यह कथन किसका है सच्चे जर्मन संस्कृति के आम लोगों में निहित है? - yah kathan kisaka hai sachche jarman sanskrti ke aam logon mein nihit hai?

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इतिहास पाठ 1(यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)

NCERT BOOK (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से इतिहास का पाठ 1 (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय) को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है।

माइंड मैप (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)
  1. फ़्रांसीसी क्रांति 
  2. यूरोप में राष्ट्रवाद का निर्माण
    1. कूलीन वर्ग और नया मध्य वर्ग
    2. उदारवादी राष्ट्रवाद
    3. 1815 के बाद का रूढ़ीवाद
    4. क्रांतिकारी
  3. क्रांतियों का युग (1830-1848)
    1. रूमानी कल्पना और राष्ट्रीय भावना
    2. भूख, कठिनाई और जन विद्रोह
    3. 1848 की उदारवादियों की क्रांति
  4. जर्मनी एवं इटली का एकीकरण
    1. क्या सेना राष्ट्र का निर्माता हो सकती है?
    2. इटली का एकीकरण
    3. ब्रिटेन की अजीब दास्तान
  5. राष्ट्र की दृश्य कल्पना
  6. राष्ट्रवाद और साम्राज्यवाद
अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए ?

  • (क) ज्युसेपे मेत्सिनी
  • (ख) काउंट कैमिलो दे कावूर 
  • (ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
  • (घ) फ्रैंकफर्ट ससंद
  • (ड) राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओ की भूमिका 

उत्तर:- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी :- 

  1. i.ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक क्रांतिकारी था। 
  2. ii.उन्होने उदारवादी राष्ट्रवाद का प्रचार किया। 
  3. iii. उसने यंग इटली संगठन की स्थापना की।
  4. iv.उन्होंने इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ख) काउंट कैमिलो दे कावूर : 

  • 1.इटली के एकीकरण का श्रेय कावूर को दिया जाता है। 
  • 2.कावूर को विक्टर इमेनुएल द्वितीय ने सार्डनिया का प्रधानमंत्री बना दिया। 
  • 3.यह न तो क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास करता था। 
  • 4.उसने इटली के प्रदेशो को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नेतृत्व किया।
  • 5.कावूर की चतुर कूटनीति से उत्तरी राज्यों पर अधिकार करके इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध :- 15वीं शताब्दी से ही यूनान ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था। परन्तु 19वीं सदी तक राष्ट्रवाद की भावना पूरे यूरोप में फैल चुकी थी। सन् 1821 में यूनान में भी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष प्रारंभ हुआ। इस संघर्ष में उन्हें यूरोप के लोगों का साथ मिला। यह संघर्ष बहुत दिनों तक चलता रहा और अंत में 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि के अनुसार यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी गई।

(घ) फ्रैंकफर्ट ससंद : 1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीक विलियम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की। लेकिन उसने इसे अस्वीकार कर दिया उन राजाओं का साथ दिया जो निर्वाचित सभा के विरोधी थे। उसके सैनिकों ने क्रांतिकारियों को कुचल दिया जिससे यह संसद भंग हो गई।

(ड) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओ की भूमिका : राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओ ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।  महिलाओं ने अलग से संगठन स्थापित किए। उन्होंने अपने अखबार शुरू किए। राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनियों में सक्रिय रूप से भाग लिया फिर भी उन्हें मताधिकार से वंचित रखा गया। यहाँ तक की सेंट पॉल चर्च में फ्रैंकफर्ट संसद की सभा में भी महिलाओ को केवल प्रेक्षक बनाकर दर्शक दीर्घा में खड़ा कर दिया। 

प्रश्न 2. फ़्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ़्रांसीसी क्रांतिकारियो ने क्या कदम उठाए ?

उत्तर:- फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए क्रान्तिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए।

  • (i) संयुक्त समुदाय के विचार को बल दिया गया। 
  • (ii) फ्रांस का नया तिरंगा झंडा चुना गया।
  • (iii) नागरिकों द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया जिसका नाम नेशनल एसेंबली रखा गया |
  • (iv) राष्ट्र के नाम पर नई शपथें ली गई और शहीदों का गुणगान किया गया।
  • (v) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।
  • (vi) सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए। 
  • (vii) आंतरिक आयत-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए।
  • (viii) पूरे फ्रांस में नापतोल की एक जैसी प्रणाली लागू की गई।
  • (ix) फ़्रेंच भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। 

प्रश्न 3. मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उनका क्या महत्व था ?

उत्तर :-मारीआन:-मारीआन फ्रांस का राष्ट्र का प्रतीक था। यह एक लोकप्रिय ईसाई नाम था। इसलिए फ्रांस में स्वतंत्रता के प्रतीक को यही नाम दिया गया। इस छवि को लाल टोपी, तिरंगा और कलगी के साथ दिखाया है। 

जर्मेनिया:- यह जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी।  यह बलूत वृक्ष के पत्तों को मुकुट पहनती है। जर्मेनिया की छवि  हाथ में तलवार लिए हुए राइन नदी पर पहरा दे रही है। जर्मेनिया गुणों से युक्त राष्ट्रीयता व देशभक्ति का प्रतीक है।

इनका निम्नलिखित महत्त्व था:

  • (i) स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी प्रतीकों का सहारा लिया।
  • (ii)इन प्रतिमाओं को सार्वजनिक चौकों पर लगाया गया ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे। 
  • (iii) इसी प्रकार की छवि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गई।

प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण कि प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाइए ?

उत्तर:- (i) पहला चरण:-1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीक विलियम चतुर्थ को ताज पहनाने की पेशकश की। लेकिन सम्राट ने आस्ट्रिया के डर से इसे अस्वीकार कर दिया। उसके सैनिकों ने क्रांतिकारियों को कुचल दिया। 

(ii)दूसरा चरण:- क्रांति की असफलता के बाद जर्मनी का एकीकरण सैन्य शक्ति और कूटनीति से शुरू हुआ जिसका नेतृत्व बिस्मार्क ने किया। बिस्मार्क ने ‘रक्त और लौह’ की नीति  के अंतर्गत डेनमार्क के साथ तीन युद्ध किया और शैल्सविग का क्षेत्र जीत लिया।

(iii)तीसरा चरण:-उसके बाद 1866 में आस्ट्रिया के साथ युद्ध हुआ। इस युद्ध में जीत के बाद बहुत सारे प्रदेश जर्मनी में मिल गए। 

(iv)चौथा चरण:- तीसरा युद्ध फ्रांस के साथ 1870 में हुआ जिसमे फ्रांस की पराजय हुई। इस प्रकार जर्मनी का एकीकरण हुआ और प्रशिया के विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट बना दिया गया।

प्रश्न 5.अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?

उत्तर :- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने बहुत बदलाव किए जिन्हें 1804 का सिविल कोड के नाम से जाना जाता है।

  • (i) जन्म के आधार पर प्राप्त विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया।
  • (ii) कानून के सामने सभी बराबर थे।
  • (iii) संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया।
  • (iv) सामंती व्यवस्था को समाप्त किया गया।
  • (v) किसानों के सारे टैक्स समाप्त कर दिए। 
  • (vi)शहरों में कारीगरों की श्रेणीं-संघो के नियंत्रण को हटा दिया गया।
  • (vii) यातायात और संचार व्यवस्थाओं में सुधार किया गया।
  • (viii)आर्थिक सुधार करने के उद्देश्य से बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की गई।
  • (ix)समान कर प्रणाली लागू की गई। 
  • (x)देशभक्तों को सम्मानित किया गया।
  • (xi)उसने दंड के कानून को कठोर बनाया। 
  • (xii)शिक्षा की उन्नति के लिए यूनिर्वसिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की।
  • (xiii)कैथोलिक धर्म को राजधर्म बनाया। 

चर्चा करें

प्रश्न 1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?

उत्तर: उदारवादियों द्वारा की गई फ़रवरी 1848 की क्रांति से फ्रांस के शासक लुई फिलिप को शासन छोड़कर भागना पड़ा। इस क्रांति के बाद राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों को बल मिला। 

राजनैतिक विकास 

  • 1. राजतंत्र का अंत करके गणतंत्र की घोषणा की गई।
  • 2. सभी पुरुषों को मतदान का अधिकार मिला।
  • 3. जनता द्वारा चुनी गई प्रतिनिधि सभाओं का निर्माण  आरंभ हुआ।
  • 4.प्रेस की स्वतंत्रता पर जोर दिया गया।

सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन

  • 1.नारीवाद को बढ़ावा दिया जाने लगा।
  • 2.मध्यम वर्ग की भागीदारी बढ़ने लगी।
  • 3. महिलाएं अपने संगठन बनाने लगी थी।
  • 4.कुलीन वर्ग की श्रेष्ठता कम होने लगी।  

आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन

  • 1.बंधूआ मजदूरी को समाप्त कर दिया गया। 
  • 2.बाजारों को राज्यों के नियंत्रण से मुक्त कर दिया।
  • 3.शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया गया।
  • 4.मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो पहले तीस से ज्यादा थी।

प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें। 

उत्तर: यूरोप में राष्ट्रवाद के निर्माण  में सांस्कृतिक विरासत का अहम योगदान रहा। इसके तीन उदाहरण निम्न है:-

  • (i) राष्ट्रवाद के निर्माण में  रूमानी कलाकारों और कवियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रूमानी कलाकारों और कवियों ने अंतर्दृष्टि और रहस्यवादी भावनाओ को राष्ट्र के जोड़ दिया।
  • (ii) राष्ट्रवाद के विकास में संगीत और भाषा का सहयोग मिला। पोलैंड इसका उदाहरण है। वहां संगीत और भाषा के द्वारा राष्ट्रीय भावना को विकसित रखा गया।
  • (iii)राष्ट्रीय भावना के विकास में संस्कृति के योगदान का  तीसरा उदाहरण चित्रकारिता है। यूरोप के चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्र राष्ट्रवादी भावना को उभारने लगे।

प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।

उत्तर 19वीं शताब्दी में लगभग पूरे यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना विकसित हो चुकी थी जिस कारण राष्ट्रीय राज्यों का उदय हुआ। इसके दो उदाहरण इटली और बेल्जियम है।

इटली:-इटली का अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। इनमें सबसे शक्तिशाली सार्डीनिया का राज्य था। इसका प्रधानमंत्री कैवूर (Cavour) था। इटली में अनेक क्रान्तिकारी विद्रोह हुए जिनके फलस्वरूप वहाँ कुछ राजनीतिक सुधार हुए। परन्तु इटली की वास्तविक सफलता का श्रेय कैवूर को जाता है। कैवूर ने 1859 ई० में ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध करके लोम्बार्डी पर अधिकार कर लिया और उसे सार्डीनिया में मिला लिया। इसके बाद 1860 ई० में टस्कनी, माडोना, पार्मा और उत्तर में स्थित पोप के राज्य अपने आप सार्डीनिया के साथ आ मिले। लगभग इसी समय (1860 ई० में ही) गैरीबाल्डी के प्रयासों से सिसली तथा नेपल्स के राज्य भी सार्डीनिया के साथ सम्मिलित हो गए। 1866 ई० में ऑस्ट्रिया-प्रशिया युद्ध में विस्मार्क का साथ देने पर वेनेशिया का प्रदेश सार्डीनिया को मिल गया। 1870 ई० फ्रांस-प्रशिया के युद्ध के समय फ्रांस द्वारा रोम खाली किए जाने पर सार्डीनिया ने रोम पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार इटली राष्ट्र का निर्माण हुआ परन्तु इटली में एकीकरण के बाद राजतन्त्र की स्थापना हुई क्योंकि अभी वहाँ इसी की आवश्यकता अनुभव की गई।

बेल्जियम:-1815ई० की वियना संधि द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया। परंतु  बेल्जियम में कैथोलिक समर्थक थे और हॉलैंड में प्रोटेस्टेंट समर्थक। हॉलैंड का शासक भी हॉलैंडवासियों को बेल्जियम से श्रेष्ठ मानता था। उसने पूरे बेल्जियम में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की घोषणा कर दी। सभी राजनीतिक पद हाॅलैंड वासियों को ही दे दिए। बेल्जियमवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया। इंग्लैंड ने इस विद्रोह में उनका सहयोग किया। जिस कारण 1830 ई० में बेल्जियम को स्वतंत्र करना पड़ा। इसके बाद यहां इंग्लैंड जैसी कानून व्यवस्था कायम कर दी।

4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था?

उत्तर:

  • (i) ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण यूरोप के अन्य राष्ट्रों की तरह किसी क्रांति के कारण नहीं हुआ। 
  • (ii) यह एक लंबी प्रक्रिया थी जिसमें राष्ट्रवाद की भावना विकसित हुई।
  • (iii)अठाहरवी सदी से पूर्व ब्रिटेन कोई राष्ट्र नहीं था। बल्कि अनेक नृजातीय समुह थे जिनकी अपनी सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विरासत थी।
  • (iv) इनमें मुख्य समुह अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश थे।
  • (v) कुछ समय बाद आंग्ल राष्ट्र अपनी धन-दौलत और सत्ता के बल पर अन्य द्वीप समूहों पर अपना प्रभाव स्थापित कर लिया।
  • (vi) धीरे-धीरे अंग्रेजों ने अन्य समुहों की सांस्कृतिक परंपराओं को समाप्त कर दिया और ग्रेट ब्रिटेन राष्ट्र का निर्माण हुआ जिसके अपने प्रतीक चिन्ह, ब्रितानी झंडा और राष्ट्र गान थे। 

5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?

उत्तर: बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपने के निम्नलिखित कारण थे: – 

  • (i)बाल्कन क्षेत्र में भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी। इस क्षेत्र के निवासियों को आमतौर पर स्लाव पुकारा जाता था। 
  • (ii)बाल्कन क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के अधीन था । 
  • (iii)रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों से यहां आजादी के संघर्ष होने लगे। 
  • (iv)बाल्कन लोगों ने आज़ादी या राजनीतिक अधिकारों के लिए राष्ट्रीयता को आधार बनाया। 
  • (v)विभिन्न राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की।
  • इस प्रकार यहां राष्ट्रवादी तनाव पनपने लगा।
अतिरिक्त प्रश्न (परीक्षा-उपयोगी)
1 अंक वाले प्रश्न   (बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर) (MCQs)

प्रश्न 1. जर्मनी के एकीकरण के मुख्य निर्माता कौन-कौन थे?

(a) प्रशिया का शासक विलियम प्रथम।     (b) प्रशिया का चांसलर बिस्मार्क (c) नैपोलियन बोनापार्ट।              (d) जर्मन शासक फैड्रिक महान

उत्तर:-  (b) प्रशिया का चांसलर बिस्मार्क

प्रश्न 2. किस घटना के साथ राष्ट्रवाद के स्पष्ट उत्थान की गाथा जुड़ी हुई है?

(a) 1688 की शानदार क्रान्ति                (b) 1789 ई. की फ्रांस की क्रांति  (c) अमेरिका की क्रान्ति               (d) 1917 की रूस की क्रान्ति

उत्तर:- (d) 1789 ई. की फ्रांस की क्रान्ति

प्रश्न 3. उन्नीसवीं सदी में ऐसी कौन-सी ताकत उभरी जिसने यूरोप की राजनीतिक और भौतिक दुनिया में भारी परिवर्तन किए?(CBSE 2011)

(a) राष्ट्र-राज्य का उदय                         (b) क्षेत्रीय राज्य (c) बहुराष्ट्रीय राजवंशीय शासन                   (d) पूर्ण राजशाही

उत्तर:- (a) राष्ट्र-राज्य का उदय।

प्रश्न 4. एक आदर्श कल्पना जिसके वास्तविक अस्तित्व का होना असम्भव है, वह कहलाता है (CBSE 2011)

(a) कल्पनादर्श (युटोपिया)                      (b) निरंकुश (c) सर्वश्रेष्ठ                                  (d) उपरोक्त में से कोई नहीं

उत्तर:- (a) कल्पनादर्श (युटोपिया)

प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन ‘कल्पनादर्श समाज’ की सबसे अच्छी व्याख्या करता है? (CBSE 2011)

  • (a) ऐसा समाज जहाँ सभी एक समान हैं
  • (b) एक लोकतांत्रिक समाज
  • (c) एक आदर्श समाज जिसकी प्राप्ति कभी नहीं हो सकती
  • (d) व्यापक संविधान वाला समाज

उत्तर:- (c) एक आदर्श समाज जिसकी प्राप्ति कभी नहीं हो सकती

प्रश्न 6. नेपोलियन ने इटली पर आक्रमण कब किया?(CBSE 2011)

(a) 1905                                      (b) 1821 (c) 1797                              (d) 1795

उत्तर:- (c) 1797

प्रश्न 7. औद्योगिक क्रान्ति का प्रारंभ निम्नलिखित में से सबसे पहले किस देश में हुआ?

(a) अमेरिका।                             (b) इंग्लैंड (c) फ्रांस।                                 (d) रूस

उत्तर:- (b) इंग्लैंड

प्रश्न 8. नेपोलियन ने इटली पर कब विजय प्राप्त की? (CBSE 2011)

(a) 1767 में।                                    (b) 1777 में  (c) 1787 में।                               (d) 1797 में 

उत्तर:- (d) 1797 में।

प्रश्न 9. इटली के एकीकरण के मुख्य कर्णधार कौन-कौन थे?

(a) मेज़िनी, गैरीबाल्डी आदि।            (b) सार्डनिया का शासक विक्टर इमेनुयल द्वितीय (c) रूस का जार।                       (d) नैपोलियन तृतीयः

उत्तर- (a) मेज़िनी, गैरीबाल्डी आदि 

प्रश्न 10. ‘ला पैट्रे’ और ‘ली सिटोएन’ विचार फ्रांसीसी क्रान्ति में क्या दर्शाते हैं?(CBSE 2011)

(a) मातृभूमि और बच्चे                             (b) पितृभूमि और नागरिक (c) समुदाय और नागरिक                     (d) राज्य और समुदाय

उत्तर:-(b) पितृभूमि और नागरिक

प्रश्न 11. निम्नलिखित में कौन नागरिक संहिता (सिविल कोड) 1804 के सन्दर्भ में सत्य नहीं है? (CBSE 2011)

  • (a) जन्म के आधार पर प्रदत्त सभी सुविधाओं की समाप्ति
  • (b) फ्रांस में लोकतंत्र का सर्वनाश
  • (c) सभी के लिए समान कानून की स्थापना
  • (d) सम्पत्ति के अधिकार की सुरक्षा

उत्तर:-(b) फ्रांस में लोकतंत्र का सर्वनाश

प्रश्न 12. सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी निम्नलिखित में से किसने की ?

(a) नीदरलैण्ड्स के राजा।              (b) ज्युसेपे मेत्सिनी (c) ड्यूक मैटरनिख।                (d) ऑटो वॉन बिस्मार्क

उत्तर- (c) ड्यूक मैटरनिख

प्रश्न 13. 1832 की ‘कुस्तुनतुनिया की संधि’ के संबंध में निम्नलिखित में से सही क्या है? CBSE 2012(Imp )

  • (a) इसने तुर्की को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी।
  • (b) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
  • (c) इसने जर्मनी को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
  • (d) इसने फ्रांस को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।

उत्तर- (b) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।

प्रश्न 14. जर्मनी में माप की इकाई ‘ऐले’ का प्रयोग किसको मापने के लिए किया जाता था?CBSE 2011

(a) कपड़ा                                 (b) धागा (c) भूमि                                 (d) ऊंचाई

उत्तर:-(a) कपड़ा

प्रश्न 15. प्रशा जॉलवेराइन का मुख्य कार्य था। (CBSE 2011)

(a) आयातित वस्तुओं पर कस्टम डयूटी (सीमा शुल्क) लगाना। (b) शुल्क अवरोधों को समाप्त करना।

(c) सीमा शुल्क को कम करना। (d) व्यापार के नए नियम शुरू करना।

उत्तर:- (b) शुल्क अवरोधों को समाप्त करना।

प्रश्न 16.शुल्क अवरोधों को समाप्त करने के लिए प्रशा द्वारा बनाए गए शुल्क संघ का नाम था।(CBSE 2011)

(a ) ऐले                                              (b) जॉलवेराइन (c) ज्वेब्रकेन।                           (d) ला-पैट्री (पितृभूमि)

उत्तर:- (b) जॉलवेराइन

प्रश्न 17. निम्नलिखित में से फ्रांसीसी कलाकार की पहचान कीजिए जिसने चार चित्रों की एक शृंखला बनाई, जिसमें उसने सपनों का एक संसार रचा।  (CBSE 2013)

(a) कितागावा उतामारों               (b) रिचर्ड एम.हो (c) वाल्टेयर।                              (d) फ्रेड्रिक सॉरयू

उत्तर- (d) फ्रेड्रिक सॉरयू

प्रश्न 18. 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मजदूरों और किसानों ने निम्नलिखित में से किसके विरुद्ध विद्रोह किया ? (CBSE Outside 2013)

(a) आर्थिक कठिनाई.                     (b) राजनीतिक अस्थिरता (c) राजतंत्र.                          (d) क्रान्तिकारी युद्ध

उत्तर- (a) आर्थिक कठिनाई

प्रश्न 19. 1845 में सिलेसिया में बुनकरों द्वारा ठेकेदारों के खिलाफ विद्रोह करने का निम्नलिखित में से कौन-सा मुख्य कारण था ?(CBSE 2014)

  • (a ) ठेकेदारों ने उनके भुगतानों में भारी कमी कर दी
  • (b) उन्होंने उनके लिए कच्चे माल की आपूर्ति रोक दी
  • (c) उन्होंने, उनको निर्मित कपड़े के ऑर्डर देना मना कर दिया 
  • (d) बुनकरों के हालात बड़े दयनीय थे

उत्तर- (a) ठेकेदारों ने उनके भुगतानों में भारी कमी कर दी

प्रश्न 20. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन जॉलवेराइन कहे जाने वाले संघ द्वारा लागू किए गए सुधारों के सन्दर्भ में सत्य नहीं है? (CBSE 2011)

  • (a) राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए रेलवे के तन्त्र का निर्माण करना।
  • (b) सदस्य राज्यों में वस्तुओं, लोगों और पूँजी के अबाध प्रवाह का विरोध।
  • (c) राज्यों में शुल्क अवरोधों को घटाना। 
  • (d) जर्मनी में मुद्राओं की संख्या को घटाना।

उत्तर:- (b) सदस्य राज्यों में वस्तुओं, लोगों और पूँजी के अबाध प्रवाह का विरोध।

प्रश्न 21. वियना काँग्रेस किस वर्ष में आयोजित की गई थी? (CBSE 2011 )

(a) 1815                                         (b) 1845 (c) 1885                                         (d) 1915

उत्तर:- (a) 1815

प्रश्न 22. निम्नलिखित में कौन 1815 के वियना संधि से सम्बन्धित है?(CBSE 2011)

(a) बिस्मार्क                           (b) ड्यूक मैटरनिख (c) लुई फिलिप                     (d) विक्टर इमेन्युअल

उत्तर:-(b) ड्यूक मैटरनिख

प्रश्न 23. रूढ़िवादी क्या बनाने और बचाए रखने में विश्वास नहीं रखते थे? (CBSE 2011)

(a) राजतंत्र।                                                (b) लोकतन्त्र

(c) राज्य और समाज की पारम्परिक संस्थाएँ।    (d) सामाजिक अनुक्रम

उत्तर:-(b) लोकतन्त्र

प्रश्न 24. निम्नलिखित में किसने कहा था कि, “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को सर्दी-जुकाम हो जाता है।”   (CBSE 2011 )

(a) लुई फिलिप                                 (b) बिस्मार्क (c) विक्टर इमेनुएल                           (d) मैटरनिख

d) मैटरनिख

प्रश्न 25. कवियों तथा कलाकारों द्वारा निम्नलिखित में से कौन-सा देश ‘यूरोपीय सभ्यता के पालना’ के रूप में जाना गया? (CBSE 2011)

(a) ग्रीस                          (b) इटली (c) फ्रांस                         (d) स्विट्जरलैण्ड

(a) ग्रीस

प्रश्न 26. निम्नलिखित में से कौन 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि के सन्दर्भ में सत्य है?(CBSE 2011) 

  • (a) इसने तुर्की को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दिया।
  • (b) इसने जर्मनी को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
  • (c) इसने फ्रांस को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।
  • (d) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।

उत्तर:-(d) इसने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी।

प्रश्न 27. इटली के गुप्त संगठन- ‘यंग इटली’ का गठन किसने किया था?(CBSE, 2011)

(a) गैरीबाल्डी।                             (b) मेत्सिनी (c) कावूर।                                   (d) विक्टर इमेनुएल 

उत्तर:- (c) मेत्सिनी

प्रश्न 28. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन मेत्सिनी द्वारा दिए गएविचारों के सम्बन्ध में सत्य है?(CBSE, 2011)

  • (a) राजतन्त्रों का विरोध और लोकतान्त्रिक गणराज्यों का
  • (b) राजतन्त्र के अन्तर्गत स्वतंत्रता को स्थापित करना समर्थन।
  • (c) जर्मन परिसंघ का 39 राज्यों में विघटन
  • (d) समाचार पत्रों, नाटकों, और गीतों की सेंसरशिप

उत्तर:-(a) राजतन्त्रों का विरोध और लोकतान्त्रिक गणराज्यों का समर्थन

प्रश्न 29. निम्नलिखित में से इटली का कौन-सा नेता न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखनेवाला? (CBSE 2011)

(a) मेत्सिनी                    (b) कावूर (c) गैरीबॉल्डी                  (d) विक्टर इमेनुएल द्वितीय

उत्तर:-(b) कावूर

प्रश्न 30. आयरलैण्ड में प्रोटेस्टेन्ट के विरुद्ध आन्दोलन का नेतृत्व किसने किया? (CBSE 2011)

(a) गैरीबाल्डी                  (b) वोल्फ़ टोन (c) मेत्सिनी                    (d) कावूर

उत्तर:- (b) वोल्फ़ टोन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1- निरंकुशवाद को परिभाषित कीजिए।

उत्तर:- ऐसी शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का कोई अंकुश नहीं होता ये अत्यंत केन्द्रीकृत, सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी सरकारें होती हैं।

प्रश्न 2. 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मज़दूरों और किसानों ने किसके विरुद्ध विद्रोह किया ? (CBSE Outside 2013)

उत्तर:- ‘आर्थिक कठिनाई’ 1848 के यूरोप में कारीगरों, औद्योगिक मज़दूरों और किसानों ने आर्थिक कठिनाई के विरुद्ध विद्रोह किया।

प्रश्न 3- उदारवाद का अर्थ बताइए।

उत्तर:- उदारवाद  (libration) मध्य वर्गो के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष बराबरी ।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ? ( CBSE Outside Delhi 2015 ) 

उत्तर:- वे यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराना चाहते थे और वहाँ राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना करना चाहते थे।

प्रश्न 5. जर्मेनिया का अर्थ बताइए।

उत्तर:- जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक, चाक्षुष अभिव्यक्तियों में बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनाती है। क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक हैं।

प्रश्न 6. 1832 की उस सन्धि का नाम लिखिए जिसने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी। (Delhi 2016)

उत्तर – 1832 की कुस्तुनतुनिया की सन्धि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी।

प्रश्न 7. पूरे यूरोप में 1830-1848 में शिक्षित अभिजात वर्ग के मध्य राष्ट्रीय भावनाओं का संचार करने वाली घटना का नाम लिखिए। (Delhi 2016)

उत्तर- ग्रीस का स्वतंत्रता संग्राम।

प्रश्न 8. 1815 के बाद के वर्षों में यूरोप के क्रांतिकारियों का मूल उद्देश्य क्या था ? (Delhi 2016)

  • उत्तर- (i) वे अपने-अपने देशों में एक संवैधानिक सरकार स्थापित करना चाहते थे।
  • (ii) वे अपने-अपने देशों में निरंकुश राष्ट्रों के स्थान पर राष्ट्रीय राज्यों की स्थापना करना चाहते थे।

प्रश्न 9. 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में किसको जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया? (Outside Delhi 2016)

उत्तर- 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशिया के शासक केसर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।

प्रश्न 10- 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के पश्चात् फ्रांस में आए दो बदलावों का वर्णन करो ।

उत्तर:-

  • 1. प्रभुत्ता राजतंत्र से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के हाथ में आ गई।
  • 2. लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन और वे ही इसकी नीतियाँ तय करेंगे।

प्रश्न 11. 1861 में एकीकृत इटली का राजा किसे घोषित किया गया? (Outside Delhi 2016) 

उत्तर:- 1861 में इमेनुएल द्वितीय (Emmanual II) को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।

प्रश्न 12. बेगार का क्या अर्थ है ? (Outside Delhi 2017)

उत्तर:-बेगार का अर्थ है कि किसी व्यक्ति से काम ले लेना परंतु बदले में उसे कुछ न देना। यह एक प्रकार की शोषण का एक ढंग है।

प्रश्न 13. 1898 में स्थापित प्रजातंत्रीय और सामाजिक गणतंत्रों के विषय में फ्रेड्रिक सारयु ने बहुत से चित्र क्यों बनाए ?

उत्तर:- स्वतंत्रता की देवीय मूर्ती को श्रद्धांजली देने के लिए।

प्रश्न 14. 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में बैठक क्यों हुई ? (Delhi 2018)

उत्तर:- 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बैठक, अफ्रीका का आपस में विभाजन करने के लिए हुई थी। 

प्रश्न 15, जर्मनी में किस राष्ट्र ने राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में प्रभावशाली भूमिका निभाई ?

उत्तर:- प्रशिया ने राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में प्रभावशाली भूमिका निभाई।

प्रश्न 16. वियतनाम में फ्रांसीसियों की पराजय के बाद जिनेवा में चली शांति वार्ताओं का क्या परिणाम निकला ? (Delhi 2016)

उत्तर:-फ्रांस की पराजय के पश्चात् जिनेवा में चली शांति वार्ताओं में वियतनामियों को देश के विभाजन के प्रस्ताव को मानने के लिए मज़बूर किया गया। उत्तरी भाग में हो ची मिन्ह (Ho Chi Minh) और साम्यवादियों की सत्ता स्थापित हुई जबकि दक्षिणी भाग में बाओ डाई (Bao Dai) की सत्ता बनी रही।

प्रश्न 17. औद्योगिकीकरण के फलसवरूप यूरोप में कौन से नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए।

उत्तर- श्रमिक वर्ग के लोग और मध्य वर्ग जो उद्योगपति इत्यादि।

प्रश्न 18.  19वीं शताब्दी में उदारवाद की आर्थिक क्षेत्र में प्रमुख मांग क्या थी?

उत्तर- उदारवाद, बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूँजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रणो को खत्म करने के पक्ष में था ।

प्रश्न 19. “जब फ्रांस छींकता है तो बाकी यूरोप को जुकाम हो जाता है।” यह कथन किसका है? (Outside Delhi 2016)

उत्तर- आस्ट्रिया के चान्सलर ड्यूक मैटरनिख का 

प्रश्न 20. ज्युसेपी मेत्सिनी ने किन दो भुमिगत संगठनों की स्थापना की?

उत्तर – ज्युसेपी मेत्सिनी ने निम्नलिखित दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की:

  • 1. मार्सेई में यंग इटली
  • 2. बर्न में यंग यूरोप

प्रश्न 21. सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी किस व्यक्ति ने की ? (CBSE Outside 2012)

उत्तर- ‘ड्यूक मैटरनिख ने सन् 1815 में वियना सम्मलेन की मेज़बानी की।

प्रश्न 22- कल्पनादर्श सं क्या तात्पर्य हैं?

उत्तर- एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है। कि उसका साकार होना लगभग असंभव होता हैं।

प्रश्न 23. यूरोप में फ्रांसीसी क्रान्ति से राजनीतिक और संवैधानिक परिदृश्य में हुआ प्रमुख बदलाव क्या था ? (CBSE 2015)

उत्तर – यह बदलाव यूरोप में राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय राज्यों के उत्थान में दृष्टिगोचर होता नजर आता है।

प्रश्न 24. शुल्क संघ का मुख्य कार्य लिखो। 

उत्तर- शुल्क संघ के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • 1. इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया ।
  •  2. मुद्राओं की संख्या तीस से घटाकर दो कर दी गई ।

प्रश्न 25. रूढ़िवादी किन प्रांरपारिक संस्थाओ को बनाए रखने के पक्ष में थे?

उत्तर- रूढ़िवादी राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार को बनाए रखने के पक्ष में थे।

प्रश्न 26. कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग क्यों था?

उत्तर- कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली वर्ग था जिसके कारण निम्नलिखिज हैं:

  • 1. इस वर्ग के सदस्य साक्षा जीवन शैली से बँधे हुए थे जो क्षेत्रीय विभाजनों के आर पर व्याप्त थी। 
  • 2. वे ग्रमीण क्षेत्रों में जायदाद और शहरी हवेलियों के मालिक थे ।

प्रश्न 27. कब और किस संधि के द्वारा यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली?

उत्तर- 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र कर मान्यता दी ।

प्रश्न 28. ‘रूमनीवाद’ किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहा था?

उत्तर ‘रूमनीवाद’ एक साक्षा सामूहिक विरासत की अनुभूति और एक सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया गया था ।

प्रश्न 29. ‘कैराल कुर्पिस्की’ का पौलेंड के राष्ट्रीय संघर्ष में योगदान बताइए।

उत्तर- ‘कैराल कुर्पिस्की’ ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने आ पेरा और संगीत से गुणगान किया और पोलेनेस और मरजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीक में बदल दिया

प्रश्न 30. ब्रितानी राष्ट्र मे रहने वाले प्रमुख नृजातीय समूह कौन से थे?

उत्तर- ब्रितानी राष्ट्र में रहने वाले प्रमुख नृजातीय समूह अंग्रेज वेल्श, स्कॉट या आयरिश थे।

प्रश्न 31. उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भूमिका के दो बिंदु लिखो।

उत्तर- उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भूमिका निम्न हैं:

  • 1. महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन स्थापित किये
  • 2. उन्होंने अखबार शुरू किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में शिरकत की।

प्रश्न 32. फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् कौन थे ?

उत्तर- फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् मरीआन, लाल टोपी, तिरंगा और कलगी थे।

प्रश्न 33. बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखो।

उत्तर बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख राज्य | आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, यूनान इत्यादि थे।

प्रश्न 34. जनमत संग्रह का क्या तात्पर्य हैं ?

उत्तर एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कराया जाता हैं।

3 अंक वाले प्रश्न:

प्रश्न 1. फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह शीघ्र ही लोगों में विरोध का कारण क्यों बन गया?

