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की:
प्रश्न 21. सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी किस व्यक्ति ने की ? (CBSE Outside 2012) उत्तर- ‘ड्यूक मैटरनिख ने सन् 1815 में वियना सम्मलेन की मेज़बानी की। प्रश्न 22- कल्पनादर्श सं क्या तात्पर्य हैं? उत्तर- एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है। कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता हैं। प्रश्न 23. यूरोप में फ्रांसीसी क्रान्ति से राजनीतिक और संवैधानिक परिदृश्य में हुआ प्रमुख बदलाव क्या था ? (CBSE 2015) उत्तर – यह बदलाव यूरोप में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय राज्यों के उत्थान में दृष्टिगोचर होता नजर आता है। प्रश्न 24. शुल्क संघ का मुख्य कार्य लिखो। उत्तर- शुल्क संघ के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 25. रूढ़िवादी किन प्रांरपारिक संस्थाओ को बनाए रखने के पक्ष में थे? उत्तर- रूढ़िवादी राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार को बनाए रखने के पक्ष में थे। प्रश्न 26. कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग क्यों था? उत्तर- कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग था जिसके कारण निम्नलिखिज हैं:
प्रश्न 27. कब और किस संधि के द्वारा यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली? उत्तर- 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र कर मान्यता दी । प्रश्न 28. ‘रूमनीवाद’ किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहा था? उत्तर ‘रूमनीवाद’ एक साक्षा सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया गया था । प्रश्न 29. ‘कैराल कुर्पिस्की’ का पौलेंड के राष्ट्रीय संघर्ष में योगदान बताइए। उत्तर- ‘कैराल कुर्पिस्की’ ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने आ पेरा और संगीत से गुणगान किया और पोलेनेस और मरजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीक में बदल दिया प्रश्न 30. ब्रितानी राष्ट्र मे रहने वाले प्रमुख नृजातीय समूह कौन से थे? उत्तर- ब्रितानी राष्ट्र में रहने वाले प्रमुख नृजातीय समूह अंग्रेज वेल्श, स्कॉट या आयरिश थे। प्रश्न 31. उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भूमिका के दो बिंदु लिखो। उत्तर- उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भूमिका निम्न हैं:
प्रश्न 32. फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् कौन थे ? उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् मरीआन, लाल टोपी, तिरंगा और कलगी थे। प्रश्न 33. बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखो। उत्तर बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख राज्य | आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, यूनान इत्यादि थे। प्रश्न 34. जनमत संग्रह का क्या तात्पर्य हैं ? उत्तर एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कराया जाता हैं। 3 अंक वाले प्रश्न:प्रश्न 1. फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह शीघ्र ही लोगों में विरोध का कारण क्यों बन गया? उत्तर:- फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह शीघ्र ही लोगों में विरोध का कारण बन गया क्योंकि जब यह साफ होने लगा कि नयी प्रशासनिक व्यवस्थाए राजनीतिक स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं थी। बढ़े हुए कर, सेसरशिप और बाकी यूरोप को जीतने के लिए फ्रेंच सेना में जबरन भर्ती इत्यादि प्रमुख कारण थे। प्रश्न 2. राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए बताइए । उत्तर:- राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 3. 19वीं शताब्दी में उदारवादी विचारधारा के राजनैतिक उद्देश्यों की समीक्षा कीजिए। उत्तर- 19वीं शताब्दी में उदारवादी विचारधारा, राजनीतिक रूप से एक ऐसर सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो। फ्रांसीसी क्रांति के बाद उदारवाद निरंकुश शासक और पादरीवर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था। 19वीं शताब्दी के उदारवादी निजी संपति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देता था। प्रश्न 4. 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन परिणामों – की व्याख्या करो। उत्तर 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन परिणाम निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 5. जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड के विचारों की तीन बिन्दुओं में विवेचना कीजिए । उत्तर –
प्रश्न 1. ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास मं भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उदाहरण देकर समझाए। उत्तर- ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा को स्कूलों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को हर जगह जबरन लादा गया। 1831 में रूस के विरूद्ध एक सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसे आखिरकार कुचल दिया गया दिया । इससे अनेक सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया। चर्च के आयोजनों और संपूर्ण धार्मिक शिक्षा में पोलिश का इस् कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया इस तरह पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरूद्ध संघर्ष के प्रतीक में देखी जाने लगी। प्रश्न 2. फ्रैंकफर्ट संसद के जर्मन राष्ट्र निर्माण में योगदान का उल्लेख कीजिए। उत्तर- 1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। संविधानवाद की राष्ट्रीय माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया गया। जनता के बढ़ते असंतोष का लाभ उठाते हुए एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। इस प्रकार फ्रैंकफर्ट संसद का जर्मनी के राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान रहा। प्रश्न 3. एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण में काउंट कैमिलों दे काबूर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए । उत्तर एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण का वास्तविक श्रेय कैवूर को ही जाता हैं। 1852 में वह साड्निर्या में वह साडनिर्या का प्रधानमंत्री बना तथा इटली के एकीकरण के कार्य में जुट गया । उसने अपनी कूटनातिक चालों द्वारा इस कार्य को पूरा किया। उसने कई युद्धों में भाग लेकर इटली के राज्यों को साडनिर्या के साथ मिलाने का प्रयत्न किया । लोम्बार्डी, मोडेना पार्मा टस्कनी आदि राज्य धीरे धीरे विदेशी सत्ता से छुटकारा प्राप्त कर साडनिर्या में जा मिले । इतिहासकार उसे ‘इटली का विस्मार्क’ कहते है। प्रश्न 4. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामाजिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए कौन से चार कदम उठाए । उत्तर- फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामाजिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए निम्नलिखित चार कदम उठाए:
प्रश्न 5. 1804 की नागरिक संहिता के चार प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए । उत्तर- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने बहुत बदलाव किए जिन्हें 1804 का सिविल कोड या नागरिक संहिता के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 6. वियना संधि 1815 के चार प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करों । अथवा प्रश्न- सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी किसने की ? वियना संधि के द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिए। (CBSE Delhi 2017) उत्तर- सन् 1815 के वियना सम्मेलन की मेज़बानी ड्यूक मैटरनिख ने की। ड्यूक मैटरनिटी आस्ट्रिया का चांसलर था। 1815 ई० में ब्रिटेन, रूस, प्रशिया और आस्ट्रिया ने मिलकर नैपोलियन को हरा दिया था।इन चारों देशों के प्रतिनिधि आस्ट्रिया की राजधनी वियना में एक संधिपत्र तैयार किया। इस संधि में नैपोलियन द्वारा किए गए सुधारों में बदलाव किया गया जो निम्नलिखित थे। –
प्रश्न 7. “यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर आया” । चार कारण बताइए । उत्तर- यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर आया जिसके चार कारण निम्न हैं:
प्रश्न 8. इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार परिस्थितियों का वर्णन करो उत्तर इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार परिस्थितियाँ निम्न हैं:
प्रश्न 9. ‘रूपक’ से क्या तात्पर्य हैं ? फ्रांस एवं जर्मनी के सन्दर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए। उत्तर- जब किसी अर्मूत विचार ( जैसे स्वतन्त्रता, मुक्ति, इर्ष्या को किसी व्यक्ति या चीज द्वारा इंगित किया जा तो उसे रूपक कहते हैं। रूपतामक कहावत के दो अर्थ होते हैं:- एक शाब्दिक ओर दूसरा प्रतीकात्मक । फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया। इन आदर्शों को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया । स्वतंत्रता का प्रतीक लाल टोपी या टूटी जंजीर और इंसाफ को आमतौर पर एक महिला के प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया जाता हैं जिसकी आँखो पर पट्टी बँधी हुई हैं और वह तराजू लिए हुए है। जर्मन में |मारीआन की प्रतिमाँए सार्वजनिक चैकी पर लगाई गई | ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्मय स्थापित कर सकें । |मारीआन की छवि सिक्को और डाक टिकटों पर अंकित की गई। इसी तरह जर्मेनेयिा जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। प्रश्न 10. आयरलैंड के संबंध में अंग्रेजी की नीति की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए । उत्तर- अंग्रजो न आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वालों को बहुसंख्यक कैथिलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की । वोल्फटोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन की अगुवाई में हुए सफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल किया गया । एक नए ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार प्रसार किया गया । प्रश्न 11. इटली के एकीकरण की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करो। अथवा इटली के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। (Delhi 2015) उत्तर- जैसा कि ऊपर बताया गया है, इटली का अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा होना, अनेक भागों पर विदेशियों का शासन होना, वियाना की कांग्रेस द्वारा फिर से देश को टुकड़े-टुकड़े कर देना, रोम के पोप के निजी स्वार्थ और इटली के शासकों के अनुदारवादी कार्य आदि कुछ बड़ी रुकावटें इटली के एकीकरण के मार्ग में उपस्थित थीं। परन्तु इन रुकावटों पर काबू पाने का कार्य इटली के अनेक देशभक्तों, विशेषकर कैवर ने किया। जर्मनी की भांति एकीकरण से पहले इटली भी कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। इन राज्यों में सबसे शक्तिशाली सार्डीनिया का राज्य था। उसके प्रधानमंत्री कैवूर (Cavour) को इटली के एकीकरण का श्रेय जाता है। उसने भी जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क की भांति इटली में मिलती-जुलती नीति अपनाई। उसे इटली के एकीकरण में मेजिनी (Mazzini) एवं (Garibaldi) जैसे देशभक्तों की सेवाएँ प्राप्त हुईं। जर्मनी की भांति 1848 ई० में इटली में भी क्रान्तिकारी विद्रोह हुए जिनके फलस्वरूप वहाँ कुछ राजनीतिक सुधार हुए। परन्तु इटली की वास्तविक सफलता कैवूर के रंगमंच पर आने के बाद ही प्राप्त हुई। कैवूर ने क्रीमिया के युद्ध (1854-1856 ई०) में रूस के विरुद्ध ब्रिटेन तथा फ्रांस का साथ देकर ऑस्ट्रिया के विरुद्ध ब्रिटेन और फ्रांस से सहायता प्राप्त करने का वचन प्राप्त कर लिया। 1859 ई० में कैवूर ने ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध करके लोम्बार्डी पर कब्जा कर लिया और बाद में उसे सार्डीनिया में मिला लिया। इसके शीघ्र ही बाद 1860 ई० में टस्कनी, माडोना, पार्मा और उत्तर में स्थित पोप के राज्य अपने आप सार्डीनिया के साथ आ मिले। लगभग इसी समय (1860 ई० में ही) गैरीबाल्डी के प्रयत्नों से सिसली तथा नेपल्स के राज्य भी सार्डीनिया के साथ सम्मिलित हो गए। 1866 ई० में ऑस्ट्रिया-प्रशिया युद्ध में विस्मार्क का साथ देने पर वेनेशिया का प्रदेश सार्डीनिया को मिल गया। 1870 ई० फ्रांस-प्रशिया के युद्ध के समय फ्रांस द्वारा रोम खाली किए जाने पर सार्डीनिया ने रोम पर अधिकार करके इटली के एकीकरण का कार्य पूरा किया। याद रहे, इटली में भी जर्मनी की भाँति एकीकरण के बाद राजतन्त्र की स्थापना हुई क्योंकि अभी वहाँ इसी की आवश्यकता अनुभव की गई। प्रश्न 12. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए? अथवा 1871 के बाद ‘बाल्कन’ क्षेत्र में हुए संघर्ष के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए। (Outside Delhi 2011) अथवा यूरोप में 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। (Delhi 2018) उत्तर-काला सागर और एट्रियाटिक सागर के मध्य स्थित आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, बोस्निया हर्जेगोविना, सर्बिया आदि के राज्य बाल्कन राज्यों के नाम से जाने जाते थे। बहुत समय तक ये बाल्कन राज्य टर्की और अनेक यूरोपीय शक्तियों के बीच संघर्ष का केन्द्र बने रहे। 1875 के पश्चात् इन राज्यों में राष्ट्रीय तनाव पैदा होने के अनेक कारण थे
प्रश्न 13. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था? अथवा ब्रिटेन (Britain) के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। (Delhi 2015) उत्तर- इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता कि ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के विकास का इतिहास बाकी यूरोप से भिन्न था। यूरोप के स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, ऑस्ट्रिया-हंगरी और फ्रांस आदि देशों में राष्ट्रवाद का उत्थान अनेक उथल पुथलों और क्रान्तियों से जुड़ा हुआ था, परन्तु ब्रिटेन में राष्ट्रीयता का आन्दोलन किसी राजनीतिक उथल-पुथल या क्रान्तियों से जुड़ा हुआ नहीं था। यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था। ब्रिटेन में एक राष्ट्र-राज्य की स्थापना करने में वहाँ की संसद ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंग्लैंड की संसद ने 1688 ई० में राजा से सत्ता संभाल ली थी। वह इंग्लैंड को एक राष्ट्र-राज्य बनाने का पहला महत्त्वपूर्ण कदम था। अगला कदम 1707 ई० में उठाया गया जब इंग्लैंड और स्काटलैंड के मध्य होन वाले एक्ट ऑफ यूनियन (Act of Union) के परिणामस्वरूप वहाँ 1707 ई० में ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ की स्थापना हुई। इस कानून द्वारा दोनों देशों ने एक संसद और एक राजा को अपनाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस मिलाप से दोनों राज्यों को लाभ रहा चाहे कभी-कभी स्काटलैंड के पहाड़ी लोगों को सख्ती से दबाना भी पड़ा। स्काटलैंड पहले से कहीं सम्पन्न बन गया और दोनों देशों के बीच आपसी शत्रुता समाप्त हो गई। इंग्लैंड की शक्ति में काफी वृद्धि हुई और इसी कारण वह स्पेन के सिंहासन सम्बन्धी युद्ध (War of Spanish Succession) में सफल सिद्ध हुआ। राष्ट्रवाद की ओर एक अन्य कदम 1801 ई० में उठाया गया जब आयरिश एक्ट आफ यूनियन (Irish Act of Union) द्वारा ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का आपसी मिलाप हुआ और ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड मिलकर यूनाइटिड किंग्डम (United Kingdom) में बदल गए। इतिहास पाठ 2 (भारत में राष्ट्रवाद)NCERT BOOK (भारत में राष्ट्रवाद)
माइंड मैप (भारत में राष्ट्रवाद)
अभ्यास के प्रश्नसंक्षेप में लिखे : Q1. व्याख्या करें – (क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी? उत्तर :
(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया? उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया –
(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे? उत्तर : भारतियों के रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के निम्नलिखित कारण थे –
(घ) गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया? उत्तर:
प्रश्न 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है? उत्तर:
प्रश्न 3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए लिखें (क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड (ख) साइमन कमीशन उत्तर: (क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में हत्याकांड हुआ। इस दिन पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में लोग बैसाखी के मेले में सम्मिलित होने के लिए एकत्र हुए। कुछ लोग सरकार द्वारा लागू किए गए रौलट एक्ट के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे। लोगों को पता नहीं था कि इस इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। अचानक जनरल डायर ने बाग के मुख्य द्वारों को बंद करवा दिया। उसने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस गोलाबारी में सैकड़ों लोग मारे गए। इस घटना की जानकारी जैसे ही लोगों को प्राप्त हुई उनमें सरकार के विरुद्ध आक्रोश और गुस्सा भड़क उठा। उत्तर: (ख) साइमन कमीशन सन् 1928 में बिर्टेन की सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में सात सदस्यों का एक कमीशन भारत भेजा। इस कमीशन का मुख्य काम भारत में संवैधानिक व्यवस्था पर सुझाव देना था। इस कमिशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था। कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था। इसलिए कमीशन का विरोध होने लगा है। इसके विरोध में ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाए गए। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया। साइमन विरोधी प्रदर्शन का नेतृत्व लाला लाजपतराय कर रहे थे। प्रश्न 4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए । उत्तर: भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना-
प्रश्न 1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए? उत्तर: 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची- शहरी मध्यम वर्ग, व्यापारिक वर्ग, मजदूर वर्ग, किसान वर्ग, आदिवासी वर्ग, बाग़ान मजदूर वर्ग, पूँजीपति वर्ग। इन वर्गों की आशाएं और संघर्ष निम्न हैं जिनके कारण वे आंदोलन में शामिल हुए। 1. शहरी मध्यम वर्ग– शहरी मध्यम वर्ग को आशाएं थी कि आंदोलन के बाद उनके साथ भेदभाव बंद हो जाएगा। क्योंकि समान पद वाले अंग्रेजों को ज्यादा वेतन मिलता था। इसलिए उन्होंने आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए। शिक्षकों ने इस्तीफे दे दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। 2. किसान वर्ग– किसान वर्ग को आशा थी कि उनका लगान कम हो जाएगा, बेगार खत्म हो जाएगा और जमीदारों का अत्याचार खत्म हो जाएगा। किसान वर्ग में भी आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया उन्होंने लगान देना बंद कर दिया, जमीनों को गरीबों में बांट दिया गया, अनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया और बाजारों में लूटपाट होने लगी। 3 बागान मजदूर वर्ग- इस वर्ग को आशाएं थी कि उन्हें चारदीवारी से बाहर निकाला जाएगा उन्हें अपने गांव वालों से मिलने की आजादी होगी। इन आशाओं के साथ वह भी आंदोलन में कूद पड़े। वे अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने लगे। बागान छोड़कर घर जाने लगे। प्रश्न 2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था। उत्तर: नमक यात्रा देश को एकजुट करने के लिए गांधी जी को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया क्योंकि नमक का अमीर-गरीब सभी प्रयोग करते थे। यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था इसलिए नमक पर कर का विरोध करके गांधी जी ने आम जनता को आंदोलन में शामिल कर लिया। गांधी जी की नमक कानून तोड़ने की दांडी यात्रा में लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। अत: नमक यात्रा आंदोलन के लिए एक असरदार प्रतीक साबित हुआ। प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता? उत्तर: मैं एक महिला के तौर पर सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में भाग लेकर गर्व महसूस कर रही हूं। मैंने डांडी मार्च में हिस्सा लिया। मैंने नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा। मैंने विदेशी कपड़ों व शराब का बहिष्कार करें। मैंने आंदोलन में पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर काम किया। प्रश्न 4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे? उत्तर: राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर निम्न कारण से बँटे हुए थे-
अतिरिक्त प्रश्न बैंक2 अंक वाले प्रश्न:-प्रश्न 1- साइमन कमीशन को भारत क्यों भेजा गया था ? उत्तर-
प्रश्न 2- सितंबर 1932 के पूना पैक्ट के किन्हीं दो प्रावधानों को लिखिए? या 1932 के पूना पैक्ट पर विचार व्यक्त कीजिए। या पूना समझौते की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। उत्तर-(i)डॉक्टर अंबेडकर ने 1930 में दलितों को दलित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की। (ii) सन 1932 में पूना पैक्ट समझौते के द्वारा अलग निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दे का हल गांधीजी और अंबेडकर की आपसी सहमति से किया गया इसके अंतर्गत दमित वर्गों को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधान परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई। प्रश्न 3- सत्याग्रह से क्या अभिप्राय है ? या सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है? या गांधीजी के अनुसार सत्याग्रह के विचार की व्याख्या कीजिए। उत्तर- महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के रूप में जन आंदोलन का एक नया तरीका अपनाया यह तरीका इस सिद्धांत पर आधारित था कि यदि कोई सही मकसद से लड़ रहा है तो उसे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती है गांधी जी का विश्वास था कि एक सत्याग्रही अहिंसा के द्वारा ही अपनी लड़ाई जीत सकता है । प्रश्न4–इनलैंड इमीग्रेशन एक्ट क्या था ? उत्तर -बागानों में काम करने वाले मजदूरों को इनलैंड इमीगेशन एक्ट के तहत बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। प्रश्न5–असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार करने के मुख्य दो कारण लिखिए ? उत्तर – (i)विदेशी वस्तु में पश्चिमी अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक प्रभुत्व का प्रतीक थी (ii) यह भारत में अंग्रेजों की दमनकारी शासन का प्रतीक भी समझी जाने लगी प्रश्न 6- 13अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण भीड़ पर गोली क्यों चलाई कोई दो कारण लिखिए? उत्तर -(i) जनरल डायर अमृतसर में मार्शल लॉ को सख्ती से लागू करना चाहता था । वह सत्याग्रहियों के दिमाग में आतंक और भय पैदा करना चाहता था । (ii)ब्रिटिश सरकार की नजरों में महत्व प्राप्त करना चाहता था । प्रश्न 7- भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के दो कारण लिखिए ? उत्तर -(i)पाश्चात्य शिक्षा- आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा तथा चिंतन ने भारतीय शिक्षित वर्ग को विदेशी शासन के दुष्परिणामों तथा शोषण की जानकारी प्रदान की। इसी के द्वारा शिक्षित वर्ग के सोचने समझने के दृष्टिकोण तथा हितों में समानता आने से उन में राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। (ii) साम्राज्य के विरुद्ध घृणा सन 1857 में हुई क्रांति को कुचलने के पश्चात अंग्रेजों ने भारतीयों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जिनसे भारतीय लोग अंग्रेजों से घृणा करने लगे । प्रश्न 8- महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए दो सत्याग्रह आंदोलनों का वर्णन कीजिए ? उत्तर (i) सन 1916 में बिहार के चंपारण जिले में दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया । (ii) सन 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया । प्रश्न 9 गांधी जी द्वारा तैयार किए गए स्वराज झंडे की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ? उत्तर- (i) 1921 में गांधी जी ने स्वराज झंडे को तैयार किया। इसमें तीन (रंग लाल, हरा सफेद) थे तथा इसके मध्य में चरखा बना हुआ था जो गांधी जी के स्वयं सहायता के विचार का प्रतिनिधित्व करता था। (ii) रैलियों के दौरान झंडे को लेकर चलना तथा उसे ऊंचा रखना विरोध का प्रतीक था । प्रश्न 10 चंपारण में किसान विद्रोह के क्या कारण थे ? उत्तर- गांधीजी ने सन 1917 में चंपारण आंदोलन शुरू किया। ब्रिटिश सरकार के द्वारा किसानों को नील की खेती करने और उसे कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर करने के विरोध में यह सत्याग्रह हुआ। प्रश्न 11- गांधी इरविन समझौता की दो प्रमुख विशेषताएं बताइये ? उत्तर-गांधी इरविन समझौता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है
प्रश्न 12– खिलाफत आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ? उत्तर– खिलाफत शब्द खलीफा से निकला हुआ है, जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ-साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था । प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी। यह अफवाह फैल गई कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि सौंपी जाएगी, इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा मुंबई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया प्रश्न 13-दांडी मार्च पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ? उत्तर- दांडी मार्च या नमक आंदोलन को गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को शुरू किया। उनके साथ 78 अनुयाई भी शामिल थे। उन्होंने 24 दिन तक चलकर साबरमती से दांडी तक की 240 मील की दूरी तय की, 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी ने मुट्ठी भर नमक उठाकर प्रतीकात्मक रूप से इस कानून को तोड़ा 9 मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत भी की गई । 3 अंक वाले प्रश्न :-प्रश्न 14- सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका का वर्णन कीजिए ? उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका :
प्रश्न 15 भारत में राष्ट्रवाद की भावना को विकसित करने में विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ? उत्तर- बहुत तरह की सांस्कृतिक प्रक्रियाओं से विभिन्न समुदायों क्षेत्रों या भाषा के लोग अपनेपन की भावना विकसित कर पाने में सफल रहे। इनमें से कुछ तत्व निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 16– 19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रवाद के विकास में किन-किन कारणों ने योगदान दिया ? उत्तर:
प्रश्न 17 सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूह के योगदान को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- (i)अमीर किसान व्यापार में मंदी तथा गिरती हुई कीमतों से सर्वाधिक प्रभावित होने के कारण उनकी राजस्व को कम करने की मांग को ठुकरा दिया गया अतः उन्होंने बड़ी संख्या में बहिष्कार कार्यक्रमों में हिस्सा लगरीब किसानों के लिए किराया चुकाना मुश्किल हो गया था। वे चाहते थे उन्हें जमीदारों को जो भाड़ा चुकाना था उसे माफ कर दिया जाए| (॥) औद्योगिक मजदूर वर्ग ने कम वेतन तथा कार्य करने की खराब परिस्थितियों के विरोध में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया । (iii) महिलाओं ने राष्ट्र सेवा को अपना एक पवित्र कर्तव्य समझकर आंदोलन में भागीदारी की। प्रश्न 18- रौलट एक्ट क्या था ? भारतीयों ने इस अधिनियम का विरोध किस प्रकार किया ? उत्तर- रोलेट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1919 में लागू किया गया एक दमनकारी कानून था। इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनैतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। भारतीय लोगों ने नियमित तरीके से इस कानून को नकार दिया। विभिन्न शहरों में रैली जुलूस ओं का आयोजन किया गया रेलवे वर्कशॉप में कामगार हड़ताल पर चले गए तथा कार्यालय को बंद कर दिया गया। गांधी जी ने 6 अप्रैल 1919 को इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ हड़ताल की शुरुआत की डॉ सत्यपाल तथा सैफुद्दीन किचलू ने अपनी गिरफ्तारी आदि अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण विरोध रैली का आयोजन किया गया। इन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में बैठक के दौरान जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ जिसमें सैकड़ों निर्दोष निर्दोष लोगों की जाने गई पूरे देश में इसका व्यापक विरोध हुआ । प्रश्न 19 गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय क्यों किया ? या उन परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए जिनमें महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने का निर्णय किया। या महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय क्यों किया? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- सन 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन का शुभारंभ किया था, लेकिन सन 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा में हिंसक घटना हुई, जिसके चलते भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर शहीद हो गए। इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया। 5 अंक वाले प्रश्न:-प्रश्न 20 सन 1947 की स्वतंत्र भारत की कुछ समस्याओं का विश्लेषण कीजिए जिनका उन्हें सामना करना? उत्तर -सन 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उसे एक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्वतंत्र भारत के समक्ष जो समस्याएं उमरी उनमें से निम्नलिखित का वर्णन किया जा सकता है:-
प्रश्न 21- प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में इस प्रकार योगदान दिया? उत्तर– (i) प्रथम विश्व युद्ध सन 1914 में आरंभ हुआ था इंग्लैंड ने इस युद्ध में भारत को भी लगा दिया था जिसके कारण भारत में एक नई आर्थिक परिस्थिति पैदा हो गई रक्षा व को पूरा करने के लिए कर दे दिए गए इन कदमों की भरपाई के लिए भारतीयों पर टैक्स बढ़ा दिया गया। (ii)ग्रामीण नव युवकों को जबरदस्ती सेना में भर्ती किया जा रहा था इससे जनसाधारण में आक्रोश की भावना उत्पन्न हो गई दूसरी ओर फ्लू महामारी भी फैल गई थी। (iii) एक और विश्व युद्ध के कारण महंगाई बढ़ गई, तो दूसरी ओर युद्ध में भाग लेने वाले लाखों सिपाहियों की मौत ने विदेशी साम्राज्य की नींव हिला दी। राष्ट्रीय आंदोलन देश के कोने कोने तक फैल गया था। प्रश्न 22- प्रथम विश्वयुद्ध का भारत की आर्थिक परिस्थितियों पर क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर- (i) प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला। इस कारण भारतीयों पर भयंकर आर्थिक बोझ पड़ा सीमा शुल्क तथा आयकर बढ़ गया। कीमतें आसमान छूने लगी। आम आदमी के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कठिन हो गया। नष्ट हो गई थी तथा खाद्यान्न की कीमतों में बहुत वृद्धि हो गई थी। (ii) रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना का भी राष्ट्रीय आंदोलन पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ा, क्योंकि रूस ने अपने अधीन सभी देशों को स्वतंत्र कर दिया था। अतः भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलनकारियों को इससे नैतिक बल मिला । (iii) विश्व युद्ध में तुर्की की हार ने भारतीय मुसलमानों को अंग्रेजों के विरुद्ध कर दिया। भारतीय जनसाधारण की आशाओं पर पानी फिर गया। युद्ध के पश्चात महंगाई और अंग्रेजों के अत्याचार समाप्त नहीं हुए इससे हिंदू मुस्लिम एकता सुदृढ हुई और लाख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गए। प्रश्न 23– गांधी जी राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे जन आंदोलनों में परिवर्तित किया ? उत्तर- (i) गांधी जी के व्यक्तित्व एवं जीवन शैली का लोगों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव, जिससे एक राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक आंदोलन बदलने में सहायता मिली। (ii) गांधीजी की सादगी और महात्माओं जैसी जिंदगी तथा जनसमूह को अपनी बात समझा पाने के कौशल ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया। उनका विवादित नेतृत्व एवं आकर्षक व्यक्तित्व । (iii) उनकी अहिंसक सत्याग्रह की नीति, उनके द्वारा शुरू किए गए विभिन्न सामाजिक सुधार एवं छुआछूत के खिलाफ संघर्ष और हिंदू मुस्लिम एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता | प्रश्न 24 सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था? कोई तीन कारण लिखिए। या सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था? कथन की पुष्टि उदाहरण सहित कीजिए। उत्तर– (i)असहयोग आंदोलन जलियांवाला बाग के नरसंहार के रूप में शुरू किया गया था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ साइमन कमीशन के आने के विरोध में हुआ था । (ii) असहयोग आंदोलन का उद्देश्य स्वराज्य स्वशासन था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वराज था। (iii) असहयोग आंदोलन में भारत के सभी वर्गों ने भाग लिया था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन में दलित वर्ग ने पूर्ण सहयोग नहीं दिया। प्रश्न 25– कांग्रेस के 1929 के अधिवेशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ? उत्तर- दिसंबर 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