उत्तर:- फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह शीघ्र ही लोगों में विरोध का कारण बन गया क्योंकि जब यह साफ होने लगा कि नयी प्रशासनिक व्यवस्थाए राजनीतिक स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं थी। बढ़े हुए कर, सेसरशिप और बाकी यूरोप को जीतने के लिए फ्रेंच सेना में जबरन भर्ती इत्यादि प्रमुख कारण थे।

प्रश्न 2. राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए बताइए । 

उत्तर:- राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए निम्नलिखित हैं:

  • 1. इसमें जनता को अपने शासक को चुनने कर अधिकार होता हैं।
  • 2. सभी नागरिकों के समान कानून बनाए जाते हैं। 
  • 3. लोगों द्वारा राष्ट्र का गठन होता है हैं और वे ही इसकी नीतियाँ तय करते हैं ।

प्रश्न 3. 19वीं शताब्दी में उदारवादी विचारधारा के राजनैतिक उद्देश्यों की समीक्षा कीजिए।

उत्तर- 19वीं शताब्दी में उदारवादी विचारधारा, राजनीतिक रूप से एक ऐसर सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो। फ्रांसीसी क्रांति के बाद उदारवाद निरंकुश शासक और पादरीवर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति, संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था। 19वीं शताब्दी के उदारवादी निजी संपति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देता था।

प्रश्न 4. 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन परिणामों – की व्याख्या करो।

उत्तर 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • 1. 1830 के फ्रांसीसी विरोध के परिणामस्वरूप बूब राजा जिन्हें 1815 के बाद हुई रूढ़िवादी प्रतिक्रिया में सत्ता पर बहाल किया गया था उन्हें अब क्रांतिकारियों ने उखाड़ फेंका।
  • 2. फ्रांस में सत्ता अब लुई फिलीप को सौंपी गई।

प्रश्न 5. जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड के विचारों की तीन बिन्दुओं में विवेचना कीजिए ।

उत्तर –

  • 1. जर्मन दार्शनिक योहान गॉटफ्रीड ने दावा किया कि सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आमलोगों में निहित थी। 
  • 2. राष्ट्र की सच्ची आत्मा लोकगीतों, जनकाव्य और लोकनृत्यों से प्रकट होती थी।
  • 3. स्थानीय बोलियों पर बल और स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र करने का उद्देश्य केवल प्राचीन भावना को | वापिस लाना नहीं था बल्कि आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को ज्यादा लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे।
दीर्घ-उत्तरीय प्रश्नोत्तर (5 अंक वाले प्रश्नः)

प्रश्न 1. ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास मं भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उदाहरण देकर समझाए।

उत्तर- ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा को स्कूलों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को हर जगह जबरन लादा गया। 1831 में रूस के विरूद्ध एक सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसे आखिरकार कुचल दिया गया दिया । इससे अनेक सदस्यों ने राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया। चर्च के आयोजनों और संपूर्ण धार्मिक शिक्षा में पोलिश का इस् कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल में डाल दिया गया इस तरह पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरूद्ध संघर्ष के प्रतीक में देखी जाने लगी।

प्रश्न 2. फ्रैंकफर्ट संसद के जर्मन राष्ट्र निर्माण में योगदान का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- 1848 ई. में जर्मनी में राष्ट्रवाद की लहर शुरू हो गई। 18 मई,1848 को, 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक जुलूस निकाला। उन्होंने फ्रैंकफर्ट में एक संसद आयोजित की। इसमें एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। संविधानवाद की राष्ट्रीय माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया गया। जनता के बढ़ते असंतोष का लाभ उठाते हुए एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। इस प्रकार फ्रैंकफर्ट संसद का जर्मनी के राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान रहा।

प्रश्न 3. एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण में काउंट कैमिलों दे काबूर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण का वास्तविक श्रेय कैवूर को ही जाता हैं। 1852 में वह साड्निर्या में वह साडनिर्या का प्रधानमंत्री बना तथा इटली के एकीकरण के कार्य में जुट गया । उसने अपनी कूटनातिक चालों द्वारा इस कार्य को पूरा किया। उसने कई युद्धों में भाग लेकर इटली के राज्यों को साडनिर्या के साथ मिलाने का प्रयत्न किया । लोम्बार्डी, मोडेना पार्मा टस्कनी आदि राज्य धीरे धीरे विदेशी सत्ता से छुटकारा प्राप्त कर साडनिर्या में जा मिले । इतिहासकार उसे ‘इटली का विस्मार्क’ कहते है।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामाजिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए कौन से चार कदम उठाए ।

उत्तर- फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामाजिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए निम्नलिखित चार कदम उठाए:

  • (i) संयुक्त समुदाय के विचार को बल दिया गया। 
  • (ii) फ्रांस का नया तिरंगा झंडा चुना गया।
  • (iii) नागरिकों द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया जिसका नाम नेशनल एसेंबली रखा गया |
  • (iv) राष्ट्र के नाम पर नई शपथें ली गई और शहीदों का गुणगान किया गया।
  • (v) एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई।
  • (vi) सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए गए। 
  • (vii) आंतरिक आयत-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए।
  • (viii) पूरे फ्रांस में नापतोल की एक जैसी प्रणाली लागू की गई।
  • (ix) फ़्रेंच भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया। 

प्रश्न 5. 1804 की नागरिक संहिता के चार प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने बहुत बदलाव किए जिन्हें 1804 का सिविल कोड या नागरिक संहिता के नाम से जाना जाता है।

  • (i) जन्म के आधार पर प्राप्त विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया।
  • (ii) कानून के सामने सभी बराबर थे।
  • (iii) संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया गया।
  • (iv) सामंती व्यवस्था को समाप्त किया गया।
  • (v) किसानों के सारे टैक्स समाप्त कर दिए। 
  • (vi)शहरों में कारीगरों की श्रेणीं-संघो के नियंत्रण को हटा दिया गया।
  • (vii) यातायात और संचार व्यवस्थाओं में सुधार किया गया।
  • (viii)आर्थिक सुधार करने के उद्देश्य से बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की गई।
  • (ix)समान कर प्रणाली लागू की गई। 
  • (x)देशभक्तों को सम्मानित किया गया।
  • (xi)उसने दंड के कानून को कठोर बनाया। 
  • (xii)शिक्षा की उन्नति के लिए यूनिर्वसिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की।
  • (xiii)कैथोलिक धर्म को राजधर्म बनाया। 

प्रश्न 6. वियना संधि 1815 के चार प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करों । अथवा 

प्रश्न- सन् 1815 में वियना सम्मेलन की मेज़बानी किसने की ? वियना संधि के द्वारा किए गए प्रमुख परिवर्तनों का विश्लेषण कीजिए। (CBSE Delhi 2017)

उत्तर- सन् 1815 के वियना सम्मेलन की मेज़बानी ड्यूक मैटरनिख ने की। ड्यूक मैटरनिटी आस्ट्रिया का चांसलर था।  1815 ई० में ब्रिटेन, रूस, प्रशिया और आस्ट्रिया ने मिलकर नैपोलियन को हरा दिया था।इन चारों देशों के प्रतिनिधि आस्ट्रिया की राजधनी वियना में एक संधिपत्र तैयार किया। इस संधि में नैपोलियन द्वारा किए गए सुधारों में बदलाव किया गया जो निम्नलिखित थे। –

  • (1) इस संधिपत्र द्वारा फ्रांस के राजवंश बूर्बो (Bourbon) को दोबारा सत्ता पर बैठाया गया जिसे नैपोलियन ने हटा दिया था।
  • (2) फ्रांस से वो सारे इलाके छीन लिए जिन पर कभी नैपोलियन ने अधिकार किया था।
  • (3) फ्रांस अपनी सीमाओं का विस्तार न कर सके इसके लिए उसकी सीमाओं पर छोटे छोटे राज्य स्थापित कर दिए गए।
  • (4) प्रशा को उसकी पश्चिमी सीमा के इलाके दिए गए जबकि आस्ट्रिया को उत्तरी इटली का नियंत्रण सौंपा गया।
  • (5) पूर्व में रूस को पोलैंड का एक भाग सौंपा गया।
  • (6) उन राज्यों का निर्माण कर दिया कर जिनको नैपोलियन ने बर्खास्त किया था।
  • (7) यूरोप में रूढ़िवादी व्यवस्था दोबारा शुरू कर दी गई। 

प्रश्न 7. “यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर आया” । चार कारण बताइए ।

उत्तर- यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर आया जिसके चार कारण निम्न हैं:

  • 1. यूरोप मे जनसंख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई । 
  • 2. ज्यादातर देशों में नोकरी ढुढ़ने वालों की तदाद उपलब्ध रोजगार से अधिक थी।
  • 3. नगरो के लघु उत्पादकों को अकसर इंग्लैंड से आयतित मशीन से बने सस्ते कपड़े से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था ।
  • 4. यूरोप के उन इलाकों में जहाँ कुलीन वर्ग अभी भी सत्ता में था।

प्रश्न 8. इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार परिस्थितियों का वर्णन करो

उत्तर इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार परिस्थितियाँ निम्न हैं:

  • 1. इटली अनेक वंशानुगत राज्यों तथा बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था।
  • 2. 19वीं शताब्दी के मध्य में इटली सात राज्यों में बटाँ हुआ था जिनमें से केवल एक सार्डनिया पीडामॉण्ट में एक इतावली गणराज्य का शासन था।
  • 3. उतरी भाग आस्ट्रियाई हैब्सबर्ग के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बुब राजाओं के अधीन था।
  • 4. इतावली भाषा ने भी साक्षा रूप हासिल नहीं किया था और अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय और स्थानीय रूप मौजूद था।

प्रश्न 9. ‘रूपक’ से क्या तात्पर्य हैं ? फ्रांस एवं जर्मनी के सन्दर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।

उत्तर- जब किसी अर्मूत विचार ( जैसे स्वतन्त्रता, मुक्ति, इर्ष्या को किसी व्यक्ति या चीज द्वारा इंगित किया जा तो उसे रूपक कहते हैं। रूपतामक कहावत के दो अर्थ होते हैं:- एक शाब्दिक ओर दूसरा प्रतीकात्मक । फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रयोग किया। इन आदर्शों को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया । स्वतंत्रता का प्रतीक लाल टोपी या टूटी जंजीर और इंसाफ को आमतौर पर एक महिला के प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया जाता हैं जिसकी आँखो पर पट्टी बँधी हुई हैं और वह तराजू लिए हुए है। जर्मन में |मारीआन की प्रतिमाँए सार्वजनिक चैकी पर लगाई गई | ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्मय स्थापित कर सकें । |मारीआन की छवि सिक्को और डाक टिकटों पर अंकित की गई। इसी तरह जर्मेनेयिा जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई।

प्रश्न 10. आयरलैंड के संबंध में अंग्रेजी की नीति की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- अंग्रजो न आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वालों को बहुसंख्यक कैथिलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की । वोल्फटोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन की अगुवाई में हुए सफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल किया गया । एक नए ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार प्रसार किया गया ।

प्रश्न 11. इटली के एकीकरण की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन करो। अथवा इटली के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। (Delhi 2015)

उत्तर- जैसा कि ऊपर बताया गया है, इटली का अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा होना, अनेक भागों पर विदेशियों का शासन होना, वियाना की कांग्रेस द्वारा फिर से देश को टुकड़े-टुकड़े कर देना, रोम के पोप के निजी स्वार्थ और इटली के शासकों के अनुदारवादी कार्य आदि कुछ बड़ी रुकावटें इटली के एकीकरण के मार्ग में उपस्थित थीं। परन्तु इन रुकावटों पर काबू पाने का कार्य इटली के अनेक देशभक्तों, विशेषकर कैवर ने किया।

             जर्मनी की भांति एकीकरण से पहले इटली भी कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। इन राज्यों में सबसे शक्तिशाली सार्डीनिया का राज्य था। उसके प्रधानमंत्री कैवूर (Cavour) को इटली के एकीकरण का श्रेय जाता है। उसने भी जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क की भांति इटली में मिलती-जुलती नीति अपनाई। उसे इटली के एकीकरण में मेजिनी (Mazzini) एवं (Garibaldi) जैसे देशभक्तों की सेवाएँ प्राप्त हुईं। जर्मनी की भांति 1848 ई० में इटली में भी क्रान्तिकारी विद्रोह हुए जिनके फलस्वरूप वहाँ कुछ राजनीतिक सुधार हुए। परन्तु इटली की वास्तविक सफलता कैवूर के रंगमंच पर आने के बाद ही प्राप्त हुई।

               कैवूर ने क्रीमिया के युद्ध (1854-1856 ई०) में रूस के विरुद्ध ब्रिटेन तथा फ्रांस का साथ देकर ऑस्ट्रिया के विरुद्ध ब्रिटेन और फ्रांस से सहायता प्राप्त करने का वचन प्राप्त कर लिया। 1859 ई० में कैवूर ने ऑस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध करके लोम्बार्डी पर कब्जा कर लिया और बाद में उसे सार्डीनिया में मिला लिया। इसके शीघ्र ही बाद 1860 ई० में टस्कनी, माडोना, पार्मा और उत्तर में स्थित पोप के राज्य अपने आप सार्डीनिया के साथ आ मिले। लगभग इसी समय (1860 ई० में ही) गैरीबाल्डी के प्रयत्नों से सिसली तथा नेपल्स के राज्य भी सार्डीनिया के साथ सम्मिलित हो गए। 1866 ई० में ऑस्ट्रिया-प्रशिया युद्ध में विस्मार्क का साथ देने पर वेनेशिया का प्रदेश सार्डीनिया को मिल गया। 1870 ई० फ्रांस-प्रशिया के युद्ध के समय फ्रांस द्वारा रोम खाली किए जाने पर सार्डीनिया ने रोम पर अधिकार करके इटली के एकीकरण का कार्य पूरा किया। याद रहे, इटली में भी जर्मनी की भाँति एकीकरण के बाद राजतन्त्र की स्थापना हुई क्योंकि अभी वहाँ इसी की आवश्यकता अनुभव की गई।

प्रश्न 12. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?   अथवा

1871 के बाद ‘बाल्कन’ क्षेत्र में हुए संघर्ष के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए। (Outside Delhi 2011)  अथवा

यूरोप में 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।  (Delhi 2018)

उत्तर-काला सागर और एट्रियाटिक सागर के मध्य स्थित आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेनिया, यूनान, मेसिडोनिया, बोस्निया हर्जेगोविना, सर्बिया आदि के राज्य बाल्कन राज्यों के नाम से जाने जाते थे। बहुत समय तक ये बाल्कन राज्य टर्की और अनेक यूरोपीय शक्तियों के बीच संघर्ष का केन्द्र बने रहे। 1875 के पश्चात् इन राज्यों में राष्ट्रीय तनाव पैदा होने के अनेक कारण थे

  • (1) बाल्कन राज्यों के बहुत से नागरिक ईसाई थे परन्तु टर्की के मुसलमान, जिनके अधीन ये देश थे, उन पर मनमाने प्रकार के अत्याचार करते थे।
  • (2) 19वीं शताब्दी में टर्की का साम्राज्य काफी शिथिल हो गया था और उसे ‘यूरोप के बीमार’ (Sick Man of Europe) कहा जाने लगा था। इसलिए टर्की की इस कमज़ोरी ने बाल्कन राज्यों के लोगों को टर्की के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • (3) फ्रांस की क्रान्ति और नेपोलियन के युद्धों ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया जिसके प्रभाव में बाल्कन राज्यों के लोगों ने स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष छेड़ दिया।
  • (4) बाल्कन क्षेत्र में यूरोप के अनेक देश अपना-अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने वहाँ की समस्या को और भी उलझनपूर्ण बना दिया। रूस, इंग्लैंड और ऑस्ट्रिया-हंगरी के आपसी स्वार्थों ने बाल्कन क्षेत्र में तनाव का-सा वातावरण तैयार कर दिया।

प्रश्न 13. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था? अथवा

ब्रिटेन (Britain) के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। (Delhi 2015)

उत्तर- इस बात से कोई भी इन्कार नहीं कर सकता कि ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के विकास का इतिहास बाकी यूरोप से भिन्न था। यूरोप के स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, ऑस्ट्रिया-हंगरी और फ्रांस आदि देशों में राष्ट्रवाद का उत्थान अनेक उथल पुथलों और क्रान्तियों से जुड़ा हुआ था, परन्तु ब्रिटेन में राष्ट्रीयता का आन्दोलन किसी राजनीतिक उथल-पुथल या क्रान्तियों से जुड़ा हुआ नहीं था। यह एक लम्बी चलने वाली प्रक्रिया का परिणाम था।

          ब्रिटेन में एक राष्ट्र-राज्य की स्थापना करने में वहाँ की संसद ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इंग्लैंड की संसद ने 1688 ई० में राजा से सत्ता संभाल ली थी। वह इंग्लैंड को एक राष्ट्र-राज्य बनाने का पहला महत्त्वपूर्ण कदम था।

           अगला कदम 1707 ई० में उठाया गया जब इंग्लैंड और स्काटलैंड के मध्य होन वाले एक्ट ऑफ यूनियन (Act of Union) के परिणामस्वरूप वहाँ 1707 ई० में ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ की स्थापना हुई। इस कानून द्वारा दोनों देशों ने एक संसद और एक राजा को अपनाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस मिलाप से दोनों राज्यों को लाभ रहा चाहे कभी-कभी स्काटलैंड के पहाड़ी लोगों को सख्ती से दबाना भी पड़ा। स्काटलैंड पहले से कहीं सम्पन्न बन गया और दोनों देशों के बीच आपसी शत्रुता समाप्त हो गई। इंग्लैंड की शक्ति में काफी वृद्धि हुई और इसी कारण वह स्पेन के सिंहासन सम्बन्धी युद्ध (War of Spanish Succession) में सफल सिद्ध हुआ।

           राष्ट्रवाद की ओर एक अन्य कदम 1801 ई० में उठाया गया जब आयरिश एक्ट आफ यूनियन (Irish Act of Union) द्वारा ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड का आपसी मिलाप हुआ और ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड मिलकर यूनाइटिड किंग्डम (United Kingdom) में बदल गए।

इतिहास पाठ 2 (भारत में राष्ट्रवाद)

NCERT BOOK (भारत में राष्ट्रवाद)
  • यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से इतिहास का पाठ 2 भारत में राष्ट्रवाद को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है।

माइंड मैप (भारत में राष्ट्रवाद)
  1. प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत एवं असहयोग।
    1. सत्याग्रह का विचार 
    2. रौलट एक्ट 
    3. असहयोग ही क्यों
  2. आंदोलन के भीतर अलग-अलग धाराएं।
    1. शहरों में आंदोलन 
    2. ग्रामीण इलाकों में विद्रोह
    3. बागानों में स्वराज
  3. सविनय अवज्ञा की ओर
    1. नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन 
    2. लोगों ने आंदोलन को कैसे लिया
    3. सविनय अवज्ञा की सीमाएं
  4. सामूहिक अपनेपन का भाव
अभ्यास के प्रश्न

संक्षेप में लिखे : Q1. व्याख्या करें –

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?

उत्तर :

  1. उपनिवेशवाद विरोधी आन्दोलन के साथ राष्ट्रवाद की भावना गहराई से जुड़ी हुई है।
  2. औपनिवेशिक शासकों ने जनता पर बहुत अत्याचार किए। 
  3. राष्ट्रवाद की भावना से लोगों में आपसी एकता बढ़ने लगी। लोग शासकों के खिलाफ संघर्ष में आपसी एकता के महत्व को समझने लगे।
  4. राष्ट्रवाद और उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन दोनों के उद्देश्य समान थे। ।
  5. अतः राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई है।

(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?

उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न योगदान दिया –

  1.  प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा खर्च बहुत बढ़ गया था।
  2. इस खर्च की भरपाई के लिए अंग्रेजों ने करों में वृद्धि कर दी थी। 
  3. अंग्रेजों ने भरतीयों से पूछे बिना भारत को युद्ध में एक पार्टी बना दिया।
  4. अंग्रेजों ने भारतीयों को सेना में जबरन भर्ती किया जिससे जनता में व्यापक गुस्सा था।
  5. 1918-21 अकाल और सूखे के कारण बहुत सारी मौत हो गई थी जिससे जनता में बहुत रोष था।

(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?

उत्तर : भारतियों के रोलेक्ट एक्ट के विरोध करने के निम्नलिखित कारण थे –

  1. यह एक काला कानून के नाम से जाना जाता था।
  2.  इस कानून के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये जेल में डाल सकते थे।
  3. इस कानून को बिना भारतीयों की मंजूरी के जल्दबाजी में पास किया गया था। 
  4. यह कानून राष्ट्रीय आंदोलनों को दबाने के उद्देश्य से लाया गया था।
  5. कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों इसके विरोध में थे।

(घ) गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर:

  1.  फरवरी 1922 में  गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा बाजार से एक शांतिपूर्ण जुलूस निकाला गया।
  2. पुलिस के साथ टकराव से यह जुलूस हिंसक हो गया।
  3. इसके बाद आंदोलनकारियों ने  पुलिस चौकी को आग लगा दी।
  4. जिसमें  22 इस पुलिसकर्मी  जिंदा जला दिए थे।
  5. इस घटना से आहत होकर गांधी जी ने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला किया। 

प्रश्न 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर: 

  1. सत्याग्रह के विचार का मतलब है आधार सत्य की शक्ति पर आग्रह करना है। 
  2. गांधी जी ने सत्य की खोज पर जोर दिया।
  3. इसका अर्थ यह है कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है तो अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने में किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं होती।
  4. सत्याग्रही केवल अहिंसा के बल पर अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। 

प्रश्न 3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए लिखें

(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड        (ख) साइमन कमीशन

उत्तर: (क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड 

13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग में हत्याकांड हुआ। इस दिन पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में लोग बैसाखी के मेले में सम्मिलित होने के लिए एकत्र हुए। कुछ लोग सरकार द्वारा लागू किए गए रौलट एक्ट के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए एकत्रित हुए थे। लोगों को पता नहीं था कि इस इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। अचानक जनरल डायर ने बाग के मुख्य द्वारों को बंद करवा दिया। उसने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस गोलाबारी में सैकड़ों लोग मारे गए। इस घटना की जानकारी जैसे ही लोगों को प्राप्त हुई उनमें सरकार के विरुद्ध आक्रोश और गुस्सा भड़क उठा।

उत्तर: (ख) साइमन कमीशन

सन् 1928 में बिर्टेन की सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में सात सदस्यों का एक कमीशन भारत भेजा। इस कमीशन का मुख्य काम भारत में संवैधानिक व्यवस्था पर सुझाव देना था। इस कमिशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था। कमीशन की धाराओं में भरतीयों को स्वराज्य दिए जाने का कोई जिक्र नहीं था। इसलिए कमीशन का विरोध होने लगा है। इसके विरोध में ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाए गए। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया। साइमन विरोधी प्रदर्शन का नेतृत्व लाला लाजपतराय कर रहे थे।

प्रश्न 4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए ।

उत्तर: भारत माता की छवि और जर्मेनिया की छवि की तुलना-

भारत माता की छवि जर्मेनिया की छवि
1.भारत माता की छवि के एक हाथ में माला, एक में पुस्तक, एक में भोजन तथा एक में कपड़ा है।
2. भारत माता की दूसरी छवि में उसे संन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया है।
3. वह हाथी और शेर के बीच खड़ी है। ये दोनों पशु शक्ति और सत्ता के प्रतीक हैं।
4.इसके एक हाथ में त्रिशूल है, जिस पर झंडा लहरा रहा है।
 5. इस छवि को अवनींद्रनाथ टैगोर ने 1905 में बनाया।
1.जर्मेनिया की छवि के हाथ में तलवार है।
2.जर्मेनिया की छवि रौद्र में दर्शाया गया है।
3.जर्मेनिया गुणों से युक्त राष्ट्रीयता व देशभक्ति का प्रतीक है।4. जर्मेनिया को राइन नदी पर पहरा देते हुए खड़ी है।
5.इस छवि को चित्रकार फिलिप वेट ने 1848 में बनाया।

प्रश्न 1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्हीं तीन को चुन कर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए?

उत्तर: 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची- शहरी मध्यम वर्ग, व्यापारिक वर्ग, मजदूर वर्ग, किसान वर्ग, आदिवासी वर्ग, बाग़ान मजदूर वर्ग, पूँजीपति वर्ग। इन वर्गों की आशाएं और संघर्ष निम्न हैं जिनके कारण वे आंदोलन में शामिल हुए।        

1. शहरी मध्यम वर्ग– शहरी मध्यम वर्ग को आशाएं थी कि आंदोलन के बाद उनके साथ भेदभाव बंद हो जाएगा। क्योंकि समान पद वाले अंग्रेजों को ज्यादा वेतन मिलता था। इसलिए उन्होंने आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए। शिक्षकों ने इस्तीफे दे दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। 

2. किसान वर्ग– किसान वर्ग को आशा थी कि उनका लगान कम हो जाएगा, बेगार खत्म हो जाएगा और जमीदारों का अत्याचार खत्म हो जाएगा। किसान वर्ग में भी आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया उन्होंने लगान देना बंद कर दिया, जमीनों को गरीबों में बांट दिया गया, अनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया और बाजारों में लूटपाट होने लगी।

3 बागान मजदूर वर्ग- इस वर्ग को आशाएं थी कि उन्हें चारदीवारी से बाहर निकाला जाएगा उन्हें अपने गांव वालों से मिलने की आजादी होगी। इन आशाओं के साथ वह भी आंदोलन में कूद पड़े। वे अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना करने लगे। बागान छोड़कर घर जाने लगे।

प्रश्न 2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था। 

उत्तर: नमक यात्रा देश को एकजुट करने के लिए गांधी जी को एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया क्योंकि नमक का अमीर-गरीब सभी प्रयोग करते थे। यह भोजन का अभिन्न हिस्सा था इसलिए नमक पर कर का विरोध करके गांधी जी ने आम जनता को आंदोलन में शामिल कर लिया। गांधी जी की नमक कानून तोड़ने की दांडी यात्रा में लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। अत: नमक यात्रा आंदोलन के लिए एक असरदार प्रतीक साबित हुआ।

प्रश्न 3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता? 

उत्तर: मैं एक महिला के तौर पर सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में भाग लेकर गर्व महसूस कर रही हूं। मैंने डांडी मार्च में हिस्सा लिया।  मैंने नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा। मैंने विदेशी कपड़ों व शराब का बहिष्कार करें। मैंने आंदोलन में पुरुषों के कंधे से कन्धा मिलाकर काम किया।

प्रश्न 4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे?

 उत्तर: राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर निम्न कारण से बँटे हुए थे- 

  1. पृथक निर्वाचन प्रणाली धर्म व जाति वोट डालने का प्रावधान था अर्थात् एक धर्म का व्यक्ति केवल अपने धर्म के व्यक्ति को ही वोट देगा।
  2. अंग्रेजों ने भारत में फूट डालने के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण किया। इसलिए कांग्रेस ने इसका विरोध किया।
  3.  डा बी. आर. अम्बेडकर पृथक निर्वाचन के पक्ष में थे। उनका कहना था कि ऐसा करने से दलितों को राजनीति में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
  4. मुस्लिम लीग ने भी इसका समर्थन किया। मुहम्मद अली जिन्ना आबादी के अनुसार मुस्लिमों को आरक्षित सीटें चाहते थे।
अतिरिक्त प्रश्न बैंक
2 अंक वाले प्रश्न:-

प्रश्न 1- साइमन कमीशन को भारत क्यों भेजा गया था ?

उत्तर-

  1. भारतीय संवैधानिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली की जांच कर सुधार हेतु सुझाव देने के लिए |
  2. भारतीय क्रांतिकारी नेताओं पर मुकदमा चलाने के लिए 

प्रश्न 2- सितंबर 1932 के पूना पैक्ट के किन्हीं दो प्रावधानों को लिखिए?   या

1932 के पूना पैक्ट पर विचार व्यक्त कीजिए। या

पूना समझौते की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर-(i)डॉक्टर अंबेडकर ने 1930 में दलितों को दलित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की।

       (ii) सन 1932 में पूना पैक्ट समझौते के द्वारा अलग निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दे का हल गांधीजी और अंबेडकर की आपसी सहमति से किया गया इसके अंतर्गत दमित वर्गों को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधान परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई।

प्रश्न 3- सत्याग्रह से क्या अभिप्राय है ? या सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?  या गांधीजी के अनुसार सत्याग्रह के विचार की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के रूप में जन आंदोलन का एक नया तरीका अपनाया यह तरीका इस सिद्धांत पर आधारित था कि यदि कोई सही मकसद से लड़ रहा है तो उसे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती है गांधी जी का विश्वास था कि एक सत्याग्रही अहिंसा के द्वारा ही अपनी लड़ाई जीत सकता है ।

प्रश्न4–इनलैंड इमीग्रेशन एक्ट क्या था ? 

उत्तर -बागानों में काम करने वाले मजदूरों को इनलैंड इमीगेशन एक्ट के तहत बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी।

प्रश्न5–असहयोग आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार करने के मुख्य दो कारण लिखिए ?

 उत्तर – (i)विदेशी वस्तु में पश्चिमी अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक प्रभुत्व का प्रतीक थी

          (ii) यह भारत में अंग्रेजों की दमनकारी शासन का प्रतीक भी समझी जाने लगी

प्रश्न 6- 13अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण भीड़ पर गोली क्यों चलाई कोई दो कारण लिखिए?

उत्तर -(i) जनरल डायर अमृतसर में मार्शल लॉ को सख्ती से लागू करना चाहता था । वह सत्याग्रहियों के दिमाग में आतंक और भय पैदा करना चाहता था ।

     (ii)ब्रिटिश सरकार की नजरों में महत्व प्राप्त करना चाहता था ।

प्रश्न 7- भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के दो कारण लिखिए ?

उत्तर -(i)पाश्चात्य शिक्षा- आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा तथा चिंतन ने भारतीय शिक्षित वर्ग को विदेशी शासन के दुष्परिणामों तथा शोषण की जानकारी प्रदान की। इसी के द्वारा शिक्षित वर्ग के सोचने समझने के दृष्टिकोण तथा हितों में समानता आने से उन में राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ।

        (ii) साम्राज्य के विरुद्ध घृणा सन 1857 में हुई क्रांति को कुचलने के पश्चात अंग्रेजों ने भारतीयों पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जिनसे भारतीय लोग अंग्रेजों से घृणा करने लगे ।

प्रश्न 8- महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए दो सत्याग्रह आंदोलनों का वर्णन कीजिए ?

उत्तर (i) सन 1916 में बिहार के चंपारण जिले में दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया ।

      (ii) सन 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया ।

प्रश्न 9 गांधी जी द्वारा तैयार किए गए स्वराज झंडे की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ? 

उत्तर- (i) 1921 में गांधी जी ने स्वराज झंडे को तैयार किया। इसमें तीन (रंग लाल, हरा सफेद) थे तथा इसके मध्य में चरखा बना हुआ था जो गांधी जी के स्वयं सहायता के विचार का प्रतिनिधित्व करता था।

        (ii) रैलियों के दौरान झंडे को लेकर चलना तथा उसे ऊंचा रखना विरोध का प्रतीक था ।

प्रश्न 10 चंपारण में किसान विद्रोह के क्या कारण थे ? 

उत्तर- गांधीजी ने सन 1917 में चंपारण आंदोलन शुरू किया। ब्रिटिश सरकार के द्वारा किसानों को नील की खेती करने और उसे कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर करने के विरोध में यह सत्याग्रह हुआ। 

प्रश्न 11- गांधी इरविन समझौता की दो प्रमुख विशेषताएं बताइये ?

उत्तर-गांधी इरविन समझौता की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है 

  1. कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया और दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने की सहमति दे दी।
  2. अंग्रेजी सरकार ने दमन की नीति छोड़ा ने बंदियों को रिहा करने का निर्णय ले लिया । 

प्रश्न 12– खिलाफत आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?

उत्तर– खिलाफत शब्द खलीफा से निकला हुआ है, जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ-साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था । प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी। यह अफवाह फैल गई कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि सौंपी जाएगी, इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा मुंबई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया

प्रश्न 13-दांडी मार्च पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?

उत्तर- दांडी मार्च या नमक आंदोलन को गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को शुरू किया। उनके साथ 78 अनुयाई भी शामिल थे। उन्होंने 24 दिन तक चलकर साबरमती से दांडी तक की 240 मील की दूरी तय की, 6 अप्रैल 1930 को गांधी जी ने मुट्ठी भर नमक उठाकर प्रतीकात्मक रूप से इस कानून को तोड़ा 9 मार्च से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत भी की गई ।

3 अंक वाले प्रश्न :-

प्रश्न 14- सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की क्या भूमिका का वर्णन कीजिए ?

उत्तर: सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका :

  1. महिलाओं ने बहुत बड़ी संख्या में इस आंदोलन में भाग लिया ।
  2. उन्होंने विरोध रैलियों में भाग लिया नमक बनाया तथा विदेशी कपड़ों एवं शराब की दुकानों पर धरने दिए ।
  3. कई महिलाएं इस आंदोलन के दौरान जेल भी गई।

प्रश्न 15 भारत में राष्ट्रवाद की भावना को विकसित करने में विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ?

उत्तर- बहुत तरह की सांस्कृतिक प्रक्रियाओं से विभिन्न समुदायों क्षेत्रों या भाषा के लोग अपनेपन की भावना विकसित कर पाने में सफल रहे। इनमें से कुछ तत्व निम्नलिखित हैं:

  1. चित्र:- अवनींद्र नाथ टैगोर ने अपनी प्रसिद्ध भारत माता पेंटिंग की रचना कि उसने भारत माता को एक दैवीय रूप में दर्शाया। इस चित्र के प्रति समर्पण की भावना लोगों के राष्ट्रवादी ताकि पहचान बन गई थी।
  2. गीत एवं लोक कथाएं:- अट्ठारह सौ सत्तर के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा मातृभूमि को समर्पित एक गीत जिससे बंगाल में स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया।
  3. झंडे बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एक तिरंगे हरा पीला लाल झंडे को डिजाइन किया गया था ।1921 में गांधी जी ने भी स्वराज झंडे का डिजाइन तैयार किया। झंडे लेकर चलना तथा रैलियों के दौरान इसे ऊंचे रखना सरकार की अवजा का प्रतीक बन चुका था।

प्रश्न 16– 19वीं शताब्दी में भारत में राष्ट्रवाद के विकास में किन-किन कारणों ने योगदान दिया ?

उत्तर:

  1. औपनिवेशिक दमन-अंग्रेजों ने भारत के प्रत्येक पक्ष में अपनी दमनकारी नीतियों के द्वारा भारतीयों के जीवन को नरक बना दिया था। उद्योगपति, व्यापारी, जमीदार, छोटे किसान, शिक्षित बेरोजगार और समाज का प्रत्येक वर्ग आकुल था।
  2. भारतीयों में जागृति का उद्भव हो रहा था, उन्हें अंग्रेजों की दमनकारी एवं भेदभाव पूर्ण नीति का आभास होने लगा था।
  3. महात्मा गांधी का प्रभाव भारत की राजनीति में महात्मा गांधी अपने सत्याग्रह और अहिंसा के अचूक अस्त्रों के साथ अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने लगे थे। भारतीयों के जनमानस पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा और अंग्रेजों की भारत विरोधी नीतियों के प्रति वे जागृत हो गए। 

प्रश्न 17 सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूह के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (i)अमीर किसान व्यापार में मंदी तथा गिरती हुई कीमतों से सर्वाधिक प्रभावित होने के कारण उनकी राजस्व को कम करने की मांग को ठुकरा दिया गया अतः उन्होंने बड़ी संख्या में बहिष्कार कार्यक्रमों में हिस्सा लगरीब किसानों के लिए किराया चुकाना मुश्किल हो गया था। वे चाहते थे उन्हें जमीदारों को जो भाड़ा चुकाना था उसे माफ कर दिया जाए|

        (॥) औद्योगिक मजदूर वर्ग ने कम वेतन तथा कार्य करने की खराब परिस्थितियों के विरोध में सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया ।

        (iii) महिलाओं ने राष्ट्र सेवा को अपना एक पवित्र कर्तव्य समझकर आंदोलन में भागीदारी की।

प्रश्न 18- रौलट एक्ट क्या था ? भारतीयों ने इस अधिनियम का विरोध किस प्रकार किया ?

उत्तर- रोलेट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1919 में लागू किया गया एक दमनकारी कानून था। इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनैतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। भारतीय लोगों ने नियमित तरीके से इस कानून को नकार दिया। विभिन्न शहरों में रैली जुलूस ओं का आयोजन किया गया रेलवे वर्कशॉप में कामगार हड़ताल पर चले गए तथा कार्यालय को बंद कर दिया गया। गांधी जी ने 6 अप्रैल 1919 को इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ हड़ताल की शुरुआत की डॉ सत्यपाल तथा सैफुद्दीन किचलू ने अपनी गिरफ्तारी आदि अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण विरोध रैली का आयोजन किया गया। इन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में बैठक के दौरान जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ जिसमें सैकड़ों निर्दोष निर्दोष लोगों की जाने गई पूरे देश में इसका व्यापक विरोध हुआ ।

प्रश्न 19 गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय क्यों किया ? या

उन परिस्थितियों की व्याख्या कीजिए जिनमें महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन वापस लेने का निर्णय किया।  या

महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस लेने का निर्णय क्यों किया? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- सन 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन का शुभारंभ किया था, लेकिन सन 1922 में गोरखपुर के चौरी चौरा में हिंसक घटना हुई, जिसके चलते भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी जलकर शहीद हो गए। इस घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया।

5 अंक वाले प्रश्न:-

प्रश्न 20 सन 1947 की स्वतंत्र भारत की कुछ समस्याओं का विश्लेषण कीजिए जिनका उन्हें सामना करना?

उत्तर -सन 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उसे एक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्वतंत्र भारत के समक्ष जो समस्याएं उमरी उनमें से निम्नलिखित का वर्णन किया जा सकता है:-

  1. राजनीतिक स्वतंत्रता को डर-भारत स्वतंत्र होने के पश्चात अंग्रेजों से तो मुक्त गया था, परंतु तब संसार दो बड़े राजनीतिक गुटों में विभाजित दिखाई। एक अमेरिकी गुड और दूसरा सोवियत गुट। भारत इन में से किसी एक गुट में शामिल होकर अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता खोना नहीं चाहता था।
  2. आर्थिक पिछड़ापन स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने अब अपने आप को आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ पाया देश कृषि प्रधान होते हुए भी भारतीय किसानों के पास पुराने उपकरण थे उद्योग की दृष्टि से भारत अब भी काफी पीछे था। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अन्य देशों की सहायता पर निर्भर रहना पड़ता था।
  3. सामाजिक त्रुटियां स्वतंत्रता के पश्चात भारत में अनेक सामाजिक त्रुटियां भी एक बड़ी समस्या थी। समाज आधुनिकता से दूर रूढ़िवाद से ग्रस्त तथा दहेज प्रथा, बाल पर्दा निर्धनता आदि भारत में विद्यमान सामाजिक त्रुटियां थी।

प्रश्न 21- प्रथम विश्व युद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में इस प्रकार योगदान दिया?

उत्तर– (i) प्रथम विश्व युद्ध सन 1914 में आरंभ हुआ था इंग्लैंड ने इस युद्ध में भारत को भी लगा दिया था जिसके कारण भारत में एक नई आर्थिक परिस्थिति पैदा हो गई रक्षा व को पूरा करने के लिए कर दे दिए गए इन कदमों की भरपाई के लिए भारतीयों पर टैक्स बढ़ा दिया गया।

       (ii)ग्रामीण नव युवकों को जबरदस्ती सेना में भर्ती किया जा रहा था इससे जनसाधारण में आक्रोश की भावना उत्पन्न हो गई दूसरी ओर फ्लू महामारी भी फैल गई थी।

       (iii) एक और विश्व युद्ध के कारण महंगाई बढ़ गई, तो दूसरी ओर युद्ध में भाग लेने वाले लाखों सिपाहियों की मौत ने विदेशी साम्राज्य की नींव हिला दी। राष्ट्रीय आंदोलन देश के कोने कोने तक फैल गया था।

प्रश्न 22- प्रथम विश्वयुद्ध का भारत की आर्थिक परिस्थितियों पर क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- (i) प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चला। इस कारण भारतीयों पर भयंकर आर्थिक बोझ पड़ा सीमा शुल्क तथा आयकर बढ़ गया। कीमतें आसमान छूने लगी। आम आदमी के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कठिन हो गया। नष्ट हो गई थी तथा खाद्यान्न की कीमतों में बहुत वृद्धि हो गई थी। 

       (ii) रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना का भी राष्ट्रीय आंदोलन पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ा, क्योंकि रूस ने अपने अधीन सभी देशों को स्वतंत्र कर दिया था। अतः भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलनकारियों को इससे नैतिक बल मिला ।

      (iii) विश्व युद्ध में तुर्की की हार ने भारतीय मुसलमानों को अंग्रेजों के विरुद्ध कर दिया। भारतीय जनसाधारण की आशाओं पर पानी फिर गया। युद्ध के पश्चात महंगाई और अंग्रेजों के अत्याचार समाप्त नहीं हुए इससे हिंदू मुस्लिम एकता सुदृढ हुई और लाख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गए। 

प्रश्न 23– गांधी जी राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे जन आंदोलनों में परिवर्तित किया ?

उत्तर- (i) गांधी जी के व्यक्तित्व एवं जीवन शैली का लोगों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव, जिससे एक राष्ट्रीय आंदोलन को व्यापक आंदोलन बदलने में सहायता मिली।

      (ii) गांधीजी की सादगी और महात्माओं जैसी जिंदगी तथा जनसमूह को अपनी बात समझा पाने के कौशल ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया। उनका विवादित नेतृत्व एवं आकर्षक व्यक्तित्व ।

     (iii) उनकी अहिंसक सत्याग्रह की नीति, उनके द्वारा शुरू किए गए विभिन्न सामाजिक सुधार एवं छुआछूत के खिलाफ संघर्ष और हिंदू मुस्लिम एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता |

प्रश्न 24 सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था?  कोई तीन कारण लिखिए। या

 सविनय अवज्ञा आंदोलन असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था?  कथन की पुष्टि उदाहरण सहित कीजिए।

उत्तर– (i)असहयोग आंदोलन जलियांवाला बाग के नरसंहार के रूप में शुरू किया गया था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ साइमन कमीशन के आने के विरोध में हुआ था ।

       (ii) असहयोग आंदोलन का उद्देश्य स्वराज्य स्वशासन था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वराज था।

       (iii) असहयोग आंदोलन में भारत के सभी वर्गों ने भाग लिया था लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन में दलित वर्ग ने पूर्ण सहयोग नहीं दिया।

प्रश्न 25– कांग्रेस के 1929 के अधिवेशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ?

उत्तर- दिसंबर 1929 के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

  1. दिसंबर 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में भारत के लिए पूर्ण स्वराज्य संपूर्ण स्वतंत्रता की आधिकारिक रूप से घोषणा की गई।
  2. यह घोषित किया गया कि 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 
  3. इस तिथि को लोगों से आवाहन किया गया कि वह पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष करने की शपथ लेंगे किंतु इस उत्सव में अधिक लोगों ने दिलचस्पी नहीं दिखलाई। ऐसी स्थिति में गांधी जी ने स्वतंत्रता के इस अमूर्त विचार को रोजमर्रा की जिंदगी के ठोस मुद्दों से जोड़ने का प्रयास शुरू किया। बाद में यही प्रयास सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में सामने आया ।

प्रश्न 26-अल्लूरी सीताराम राजू कौन से असहयोग आंदोलन में उनका योगदान बताइए ? या

अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे विद्रोहियों को गांधी जी के विचारों से प्रेरित करने में उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- अल्लूरी सीताराम राजू एक आदिवासी नेता थे जिन्होंने पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासी लोगों को अंग्रेजी सरकार के अन्याय पूर्ण एवं अत्याचार पूर्ण व्यवहार के विरुद्ध हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आदिवासियों को गांधी जी के नेतृत्व में शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने लोगों को खादी पहनने शराब छोड़ने और महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने के लिए कहा, परंतु उनका विश्वास था कि अंग्रेज केवल बल प्रयोग द्वारा ही भारत से निकाले जा सकते हैं। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पकड़कर 1924 में फांसी पर लटका दिया। 

प्रश्न 27. गांधीजी ने प्रस्तावित रॉलट एक्ट (1919 ) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय क्यों लिया? इसका विरोध किस प्रकार किया गया? व्याख्या कीजिए।

उत्तर- (1) गांधीजी ने प्रस्तावित रॉल्ट एक्ट (1919) के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निर्णय लिया क्योंकि :

  1. इस कानून को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी में पारित कर दिया था।
  2. इस कानून ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियाँ को कुचलने का व्यापक अधिकार दे दिया।
  3. इससे सरकार को राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। 
  4. इस कानून का भारतीय सदस्यों ने विरोध किया था।

(2) इसका विरोध निम्नलिखित विधियों द्वारा किया गया था :

  1. विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप्स एवं कार्यालयों में कामगार हड़ताल पर चले गए।
  2. अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित की गई थी।
  3. गांधीजी ने 6 अप्रैल 1919 को इस अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ हड़ताल का आयोजन किया।
  4. संचार, रेलवे, टेलिग्राफ लाइनें बाधित की गई।

प्रश्न 28. ख़िलाफत आंदोलन की व्याख्या कीजिए। महात्मा गांधी ने ख़िलाफ़त आंदोलन का समर्थन करना महत्त्वपूर्ण क्यों समझा ? अथवा

गांधी जी ने ख़िलाफत आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय क्यों लिया? अथवा

1919 में प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के ख़िलाफ़ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू करने का गांधीजी ने फैसला क्यों किया ? व्याख्या कीजिए। अथवा

ख़िलाफ़त आंदोलन के पीछे के मुद्दे को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

  1. ख़िलाफ़त आंदोलन अली भाइयों मुहम्मद अली और शौकत अली ने 1919 ई. में शुरू किया क्योंकि मित्र राष्ट्रों ने तुर्की को पराजित करके उसकी बहुत-सी बस्तियों को आपस में बड़े अन्यायपूर्ण ढंग से बाँट लिया।
  2. इसलिए महात्मा गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने ख़िलाफ़त आंदोलन को पूर्ण समर्थन दिया।
  3. 1919 में पंजाब के लोगों के साथ अत्याचारपूर्ण व्यवहार के विरोध में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया।
  4. शीघ्र ही, ये दोनों आंदोलन मिल गए और सर्वत्र हिन्दू-मुसलमानों में एक नई चेतना दौड़ गई। शिक्षा संस्थानों का बहिष्कार होने लगा। सरकार को कर देना बंद हो गया, विधान मंडलों के चुनाव का बहिष्कार किया गया। भारतीयों ने सरकारी नौकरियों से त्याग-पत्र देने शुरू कर दिए।
  5. अब अंग्रेजों के खिलाफ जन-आंदोलन शुरू हो गया और लोगों में पैमाने पर राष्ट्रीयता की भावना और अंग्रेजी शासन के विरुद्ध लहर दौड़ी।

प्रश्न 29. 1920 के दशक के अंतिम वर्षों में राजनीतिक स्थिति को रूप देने वाले विभिन्न घटकों का वर्णन कीजिए। (Most Imp.) 

उत्तर-(1) रॉलट एक्ट तथा जलियाँवाला बाग के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन शहरों तक ही सिमटा रहा।

(2) अंग्रेजों की सत्ता समाप्त करने के लिए महात्मा गांधी ने एक देशव्यापी आंदोलन करने की योजना बनायी। लेकिन, उन्हें मालूम था कि हिंदू-मुस्लिम एकता के बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती।

(3) महात्मा गांधी ने इस एकता को बनाने के लिए मुस्लिम ख़िलाफत आंदोलन को समर्थन देना शुरू कर दिया।

प्रश्न 30. ‘प्रथम विश्व युद्ध’ ने भारत में ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ को बढ़ावा देने में किस प्रकार सहायता की? किन्हीं चार तथ्यों की व्याख्या कीजिए । अथवा

भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रथम विश्वयुद्ध ने कैसे मदद की? वर्णन कीजिए।

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में निम्न तरीकों से सहायता की-

  1. अत्यधिक मात्रा में आदमी तथा वस्तुओं की क्षति ने भारत में नई राजनीतिक तथा आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा कीं।
  2. युद्ध के दौरान गाँवों में रहने वाले लोगों को जबरन सेना में भर्ती किया गया तथा इनसे बेगार करवाया गया। इससे भारतीयों के बीच वृहत स्तर पर असंतोष फैला।
  3. युद्ध के कारण सरकार को हथियारों पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ा।
  4. इसकी क्षतिपूर्ति के लिए सरकार ने कई करों को बढ़ा दिया तथा नए कर भी लगाए।
  5. इसी दौरान अपर्याप्त फसल के बावजूद सरकार की तरफ से न तो कोई मुआवजा दिया गया और न ही किसी तरह की आर्थिक सहायता दी गई। इस बात को लेकर लोगों में असंतोष पैदा हुआ।

प्रश्न 31. प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् भारत पर पड़े आर्थिक प्रभावों का वर्णन कीजिए। अथवा

प्रथम विश्व युद्ध का भारत की आर्थिक परिस्थितियों पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-

  1. प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 तक चला। इस कारण भारतीयों पर भयंकर आर्थिक बोझ पड़ा। सीमा शुल्क तथा आय-कर बढ़ गया। कीमतें आसमान छूने लगीं।
  2. आम आदमी के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कठिन हो गया। उपज नष्ट हो गयी थी तथा खाद्यान्न की कीमतों में बहुत वृद्धि हो गयी।
  3. रूस में साम्यवादी सरकार की स्थापना का भी राष्ट्रीय आंदोलन पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ा क्योंकि रूस ने अपने अधीन सभी देशों को स्वतंत्र कर दिया था। अतः, भारतीय स्वतंत्रता के आंदोलनकारियों को इससे नैतिक बल मिला।
  4. विश्वयुद्ध में तुर्की की हार ने भारतीय मुसलमानों को अंग्रेजों के विरुद्ध कर दिया।
  5. भारतीय जन-साधारण की आशाओं पर पानी फिर गया। युद्ध के पश्चात् महँगाई और अंग्रेजों के अत्याचार समाप्त नहीं हुए। इससे हिंदू-मुस्लिम एकता सुदृढ़ हुई और लाखों भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गये।

प्रश्न 32. रॉलट एक्ट क्या था? इस एक्ट के प्रति भारतीयों ने अपनी असहमति किस प्रकार प्रदर्शित की? अथवा

भारतीयों ने रॉलट एक्ट का विरोध कैसे किया? अथवा

1919 का रॉलट एक्ट क्या था? रॉलट एक्ट के प्रति लोगों की प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-(i) रॉलट एक्ट ब्रिटिश सरकार द्वारा 1919 में लागू किया गया एक दमनकारी कानून था। इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था।

(ii) भारतीय लोगों ने निम्न तरीके से इस कानून को नकार दिया

  1. विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप में कामगार हड़ताल पर चले गए तथा कार्यालयों को बंद कर दिया गया।
  2. गांधीजी ने 6 अप्रैल, 1919 को इस अन्यायपूर्ण कानून के ख़िलाफ़ हड़ताल की शुरुआत की।
  3. डा० सत्यपाल तथा डा० सैफुद्दीन किचलू ने अपनी गिरफ्तारियाँ दीं।
  4. अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक शांतिपूर्ण विरोध रैली का आयोजन किया गया।
  5. इन नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में बैठक दौरान जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ जिसमें सैकड़ों निर्दोष लोगों की जानें गईं। इसका पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ।

प्रश्न 33. असहयोग के विषय में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में व्यक्त गांधीजी के विचारों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- गांधीजी ने अपनी पुस्तक ‘हिंद स्वराज’ में भारत में ब्रिटिश शासन की सफलता के कारणों की व्याख्या की और यह भी बताया कि किस प्रकार इस शासन का अंत असहयोग आंदोलन से हो जाएगा।

  1. उनके अनुसार, भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है।
  2. अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल-भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा।
  3. असहयोग आंदोलन की सफलता से ही भारतीय लोगों के लिए स्वराज की स्थापना हो जाएगी।

प्रश्न 34. सत्याग्रह क्या था? भारत में गांधीजी द्वारा प्रारंभ किए गए तीन मुख्य सत्याग्रहों की व्याख्या कीजिए। अथवा

भारत वापस आने पर महात्मा गांधी ने किन तीन प्रमुख समस्याओं को सुलझाने के लिए सत्याग्रह को अजमाया ? अथवा

दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आने पर गांधीजी द्वारा चलाए गए सत्याग्रह पर आधारित तीन आंदोलनों की व्याख्या कीजिए। अथवा

महात्मा गांधी ने भारत में पहुंचने के बाद विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन सफलतापूर्वक कैसे चलाए? तीन उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए। अथवा

गांधीजी द्वारा कौन-से तीन प्रारंभिक सत्याग्रह चलाए गए ?

उत्तर- (i) सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर बल दिया जाता था। इस विचार के अनुसार यदि आपका उद्देश्य सच्चा है, और आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।

( ii )” भारत में गांधीजी द्वारा आयोजित शुरुआती तीन सत्याग्रह निम्नलिखित हैं

  1. उन्होंने 1916 में बिहार के चंपारन जिले में दमनकारी बागान व्यवस्था के ख़िलाफ़ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।
  2. उन्होंने 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोजन किया। फसल खराब होने के कारण किसान लगान चुकाने की स्थिति में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूली में ढील दी जाए।
  3. 1918-गांधीजी ने अहमदाबाद में सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह की शुरुआत की।

प्रश्न 35. ख़िलाफ़त कमिटी की स्थापना कब और कहाँ हुई थी? इसके उद्देश्य क्या थे?

उत्तर- (1) ख़िलाफ़त कमिटी की स्थापना बबई में हुई थी।

 (2) इसकी स्थापना मार्च 1919 में हुई थी।

(3) इसकी स्थापना तुर्की के पराजित हो जाने पर मित्र राष्ट्रों द्वारा उसकी बहुत-सी बस्तियों को आपस में अन्यायपूर्ण ढंग से बाँटने के विरोध में हुई थी। मित्र राष्ट्रों द्वारा आटोमन साम्राज्य पर बहुत कठोर साँध थोप दी गई।

प्रश्न 36. असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए। अथवा

महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन के संबंध में सुझाए गए तीन प्रस्ताव क्या थे? अथवा

महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरणों को वर्णित कीजिए। अथवा

महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन के सन्दर्भ में सुझाए गए तीन मुख्य प्रस्तावों का उल्लेख कीजिए किस घटना के कारण इस आंदोलन को वापस लिया गया? अथवा

गांधीजी के अनुसार असहयोग आंदोलन के विभिन्न चरण क्या होने चाहिए? 

उत्तर- महात्मा गांधी के अनुरोध पर ही कांग्रेस ने 1920 में नागपुर में होने वाले अपने अधिवेशन में असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को पास किया। यह आंदोलन सफल रहे और इसमें भारत की आम जनता बढ़-चढ़ कर भाग ले, इस विचार से महात्मा गांधी ने अपने कुछ सुझाव दिये

(1) असहयोग आंदोलन की प्रगति और विस्तार धीरे-धीरे कुछ खंडों में होगा। पहले पखवाड़े में वे सभी भारतीय अपने सभी प्रशस्तिपत्र और तमगे अंग्रेजी सरकार को वापस कर देंगे। ऐसे नेताओं में स्वयं महात्मा गांधी और रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे लोग भी सम्मिलित थे।

 (2) इसके पश्चात् सभी भारतीय अपनी सरकारी नौकरियों का बहिष्कार करेंगे जिनमें सभी सेना, पुलिस, न्यायालयों, स्कूलों के अधिकारी और संविधान सभाओं के सदस्य सम्मिलित हैं। इसके साथ-साथ वे सभी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करेंगे। (3) यदि सरकार जबर्दस्ती पर आ जाए और बलपूर्वक इस आंदोलन को दबाना चाहे तो सविनय अवज्ञा आंदोलन या शांतिमय ढंग से सरकार का विरोध किया जाए।

प्रश्न 37. आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आंदोलन के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- असहयोग आंदोलन का भारत के आर्थिक क्षेत्र में भारी प्रभाव पड़ा। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था भी इससे प्रभावित हुई।

  1. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया। 
  2. शराब की दुकानों पर पिकेटिंग की गई।
  3. विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया। इसका मूल्य 102 करोड़ रुपयों से 57 करोड़ रह गया।
  4. बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने या विदेशी व्यापार में पैसा लगाने से इंकार कर दिया।
  5. आयातित कपड़े को छोड़कर लोग भारतीय कपड़े पहनने लगे, तो भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा। इसका प्रभाव भारत और इंग्लैंड दोनों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा।

प्रश्न 38: 1921 तक किसने स्वराज का झंडा तैयार किया था? स्वराज के इस झंडे की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। अथवा

बंगाल में स्वदेशी आंदोलन किस प्रकार का झंडा तैयार किया गया था? उस की मुख्य विशेषताओं को स्पष्ट करें।

उत्तर:1921 तक गाँधी जी ने स्वराज का झण्डा’ तैयार कर लिया था। स्वराज के इस झण्डे की मुख्य विशेषताएं: 

  1. यह तिरंगा झण्डा लाल, हरा और सफेद था।
  2. इसके मध्य में चरखा था।
  3. यह गाँधीवादी विचार स्वावलंबन का प्रतीक था। 
  4. जुलूसों में झण्डा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत बना।

प्रश्न 39 “असम में बागानी मजदूरों की महात्मा गांधी के विचारों और स्वराज के बारे में अपनी अलग अवधारणा थी।” तर्क देकर इस कथन की पुष्टि करें कीजिए। 

उत्तर : (i) 1859 के इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट के अनुसार बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूट नहीं थी और इस प्रकार की अनुमति बहुत ही कम मिलती थी।

(ii) जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के विषय में सुना तो हजारों मजदूरों ने अपने अधिकारियों की अवहेलना करनी प्रारंभ कर दी। वे बागान को छोड़कर अपने घर की ओर चल दिए। 

(iii) उनका अनुमान था कि अब गाँधी राज आ गया है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को गाँव में जमीन दी जाएगी लेकिन वे अपनी मंजिल तक पहुँचने में असमर्थ रह गये।

प्रश्न 40 19वीं शताब्दी के भारत में भारतीय साहित्य के विकास में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने में कैसे मदद की? 

उत्तर: राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने में भारतीय साहित्य तथा समाचार पत्रों का भी काफी योगदान रहा है। इनके माध्यम से राष्ट्रवादी तत्त्वों को सत्त प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलता रहा। उन दिनों भारत में विभिन्न भाषाओं में समाचार पत्र प्रकाशित होते थे, जिनमें राजनीतिक अधिकारों की माँग की जाती थी। इसके अतिरिक्त उनमें ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति की भी कड़ी आलोचना की जाती थी। उस समय प्रसिद्ध समाचार पत्रों में संवाद् कौमुदी, बाम्बे समाचार (1882), बंगदूत (1831), गस्तगुफ्तार (1851), अमृतबजार पत्रिका (1868), ट्रिब्यून (1877), इण्डियन मिरर, हिन्दू, पैट्रियाट, बंगलौर, सोमप्रकाश, कामरेड, न्यु इण्डियन केसरी, आर्य दर्शन एवं बन्धवा आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। बंकिम चंद्र चटर्जी, दीनबंधु मिश्रा, हेमचंद्र बनर्जी, नवीनचंद्र सेन, रविंद्रनाथ टैगोर आदि महान साहित्यकारों ने अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना की एक नई जान फूंक दी।

प्रश्न 41 असहयोग आंदोलन के शुरू किए जाने के क्या कारण थे इसे आरंभ किए जाने के पीछे गांधी जी की पुस्तक हिंद स्वराज में वर्णित विचार का क्या हाथ था?  अथवा 

असहयोग किस प्रकार आंदोलन बन सका? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: गांधीजी हिंद स्वराज में बतलाते हैं कि –

  1. आपके मन का राज्य स्वराज है।
  2. आपकी कुंजी सत्याग्रह, आत्मबल या करूणा बल है।
  3. उस बल को आजमाने के लिए स्वदेशी को पूरी तरह अपनाने की जरूरत है।
  4. हम जो करना चाहते हैं वह अंग्रेजों को सजा देने के लिए नहीं करें, बल्कि इसलिए करें कि ऐसा करना हमारा कर्तव्य है। मतलब यह कि अगर अंग्रेज नमक-कर रद्द कर दें, लिया हुआ धान वापस कर दें, सब हिन्दुस्तानियों को बड़े-बड़े ओहदे दे दें और अंग्रेजी लश्कर हटा लें, तब भी हम उनकी मिलोंका कपड़ा नहीं पहनेंगे, उनकी अंग्रेजी भाषा काम में नहीं लायेंगे और उनकी हुनर-कला का उपयोग नहीं करेंगे। हमें यह समझना चाहिए कि हम वह सब दरअसल इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि वह सब नहीं करने योग्य है।

प्रश्न 42 मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? 1906 से 1940 ईस्वी तक के काल में मुस्लिम लीग की नीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की स्थापना की मांग कब उठाई?

उत्तर: मुस्लिम लीग की स्थापना 30 सितंबर सन् 1906 में हुई थी। हिंदुओं के बहुमत का शासन स्थापित हो जाने के डर से और अंग्रेजों की ‘फूट डालो राज करो’ की नीति के कारण मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। इसकी स्थापना आगा खां ने की थी। इसके प्रमुख नेता मोहम्मद अली जिन्ना थे।  1906 से 1940 तक के काल में मुस्लिम लीग की नीतियां निम्नलिखित थी-

  1. भारतीय मुसलमानों को राजनीतिक अधिकारों एवं हितों की रक्षा करना।
  2. मुसलमानों को काम के शुभ कांग्रेश के प्रभाव से परे रखना।
  3. मुसलमानों के लिए आर्थिक सुधारों की मांग करना ।
  4. मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल स्थापित करवाना। 
  5. अलग राज्य की मांग करना।
    • मुस्लिम लीग ने 1940 में पाकिस्तान की मांग उठाई।

प्रश्न 43 “पृथक निर्वाचन पद्धति ने भारत विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।” व्याख्या कीजिए। 

उत्तर: पृथक निर्वाचन पद्धति से अभिप्राय यह है कि धर्म के आधार पर अपने ही धर्म के लोगों को वोट करना। पृथक निर्वाचन पद्धति अंग्रेजों द्वारा जानबूझकर भारतीय हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने के लिए लागू की। अंग्रेज चाहते थे कि राष्ट्रीय आंदोलनों को मजबूती ना मिले। इस पद्धति के बाद से ही मुसलमानों ने अलग राज्य की मांग कर दी थी।

प्रश्न 44 देहात में ऐसे असहयोग आंदोलन फैलने का वर्णन कीजिए।  अथवा 

असहयोग आंदोलन के दिनों में अवध के किसानों द्वारा सामना की गई किन्हीं तीन समस्याओं का वर्णन कीजिए।  अथवा

असहयोग आंदोलन किस प्रकार देहात में फैला और किसानों व आदिवासियों को संघर्ष में शामिल किया ? व्याख्या कीजिए।

उत्तर: असहयोग आंदोलन शुरू होने के बाद धीरे धीरे यह गांव में फैलता चला गया।

  • अंग्रेजों के कहने पर अवध के जमीदारों ने किसानों से भारी भरकम लगा लेना शुरू कर दिया था 
  • किसानों को बेगार करनी पड़ती थी। उन्हें जमीदारों के खेतों पर बिना वेतन के काम करना पड़ता था।
  • किसानों से मनमर्जी से जमीनों के पट्टे छीन लिए जाते थे। 
  • ग्रामीण लोगों को साहूकारों ने तो तंग किया ही साथ साथ अंग्रेजों ने भी बुरा बर्ताव किया।
  • इससे तंग आकर लोगों ने गांधी जी के असहयोग आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया।

प्रश्न 45 कांग्रेस संगठन में महिलाओं को किसी भी महत्वपूर्ण पद पर जगह देने से क्यों इसकी जा रही थी? महिलाओं ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में किस प्रकार भाग लिया? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

  1. गाँधी जी का मानना था कि घर चलाना, चूल्हा चौका संभालना, अच्छी माँ व अच्छी पत्नी की भूमिकाओं का निर्वाह करना ही औरत का असली काम है। 
  2. संगठन में उनकी प्रतीकात्मक उपस्थिति में ही काँग्रेस की सोच थी।इसलिए लम्बे समय तक काँग्रेस संगठन में महिलाओं को महत्त्वपूर्ण पद देने में हिचकिचाती रही।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी 

  1. महिलाओं ने शराब, अफीम एवं विदेशी कपड़े की दुकानों पर जाकर धरना
  2. समस्त विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए उन्हें जला दिया।
  3. नमक कानून उल्लंघन करके स्वयं द्वारा नमक बनाया।

प्रश्न 46 भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का विवरण दीजिए।

उत्तर- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन को ले जाने वाली घटनाएँ-1941 ई० के अंत में अंग्रेज़ों और जापानियों में आपसी लड़ाई प्रारम्भ हो गई। जापान ने शीघ्र ही फिलीपीन्स, इण्डो-चीन, मलाया और बर्मा आदि पर अधिकार कर लिया और इस प्रकार लड़ाई भारत के दरवाजे पर आ खड़ी हुई। क्योंकि उस समय भारत अंग्रेज़ों के अधीन था इसलिए ऐसा भव पैदा हो गया कि जापान भारत पर भी अवश्य आक्रमण करेगा। भारत को जापानी आक्रमण से बचाने के लिए महात्मा गाँधी के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अपनी बम्बई की एक बैठक में ‘भारत छोड़ो’ (Quit India) प्रस्ताव को पास किया। महात्मा गाँधी सहित बहुत से भारतीय नेताओं का ऐसा विचार था कि यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ जाएँगे तो भारत जापानियों के आक्रमण से बच सकता है। बम्बई की बैठक में यह निश्चित किया गया कि भारतीय पूर्ण स्वतन्त्रता से कम किसी भी चीज़ से संतुष्ट नहीं होंगे।

        परन्तु कांग्रेस द्वारा आंदोलन शुरू करने से पहले ही अंग्रेज़ी सरकार ने जोरदार चोट की और 9 अगस्त की सुबह को महात्मा गाँधी और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। इस घटना से सारा देश भौंचक्का-सा रह गया। किसी नेतृत्व के अभाव में लोगों ने रेलवे स्टेशनों, डाकखानों, थानों आदि पर आक्रमण किए और अनेक इमारतों को जला दिया। कई स्थानों पर सामानान्तर सरकारें भी स्थापित हो गयीं। परन्तु सरकार ने भी अपना दमन-चक्र तेज कर दिया और अनेक लोगों को जेल में भेज दिया। ऐसा विश्वास है कि पुलिस और सेना की गोलियों से 10,000 से भी अधिक लोग मौत का शिकार हुए भारत 1857 ई० के बाद इतना घोर दमन पहले कभी नहीं हुआ था। अंत में चाहे सरकार 1942 ई० के इस आंदोलन को कुचलने असफल हो गयी परन्तु इस आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि राष्ट्रीय भावना देश के कोने-कोने में व्याप्त है और बलिदान देने के लिए तैयार है।

भारत छोड़ो आंदोलन का राष्ट्रीय आंदोलन पर प्रभाव या यह आंदोलन कहाँ तक सफल रहा ?- निस्संदेह ब्रिटिश सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध की परिस्थितियों को देखते हुए भारत छोड़ो आंदोलन को दबानरे का हर संभव प्रयत्न किया परन्तु लोगों ने भी और ज़ोर से ब्रिटिश सरकार के अत्याचारों का विरोध किया। वे खुले विद्रोह पर उतर आये। उन्होंने सरकारी सम्पत्ति को बड़ी हानि पहुँचाई। ऐसे कार्यों से लोगों के धैर्य और स्वतन्त्रता के प्रति दृढ़ निश्चय का पूर्ण परिचय मिलता है। वे अत्याचारों की परवाह न करते हुए स्वतन्त्रता की ओर आगे बढ़ने लगे।

   ब्रिटिश सरकार भारतीयों के इस उत्साह और दृढ़ निश्चय को देखकर काफी घबरा गई और सोचने को मजबूर हुई कि भारत में अब उनके दिन गिने-चुने रहे गये हैं। 

प्रश्न 47. अंग्रेज़ों ने (1945 ई०) के बाद किन कारणों से भारत के प्रति अपना रुख बदला ?

उत्तर-1945 के बाद या दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात् भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को अनेक आंतरिक तथा बाह्य तयों के कारण बड़ा प्रोत्साहन मिला। देखते ही देखते अंग्रेजों की भारत के प्रति नीति में परिवर्तन दृष्टिगोचर होने लगा इस सारे परिवर्तन के मुख्य कारण या पक्ष निम्नलिखित थे-

  1. द्वितीय विश्व युद्ध ने विश्व में शक्ति-संतुलन को बदल दिया। इंगलैंड युद्ध के बाद अब विश्व की एक महान शक्ति न रह सका। यह स्थान यू०एस०ए० एवं रूस ने ले लिया।
  2. युद्ध के बाद उभरने वाली नयी शक्तियों ने जैसे यू०एस०ए० तथा रूस आदि ने भारत को स्वतन्त्रता दिए जाने को माँग का समर्थन किया। 
  3. ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन होने से लेबर पार्टी की नयाँ सरकार बनी इस नयी सरकार के अनेक सदस्यों ने सत्ता संभालने से पहले कांग्रेस की मांगों का समर्थन किया था।
  4. भारतीय जनता का स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए विश्वासपूर्ण और कृतसंकल्प मनोभाव सरकार के सामने अब तक स्पष्ट हो चुका था। लीग विदेशी शासन को और अधिक सहन करने को तैयार नहीं थे 
  5. नौसैनिकों के विद्रोह ने सिद्ध कर दिया कि राष्ट्रवादी आंदोलन भारतीय सेना में भी प्रवेश कर चुका है।
  6. देश में होने वाली व्यापक हड़तालों ने भी भारतीय जनता, विशेषकर किसान तथा मजदूर वर्ग के बीच पायी जाने वाली अशांति एवं असंतोष को स्पष्ट कर दिया।

प्रश्न 48  सविनय अवज्ञा आंदोलन में व्यवसाई वर्ग की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।  अथवा 

सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों द्वारा अपनाए गए रुख को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-जैसा कि पहले कहा गया है कि विदेशी शासन ने भारतीय समाज के हर वर्ग के लोगों की मुसीबतों को बढ़ा दिया, इनमें व्यापारी और उद्योगपति भी थे। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में आगे बढ़कर भाग लिया जिसके कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित है

  1. व्यापारियों और उद्योगपतियों ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में इसलिए भाग लिया क्योंकि वे औपनिवेशिक नीतियों के विरुद्ध थे जिसने उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट डाल दी थी।
  2. वे सरकार की आयात नीति के भी विरुद्ध थे। वे अपने उद्योगों को बचाने के लिए विदेशी वस्तुओं के आयात पर रोक लगाना चाहते थे जिसके लिए अंग्रेज़ी सरकार तैयार न थी।
  3. बहुत से व्यापारियों और उद्योगपतियों का यह विचार था कि सविनय अवज्ञा आंदोलन के परिणामस्वरूप उन्हें विदेशी नियंत्रण से मुक्ति मिल जाएगी और उनकी व्यावसायिक गतिविधियों पर कोई रोक नहीं होगी। ऐसे में उनके उद्योग पनपते रहेंगे और परिणामस्वरूप उनका जीवन सुखमय बन जाएगा।
  4. जी०डी० बिरला (G.D. Birla) जैसे उद्योगपतियों ने स्वतन्त्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी जैसे राष्ट्रीय नेताओं को अनेक प्रकार से सहायता की, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को बड़ी तीव्रता मिली।

स्त्रोत आधारित प्रश्न 1:-

जनवरी 1921 में असहयोग आंदोलन के शुरू होने के बाद इस आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने अपनी अपनी आकांक्षाओं के साथ भाग लिया। सभी ने स्वराज के आवाहन को स्वीकार तो किया लेकिन उनके लिए उसके अर्थ अलग-अलग थे आंदोलन की शुरुआत शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई । हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल कॉलेज छोड़ दिए हेड मास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बंद कर दिया। ज्यादातर प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया, विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई जाने लगी | 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया था. उसकी कीमत 102 करोड़ से घटकर 57 करोड़ रह गई। बहुत सारे स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने से इंकार कर दिया और लोग आयातित कपड़ों को छोड़कर केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे । परिणाम स्वरूप भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघा का उत्पादन भी बढ़ने लगा। कुछ समय बाद शहरों में यह आंदोलन धीमा पड़ने लगा। खादी का कपड़ा मिलों में भारी पैमाने पर बनाने वाले कपड़ों के मुकाबले प्राय महंगा होता था और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे। ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से समस्या पैदा हो गई। वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना तेजी से नहीं हो पाई। फल स्वरूप विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे और वकील दोबारा सरकारी अदालतों में जाने लगे।

  • प्रश्न असहयोग आंदोलन की शुरुआतकिस वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई ? 
  • प्रश्न- विदेशी वस्तुओं के आयात पर असहयोग आंदोलन का क्या प्रभाव पड़ा ? 
  • प्रश्न- भारतीय कपड़ा मिलों और हथकरघा का उत्पादन बढ़ने का क्या कारण था ? 
  • प्रश्न असहयोग आंदोलन धीमा क्यों पड़ा ?