प्रश्न 26-अल्लूरी सीताराम राजू कौन से असहयोग आंदोलन में उनका योगदान बताइए ? या अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे विद्रोहियों को गांधी जी के विचारों से प्रेरित करने में उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- अल्लूरी सीताराम राजू एक आदिवासी नेता थे जिन्होंने पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी लोगों को अंग्रेजी सरकार के अन्याय पूर्ण एवं अत्याचार पूर्ण व्यवहार के विरुद्ध हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आदिवासियों को गांधी जी के नेतृत्व में शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने लोगों को खादी पहनने शराब छोड़ने और महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए कहा, परंतु उनका विश्वास था कि अंग्रेज केवल बल प्रयोग द्वारा ही भारत से निकाले जा सकते हैं। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पकड़कर 1924 में फांसी पर लटका दिया। प्रश्न 27. गांधीजी ने प्रस्तावित रॉलट एक्ट (1919 ) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए। उत्तर- (1) गांधीजी ने प्रस्तावित रॉल्ट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय लिया क्योंकि :
(2) इसका विरोध निम्नलिखित विधियों द्वारा किया गया था :
प्रश्न 28. ख़िलाफत आंदोलन की व्याख्या कीजिए। महात्मा गांधी ने ख़िलाफ़त आंदोलन का समर्थन करना महत्त्वपूर्ण क्यों समझा ? अथवा गांधी जी ने ख़िलाफत आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय क्यों लिया? अथवा 1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के ख़िलाफ़ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने का गांधीजी ने फैसला क्यों किया ? व्याख्या कीजिए। अथवा ख़िलाफ़त आंदोलन के पीछे के मुद्दे को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-
प्रश्न 29. 1920 के दशक के अंतिम वर्षों में राजनीतिक स्थिति को रूप देने वाले विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए। (Most Imp.) उत्तर-(1) रॉलट एक्ट तथा जलियाँवाला बाग के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन शहरों तक ही सिमटा रहा। (2) अंग्रेजों की सत्ता समाप्त करने के लिए महात्मा गांधी ने एक देशव्यापी आंदोलन करने की योजना बनायी। लेकिन, उन्हें मालूम था कि हिंदू-मुस्लिम एकता के बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती। (3) महात्मा गांधी ने इस एकता को बनाने के लिए मुस्लिम ख़िलाफत आंदोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया। प्रश्न 30. ‘प्रथम विश्व युद्ध’ ने भारत में ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ को बढ़ावा देने में किस प्रकार सहायता की? किन्हीं चार तथ्यों की व्याख्या कीजिए । अथवा भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रथम विश्वयुद्ध ने कैसे मदद की? वर्णन कीजिए। उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न तरीकों से सहायता की-
प्रश्न 31. प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् भारत पर पड़े आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए। अथवा प्रथम विश्व युद्ध का भारत की आर्थिक परिस्थितियों पर क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर-
प्रश्न 32. रॉलट एक्ट क्या था? इस एक्ट के प्रति भारतीयों ने अपनी असहमति किस प्रकार प्रदर्शित की? अथवा भारतीयों ने रॉलट एक्ट का विरोध कैसे किया? अथवा 1919 का रॉलट एक्ट क्या था? रॉलट एक्ट के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए। उत्तर-(i) रॉलट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1919 में लागू किया गया एक दमनकारी कानून था। इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। (ii) भारतीय लोगों ने निम्न तरीके से इस कानून को नकार दिया
प्रश्न 33. असहयोग के विषय में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में व्यक्त गांधीजी के विचारों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- गांधीजी ने अपनी पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में भारत में ब्रिटिश शासन की सफलता के कारणों की व्याख्या की और यह भी बताया कि किस प्रकार इस शासन का अंत असहयोग आंदोलन से हो जाएगा।
प्रश्न 34. सत्याग्रह क्या था? भारत में गांधीजी द्वारा प्रारंभ किए गए तीन मुख्य सत्याग्रहों की व्याख्या कीजिए। अथवा भारत वापस आने पर महात्मा गांधी ने किन तीन प्रमुख समस्याओं को सुलझाने के लिए सत्याग्रह को अजमाया ? अथवा दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आने पर गांधीजी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह पर आधारित तीन आंदोलनों की व्याख्या कीजिए। अथवा महात्मा गांधी ने भारत में पहुंचने के बाद विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन सफलतापूर्वक कैसे चलाए? तीन उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। अथवा गांधीजी द्वारा कौन-से तीन प्रारंभिक सत्याग्रह चलाए गए ? उत्तर- (i) सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर बल दिया जाता था। इस विचार के अनुसार यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, और आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। ( ii )” भारत में गांधीजी द्वारा आयोजित शुरुआती तीन सत्याग्रह निम्नलिखित हैं
प्रश्न 35. ख़िलाफ़त कमिटी की स्थापना कब और कहाँ हुई थी? इसके उद्देश्य क्या थे? उत्तर- (1) ख़िलाफ़त कमिटी की स्थापना बबई में हुई थी। (2) इसकी स्थापना मार्च 1919 में हुई थी। (3) इसकी स्थापना तुर्की के पराजित हो जाने पर मित्र राष्ट्रों द्वारा उसकी बहुत-सी बस्तियों को आपस में अन्यायपूर्ण ढंग से बाँटने के विरोध में हुई थी। मित्र राष्ट्रों द्वारा आटोमन साम्राज्य पर बहुत कठोर साँध थोप दी गई। प्रश्न 36. असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए। अथवा महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन के संबंध में सुझाए गए तीन प्रस्ताव क्या थे? अथवा महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरणों को वर्णित कीजिए। अथवा महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन के सन्दर्भ में सुझाए गए तीन मुख्य प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए किस घटना के कारण इस आंदोलन को वापस लिया गया? अथवा गांधीजी के अनुसार असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरण क्या होने चाहिए? उत्तर- महात्मा गांधी के अनुरोध पर ही कांग्रेस ने 1920 में नागपुर में होने वाले अपने अधिवेशन में असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को पास किया। यह आंदोलन सफल रहे और इसमें भारत की आम जनता बढ़-चढ़ कर भाग ले, इस विचार से महात्मा गांधी ने अपने कुछ सुझाव दिये (1) असहयोग आंदोलन की प्रगति और विस्तार धीरे-धीरे कुछ खंडों में होगा। पहले पखवाड़े में वे सभी भारतीय अपने सभी प्रशस्तिपत्र और तमगे अंग्रेजी सरकार को वापस कर देंगे। ऐसे नेताओं में स्वयं महात्मा गांधी और रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे लोग भी सम्मिलित थे। (2) इसके पश्चात् सभी भारतीय अपनी सरकारी नौकरियों का बहिष्कार करेंगे जिनमें सभी सेना, पुलिस, न्यायालयों, स्कूलों के अधिकारी और संविधान सभाओं के सदस्य सम्मिलित हैं। इसके साथ-साथ वे सभी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करेंगे। (3) यदि सरकार जबर्दस्ती पर आ जाए और बलपूर्वक इस आंदोलन को दबाना चाहे तो सविनय अवज्ञा आंदोलन या शांतिमय ढंग से सरकार का विरोध किया जाए। प्रश्न 37. आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आंदोलन के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- असहयोग आंदोलन का भारत के आर्थिक क्षेत्र में भारी प्रभाव पड़ा। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हुई।
प्रश्न 38: 1921 तक किसने स्वराज का झंडा तैयार किया था? स्वराज के इस झंडे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। अथवा बंगाल में स्वदेशी आंदोलन किस प्रकार का झंडा तैयार किया गया था? उस की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट करें। उत्तर:1921 तक गाँधी जी ने स्वराज का झण्डा’ तैयार कर लिया था। स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताएं:
प्रश्न 39 “असम में बागानी मजदूरों की महात्मा गांधी के विचारों और स्वराज के बारे में अपनी अलग अवधारणा थी।” तर्क देकर इस कथन की पुष्टि करें कीजिए। उत्तर : (i) 1859 के इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट के अनुसार बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूट नहीं थी और इस प्रकार की अनुमति बहुत ही कम मिलती थी। (ii) जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के विषय में सुना तो हजारों मजदूरों ने अपने अधिकारियों की अवहेलना करनी प्रारंभ कर दी। वे बागान को छोड़कर अपने घर की ओर चल दिए। (iii) उनका अनुमान था कि अब गाँधी राज आ गया है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को गाँव में जमीन दी जाएगी लेकिन वे अपनी मंजिल तक पहुँचने में असमर्थ रह गये। प्रश्न 40 19वीं शताब्दी के भारत में भारतीय साहित्य के विकास में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने में कैसे मदद की? उत्तर: राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने में भारतीय साहित्य तथा समाचार पत्रों का भी काफी योगदान रहा है। इनके माध्यम से राष्ट्रवादी तत्त्वों को सत्त प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता रहा। उन दिनों भारत में विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होते थे, जिनमें राजनीतिक अधिकारों की माँग की जाती थी। इसके अतिरिक्त उनमें ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति की भी कड़ी आलोचना की जाती थी। उस समय प्रसिद्ध समाचार पत्रों में संवाद् कौमुदी, बाम्बे समाचार (1882), बंगदूत (1831), गस्तगुफ्तार (1851), अमृतबजार पत्रिका (1868), ट्रिब्यून (1877), इण्डियन मिरर, हिन्दू, पैट्रियाट, बंगलौर, सोमप्रकाश, कामरेड, न्यु इण्डियन केसरी, आर्य दर्शन एवं बन्धवा आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। बंकिम चंद्र चटर्जी, दीनबंधु मिश्रा, हेमचंद्र बनर्जी, नवीनचंद्र सेन, रविंद्रनाथ टैगोर आदि महान साहित्यकारों ने अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना की एक नई जान फूंक दी। प्रश्न 41 असहयोग आंदोलन के शुरू किए जाने के क्या कारण थे इसे आरंभ किए जाने के पीछे गांधी जी की पुस्तक हिंद स्वराज में वर्णित विचार का क्या हाथ था? अथवा असहयोग किस प्रकार आंदोलन बन सका? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। उत्तर: गांधीजी हिंद स्वराज में बतलाते हैं कि –
प्रश्न 42 मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? 1906 से 1940 ईस्वी तक के काल में मुस्लिम लीग की नीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की स्थापना की मांग कब उठाई? उत्तर: मुस्लिम लीग की स्थापना 30 सितंबर सन् 1906 में हुई थी। हिंदुओं के बहुमत का शासन स्थापित हो जाने के डर से और अंग्रेजों की ‘फूट डालो राज करो’ की नीति के कारण मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। इसकी स्थापना आगा खां ने की थी। इसके प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे। 1906 से 1940 तक के काल में मुस्लिम लीग की नीतियां निम्नलिखित थी-
प्रश्न 43 “पृथक निर्वाचन पद्धति ने भारत विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।” व्याख्या कीजिए। उत्तर: पृथक निर्वाचन पद्धति से अभिप्राय यह है कि धर्म के आधार पर अपने ही धर्म के लोगों को वोट करना। पृथक निर्वाचन पद्धति अंग्रेजों द्वारा जानबूझकर भारतीय हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने के लिए लागू की। अंग्रेज चाहते थे कि राष्ट्रीय आंदोलनों को मजबूती ना मिले। इस पद्धति के बाद से ही मुसलमानों ने अलग राज्य की मांग कर दी थी। प्रश्न 44 देहात में ऐसे असहयोग आंदोलन फैलने का वर्णन कीजिए। अथवा असहयोग आंदोलन के दिनों में अवध के किसानों द्वारा सामना की गई किन्हीं तीन समस्याओं का वर्णन कीजिए। अथवा असहयोग आंदोलन किस प्रकार देहात में फैला और किसानों व आदिवासियों को संघर्ष में शामिल किया ? व्याख्या कीजिए। उत्तर: असहयोग आंदोलन शुरू होने के बाद धीरे धीरे यह गांव में फैलता चला गया।
प्रश्न 45 कांग्रेस संगठन में महिलाओं को किसी भी महत्वपूर्ण पद पर जगह देने से क्यों इसकी जा रही थी? महिलाओं ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए। उत्तर:
सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी
प्रश्न 46 भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का विवरण दीजिए। उत्तर- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को ले जाने वाली घटनाएँ-1941 ई० के अंत में अंग्रेज़ों और जापानियों में आपसी लड़ाई प्रारम्भ हो गई। जापान ने शीघ्र ही फिलीपीन्स, इण्डो-चीन, मलाया और बर्मा आदि पर अधिकार कर लिया और इस प्रकार लड़ाई भारत के दरवाजे पर आ खड़ी हुई। क्योंकि उस समय भारत अंग्रेज़ों के अधीन था इसलिए ऐसा भव पैदा हो गया कि जापान भारत पर भी अवश्य आक्रमण करेगा। भारत को जापानी आक्रमण से बचाने के लिए महात्मा गाँधी के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अपनी बम्बई की एक बैठक में ‘भारत छोड़ो’ (Quit India) प्रस्ताव को पास किया। महात्मा गाँधी सहित बहुत से भारतीय नेताओं का ऐसा विचार था कि यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ जाएँगे तो भारत जापानियों के आक्रमण से बच सकता है। बम्बई की बैठक में यह निश्चित किया गया कि भारतीय पूर्ण स्वतन्त्रता से कम किसी भी चीज़ से संतुष्ट नहीं होंगे। परन्तु कांग्रेस द्वारा आंदोलन शुरू करने से पहले ही अंग्रेज़ी सरकार ने जोरदार चोट की और 9 अगस्त की सुबह को महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से सारा देश भौंचक्का-सा रह गया। किसी नेतृत्व के अभाव में लोगों ने रेलवे स्टेशनों, डाकखानों, थानों आदि पर आक्रमण किए और अनेक इमारतों को जला दिया। कई स्थानों पर सामानान्तर सरकारें भी स्थापित हो गयीं। परन्तु सरकार ने भी अपना दमन-चक्र तेज कर दिया और अनेक लोगों को जेल में भेज दिया। ऐसा विश्वास है कि पुलिस और सेना की गोलियों से 10,000 से भी अधिक लोग मौत का शिकार हुए भारत 1857 ई० के बाद इतना घोर दमन पहले कभी नहीं हुआ था। अंत में चाहे सरकार 1942 ई० के इस आंदोलन को कुचलने असफल हो गयी परन्तु इस आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि राष्ट्रीय भावना देश के कोने-कोने में व्याप्त है और बलिदान देने के लिए तैयार है। भारत छोड़ो आंदोलन का राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रभाव या यह आंदोलन कहाँ तक सफल रहा ?- निस्संदेह ब्रिटिश सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध की परिस्थितियों को देखते हुए भारत छोड़ो आंदोलन को दबानरे का हर संभव प्रयत्न किया परन्तु लोगों ने भी और ज़ोर से ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों का विरोध किया। वे खुले विद्रोह पर उतर आये। उन्होंने सरकारी सम्पत्ति को बड़ी हानि पहुँचाई। ऐसे कार्यों से लोगों के धैर्य और स्वतन्त्रता के प्रति दृढ़ निश्चय का पूर्ण परिचय मिलता है। वे अत्याचारों की परवाह न करते हुए स्वतन्त्रता की ओर आगे बढ़ने लगे। ब्रिटिश सरकार भारतीयों के इस उत्साह और दृढ़ निश्चय को देखकर काफी घबरा गई और सोचने को मजबूर हुई कि भारत में अब उनके दिन गिने-चुने रहे गये हैं। प्रश्न 47. अंग्रेज़ों ने (1945 ई०) के बाद किन कारणों से भारत के प्रति अपना रुख बदला ? उत्तर-1945 के बाद या दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को अनेक आंतरिक तथा बाह्य तयों के कारण बड़ा प्रोत्साहन मिला। देखते ही देखते अंग्रेजों की भारत के प्रति नीति में परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगा इस सारे परिवर्तन के मुख्य कारण या पक्ष निम्नलिखित थे-
प्रश्न 48 सविनय अवज्ञा आंदोलन में व्यवसाई वर्ग की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। अथवा सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों द्वारा अपनाए गए रुख को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-जैसा कि पहले कहा गया है कि विदेशी शासन ने भारतीय समाज के हर वर्ग के लोगों की मुसीबतों को बढ़ा दिया, इनमें व्यापारी और उद्योगपति भी थे। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में आगे बढ़कर भाग लिया जिसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है