स्त्रोत आधारित प्रश्न 2:-

सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों की भागीदारी गांव में संपन्न किसान समुदाय जैसे गुजरात के पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे। उन्होंने अपने समुदायों को एकजुट किया और कई बार अनिश्चित सदस्यों को बहिष्कार के लिए मजबूर किया स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ी थी | दूसरी तरफ गरीब किसान चाहते थे कि उन्हें जमीदारों को जो भाडा चुकाना पड़ता है उसे माफ कर दिया जाए। उन्होंने कई रेडिकल आंदोलनों में हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व अक्सर समाजवादियों और कम्युनिस्टों के हाथों में होता था भारतीय उद्योगपतियों ने आंदोलन को आर्थिक सहायता दी और आयातित वस्तुओं को खरीदने वह बेचने से इंकार कर दिया ज्यादातर व्यवसाई स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे, जहां कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियां नहीं होंगी और व्यापार और उद्योग निर्बाध ढंग से फले फूल सकेंगे। औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में नागपुर क्षेत्र के अलावा कहीं भी बहुत बड़ी संख्या में हिस्सा नहीं लिया। लेकिन कुछ मजदूरों ने आंदोलन में हिस्सा लिया। उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार जैसे, कुछ गांधीवादी विचारों को कम वेतन व खराब कार्य स्थितियों के खिलाफ अपनी लड़ाई से जोड़ लिया था। 1930 में रेलवे कामगारों की और, 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई। 1930 में छोटा नागपुर की खानों के हजारों मजदूरों ने गांधी टोपी पहनकर रैलियों और बहिष्कार अभियानों में हिस्सा लिया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने जुलूस में हिस्सा लिया, नमक विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों की पिकेटिंग की।

  • प्रश्न किसानों के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने का मुख्य कारण क्या था ? 
  • प्रश्न-व्यवसाई वर्ग ने सविनय अवजा आंदोलन में भाग क्यों लिया ? 
  • प्रश्न-मजदूर वर्ग के सविनय अवज्ञा आंदोलन में जुड़ने का मुख्य कारण क्या था ?
मानचित्र कार्य

केवल पहचानने और चिन्हित करने के लिए

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का अधिवेशन

  1. कलकत्ता (सितम्बर 1920)
  2. नागपुर (दिसम्बर 1920)
  3. मद्रास (1927)

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के महत्वपूर्ण केन्द्रः असहयोग आंदोलन और सविनय-अवज्ञा आंदोलन

  1. चम्पारन बिहार- नील किसानों का आंदो
  2. खेड़ा (गुजरात)- किसान सत्याग्रह
  3. अहमदाबाद (गुजरात) -सूती वस्त्र मिल मजदूरों का सत्याग्रह
  4. अमृतसर (पंजाब) – जलियाँवाला बाग हत्याकांड
  5. चौरी-चौरा (उत्तर-प्रदेश)- असहयोग आंदोलन को समाप्त करना।
  6. डांडी (गुजरात) – सविनय अवज्ञा आंदोलन

इतिहास पाठ 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से इतिहास का पाठ 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है।

माइंड मैप

अभ्यास के प्रश्न 

प्रश्न 1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।

उत्तर : (i) चीन से सिल्क         (ii) अमेरिका से अनाज व खनिज।

प्रश्न 2. बताएँ कि पूर्व – आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ।

उत्तर : पूर्व-आधुनिक विश्व में बिमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में निम्न प्रकार से मदद की। 

  • 1.16वीं सदी के आते आते पुर्तगाली और स्पेनिश लोगों ने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।
  • 2. उन्होंने यह कार्य परंपरागत हथियारों से नहीं बल्कि चेचक जैसे कीटाणुओं के हमले से किया।
  • 3. लोगों में इस बीमारी से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं थी।
  • 4. जबकि यूरोपियन सेना के लोगों में इस बीमारी से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो चुकी थी।
  • 5. यह बीमारी पूरे अमेरिकी महाद्वीप में फैल गई थी ।
  • 6. इसने यूरोपियन सेना का काम बहुत ही आसान कर दिया था

प्रश्न 3. निम्नलिखित वेफ प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें: 

  • (क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला। 
  • (ख) अफ्रीका में रिडरपेस्ट का आना।
  • (ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौतें ।
  • (घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव। 
  • (ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।

उत्तर :

(क) कॉर्न लॉ के समाप्त होने के बाद ब्रिटेन में बहुत ही कम कीमत पर खाद्य पदार्थ आयात होने लगे। इन पदार्थों की कीमत वहां के स्थानीय खाद्य पदार्थों से काफी कम थी। परिणामस्वरूप वहां के किसानों की हालत बिगड़ने लगी। वे बाहर से आने वाले माल का मुकाबला नहीं कर सकते थे। जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए।  गांव के गांव उजड़ गए। 

  • (ख)1. अफ्रीकी महाद्वीप में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी 1890 के आसपास फैल गई। 
  • 2.यह पशुओं में प्लेग की तरह फैलने वाली एक बीमारी थी।
  • 3. इससे लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा।
  • (ग) 1. इस विश्व युद्ध में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों और रासायनिक हथियारों के बल पर लड़ा गया।
  • 2. इस युद्ध में करीब 90 लाख लोग मारे गए थे तथा 2 करोड़ लोग घायल हुए।
  • 3. इनमें से ज्यादातर लोग कामकाजी उम्र के थे ।
  • 4. इस महायुद्ध के कारण यूरोप में काम करने वाले लोगों की संख्या काफी घट गई।
  • 5. ऐसी स्थिति में परिवार की महिलाओं को काम करने के लिए आगे आना पड़ा।।
  • (घ) 1. महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। 
  • 2. सन् 1928 और 1934 के बीच देश का आयात निर्यात घटकर लगभग आधा रह गया था। 
  • 3. अंतरराष्ट्रीय बाजार में वस्तुओं की कीमतें काफी नीचे आ गई थी। 
  • 4. भारत के गेहूं की कीमत 50% गिर गई थी। 
  • 5. जूट से बनी टाट की बोरियों का निर्यात बंद हो गया था।
  • 6. ज्यादातर लोग कर्ज चुकाने में असमर्थ हो गए थे।
  • (ङ) 1.बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला किया। 
  • 2. क्योंकि अब  विकासशील देश भी अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से कर्ज ले सकते थे।
  • 3. ज्यादातर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर भारी भरकम आयात शुल्क वसूल करने लगी थीं। 
  • 4. अत: बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कारखाने उन्ही देशों में लगाने लगा गई जहां वे अपना सामान बेचना चाहते थे।
  • 5. एशियाई देशों में सस्ते मजदूर मिल जाते थे इसलिए कंपनियां अपने कारखाने एशिया की तरफ स्थानांतरित करने लग गई। 

प्रश्न 4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।

उत्तर: (i) यातायात और परिवहन के साधनों में बहुत सुधार हुआ। तेज चलने वाली रेलगाड़ियां बनी। समुद्री जहाजों का आकार बढ़ाया गया। जिससे खाद्य उत्पादों की उपलब्धता बढ़ने लगी।

(ii) पहले अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे, जिन्हें यूरोप ले जाकर काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे लंबे सफर में मर जाते थे। बहुतों का वजन गिर जाता था या वे खाने लायक नहीं रहते थे। इसलिए मांस खाना एक महँगा सौदा था। नई तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई, जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लंबी यात्राओं पर ले जाया । जा सकता था। अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सब जगह से जानवरों की बजाए उनका मांस ही यूरोप भेजा जाने लगा। 

प्रश्न 5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?

उत्तर: ब्रेटन वुड्स समझौता जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए। इस समझौते के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(आई.एम.एफ.) और अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक(विश्व बैंक) का गठन किया गया। इन संस्थानों का कार्य सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटना था।  

चर्चा करें

प्रश्न 6. कल्पना कीजिए की आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।

उत्तर:- मान लिजिए कि मैं कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाला एक गिरमिटिया मजदूर हूं। मैंने अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखा

पूज्य पिताजी, 

सबसे पहले आपको चरण स्पर्श। मैं यहाँ पर ठीक हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब भी ठीक होंगे। यहाँ के हालात अच्छे नहीं हैं। मुझसे अनजाने में अनुबंध पर हस्ताक्षर करवा लिए गए। जिसके अनुसार मैं बीच में कुछ दिनों के लिए आपसे मिलने भी नहीं आ सकता।  यहाँ मेरे साथ बुरा बर्ताव किया जाता है। कोई यहाँ शिकायत सुनने वाला भी नहीं है। मुझे यहां अच्छा खाना भी नहीं दिया जा रहा है। मैं वापस अपने घर आना चाहता हूँ। फिलहाल मैं आपको कुछ पैसे भेज रहा हूं। ये पैसे कम हैं क्योंकि पिछले कुछ दिन बीमार होने के कारण काम नहीं कर सका जिससे मेरे पैसे कट गए और मुझे कम वेतन मिला। पत्र का जवाब शीघ्र देना। अधिक चिंता मत करना। 

आपका पुत्र

_______

प्रश्न 7. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके •बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर:- अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियां या प्रवाह हुए।

  • 1. वस्तुओं का प्रवाह:- सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में वस्तुओं का प्रवाह होने लगा। एक देश दूसरे देशों में कपड़ा अन्न व खाद्य पदार्थों का व्यापार करने लगे। 
  • 2. श्रम का प्रवाह:- दूसरा अंतरराष्ट्रीय प्रवाह श्रम का था। लोग या तो स्वयं काम की तलाश में दूसरे देशों में जाने लगे या दास बनाकर दूसरे देशों में भेजा जाने लगा। 
  • 3. पूँजी का प्रवाह:-तीसरा प्रवाह पूँजी का होता था। पूंजी का अंतरराष्ट्रीय प्रवाह कर्ज के रूप में और निवेश के रूप में होने लगा।  

भारत से तीन प्रवाहों के उदाहरण

  • 1. वस्तुओं के प्रवाह के उदाहरण भारत में प्राचीन काल से ही मिलते हैं। भारत से मसाले, कपास आदि विदेशों में जाते थे तथा वहाँ से कपड़े वह अन्य चीजें आते थे।
  • 2. भारत से बहुत से कामगार विदेशों में  काम करने के लिए जाते थे।
  • 3. बहुत से देशों ने भारत में पूँजी का निवेश किया। अंग्रेजों ने अनेक कंपनियाँ खोली और रेलवे को स्थापित किया।

प्रश्न 8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें। 

उत्तर:- आर्थिक महामंदी की शुरूआत 1929 में हुई थी। इस मंदी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे।

  • 1. कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादन होने के कारण कृषि उत्पादों की कीमतें लगातार गिरने लगी। गिरती कीमतों के कारण किसानों की आय घटने लगी। आय को बढ़ाने के लिए वे ज्यादा उत्पादन करने लगे। इससे कीमतें और गिरने लगी। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज पड़ी पड़ी सड़ने लगी।
  • 2. 1920 के दशक बहुत से देशों ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी जरूरतों को पूरा किया था। हालात खराब होने अमेरिका ने सबको कर्ज चुकाने के लिए कहा। जो देश अमेरिकी कर्ज पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट खड़ा हो गया।
  • 3. अमेरीकी पूंजी के लौटने का पूरी दुनिया पर असर पड़ा। यूरोप में बड़े बड़े बैंक धराशायी हो गये। कई देशों की मुद्रा की कीमत बुरी तरह गिर गई। इससे ब्रिटिश पाउंड भी नहीं बच पाया। 
  • 4. अमेरिका ने इस महामंदी से बचने के लिए आयात शुल्क दोगुना कर दिया। इससे विदेशी व्यापार ठप्प हो गया।
  • 5. अमेरिकी बैंकों ने घरेलू कर्ज़ देना बंद कर दिया। इससे स्थानीय व्यापार तबाह होने लगा।

प्रश्न 9. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें। 

उत्तर:-जी-77 उन विकासशील देशों का समुह था जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए थे किंतु 50 व 60 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। अपनी अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और अपना एक संगठन बनाया जिसे जी- 77 के नाम दिया गया।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक को ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतान माना जाता है।इन दोनों संस्थानों ने  केवल विकसित देशों के हित में काम किया। विकासशील देशों को इसका कोई लाभ नहीं हुआ। प्रतिक्रिया स्वरूप विकासशील देशों ने जी- 77 संगठन बनाया। 

अतिरिक्त प्रश्न बैंक 

1 अंक के प्रश्न :

प्रश्न 1. दक्षिणी अमेरिका में एल डोराडो क्या है ?

उत्तर: किंवदंतियों के अनुसार सोने का शहर।

प्रश्न 2. मित्र राष्ट्रों में शामिल देशों का नाम बताइए

उत्तर: ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ।

प्रश्न 3. धुरी राष्ट्र किन्हें कहा जाता है।

उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध का दूसरा पक्ष – जर्मनी, जापान और इटली को धुरी राष्ट्र कहा जाता है।

प्रश्न 4. उपनिवेशवाद क्या हैं ?

उत्तर : उपनिवेशवाद वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश को हर उचित एवं अनुचित तरीके से अपने अधीन लाने का प्रयत्न करते हैं और शासन करते हैं।

प्रश्न 5. भारत 1947 तक किस देश का उपनिवेश रहा ?

उत्तर : ब्रिटेन का ।

प्रश्न 6. लगभग 500 साल पहले किस फसल के बारे में हमारे पूर्वजों को ज्ञान नहीं था।

उत्तर : आलू ।

प्रश्न 7. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म कैसे हुआ ?

उत्तर: सन् 1944 में ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ। 

प्रश्न 8. सयुक्त राष्ट्र के किन दो संस्थाओं को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संताने कहा जाता हैं ?

उत्तर : 1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 2. विश्व बैंक

प्रश्न 9. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने औपचारिक रूप से कब काम करना शुय किया ?

उत्तर : सन् 1947 में ।

प्रश्न 10. कौन से दो अविष्कारों ने 19 वीं सदी के विश्व में परिवर्तन किया ?

उत्तर : (i) भाप इंजन  (ii) रेल

प्रश्न 11. किस देश के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष | (International Monetory Fund) और विश्व बैंक (World Bank) में वीटो का प्रभावशाली अधिकार है ?

उत्तर: संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 12. 1928 से 1934 के बीच भारत में गेंहूँ की कीमत 50 प्रतिशत तक क्यों गिर गई ?

उत्तर: महामंदी के कारण।

प्रश्न 13. अमेरिका महाद्वीप की खोज किसने की ?

उत्तर: क्रिस्टोफर कोलंबस ने।

प्रश्न 14. उस यूरोपीय देश का नाम लिखों, जिसने अमेरिका पर विजय प्राप्त की ?

उत्तर: स्पेन ने ।

3 अंक के प्रश्न :

प्रश्न 1. वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कौन कौन से कारक हैं ?

अथवा 

भूमंडलीकृत विश्व के बनने में मदद देने वाले कोई तीन कारक बताइए।

उत्तर : वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले निम्नलिखित कारक हैं:

(i) व्यापार

(ii) काम की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते लोग ।

(iii) पूँजी या सेवाओं का वैश्वीक स्तर पर आवाजाही ।

प्रश्न 2. वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन करो। 

उत्तर : वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित

(i) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पारस्पारिक रूप में एक दूसरे पर र्निभर हो जाते हैं।

(ii) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश एक दूसरे की सेवाए ले या दे सकता हैं।

प्रश्न 3. औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर: औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :

(i) आयात शुल्क के कारण ब्रिटेन में भारतीय कपास के आयात में तेजी से कमी आई। 

(ii) भारतीय वस्त्रों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। 

(iii) बाद में निर्माण किए गए सूती उत्पादों के निर्यात में कमी आने के पश्चात् ब्रिटिश निर्माताओं ने बहुत ही सस्ती कीमत पर भारत से कपास का आयात आरंभ कर दिया

प्रश्न 4. ओद्यौगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर : ओद्यौगिक क्रांति वह क्रांति जिसमें कारखानों के विकास के साथ साथ औद्योगिक उत्पादन में बेहतसा वृद्धि हुई और अंर्तराष्ट्रीय बाजार में बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा जिसे आद्यौगिक क्रांति के नाम से जाना गया ।

प्रश्न 5. अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद विश्व में क्या बदलाव हुए? तीन उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर: अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद अमेरिका विश्व से सीधे जुड़ गया 

(i) आलू का इस्तेमाल शुरू करने पर यूरोप के गरीबों की जिंदगी में बदलाव आया उनका भोजन बेहतर हो गया और औसत उम्र बढ़ गई।

(ii) अफ्रीका से गुलामों का व्यापार शुरू हो गया। 

(iii) यूरोप में धार्मिक टकराव होते रहते थे इसलिए बहुत से लोग यूरोप से भाग कर अमेरिका चले गए।

प्रश्न 6. व्यापार अधिशेष से क्या अभिप्राय है ? भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में क्यों रहा ?

उत्तर: जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे व्यापार अधिशेष कहा जाता है। भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में होने के निम्न कारण थे

(i) 19वीं शताब्दी में भारतीय बाजारों में ब्रिटेन के बने माल की अधिकता हो गई थी।

(ii) भारत से ब्रिटेन और शेष विश्व को भेजे जाने वाले खाद्यान्न व कच्चे मालों के निर्यात में इजाफा हुआ।

(iii) भारतीय निर्यात पर औपनिवेशिक शासन द्वारा निर्यात शुल्क लगा दिए जाने से भारतीय माल की कीमत विदेशों में अधिक हो जाती थी जबकि ब्रिटेन से भारत में आने वाली वस्तुओं पर कोई शुल्क नहीं होता था जिससे ब्रिटेन हमेशा व्यापार अधिशेष की अवस्था में रहता था।

प्रश्न 7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह कौन-कौन से है ? वर्णन कीजिए ।

उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह निम्नलिखित हैं

(i) व्यापार का प्रवाह शुरू से ही व्यापार में कपड़ों और गेंहू के व्यापार से प्रवाह होता रहता था

(ii) श्रम का प्रवाह लोग रोजगार की तलाश में एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाते रहते हैं।

(iii) पूँजी का प्रवाह इस प्रकार का प्रवाह जिसमें – अल्प या दीर्घ अवधि के लिए पूँजी का निवेश दुसरे देशों में होता आया है।

प्रश्न 8. अमेरिका के आदिवासियों के लिए किस बीमारी के कीटाणु सबसे भयंकर सिद्ध हुए?

उत्तर: यूरोपीय लोगों ने अमेरिका को अपने सैनिक बल पर ही नहीं जीता वरन् उन चेचक के कीटाणुओं के कारण जीते जो स्पेन के सैनिक और अफसर अपने साथ ले गए थे। इनचेचक के कीटाणु के हमले से बहुत से अमेरिकी आदिवासी मौत के शिकार हुए। कहीं कहीं तो चेचक से समुदाय के समुदाय ही खत्म हो गए ।

5 अंक वाले प्रश्न:-

प्रश्न 1. अफीम युद्ध से आप क्या समझते हैं ? चीन पर अफीम युद्ध पर पड़े प्रभावों का वर्णन करो

उत्तर : जब 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए चीनियों पर अफीम को लादने का प्रयत्न किया तो दोनों पक्षों में आपसी युद्ध छिड़ गया जो इतिहास में अफीम युद्ध के नाम से प्रसिद्ध हैं।

अफीम युद्ध के चीन पर पड़े प्रभाव निम्नलिखित हैं:

(i) चीनियों का शारीरिक एवं नैतिक रूप से पतन हुआ था

(ii) चीनियों को हर्जाने के रूप में 5 बंदरगाह ब्रिटिश व्यापारियों के लिए खोलने पड़े।

(iii) बिना किसी अवधि के हांगकांग को ब्रिटेन को सौप दिया गया ।

(iv) अफीम के व्यापार का चीन पर बुरा प्रभाव पड़ा ।

(v) चीन वालो को अपना बहुत सा धन अँग्रजों को युद्धपूर्ति के रूप में देना पड़ा।

प्रश्न 2. वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या नए आयाम जोडे ?

उत्तर : वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था में निम्न नए आयाम जोडे । 

1. रोजगार के अवसर बढे

2. आर्थिक स्थिति सुदृढ हुई 

3. बेरोजगारी में कमी आई।

4. शिक्षा और तकनिकी में काफी सुधार हुआ।

5. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई ।

6. बहुत सी देशी और विदेशी कंपनियों को भारत में काम करने का मौका मिला। साख भी बढा

7. अर्थिक स्थिति के साथ साथ विदेशों में

8. विकास दर में वृद्धि हुई ।

प्रश्न 3. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसे कहते हैं ? इनकी स्थापना कब हुई और इनके चार लाभ लिखो ।

उत्तर: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं।

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ के चार लाभ निम्नलिखित हैं: 

(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढ़े और बेरोजगारी को कम किया।

(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशों से निकलने में काफी सहायता की ।

(ii) अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजीप्रवाह को प्रभावित किया 

(iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को गति प्रदान किया।

प्रश्न 4. वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर: सकारात्मक प्रभाव :

1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में का सृजन। 

2. विदेशी पूँजी निवेश को बढावा

3. रोजगार में वृद्धि । 

4. जीवन स्तर में सुधार।

5. भारतीय कंपनियों का बहुराष्ट्रिय कंपनियों के रूप में उदय। 

6. बजार में अनेक वस्तुओं की उपलब्धता।

नकारात्मक प्रभाव:

1. लघु और कुटीर उद्योगों पर बुरा प्रभाव। 

2. बजार में बढ़ती प्रतियोगिता से भारतीय उत्पादों की माँग कम । 

3. केवल शहरों तक सीमित ग्रामीण क्षेत्र में कम प्रभाव

4. केवल सूचना और संचार टेकनॉलॉजी एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र तक ही सीमित ।

प्रश्न 6. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी पर किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन करो ।

उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के तीन प्रभाव निम्नलिखित हैं:

1. इंग्लैंड में आने वाली औद्योगिक क्रांति जिसके कारण उसने भारत से सूती कपड़े का आयात करना बिल्कुल बंद कर दिया

2. भारतीय बाजारों में मशीनों दारा निर्मित सूती कपड़े की भरमार कर दी । 

3. अँग्रेजी कंपनी थोक में भारत से रूई तथा कपास खरीदकर दूसरे देश को भेज देती थी जिससे भारतीय बाजारों में अच्छे माल की कमी हो जाती थी ।

4. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारी उत्पादन कर लगा दिया। जाना । 

प्रश्न 7. महामंदी से क्या तात्पार्य हैं ? इसके कारणों की व्याख्या कीजिए ।

उत्तर : 1929 ई में समस्त संसार को एक भयंकर अधिक संकट में आ घेरा । यह संकट संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 में पैदा हुआ और देखते ही देखते यह 1931 तक पूरे विश्व में फैल गया महामंदी के निम्नलिखित कारण थे:

1. यह संकट औद्योगिक क्रांति के कारण आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण पैदा हुआ था।

2. अमेरिका में तैयार माल के इतने भंडार हो गए कि कोई उसके खरीददार नहीं रहा ।

3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण यूरोप के बर्बाद हुए देश अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था मे न थे

4. अमेरिका की शेयर एक्सचेंज मार्केट में शेयरों की गिरावट आ गई ।

प्रश्न 8. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किन्हें कहते हैं ? इन कंपनियों की स्थापना कब हुई ? इनके चार लाभ लिखो ।

उत्तर : बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियाँ को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशो में जाकर अपनी पँजी निवेश करते। हैं। वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं । इन कंपनियों से लाभ निम्नलिखित हैं:

1. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढ़े और बेरोजगारी की कमी हुई ।

2. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने निवासी चुगल से काफी सहायता की ।

3. अपनी उत्पादिक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्वासिक व्यापार और पँजी प्रवाह को प्रभावित किया ।

4. इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को प्रवाहित किया

प्रश्न 9. अमेरिका पर महामंदी का क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन कीजिए |

उत्तर : अमेरिका में महामंदी के कारण पैदा हुए विषम : प्रभाव निम्न हैं:

1. शेयर बाजार की कीमतों में गिरावट के कारण 1 लाख व्यापारियों को दिवाला निकाला गया ।

2. किसानों को लाभ में कमी आ गई।

3. कृषि मजदूरों की मजदूरी कम हो गई।

4. माल का कोई खरीददार न होने के कारण कारखाने बंद हो गए और हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए ।

प्रश्न 10. द्वितीय विश्व युद्ध के क्या परिणाम निकले ?

उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के निम्न परिणाम निकले: 

1. जानमाल की अपार हानि हुई जिसमें दोनों पक्षों के कोई 2.5 करोड़ से अधिक सैनिक मारे गए साथ ही साथ धन की अपार हानि हुई ।

2. हथियारों की हौड़ बढ़ गई, विश्व युद्ध के बाद भयानक हथियारों के निर्माण के लिए हौड़ सी लग गई। 

3. द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम जैसे भयानक हथियारों का प्रयोग किया गया जिससे कई तरह के भयंकर बीमारी उत्पन्न हुई।

4. संयुक्त राष्ट्र यंघ की स्थापना की गई मानव संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए प्रत्येक देश में शांति के लिए (UN) की स्थापना की गई यह भी द्वितीय विश्व युद्ध का ही परिणाम था । 

5. उपनिवेशवाद का अंत हो गया।

प्रश्न 11. प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत के आद्यौगिक उत्पादन में वृद्धि के क्या कारण थे ?

उत्तर प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत इंग्लैंड का उपनिवेश था। इंग्लैंड भी प्रथम विश्व युद्ध में शामिल था । इस युद्ध से भारत के लिए एक नयी स्थिति पैदा कर दी। और औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि हुई जिसके निम्न कारण थे:

1. ब्रिटिश कारखाने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए युद्ध संबधी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मेनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया जिससे भारतीय बाजारों को रातोंरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया । 

2. युद्ध लंबा खींचा तो भारतीय कारखाने में भी फौज के लिए समान बनाने के आर्डर आने लगे। 

3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में नए नए कारखाने लगाए गए और पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे

भूगोल पाठ 6 (विनिर्माण उद्योग)

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से भूगोल का पाठ 6 विनिर्माण उद्योग को डाउनलोड कर सकते हैं। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है।

विनिर्माण उद्योग माइंड मैप

  1. विनिर्माण
    1. विनिर्माण क्या है
    2. विनिर्माण के महत्व
    3. औद्योगिक अवस्थिति
  2. उद्योगों का वर्गीकरण
    1. कच्चे माल के आधार पर
      1. कृषि आधारित
      2. खनिज आधारित
    2. भूमिका के आधार पर
      1. आधारभूत उद्योग
      2. उपभोक्ता उद्योग
    3. पूंजी निवेश के आधार पर
      1. लघु उद्योग
      2. बड़े उद्योग
    4. स्वामित्व के आधार पर
      1. सार्वजनिक
      2. निजी
      3. संयुक्त
      4. सहकारी
  3. औद्योगिक प्रदूषण तथा पर्यावरण निम्नीकरण
    1. वायु प्रदूषण
    2. जल प्रदूषण
    3. तापीय प्रदूषण
    4. भूमि प्रदूषण
    5. ध्वनि प्रदूषण
  4. निम्नीकरण के रोकथाम

अभ्यास के प्रश्न

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

  • (i) निम्न में से कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?
  • (क) एल्यूमिनियम.                           (ख) चीनी (ग) सीमेंट                                         (घ) पटसन 
  • (ii) निम्न में से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाजार में उपलब्ध कराती है?
  • (क) हेल (HAIL).                            (ख) सेल (SAIL) (ग) टाटा स्टील (TATA STEEL).                 (घ) एमएनसीसी (MNCC)
  • (iii) निम्न में से कौन-सा उद्योग बॉक्साइट को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है?
  • (क) एल्यूमिनियम                       (ख) सीमेंट (ग) पटसन ।                              (घ) स्टील ।
  • (iv) निम्न में से कौन-सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते हैं?
  • (क) स्टील.                                (ख) एल्यूमिनियम (ग) इलेक्ट्रॉनिक.                      (घ) सूचना प्रौद्योगिकी।
  • उत्तर (i) (ग), (ii) (ख), (iii) (क), (iv) (घ) ।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

  • (i) विनिर्माण क्या है?
  • उत्तर कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पाद में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को वस्तु विनिर्माण कहते हैं, जैसे मिट्टी से टाइलें बनाना, कपास से सूती वस्त्र बनाना तथा लौह से उपकरण बनाना लोहा आदि। किसी भी देश जी आर्थिक उन्नति विनिर्माण उद्योगों के विकास से मापी जाती है ।
  • (ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ। 
  • उत्तर: उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले भौतिक कारक निम्नलिखित हैं-
  • (क) ऊर्जा संसाधन | (ख) कच्चे माल की उपलब्धता । (ग) अनुकूल जलवायु
  • (iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
  •  उत्तर औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्नलिखित हैं
  • (क) सस्ते मजदूर (ख) पूँजी (ग) परिवहन सुविधाएँ  (घ) बाजार
  • (iv) आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण देकर बताएँ।
  • उत्तर आधारभूत उद्योग वे उद्योग होते हैं जिनका तैयार माल दूसरे उद्योगों में प्रयुक्त होता है। जैसे-लोहा इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, क्योंकि इससे उत्पादित लौहा अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग होता है। इन उद्योगों की मशीनें भी इसी लौह से बनती है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

  • (i) संकलित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है?
  • उत्तर  संकलित इस्पात उद्योग ऐसे संयंत्र है जिसमें माल से लेकर इस्पात बनाने तक की सारी क्रियाएँ एक जगह होती है। ये मिनी इस्पात उद्योगों से बिल्कूल भिन्न है। मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र हैं जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। ये हल्के स्टील या निर्धारित अनुपात के मृदु व मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।
  • इस उद्योग के सामने कई समस्याएँ हैं
  • 1.उच्च लागत  2. कम श्रमिक उत्पादकता 3. अनियमित ऊर्जा आपूर्ति 4.अविकसित अवसंरचना
  • इस उद्योग में निम्नलिखित सुधारों के अंतर्गत उत्पादन क्षमता बढ़ी है।
  • निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयास से सुधार हुआ।
  • उदारीकरण से इस उद्योग को बढ़ावा मिला।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से भी इस्पात उद्योग में सुधार हुआ है।
  • (ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं? 
  • उत्तर उद्योग पर्यावरण को निम्न प्रकार से प्रदूषित करते हैं-
  • वायु प्रदूषण -उद्योगों से निकलने वाली जहरीली गैसें वायुमंडल में मिलकर वायु को प्रदूषित करती।
  • जल प्रदूषण कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को नदियों में छोड़ने से जल प्रदूषण होता है। ये उद्योग पानी में कार्बनिक पदार्थ, रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण तथा भारी धातुएँ; जैसे-सीसा, पारा, उर्वरक तथा रबर सहित कृत्रिम रसायन जल में वाहित करते हैं।
  • भूमि प्रदूषण फैक्ट्रियों से निकलने वाले विषैले पदार्थ और धातुयुक्त कूड़ा कचरा भूमि और मिट्टी को भी प्रदूषित करता है। जब विषैला पानी किसी भी स्थान पर बहुत समय तक खड़ा रहता है तो वह भूमि के क्षरण का एक बड़ा कारण सिद्ध होता है।
  • ध्वनि प्रदूषण औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी तथा विद्युत ड्रिल ध्वनि प्रदूषण को फैलाते हैं।
  •  तापीय प्रदूषण जब उद्योगों से यात्रा पत्रों से गर्म जाने को नदियों में छोड़ दिया जाता है तो तापीय प्रदूषण होता है इसी प्रकार उद्योगों से निकलने वाला गरम हुआ वायुमंडल में भी तापीय प्रदूषण करता है।
  • (iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें।
  • उत्तर उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए गए हैं
  • फैक्ट्रियों से निकलने वाले अपशिष्ट जल को नदियों में छोड़ने से पहले उसको शोधित करना चाहिए जिससे जल प्रदूषित न हो।
  • कारखानों की चिमनियां ऊंची करना चाहिए। चिमनियों में फिल्टर लगाना चाहिए।
  • फैक्ट्रियों में कोयले की जगह विद्युत ऊर्जा का प्रयोग करना चाहिए। 
  • ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए जेनरेटरों में साईलेंसर लगाना चाहिए।
  • ऐसी मशीनों का प्रयोग किया जाए जो कम ध्वनि प्रदूषण करें। ध्वनि अवशोषित करने वाले उपकरणों के इस्तेमाल करने चाहिए।
  •  जिन स्थानों पर भूमिगत जलस्तर निम्न है वहाँ पर उघोगो द्वारा ज्यादा जल के निष्कासन पर प्रतिबन्ध होना चाहिए ।

अतिरिक्त प्रश्न बैंक (विनिर्माण उद्योग)