स्त्रोत आधारित प्रश्न 1:- जनवरी 1921 में असहयोग आंदोलन के शुरू होने के बाद इस आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने अपनी अपनी आकांक्षाओं के साथ भाग लिया। सभी ने स्वराज के आवाहन को स्वीकार तो किया लेकिन उनके लिए उसके अर्थ अलग-अलग थे आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई । हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए हेड मास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया, विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी | 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था. उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने से इंकार कर दिया और लोग आयातित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे । परिणाम स्वरूप भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघा का उत्पादन भी बढ़ने लगा। कुछ समय बाद शहरों में यह आंदोलन धीमा पड़ने लगा। खादी का कपड़ा मिलों में भारी पैमाने पर बनाने वाले कपड़ों के मुकाबले प्राय महंगा होता था और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे। ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से समस्या पैदा हो गई। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना तेजी से नहीं हो पाई। फल स्वरूप विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे और वकील दोबारा सरकारी अदालतों में जाने लगे।
स्त्रोत आधारित प्रश्न 2:- सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों की भागीदारी गांव में संपन्न किसान समुदाय जैसे गुजरात के पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे। उन्होंने अपने समुदायों को एकजुट किया और कई बार अनिश्चित सदस्यों को बहिष्कार के लिए मजबूर किया स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ी थी | दूसरी तरफ गरीब किसान चाहते थे कि उन्हें जमीदारों को जो भाडा चुकाना पड़ता है उसे माफ कर दिया जाए। उन्होंने कई रेडिकल आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व अक्सर समाजवादियों और कम्युनिस्टों के हाथों में होता था भारतीय उद्योगपतियों ने आंदोलन को आर्थिक सहायता दी और आयातित वस्तुओं को खरीदने वह बेचने से इंकार कर दिया ज्यादातर व्यवसाई स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे, जहां कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियां नहीं होंगी और व्यापार और उद्योग निर्बाध ढंग से फले फूल सकेंगे। औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में नागपुर क्षेत्र के अलावा कहीं भी बहुत बड़ी संख्या में हिस्सा नहीं लिया। लेकिन कुछ मजदूरों ने आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार जैसे, कुछ गांधीवादी विचारों को कम वेतन व खराब कार्य स्थितियों के खिलाफ अपनी लड़ाई से जोड़ लिया था। 1930 में रेलवे कामगारों की और, 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई। 1930 में छोटा नागपुर की खानों के हजारों मजदूरों ने गांधी टोपी पहनकर रैलियों और बहिष्कार अभियानों में हिस्सा लिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने जुलूस में हिस्सा लिया, नमक विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों की पिकेटिंग की।
मानचित्र कार्यकेवल पहचानने और चिन्हित करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अधिवेशन
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के महत्वपूर्ण केन्द्रः असहयोग आंदोलन और सविनय-अवज्ञा आंदोलन
इतिहास पाठ 3 भूमंडलीकृत विश्व का बननायहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से इतिहास का पाठ 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। माइंड मैप अभ्यास के प्रश्न प्रश्न 1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने। उत्तर : (i) चीन से सिल्क (ii) अमेरिका से अनाज व खनिज। प्रश्न 2. बताएँ कि पूर्व – आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी । उत्तर : पूर्व-आधुनिक विश्व में बिमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में निम्न प्रकार से मदद की।
प्रश्न 3. निम्नलिखित वेफ प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें:
उत्तर : (क) कॉर्न लॉ के समाप्त होने के बाद ब्रिटेन में बहुत ही कम कीमत पर खाद्य पदार्थ आयात होने लगे। इन पदार्थों की कीमत वहां के स्थानीय खाद्य पदार्थों से काफी कम थी। परिणामस्वरूप वहां के किसानों की हालत बिगड़ने लगी। वे बाहर से आने वाले माल का मुकाबला नहीं कर सकते थे। जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गांव के गांव उजड़ गए।
प्रश्न 4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें। उत्तर: (i) यातायात और परिवहन के साधनों में बहुत सुधार हुआ। तेज चलने वाली रेलगाड़ियां बनी। समुद्री जहाजों का आकार बढ़ाया गया। जिससे खाद्य उत्पादों की उपलब्धता बढ़ने लगी। (ii) पहले अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे, जिन्हें यूरोप ले जाकर काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे लंबे सफर में मर जाते थे। बहुतों का वजन गिर जाता था या वे खाने लायक नहीं रहते थे। इसलिए मांस खाना एक महँगा सौदा था। नई तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई, जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लंबी यात्राओं पर ले जाया । जा सकता था। अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सब जगह से जानवरों की बजाए उनका मांस ही यूरोप भेजा जाने लगा। प्रश्न 5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है? उत्तर: ब्रेटन वुड्स समझौता जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए। इस समझौते के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(आई.एम.एफ.) और अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक(विश्व बैंक) का गठन किया गया। इन संस्थानों का कार्य सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटना था। चर्चा करें प्रश्न 6. कल्पना कीजिए की आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें। उत्तर:- मान लिजिए कि मैं कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाला एक गिरमिटिया मजदूर हूं। मैंने अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखा पूज्य पिताजी, सबसे पहले आपको चरण स्पर्श। मैं यहाँ पर ठीक हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब भी ठीक होंगे। यहाँ के हालात अच्छे नहीं हैं। मुझसे अनजाने में अनुबंध पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। जिसके अनुसार मैं बीच में कुछ दिनों के लिए आपसे मिलने भी नहीं आ सकता। यहाँ मेरे साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। कोई यहाँ शिकायत सुनने वाला भी नहीं है। मुझे यहां अच्छा खाना भी नहीं दिया जा रहा है। मैं वापस अपने घर आना चाहता हूँ। फिलहाल मैं आपको कुछ पैसे भेज रहा हूं। ये पैसे कम हैं क्योंकि पिछले कुछ दिन बीमार होने के कारण काम नहीं कर सका जिससे मेरे पैसे कट गए और मुझे कम वेतन मिला। पत्र का जवाब शीघ्र देना। अधिक चिंता मत करना। आपका पुत्र _______ प्रश्न 7. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके •बारे में संक्षेप में लिखें। उत्तर:- अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियां या प्रवाह हुए।
भारत से तीन प्रवाहों के उदाहरण–
प्रश्न 8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें। उत्तर:- आर्थिक महामंदी की शुरूआत 1929 में हुई थी। इस मंदी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे।
प्रश्न 9. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें। उत्तर:-जी-77 उन विकासशील देशों का समुह था जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए थे किंतु 50 व 60 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। अपनी अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और अपना एक संगठन बनाया जिसे जी- 77 के नाम दिया गया।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक को ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतान माना जाता है।इन दोनों संस्थानों ने केवल विकसित देशों के हित में काम किया। विकासशील देशों को इसका कोई लाभ नहीं हुआ। प्रतिक्रिया स्वरूप विकासशील देशों ने जी- 77 संगठन बनाया। अतिरिक्त प्रश्न बैंक 1 अंक के प्रश्न : प्रश्न 1. दक्षिणी अमेरिका में एल डोराडो क्या है ? उत्तर: किंवदंतियों के अनुसार सोने का शहर। प्रश्न 2. मित्र राष्ट्रों में शामिल देशों का नाम बताइए उत्तर: ब्रिटेन, फ्रांस और रूस । प्रश्न 3. धुरी राष्ट्र किन्हें कहा जाता है। उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध का दूसरा पक्ष – जर्मनी, जापान और इटली को धुरी राष्ट्र कहा जाता है। प्रश्न 4. उपनिवेशवाद क्या हैं ? उत्तर : उपनिवेशवाद वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश को हर उचित एवं अनुचित तरीके से अपने अधीन लाने का प्रयत्न करते हैं और शासन करते हैं। प्रश्न 5. भारत 1947 तक किस देश का उपनिवेश रहा ? उत्तर : ब्रिटेन का । प्रश्न 6. लगभग 500 साल पहले किस फसल के बारे में हमारे पूर्वजों को ज्ञान नहीं था। उत्तर : आलू । प्रश्न 7. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म कैसे हुआ ? उत्तर: सन् 1944 में ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ। प्रश्न 8. सयुक्त राष्ट्र के किन दो संस्थाओं को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संताने कहा जाता हैं ? उत्तर : 1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 2. विश्व बैंक प्रश्न 9. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने औपचारिक रूप से कब काम करना शुय किया ? उत्तर : सन् 1947 में । प्रश्न 10. कौन से दो अविष्कारों ने 19 वीं सदी के विश्व में परिवर्तन किया ? उत्तर : (i) भाप इंजन (ii) रेल प्रश्न 11. किस देश के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष | (International Monetory Fund) और विश्व बैंक (World Bank) में वीटो का प्रभावशाली अधिकार है ? उत्तर: संयुक्त राज्य अमेरिका। प्रश्न 12. 1928 से 1934 के बीच भारत में गेंहूँ की कीमत 50 प्रतिशत तक क्यों गिर गई ? उत्तर: महामंदी के कारण। प्रश्न 13. अमेरिका महाद्वीप की खोज किसने की ? उत्तर: क्रिस्टोफर कोलंबस ने। प्रश्न 14. उस यूरोपीय देश का नाम लिखों, जिसने अमेरिका पर विजय प्राप्त की ? उत्तर: स्पेन ने । 3 अंक के प्रश्न : प्रश्न 1. वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कौन कौन से कारक हैं ? अथवा भूमंडलीकृत विश्व के बनने में मदद देने वाले कोई तीन कारक बताइए। उत्तर : वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले निम्नलिखित कारक हैं: (i) व्यापार (ii) काम की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते लोग । (iii) पूँजी या सेवाओं का वैश्वीक स्तर पर आवाजाही । प्रश्न 2. वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन करो। उत्तर : वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित (i) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पारस्पारिक रूप में एक दूसरे पर र्निभर हो जाते हैं। (ii) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश एक दूसरे की सेवाए ले या दे सकता हैं। प्रश्न 3. औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर: औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रभाव पड़ा : (i) आयात शुल्क के कारण ब्रिटेन में भारतीय कपास के आयात में तेजी से कमी आई। (ii) भारतीय वस्त्रों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। (iii) बाद में निर्माण किए गए सूती उत्पादों के निर्यात में कमी आने के पश्चात् ब्रिटिश निर्माताओं ने बहुत ही सस्ती कीमत पर भारत से कपास का आयात आरंभ कर दिया प्रश्न 4. ओद्यौगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ? उत्तर : ओद्यौगिक क्रांति वह क्रांति जिसमें कारखानों के विकास के साथ साथ औद्योगिक उत्पादन में बेहतसा वृद्धि हुई और अंर्तराष्ट्रीय बाजार में बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा जिसे आद्यौगिक क्रांति के नाम से जाना गया । प्रश्न 5. अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद विश्व में क्या बदलाव हुए? तीन उदाहरण देकर स्पष्ट करें। उत्तर: अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद अमेरिका विश्व से सीधे जुड़ गया (i) आलू का इस्तेमाल शुरू करने पर यूरोप के गरीबों की जिंदगी में बदलाव आया उनका भोजन बेहतर हो गया और औसत उम्र बढ़ गई। (ii) अफ्रीका से गुलामों का व्यापार शुरू हो गया। (iii) यूरोप में धार्मिक टकराव होते रहते थे इसलिए बहुत से लोग यूरोप से भाग कर अमेरिका चले गए। प्रश्न 6. व्यापार अधिशेष से क्या अभिप्राय है ? भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में क्यों रहा ? उत्तर: जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे व्यापार अधिशेष कहा जाता है। भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में होने के निम्न कारण थे (i) 19वीं शताब्दी में भारतीय बाजारों में ब्रिटेन के बने माल की अधिकता हो गई थी। (ii) भारत से ब्रिटेन और शेष विश्व को भेजे जाने वाले खाद्यान्न व कच्चे मालों के निर्यात में इजाफा हुआ। (iii) भारतीय निर्यात पर औपनिवेशिक शासन द्वारा निर्यात शुल्क लगा दिए जाने से भारतीय माल की कीमत विदेशों में अधिक हो जाती थी जबकि ब्रिटेन से भारत में आने वाली वस्तुओं पर कोई शुल्क नहीं होता था जिससे ब्रिटेन हमेशा व्यापार अधिशेष की अवस्था में रहता था। प्रश्न 7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह कौन-कौन से है ? वर्णन कीजिए । उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह निम्नलिखित हैं (i) व्यापार का प्रवाह शुरू से ही व्यापार में कपड़ों और गेंहू के व्यापार से प्रवाह होता रहता था (ii) श्रम का प्रवाह लोग रोजगार की तलाश में एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाते रहते हैं। (iii) पूँजी का प्रवाह इस प्रकार का प्रवाह जिसमें – अल्प या दीर्घ अवधि के लिए पूँजी का निवेश दुसरे देशों में होता आया है। प्रश्न 8. अमेरिका के आदिवासियों के लिए किस बीमारी के कीटाणु सबसे भयंकर सिद्ध हुए? उत्तर: यूरोपीय लोगों ने अमेरिका को अपने सैनिक बल पर ही नहीं जीता वरन् उन चेचक के कीटाणुओं के कारण जीते जो स्पेन के सैनिक और अफसर अपने साथ ले गए थे। इनचेचक के कीटाणु के हमले से बहुत से अमेरिकी आदिवासी मौत के शिकार हुए। कहीं कहीं तो चेचक से समुदाय के समुदाय ही खत्म हो गए । 5 अंक वाले प्रश्न:- प्रश्न 1. अफीम युद्ध से आप क्या समझते हैं ? चीन पर अफीम युद्ध पर पड़े प्रभावों का वर्णन करो उत्तर : जब 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए चीनियों पर अफीम को लादने का प्रयत्न किया तो दोनों पक्षों में आपसी युद्ध छिड़ गया जो इतिहास में अफीम युद्ध के नाम से प्रसिद्ध हैं। अफीम युद्ध के चीन पर पड़े प्रभाव निम्नलिखित हैं: (i) चीनियों का शारीरिक एवं नैतिक रूप से पतन हुआ था (ii) चीनियों को हर्जाने के रूप में 5 बंदरगाह ब्रिटिश व्यापारियों के लिए खोलने पड़े। (iii) बिना किसी अवधि के हांगकांग को ब्रिटेन को सौप दिया गया । (iv) अफीम के व्यापार का चीन पर बुरा प्रभाव पड़ा । (v) चीन वालो को अपना बहुत सा धन अँग्रजों को युद्धपूर्ति के रूप में देना पड़ा। प्रश्न 2. वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या नए आयाम जोडे ? उत्तर : वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्न नए आयाम जोडे । 1. रोजगार के अवसर बढे 2. आर्थिक स्थिति सुदृढ हुई 3. बेरोजगारी में कमी आई। 4. शिक्षा और तकनिकी में काफी सुधार हुआ। 5. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई । 6. बहुत सी देशी और विदेशी कंपनियों को भारत में काम करने का मौका मिला। साख भी बढा 7. अर्थिक स्थिति के साथ साथ विदेशों में 8. विकास दर में वृद्धि हुई । प्रश्न 3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसे कहते हैं ? इनकी स्थापना कब हुई और इनके चार लाभ लिखो । उत्तर: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ के चार लाभ निम्नलिखित हैं: (i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढ़े और बेरोजगारी को कम किया। (ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशों से निकलने में काफी सहायता की । (ii) अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजीप्रवाह को प्रभावित किया (iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को गति प्रदान किया। प्रश्न 4. वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वर्णन कीजिए। उत्तर: सकारात्मक प्रभाव : 1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में का सृजन। 2. विदेशी पूँजी निवेश को बढावा 3. रोजगार में वृद्धि । 4. जीवन स्तर में सुधार। 5. भारतीय कंपनियों का बहुराष्ट्रिय कंपनियों के रूप में उदय। 6. बजार में अनेक वस्तुओं की उपलब्धता। नकारात्मक प्रभाव: 1. लघु और कुटीर उद्योगों पर बुरा प्रभाव। 2. बजार में बढ़ती प्रतियोगिता से भारतीय उत्पादों की माँग कम । 3. केवल शहरों तक सीमित ग्रामीण क्षेत्र में कम प्रभाव 4. केवल सूचना और संचार टेकनॉलॉजी एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र तक ही सीमित । प्रश्न 6. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी पर किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन करो । उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के तीन प्रभाव निम्नलिखित हैं: 1. इंग्लैंड में आने वाली औद्योगिक क्रांति जिसके कारण उसने भारत से सूती कपड़े का आयात करना बिल्कुल बंद कर दिया 2. भारतीय बाजारों में मशीनों दारा निर्मित सूती कपड़े की भरमार कर दी । 3. अँग्रेजी कंपनी थोक में भारत से रूई तथा कपास खरीदकर दूसरे देश को भेज देती थी जिससे भारतीय बाजारों में अच्छे माल की कमी हो जाती थी । 4. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारी उत्पादन कर लगा दिया। जाना । प्रश्न 7. महामंदी से क्या तात्पार्य हैं ? इसके कारणों की व्याख्या कीजिए । उत्तर : 1929 ई में समस्त संसार को एक भयंकर अधिक संकट में आ घेरा । यह संकट संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 में पैदा हुआ और देखते ही देखते यह 1931 तक पूरे विश्व में फैल गया महामंदी के निम्नलिखित कारण थे: 1. यह संकट औद्योगिक क्रांति के कारण आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण पैदा हुआ था। 2. अमेरिका में तैयार माल के इतने भंडार हो गए कि कोई उसके खरीददार नहीं रहा । 3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण यूरोप के बर्बाद हुए देश अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था मे न थे 4. अमेरिका की शेयर एक्सचेंज मार्केट में शेयरों की गिरावट आ गई । प्रश्न 8. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किन्हें कहते हैं ? इन कंपनियों की स्थापना कब हुई ? इनके चार लाभ लिखो । उत्तर : बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियाँ को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशो में जाकर अपनी पँजी निवेश करते। हैं। वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं । इन कंपनियों से लाभ निम्नलिखित हैं: 1. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढ़े और बेरोजगारी की कमी हुई । 2. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने निवासी चुगल से काफी सहायता की । 3. अपनी उत्पादिक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्वासिक व्यापार और पँजी प्रवाह को प्रभावित किया । 4. इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को प्रवाहित किया प्रश्न 9. अमेरिका पर महामंदी का क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन कीजिए | उत्तर : अमेरिका में महामंदी के कारण पैदा हुए विषम : प्रभाव निम्न हैं: 1. शेयर बाजार की कीमतों में गिरावट के कारण 1 लाख व्यापारियों को दिवाला निकाला गया । 2. किसानों को लाभ में कमी आ गई। 3. कृषि मजदूरों की मजदूरी कम हो गई। 4. माल का कोई खरीददार न होने के कारण कारखाने बंद हो गए और हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए । प्रश्न 10. द्वितीय विश्व युद्ध के क्या परिणाम निकले ? उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के निम्न परिणाम निकले: 1. जानमाल की अपार हानि हुई जिसमें दोनों पक्षों के कोई 2.5 करोड़ से अधिक सैनिक मारे गए साथ ही साथ धन की अपार हानि हुई । 2. हथियारों की हौड़ बढ़ गई, विश्व युद्ध के बाद भयानक हथियारों के निर्माण के लिए हौड़ सी लग गई। 3. द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम जैसे भयानक हथियारों का प्रयोग किया गया जिससे कई तरह के भयंकर बीमारी उत्पन्न हुई। 4. संयुक्त राष्ट्र यंघ की स्थापना की गई मानव संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए प्रत्येक देश में शांति के लिए (UN) की स्थापना की गई यह भी द्वितीय विश्व युद्ध का ही परिणाम था । 5. उपनिवेशवाद का अंत हो गया। प्रश्न 11. प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत के आद्यौगिक उत्पादन में वृद्धि के क्या कारण थे ? उत्तर प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत इंग्लैंड का उपनिवेश था। इंग्लैंड भी प्रथम विश्व युद्ध में शामिल था । इस युद्ध से भारत के लिए एक नयी स्थिति पैदा कर दी। और औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि हुई जिसके निम्न कारण थे: 1. ब्रिटिश कारखाने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए युद्ध संबधी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मेनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया जिससे भारतीय बाजारों को रातोंरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया । 2. युद्ध लंबा खींचा तो भारतीय कारखाने में भी फौज के लिए समान बनाने के आर्डर आने लगे। 3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में नए नए कारखाने लगाए गए और पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे भूगोल पाठ 6 (विनिर्माण उद्योग)यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से भूगोल का पाठ 6 विनिर्माण उद्योग को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। विनिर्माण उद्योग माइंड मैप
अभ्यास के प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
अतिरिक्त प्रश्न बैंक (विनिर्माण उद्योग) दो अंक वाले प्रश्न:-
तीन और पांच अंक वाले प्रश्न:-
प्रश्न 9. भारत में रेलवे उपकरण उद्योग के वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
प्रश्न 19. भारत में रेशम आयोग के वितरण पर संक्षेप में प्रकाश डालिए। उत्तर भारत में रेशम आयोग का वितरण भारत में चार प्रकार की रेशम, टसर (Tasar) इरी (Eri) (Munga) और (Mulberry) पैदा की जाती है। भारत में रेशम की लगभग 90 मिले हैं जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर राज्यों में स्थित है। कर्नाटक में इसके मुख्य केंद्र बंगलौर, मैसूर, बेलगाँव और आदि है। पश्चिमी बंगाल में इसके मुख्य केंद्र मुर्शिदाबाद और बांकुरा में है जबकि जम्मू व कश्मीर में श्रीनगर, बारामूला अनंतनाग इसके मुख्य केंद्र है जहाँ रेशमी वस्त्र तैयार किए जाते हैं।
प्रश्न 23. पेट्रो-रसायन उद्योग पर एक टिप्पणी लिखिए। उत्तर- पेट्रो-रसायन उद्योग क्या है ?- उद्योग जो अशुद्ध पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्त उत्पादनों पर निर्भर करते हैं व्हें पेट्रो-रसायन उद्योग कहा जाता है। ऐसे उत्पादनों में नैपथा (Naptha), नाइलोन (Nylon), पोलिस्टर (Polyester), प्लास्टिक (Plastic) आदि के नाम विशेषकर उल्लेखनीय हैं। पेट्रो-रसायन उद्योग के मुख्य केंद्र मुम्बई के समीप और बड़ौदा में स्थित है। प्रश्न 24, सीमेंट उद्योग की दो प्रमुख आवश्यकताओं के नाम लिखिए। उत्तर- बिजली और चूने के पत्थर आदि सीमेंट उद्योग की दो प्रमुख आवश्यकतायें है। चूने के पत्थर को पीसने के लिए बिजली की बड़ी आवश्यता पड़ती है इसलिए बिजली की उपलब्धि के बिना इस उद्योग का लगाया जाना कठिन होता है। बिजली और चूने के पत्थर के अतिरिक्त सस्ते मजदूरों का मिलना भी उपयोगी सिद्ध होता है। प्रश्न 25, चीनी उद्योग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर-भारत विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन गुड़ और खांडसारी के उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।चीनी उद्योग की स्थापना भारत में सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश जाती है। इस उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल भारी होता है तथा ठुलाई के दौरान इसमें मौजूद सुक्रोज की मात्रा घट जाती है । उद्योग मौसमी है इसलिए यह सरकारी क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। दक्षिणी भारत, विशेषकर महाराष्ट्र में सहकारी समितियाँ काफी संगठित और सफल है।
उत्तर भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का महत्त्व – भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग अपना विशेष महत्त्व – रखता है। इसके लिये उत्तरदायी कारण/तर्क निम्नलिखित हैं
प्रश्न 32:-भारत में लोहा और इस्पात उद्योग द्वारा सामना की गई किन्हीं तीन समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
केस स्टडी 1
केस स्टडी 2
भूगोल पाठ 7 (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं)NCERT BOOK (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं) यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से भूगोल का पाठ 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। माइंड मैप (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं)
अभ्यास के प्रश्न
उत्तर (i) (ग) (i) (क) (i) (ग) (iv) (घ) (v) (ग) (vi) (ग)
अतिरिक्त प्रश्न बैंक
प्रश्न 10. भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों का वर्णन कीजिए। उत्तर- 1. स्वर्णिम चतुर्मुख महा राजमार्ग (Golden Quadrilateral Super Highways)- देश में परिवहन को और तेज बनाने के लिए इन स्वर्णिम चतुर्मुख महा राजमार्गों की योजना बनाई गई है। ऐसे महामार्ग चार से छः लेन तक होते हैं। 2. राष्ट्रीय महामार्ग (National Highways)- ये राष्ट्रीय महत्त्व की सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में मिलाती है। भारत में इन राष्ट्रीय महामार्गों की कुल लम्बाई कोई 52,000 किलोमीटर है। 3. राज्य महामार्ग (State Highways)- ये महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी को उस राज्य के अनेक • नगरों से मिलाते हैं। इनका रख-रखाव राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। ऐसे महामार्गों की लम्बाई 1.3 लाख किमी० है। 4.जिले की सड़कें (District Roads) – ये सड़कें जिला मुख्यालय को जिले के अन्य नगरों व कस्बों से जोड़ती है। 5. गाँव की सड़कें (Village Roads) – ये सड़कें गाँव को जिले के विभिन्न नगरों से मिलाती हैं। 6. सीमा सड़कें (Border Roads) – यह सड़कें बहुत महत्त्व की होती हैं। इनका निर्माण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है। इनका रख-रखाव केन्द्रीय सरकार करती है। इनके निर्माण के लिए केन्द्रीय सरकार ने सीमा सड़क विकास बोर्ड (Border Roads Development Board) नामक संगठन का निर्माण कर रखा है। ये संगठन सीमावर्ती सड़कों की मरम्मत का कार्य भी देखता है और नई सड़कों का निर्माण भी करता है। प्रश्न 15. व्यापार क्या है ? अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। उत्तर – व्यापार:-राज्यों व देशों के बीच वस्तुओं के आदान-प्रदान को व्यापार कहा जाता है। यदि यह व्यापार देश के विभिन्न राज्यों के बीच हो तो इसे राज्यस्तरीय व्यापार कहा जाता है। यदि यह व्यापार विश्व के अनेक देश के बीच हो तो इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्व – (i) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा देश की समृद्धि को काफी सहयोग मिलता है, विशेषकर जब इस व्यापार में लगे हुए बहुत से व्यापारियों और कारीगरों को इसमें जीवन उपार्जन के साधन मिलते हैं। (ii) इस अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से हमें वह बहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जिसका प्रयोग हम अनेक महत्वपूर्ण वस्तुओं के आयात में कर सकते हैं जिनकी हमारे देश और उद्योगों को आवश्यकता होती है। (iii) नि:संदेह आज के युग में विश्व का कोई भी देश इस व्यापार के बिना जिंदा नहीं रह सकता। (iv) यदि यह व्यापार हमारे पक्ष में न हो जैसा कि स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश राज्य में होता था तो ऐसे में देश (भारत) को काफी हानि होती थी। हमें विदेश से चीज़ों का आयात करने से अधिक धन देना पड़ता था जबकि कर चीज़ों का निर्यात करने के परिणामस्वरूप हमें कम धन की प्राप्ति होती थी। ऐसे में हमारा देश भारत धीरे-धीर निर्धन होता जा रहा था और इंग्लैंड के लोगों की जेबें भरी रहती थीं। प्रश्न 18, पिछले 15 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें। उत्तर: भारत 20वीं शताब्दी के पांचवें दशक में कच्चे माल और अर्द्ध-निर्मित वस्तुओं का ही अधिक निर्यात था क्योंकि उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था अपने प्राथमिक रूप में ही थी। इस काल में भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में कपास का धागा, सूती कपड़ा, नारियल का धागा, कच्चा लोहा, पटसन का सामान, चमड़ा, खालें, तंबाकू, वनस्पति तेल, कॉफी, चाय, मैंगनीज, समुक मोती और बहुमूल्य पत्थर आदि शामिल थे। पिछले 15 वर्षों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक नवीन झुकाव दृष्टिगोचर हुआ। इस काल में भारत की अर्थव्यवस्थाने अपना प्राथमिक (Primary) रूप बदला और उसने अपने द्वितीयक (Secondary) रूप को धारण किया। अब भारत ने प्राथमिक उत्पादों से अनेक प्रकार की उपयोगी वस्तुएँ बनाना आरम्भ कर दिया और अपने प्रशिक्षित कारीगरों के कौशल और प्रवीणता के फलस्वरूप उनके मूल्य में वृद्धि करनी शुरू कर दी। इस काल में भारत से मुख्य रूप से रत्न, जवाहरात, सूती कपड़े, चाय, मशीनरी, यातायात संबंधी उपकरण, लोहा-इस्पात, चमड़ा, चमड़े का सामान आदि निर्यात होने लगे। परंतु अब भी व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में नहीं था क्योंकि भारत के आयात और निर्यात में भारी अंतर था। उसका आयात निर्यात से अधिक था। भारत में मानव-शक्ति के अपार साधन हैं। भारत को अपने विशाल मानव संपदा के साधनों का और अपनी कार्यशील जनसंख्या के कौशल का पूरा लाभ उठाना चाहिए और अपने प्राथमिक उत्पादों से अनेक वस्तुएँ निर्माण कर उनके मूल्य में वृद्धि करनी चाहिए। प्रश्न 1. वस्तुओं तथा सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए परिवहन के तीव्र एवं सक्षम साधन क्यों आवश्यक हैं ? उदाहरणें सहित स्पष्ट कीजिए। उत्तर-(1) वस्तुएँ तथा सेवाएँ माँग स्थल से आपूर्ति स्थल पर अपने आप नहीं पहुँचती है। वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है। (2) परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है इसलिए परिवहन, संचार व व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं। (3) सघन व सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन आज विश्व, राष्ट्र व स्थानीय व्यापार हेतु पूर्व अपेक्षित है। रेल, सड़क, वायु एवं जल परिवहन आदि भारत के सामाजिक, आर्थिक विकास में अनेक प्रकार से सहायता कर रहे हैं। प्रश्न 2. “सघन और सक्षम परिवहन का जाल स्थानीय और राष्ट्रीय विकास हेतु पूर्व अपेक्षित है।” कथन का विश्लेषण कीजिए। अथवा तीव्र विकास के लिए परिवहन के सक्षम साधनों की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-(1) वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है। (2) परिवहन को स्थल, जल व वायु परिवहन में वर्गीकृत किया जा सकता है। सघन व सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन आज विश्व राष्ट्र व स्थानीय व्यापार हेतु पूर्व अपेक्षित हैं। (3) एक देश के विकास की गति वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के साथ उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन की सुविधा पर निर्भर करता है। स्थानिक से अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय व्यापार ने अर्थव्यवस्था को जीवन शक्ति दी है। इसने हमारे जीवन को समृद्ध किया है तथा आरामदायक जीवन के लिए सुविधाओं व साधनों में बढ़ोत्तरी की है। प्रश्न 3. “सक्षम और तीव्र गति वाले परिवहन और संचार साधनों ने संसार को एक बड़े गाँव में परिवर्तित कर दिया है।” उदाहरणों सहित इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। अथवा स्पष्ट कीजिए कि आजकल के व्यापार के लिए परिवहन और संचार के साधन और सक्षम साधनों का ताना-बाना पहली शर्त क्यों है? कोई चार कारण दीजिए। अथवा “परिवहन, संचार और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।” चार उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए। अथवा “परिवहन और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। उत्तर- व्यापार के लिए परिवहन और संचार के साधन और सक्षम साधनों का ताना-बाना पहली शर्त है, क्योंकि : (1) सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज संसार एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो गया है। (2) परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है। (3) इसीलिए परिवहन, संचार व व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। (4) आज भारत अपने विशाल आकार, विविधताओं, भाषाई तथा सामाजिक व सांस्कृतिक बहुलताओं के बावजूद संसार के सभी क्षेत्रों से सुचारू रूप से जुड़ा हुआ है। (5) रेल, वायु एवं जल परिवहन, समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा तथा इंटरनेट, आदि इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में अनेक प्रकार से सहायक हैं। (6) स्थानिक से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार ने अर्थव्यवस्था को जीवन-शक्ति दी है। (7) इसने हमारे जीवन को समृद्ध किया है तथा आरामदायक जीवन के लिए सुविधाओं व साधनों में बढ़ोतरी की है। प्रश्न 4. “देश के तीव्र विकास के लिए सक्षम परिवहन के साधन पूर्व-अपेक्षित है।” कथन का समर्थन उपयुक्त उदाहरणों के साथ कीजिए। अथवा सक्षम परिवहन के साधन देश के तीव्र विकास के लिए पूर्व अपेक्षित क्यों हैं? स्पष्ट