दो अंक वाले प्रश्न:-

  • प्रश्न-1 भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का एक विशेष स्थान क्यों है?
  • उत्तर- बस्त्र उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान है क्योंकि यह औद्योगिक उत्पादन में 148 योगदान देता है।
  • प्रश्न-2 उद्योग का रोजगार सृजन में क्या योगदान है?
  • उत्तर-उद्योग प्रत्यक्ष तौर पर 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है। 
  • प्रश्न-3 प्राचीन भारत में सूती बरख कैसे तैयार किए जाते थे?
  • उत्तर- प्राचीन भारत में सूती व हाथ से कताई व हथकरघा बुनाई तकनीक में सूती वस्त्र तैयार किए जाते थे।
  • प्रश्न-4 पिछले कुछ वर्षों में चीनी मिलों की संख्या दक्षिण पश्चिम के राज्यों में क्यों नहीं है?
  • उत्तर- चीनी उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु का होना। वहाँ के गले में सुक्रोज की अधिक मात्रा का होना।
  • दक्षिणी पश्चिमी राज्यों विशेष महाराष्ट्र में सफल सहकारी समितियों का होना आदि कारणों से चीनी मिलों की संख्या बड़ी है।
  • प्रश्न-5 उपनिवेश काल में पारंपरिक सूती वस्र उद्योग के समाप्त होने के दो कारण बताइए
  • उत्तर -1.औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश राज की व्यापारिक नीतियां भेदभावपूर्ण थी।
  • 2. ब्रिटिश उद्योग मशीनों द्वारा जो कपड़े तैयार करते थे, वे सस्ते मजबूत से और भारतीय सूती बस्त्र इनसे प्रतियोगिता नहीं कर पाते थे।
  • प्रश्न 6-भारत में पटमन उद्योग हुगली नदी के तट पर क्यों केंद्रित है?
  • उत्तर – 1.पटसन उद्योग के लिए अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है जो हनी नदी से मिल जाता है।
  • 2.जूट उत्पादित क्षेत्रों का नजदीक होना।
  • 3.पश्चिम बंगाल व पड़ोसी राज्यों में मस्ते श्रमिकों की प्राप्ति ।
  • प्रश्न 7-नागपुर पठार क्षेत्र में लौह-इस्पात उद्योगों के केन्द्रित होने के क्या कारण है? 
  • उत्तर-अच्छे ग्रेड के लौह अयस्क की उपलब्धता, ऊर्जा संसाधन के रूप में कोयले के नजदीकी भंडार, सस्ते श्रम की उपलब्धता व परिवहन की सुविधाओं का विस्तार होने की वजह से छोटा नागपुर पठार क्षेत्र लौह-त उद्योगों के केन्द्रित होने का कारण है।
  • प्रश्न 8 उद्योगों द्वारा फैलाए जाने वाले विभिन्न प्रदूषणों का विवरण दें?
  • उत्तर–
  • वायु प्रदूषण- उद्योगों से निकलने वाला धुआं हवा को प्रदूषित करता है।
  • जल प्रदूषण- उद्योगों द्वारा छोड़े जाने वाले रसायन द्वारा जल को प्रदुषित किया जाता है।
  • ध्वनि प्रदूषण- उद्योगों द्वारा अत्यधिक मात्रा में शोर किए जाने के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है।
  • तापीय प्रदूषण- उद्योगों द्वारा छोड़े जाने वाले गंदे व गर्म पानी की वजह से तापीय प्रदूषण फैलता है। 
  • प्रश्न 9. सीमेट उद्योग के बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • उत्तर:- सीमेंट का प्रयोग निर्माण कार्यों में जैसे घर, कारखाने, पुल, सड़के, हवाई अड्डा तथा अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के निर्माण हेतु किया जाता है। सीमेंट निर्माण में चूना पत्थर सिलिका और जिप्सम, कोयला और विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। भारत का पहला सीमेंट उद्योग सन् 1904 में चेन्नई में लगाया गया। इस उद्योग की इकाइयां गुजरात में लगाई गई है क्योंकि यहां से इसे खाड़ी के देशों में आसानी से निर्यात किया जा सकता है, जहां इसकी मांग अधिक है।
  • प्रश्न10- सार्वजनिक और निजी उद्योगों में अंतर स्पष्ट करें ?
  • उत्तर- जिन उद्योगों का स्वामित्व व संचालन सरकार द्वारा किया जाता है उन्हें सार्वजनिक उद्योग कहते हैं जैसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड।
  • जिन उद्योगों का स्वामित्व व संचालन निजी व्यक्तियों या संस्थाओं द्वारा किया जाता है उन्हें निजी उद्योग कहते हैं जैसे- टाटा स्टील,बजाज,रिलायंस उद्योग
  • प्रश्न 11 बहुत उद्योग व लघु उद्योग में अंतर बताइए ?
  • उत्तर- वे उद्योग जिनमें अधिक मात्रा में श्रमिक लगाकर बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है तथा इनमें निवेश ३ करोड़ से ज्यादा होता है, बृहत उद्योग कहलाते है।
  • जबकि जिन उद्योगों में कम श्रमिकों की सहायता से लघु स्तर पर उत्पादन होता है तथा निवेश की अधिकतम सीमा : करोड़ से कम होती है लघु उद्योग कहलाते हैं।
  • प्रथ-12 भारत में जूट उद्योगों के सामने किस तरह की चुनौतियां है? 
  • उत्तर–
  • बांग्लादेश, ब्राजील, थाईलैंड जैसे देशों से कड़ी प्रतियोगिता का होना।
  • कृत्रिम रेशों का जूट के विकल्प के रूप में प्रयोग होना।।
  • उच्च उत्पादन लागत की वजह से मांग में कमी का होना।
  • प्रथ-13 उद्योगों के कारण पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु सुझाव बताएं।
  • उत्तर:-उद्योगों के कारण पर्यावरणीय निम्नीकरण की रोकथाम हेतु सुझाव निम्न है-
  • विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग
  • जल को दो या दो अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण ।
  •  वर्षा जल संचयन
  • नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पहले उनका शोधन करना। जैसे:
    1. .यांत्रिक क्रियाओं द्वारा प्रथम शोधन 
    2. जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीय शोधन।
    3. जैविक रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीय शोधन ।
  • प्रश्न-14 भारत में सूती उद्योग के सामने कौन कौन सी समस्याएं है?
  • उत्तर-सूती वस्त्र उद्योग के द्वारा पुरानी व परंपरागत तकनीकों का प्रयोग। स की पैदावार का नाम होना। नई मशीनरी का अभाव तथा कृषिम वस्त्र उद्योग से प्रतिस्पर्धा का होना। 
  • प्रश्न-15 चीनी मिलों को गन्ना उत्पादन क्षेत्रों के पास क्यों लगाया जाता है?
  • उत्तर- गया एक भारी उत्पाद होता है जिसे लंबी दूरी तक के परिवहन में समस्याएं आती है तथा गन्ना जल्द खराब होने वाला पदार्थ है और इसमें सुक्रोज की मात्रा जल्दी सूख जाती है। इन कारणों की वजह से चीनी मिलों को गया उत्पादक क्षेत्रों के पास स्थापित किया जाता है।
  • प्रश्न-16 लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
  • उत्तर- लौह-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि अन्य उद्योगों के लिए सभी तरह की मशीनें, कलपुर्जे व महत्वपूर्ण यंत्र इसके द्वारा तैयार किए जाते हैं। कृषि व अन्य प्रयोग इसके बिना विकास नहीं कर सकते हैं।
  • प्रभ्र-17 कृषि आधारित उद्योगों व खनिज आधारित उद्योगों में अंतर बताइए?
  • उत्तर: वे उद्योग जो कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर रहते हैं, कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। जैसे चीनी, पटसन व सूती कपड़ा उद्योग ।
  • वे उद्योग जो खनिज व धातुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। जैसे सीमेंट उद्योग, लौह इस्पात उद्योग।
  • प्रश्न 18. भारत में चीनी उद्योग के सामने मुख्य चुनौतियां कौन-कौन सी है?
  • उत्तर:-चीनीउद्योग की चुनौतियां निम्नलिखित हैं।
    1. चीनी उद्योग का अल्पकालिक होना।
    2. पुरानी तथा असक्षम तकनीक का इस्तेमाल
    3. परिवहन असक्षमता से गन्ने का समय पर कारखाने तक नही पहुँचना।
    4. गन्ने का अधिकतम् इस्तेमाल ना कर पाना।
  • प्रश्न 19. बुनाई क्षेत्र में सुधार की क्या क्या आवश्यकताएं हैं?
  • उत्तर :- बुनाई क्षेत्र में सुधार की निम्न आवश्यकताएं हैं-
    • 1) अनियमित विद्युत आपूर्ति को दूर करना।
    • 2) नई मशीनरी के उपयोग की आवश्यकता
    • 3) कम श्रमिक उत्पादकता में सुधार।
    • (4) कृत्रिम वस्त्र उद्योगों से प्रतिस्पर्धा।

तीन और पांच अंक वाले प्रश्न:-

  • प्रश्न 1. उद्योगों के विभिन्न वर्गीकरण में कौन से हैं ?         अथवा
  • स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।       अथवा
  • भारत में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के उद्योगों के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर-
  • प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर
  • कृषि आधारित:- जो उद्योग कृषि से कच्चा माल प्राप्त करते हैं। जैसे सूती वस्त्र रबड़, चीनी, चाय, वनस्पति तेल उद्योग आदि।
  • खनिज आधारित:- जो उद्योग खनिजों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। जैसे सीमेंट, मशीन, औजार बनाने वाले उद्योग आदि।
  • प्रमुख भूमिका के आधार पर
  • आधारभूत उद्योग:- जिनके उत्पादन को दूसरे उद्योग कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। जैसे लोहा ,इस्पात, तांबा व एलुमिनियम प्रगलन उद्योग।
  • उपभोक्ता उद्योग:-जिनका उत्पादन सीधा उपभोक्ताओं के द्वारा उपयोग हेतु होता हैं। जैसे चीनी, कागज , सिलाई मशीन आदि।
  • पूँजी निवेश के आधार पर
  • लघु उद्योग:- जिन उद्योगों में अधिकतम निवेश दस करोड़ रुपये तक किया गया हो, उसे लघु उद्योग कहा जाता है।
  • बृहत उद्योग:- जिन उद्योगों में निवेश दस करोड़ रुपये से अधिक होता है। उन्हें बृहत उद्योग कहा जाता है।
  • स्वामित्व के आधार पर
  • सार्वजनिक क्षेत्र:- इन उद्योगों को सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा संचालित किया जाता है। उदाहरण भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड तथा स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड।
  • निजी क्षेत्र:- जिन उद्योगों का स्वामित्व तथा संचालन किसी एक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह द्वारा होता है। उदाहरण टिस्को, बजाज ऑटो लिमिटेड ।
  • संयुक्त उद्योग:- जिन उद्योगों को राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों से चलाया जाता है। उदाहरण ऑयल इण्डिया लिमिटेड OIL
  • सहकारी उद्योग:- जिन उद्योगों का स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों अथवा श्रमिकों या दोनों के हाथ में होता है। इनमें लाभ हानि का विभाजन भी अनुपातिक होता है। उदाहरण महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल उद्योग ।
  • प्रश्न 2. “कृषि और उद्योग एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन का तीन उदाहरणों सहित विश्लेषण करें। अथवा
  • कृषि औद्योगिक क्षेत्रक को प्रोत्साहित करती है। कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।   अथवा
  • कृषि तथा उद्योगों की पारस्परिक निर्भरता को उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर-कृषि और उद्योग एक दूसरे के पूरक निम्न प्रकार से है।
  • 1) कृषि आधारित उद्योगों ने कृषि पैदावार की बढ़ोतरी को प्रोत्साहित किया है क्योंकि यह उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर है।
  • 2) इनके द्वारा निर्मित उत्पाद जैसे सिंचाई के लिए पंप, उर्वरक, कीटनाशक दवाएं, प्लास्टिक पाइप , मशीनें, कृषि औजार आदि किसान की उत्पादक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • प्रश्न 3. उत्पादों के आधार पर (On the Basis of Products) आप उद्योगों का वर्गीकरण कैसे करेंगे ? अथवा          
  • प्राथमिक, गौण और तृतीयक उद्योग में अंतर स्पष्ट करिए। 
  • उत्तर:- उत्पादों के आधार पर उद्योगों को हम निम्नलिखित वर्गों में विभाजित कर सकते हैं:
  • (1) प्राथमिक उद्योग (Primary Industries)- प्रकृति द्वारा प्रदान की गई वस्तुओं को प्रयोग के लिए एकत्र करने से सम्बन्धित विभिन्न कार्यों को प्राथमिक उद्योग कहते हैं। खनन, लकड़ी काटना या लम्बरिंग और मत्स्य ग्रहण आदि ऐसे ही कुछ प्राथमिक उद्योग हैं।
  • (2) गौण उद्योग (Secondary Industries)-वे उद्योग जो कच्चे माल अथवा प्राथमिक उत्पादों को मानव के लिए उपयोगी वस्तुओं में बदलते हैं, गौण उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, चीनी उद्योग, कागज़ उद्योग आदि प्राथमिक उद्योगों पर निर्भर करते हैं।
  • (3) तृतीयक उद्योग (Tertiary Industries)-वे उद्योग जिनकी विविध क्रियाएँ आधुनिक उद्योगों को सफलता पूर्वक चलाने के लिए अत्यन्त आवश्यक होती है, तृतीयक उद्योग कहलाते हैं। तृतीयक उद्योगों के उदाहरण है यातायात, संचार, बैंक, शिक्षा आदि।
  • प्रश्न 4 तैयार माल की प्रकृति के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।       अथवा
  • आधारभूत उद्योग (Basic Industries) क्या हैं? उदाहरण देकर बताएं।
  •  उत्तर- तैयार माल की प्रकृति के आधार पर उद्योगों का विभाजन हम निम्नलिखित वर्गों में कर सकते हैं।
  • (1) मूल उद्योग (Basic or Key Industries)- वे महत्त्वपूर्ण उद्योग, जिन पर अन्य अनेक उद्योग आि होते हैं, मूल उद्योग या बुनियादी उद्योग कहलाते हैं। उदाहरण के लिए, लोहा और इस्पात उद्योग मशीन निर्माण उद्योग इसी वर्ग के उद्योग हैं।
  • (2) उपभोक्ता उद्योग (Consumer Industries ) – वे उद्योग जो वस्तुओं का उत्पादन मुख्यतःोगों के उपभोग के लए करते हैं, उपभोक्ता उद्योग कहलाते हैं। माडर्न बेकरीज़, दिल्ली दुग्ध योजना और फांउंटेन उद्योग उपभोक्ता उद्योग के कुछ उदाहरण हैं।
  • प्रश्न 5. उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल और तैयार माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए। 
  • उत्तर  (1) भारी उद्योग (Heavy Industries) – वे उद्योग जो भारी और अधिक स्थान घेरने वाला कच्चा माल करते हैं और उनके उत्पादन भी इस प्रकार के भारी होते हैं और इसी प्रकार उनके यातायात का खर्च भी बाह अधिक होता है उन्हें भारी उद्योग कहा जाता है। लोहा और इस्पात उद्योग, इंजन बनाने का उद्योग, चीनी उद्योग तथा सीमेंट उद्योग इसी वर्ग के उद्योग हैं। ये प्रायः अपने कच्चे माल के स्त्रोतों के निकट ही स्थित होते हैं।
  • (2) हल्के उद्योग (Light Industries) – वे उद्योग जिनका कच्चा माल और तैयार माल दोनों ही हल्के होते हैं, और जिनमें महिला श्रमिक भी काम कर सकती हैं, उन उद्योगों को हल्के उद्योग कहा जाता है। हल्के उद्योग के कुछ उदाहरण हैं बिजली के पंखे बनाना, सिलाई की मशीनें बनाना, रेडियो और टेलिविज़न बनाना आदि। 
  • प्रश्न 6. लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग (Basic Industry) क्यों कहा जाता है? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर—लोहा इस्पात उद्योग एक मूल या आधारभूत उद्योग कहे जाने के मुख्य कारण इस प्रकार हैं
  • लोहा इस्पात उद्योग यह आधाभूत उद्योग है, क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के व मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी और औज़ारों पर निर्भर है।
  • इस्पात की खपत को तथा उत्पादन को प्राय: एक देश के विकास का पैमाना माना जाता है।
  • लोहा और इस्पात उद्योग और इस पर निर्भर अनेक उद्योगों से हज़ारों लोगों को काम-धंधा मिलता है जिसके परिणामस्वरूप उनका जीवन सुखमय और खुशहाल हो जाता है। 
  • प्रश्न 7. लोहा और इस्पात उद्योग को भारी उद्योग क्यों कहा जाता है? तीन कारण दीजिए।
  • उत्तर- जैसा कि ऊपर के प्रश्न में बताया जा चुका है कि लोहा और इस्पात उद्योग को भारी उद्योग कहते हैं, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
  • लोहा और इस्पात उद्योगों में प्रयुक्त होने वाला सामान, जैसे, लौह-अयस्क, कोयला और चूना आदि काफी भरी होता है और काफी स्थान घेरता है।
  • लोहा और इस्पात उद्योग द्वारा निर्मित विभिन्न चीजें जैसे मशीनें, रेल पटरियाँ, लोहे का सरिया आदि काफी भारी
  • लोहा और इस्पात उद्योग में प्रयोग होने वाले कच्चे माल पर तथा इस उद्योग द्वारा निर्मित चीजों के लाने-ले जाने पर भारी खर्च होता है। इस कारण भी इस उद्योग को भारी उद्योग का दर्जा दिया जाता है।
  • प्रश्न 8. आधुनिक उद्योगों के प्रमुख अवयव (Ingredients) क्या हैं? व्याख्या कीजिए।     अथवा
  • किसी प्रदेश में उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों को स्पष्ट कीजिए।
  •  उत्तर- औद्योगिक अवस्थिति को नियंत्रित करने वाले कारक अथवा आधुनिक उद्योगों के प्रमुख अवयव :
  • (1) कच्चा माल आधुनिक उद्योगों का एक प्राथमिक अवयव है। किसी भी उद्योग का बुनियादी उद्देश्य कच्चे माल को तैयार माली में बदल कर सम्पत्ति का उत्पादन करना है।
  • (2) प्रशिक्षित श्रमिकों की उपलब्धता भी आधुनिक उद्योग का एक मौलिक अवयव है क्योंकि केवल प्रशिक्षित और अनुभवी मज़दूर ही मशीनों पर काम करके कच्चे माल को तैयार माल में बदल सकते हैं। 
  • (3) पूँजी की आवश्यकता विशाल मात्रा में कच्चा माल और मज़दूरों की मज़दूरी तथा अन्य खर्चों की पूर्ति के लिए होती है।
  • (4) चालक शक्ति अथवा ऊर्जा को सहायता से मशीनों को चलाकर उत्पादन किया जा सकता है। 
  • (5) बाजार से अभिप्राय तैयार माल की बिक्री से है। यदि तैयार माल के लिए माँग नहीं होगी तो उत्पादन नही किया जायेगा।

प्रश्न 9. भारत में रेलवे उपकरण उद्योग के वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।

  • उत्तर- आज रेल उद्योग अपने में एक विशाल और विकसित उद्योग बन चुका है। भारतीय रेलें अब आवश्यकता के सभी उपकरण, जैसे रेल के इंजन, सवारी डिब्बे तथा माल गाड़ी के डिब्बे आदि स्वयं तैयार करती है। रेल इंजनों का निर्माण झारखण्ड में जमशेदपुर, पश्चिमी बंगाल में चित्तरंजन और उत्तर प्रदेश में वारणासी आदि केंद्र होता है। सवारी गाड़ी के डिब्बे कोलकात्ता, बंगलौर, कपूरथला, पैराम्बोर आदि स्थानों पर बनाए जाते हैं।
  • मालगाड़ी के डिब्बे विभिन्न रेल कारखानों एवं निजि क्षेत्र में भी तैयार किए जाते हैं। रेल पटरियाँ तथा रेल (स्लीपर) विभिन्न लोहा व इस्पात कारखानों में बनाई जाती हैं।
  •  प्रश्न 10. किन विचारों को सामने रखकर सरकार ने लोहे और इस्पात उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र में शुरू किये ?
  •  उत्तर – जिन विचारों को सामने रखकर सरकार ने लोहे और इस्पात को सार्वजनिक क्षेत्र में शुरू किया वे निम्नलिखित हैं।
  • (1) लोहा एवं इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है। इस कारण उद्योग पर अनेक अन्य उद्योग निर्भर करते हैं जैसे इंजीनियरिंग उद्योग, कल-पुर्जा उद्योग, जहाज़ निर्माण उद्योग, वायुयान, उद्योग मोटर उद्योग और विशेषकर सम्बन्धी वस्तुओं में सम्बन्धित उद्योग आदि।
  • (2) जैसा कि ऊपर कहा गया है लोहा और इस्पात उद्योग पर रक्ष-उत्पादन निर्भर करता है इसलिए इस उद्योग को निजी हाथों में नहीं छोड़ा जा सकता है।
  • (3) जनसाधारण के कल्याण सम्बन्धी बहुत सी सामग्री, जो मुनाफा के विचार से चाहे बहुत लाभकारी नहीं होती वह भी सार्वजनिक क्षेत्र में तैयार की जा सकती है। 
  • (4) सार्वजनिक क्षेत्र में किसी भी उद्योग के चलाने से नौकरी के अवसर अधिक उपल्बध होते हैं जिससे रोज़गार के अवसर बढ़े हैं।
  •  प्रश्न 11. लोहा-इस्पात केंद्र, लोहा तथा कोयले के निकट क्यों होते हैं ?      अथवा
  • छोटा नागपुर पठारी क्षेत्र में लोहा और इस्पात उद्योग का अधिकतम संकेन्द्रण क्यों है? कारणों का विश्लेषण कीजिये।
  •  उत्तर-लोहा और इस्पात उद्योग भारतीय प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भागों, विशेषकर छोटा नागपुर पठार के आस-पास लोहे और कोयले के क्षेत्र के निकट (अर्थात् पश्चिमी बंगाल, बिहार उड़ीसा तथा मध्य प्रदेश में) विशेषकर जमशेदरपुर में स्थित है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित है। .
  • (1) लोहा-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक सभी कच्चा माल जैसे लौह-अयस्क, कोयला और चूने का पत्थर आदि : सभी इसी क्षेत्र में मिल जाते हैं।
  • (2) क्योंकि ये सभी पदार्थ काफी भारी होते हैं। इसलिए इन पर निर्भर उद्योग दूर नहीं बनाये जा सकते क्योंकि ऐसे में लाने ले जाने का खर्चा बहुत बढ़ जाता है। इसलिए लोहा- इस्पात उद्योग इन कच्चे माल के केंद्रों को निकट ही बनाए जाते हैं। जमशेदपुर, बोकारों और दुर्गापुर आदि के लोहा-इस्पात के कारखाने इसीलिए छोटा नागपुर के पठार या दामोदर की घाटी में स्थित है।
  • (3) छोटा नागपुर के पठार या दमोदर को घाटी में परिवहन के महत्वपूर्ण साधन, जैसे रेलवे और सड़कें आदि, प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं जिनके परिणामस्वरूप तोहा-इस्पात से बना सामान आसानी से देश के दूसरे भागों और विदेशों में भी भेजा सकता है।
  • (4) यदि लोहा- इस्पात केंद्र, लोहा और कोयला खानों के निकट हो तो भाई में बचत के अतिरिक्त मजदूर आसानी से मिल जाते हैं क्योंकि खानों में काफी मजदूर लगे होते हैं। 
  • प्रश्न 12. भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिमी बंगाल में क्यों स्थित हैं ?      अथवा
  • अधिकतर जूट मिलें हुगली बेसिन में नदी के किनारों के साथ-साथ क्यों स्थित हैं? इसके कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर    अधिकतर पटसन उद्योगो के हुगली नदी के तट पर स्थापित होने के कारण निम्नलिखित हैं।
  • 1. पटसन उत्पादक क्षेत्रों की निकटता।
  • 2. सस्ता जल परिवहन।
  • 3. सस्ते श्रमिक उपलब्ध होना।
  • 4- निर्यात के लिये पतन उपलब्ध होना।
  • 5- कच्चे पटसन को संसाधित करने के लिए प्रचुर जल की उपलब्धता
  • प्रश्न 13. आज पटसन उद्योग किस चुनौती का सामना कर रहा है और उसका संभावित समाधान क्या है? अथवा  
  • भारत के पटसन उद्योग के सामने किन्हीं दो प्रमुख चुनौतियों को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय पटसन नीति के किन्हीं तीन उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  • उत्तर- हाल ही में पटसन उद्योग में अवनति आई है। इसको अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जिनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:
  • (1) पटसन के स्थान पर अब कृत्रिम रेशों से चीजें बनने लगी हैं जो काफी सस्ती भी होती हैं।
  • (2) पटसन की खेती पर व्यय बहुत हो जाता है इसलिए मूल्य वृद्धि करनी पड़ती है जिससे पटसन काफी महंगा हो जाता है और इसकी माँग कम हो जाती है।
  • (3) पटसन को अब विदेशी स्पर्धा का मुकाबला भी करना पड़ रहा है। विशेषकर बंगलादेश अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारत के सामने एक चुनौती के रूप में आ खड़ा हुआ है।
  • इस उद्योग की फिर से प्रगति के लिए कदम2005 की राष्ट्रीय पटसन नीति
  •  पटसन उद्योग की प्रगति के लिए सरकार ने 2005 ई० में राष्ट्रीय पटसन नीति अपनाई। इसके निम्नलिखित थे:
  • (1) पटसन का उत्पादन बढ़ाया जाए।
  • (2) पटसन की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।
  • (3) पटसन उत्पादक किसानों को अच्छा मूल्य दिलाया जाए।
  • (4) प्रति हैक्टेयर उत्पादकता को बढ़ाया जाए। 
  • इस नीति के परिणामस्वरूप भारत में निर्मित पटसन का माल अमेरिका, कनाडा, रूस, अबर देशों और इंग्लैंड आस्ट्रेलिया आदि देशों में जाने लगा। वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन पदार्थों की विश्व भर में बढ़ती मांग के कारण भी उद्योग को प्रोत्साहन मिला है।
  • प्रश्न 14. भारतीय सूती वस्त्र उद्योग किन तीन समस्याओं का सामना कर रहा है? इन समस्याओं के हल करने के लिए तीन उपाय बताइये।
  • उत्तर:-  भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के सामने तीन समस्यायें : –
  • (1) पहली समस्या यह है कि इस उद्योग की तकनीक बहुत पुरानी और बेकार हो चुकी है।
  • (2) सूती कपड़े की मिलें बहुत पुरानी हो चुकी हैं जिस कारण उनके बनाए रखने पर बहुत खर्च आता है। भवन और मशीनरी भी जीर्ण अवस्था में हैं जिनके कारण उत्पादन खर्च बहुत आ जाता है। परिणामस्वरूप बेकारी और औद्योगिक जड़ता उत्पन्न हो जाती है।
  • (3) हमारे देश में पैदा होने वाली कपास भी लम्बे रेशे वाली नहीं होती, इसलिए हमें लम्बे रेशे वाली कपास का विदेशी, विशेषकर, मिश्र से आयात करना पड़ता था।
  • इन समस्याओं को हल करने के उपाय :
  •  (1) हमें पुरानी तकनीक में सुधार करके सूती वस्त्र बनाने की नवीनतम तकनीक को अपनाना चाहिए।
  • (2) सूती कपड़े की मिलों एवं कारखानों में निपुणता और बचत लानी होगी ताकि फिजूल का खर्च बच सके। यह इसिलए आवश्यक है ताकि हमें मिलें बंद न करनी पड़ें और कारीगरों की छटनी करने की नौबत न आए। 
  • (3) हमें अपने देश में ही लम्बे रेशे की कपास का उत्पादन करना चाहिए ताकि विदेशी मुद्रा की बचत के साथ-साथ कपड़ा भी बढ़िया बनाया जा सके। 
  1. प्रश्न 15. “चीनी मिलें भारत के दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में स्थानान्तरित हो रही है।” इस कथन के पक्ष में तीन कारण दीजिए।     अथवा
  2. भारत के दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में चीनी मिलों के संकेन्द्रीकरण की प्रवृति क्यों है? कोई तीन कारण  स्पष्ट कीजिए।
  3. उत्तर- विगत कुछ वर्षों से चीनी मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में बड़ी है। 
    1.  इन राज्यों में गन्ने में सुकोस की मात्रा अधिक होना।
    2. चीनी निर्यात की वस्तु है। क्योंकि दक्षिण में समुद्री पतन अधिक हैं।
    3. अनुकूल जलवायु ।
    4. इन राज्यों में सहकारी समितियों का अधिक सफल होना।
  • प्रश्न 16. चीनी उद्योग के उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र में विकसित होने के कोई चार कारण बताइये।
  • उत्तर-   उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग के विकास के कारण– भारत में उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग में सबसे आगे है। भारत तैयार होने वाली चीनी का लगभग आधा भाग अकेले उत्तर प्रदेश में तैयार होता है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित है :
  • (1) उत्तर प्रदेश गन्ने का घर है। वहाँ को भूमि उपजाऊ है, धूप खूब पड़ती है और वार्षिक वर्षा भी 100 सेमी. से अधिक है। ये सभी चीजें गन्ने के उत्पादन में बहुत सहायक होती हैं।
  • (2) चीनी उद्योग के लिए आवश्यक बिजली भी वहाँ काफी उपलब्ध हो जाती है।
  • (3) मज़दूरी भी वहाँ सस्ती है। कुछ अपने क्षेत्र के मजदूर और विशेषकर बिहार राज्य से मज़दूर बड़ी मात्रा में उपलब्ध हो जाते हैं।
  • (4) उत्तर प्रदेश एवं बिहार की जनसंख्या भी काफी है इसलिए तैयार होने वाली बहुत सी चीनी की खपत वहाँ हो हो जाती है।
  • प्रश्न 17. कारण बतायें कि बहुत सी सूती कपड़ा मिलें मुम्बई से हटकर अहमदाबाद क्यों जा रही हैं। 
  • उत्तर (1) मुम्बई में पहले ही काफी भीड़-भड़क्का हो चुका है इसलिए वहाँ नई मिलें खोलने के कोई अवसर नहीं। अहमदाबाद में अभी ऐसी अवस्था नहीं है। 
  • (2) मुम्बई में भूमि की कीमत इतनी बढ़ गई है कि कोई वहाँ नई मिल खोलने की सोच भी नहीं सकता। इसके मुकाबले अहमदाबाद अभी काफी सस्ता है।
  • (3) कपास पैदा करने वाले क्षेत्र अहमदाबाद में मुम्बई की अपेक्षा काफी निकट और विस्तृत है। (4) मुम्बई की अपेक्षा अहमदाबाद में मजदूरी भी काफी सस्ती है।
  • प्रश्न 18. भारतीय इंजीनियरिंग उद्योग की छः महत्त्वपूर्ण विशेषतायें बताइए।
  • उत्तर (1) स्वतंत्रता से पूर्व भारतीय इंजीनियरिंग उद्योग नाम की कोई चीज नहीं थी इसलिए हमारे देश में हर प्रकार की मशीनों की कमी थी।
  • (2) परंतु स्वतंत्रता के पश्चात् ऐसी स्थिति में परिवर्तन आ गया। हमने सूती, चीनी, कागज़ सीमेंट, खनन तथा पैट्रो-रसायन आदि उद्योगों के लिए स्वयं मशीनें बनानी शुरू कर दी।
  • (3) रांचों के भारी इंजीनियरिंग कारखाने में लोहे और इस्पातम के कारखाने के लिए भारी मशीनें बनाई जाने लगा।
  • (4) अब अनेक प्रकार का इंजीनियरिंग का सामान केवल घरेलू खपत के लिए ही नहीं वरन् विदेशों के निर्यात के लिए भी तैयार किया जाने लगा है।
  • (5) अब हम विदेशों में कई स्थानों पर इंजीनियरिंग परियोजनायें पूरी करने में भी लगे हुए हैं।
  • (6) इंजीनियरिंग उद्योग अब विदेशों में विभिन्न प्रकार की मशीनों का निर्यात करके अत्यावश्यक विदेशी मुद्रा भी अर्जित करने लगा है।

प्रश्न 19. भारत में रेशम आयोग के वितरण पर संक्षेप में प्रकाश डालिए। 

उत्तर भारत में रेशम आयोग का वितरण भारत में चार प्रकार की रेशम, टसर (Tasar) इरी (Eri) (Munga) और (Mulberry) पैदा की जाती है। भारत में रेशम की लगभग 90 मिले हैं जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर राज्यों में स्थित है। कर्नाटक में इसके मुख्य केंद्र बंगलौर, मैसूर, बेलगाँव और आदि है। पश्चिमी बंगाल में इसके मुख्य केंद्र मुर्शिदाबाद और बांकुरा में है जबकि जम्मू व कश्मीर में श्रीनगर, बारामूला अनंतनाग इसके मुख्य केंद्र है जहाँ रेशमी वस्त्र तैयार किए जाते हैं।

  • प्रश्न 20.  विनिर्माण (Manufacturing) क्या है ? विनिर्माण उद्योगों का क्या महत्त्व है ? अथवा
  • विनिर्माण उद्योग किसे कहते हैं? इसे विकास की रीढ़ की हड्डी क्यों समझा जाता है? कारण की विवेचना कीजिए। अथवा
  • “किसी देश की आर्थिक प्रगति विनिर्माण उद्योग (Manufacturing Industries) से जानी जाती है। तकों सहित इस कथन की पुष्टि कीजिए। अथवा
  • किसी देश की आर्थिक उन्नति विनिर्माण उद्योगों के विकास में क्यों मापी जाती है ? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
  • उत्तर (क) विनिर्माण :- कच्चे माल को अधिक मात्रा में मूल्यवान वस्तुओं में बदलने की परिक्रिया वस्तुनिर्माण या विनिर्माण कहा जाता है।
  •  (ख) विनिर्माण उद्योगों का महत्व
  • 1) कृषि आधुनिकीकरण में सहायक।
  • 2) रोजगार उपलब्ध करवाना।
  • 3) क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना ।
  • 4) विदेशी मुद्रा अर्जित करने में सहायक।
  • 5) बेरोजगारी और गरीबी को कम करने में सहायक।
  • 6) देश के आर्थिक विकास में योगदान
  • प्रश्न 21. भारत में कृषि पर आधारित उद्योग कौन से हैं? भारतीय अर्थव्यवस्था में उनका क्या महत्त्व है ? 
  • उत्तर- जो उद्योग कृषि पर आधारित होते हैं उनको कृषि आधारित उद्योग कहते हैं। इस कृषि पर आधारित उद्योगों का भारत की अर्थव्यवस्था में अपना विशेष महत्त्व है
  • (1) वे दैनिक जीवन में काम आने वाली अनेक वस्तुओं का निर्माण करते हैं और लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • (2) हमारे जैसे कृषि प्रधान देश के लिए कृषि पर आधारित उद्योगों का अपना विशेष महत्त्व है। कच्चा माल हमारे देश में ही प्रयोग हो जाता है और तैयार होने पर उसकी कीमत कई गुणा बढ़ जाती है। ऐसे में हमारी आय में कई गुणा बढ़ौत्तरी हो जाती है।
  • (3) हमने तिलहन प्रौद्योगिक मिशन की भी स्थापना की है जिसने थोड़े समय में ही अच्छे परिणाम दिखाने शुरू कर दिये हैं।
  • प्रश्न 22. रसायन उद्योग का क्या अर्थ है? रसायन उद्योग के महत्त्व के बारे में दो बिंदु बताइए।
  • उत्तर :-रसायन उद्योग:-वह उद्योग जो भारी रसायनों से अनेक उत्पाद-जैसे औषधियाँ, रंगाई का सामान, कीटनाशक दवाएं, प्लास्टिक, पेंट आदि बनाता है, उसे रसायन उद्योग कहते हैं।
  • यह उद्योग दो प्रकार के हैं कार्बनिक और अकार्बनिक ।
  • अकार्बनिक रसायनों मे सल्फ्यूरिक अमल तथा कास्टिक सोडा आदि सम्मिलित है। जिनका प्रयोग उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, गोंद, रंग रोगन आदि बनाने में किया जाता है।
  • कार्बनिक रसायन में पेट्रो रसायन शामिल है। जिनका उपयोग वस्त्र रबड़प्लास्टिक, दवाइयां औषधिय रसायनों को बनाने में प्रयोग किया जाता है।
  • रसायन उद्योग का महत्त्व- भारत में अनेक रासायनिक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है जैसे दवाइयाँ, कीटनाशक – दवाइयाँ, रंगने के मसाले, रंग, प्लास्टिक आदि। कीटनाशक दवाइयों का कृषि के क्षेत्र में अपना विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 23. पेट्रो-रसायन उद्योग पर एक टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- पेट्रो-रसायन उद्योग क्या है ?- उद्योग जो अशुद्ध पेट्रोलियम के शोधन से प्राप्त उत्पादनों पर निर्भर करते हैं व्हें पेट्रो-रसायन उद्योग कहा जाता है। ऐसे उत्पादनों में नैपथा (Naptha), नाइलोन (Nylon), पोलिस्टर (Polyester), प्लास्टिक (Plastic) आदि के नाम विशेषकर उल्लेखनीय हैं। पेट्रो-रसायन उद्योग के मुख्य केंद्र मुम्बई के समीप और बड़ौदा में स्थित है।