कीजिए। अथवा परिवहन तथा संचार का सक्षम नेटवर्क किसी देश के तीव्र आर्थिक विकास के पूर्व-शर्त हैं। तीन उपयुक्त उदाहरणों द्वारा इस कथन का समर्थन कीजिए। अथवा “सक्षम परिवहन के साधन तीव्र विकास हेतु पूर्व अपेक्षित हैं।” इस कथन के पक्ष में अपने विचार व्यक्त कीजिए। उत्तर- (1) लोगों एवं उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों तक वस्तुओं और सेवाओं को शीघ्र पहुँचाने के लिए सक्षम एवं सुविकसित परिवहन साधनों का होना जरूरी है। (2) वस्तु एवं सेवा उत्पादन स्थल से माँग की जगह तक खुद ही नहीं पहुँचते हैं। बल्कि, यह परिवहन की आवश्यकता को जन्म देता है। (3) कुछ लोग इस तरह की आवाजाही को मुमकिन बनाने के कार्य में संलग्न हैं। वे उन व्यापारियों तक पहुंचते हैं जो उत्पादों का निर्माण करते हैं तथा उनसे उत्पाद लेकर परिवहन साधनों के माध्यम से उपभोक्ताओं तक उनको पहुँचाते हैं। (4) इस तरह किसी देश के विकास की गति न केवल वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन बल्कि विभिन्न जगहों तक उनकी सुव्यवस्थित आवाजाही पर भी निर्भर करता है। प्रश्न 9. राज्य राजमार्गों और जिला सड़कों के बीच किन्हीं तीन अंतरों का उल्लेख कीजिए। उत्तर- (1) राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़के राज्य राजमार्ग कहलाती है। जबकि जिला सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। (2) राज्य राजमार्ग, जिला सड़कों की अपेक्षा लंबी होती है। (3) राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है। जबकि जिला सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का है। प्रश्न 10. परिवहन के साधन के रूप में सड़कों के महत्व का न पाँच बिन्दुओं में वर्णन कीजिए। उत्तर- यातायात के साधन के रूप में सड़कों के महत्व निम्न प्रकार हैं (1) सड़क परिवहन अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में मितव्ययी है। (2) यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। (3) सड़क परिवहन में सामान चढ़ाने व उतारने की लागत रेलवे की तुलना में काफी कम हैं। (4) सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जैसे सड़के, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं। (5) अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं। प्रश्न 11. भारत में सड़क बनाने वाले और देखरेख करने वाले विभिन्न प्राधिकरणों का महत्व स्पष्ट कीजिए। उत्तर- (1) भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग का निर्माण तथा रखरखाव का कार्य करती है। इस महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी (Megacities) के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है। (2) राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में हैं। (3) राज्य राजमार्ग, राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ती है। राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है। (4) जिला सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का है। (5) ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत कुछ विशेष प्रावधान बनाए गए हैं ताकि देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों (वे सड़कें जिन पर वर्षभर वाहन चल सकें) द्वारा जोड़ा जा सके। प्रश्न 12. भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का तीन बिंदुओं में वर्णन कीजिए। उत्तर- (1) राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण एवं रख-रखाव का कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा किया जाता है। (2) अनेक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हैं। (3) ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग (जी.टी. रोड) राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 1 कहलाता है जो दिल्ली और अमृतसर को आपस में जोड़ता है। प्रश्न 13. भारत में भिन्न-भिन्न प्रकार की सड़कों द्वारा अदा की गई महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन कीजिए। अथवा सड़कों को उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत कीजिए तथा प्रत्येक की भूमिका की व्याख्या कीजिए। अथवा भारत को सड़कों का उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकरण कीजिए। उत्तर-(1) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई मुंबई-दिल्ली को आपस में जोड़ने के लिए एक महत्वाकांक्षी सड़क विकास परियोजना की शुरुआत की है। श्रीनगर और कन्याकुमारी को जोड़ने वाला उत्तर दक्षिण गलियारा तथा सिलचर एवं पोरबंदर को जोड़ने वाला पूर्व-पश्चिम गलियारा, इस परियोजना के अंग हैं। इन महा राजमार्गों का मुख्य उद्देश्य भारत के बड़े शहरों के बीच समय और दूरी को कम करना है। (2) राष्ट्रीय राजमार्ग:- ये राजमार्ग देश के सुदूरवर्ती हिस्सों को : आपस में जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क-तंत्र हैं तथा इनका निर्माण और रख-रखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा किया जाता है। (3) राज्य राजमार्ग:- सड़कें जो राज्य की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं, उन्हें राज्य राजमार्ग कहते हैं। (4) जिला सड़कें:- सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। (5) अन्य सड़कें:- ऐसी क्षेत्रीय सड़कें जो ग्रामीण इलाकों तथा गाँवों को शहरों के साथ जोड़ती हैं. इस वर्ग के अंतर्गत आती है। (6) सीमांत सड़कें:- उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्रों में स्थित ये सड़कें सामरिक महत्व की हैं। इन सड़कों ने जटिल भू-भाग मेंपहुँचना आसान कर दिया है तथा इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सराहनीय योगदान दिया है। प्रश्न 14. भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग की विशेषताओं का पाँच बिंदुओं में वर्णन कीजिए। अथवा भारत के स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए। उत्तर-(1) भारत के 6 लेन वाले स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग 6.लेन वाली महत्त्वपूर्ण महा-राजमार्ग है। (2) ये राजमार्ग भारत के बड़े शहरों के बीच की दूरी और लगने वाले समय को कम करते हैं। (3) इन राजमार्गों का रख-रखाव राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। (4) ये राजमार्ग भारत में आंतरिक व्यापार में सुधार के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। (5) इन सड़कों की गुणवत्ता बहुत अच्छी है। (6) इन सड़कों के निर्माण पर बहुत अधिक निवेश किया गया है। प्रश्न 15. सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक क्यों है? पाँच तथ्यों के साथ स्पष्ट कीजिए। अथवा सड़क परिवहन की रेलवे की तुलना में लाभों का विश्लेषण कीजिए। अथवा रेलमार्ग की तुलना में सड़कमार्ग के किन्हीं पाँच लाभों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- सड़क परिवहन के लाभ- (1) रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है। (2) अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं। (3) अधिक ढाल प्रवणता वाले क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं। (4) अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है। (5) यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। (6) सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है। (7) सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जैसे सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं। प्रश्न 16. भारत की ग्रामीण सड़कों का वर्णन कीजिए। अथवा ग्रामीण सड़कें क्या है? इन सड़कों की किन्हीं वो विशेषताओं का वर्णन कीजिए। उत्तर-वे सड़कें जो ग्रामीण क्षेत्रों और गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं, उन्हें ग्रामीण सड़कों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ग्रामीण सड़कों की विशेषताएं:- (i) इन सड़कों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना के अंतर्गत विशेष गति मिली है। (ii) इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को देश के किसी प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है। प्रश्न 17. भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए। अथवा भारतीय सड़क परिवहन की किन्हीं पाँच समस्याओं का विश्लेषण कीजिए। अथवा भारत के सड़क परिवहन के समक्ष उपस्थित किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत में सड़क परिवहन तंत्र के समक्ष किन्हीं तीन चुनौतियों की चर्चा कीजिए। उत्तर- भारत में सड़क परिवहन के समक्ष चुनौतियाँ : (1) सड़क नेटवर्क अपर्याप्त है। (2) लगभग आधी सड़कें कच्ची हैं तथा यह वर्षा के दौरान उनके उपयोग को सीमित कर देती हैं। (3) राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई भी अपर्याप्त है। (4) शहरों में राजमार्ग बहुत अधिक व्यस्त हैं तथा अधिकतर पुल एवं सहायक मार्ग पुराने एवं सँकरे हैं। (5) सड़कों का रख-रखाव कमज़ोर है। (6) सड़क किनारे उपलब्ध होने वाली सुविधाएँ जैसे आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा, पुलिस सुरक्षा तथा संचार सेवा आदि या तो अपर्याप्त हैं या फिर यहाँ तक पहुँचा नहीं जा सकता है। (7) सड़कों पर प्रायः वाहनों की भीड़ लगी रहती है जिससे यातायात बाधित रहने की समस्या आती है। (8) सड़कों से यात्रा आरामदेह नहीं है तथा प्रायः इन पर दुर्घटनाएँ होती ही रहती हैं। प्रश्न 3. भारत में रेलवे वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। तर्कों सहित इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। अथवा “रेल परिवहन को परिवहन का सबसे सुविधापूर्ण साधन माना जाता है”। कथन की पुष्टि कीजिए। उत्तर- (1) रेल परिवहन व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राएँ व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन इत्यादि जैसे अनेक कार्यों में सहायक है। (2) एक प्रमुख परिवहन के साधन के अतिरिक्त, पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण समंवयक के रूप में जानी जाती है। (3) भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था को आपस में जोड़ती है। इसने उद्योगों एवं कृषि के विकास को गति दी है। (4) भारतीय रेल परिवहन को 16 रेल प्रखंडों में पुनः संकलित किया गया है। आज राष्ट्रीय अर्थव्यस्था में अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है। (5) यह देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। प्रश्न 4. रेलवे लाइन बिछाने की प्राकृतिक एवं आर्थिक दृष्टि से प्रतिकूल भारत के किन्हीं पाँच क्षेत्रों को स्पष्ट कीजिए। अथवा “भारतीय रेल परिवहन का वितरण भू-आकृतिक कारकों द्वारा प्रभावित होता है।” इस कथन का परीक्षण कीजिए। अथवा हमारे देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले भू-आकृतिक और आर्थिक कारणों का विश्लेषण कीजिए। उत्तर- देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले भू-आकृतिक एवं आर्थिक कारक निम्नलिखित हैं (1) उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल भूमि, सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि और प्रचुर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास एवं वृद्धि में अनुकूल रहा है। (2) हालाँकि, असंख्य नदियों के विस्तृत जल मार्गों पर पुलों के निर्माण में कुछ बाधाएँ आई हैं। (3) प्रायद्वीपीय क्षेत्र के पहाड़ी भाग में रेल मार्ग छोटी पहाड़ियों, उबड़-खाबड़ क्षेत्रों और सुरंगों आदि से होकर गुजरती है। (4) हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र भी रेलवे मार्ग के निर्माण के लिए प्रतिकूल है। (5) इसी प्रकार पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, व झारखंड में रेल लाइन निर्माण करना कठिन है। प्रश्न 5. भारतीय रेलवे के समक्ष किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- यात्रियों एवं वस्तुओं आदि के परिवहन हेतु रेलवे प्राथमिक साधन हैं परंतु, भारतीय रेलवे के सामने निम्न समस्याएँ उपस्थित हैं (1) कई यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं। (2) उपद्रवकारियों द्वारा रेलवे की परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाय जाता है। (3) लोग अनावश्यक रूप से जंजीर खींचते हैं तथा रेलगाड़ी को रोकते रहते हैं। (4) बढ़ती हुई जनसंख्या एवं यात्री के बोझ से निपटने में यह पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रहा है। प्रश्न 3. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के परिवहन में पाइप लाइनों के लाभों का वर्णन कीजिए। उत्तर- (1) आज पाइपलाइन का प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। (2) पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की (Running) लागत न्यूनतम है। है। (3) वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर प्रश्न 4. भारत में सबसे लंबी गैस पाइप लाइन कौन-सी है? इसकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए। अथवा हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर गैस पाइपलाइन की किन्हीं पाँच विशेषताओं को उजागर कीजिए। उत्तर-(1) हजीरा-विजयपुर- जगदीशपुर गैस पाइपलाइन भारत की सबसे लंबी पाइपलाइन है। (2) यह पाइपलाइन गुजरात में हजीरा को उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर से मिलाती है। यह मध्य प्रदेश के विजयपुर के रास्ते से होकर जाती है। (3) इसकी शाखाएँ राजस्थान में कोटा तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों पर हैं। (4) सुदूर आंतरिक भागों में शोधनशालाएँ व उर्वरक कारखानों को स्थापना पाइपलाइनों के कारण ही संभव हो पाई है। (5) वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर हैं। प्रश्न 5. भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन महत्वपूर्ण तंत्रों का वर्णन कीजिए। अथवा किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण पाइपलाइन जाल तंत्रों का उनकी शाखाओं सहित विवरण कीजिए। उत्तर:- भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन महत्वपूर्ण तंत्र निम्नलिखित हैं (1) ऊपरी असम के तेल क्षेत्र से गुवाहाटी, बरौनी तथा इलाहाबाद होते हुए कानपुर तक। इसकी शाखाएँ हैं-बरौनी से राजबंध होते हुए हल्दिया तक तथा दूसरी राजबंध से मौरीग्राम तथा गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक। (2) गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली तथा सोनीपत होते पंजाब में जालंधर तक। कोयली (गुजरात में), चक्शु और अन्य दूसरी जगहों को जोड़ने के लिए इसकी शाखाएँ भी हैं। (3) गुजरात में हजीरा से मध्य प्रदेश में विजयपुर होते हुए उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर तक। इसकी शाखाएँ हैं-राजस्थान के कोटा तक तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला एवं दूसरी जगहों तक। प्रश्न 9. जनसंचार क्या है? जनसंचार के विभिन्न माध्यम कौन-से हैं? भारत जैसे देश में जनसंचार माध्यमों का क्या महत्व है? उत्तर-जनसंचार: ये संचार के वे माध्यम हैं, जो एक ही समय में विशाल संख्या में लोगों तक पहुँचने में सक्षम हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया। जनसंचार के विभिन्न माध्यम: रेडियो, टेलीविजन, फिल्म एवं पत्रिका, समाचारपत्र, सोशल मीडिया आदि। जनसंचार का महत्व : (i) इसकी पहुँच भारत की कुल आबादी के 95 प्रतिशत हिस्से से अधिक तक है। (ii) यह शिक्षा एवं मनोरंजन का एक स्रोत है। (iii) जनसूचना का यह सर्वाधिक तत्क्षणिक साधन है। (iv) यह सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाने का कार्य करता है। प्रश्न 3. भारत द्वारा सबसे अधिक आयात तथा निर्यात की जाने वाली तीन-तीन वस्तुओं के नाम लिखिए। उत्तर- (1) विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों तथा सभी व्यापारिक खंडों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध है। (2) भारत से निर्यात की जाने वाली तीन प्रमुख वस्तुएँ हैं (i) कृषि तथा इससे संबंधित उत्पाद (ii) रत्न व जवाहरात (iii) पेट्रोलियम उत्पाद (कोयला सहित) (3) भारत द्वारा आयात की जाने वाली तीन प्रमुख वस्तुएँ (i) पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद (ii)मोती व बहुमूल्य रत्न (iii)मशीनरी प्रश्न 4. ‘व्यापार’ शब्द को परिभाषित कीजिए। व्यापार के दो घटकों का उल्लेख कीजिए। उत्तर- (1) राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ इसका विनिमय होता है। (2) आयात और निर्यात व्यापार के घटक हैं। खनिज व अयस्क, रत्न व जवाहरात तथा पेट्रोलियम उत्पाद (कोयला सहित) आदि वस्तुएँ निर्यात होती हैं। (3) भारत में आयातित वस्तुओं में पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद, मोती व बहुमूल्य रत्न, कोयला, कोक तथा कोयले का गोला तथा मशीनरी आदि शामिल हैं। प्रश्न 5. उन तरीकों की व्याख्या कीजिए जिनमें व्यापार संतुलन किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है। उत्तर- (1) किसी भी देश के व्यापार संतुलन को उसके निर्यात और आयात मूल्यों के बीच का अंतर निर्धारित करता है। (2) किसी देश की अर्थव्यवस्था को व्यापार संतुलन निम्न रूप से प्रभावित करता है (i) जब निर्यात मूल्य, आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे उस देश के लिए अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं। (ii) यदि किसी देश का आयात मूल्य उसके निर्यात मूल्य से अधिक हो जाता है तो इसे उस देश के लिए प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं। (iii) आयात और निर्यात व्यापार के घटक हैं। किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि उसकी आर्थिक समृद्धि का सूचकांक होती है। प्रश्न 6. गत पंद्रह वर्षों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती हुई प्रकृति की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए। अथवा व्यापार का क्या अर्थ है? गत पंद्रह वर्षों में किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारी परिवर्तन हुआ है? उत्तर-(1) किसी देश के व्यापार संतुलन उसके आयात एवं निर्यात के बीच का अंतर निर्धारित करता है। जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है। अन्य स्थिति में यह प्रतिकूल व्यापार संतुलन होता है। (2) (i) पिछले कुछ वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कृषि एवं संबंधित उत्पादों, अयस्क एवं खनिज, पेट्रोलियम उत्पाद, आदि का हिस्सा बढ़ता ही रहा है। (ii) वस्तुओं के आदान-प्रदान की अपेक्षा सूचनाओं, ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान बढ़ा है। (iii) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत एक बहुत बड़े सॉफ्टवेयर निर्माता के रूप में उभरकर सामने आया है। (iv) सूचना तकनीकी के निर्यात से भारत बहुत अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। प्रश्न 7. वर्तमान विश्व में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बिना कोई भी देश अस्तित्व में नहीं रह सकता है। कथन को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-(1) दुनिया में कोई भी देश अपनी ज़रूरतों के मुताबिक आत्मनिर्भर नहीं है। चूँकि संसाधनों में भिन्नता, जरूरत, तथा देशों के बीच विकास आदि उनके बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति उत्पन्न करता है। (2) यह विदेशी व्यापार के माध्यम से कमी वाले देशों के साथ अधिशेष वस्तुओं के आदान-प्रदान में मदद करता है। (3) विदेशी व्यापार ने भारत को निर्मित वस्तुओं की उत्पादकता में सुधार करने में मदद की है। (4) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने लोगों के आय स्तर को बढ़ा कर तथा विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करके भारत की आर्थिक विकास में योगदान किया है। (5) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारत को अपने उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए अन्य देशों की उच्च तकनीक का आयात करने में मदद करता है। प्रश्न 8. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का क्या अर्थ है? भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। उत्तर- (1) दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ : (i) इसे समुद्र, वायु तथा स्थल मार्गों द्वारा संपादित किया जाता है। (ii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रगति किसी देश की आर्थिक समृद्धि का सूचक है। (iii) चूँकि संसाधन स्थानबद्ध होते हैं, अतः कोई भी देश बिना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नहीं रह सकता है। (iv) भारत का दुनिया के सभी प्रमुख व्यापार खंडों तथा सभी भौगोलिक क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंध है। (v) भारत कृषि तथा उससे संबंधित उत्पादों, अयस्कों एवं खनिजों, कीमती पत्थरों एवं आभूषणों तथा रसायनों एवं सहयोगी उत्पादों, इंजीनियरिंग उत्पादों तथा पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है। (vi) भारत में आयात की जाने वाली चीज़ों में शामिल हैं-पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद, मोती एवं कीमती पत्थर, अकार्बनिक रसायन, कोयला, कोक, मशीनरी, आदि। (vii) भारत एक बड़े सॉफ्टवेयर निर्माता के रूप में दुनिया में उभर कर आया है तथा यह अपने सूचना प्रौद्योगिकी के निर्यात द्वारा भारी विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। (viii) पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद हमारे मुख्य आयात हैं, क्योंकि इनकी माँग हमारी उत्पादन क्षमता से कहीं अधिक है।
मानचित्र कार्य
लोकतांत्रिक राजनीति पाठ 6 (राजनीतिक दल)NCERT BOOK (राजनीतिक दल) यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से लोकतांत्रिक राजनीति का पाठ 6 राजनीतिक दल को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। माइंड मैप (राजनीतिक दल) अभ्यास के प्रश्न
प्रश्न 7. पहली सूची (संगठन/दल) और दूसरी सूची (गठबंधन/मोर्चा) के नामों का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढें
उत्तर (ग) ग क घ ख
लोकतांत्रिक राजनीति पाठ 7 (लोकतंत्र के परिणाम)NCERT BOOK (लोकतंत्र के परिणाम) यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से लोकतांत्रिक राजनीति का पाठ 7 लोकतंत्र के परिणाम को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। माइंड मैप (लोकतंत्र के परिणाम) अभ्यास प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त प्रश्न बैंक 2 अंक वाले:- प्रश्न 1. लोकतंत्र एवं विकास के मध्य संबंध स्थापित कीजिए। उत्तर- (1) आर्थिक विकास कई कारकों मसलन देश की जनसंख्या के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है। (2) लोकतांत्रिक शासन से अच्छी सरकार की उम्मीद के साथ-साथ विकास की उम्मीद भी की जाती है। परंतु, तानाशाही वाले शासन में विकास की उम्मीद नहीं की जाती है। प्रश्न.2. देश का आर्थिक विकास किन कारकों पर निर्भर है? उत्तर (1) जनसंख्या का आकार (2) वैश्विक स्थिति (3) अन्य देशों से सहयोग (4) देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताएँ प्रश्न.3 अन्य सरकारों की तुलना में लोकतंत्र में निर्णय लेने में कितना समय लगता है? उत्तर लोकतांत्रिक सरकार सारी प्रक्रिया को पूरा करने में ज्यादा समय ले सकती है, परन्तु यह सरकार ऐसे फैसले लेती है जो सभी लोगों को स्वीकार होंगे व अधिक प्रभावी होंगे। प्रश्न.4. “तानाशाही व्यवस्था में आर्थिक विकास का स्तर लोकतंत्र से बेहतर होता है।” ऐसा क्यों? उत्तर तानाशाही शासन में कानून सख्त और अनिवार्य होते हैं। जबकि लोकतंत्र में नेता व सरकार अपने लाभ के बारे में सोचते हुए, गरीबी दूर करने या आर्थिक विकास की तरफ अधिक ध्यान नहीं देत। प्रश्न.5. लोकतांत्रिक राजनीति किसे कहते हैं? उत्तर लोकतांत्रिक राजनीति वह होती है जिसमें एक से अधिक राजनीतिक दल अस्तित्व में हो, जिसमें औपचारिक संविधान हो, जिसमें लगातार चुनाव होते हो तथा जो अपने नागरिकों को अनेक अधिकारों की गारंटी देता है। प्रश्न 6. लोकतंत्र आर्थिक असमानता तथा शोषण को कम नहीं कर सका है? उदाहरण दीजिए। उत्तर) लोकतंत्र आर्थिक समानता तथा शोषण को कम नहीं कर सका है लेकिन हम देश में किसी को भी आर्थिक रूप से प्रगति करने से रोक नहीं सकते हर एक व्यक्ति को समान अवसर प्राप्त होते हैं तथा इसलिए अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं प्रश्न 7. लोकतंत्र का सबसे मौलिक परिणाम क्या होना चाहिए ? उत्तर) लोकतंत्र का सबसे मौलिक परिणाम यह होना चाहिए कि यह एक वैधानिक सरकार का गठन करें जो जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप हो, जो जनता के प्रति जो सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हो तथा जो देश के नागरिकों की आशाओं पर खरी उतरती हो प्रश्न 8. लोकतंत्र के सफलता पूर्वक ढंग से कार्य करने के लिए कौन सी शर्तें हैं ? उत्तर) 1. सभी नागरिकों को जागरूक होना चाहिए जिससे वह स्वयं ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को समझ सके। 2. सरकार के साथ नागरिकों का सहयोग करना आवश्यक है क्यों कि इससे सरकार ठीक ढंग से कार्य करती है तथा वह सार्वजनिक कार्यों में पूर्ण रूप से सक्रिय रहने चाहिए। प्रश्न 9. क्या हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं के लिए लोकतंत्र को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं? उत्तर. (1) जब हमारी कुछ उम्मीदें पूरी नहीं होती तो हम लोकतंत्र की अवधारणा को ही दोष देने लगते हैं। (2) हमें यह मानना चाहिए कि लोकतंत्र शासन का एक स्वरूप भर है। यह केवल कुछ चीजों को हासिल करने की स्थिति बना सकता है। 3 अंक वाले:- प्रश्न 1. “व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है।” इस कथन को न्यायसंगत बनाइए। या लोकतंत्र व्यक्ति की गरिमा और आजादी को बढ़ाने में किसी भी अन्य प्रणाली से बेहतर क्यों है? कोई तीन कारण दीजिए। या प्रजातंत्र किस प्रकार व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देता है? या लोकतंत्र में व्यक्ति की गरिमा को किस प्रकार बढ़ावा दिया जाता है? स्पष्ट कीजिए। या “लोकतंत्र किस प्रकार व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता को बढ़ाने में अन्य प्रकार की सरकारों से कहीं बेहतर है” उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। उत्तर- (1) व्यक्ति की गरिमा और आज़ादी के मामले में लोकतांत्रिक (2) किसी भी समाज में टकराव की स्थिति तब पैदा होती है। जब उनको लगता है कि उनके साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया गया है। (3) लोकतांत्रिक सरकारें सदा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करती प्रश्न 2. उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए कि लोकतंत्र में नागरिकों की गरिमा एवं स्वतंत्रता की गारंटी सबसे अधिक कैसे होती है? या क्या आप सहमत हैं कि व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने में, लोकतंत्र वास्तव में सफल रहा है? अपने दृष्टिकोण की पुष्टि किन्हीं तीन उपयुक्त तर्कों द्वारा कीजिए। उत्तर- निम्नलिखित तरीकों से लोकतंत्र नागरिकों की गरिमा को बनाए रखता है (1) महिलाओं की स्वतंत्रता और गरिमा लोकतंत्र में अच्छी तरह से सुनिश्चित है। (2) लोकतंत्र यह सुनिश्चित करता है कि लोग संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उपभोग कर रहे हैं। (3) आदर एवं स्वतंत्रता की भावना ही लोकतंत्र के आधार हैं। प्रश्न 3) लोकतंत्र के सिद्धांतों को जीवन के सभी क्षेत्रों में कैसे लागू किया जा सकता है? उत्तर ) 1) लोकतांत्रिक फैसले में उन सभी लोगों से राय विचार करने तथा सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया शामिल है जो इस फैसले से प्रभावित होने वाले हैं 2) सभी व्यक्तियों को निर्णय निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार है 3) किसी भी धनी शक्तिशाली व्यक्ति को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है। प्रश्न 4) लोकतंत्र नागरिकों की गरिमा को कैसे बनाए रखता है? उत्तर) 1.लोकतंत्र सम्मान एवं स्वतंत्रता की भावना को जन्म देता है। 2. लोकतंत्र में सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, रंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता। 3 लोकतंत्र में महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा प्रदान किया जाता है जैसे राजनीतिक मामलों में महिलाओं के लिए आरक्षण है। प्रश्न 5) विश्व में लोकतंत्र के विचार का एक जोरदार समर्थन क्यों है ? उत्तर) 1. लोकतंत्र में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार ही शासन को चलाती है 2. यह एक वैद्य सरकार होती है जो संविधान के नियमों का पालन करती है 3. लोग चाहते हैं कि वह अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करें वह लोग राजनीतिक दलों का निर्माण करते हैं और अपनी पसंद की सरकार बनाते हैं। प्रश्न.6. जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है? उत्तर. (1) लोगों को स्वतंत्र भाषण देने या अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं रहता। ( 2 ) लोगों को स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग लेने का अधिकार नहीं रहता। (3) लोगों को अपने संगठन, ट्रेड यूनियन इत्यादि स्थापित करने का अधिकार नहीं रहता। प्रश्न. 7. किस प्रकार लोकतंत्र पारदर्शिता की गारंटी देता है? उत्तर. (1) अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता कर सकता है। (2) नागरिकों के पास इनके लिए साधन भी उपलब्ध है, जैसे सूचना के अधिकार द्वारा जानकारी हासिल करना। (3) लोकतंत्र व्यवस्था में ऐसी सरकार का गठन होता है जो कायदे कानून को मानती है और लोगों के प्रति उसकी जवाबदेही होती है। प्रश्न. 8. लोकतंत्र को सफल कब माना जाता है? उत्तर. (1) जब शासक जनता द्वारा चुना जाता और वह महत्वपूर्ण निर्णय लेता है व जनता की निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी हो । (2) चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हों। (3) लोगों के प्रति उत्तरदायी, जिम्मेवार सरकार बने, जो लोगों की जरूरतों और उम्मीदों पर ध्यान दे। प्रश्न 9. लोकतंत्र किस प्रकार नागरिकों को शांतिपूर्ण और सद्भावना पूर्ण जीवन देता है ? उत्तर 1) प्रत्येक नागरिक को मत देने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। 2) यह नागरिकों को सामाजिक समानता उपलब्ध कराता है 3) लोकतंत्र टकराव तथा आपसी मतभेद को समाप्त करने में मदद करता है प्रश्न 10. शिकायतें किस प्रकार लोकतंत्र को सफल बनाने में सहयोग देती हैं ? उत्तर 1) लोकतंत्र में स्त्रियों को समान अधिकार न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाता है 2) समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करना (3 ) मतभेदों को दूर करने के लिए लोकतंत्र संवैधानिक तरीका उपलब्ध कराता है यह जातीय समूहों के बीच टकराव को कम करता है प्रश्न 11. लोकतंत्र किस प्रकार निर्णय निर्माण की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर- (1) लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह विचार-विमर्श तथा चर्चाओं पर आधारित होता है। संभावित या उपयुक्त निर्णय पर पहुँचने से पहले सभी मुद्दों एवं समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है। (2) लोकतांत्रिक फैसले में हरदम ज्यादा लोग शामिल होते हैं। चर्चा करके फैसले होते हैं। बैठकें होती हैं। यदि किसी एक मसले पर अनेक लोगों की सोच लगी हो तो उसमें गलतियों की गुंजाइस कम-से-कम हो जाती है। (3) इसमें कुछ ज्यादा समय जरूर लगता है। इससे ज्यादा उग्र या गैर-जिम्मेदार फ़ैसले लेने की संभावना घटती है। 