प्रश्न 24, सीमेंट उद्योग की दो प्रमुख आवश्यकताओं के नाम लिखिए।

उत्तर- बिजली और चूने के पत्थर आदि सीमेंट उद्योग की दो प्रमुख आवश्यकतायें है। चूने के पत्थर को पीसने के लिए बिजली की बड़ी आवश्यता पड़ती है इसलिए बिजली की उपलब्धि के बिना इस उद्योग का लगाया जाना कठिन होता है। बिजली और चूने के पत्थर के अतिरिक्त सस्ते मजदूरों का मिलना भी उपयोगी सिद्ध होता है।

प्रश्न 25, चीनी उद्योग पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 

उत्तर-भारत विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन गुड़ और खांडसारी के उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान है।चीनी उद्योग की स्थापना भारत में सर्वप्रथम उत्तर प्रदेश जाती है। इस उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल भारी होता है तथा ठुलाई के दौरान इसमें मौजूद सुक्रोज की मात्रा घट जाती है । उद्योग मौसमी है इसलिए यह सरकारी क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है। दक्षिणी भारत, विशेषकर महाराष्ट्र में सहकारी समितियाँ काफी संगठित और सफल है।

  • प्रश्न 26. इलैक्ट्रॉनिक वस्तुएं और भारी उपकरण निर्माण उद्योग पर एक नोट लिखिए।
  • उत्तर:- भारत का इस समय इलैक्ट्रॉनिक वस्तुओं और भारी उपकरणों के निर्यात में प्रमुख स्थान है। भारत में भारी इलैक्ट्रोनिक उपकरण जैसे बिजली से चलने वाली मोटरें, टरबाईन, ट्रासफार्मर, बुआयलर, ट्रैक्टर आदि का निर्माण भी किया जाता है। हैवी इलैक्ट्रीकल के कारखाने भोपाल, हरिद्वार, हैदाराबाद, बंगलौर त्रिची, जगदीशपुर आदि पर स्थित है।
  • प्रश्न 27. औद्योगिक प्रदूषण पर्यावरण को किस प्रकार निम्नीकृत करता है? दो उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
  • उत्तर- (i) कारखानों से निकलने वाला गदा, तेजाबी, और जहरीला जल जब निरन्तर आस-पास की भूमि फैलता रहता है तो वह उन भूमियों को बिल्कुल बेकार कर देता है। ऐसी भूमियाँ कृषि योग्य नहीं रहती।
  • (ii) कारखानों से निकला हुआ कूड़ा-कचरा भूमि और जल प्रदूषण का एक प्रमुख कारण बन जाता है।
  • प्रश्न 28. पर्यावरण और संसाधनों के सरंक्षण के लिए राष्ट्रीय ताप विद्युतगृह कॉर्पोरेशन ने क्या-क्या उपाय किए हैं ? अथवा
  • भारत में औद्योगिक विकास के कारण उत्पन्न पर्यावरणीय निम्नीकरण (Environmental Degradation) में को कम करने के तीन उपाय सुझाइए।
  • उत्तर- भारत के औद्योगिक विकास के कारण पर्यावरणीय निम्नीकरण को कम करने के लिए राष्ट्रीय ताप विद्युतगृह कार्पोरेशन (N.T.P.C.) ने निम्नलिखित उपाय सुझाए हैं
    • (1) इसने आधुनिक तकनीक पर आधारित उपकरणों का उचित उपयोग करके तथा उपलब्ध उपरकणों में सुधार करके पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
    • (2) इसने कारखानों द्वारा निकलने वाले धुएँ और राख को कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य सुझाए हैं।
    • (3) पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने के लिए इसने हरित क्षेत्र की सुरक्षा और वृक्षारोपण के लिए सरकार और लोगों को खूब प्रेरित किया है।
    • (4) कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को पुनर्चक्रण विधि द्वारा साफ करके पर्यावरण के प्रदूषण को कम करने के अनेक सुझाव दिए हैं।
  • प्रश्न 29. भारत के वस्त्र उद्योग के विषय में आप जो जानते हैं, लिखें ।  अथवा
  •  प्रारम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र और गुजरात की कपास उत्पादक पेटी में क्यों संकेन्द्रित था? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर- कपास, पटसन, रेशम और ऊन आदि कपड़ा उद्योग के प्रमुख कच्चे माल हैं। सूती कपड़ा उद्योग भारत का सबसे पुराना उद्योग है क्योंकि भारत में हाथखड्डी और चरखा प्राचीन काल से प्रचलित हैं। कपड़ा मिलें दो प्रकार के होती हैं। सूती कपड़ा उद्योग दो राज्यों महाराष्ट्र (विशेषकर मुम्बई) और गुजरात (विशेषकर अहमदाबाद) में अधिकतर केंद्रित है। इसके कई कारण हैं :
    • (1) भारत में प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र इनके समीप ही स्थित हैं।
    • (2) यहाँ की जलवायु आर्द्र है।
    • (3) यहाँ सस्ते, कुशल मज़दूर और सस्ती जल विद्युत मिल जती है।
    • (4) ये राज्य अधिक सूती कपड़ा आयात करने वाले अफ्रीका, यूरोप और अरब आदि देशों के समीप हैं। सूती कपड़े के केंद्र कानपुर, नागपुर, शोलापुर, दिल्ली, कोलकाता, कोयम्बटूर आदि स्थानों पर भी बिखरे पड़े हैं। 
  • पटसन उद्योग अधिकतर पश्चिमी बंगाल में ही केन्द्रित है। इसके कुछ कारखाने बिहार, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में भी है। समस्त संसार की पटसन की वस्तुओं के निर्माण की आधी क्षमता भारत के पास है। ऊनी वस्त्र उद्योग के मुख्य केंद्र अमृतसर, धारीवाल, कानपुर, मुम्बई, श्रीनगर, बंगलौर, लुधियाना, जामनगर आदि में स्थित हैं। देश में ऊनी वस्त्र बनाने की लगभग 50 मिलें हैं जिनमें लगभग आधी केवल पंजाब में हैं।
  • भारत प्राचीन काल से ही रेशमी वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध रहा है। भारत के रेशमी वस्त्रों विशेषकर उसकी साड़ियों की संसार के कई भागों में बड़ी माँग है। रेशमी वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र मैसूर, कांचीपुरम, तंजौर, वाराणसी, श्री नगर तथा अमृतसर में हैं।
  • प्रश्न 30. भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का विशिष्ट स्थान किस प्रकार है? कोई तीन बिंदु बताएं।           अथवा
  • भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग अपना अलग महत्त्व रहता है। तर्कों से इस कथन की पुष्टि कीजिए।  अथवा
  • “वस्त्र उद्योग देश का एकमात्र उद्योग है जो कच्चे माल से उच्चतम अतिरिक्त मूल्य उत्पाद तक की ख परिपूर्ण और आत्मनिर्भर है।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।           अथवा
  • भारत में वस्त्र उद्योग विशेषरूप से सूती वस्त्र उद्योग के महत्त्व का वर्णन कीजिए। 

उत्तर भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का महत्त्व – भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग अपना विशेष महत्त्व – रखता है। इसके लिये उत्तरदायी कारण/तर्क निम्नलिखित हैं

  • (1) कपड़ा उद्योग के लिए जिन आवश्यकता कारकों जैसे आने-जाने के साधनों, बिजली और बैंकिंग सुविधाएँ आदि की अवश्यकता होती है वे भारत का अनेक भागों में उपलब्ध है। इसलिए कपड़ा उद्योग में भारत के अनेक भागों में स्थापित हैं। 
  • (2) कपड़ा उद्योग भारत का सबसे प्राचीन उद्योग है। यह दोनों ग्रामीण और शहरी भागों में फैला हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में हथकरघा फल-फूल रहा है जबकि शहरी क्षेत्रों अनेक कपड़ मिलें हैं। जो रात चलती हैं।
  • (3) भारत के विभिन्न भागों में मजदूर और कारीगर आसानी से मिल जाते हैं। इसिलए सूती कपड़ा उद्योग की मिलें और कारखाने भारत के सभी भागों में देखने को मिलते हैं। कपड़े की जरूरत सभी लोगों (ग्रामीण एवं शहरी) को होती है। इसलिये इस उद्योग का काफी महत्त्व है। 
  • (4) भारतीय सूती कपड़ों के निर्यात से भारत को काफी लाभ होता है। इसलिये भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में सूती कपड़े का काफी योगदान रहा है।
  • प्रश्न 31. चीनी मिलें गन्ना उत्पादक प्रदेशों में क्यों केन्द्रित हैं ? भारत में चीनी उद्योगों के समक्ष किन्हीं तीन समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
  • उत्तर चीनी मिलें गन्ना उत्पादक प्रदेशों में निम्न कारण से केन्द्रित हैं।
  • (1) चीनी मिलें गन्ना उत्पादक प्रदेशों जैसे-उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में हो केन्द्रित हैं क्योंकि इन प्रदेशों में गन्ने की उपज बहुत होती है। इसके अतिरिक्त गन्ना एक भारी वस्तु है जिसे दूर ले जाना काफी महंगा पड़ता है।
  • (2) इन राज्यों में प्रायः जलवायु ठंडी रहती है इसलिए गन्ने से चीनी बनाने का कार्य काफी समय तक चलता रह सकता है।
  • चीनी उद्योग की समस्याएँ—चीनी उद्योग की कुछ अपनी विशेष समस्याएँ हैं, जो निम्नलिखित हैं-
  •  (1) दूसरे देशों की तुलना में भारतीय गन्ने का उत्पादन प्रति हेक्टेयर कम है। जावा में प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन 90 टन है और हवाई (Hawaii) में 120 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि भारत में वह केवल 64.5 प्रति हेक्टेयर है।
  • (2) भारत में चीनी मिले साल में 7-8 महीने ही चलती हैं और बाकी के 4-5 महीने उन्हें बंद रखना पड़ता है क्योंकि तब गन्ना प्राप्त न होता। ऐसे में अनेक कठिनाइयाँ पैदा हो जाती हैं जैसे कर्मचारी इन महीनों में कहाँ जायँ, वे अपना पेट कैसे भरें और कारखाना मालिक कहाँ तक उन्हें अपने पास से धन देते रहें।
  •  (3) चीनी उद्योग के उत्पादन यंत्र भी बहुत पुराने और घिसे पिटे हैं इसलिए भी उचित मात्रा में चीनी का उत्पादन नहीं हो पाता।

प्रश्न 32:-भारत में लोहा और इस्पात उद्योग द्वारा सामना की गई किन्हीं तीन समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।

  • उत्तर:- इस्पात उद्योग की समस्याएँ (Problems of the Steel Industry) :
  • (i) इसको चीन जैसे इस्पात निर्यातक देशों की प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करना पड़ता है। 
  • (ii) इसे उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धि का भी सामना करना पड़ता है। 
  • (iii) कम श्रमिक उत्पादकता भी एक समस्या है।
  • (iv) अविकसित अवसरंचना भी एक समस्या है।
  • (v) ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति भी इसके लिए कठिनाई पैदा कर देती है।
  • वे हाल के सुधार जिन्होंने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है
  • (i) उदारीकरण ने इस उद्योग को काफी प्रोत्साहन दिया है। 
  • (ii) निजी क्षेत्र में अनेक उद्यमियों (Entrepreneurs) ने भी अपने प्रयत्नों से इस उद्यागों को काफी प्रोत्साहन दिया है।
  • (iii) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से भी इस उद्योग को पनपने में काफी सहायता मिली है।
  • परंतु विकास के साधनों को नियम करने और अनुसंधान से इस इस्पात उद्योग की प्रगति को और तेज किया जा सकता है।
  • प्रश्न 33  समन्वित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योग से कैसे भिन्न है इस उद्योग की क्या समस्याएं है? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है? अथवा
  • संकलित इस्पात संयंत्र मिनी इस्पात संयंत्र से किस प्रकार भिन्न है?
  • उत्तर:- समन्वित (या संकलित) इस्पात उद्योग और मिनी इस्पात उद्योग में अंतर
  • (i) समन्वित इस्पात उद्योग आकार में मिनी इस्पात उद्योगों की तुलना में काफी बड़े होते हैं। 
  • (ii) संकलित इस्पात उद्योगों में इस्पात से सम्बन्धित सभी कार्य एक हो कम्पलैक्स (Complex) में होते हैं कच्चे माल से लेकर इस्पात बनाने, इसे ढालने तथा उसे आकार देने तक। जबकि मिनी इस्पात कारखानों में रही इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है जो इसे संकलित इस्पात उद्योगों से मिलता है। 
  • (iii) जबकि संकलित इस्पात कारखाने में सभी प्रकार का इस्पात तैयार होता है वहाँ मिनी इस्पात कारखाने में केवल मृदु व मिश्रित इस्पात (Mild and Alloy Steel) का निर्माण होता है।

केस स्टडी 1

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का विशेष स्थान है क्योकि औद्योगिक उत्पादन में 148, रोजगार सृजन में 3.5 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार कृषि के बाद द्वितीय) और विदेशी मुद्रा में लगभग 24.68 योगदान है। देश की जीडीपी में इसका योगदान 48 है। देश में यह अकेला ऐसा उद्योग है जो आत्मनिर्भर और पूर्ण है। (जेमाल से लेकर मूल्यवर्धित उत्पाद तक)। प्राचीन भारत में सूती कपड़ा हाथ, कताई व हथकरघा बुनाई तकनीक से होता था। 18 वीं शताब्दी के बाद विद्युपातित प्रयोग होने लगा। औपनिवेशिक काल में हमारे पारंपरिक उद्योग को गंभीर झटका लगाय में मिल से निर्मित वस्त्रों में प्रतियोगिता नहीं कर पाए।
  • प्रारंभिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादन वाले क्षेत्रों विशेषतः महाराष्ट्र व गुजरात में केंद्रित था कच्चे माल की उपलब्धता, बाजार, परिवहन (बंदरगाह पहुँच सेवाओं सहित श्रम, नम जलवायु आदि ने इसके स्थानीयकरण में विशेष योगदान दिया। सतत पोषणीय विकास के लिए आर्थिक विकास को पर्यावरणीय चिंताओं के साथ एकीकरण की आवश्यकता होती है।
  • प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का क्या स्थान है?
  • उत्तर:- वस्त्र उद्योग का भारतीय अर्थव्यवस्था में विशेष स्थान है।देश की जीडीपी में इसका 48% योगदान है।
  • प्रश्नशुरुआती वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र और गुजरात में केंद्रित क्यों था?
  • उत्तर: कच्चे माल की उपलब्धता, बाजार, परिवहन सहित श्रम व नम जलवायु।
  • प्रश्न- प्राचीन भारत में सूती कपड़ा कौन सी तकनीक से तैयार होता था?
  • उत्तर:- प्राचीन भारत में सूती कपड़ा हाथ कथाएं हथकरघा बुनाई तकनीक से तैयार होता था।

केस स्टडी 2

  • उद्योग सभी उद्योगों का आधारभूत उद्योग है क्योंकि सभी भारी, मध्यम के उद्योग, मशीनरी के लिए इस पर निर्भर करते हैं। लोहे की आवश्यकता विभिन्न अभियांत्रिकी वस्तुओं, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन, वैज्ञानिक उपकरण व विभिन्न उपभोक्ता वस्तुओं को बनाने के लिए होती है। इस्पात के उत्पादन और उपभोग को किसी देश के विकास के संकेत के रूप में देखा जाता है। लौह इस्पात उद्योग एक भारी उद्योग है, क्योंकि कच्चा माल व अंतिम निर्मित वस्तुएं भारी होती है, जिनकी परिवहन लागत अत्यधिक होती है। इसके लिए लौह अयस्क, कोकिंग कोल व चूना पत्थर की 4.2.1 अनुपात में आवश्यकता होती है। लोड़े को कठोर बनाने के लिए मैंगनीज़ की कुछ मात्रा की भी आवश्यकता होती है। कच्चे इस्पात के उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है तथा स्पंज लोहे का भारत सबसे बड़ा उत्पादक है। 2016 में भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात उपभोग 63 कि.ग्रा. प्रति वर्ष था. जबकि विश्व का औसत उपभोग 208 कि.ग्रा. था।
  • प्रश्न- लौह-इस्पात उद्योग किस वर्ग में आता है – कृषि आधारित उद्योग या खनिज आधारित उद्योग।
  • उत्तर- खनिज आधारित उद्योग
  • प्रश्न 2 स्पंज लोहे का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है?
  • उत्तर- भारत।
  • प्रश्न 3 इस्पात को बनाने में किन किन अव्यवों की आवश्यकता होती है?
  • उत्तर- लौह अयस्क, कोकिंग कोल व चूना पत्थर का। को किसी देश के विकास के संकेत के रूप में देखा जाता है ।
भूगोल पाठ 7 (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं)

NCERT BOOK (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं)

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से भूगोल का पाठ 7 राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है।

माइंड मैप (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवनरेखाएं)

  1. स्थल परिवहन
    1. सड़क परिवहन
      1. स्वर्णिम चतुर्मुख राजमार्ग
      2. राष्ट्रीय राजमार्ग
      3. राज्य राजमार्ग
      4. जिला राजमार्ग
      5. ग्रामीण सड़कें
      6. सीमांत सड़कें
    2. रेल परिवहन
    3. पाइपलाइन
  2. जल परिवहन
    1. समुद्री जलमार्ग
    2. नदी जलमार्ग
    3. प्रमुख समुद्री पतन
  3. वायु परिवहन
    1. अंतरराष्ट्रीय विमान सेवा
    2. क्षेत्रीय विमान सेवा
    3. अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे
  4. संचार सेवाएं
  5. अंतरराष्ट्रीय व्यापार
  6. पर्यटन उद्योग

अभ्यास के प्रश्न

  • 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
  • (i)  निम्न में से कौन-से दो दूरस्थ स्थित स्थान पूर्वी पश्चिमी गलियारे से जुड़े हैं?
  • (क) मुंबई तथा नागपुर                       (ख) मुंबई तथा कोलकाता
  • (ग) सिलचर तथा पोरबंदर।                 (घ) नागपुर तथा सिलिगुड़ी
  • (ii) निम्नलिखित में से परिवहन का कौन-सा साधन वहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है?
  • (क) रेल परिवहन।                           (ख) पाइपलाइन
  • (ग) सड़क परिवहन।                        (घ) जल परिवहन
  • (iii) निम्न में से कौन-सा राज्य हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर पाइपलाइन से नहीं जुड़ा है?
  • (क) मध्य प्रदेश।                              (ख) गुजरात
  • (ग) महाराष्ट्र‌‍                                    (घ) उत्तर प्रदेश
  • (iv) इनमें से कौन-सा पत्तन पूर्वी तट पर स्थित है जो अंतःस्थलीय तथा अधिकतम गहराई का पतन है तथा पूर्ण सुरक्षित है?
  • (क) चेन्नई।                                     (ख) तूतीकोरिन
  • (ग) पारादीप                                   (घ) विशाखापटनम् ।
  • (v) निम्न में से कौन-सा परिवहन साधन भारत में प्रमुख साधन है?
  • (क) पाइपलाइन।                            (ख) सड़क परिवहन
  • (ग) रेल परिवहन।                            (घ) वायु परिवहन।
  • (vi) निम्न में से कौन-सा शब्द दो या अधिक देशों के व्यापार को दर्शाता है?
  • (क) आंतरिक व्यापार।                       (ख) बाहरी व्यापार
  • (ग) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार।                      (घ) स्थानीय व्यापार

उत्तर (i) (ग) (i) (क) (i) (ग) (iv) (घ) (v) (ग) (vi) (ग)

  • 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
  • (i) सड़क परिवहन के तीन गुण बताएँ 
  • उत्तर सड़क परिवहन के तीन गुण निम्नलिखित है-
  • सड़कों का निर्माण रेल व वायु परिवहन से सस्ता है।
  • सड़कों का निर्माण उबड़ खाबड़ जमीन व पहाड़ी क्षेत्रों में भी किया जा सकता है।
  • सड़क परिवहन, रेल परिवहन, वायु परिवहन व जल परिवहन को जोड़ने का काम करता है।
  • (ii) रेल परिवहन कहाँ पर अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों?
  • उत्तर रेल परिवहनउत्तरी भारत के मैदानों में अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन माना जाता है, क्योंकि उत्तरी मैदानों में भूमि समतल है। इसके अतिरिक्त सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि व प्रचुर संसाधनों के कारण उत्तरी मैदानों में रेल परिवहन के विकास अधिक हुआ है।
  • (iii) सीमांत सड़कों का महत्त्व बताएँ।
  • उत्तर सीमांत सड़कों के महत्व निम्न प्रकार से हैं-
  • सीमांत सड़कों के विकास से दुर्गम क्षेत्रों में आना-जाना आसान हुआ है।
  • ये सड़कें सीमाओं की रक्षा करने में सहायक सिद्ध हुई है।
  • इनसे उत्तर पूर्वी राज्यों में आर्थिक विकास में वृद्धि हुई है।
  • (iv) व्यापार से आप क्या समझते हैं? स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करें।
  • उत्तर वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय व्यापार कहलाता है। 
  • स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर निम्नलिखित हैं
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार स्थानीय व्यापार
जब दो देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय होता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।यह समुंद्री व हवाई मार्ग द्वारा होता है ।
यह दो देशों के बीच होता है।इसमें विदेशी मुद्राओं का आदान-प्रदान होता है
जब किसी देश के अंदर ही वस्तुओं और सेवाओं का  विनिमय होता है तो उसे स्थानीय व्यापार कहते हैं।अधिकतर व्यापार सड़क मार्ग और रेल मार्ग द्वारा ही होता है।स्थानीय व्यापार शहरों, कस्बों गांवों में होता है। इसमें देश की मुद्रा का ही आदान-प्रदान होता है।
  • 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
  • (i) परिवहन तथा संचार के साधन किसी देश की जीवन रेखा तथा अर्थव्यवस्था क्यों कहे जाते हैं?
  • उत्तर: परिवहन और संचार के साधन किसी देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं होते हैं।
  •  परिवहन और संचार के साधनों से आर्थिक विकास में बहुत गति मिलती है।
  • परिवहन और संचार के साधनों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ोतरी हुई है।
  • परिवहन और संचार के साधनों के कारण वस्तुओं और सेवाओं की पहुंच दूर तक बढ़ी है।
  • कृषि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में विकास के लिए परिवहन और संचार के साधनों का योगदान रहा है।
  • परिवहन और संचार के साधनों के कारण टेक्नोलॉजी संसार के विभिन्न कोणों में पहुंच गई है।
  • अतः स्पष्ट होता है कि परिवहन और संचार के साधन किसी देश की सभी आर्थिक क्रियाओं में महत्वपूर्ण योगदान निभाती है जो उस देश की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें किसी देश की जीवन रेखाएं कहा जाता है।
  • (ii) पिछले पंद्रह वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें।
  • उत्तर जब दो देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का विनिमय होता है तो उसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहते हैं विगत 15 वर्षों में देश के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बहुत बदलाव आया है। वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक महाशक्ति के रूप में उभरा है। भारत द्वारा आयातित वस्तुओं में पेट्रोलियम उत्पादकों में बढ़ोतरी का प्रतिशत 41.87% तथा कोक तथा कोयले का गोला एवं कोयले का आयात 94.17 % रहा। भारत द्वारा तकरीबन 67.01% उर्वरकों का विदेशी में आयात किया जाता है । भारत द्वारा किए जाने वाले वृहद् मशीनरी के आयात में 39.09% की वृद्धि हुई है। पिछले तीन दशकों के दौरान भारत के पर्यटन उघोग में काफी बढ़ोतरी हुई है वर्ष 2004 के दौरान इसमे 23.5 % की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 21,828 करोड़ रूपये विदेशी मुद्रा की प्राप्ति  हुई ।
  • प्रश्न पहेली-
  • 1. उत्तरी- दक्षिणी गलियारे का उत्तरी छोर-             श्रीनगर  
  • 2. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 का नाम-                   दिल्ली से कोलकाता
  • 3. दक्षिण रेलवे खड मुख्यालय-                           सिकंदराबाद
  • 4. 1.676 मीटर चौड़ाई वाले रेल मार्ग का नाम-       बड़ी लाइन
  • 5. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-7 का दक्षिणतम किनारा-  कन्याकुमारी
  •  6. एक नदीय पत्तन-                                       कोलकाता
  • 7. उत्तरी भारत का वयस्ततम रेलवे जंक्शन-           मुग़ल सराय