5 अंक वाले:- प्रश्न 1. किस प्रकार तानाशाही या किसी अन्य वैकल्पिक सरकारों से तुलना करने पर लोकतांत्रिक सरकार बेहतर प्रतीत होती है? या लोकतंत्र के किन्हीं तीन गुणों को बताइए। या लोकतंत्र को एक बेहतर शासन प्रणाली क्यों समझा जाता है? कोई तीन कारण बताइए। या अन्य शासन प्रणाली की अपेक्षा, लोकतंत्र को अधिक पसंद क्यों किया जाता है? उत्तर- निम्नलिखित प्रकार से लोकतंत्र को अन्य शासन प्रणाली से बेहतर समझा जाता है (1) यह शासन का अधिक ज़वाबदेही वाला स्वरूप है तथा लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रखती है। (2) लोकतंत्र के आधार व्यापक चर्चा और बहस हैं। इससे उग्र या गैर-जिम्मेदार फैसले लेने की संभावना घटती है तथा लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना बढ़ाता है। (3) किसी भी समाज में लोगों के हितों और विचारों में अंतर होता है और लोकतंत्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है। (4) लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है। यहाँ सबसे गरीब और अनपढ़ को भी वही दर्जा प्राप्त है जो अमीर और पढ़े-लिखे लोगों को है। यह नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है। (5) लोकतांत्रिक व्यवस्था दूसरे से बेहतर है, क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर मिलता है। प्रश्न.2. लोकतांत्रिक सरकार किस प्रकार सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य स्थापित करती है? उत्तर (1) लोकतंत्र धर्म, जाति, भाषा या आर्थिक स्थिति के आधार पर विविधताओं में आपसी सामंजस्य पैदा करता है ताकि नागरिकों की स्वतंत्रता व गौरव की गारंटी दी जा सके। (2) हर आर्थिक तबके को बराबर का वोट का अधिकार है, उसमें गरीबी या अमीरी का कोई अंतर नहीं रखा जाता। (3) पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं को भी बराबरी का वोट का अधिकार है। (4) हर धर्म के लोग अपने धर्म-स्थल को बना सकते हैं, और अपने ही ढंग से पूजा पाठ कर सकते हैं। (5) सरकारी नौकरियों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता। प्रश्न 3. लोकतंत्र किस प्रकार उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैद्य सरकार का गठन करता है? उत्तर उत्तरदायी – (1) लोकतंत्र गारंटी देता है कि लोगों को अपने शासक चुनने का अधिकार होगा। (2) नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है। वैद्य लोकतंत्र सरकार सुस्त हो सकती है परन्तु यह लोगों की वैद्य सरकार होती है। इस सरकार में निर्णय संविधान के अनुरूप लिए जाते है। जब कोई राजनीतिक दल चुनाव में बहुमत प्राप्त कर लेता है, तो नई सरकार बना लेता है। यही चुनाव प्रक्रिया सरकार की वैद्यता पर मोहर लगाती है। जो केवल लोकतंत्र में संभव है। जिम्मेदार – (1) लोग चाहते हैं कि वे अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करें। (2) लोगों का विश्वास है कि लोकतंत्र ही उनकी समस्याओं को दूर कर सकता है। प्रश्न 4. “लोकतंत्र किसी अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है” उदाहरण देकर कथन को न्यायसंगत ठहराइए। या लोकतांत्रिक सरकारें किस प्रकार अन्य प्रकार की सरकारों से बेहतर हैं? तुलना कीजिए। या अन्य प्रकार की सरकारों की तुलना में लोकतंत्र वाली सरकार किस प्रकार बेहतर है? स्पष्ट कीजिए। या लोकतंत्र किसी अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर लोकतंत्र, तानाशाही या अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है क्योंकि – (1) यह नागरिको में समानता को बढ़ावा देता है सभी नागरिकों को एक नज़र से देखा जाता है, चाहे वह किसी जाति, धर्म, आर्थिक स्तर के हो सभी को सामान अधिकार प्राप्त हैं। (2) यह नागरिकों की गरिमा को बढ़ाता है यह लोगों के गौरव की रक्षा करता है व सम्मान करता है। (3) विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह नागरिकों को बोलने की आजादी देता है। लोग सरकार की आलोचना कर सकते हैं व भाषण देने के लिए भी स्वतंत्र हैं। (4) लोगों की अपनी सरकार चुनने का अधिकार होता है। लोकतंत्र में लोगों की अपनी सरकार होती है, क्योंकि वे उन द्वारा स्वयं बनाई गई होती है। (5) इसमें गलतियों को सुधारने की गुजाइश होती है। यदि सरकार कोई नीति या कानून बनाती है, जो कुछ लोगों के हित में नहीं होता। लोकतंत्र में उसे सुधारा जा सकता है। (6) यह सामाजिक आर्थिक समानता को सुनिश्चित करता है यह सामाजिक रूप से पिछड़े – व्यक्तियों का शोषण होने से बचाव करता है। व्यक्ति की गरिमा व समाज में प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मदद करता है। प्रश्न 5. लोकतंत्र के लिए आवश्यक शर्तों को स्पष्ट कीजिए। या ‘लोकतंत्र’ शब्द को परिभाषित कीजिए। लोकतंत्र की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। या लोकतंत्र का क्या अर्थ है? इसकी किन्हीं दो विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। उत्तर – (1) लोकतंत्र शासन का एक रूप है जिसमें जनता शासकों का चुनाव करती है और लोगों द्वारा चुने शासक सभी प्रमुख फैसले करते हैं। एक अच्छे लोकतंत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं (2) (i) राजशाही या तानाशाही से अलग, लोकतंत्र में शासक का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। शासक के रूप में वे जनता के प्रतिनिधि होते हैं तथा जनता की ओर से उन्हें फैसले लेने का अधिकार होता है। प्रश्न 6. “लोकतांत्रिक सरकार वैध सरकार होती है।” कथन को न्यायोचित ठहराइए। या लोकतांत्रिक सरकार को एक वैध सरकार क्यों कहा जाता है? उत्तर- निम्नलिखित तर्क इस बात की पुष्टि करता है कि लोकतांत्रिक सरकार वैध सरकार होती है। (1) लोकतांत्रिक सरकार लोगों की अपनी शासन-व्यवस्था है। इसी कारण पूरी दुनिया में लोकतंत्र के विचार के प्रति ज़बरदस्त समर्थन का है। भाव है। (2) संपूर्ण विश्व में लोग अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का शासन चाहते हैं। (3) वे यह भी मानते हैं कि लोकतंत्र उनके देश के लिए उपयुक्त है। (4) अपने लिए समर्थन पैदा करने की लोकतंत्र की क्षमता भी लोकतंत्र का एक परिणाम ही है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। (5) यह लोगों को अपने शासक चुनने का विकल्प प्रदान करती है। प्रश्न 7. क्या लोकतांत्रिक सरकार एक कार्य कुशल सरकार होती है? विश्लेषण कीजिए। उत्तर-(1) हाँ, एक लोकतांत्रिक सरकार कार्य कुशल सरकार है। (2) निम्नलिखित आधारों पर कुछ लोग मानते हैं कि लोकतंत्र कम कुशल सरकार प्रदान करती है (i) लोकतंत्र में बातचीत और मोलतोल के आधार पर काम चलता है जो लोकतांत्रिक सरकार को अकुशल बनाती है। (ii) गैर-लोकतांत्रिक सरकारें सभाओं में विचार-विमर्श या बहुसंख्यक एवं जनमत की परवाह नहीं करती। इसलिए ये तेज फैसले लेने एवं उन्हें लागू करने में सक्षम होती हैं। (2) (i) इसके विपरीत, लोकतांत्रिक सरकार निर्णय प्रक्रिया में कुछ ज्यादा समय जरूर लेती है। चूंकि इन्हें प्रक्रियाओं को अपनाना पड़ता है, इसलिए इनके निर्णय अधिक प्रभावी एवं स्वीकार होते हैं। (3) लोकतांत्रिक चर्चा में कई लोगों को शामिल किया जाता है। लंबे विचार-विमर्श से इसमें कुछ ज्यादा समय जरूर लगता है। परंतु इसके लाभ भी हैं। इन चर्चाओं से ज्यादा उग्र या गैर-जिम्मेवार फैसले लेने की संभावना घटती है। (4) यदि एक विस्तृत चर्चा के बाद भी किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाती है। तो बहुमत से लिए गए फैसले का सम्मान होता है। लोकतंत्र में सभी निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं। (5) परंतु अल्पसंख्यक या विपक्षी मतों पर भी उचित ध्यान दिया जाता है। लोकतंत्र में फैसले लेने में विपक्षी दलों की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कभी-कभी सत्ताधारी दल या सरकार स्वयं गुणों के आधार पर विपक्षी दल के कुछ विचारों को अपना सकती है। प्रश्न 8. लोकतांत्रिक सरकार और राजनीति के प्रारूपों का उल्लेख कीजिए। (2016-1N7UXWJ) उत्तर- लोकतांत्रिक सरकार और राजनीति के तीन प्रारूप उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन है। (1) उत्तरदायी-लोकतंत्र में इस बात की पक्की व्यवस्था होती है कि फैसले कुछ कायदे-कानूनों के अनुसार होंगे और अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो इसके लिए नागरिकों को अधिकार और साधन उपलब्ध हैं। प्रमुख नीतियों और कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा और इसके कामकाज के बारे में जानकारी पाने के लिए नागरिकों को सूचना का अधिकार भी प्राप्त है। (2) जिम्मेवार-लोकतांत्रिक सरकार जनता की माँग और हितों के प्रति संवेदनशील होती है और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयासरत रहती है और कुल मिलाकर भ्रष्टाचार से मुक्त शासन प्रदान करती है। (3) वैध शासन-लोकतांत्रिक सरकार निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है। यह वैध शासन-व्यवस्था है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था लोगों की अपनी शासन व्यवस्था है। इसी कारण से विश्व भर में लोकतंत्र के विचार के प्रति जबरदस्त समर्थन का भाव है प्रश्न 9. लोकतंत्र के किन्हीं तीन अवगुणों की व्याख्या कीजिए। या लोकतांत्रिक सरकार को कम कार्य-कुशल सरकार क्यों समझा जाता है? कोई तीन कारण दीजिए। या लोकतंत्र फैसले लेने में ज्यादा समय क्यों लेती है? वर्णन कीजिए। उत्तर- लोकतंत्र के निम्नलिखित अवगुण हैं- (1) लोकतंत्र में बहुधा यह देखने को मिलता है कि एक कार्यकाल के बीच में ही सरकार गिर जाती है तथा दूसरी नई सरकार बन जाती है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र में अस्थिरता होती है। (2) लोकतंत्र में बातचीत और मोल-तोल के आधार पर काम किया जाता है। (3) लोकतांत्रिक सरकार फैसले पर पहुँचने से पहले प्रक्रिया पूरा करने में बहुत अधिक समय लेती है। (4) लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अकसर लोगों को उनकी ज़रूरतों के लिए तरसाती हैं और आबादी के एक बड़े हिस्से की माँगों की उपेक्षा करती हैं। भ्रष्टाचार के आम किस्से इस बात की गवाही देते हैं। (5) वास्तविक जीवन में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ समाज में आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाई हैं। बांग्लादेश में आधी-से-ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है। प्रश्न 10. लोकतंत्र के आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- (1) किसी देश का आर्थिक विकास वहाँ की जनसंख्या के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करता है। (2) तानाशाही वाले कम विकसित देशों और लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले कम विकसित देशों के बीच का अंतर नगण्य-सा है। (3) आर्थिक संवृद्धि के मामले में तानाशाहियों का रिकॉर्ड लोकतांत्रिक व्यवस्था की तुलना में थोड़ा बेहतर है। (4) लोकतांत्रिक शासन के अंदर भारी आर्थिक असमानता पाई जाती है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों में समाज के 20 प्रतिशत लोगों का ही कुल राष्ट्रीय आय के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा है। (5) तानाशाही और लोकतांत्रिक देशों के आर्थिक विकास दर में अंतर भले ही ज़्यादा हो लेकिन इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चुनाव ही बेहतर है, क्योंकि इसके अन्य अनेक लाभ हैं। प्रश्न 11. प्रजातंत्र कहाँ तक देश के आर्थिक विकास के लिए एक अच्छी शासन व्यवस्था है? उत्तर- (1) यह कहना सही है कि पिछले पचास वर्षों में तानाशाही देशों की आर्थिक विकास दर लोकतांत्रिक देशों की तुलना में उच्च रही है। (2) किसी भी देश का आर्थिक विकास कई कारकों-मसलन जनता के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करता है। (3) तानाशाही और लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के आर्थिक विकास दर में अंतर भले ज्यादा हो लेकिन इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चुनाव ही बेहतर है, क्योंकि उसके अनेक फायदे हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं (i) यह उत्तरदायी, जवाबदेह और वैध सरकार प्रदान करता है। (ii) यह जनता की स्वयं की सरकार होती है। (iii) यह असमानता और गरीबी में कमी लाने का प्रयास करता है। (iv) यह सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य स्थापित करता है। (v) नागरिकों की गरिमा और आज़ादी को बढ़ावा देता है। प्रश्न 12. भारत में लोकतंत्र की सफल कार्यप्रणाली के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों का वर्णन कीजिए। या उन कारकों को स्पष्ट कीजिए जो भारत में लोकतंत्र की सफलता की ओर इशारा करते हैं। उत्तर- (1) भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव का शिकार हुई के लोगों के समान दर्जे और समान अवसर के दावे को बल दिया है। संभवतः इसी अहसास के चलते आम लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति ज्यादा चौकस हुए हैं। (4) आर्थिक मोर्चे पर भी हमें असाधारण उपलब्धि हासिल हुई है। (5) हमारे देश में लोकतंत्र से बहुत सारी उम्मीदें हैं। लोकतंत्र से लगाई गई उम्मीदों को किसी लोकतांत्रिक देश के मूल्यांकन का आधार भी बनाया जा सकता है। लोकतंत्र की एक खासियत है कि इसकी जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। लोगों को जब थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गए हैं और लोकतंत्र से अच्छा काम चाहते हैं। प्रश्न 13. लोकतंत्र में आर्थिक असमानता के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए। उत्तर-(1) मुट्ठी-भर धन कुबेर आय और संपत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। इतना ही नहीं, देश की कुल आय में उनका हिस्सा भी बढ़ता गया है। (2) गरीब और गरीब होते गए हैं। कई बार उन्हें भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में मुश्किल आती हैं। (3) समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर करने के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। उनकी आमदनी गिरती गई है। (4) बांग्लादेश में आधी से ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है। प्रश्न 14. लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘गरीबी’ किस प्रकार एक मुख्य चुनौती है? स्पष्ट कीजिए। उत्तर-(1) साक्ष्य बताते हैं कि व्यवहार में, लोकतांत्रिक शासन उम्मीद के अनुरूप विकास नहीं कर सका है। उच्चतर आर्थिक समृद्धि हासिल करने में लोकतांत्रिक शासन की यह अक्षमता हमारे लिए चिंता का कारण है। (2) अगर हम 1950 से 2000 के बीच के सभी लोकतांत्रिक शासनों तथा तानाशाहियों के कामकाज की तुलना करें तो पाएँगे कि आर्थिक समृद्धि के मामले में तानाशाहियों का रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर है। (3) लोकतंत्र के भीतर अत्यधिक असमानताएँ होती हैं। मुट्ठी-भर धन कुबेर आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। फिर भी, लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें गरीबी के सवाल पर उतना ध्यान देने को तत्पर नहीं जान पड़ती। प्रश्न 15. “क्या लोकतंत्र में वस्तुओं और अवसरों का न्यायोचित वितरण हो पाता है?” अपने उत्तर की पुष्टि में तीन उपयुक्त तर्क बीजिए। या “लोकतंत्र वास्तविक जीवन में आर्थिक असमानता को कम करने में काफी सफल नहीं प्रतीत होता है।” तीन तर्कों के द्वारा कथन का समर्थन कीजिए। या असमानता और निर्धनता को कम करने के संदर्भ में लोकतंत्र का मुख्य परिणाम क्या है? अपने उत्तर के पक्ष में कोई दो तर्क दीजिए। या “लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाई है।” पाँच प्रासंगिक तथ्यों की सहायता से कथन की व्याख्या कीजिए। या “लोकतंत्र, आर्थिक असमानता एवं निर्धनता को कम करने में असफल रहा है।” क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए। उत्तर- नहीं, निम्नलिखित कारणों से लोकतंत्र में वस्तुओं और अवसरों का न्यायोचित वितरण नहीं हो पाता है (1) मुट्ठी भर धन कुबेर आय और संपत्ति में अपने अनुपात से ज्यादा हिस्सा पाते हैं। (2) दिन प्रति दिन गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं जिससे वे भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। (3) हमारे मतदाताओं में गरीबों की संख्या काफ़ी बड़ी है; उन्हें परस्पर बराबरी का मौका उपलब्ध नहीं कराया जाता है। (4) लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें गरीबों के सवाल पर उतना ध्यान देने को तत्पर नहीं हैं। (5) बांग्लादेश में आधी से ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है। अनेक गरीब देशों के लोग अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए भी अमीर देशों पर निर्भर हो गए हैं। प्रश्न 16. क्या लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं, स्पष्ट कीजिए। या किस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं?व्याख्या कीजिए। या “लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। उत्तर- (1) लोकतांत्रिक व्यवस्था सदभावपूर्ण सामाजिक जीवन – उपलब्ध कराती है। वह अपने नागरिकों को समानता पर आधारित सुदृढ़ प्रश्न 17. ‘शिकायतों का बना रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही है।’ इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए। या ‘शिकायतों का बना रहना’ किस प्रकार लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है? स्पष्ट कीजिए। या लोगों में व्याप्त असंतोष, किस प्रकार लोकतंत्र की सफलता को दर्शाता है? व्याख्या कीजिए। उत्तर-(1) लोकतंत्र की एक खासियत है कि इसकी जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। (2) लोगों को लोकतंत्र से जब थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं और वे लोकतंत्र से और अच्छा काम चाहते हैं। (3) शिकायतों का बने रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गए हैं और वे सत्ता में बैठे लोगों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने लगे हैं। (4) लोकतंत्र के कामकाज से लोगों का असंतोष जताना लोकतंत्र की सफलता तो बताता ही है, साथ ही यह लोगों के प्रजा से नागरिक बनने की गवाही भी देता है। (5) आज अधिकांश लोग मानते हैं कि सरकार की चाल-ढाल पर उनके वोट से असर पड़ता है और यह उनके अपने हितों को भी प्रभावित करता है। हिन्दीविज्ञानगणितसच्ची जर्मन संस्कृति के आम लोगों में निहित है यह कथन किसका है?ग्राटफ्रीड का मानना था की सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित है। यह राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने इसे 'वोलकजिस्ट' नाम दिया।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के जनक कौन है?'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' के संस्थापक थे श्री राम - shri ram was the founder of cultural nationalism.
ड्रीम बंधु कौन थे उन्होंने जर्मन राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में क्या योगदान दिया?ग्रिम्सफेयरीटेल्स एक जाना-माना नाम है। जैकब ग्रिम और विल्हेल्म ग्रिम बंधुओं का जन्म क्रमशः 1785 और 1786 में जर्मनी के हनाऊ शहर में हुआ था। जिस समय ये दोनों भाई कानून की पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उन्होंने शौकिया तौर पर पुरानी लोक कथाएँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वे छह साल तक गाँव-गाँव जाकर यही काम करते रहे।
जर्मनी में राष्ट्रवाद का प्रतीक कौन था?Solution : जर्मन राष्ट्र का प्रतीक जर्मेनिया को बनाया गया।
|