अतिरिक्त प्रश्न बैंक

  • प्रश्न 1. जनसंचार के दो इलेक्ट्रिॉनिक माध्यम कौन से हैं ? प्रत्येक की दो-दो विशेषताएँ बताइए। 
  • उत्तर- रेडियो और टेलीविज़न जनसंचार के दो मुख्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम हैं।
  • जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो की दो मुख्य विशेषताएँ हैं
  • (1) रेडियो सबसे सस्ता और सबसे प्रभावकारी जनसंचार का साधन है। इसके प्रसारण देश की 90% जनसंख्या तक पहुँच रहे हैं। उधर दूरदर्शन कार्यक्रमों का वही लाभ उठा सकते हैं जो ऊँची कीमतों पर टेलीविज़न सेट खरीदने में समर्थ हैं।
  • (2) सामाजिक शिक्षा और सूचनाएँ देने के अतिरिक्त यह हमारा मनोरंजन भी करता है।
  • टेलीविज़न की दो मुख्य विशेषताएँ
  • (1) इसमें रेडियो से अधिक प्रभावशाली ढंग से समाचारों, संवादों, संगीत विज्ञापनों आदि का विवरण दिया जा सकता है क्योंकि इस द्वारा सुनने के साथ-साथ बहुत सी चीज़ों को देखा भी जा सकता है। सुनने की बजाय देखने का और ही आनन्द होता है।
  • (2) परन्तु दूरदर्शन के प्रोग्रामों का प्रभाव इतना विस्तारपूर्वक नहीं होता क्योंकि हर आदमी के पास कीमती टेलीविज़न सेट लेने के लिए पैसे नहीं होते। इसलिए लोगों की अधिक संख्या इसका लाभ नहीं उठा सकती।
  • प्रश्न 2. डाक संचार में शीघ्रता हेतु, हाल ही में प्रारम्भ किए गए, छः डाक मार्गों का उल्लेख कीजिए।
  • उत्तर-संचार के साधन आज के युग में हमारे लिये बड़े महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं। डाक-संचार में शीघ्रता लाने हेतु हाल ही में शुरू किए गए छः डाक मार्ग उल्लेखनीय हैं।
  • इन्हें मेट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, राजधानी मार्ग, भारी संचार चैनल (Bulk mail channel) तथा दस्तावेज़ चैनल (Periodical channel) के नाम से जाना जाता है।
  • प्रश्न 3. रेल परिवहन कहाँ पर अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन है तथा क्यों ?       अथवा
  • भारतीय रेलें देश के आर्थिक विकास के साथ-साथ उद्योग और कृषि के विकास को बढ़ावा देती हैं। कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए। 
  • उत्तर- रेल परिवहन कुछ पहाड़ी और वनीय क्षेत्रों को छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर अत्यधिक सुविधाजनक साधन है। निम्नलिखित कारणों से यह अत्यधिक सुविधाजनक परिवहन साधन माना जाता है
  • (1) परिवहन के अन्य सभी साधनों की तुलना में रेलों में सफर करना बहुत सुविधाजनक रहता है। इसमें सोकर यात्रा कर सकते हैं।
  • (2) विशेष रूप से भारी सामान लाने और ले जाने में रेले बहुत उपयोगी सिद्ध होती 
  • (3) अन्य यातायात के साधनों की अपेक्षा रेलें भारी सामान को अधिक दूरस्थ क्षेत्रों तक ले जा सकती हैं। 1980 ई० में रेलमार्ग की कुल लम्बाई 61,000 किमी० के लगभग थी। 
  • (4) रेलों की सामान ढोने की क्षमता यातायात के अन्य सभी साधनों से बहुत अधिक है। देश के अन्दर ढोए जाने वाले कुल माल का 4/5 भाग रेलों द्वारा ही ढोया जाता है।
  • प्रश्न 4. रेलवे की समस्याओं का वर्णन कीजिए।           अथवा
  • भारतीय रेल-जाल के वितरण प्रतिरूप को भौतिक एवं आर्थिक कारक किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर:-  रेलवे की समस्याएँ –
  • (1) निर्माण के समय रेलों के लिए विशाल धनराशि की आवश्यकता पड़ती है।
  •  (2) रेलों की देखभाल और रख-रखाव पर बहुत खर्च आता है।
  • (3) विषम और ऊँचे-नीचे क्षेत्रों में, जहाँ ढलान की प्रवणता अधिक होती है, रेलमार्ग आसानी से नहीं बनाए जा सकते।
  • (4) फलों जैसे जल्दी खराब हो जाने वाले सामान को ले जाने में रेलें विशेष उपयोगी सिद्ध नहीं होतीं। 
  • (5) कई बार यात्री भी रेलों के लिए कई समस्याएँ पैदा कर देते हैं। उनमें से कुछ बिना टिकट के यात्रा करने का प्रयत्न करते हैं जबकि कुछ अन्य चेन खींचकर गाड़ी को व्यर्थ में ही रोकने का प्रयत्न करते हैं। परन्तु ऐसी कार्यवाई से रेलों के आने-जाने में देरी हो जाती है।
  • प्रश्न 5. “भारतीय सड़क परिवहन समस्याओं से ग्रसित है।” किन्हीं छः समस्याओं का वर्णन कीजिए।    अथवा
  • भारत में सड़क परिवहन के सम्मुख उपस्थित किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए। (Imp)
  • उत्तर- भारतीय सड़क परिवहन की समस्याएँ-चाहे सड़क परिवहन, परिवहन साधनों में से एक महत्त्वपूर्ण साधनहै परन्तु इसके सामने अनेक समस्याएँ भी हैं जिनमें से कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं :-
  • (1) भारत में यात्रियों की अधिक संख्या और माल को अधिक मात्रा को ध्यान में रखने से इस बात का आभास हो जाता है कि सड़कों का जाल अपेक्षाकृत कम है।
  • (2) भारत में लगभग पचास प्रतिशत सड़कें कच्ची हैं जो वर्षा के दिनों में कीचड़ से भर जाती हैं। 
  • (3) राष्ट्रीय राजमार्ग भी अपर्याप्त हैं और मुख्य रूप से वे बड़े नगरों तक ही सीमित हैं।
  • (4) इन सड़कों पर बने हुए बहुत से पुल और पुलियाँ न केवल संकरी हैं वरन् वह पुरानी होने के कारण टूटी-फूटी अवस्था में हैं और किसी भी समय बैठ सकती हैं।
  • प्रश्न 6. अनुकूल व्यापार संतुलन अर्थ समझाइए। भारत के विदेशी व्यापार का संतुलन कैसा है ?
  • उत्तर- अनुकूल व्यापार संतुलन का अर्थ- यदि निर्यात की गई वस्तुओं का मूल्य आयात की गई वस्तुओं के से अधिक होता है तब इसे व्यापार का अनुकूल संतुलन कहा जाता है। इसके विपरीत जब निर्यात की गई वस्तुओं का मूल्य आयात की गई वस्तुओं से कम हो तो इसे प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है।
  • भारत का विदेशी व्यापार संतुलन:- इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, कुछ दशकों से भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संतुलन प्रतिकूल है। उदाहरण के तौर -2000-2001 में भारत का कुल विदेशी व्यापार कोई 43 लाख करोड़ हुआ। कुल 47% का तो निर्यात हुआ पर 5.3% आयात करना पड़ा। दूसरे शब्दों में, भारत में निर्यात से आयात अधिक था इसलिए भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापर में हमें प्रतिकूल था।
  • परन्तु यह कोई अन्तर इतना बड़ा नहीं है और हम इस व्यापारिक संतुलन को आसानी से अपने पक्ष में कर सकते है एक तो हमें निर्यात किया जाने वाला माल उत्तम श्रेणी का बनाना होगा और दूसरे हमें कच्चे माल के बजाय बना हुआ अधिक मात्रा में बाहर भेजना होगा। तीसरे, हमें अपने आयात को कम करना होगा और स्वदेशी चीज़ों पर अधिक जो देत होगा।
  • प्रश्न 7. “स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार देश के हित में नहीं था”। क्यों ?
  • उत्तर- (1) स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारत मुख्यतः कच्चे माल जैसे कपास, तिलहन, जूट, खालों तथा खनिजों क निर्यात करता था। इसका निर्यात मुख्यतः ग्रेट ब्रिटेन के कारखानों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए किया जाता था।
  • (2) भारत में कच्चे माल के बदले लंकाशायर (इंग्लैंड के कपड़ा उद्योग का एक बड़ा केन्द्र) के इस उत्पादों का आयात किया जाता था। अतः भारतीय आयात का मुख्य भाग ग्रेट ब्रिटेन से ही आता या
  • (3) चाय एवं कहवा का निर्यात भी अंग्रेजी संरक्षण तथा पूँजी के अधीन होता था। ऊपर के विवरण से स्पष्ट है कि स्वतन्त्रता से पहले भारत का विभिन्न वस्तुओं का आयात अधिक और निर्यात कर था। इस तरह सारा लाभ इंग्लैंड तथा वहाँ के लोगों को ही चला जाता था। इस आर्थिक शोषण के कारण स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारत का विदेशी व्यापार उसके हित में नहीं था।
  • प्रश्न 8. स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ क्या रही हैं ? 
  • उत्तर–स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित रही है 
  • (1) स्वतन्त्रता के पश्चात् न केवल भारत के विदेशी व्यापार की मात्रा और मूल्यों में ही वृद्धि हुई है अपितु इसको दिशा में भी भारी परिवर्तन हुआ है। अब भारत केवल ग्रेट ब्रिटेन तथा राष्ट्रमंडल के साथ ही व्यापारिक संबंध से जुड़ा हुआ नहीं है जैसा कि स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व था। 
  • (2) अब भारत विदेशों को कच्चा तथा तैयार दोनों प्रकार का माल निर्यात करता है।
  • (3) आज भारत विदेशों की चाय, पटसन, सूती माल, कुछ चीनी, कहवा तथा इंजीनियरिंग का सामान है तथा विदेशों से मशीनें, प्राकृतिक तेल, लंबे रेशे की कपास, रसायन, ताँबा, परिवहन संबंधी उपकरणों आदि का आयात करता है। 
  • (4) अब भारत के व्यापारिक संबंध इंग्लैंड की अपेक्षा अन्य यूरोपीय देशों जैसे पोलैंड तथा जर्मनी, अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, अरब देशों आदि से बढ़ रहे हैं।
  • प्रश्न 9. राष्ट्रीय राजमार्ग तथा राज्य महामार्ग में अन्तर बताइए।
  • उत्तर- राष्ट्रीय महामार्ग (National Highways)- देशव्यापी पूर्व-पश्चिमी तथा उत्तर दक्षिणी को मिलाने वाले मुख्य सड़कें राष्ट्रीय महामार्ग कहलाती है। ये सड़कें भिन्न राज्यों से होकर जाती हैं और उन राज्यों के मुख्य नगरों को अपन में मिलाती है। इस प्रकार इन सड़कों का अपना राष्ट्रीय महत्त्व है। इनका निर्माण एवं देखभाल केन्द्रीय सरकार द्वारा किया जाता है। ग्रांड ट्रंक रोड (GT. Road) इसका अच्छा उदाहरण है। यह सड़क भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग है जो अमृतसर और कोलकाता को मिलाता है और भारत के कई राज्यों से होकर जाता है।
  • राज्य महामार्ग (State Highways)- राज्य की राजधानियों को राज्य के अन्य नगरों से मिलाने वाली सड़कों को राज्य महामार्ग कहते हैं। इनका निर्माण एवं देखभाल राज्य सरकारें करती है क्योंकि इन सड़कों का राज्य के लिए विशेष महत्व होता है। दिल्ली में रिंग रोड एक ऐसा ही राज्य मार्ग है ये सड़कें राज्य के नियन्त्रण में होती है।
  • प्रश्न 10. भारत में एक व्यापार के रूप में पर्यटन (Tourism) के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  • उत्तर:-  भारत में पर्यटन (Tourism) ने बड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। इसने पिछले तीन दशकों से व्यापार का रूप ले लिया है। यह भारत के लिए अनेक प्रकार से बड़ा उपयोगी और लाभकारी सिद्ध हो रहा है। 
  • (i) 2004 ई० में पर्यटन से भारत को कोई 21,828 करोड़ की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई।
  • (ii) 150 लाख से अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए हैं। यह उद्योग बड़ी संख्या में लोगों के जीवन का आधार है।
  • (iii) पर्यटन राष्ट्रीय एकता को भी प्रोत्साहित करता है।
  • (iv) अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति और विरासत की समझ विकसित करने में बड़ा सहायक सिद्ध हुआ है।
  • (v) यह स्थानीय हस्तकला और संस्कृति के विकास में भी बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • प्रश्न 11. पक्की सड़कों और कच्ची सड़कों में अन्तर बताइए।
  • उत्तर-पक्की सड़कें (Metalled Roads) – इन सड़कों को पत्थर, सीमेंट, कोलतार आदि से बनाया जाता है। इनका निर्माण एवं देखभाल केन्द्रीय सरकार अथवा राज्य सरकारों द्वारा होता है। ये देश के विभिन्न भागों में फैली होती है। उनमें जो सड़कें देश के विभिन्न राज्यों में से होकर जाती है (राष्ट्रीय महामार्ग) और सीमावर्ती सड़कों की देखभाल केन्द्रीय सरकार करती है जबकि राज्य महामार्गों की देखभाल राज्य सरकारें करती हैं। अपने नगर अथवा गाँव की सीमा में सड़कों की देखभाल नागरिक समितियाँ जैसे नगर निगम, नगरपालिका तथा डिस्ट्रिक्ट बोर्ड आदि करते हैं।
  • कच्ची सड़कें (Unsurfaced Roads) – ये सड़कें ग्राम पंचायतों द्वारा बनाई जाती हैं। ये गाँव को पक्की सड़कों से जोड़ती हैं। ये मिट्टी से बनाई जाती हैं। कहीं-कहीं इन पर ईटें बिछा दी जाती हैं। भारत में इस प्रकार की सड़कों की संख्या काफी अधिक है। भारत में वर्षा ऋतु में ये सड़कें यातायात के लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं होतीं। अन्य ऋतुओं में भी इन सड़कों पर प्रायः धीमी गति से चलने वाले वाहन ही आते-जाते हैं, जैसे बैलगाड़ी आदि। 
  • प्रश्न 12. व्यापार से आप क्या समझते हैं ? स्थानीय व अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अंतर स्पष्ट करो।
  • उत्तर- व्यापार स्थानीय (या राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (Local (or National) and International Trade)-चीज़ों के आपसी लेन-देन को, चाहे वह देश के अन्दर हो या बाहर, व्यापार कहा जाता है। स्थानीय या राष्ट्रीय व्यापार उस व्यापार को कहते हैं जहाँ चीज़ों की अदला-बदली देश के अंदर ही होती है जैसे एक प्रदेश में चीज़ों का लाना- ले जाना। इसमें अपने देश की ही मुद्रा चलती है।
  • इसके विपरीत जब चीज़ों की अदला-बदली विश्व के विभिन्न राज्यों में आपस में होती है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं; जैसे-पटसन के सामान को भारत द्वारा अन्य देशों को भेजना।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विदेशी मुद्रा की आवश्कयता होती है। 
  • प्रश्न 13. रेलवे जंक्शन और समुद्री पत्तनों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर- रेलवे जंक्शन (Railway Junction)-रेलवे जंक्शन उस स्थान को कहते हैं जहाँ एक दिशा से दूसरी दिशा को रेल-गाड़ियाँ आती-जाती रहती हैं। ऐसे रेलवे जंक्शन समुद्र के पास भी हो सकते हैं और समुद्र से दूर देश के आंतरिक भागों में भी हो सकते हैं। साधारणतया वे देश के आंतरिक भागों में लोगों की परिवहन समस्या को हल करते हैं।
  • समुद्री पत्तन (Sea-Port) – समुद्री पत्तन ऐसे स्थान को कहते हैं जहाँ समुद्री जहाज आते-जाते रहते हैं। ऐसे पत्तन समुद्री तट के साथ ही स्थित होते हैं और साधारणतया वे उन लोगों की परिवहन की समस्या को हल करते हैं जो समुद्री तट के निकट रहते हैं। एक समुद्री पत्तन मैदानों, पठारों, मरुस्थलों आदि में नहीं बनाया जा सकता जबकि एक रेलवे रंक्शन बनाया जा सकता है।
  • प्रश्न 14. भारत की नौ-परिवहन योग्य दो नदियों के नाम बताइए। सड़क परिवहन की अपेक्षा जल परिवहन सस्ता क्यों है ? दो कारण बताइए। 
  • उत्तर-गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि भारत की नौ-परिवहन योग्य दो नदियाँ हैं। मैदानी क्षेत्रों में इन नदियों में दूर तक नौकायें और मोटर-नौकायें चलाई जा सकती है।
  • सड़क परिवहन की अपेक्षा जल परिवहन सस्ता है, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं 
  • (1) जल-परिवहन में टायरों आदि की इतनी घिसाई नहीं होती जितनी सड़क पर चलने से होती है।
  •  (2) जितने तेल (पेट्रोल एवं डीज़ल) से सड़क पर जितनी दूरी पर जाया जा सकता है पानी में उतने तेल से कहाँ अधिक दूरी तक जाया जा सकता है, क्योंकि पानी नौका को स्वयं ऊपर उठाए रखता है। 
  • (3) पानी पर चलने वाले वाहनों की दुर्घटना की भी कम संभावना होती है जबकि सड़क पर चलने वाले वाहनों में दुर्घटना एक आम चीज़ है।
  • प्रश्न 15. भारतीय रेल जाल के वितरण को भौतिक तथा आर्थिक कारक किस प्रकार प्रभावित करते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।             अथवा
  • हमारे देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले भू-आकृतिक और आर्थिक कारकों का विश्लेषण कीजिए।
  • उत्तर- बहुत से कारक भारतीय रेल-जाल के वितरण को प्रभावित करते हैं। निःसंदेह इनमें से भौतिक तथा आर्थिक कारक सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
  • भौतिक या भू-आकृतिक कारक-भौतिक या भू-आकृतिक कारक; जैसे- मैदान, पर्वत, मरुस्थल आदि भारतीय रेल-जाल के वितरण को काफी प्रभावित करते हैं। यदि भूमि मैदानी और समतल होगी; जैसे-उत्तरी भारत के मैदान हैं तो वहाँ रेलें बिछाना काफी आसान होगा। अभी अगर इसके विपरीत भूमि पहाड़ी या ऊबड़-खाबड़ होगी, जैसे कि हिमालय के भाग हैं वहाँ भी रेल लाइन बिछाना काफी कठिन होता है। इसी प्रकार जिन भागों में वर्षा अधिक होती है जैसे भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य तो वहाँ भी रेल लाइनें बिछाना कठिन होता है। राजस्थान जैसे मरुस्थलीय भागों में रेल लाइनें बिछाना कोई इतना आसान कार्य नहीं होता। इस प्रकार भारतीय रेल-जाल के वितरण पर भौतिक कारकों का काफी प्रभाव रहता है।
  • आर्थिक कारक– आर्थिक कारक भी जैसे जनसंख्या का घनत्व अधिक होना, कृषि कार्य उन्नत होना तथा औद्योगिक गतिविधियाँ अच्छी होना आदि भी भारतीय रेल- जाल के वितरण को काफी प्रभावित करते हैं, क्योंकि ऐसे भागों में रेलों की आवश्यकता अधिक पड़ती है।
  • प्रश्न 16. सड़क परिवहन के तीन गुण बताएँ।        अथवा         सड़क परिवहन रेल परिवहन की अपेक्षा किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है ?
  • उत्तर-सड़क परिवहन के अपने विशेष गुण हैं जो रेल परिवहन से तुलना करने पर निखर कर सामने आते हैं 
  • (i) यह रेल परिवहन से कहीं बेहतर होता है क्योंकि यह बहुत अधिक लचीला होता है। इसके द्वारा आप निर्माता के द्वार से उपभोक्ता के घर तक पहुँच सकते हैं।
  • (ii) हमारे के बहुत से पहाड़ी भाग ऐसे भी हैं जैसे कश्मीर, असम आदि जहाँ रेलें अभी तक न के बराबर हैं। ऐसे स्थानों में सड़क परिवहन का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
  • (iii) सड़क यातायात रेलों द्वारा चलाए गए सामान को भी नियत स्थानों पर पहुँचाता है।
  • प्रश्न 17. पेट्रोलियम और गैस के परिवहन पाइप लाइनों लाभ बताइए।
  • उत्तर–(1) शुरू में ये पाइप लाइनें बिछाने में काफी खर्च आता है, परन्तु बाद में व्यय में काफी कमी आ जाती है। 
  • (2) पाइप लाइनों द्वारा खनिज तेल और प्राकृतिक गैस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में एक तो समय नष्ट नहीं होता और दूसरे मार्ग में होने वाली चोरी और बर्बादी से भी बचा जा सकता है।
  • (3) इसके अतिरिक्त रेलवे पर चीज़ों के ढोने का बोझा भी बहुत कम हो जाता है।
  • प्रश्न 18. भारतीय रेलों पर बढ़ते हुए दबाव को कम करने वाले किन्हीं चार उपायों को स्पष्ट कीजिए। 
  • उत्तर भारतीय रेलों पर बढ़ते हुए दबाव को कम करने के लिए निम्नलिखित तीन उपाय अपनाये गए है
  • (1) भाप के इंजनों के स्थान पर डीज़ल और बिजली से चलने वाले इंजन प्रयोग में लाने चाहिए।
  • (2) इसी प्रकार अब सीमेंट, उर्वरक आदि भारी उद्योगों में शक्ति-चालन का कार्य कोयले से न लेकर डीजल और बिजली से लिया जाने लगा है।
  • (3) तीसरे, अब पाइप लाइनों द्वारा गैस और खनिज तेल दूर के स्थानों तक ले जाया जाने लगा है।
  • (4) थोड़े फासले पर माल और सवारी ले जाने के लिए अधिक बस और ट्रक सेवाएँ उपलब्ध करानी चाहिए।
  •  प्रश्न 19. रेल इंजनों के तीन प्रकार कौन-से हैं ? प्रत्येक की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर- रेल इंजन तीन प्रकार के होते हैं, जैसे
  • (1) वाष्प इंजन,।       (2) विद्युत इंजन,।         (3) डीज़ल इंजन।
  • (1) वाष्प इंजन-देश के विभाजन के समय कोयले से चलने वाले इंजन ही अधिक होते थे। परन्तु इनमें प्रदूषण की संभावना अधिक होती है और इनके लिए कोयला भी दूर-दूर तक ढोना पड़ता है इसलिए इन्हें मौका पड़ते ही बदल दिया गया और इसके बदले बिजली और डीज़ल के इंजन प्रयोग में लाये जाने लगे हैं।
  • (2) विद्युत इंजन-इन इंजनों की रफ्तार भी अधिक होती है, प्रदूषण भी नहीं होता और दूर दूर तक कोयला ढोने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती, इसलिए अब इनका ही अधिक प्रयोग होने लगा है।
  • (3) डीज़ल इंजन– यह इंजन अधिक शक्तिशाली होते हैं इसलिए इनका प्रयोग मालगाड़ी और सवारी गाड़ी में अधिक से अधिक डिब्बे खींचने के लिए किया जाता है। जहाँ बिजली उपलब्ध नहीं वहाँ ऐसे इंजनों का प्रयोग करना काफी लाभदायक सिद्ध हुआ है।
  • प्रश्न 20. स्वतन्त्रता के पश्चात् रेलवे विस्तार में चार कौन-से प्रमुख परिवर्तन हुए हैं ?         अथवा
  • भारतीय रेलों द्वारा अपनी कार्यप्रणाली में किए गए सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  • उत्तर- भारतीय रेलों द्वारा अपनी कार्यप्रणाली में किए गए सुधार भारतीय रेलों द्वारा अपनी कार्यप्रणाली में, शेषकर स्वतन्त्रता के पश्चात् अनेक सुधार किए गए –
  • (1) टिकटों की बिक्री में हेर-फेर को रोकने के लिए अब कंप्यूटर द्वारा टिकटों की बुकिंग होनी शुरू हो गई है। अब कोई भी बुकिंग एजेंट या रेलने का अधिकारी लोगों को धोखा नहीं दे सकता।
  • (2) सबसे पहले रेलों के विद्युतीकरण की ओर अधिक जोर दिया जा रहा है ताकि यात्रियों के लिए यात्रा प्रदूषण से मुक्त और सुखमय हो सके।
  • (3) क्रियाशील रेल मार्गों के साथ और लाइनें बिछा दी गई हैं ताकि रेलों के आने-जाने में एक-दूसरे की प्रतीक्षा न करनी पड़े और यात्रियों का समय व्यर्थ न जाए।
  • (4) रेलवे इंजनों, यात्री-डिब्बों और मालगाड़ी के डिब्बों का निर्माण अधिक मात्रा में अपने देश में ही स्थायी रूप से होने लगा है जिसके कारण अधिक रेलें चलाना आसान हो गया है।
  • (5) छोटी लाइनों (Metre Gauge) को बड़ी लाइनों (Broad Gauge) में बदला जा रहा है।
  • प्रश्न 21. भारत में उत्तर पूर्वी राज्यों में वायु परिवहन को प्राथमिकता क्यों दी जाती है व्याख्या कीजिए।  अथवा
  • भारत में वायु परिवहन के महत्त्व को चार बिंद देकर स्पष्ट करें। 
  • उत्तर- वायु परिवहन के गुणवायु परिवहन के अनेक गुण है 
  • (1) भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य (जैसे असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, मेघालय आदि) पहाड़ी राज्य है जहाँ सड़कों और रेलों आदि का बनाना काफी कठिन होता है। वहाँ वायु परिवहन को ही प्राथमिकता दी जाती है।
  • (2) दूसरे, वायु यातायात परिवहन के सभी साधनों के मुकाबले में सबसे तेज़ है जो काम शीघ्रता से इसके द्वारा हो सकते हैं वे किसी अन्य साधन से नहीं। 
  • (3) इन उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ अनेक विदेशी देशों की सीमाएँ लगती हैं और ऐसे में किसी समय देश की सीमाओं की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है जहाँ यह काम बड़ी तेज़ी से करना पड़ता है, ऐसे में वायु परिवहन ही सबसे उत्तम होता है।
  • (4) इन सीमावर्ती प्रदेशों में जवानों के रख-रखाव और सुरक्षा का प्रश्न सबसे आगे होता है। उनको भोजन सामग्री के साथ-साथ युद्ध सम्बन्धित सामग्री भी पहुंचानी होती है और वह भी शीघ्रता से ऐसा काम वायु परिवहन से ही संभव है, किसी अन्य साधन से नहीं।
  • वायु परिवहन के अवगुण
  • (1) वायु परिवहन, परिवहन के अन्य सभी साधनों; जैसे-रेल, सड़क, जल परिवहन आदि से महंगा होता है। हर व्यक्ति इसका प्रयोग नहीं कर सकता।
  • (2) वायु परिवहन, परिवहन का सबसे खतरनाक साध है। कोई भी हवाई हादसा हो जाने पर बचने की उम्मीद कम ही होती है।
  • प्रश्न 22. सीमांत सड़कों का महत्त्व बताएँ। 
  • उत्तर-सीमांत सड़कों का महत्त्व
  • (1) ये सड़कें सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों विशेषकर अगली चौकियों पर रखवाली करने वाले सैनिकों को प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने में बड़ी सहायक सिद्ध होती है। 
  • (ii) युद्ध के समय इन्हीं सड़कों से फौजियों को लड़ाई का सामान, खाद्य सामग्री तथा अन्य प्रकार की सहायता पहुंचाई जा सकती है।
  • प्रश्न 23. परिवहन तथा संचार के विभिन्न साधनों को किसी राष्ट्र तथा उसकी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ क्यों कहा जाता है ?    अथवा
  • देश के आर्थिक विकास में परिवहन और संचार के साधन किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं ? स्पष्ट कीजिए। 
  • उत्तर-परिवहन के साधन (Means of Transport)-वे साधन जिनका प्रयोग यात्री एवं भार को एक स्थान से दूसरे स्थान तक होने के लिए किया जाता है, उन्हें यातायात के साधन कहते हैं, जैसे-बसें, रेलगाड़ियाँ, यात्री भार वाहक पोत, ट्रक, वायुयान आदि। वायुयान सबसे अधिक तीव्रगामी तथा सबसे महंगा साधन होता है जबकि जलमार्ग बहुत मंद गति वाला परंतु सबसे सस्ता साधन होता है।
  • संचार के साधन (Means of Communication)- संचार व्यवस्था से हमारा भाव ऐसे साधनों से है जिनका प्रयोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए किया जाता है। रेडियो, टेलीविज़न, बेतार का तार तथा डाक सेवाएँ आदि संचार के साधनों के विभिन्न रूप हैं। रेडियो और टेलीविज़न का प्रयोग जन-संचार के रूप में काफी बढ़ रहा है। यातायात और संचार साधनों को किसी देश की जीवन-रेखाएँ कहे जाने के कारण-यातायात और संचार के साधन एक-दूसरे के पूरक है और अपने अनेक गुणों के कारण किसी देश की जीवन रेखाएँ कहे जाते हैं। ऐसा कहना बड़ा सत्य है।
  • (1) यातायात के साधन संचार साधनों सहित देश एवं विदेश के दूर स्थिति इलाकों को एक-दूसरे से मिलाते है।
  • (2) यातायात और संचार के साधन स्थानीय, राष्ट्र व विश्व व्यापार के लिए पूर्व-अपेक्षित हैं और इनके बिना व्यापार का विकास संभव ही नहीं। 
  • (3) यातायात और संचार के साधनों ने राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन (Tourism) को बड़ा बढ़ावा दिया है। भारत को पर्यटन से मूल्यवान विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। 
  • (4) युद्ध के समय इन साधनों के महत्त्व को भुलाया नहीं जा सकता। इनके द्वारा सारा देश रक्षा सेनाओं की सहायता में कटिबद्ध हो जाता है और हथियारों, गोलाबारूद तथा रसद पहुँचाने का काम आसान हो जाता है।
  • प्रश्न 24. संचार सेवाओं को दो वर्गों में वर्गीकृत कीजिए। प्रत्येक वर्ग की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर- संचार सेवाओं को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जाता है
  • (1) व्यक्तिगत संचार सेवाएँ (Personal Communication) 
  • (2) जन संचार सेवाएँ (Mass or Global Communication)
  • व्यक्तिगत संचार सेवाएं और उनकी विशेषताएँ-
  • इन सेवाओं का दायरा काफी सीमित होता है।
  • (1) यह संचार सेवा संदेश भेजने वाले और संदेश प्राप्त करने वाले तक सीमित होती है। 
  • (2) इस संचार व्यवस्था में डाक विभाग, टेलीफोन विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पहले यह कार्य केवल डाक विभाग तक ही सीमित था परंतु प्रगति के साथ-साथ अब टेलीफोन विभाग भी इस व्यक्तिगत संचार व्यवस्था में काफी योगदान दे रहा है।
  • जन संचार सेवाओं की विशेषताएँ-
  • इन सेवाओं का ढांचा काफी विस्तृत होता है। 
  • (1) आधुनिक समय में जन-संचार सेवाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है।
  • (2) अब जन संचार में डाक और टेलीफोन की सेवाओं के अतिरिक्त जन संचार के अनेक अन्य साधन जैसे रेडियो, समाचार-पत्र, टेलीप्रिंट, प्रेस, सिनेमा आदि सेवाएँ भी मनुष्य मात्र के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।
  • (3) उदाहरण के तौर पर, टेलीविज़न को ही ले लीजिए। अब व्यक्ति इसके द्वारा देश-विदेश की हर घटना के विषय में जान सकता है। 
  • (4) यही अवस्था जन संचार के अन्य साधनों की है। ग़रीब लोग जो टेलीविज़न नहीं ले सकते वे रेडियो से ही अपना काम चला लेते हैं।
  • प्रश्न 25. आधुनिक समय में संचार के साधनों की महत्ता का वर्णन कीजिए।
  • उत्तर- संचार का महत्त्व (Importance of Communication)
  • (1) संचार के विभिन्न साधन अब जीवन के लिए बड़े महत्त्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि कोई भी अपने सगे-संबंधियों और मित्रों से संपर्क रखे बिना नहीं रह सकता। 
  • (2) इन द्वारा व्यापार और वाणिज्य को भी बड़ा लाभ रहा है। इन द्वारा विभिन्न नगरों में रहने वाले व्यापारी लाखों करोड़ों का व्यापार कर लेते हैं। 
  • (3) संचार के विभिन्न साधनों से राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा मिला है।(4) शांति के दिनों में इनका काफ़ी लाभ होता है परन्तु युद्ध के समय इनका महत्त्व और भी कई गुणा बढ़ जाता है। 
  • (5) सरकार को भी इन साधनों द्वारा शांति तथा व्यवस्था बनाए रखने में विशेष लाभ रहता है। 
  • (6) सीमाओं पर बैठी हुई हमारी सेनाओं का देश के अन्य भागों से संचार के इन्हीं साधनों द्वारा संपर्क बना रहता है।
  • प्रश्न 26. “आधुनिक समय में बदलाव की गति तीव्र है।” इस कथन को ध्यान में रखते हुए विभिन्न संचार का, जो भारत में प्रयोग किए जाते हैं, वर्णन कीजिए।
  • उत्तर- भारत में विभिन्न प्रकार के संचार माध्यमों की स्थिति निम्नलिखित है
  • (1) जनसंचार में रेडियो, दूरदर्शन, समाचारपत्र, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि सम्मिलित हैं।
  • (2) आकाशवाणी विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत करता है। 
  • (3) दूरदर्शन देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश माध्यम है। यह विश्व के बड़े संचार-तंत्रों में से एक है। यह विभिन्न चैनलों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार के मनोरंजक, ज्ञानवर्धक व खेल संबंधी कार्यक्रम प्रस्तुत करता है।
  • (4) भारत में अनेक समाचारपत्र, सामयिक पत्रिकाएँ (मासिक, साप्ताहिक) लगभग 100 भाषाओं में छापे जाते हैं। सबसे अधिक समाचारपत्र हिंदी में और इसके बाद व उर्दू में छपते हैं। 
  • (5) भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक है। अन्य कई प्रकार की फिल्में भी बनाई जाती है। फिल्मों को प्रमाणित करने का कार्य केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड करता है। ” 
  • प्रश्न 27. “सक्षम परिवहन के साधन तीव्र विकास हेतु पूर्व अपेक्षित या आवश्यक है।” इस कथन के पक्ष में अपने विचार व्यक्त कीजिए।           अथवा
  • वस्तुओं तथा सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए परिवहन के तीव्र एवं सक्षम साधन क्यों आवश्यक है? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।        अथवा
  •  “सघन और सक्षम परिवहन का जाल स्थानीय और राष्ट्रीय विकास हेतु पूर्व-अपेक्षित है।” कथन का विश्लेषण कीजिए। 
  • उत्तर–इस कथन में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि सघन एवं सक्षम परिवहन का जाल और संचार के साधन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए पूर्व अपेक्षित या आवश्यक हैं। इस कथन की अनेक तर्कों से पुष्टि की जा सकती है
  • (1) इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि परिवहन, संचार और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। परिवहन और संचार के के साधनों के बिना कोई भी व्यापार संभव नहीं।
  • (2) देश या संसार का कोई भाग ऐसा नहीं जहाँ सभी वस्तुएँ तथा सेवाएँ उपलब्ध हों। उन्हें दूसरे भागों से यहाँ लाना पड़ता है। परन्तु ऐसा साधन एवं सक्षम परिवहन जाल और संचार के साधनों के बिना संभव नहीं।
  • (3) सक्षम और तीव्र गति वाले परिवहन और संचार के साधनों ने एक देश बल्कि संसार को एक गाँव में परिवर्तित कर दिया है। इन साधनों द्वारा हम अपने देश की फालतू चीजें देश या विश्व के अन्य भागों में भेज सकते हैं और वहाँ अधिक पैदा होने वाली चीज़ों को अपने देश में मंगवा सकते हैं।
  • (4) चीज़ों और सेवाओं के आदान-प्रदान ने व्यापार को बहुत बढ़ावा दिया है। परन्तु चीज़ों का आदान-प्रदान परिवहन और संचार के साधनों के बिना संभव नहीं। इसलिए ठीक ही कहा गया है कि सघन एवं सक्षम परिवहन का जाल और संचार के साधन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए पूर्व अपेक्षित हैं। 
  • प्रश्न 28. भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक उपयोगी क्यों है ? चार कारण स्पष्ट कीजिए।   अथवा
  • भारत में सड़क परिवहन अभी भी रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।” तर्कों सहित इस कथन का समर्थन कीजिए।   अथवा
  • भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है। यह सड़क जाल 23 लाख किमी. है। किस प्रकार से सड़क परिवहन रेल परिवहन से अच्छा और अधिक महत्ता वाला है ?
  •  उत्तर- भारत में आज भी सड़क परिवहन रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है। इसके समर्थन में निम्नलिखित तर्क हो सकते हैं।
  • (1) सड़क का निर्माण रेलों की अपेक्षा सस्ता पड़ता है। सड़क बनाने के लिए किसी विशेष तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता नहीं पड़ती जबकि रेल मार्ग के निर्माण में विशाल पूँजी एवं तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता पड़ती थी क्योंकि लाइनें बिछाने, प्लेटफार्म के निर्माण एवं देखभाल, सिग्नल तथा अन्य तकनीकी उपकरणों के निर्माण आदि के लिए पूँजी तथा तकनीकी ज्ञान की काफी आवश्यकता होती है।
  • (2) सड़क परिवहन अत्यंत द्रुतगामी होता है अतः इससे शीघ्र खराब होने वाले पदार्थ आसानी से भेजे जा सकते। है। अत: यह सब्जी, मछली, मांस, दुग्धोत्पादक वस्तुओं और फलों के ढोने में विशेष उपयोगी सिद्ध होता है।
  • (3) सड़क परिवहन रेल परिवहन से अधिक लोचदार होता है। मोटर गाड़ी का किसी भी समय किराये पर लेकर ● उपयोग किया जा सकता है और यह देश के भीतरी भागों में जा सकती है। उदाहरणार्थ, हमारे देश के पहाड़ी क्षेत्रों में सड़क परिवहन से ही बहुत सा माल पहुँचाया जा सकता है। रेलें इन क्षेत्रों में नहीं बनाई जा सकतीं।
  • (4) सड़क परिवहन की देखभाल तथा रख-रखाव पर रेल परिवहन की अपेक्षा कम व्यय होता है।
  • प्रश्न 29. लम्बे मार्ग भारत में रेल द्वारा जोड़े गए हैं जबकि छोटे मार्ग सड़कों द्वारा इस प्रकार की व्यवस्था के दो गुण और दो अवगुण लिखिए।
  • उत्तर-रेल यातायात के दो लाभ
  • (1) रेलवे द्वारा दूर के स्थानों में जाना काफी सुविधापूर्ण और सुरक्षित रहता है। सोने और खाने-पीने की सुविधा केवल रेलों द्वारा ही उपलब्ध कराई जाती है।
  •  (2) भारी सामान और खराब न होने वाले सामान जैसे भवन निर्माण सामग्री, मशीनरी आदि को रेलों द्वारा लाना ले-जाना ही उचित और सस्ता होता है।
  • रेल यातायात की दो हानियाँ
  • (1) रेगिस्तानों और पहाड़ी भागों में रेलें बनाना काफी कठिन, बल्कि असंभव ही रहता है।
  • (2) जल्दी खराब होने वाले सामान जैसे फलों और सब्जियों को रेलों द्वारा लाना ले जाना उचित नहीं समझा जाता।
  • सड़क परिवहन के दो लाभ –
  • (1) कम दूरी वाले मार्गों, गाँवों से मिलने वाले मार्गों, पहाड़ी और जंगली इलाकों में सड़क परिवहन ही उत्तम जाता है।
  • (2) जैसा कि ऊपर कहा गया है कि जल्दी खराब हो जाने वाली वस्तुओं के लिए सड़क परिवहन ही उत्तम होता है।
  • सड़क परिवहन की दो हानियाँ 
  • (1) लम्बी दूरी की यात्रा के लिए सड़क परिवहन उचित नहीं होता क्योंकि इसमें लम्बे सफर की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होतीं।
  • (2) भारी सामान, भवन निर्माण सामग्री, मशीनरी आदि की ढुलाई के लिए सड़क परिवहन इतना उचित सिद्ध नहीं होता।
  • प्रश्न 30. भारत के किन्हीं दो अंतःस्थलीय जलमार्गों का उल्लेख कीजिए। प्रत्येक की तीन-तीन विशेषताएँ लिखिए। 
  • उत्तर-गंगा और ब्रह्मपुत्र भारत के दो प्रमुख अंतःस्थलीय जलमार्ग हैं। 
  • (क) गंगा नदी
  • (i) हल्दिया और इलाहाबाद के मध्य जलमार्ग को जो कोई 1620 किमी० लम्बा है उसे सरकार द्वारा जलमार्ग संख्या 1 का नाम दिया गया है।
  • (ii) यही जलमार्ग मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है। 
  • (iii) अन्य जल परिवहन की भाँति यह जलमार्ग परिवहन का सबसे सस्ता साधन है।
  • (ख) ब्रह्मपुत्र नदी
  • (i) सदीया (SADIYA) और धुबरी (DHUBRI) के मध्य यह जलमार्ग कुल 891 किलोमीटर लम्ब है। यह नौगम्य जलमार्ग संख्या 2 के नाम से जाना जाता है।
  • (ii) ब्रह्मपुत्र नदी का यह जलमार्ग अन्य नौकाओं के अतिरिक्त मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है। 
  • (iii) इस जलमार्ग द्वारा न केवल यात्रियों को वरन् भारी व स्थूलकाय वस्तुओं के ले जाने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 10. भारत की विभिन्न प्रकार की सड़कों का वर्णन कीजिए। 

उत्तर- 1. स्वर्णिम चतुर्मुख महा राजमार्ग (Golden Quadrilateral Super Highways)- देश में परिवहन को और तेज बनाने के लिए इन स्वर्णिम चतुर्मुख महा राजमार्गों की योजना बनाई गई है। ऐसे महामार्ग चार से छः लेन तक होते हैं।

2. राष्ट्रीय महामार्ग (National Highways)- ये राष्ट्रीय महत्त्व की सड़कें विभिन्न राज्यों की राजधानियों को आपस में मिलाती है। भारत में इन राष्ट्रीय महामार्गों की कुल लम्बाई कोई 52,000 किलोमीटर है। 

3. राज्य महामार्ग (State Highways)- ये महामार्ग प्रत्येक राज्य की राजधानी को उस राज्य के अनेक • नगरों से मिलाते हैं। इनका रख-रखाव राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। ऐसे महामार्गों की लम्बाई 1.3 लाख किमी० है।

4.जिले की सड़कें (District Roads) – ये सड़कें जिला मुख्यालय को जिले के अन्य नगरों व कस्बों से जोड़ती है।

5. गाँव की सड़कें (Village Roads) – ये सड़कें गाँव को जिले के विभिन्न नगरों से मिलाती हैं। 

6. सीमा सड़कें (Border Roads) – यह सड़कें बहुत महत्त्व की होती हैं। इनका निर्माण देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में किया जाता है। इनका रख-रखाव केन्द्रीय सरकार करती है। इनके निर्माण के लिए केन्द्रीय सरकार ने सीमा सड़क विकास बोर्ड (Border Roads Development Board) नामक संगठन का निर्माण कर रखा है। ये संगठन सीमावर्ती सड़कों की मरम्मत का कार्य भी देखता है और नई सड़कों का निर्माण भी करता है।

प्रश्न 15. व्यापार क्या है ? अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – व्यापार:-राज्यों व देशों के बीच वस्तुओं के आदान-प्रदान को व्यापार कहा जाता है। यदि यह व्यापार देश के विभिन्न राज्यों के बीच हो तो इसे राज्यस्तरीय व्यापार कहा जाता है। यदि यह व्यापार विश्व के अनेक देश के बीच हो तो इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्व –

(i) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा देश की समृद्धि को काफी सहयोग मिलता है, विशेषकर जब इस व्यापार में लगे हुए बहुत से व्यापारियों और कारीगरों को इसमें जीवन उपार्जन के साधन मिलते हैं।

(ii) इस अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से हमें वह बहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जिसका प्रयोग हम अनेक महत्वपूर्ण वस्तुओं के आयात में कर सकते हैं जिनकी हमारे देश और उद्योगों को आवश्यकता होती है।

(iii) नि:संदेह आज के युग में विश्व का कोई भी देश इस व्यापार के बिना जिंदा नहीं रह सकता। 

(iv) यदि यह व्यापार हमारे पक्ष में न हो जैसा कि स्वतंत्रता से पूर्व ब्रिटिश राज्य में होता था तो ऐसे में देश (भारत) को काफी हानि होती थी। हमें विदेश से चीज़ों का आयात करने से अधिक धन देना पड़ता था जबकि कर चीज़ों का निर्यात करने के परिणामस्वरूप हमें कम धन की प्राप्ति होती थी। ऐसे में हमारा देश भारत धीरे-धीर निर्धन होता जा रहा था और इंग्लैंड के लोगों की जेबें भरी रहती थीं।

प्रश्न 18, पिछले 15 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्ति पर एक लेख लिखें।

उत्तर: भारत 20वीं शताब्दी के पांचवें दशक में कच्चे माल और अर्द्ध-निर्मित वस्तुओं का ही अधिक निर्यात था क्योंकि उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था अपने प्राथमिक रूप में ही थी। इस काल में भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में कपास का धागा, सूती कपड़ा, नारियल का धागा, कच्चा लोहा, पटसन का सामान, चमड़ा, खालें, तंबाकू, वनस्पति तेल, कॉफी, चाय, मैंगनीज, समुक मोती और बहुमूल्य पत्थर आदि शामिल थे।

पिछले 15 वर्षों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक नवीन झुकाव दृष्टिगोचर हुआ। इस काल में भारत की अर्थव्यवस्थाने अपना प्राथमिक (Primary) रूप बदला और उसने अपने द्वितीयक (Secondary) रूप को धारण किया। अब भारत ने प्राथमिक उत्पादों से अनेक प्रकार की उपयोगी वस्तुएँ बनाना आरम्भ कर दिया और अपने प्रशिक्षित कारीगरों के कौशल और प्रवीणता के फलस्वरूप उनके मूल्य में वृद्धि करनी शुरू कर दी। इस काल में भारत से मुख्य रूप से रत्न, जवाहरात, सूती कपड़े, चाय, मशीनरी, यातायात संबंधी उपकरण, लोहा-इस्पात, चमड़ा, चमड़े का सामान आदि निर्यात होने लगे। परंतु अब भी व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में नहीं था क्योंकि भारत के आयात और निर्यात में भारी अंतर था। उसका आयात निर्यात से अधिक था।

भारत में मानव-शक्ति के अपार साधन हैं। भारत को अपने विशाल मानव संपदा के साधनों का और अपनी कार्यशील जनसंख्या के कौशल का पूरा लाभ उठाना चाहिए और अपने प्राथमिक उत्पादों से अनेक वस्तुएँ निर्माण कर उनके मूल्य में वृद्धि करनी चाहिए।

प्रश्न 1. वस्तुओं तथा सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए परिवहन के तीव्र एवं सक्षम साधन क्यों आवश्यक हैं ? उदाहरणें सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-(1) वस्तुएँ तथा सेवाएँ माँग स्थल से आपूर्ति स्थल पर अपने आप नहीं पहुँचती है। वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है।

(2) परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है इसलिए परिवहन, संचार व व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं।

(3) सघन व सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन आज विश्व, राष्ट्र व स्थानीय व्यापार हेतु पूर्व अपेक्षित है। रेल, सड़क, वायु एवं जल परिवहन आदि भारत के सामाजिक, आर्थिक विकास में अनेक प्रकार से सहायता कर रहे हैं।

प्रश्न 2. “सघन और सक्षम परिवहन का जाल स्थानीय और राष्ट्रीय विकास हेतु पूर्व अपेक्षित है।” कथन का विश्लेषण कीजिए।      अथवा

तीव्र विकास के लिए परिवहन के सक्षम साधनों की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर-(1) वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है।

(2) परिवहन को स्थल, जल व वायु परिवहन में वर्गीकृत किया जा सकता है। सघन व सक्षम परिवहन का जाल तथा संचार के साधन आज विश्व राष्ट्र व स्थानीय व्यापार हेतु पूर्व अपेक्षित हैं।

(3) एक देश के विकास की गति वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के साथ उनके एक स्थान से दूसरे स्थान तक वहन की सुविधा पर निर्भर करता है। स्थानिक से अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय व्यापार ने अर्थव्यवस्था को जीवन शक्ति दी है। इसने हमारे जीवन को समृद्ध किया है तथा आरामदायक जीवन के लिए सुविधाओं व साधनों में बढ़ोत्तरी की है।

प्रश्न 3. “सक्षम और तीव्र गति वाले परिवहन और संचार साधनों ने संसार को एक बड़े गाँव में परिवर्तित कर दिया है।” उदाहरणों सहित इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।  अथवा

स्पष्ट कीजिए कि आजकल के व्यापार के लिए परिवहन और संचार के साधन और सक्षम साधनों का ताना-बाना पहली शर्त क्यों है? कोई चार कारण दीजिए।  अथवा

“परिवहन, संचार और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।” चार उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।        अथवा

“परिवहन और व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।

उत्तर- व्यापार के लिए परिवहन और संचार के साधन और सक्षम साधनों का ताना-बाना पहली शर्त है, क्योंकि : 

(1) सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज संसार एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो गया है।

(2) परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है।

(3) इसीलिए परिवहन, संचार व व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं। 

(4) आज भारत अपने विशाल आकार, विविधताओं, भाषाई तथा सामाजिक व सांस्कृतिक बहुलताओं के बावजूद संसार के सभी क्षेत्रों से सुचारू रूप से जुड़ा हुआ है।

(5) रेल, वायु एवं जल परिवहन, समाचार पत्र, रेडियो, दूरदर्शन, सिनेमा तथा इंटरनेट, आदि इसके सामाजिक-आर्थिक विकास में अनेक प्रकार से सहायक हैं।

(6) स्थानिक से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार ने अर्थव्यवस्था को जीवन-शक्ति दी है।

(7) इसने हमारे जीवन को समृद्ध किया है तथा आरामदायक जीवन के लिए सुविधाओं व साधनों में बढ़ोतरी की है।

प्रश्न 4. “देश के तीव्र विकास के लिए सक्षम परिवहन के साधन पूर्व-अपेक्षित है।” कथन का समर्थन उपयुक्त उदाहरणों के साथ कीजिए।   अथवा 

सक्षम परिवहन के साधन देश के तीव्र विकास के लिए पूर्व अपेक्षित क्यों हैं? स्पष्ट कीजिए।  अथवा

परिवहन तथा संचार का सक्षम नेटवर्क किसी देश के तीव्र आर्थिक विकास के पूर्व-शर्त हैं। तीन उपयुक्त उदाहरणों द्वारा इस कथन का समर्थन कीजिए।           अथवा

“सक्षम परिवहन के साधन तीव्र विकास हेतु पूर्व अपेक्षित हैं।” इस कथन के पक्ष में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर- (1) लोगों एवं उद्योगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों तक वस्तुओं और सेवाओं को शीघ्र पहुँचाने के लिए सक्षम एवं सुविकसित परिवहन साधनों का होना जरूरी है। 

(2) वस्तु एवं सेवा उत्पादन स्थल से माँग की जगह तक खुद ही नहीं पहुँचते हैं। बल्कि, यह परिवहन की आवश्यकता को जन्म देता है। 

(3) कुछ लोग इस तरह की आवाजाही को मुमकिन बनाने के कार्य में संलग्न हैं। वे उन व्यापारियों तक पहुंचते हैं जो उत्पादों का निर्माण करते हैं तथा उनसे उत्पाद लेकर परिवहन साधनों के माध्यम से उपभोक्ताओं तक उनको पहुँचाते हैं।

(4) इस तरह किसी देश के विकास की गति न केवल वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन बल्कि विभिन्न जगहों तक उनकी सुव्यवस्थित आवाजाही पर भी निर्भर करता है।

प्रश्न 9. राज्य राजमार्गों और जिला सड़कों के बीच किन्हीं तीन अंतरों का उल्लेख कीजिए। 

उत्तर- (1) राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़के राज्य राजमार्ग कहलाती है। जबकि जिला सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं।

(2) राज्य राजमार्ग, जिला सड़कों की अपेक्षा लंबी होती है। 

(3) राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग का होता है। जबकि जिला सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का है।

प्रश्न 10. परिवहन के साधन के रूप में सड़कों के महत्व का न पाँच बिन्दुओं में वर्णन कीजिए।

उत्तर- यातायात के साधन के रूप में सड़कों के महत्व निम्न प्रकार हैं

(1) सड़क परिवहन अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में मितव्ययी है। 

(2) यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।

(3) सड़क परिवहन में सामान चढ़ाने व उतारने की लागत रेलवे की तुलना में काफी कम हैं।

(4) सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जैसे सड़के, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।

(5) अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।

प्रश्न 11. भारत में सड़क बनाने वाले और देखरेख करने वाले विभिन्न प्राधिकरणों का महत्व स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (1) भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग का निर्माण तथा रखरखाव का कार्य करती है। इस महाराजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी (Megacities) के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है।

(2) राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में हैं।

(3) राज्य राजमार्ग, राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ती है। राज्य तथा केंद्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।

(4) जिला सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का है।

(5) ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना के तहत कुछ विशेष प्रावधान बनाए गए हैं ताकि देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों (वे सड़कें जिन पर वर्षभर वाहन चल सकें) द्वारा जोड़ा जा सके।

प्रश्न 12. भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों का तीन बिंदुओं में वर्णन कीजिए। 

उत्तर- (1) राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण एवं रख-रखाव का कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा किया जाता है।

(2) अनेक प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम दिशाओं में फैले हैं।

(3) ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग (जी.टी. रोड) राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 1 कहलाता है जो दिल्ली और अमृतसर को आपस में जोड़ता है। 

प्रश्न 13. भारत में भिन्न-भिन्न प्रकार की सड़कों द्वारा अदा की गई महत्वपूर्ण भूमिका का वर्णन कीजिए। अथवा

सड़कों को उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकृत कीजिए तथा प्रत्येक की भूमिका की व्याख्या कीजिए। अथवा

भारत को सड़कों का उनकी क्षमता के आधार पर वर्गीकरण कीजिए। 

उत्तर-(1) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग सरकार ने दिल्ली-कोलकाता-चेन्नई मुंबई-दिल्ली को आपस में जोड़ने के लिए एक महत्वाकांक्षी सड़क विकास परियोजना की शुरुआत की है। श्रीनगर और कन्याकुमारी को जोड़ने वाला उत्तर दक्षिण गलियारा तथा सिलचर एवं पोरबंदर को जोड़ने वाला पूर्व-पश्चिम गलियारा, इस परियोजना के अंग हैं। इन महा राजमार्गों का मुख्य उद्देश्य भारत के बड़े शहरों के बीच समय और दूरी को कम करना है।

(2) राष्ट्रीय राजमार्ग:- ये राजमार्ग देश के सुदूरवर्ती हिस्सों को : आपस में जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क-तंत्र हैं तथा इनका निर्माण और रख-रखाव केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) द्वारा किया जाता है। 

(3) राज्य राजमार्ग:- सड़कें जो राज्य की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं, उन्हें राज्य राजमार्ग कहते हैं। 

(4) जिला सड़कें:- सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं।

(5) अन्य सड़कें:- ऐसी क्षेत्रीय सड़कें जो ग्रामीण इलाकों तथा गाँवों को शहरों के साथ जोड़ती हैं. इस वर्ग के अंतर्गत आती है। 

(6) सीमांत सड़कें:- उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी सीमा क्षेत्रों में स्थित ये सड़कें सामरिक महत्व की हैं। इन सड़कों ने जटिल भू-भाग मेंपहुँचना आसान कर दिया है तथा इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास में भी सराहनीय योगदान दिया है।

प्रश्न 14. भारत में स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग की विशेषताओं का पाँच बिंदुओं में वर्णन कीजिए।  अथवा

भारत के स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर-(1) भारत के 6 लेन वाले स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग 6.लेन वाली महत्त्वपूर्ण महा-राजमार्ग है। 

(2) ये राजमार्ग भारत के बड़े शहरों के बीच की दूरी और लगने वाले समय को कम करते हैं।

(3) इन राजमार्गों का रख-रखाव राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किया जाता है। 

(4) ये राजमार्ग भारत में आंतरिक व्यापार में सुधार के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

(5) इन सड़कों की गुणवत्ता बहुत अच्छी है।

(6) इन सड़कों के निर्माण पर बहुत अधिक निवेश किया गया है।

प्रश्न 15. सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक क्यों है? पाँच तथ्यों के साथ स्पष्ट कीजिए।  अथवा

सड़क परिवहन की रेलवे की तुलना में लाभों का विश्लेषण कीजिए।     अथवा

रेलमार्ग की तुलना में सड़कमार्ग के किन्हीं पाँच लाभों की व्याख्या कीजिए। 

उत्तर- सड़क परिवहन के लाभ-

(1) रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।

(2) अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।

(3) अधिक ढाल प्रवणता वाले क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं।

(4) अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।

(5) यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। 

(6) सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।

(7) सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जैसे सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।

प्रश्न 16. भारत की ग्रामीण सड़कों का वर्णन कीजिए।        अथवा

ग्रामीण सड़कें क्या है? इन सड़कों की किन्हीं वो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर-वे सड़कें जो ग्रामीण क्षेत्रों और गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं, उन्हें ग्रामीण सड़कों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

 ग्रामीण सड़कों की विशेषताएं:-

 (i) इन सड़कों को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना के अंतर्गत विशेष गति मिली है।

(ii) इस परियोजना के कुछ विशेष प्रावधान हैं जिसमें देश के प्रत्येक गाँव को देश के किसी प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।

प्रश्न 17. भारत में सड़क परिवहन की किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं की व्याख्या कीजिए।     अथवा

भारतीय सड़क परिवहन की किन्हीं पाँच समस्याओं का विश्लेषण कीजिए।   अथवा

भारत के सड़क परिवहन के समक्ष उपस्थित किन्हीं पाँच प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए। अथवा

भारत में सड़क परिवहन तंत्र के समक्ष किन्हीं तीन चुनौतियों की चर्चा कीजिए। 

उत्तर- भारत में सड़क परिवहन के समक्ष चुनौतियाँ :

(1) सड़क नेटवर्क अपर्याप्त है।

(2) लगभग आधी सड़कें कच्ची हैं तथा यह वर्षा के दौरान उनके उपयोग को सीमित कर देती हैं।

(3) राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई भी अपर्याप्त है। 

(4) शहरों में राजमार्ग बहुत अधिक व्यस्त हैं तथा अधिकतर पुल एवं सहायक मार्ग पुराने एवं सँकरे हैं।

(5) सड़कों का रख-रखाव कमज़ोर है।

(6) सड़क किनारे उपलब्ध होने वाली सुविधाएँ जैसे आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा, पुलिस सुरक्षा तथा संचार सेवा आदि या तो अपर्याप्त हैं या फिर यहाँ तक पहुँचा नहीं जा सकता है।

(7) सड़कों पर प्रायः वाहनों की भीड़ लगी रहती है जिससे यातायात बाधित रहने की समस्या आती है।

(8) सड़कों से यात्रा आरामदेह नहीं है तथा प्रायः इन पर दुर्घटनाएँ होती ही रहती हैं।

प्रश्न 3. भारत में रेलवे वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। तर्कों सहित इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।      अथवा

“रेल परिवहन को परिवहन का सबसे सुविधापूर्ण साधन माना जाता है”। कथन की पुष्टि कीजिए।

उत्तर- (1) रेल परिवहन व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राएँ व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन इत्यादि जैसे अनेक कार्यों में सहायक है।

(2) एक प्रमुख परिवहन के साधन के अतिरिक्त, पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्वपूर्ण समंवयक के रूप में जानी जाती है।

(3) भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था को आपस में जोड़ती है। इसने उद्योगों एवं कृषि के विकास को गति दी है।

(4) भारतीय रेल परिवहन को 16 रेल प्रखंडों में पुनः संकलित किया गया है। आज राष्ट्रीय अर्थव्यस्था में अन्य सभी साधनों की अपेक्षा रेल परिवहन प्रमुख हो गया है।

(5) यह देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है।

प्रश्न 4. रेलवे लाइन बिछाने की प्राकृतिक एवं आर्थिक दृष्टि से प्रतिकूल भारत के किन्हीं पाँच क्षेत्रों को स्पष्ट कीजिए।      अथवा

“भारतीय रेल परिवहन का वितरण भू-आकृतिक कारकों द्वारा प्रभावित होता है।” इस कथन का परीक्षण कीजिए।       अथवा

हमारे देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले भू-आकृतिक और आर्थिक कारणों का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर- देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले भू-आकृतिक एवं आर्थिक कारक निम्नलिखित हैं

(1) उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल भूमि, सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि और प्रचुर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास एवं वृद्धि में अनुकूल रहा है।

(2) हालाँकि, असंख्य नदियों के विस्तृत जल मार्गों पर पुलों के निर्माण में कुछ बाधाएँ आई हैं।

(3) प्रायद्वीपीय क्षेत्र के पहाड़ी भाग में रेल मार्ग छोटी पहाड़ियों, उबड़-खाबड़ क्षेत्रों और सुरंगों आदि से होकर गुजरती है।

(4) हिमालयी पर्वतीय क्षेत्र भी रेलवे मार्ग के निर्माण के लिए प्रतिकूल है।

(5) इसी प्रकार पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के दलदली भाग, मध्य प्रदेश के वन क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, व झारखंड में रेल लाइन निर्माण करना कठिन है।

प्रश्न 5. भारतीय रेलवे के समक्ष किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए। 

 उत्तर- यात्रियों एवं वस्तुओं आदि के परिवहन हेतु रेलवे प्राथमिक साधन हैं परंतु, भारतीय रेलवे के सामने निम्न समस्याएँ उपस्थित हैं

(1) कई यात्री बिना टिकट यात्रा करते हैं।

(2) उपद्रवकारियों द्वारा रेलवे की परिसंपत्ति को नुकसान पहुंचाय जाता है। 

(3) लोग अनावश्यक रूप से जंजीर खींचते हैं तथा रेलगाड़ी को रोकते रहते हैं।

(4) बढ़ती हुई जनसंख्या एवं यात्री के बोझ से निपटने में यह पूरी तरह सक्षम नहीं हो पा रहा है।

प्रश्न 3. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के परिवहन में पाइप लाइनों के लाभों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- (1) आज पाइपलाइन का प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है।

(2) पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की (Running) लागत न्यूनतम है। है।

(3) वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर

प्रश्न 4. भारत में सबसे लंबी गैस पाइप लाइन कौन-सी है? इसकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए।    अथवा

हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर गैस पाइपलाइन की किन्हीं पाँच विशेषताओं को उजागर कीजिए।

उत्तर-(1) हजीरा-विजयपुर- जगदीशपुर गैस पाइपलाइन भारत की सबसे लंबी पाइपलाइन है।

(2) यह पाइपलाइन गुजरात में हजीरा को उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर से मिलाती है। यह मध्य प्रदेश के विजयपुर के रास्ते से होकर जाती है।

(3) इसकी शाखाएँ राजस्थान में कोटा तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों पर हैं।

(4) सुदूर आंतरिक भागों में शोधनशालाएँ व उर्वरक कारखानों को स्थापना पाइपलाइनों के कारण ही संभव हो पाई है।

(5) वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर हैं।

प्रश्न 5. भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन महत्वपूर्ण तंत्रों का वर्णन कीजिए।    अथवा

किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण पाइपलाइन जाल तंत्रों का उनकी शाखाओं सहित विवरण कीजिए।

उत्तर:- भारत में पाइपलाइन परिवहन के तीन महत्वपूर्ण तंत्र निम्नलिखित हैं

(1) ऊपरी असम के तेल क्षेत्र से गुवाहाटी, बरौनी तथा इलाहाबाद होते हुए कानपुर तक। इसकी शाखाएँ हैं-बरौनी से राजबंध होते हुए हल्दिया तक तथा दूसरी राजबंध से मौरीग्राम तथा गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक।

(2) गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली तथा सोनीपत होते पंजाब में जालंधर तक। कोयली (गुजरात में), चक्शु और अन्य दूसरी जगहों को जोड़ने के लिए इसकी शाखाएँ भी हैं। 

(3) गुजरात में हजीरा से मध्य प्रदेश में विजयपुर होते हुए उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर तक। इसकी शाखाएँ हैं-राजस्थान के कोटा तक तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला एवं दूसरी जगहों तक।

प्रश्न 9. जनसंचार क्या है? जनसंचार के विभिन्न माध्यम कौन-से हैं? भारत जैसे देश में जनसंचार माध्यमों का क्या महत्व है?

उत्तर-जनसंचार: ये संचार के वे माध्यम हैं, जो एक ही समय में विशाल संख्या में लोगों तक पहुँचने में सक्षम हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया।

जनसंचार के विभिन्न माध्यम: रेडियो, टेलीविजन, फिल्म एवं पत्रिका, समाचारपत्र, सोशल मीडिया आदि।

जनसंचार का महत्व :

(i) इसकी पहुँच भारत की कुल आबादी के 95 प्रतिशत हिस्से से अधिक तक है।

(ii) यह शिक्षा एवं मनोरंजन का एक स्रोत है।

(iii) जनसूचना का यह सर्वाधिक तत्क्षणिक साधन है।

(iv) यह सभी वर्गों के लोगों को एक साथ लाने का कार्य करता है।

प्रश्न 3. भारत द्वारा सबसे अधिक आयात तथा निर्यात की जाने वाली तीन-तीन वस्तुओं के नाम लिखिए।

उत्तर- (1) विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों तथा सभी व्यापारिक खंडों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध है।

(2) भारत से निर्यात की जाने वाली तीन प्रमुख वस्तुएँ हैं

 (i) कृषि तथा इससे संबंधित उत्पाद

(ii) रत्न व जवाहरात

(iii) पेट्रोलियम उत्पाद (कोयला सहित)

(3) भारत द्वारा आयात की जाने वाली तीन प्रमुख वस्तुएँ (i) पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद (ii)मोती व बहुमूल्य रत्न  (iii)मशीनरी 

प्रश्न 4. ‘व्यापार’ शब्द को परिभाषित कीजिए। व्यापार के दो घटकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- (1) राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ इसका विनिमय होता है।

(2) आयात और निर्यात व्यापार के घटक हैं। खनिज व अयस्क, रत्न व जवाहरात तथा पेट्रोलियम उत्पाद (कोयला सहित) आदि वस्तुएँ निर्यात होती हैं।

(3) भारत में आयातित वस्तुओं में पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद, मोती व बहुमूल्य रत्न, कोयला, कोक तथा कोयले का गोला तथा मशीनरी आदि शामिल हैं।

प्रश्न 5. उन तरीकों की व्याख्या कीजिए जिनमें व्यापार संतुलन किसी देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।

उत्तर- (1) किसी भी देश के व्यापार संतुलन को उसके निर्यात और आयात मूल्यों के बीच का अंतर निर्धारित करता है।

(2) किसी देश की अर्थव्यवस्था को व्यापार संतुलन निम्न रूप से प्रभावित करता है 

(i) जब निर्यात मूल्य, आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे उस देश के लिए अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

(ii) यदि किसी देश का आयात मूल्य उसके निर्यात मूल्य से अधिक हो जाता है तो इसे उस देश के लिए प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।

(iii) आयात और निर्यात व्यापार के घटक हैं। किसी देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि उसकी आर्थिक समृद्धि का सूचकांक होती है।

प्रश्न 6. गत पंद्रह वर्षों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती हुई प्रकृति की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।         अथवा

व्यापार का क्या अर्थ है? गत पंद्रह वर्षों में किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भारी परिवर्तन हुआ है?

उत्तर-(1) किसी देश के व्यापार संतुलन उसके आयात एवं निर्यात के बीच का अंतर निर्धारित करता है। जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है। अन्य स्थिति में यह प्रतिकूल व्यापार संतुलन होता है।

(2) (i) पिछले कुछ वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कृषि एवं संबंधित उत्पादों, अयस्क एवं खनिज, पेट्रोलियम उत्पाद, आदि का हिस्सा बढ़ता ही रहा है।

(ii) वस्तुओं के आदान-प्रदान की अपेक्षा सूचनाओं, ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान बढ़ा है।

(iii) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत एक बहुत बड़े सॉफ्टवेयर निर्माता के रूप में उभरकर सामने आया है। 

(iv) सूचना तकनीकी के निर्यात से भारत बहुत अधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। 

प्रश्न 7. वर्तमान विश्व में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बिना कोई भी देश अस्तित्व में नहीं रह सकता है। कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-(1) दुनिया में कोई भी देश अपनी ज़रूरतों के मुताबिक आत्मनिर्भर नहीं है। चूँकि संसाधनों में भिन्नता, जरूरत, तथा देशों के बीच विकास आदि उनके बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की स्थिति उत्पन्न करता है।

(2) यह विदेशी व्यापार के माध्यम से कमी वाले देशों के साथ अधिशेष वस्तुओं के आदान-प्रदान में मदद करता है। 

(3) विदेशी व्यापार ने भारत को निर्मित वस्तुओं की उत्पादकता में सुधार करने में मदद की है।

(4) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने लोगों के आय स्तर को बढ़ा कर तथा विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि करके भारत की आर्थिक विकास में योगदान किया है।

(5) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भारत को अपने उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए अन्य देशों की उच्च तकनीक का आयात करने में मदद करता है।

प्रश्न 8. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का क्या अर्थ है? भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- (1) दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है।

भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की विशेषताएँ :

(i) इसे समुद्र, वायु तथा स्थल मार्गों द्वारा संपादित किया जाता है।

 (ii) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रगति किसी देश की आर्थिक समृद्धि का सूचक है।

(iii) चूँकि संसाधन स्थानबद्ध होते हैं, अतः कोई भी देश बिना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नहीं रह सकता है। 

(iv) भारत का दुनिया के सभी प्रमुख व्यापार खंडों तथा सभी भौगोलिक क्षेत्रों के साथ व्यापारिक संबंध है।

(v) भारत कृषि तथा उससे संबंधित उत्पादों, अयस्कों एवं खनिजों, कीमती पत्थरों एवं आभूषणों तथा रसायनों एवं सहयोगी उत्पादों, इंजीनियरिंग उत्पादों तथा पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है। 

(vi) भारत में आयात की जाने वाली चीज़ों में शामिल हैं-पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद, मोती एवं कीमती पत्थर, अकार्बनिक रसायन, कोयला, कोक, मशीनरी, आदि।

(vii) भारत एक बड़े सॉफ्टवेयर निर्माता के रूप में दुनिया में उभर कर आया है तथा यह अपने सूचना प्रौद्योगिकी के निर्यात द्वारा भारी विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।

(viii) पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पाद हमारे मुख्य आयात हैं, क्योंकि इनकी माँग हमारी उत्पादन क्षमता से कहीं अधिक है।

  • प्रश्न 1. पर्यटन से लाभ प्राप्त करने वाले सेवा क्षेत्रक के उद्योगों का वर्णन कीजिए।
  • उत्तर-(1) 1.5 करोड़ से लोग पर्यटन उद्योग से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
  • (2) यह राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • (3) यह स्थानीय हस्तकला एवं सांस्कृतिक उद्यमों को सहायता प्रदान करता है।
  • (4) यह हमारी संस्कृति और विरासत के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय समझ के विकास में सहायता करता है।
  • (5) भारत पर्यटन उद्योग से विशाल मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
  • प्रश्न 2. पर्यटन का एक उद्योग के रूप में भारत में भविष्य कैसे उज्ज्वल है? व्याख्या कीजिए। अथवा
  • पर्यटन का एक व्यापार के रूप में महत्त्व का उल्लेख कीजिए। 
  • उत्तर-(1) पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में वृद्धि हुई है।
  • (2) भारत में 1.5 करोड़ से अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न हैं।
  • (3) पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रश्रय देता है।
  • (4) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है।
  • (5) विदेशी पर्यटक भारत में विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन (eco tourism), रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के लिए आते हैं।

मानचित्र कार्य

  • केवल ढूंढना और चिन्हित करना:-
  • मुख्य पतन: 1. कांडला 2. मुंबई 3. मार्मागाओ 4. न्यू मंगलौर 5. कोच्चि 6.तूतीकोरिन 7.चेन्नई 8.विशाखापट्टनम 9.पारादीप 10.हल्दिया।
  • अंतर्राष्ट्रीय हवाई पतन:- 1. अमृतसर (राजा सांसी) 2. दिल्ली (इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय)  3.मुंबई (छत्रपति शिवाजी) 4. चेन्नई (मीनम्बकम) 5.कोलकाता (नेताजी सुभाष चंद्र बोस) 6.हैदराबाद (राजीव गांधी)
लोकतांत्रिक राजनीति पाठ 6 (राजनीतिक दल)

NCERT BOOK (राजनीतिक दल)

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से लोकतांत्रिक राजनीति का पाठ 6 राजनीतिक दल को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है।

माइंड मैप (राजनीतिक दल)

अभ्यास के प्रश्न

  • निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
  • प्रश्न 1. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं का वर्णन कीजिए। 
  • उत्तर लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं-
  • चुनाव लड़ना। 
  • नीतियाँ व कार्यक्रम जनता के सामने रखना 
  • कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाना।
  • सरकार बनाना और सरकार चलाना।
  • विरोधी दल के रूप में काम करना ।
  • जनमत निर्माण करना ।
  • कल्याणकारी कार्यक्रमों को जनता तक पहुँचाना।
  • प्रश्न 2. राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं?
  • उत्तर राजनीतिक दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियां है-
  • आंतरिक लोकतंत्र का अभाव 
  • वंशवाद की चुनौती 
  • धन और अपराधी तत्वों की घुसपैठ 
  • विकल्पहीनता की स्थिति
  • पारदर्शिता का अभाव
  • प्रश्न 3. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने के कुछ सुझाव दें। 
  • उत्तर  अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें इसके लिए निम्नलिखित सुझाव है-
  • 1.दल बदल कानून को सख्त किया जाए 
  • 2.आपराधिक प्रवृत्तियों के लोगों पर रोक लगे 
  • 3.राजनीतिक दलों में समय-समय पर संगठन के चुनाव हों।
  • 4.राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को पारदर्शी बनाया जाए
  • 5.चुनाव पर होने वाले खर्च में पारदर्शिता लाई जाए।
  • प्रश्न 4. राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है?
  • उत्तर राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे संगठित समूह होता है जो चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर यह समूह कुछ नीतियाँ और विचारधारा तय करता है।
  • प्रश्न 5. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
  • उत्तर 1.राजनीतिक दल समाज के सामूहिक हितों को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम बनाते हैं।
  • 2.राजनीतिक दलों की एक सामूहिक विचारधारा होती है। 
  • 3.राजनीतिक दल लोगों का समर्थन पाकर चुनाव जीतने के बाद उन नीतियों को लागू करने का प्रयास करते हैं।
  • 4.राजनीतिक दल समाज के किसी एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करते है इसलिए इसका नजरिया समाज के उस वर्ग विशेष की तरफ झुका होता है।
  • 5.राजनीतिक दल के तीन मुख्य हिस्से हैं-नेता, सक्रिय सदस्य, अनुयायी या समर्थक।
  • प्रश्न 6. चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता सँभालने के लिए एकजुट हुए लोगों के समूह को———–कहते हैं।
  • उत्तर राजनीतिक दल।

प्रश्न 7. पहली सूची (संगठन/दल) और दूसरी सूची (गठबंधन/मोर्चा) के नामों का मिलान करें और नीचे दिए गए कूट नामों के आधार पर सही उत्तर ढूँढें

सूची-I सूची-II
1. कांग्रेस पार्टी
2. भारतीय जनता पार्टी
3. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
4. तेलुगुदेशम पार्टी
(क) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
(ख) प्रांतीय दल
(ग) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन
(घ) वाम मोर्चा
1         2             3             4
(क)
(ख)
(ग)
(घ)
ग         क           ख            घ
ग         घ            क            ख
ग         क            घ            ख
घ         ग            क            ख

उत्तर (ग) ग क घ ख

  • प्रश्न 8. इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी का संस्थापक है?
  • (क) काशीराम (ख) साहू महाराज (ग) बी०आर० अंबेडकर (घ) ज्योतिबा फुले
  • उत्तर (क) काशीराम ।
  • प्रश्न 9. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
  • (क) बहुजन समाज (ख) क्रांतिकारी लोकतंत्र (ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (घ) आधुनिकता
  • उत्तर (ग) सांस्कृतिक राष्ट्रवाद।
  • प्रश्न 10. पार्टियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर गौर करें
  • (अ) राजनीतिक दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं है। 
  • (ब) दलों में अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूंज सुनाई देती है। 
  • (स) सरकार चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं ।
  • इन कथनों में से कौन सही है?
  • (क) अ, ब और स  (ख) अ और ब  (ग) ब और स  (घ) अ और स
  • उत्तर (ख) अ और ब
  • प्रश्न 11. निम्नलिखित उद्धरण को पढ़े और नीचे दिए गए प्रश्नों के जवाब दें:
  • मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हैं। गरीबों के आर्थिक और सामाजिक विकास के प्रयासों के लिए उन्हें अनेक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्हें और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक को संयुक्त रूप से वर्ष 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। फ़रवरी 2007 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाने और संसदीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनका उद्देश्य सही नेतृत्व को उभारना, अच्छा शासन देना और नए बांग्लादेश का निर्माण करना है। उन्हें लगता है कि पारंपरिक दलों से अलग एक नए राजनीतिक दल से ही नई राजनीतिक संस्कृति पैदा हो सकती है। उनका दल निचले स्तर से लेकर ऊपर तक लोकतांत्रिक होगा।
  • नागरिक शक्ति नामक इस नये दल के गठन से बांग्लादेश में हलचल मच गई है। उनके फैसले को काफ़ी लोगों ने पसंद किया तो अनेक को यह अच्छा नहीं लगा। एक सरकारी अधिकारी शाहेदुल इस्लाम ने कहा, “मुझे लगता है कि अब बांग्लादेश में अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करना संभव हो गया है। अब एक अच्छी सरकार की उम्मीद की जा सकती है। यह सरकार न केवल भ्रष्टाचार से दूर रहेगी बल्कि भ्रष्टाचार और काले धन की समाप्ति को भी अपनी प्राथमिकता बनाएगी।”
  • पर दशकों से मुल्क की राजनीति में रुतबा रखने वाले पुराने दलों के नेताओं में संशय है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है “नोबेल पुरस्कार जीतने पर क्या बहस हो सकती है पर राजनीति एकदम अलग चीज़ है एकदम चुनौती भरी और अक्सर विवादास्पद।” कुछ अन्य लोगों का स्वर और कड़ा था। वे उनके राजनीति में आने पर सवाल उठाने लगे। एक राजनीतिक प्रेक्षक ने कहा, देश से बाहर की ताकतें उन्हें राजनीति पर थोप रही हैं।
  • क्या आपको लगता है कि यूनुस ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक किया?
  • क्या आप विभिन्न लोगों द्वारा जारी बयानों और संदेशों से सहमत हैं? इस पार्टी को दूसरों से अलग काम करने के लिए खुद को किस तरह संगठित करना चाहिए? अगर आप इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होते तो इसके पक्ष में क्या दलील देते?
  • उत्तर मुझे लगता है कि यूनुस ने नयी राजनीतिक पार्टी बनाकर ठीक ही किया। जनहित की इच्छा रखने वालों को अवश्य ही आगे आना चाहिए और अच्छे अच्छे काम करने चाहिए।
  • जनकल्याण करने वालों को आलोचनाओं की परवाह कभी नहीं करनी चाहिए। उन्हें अपना काम करते जाना चाहिए। मुहम्मद यूनूस द्वारा निर्मित यह पार्टी निस्संदेह निष्पक्ष तथा जनकल्याण के सिद्धांतों पर आधारित होगी। इस पार्टी में ईमानदार लोगों का समावेश होना चाहिए। क्योंकि तभी यह एक मिसाल बन पाएगी और दूसरों से अलग काम कर पाएगी।
  • यदि में इस राजनीतिक दल के संस्थापकों में एक होता तो मैं आम जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश करता कि मुहम्मद यूनुस द्वारा निर्मित पार्टी आदर्शों पर आधारित है और वह उनका कल्याण अवश्य करेगी।
लोकतांत्रिक राजनीति पाठ 7 (लोकतंत्र के परिणाम)

NCERT BOOK (लोकतंत्र के परिणाम)

यहां से आप कक्षा दसवीं की एनसीईआरटी की बुक में से लोकतांत्रिक राजनीति का पाठ 7 लोकतंत्र के परिणाम को डाउनलोड कर सकते हैं। पाठ का मेटेरियल हूबहू एनसीईआरटी से ही लिया गया है। mukutclasses का इसमें कोई योगदान नहीं है यह केवल छात्रों की सुविधा के लिए उपलब्ध है। इसमें mukutclasses द्वारा कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई है।

माइंड मैप (लोकतंत्र के परिणाम)

अभ्यास प्रश्नोत्तर

  • प्रश्न 1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, ज़िम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
  • उत्तर:1 लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते है।
  •        2 लोकतंत्र में फैसले बहुत ही पारदर्शी तरीके से होते हैं।
  •        3 लोकतंत्र में प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं।
  •        4 लोगों के पास अगले चुनावों में सरकार बदलने का अधिकार होता है।
  •        5 लोकतंत्र में सबको वोट डालने का अधिकार होता है।
  • प्रश्न 2. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है?
  • उत्तर: 1 लोकतंत्र विभिन्न समुदाय के बीच टकराव को कम करता है।
  •         2 लोकतंत्र सभी समुहो को बराबरी का मौका देता है।
  •         3 लोकतंत्र में सबको प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है।
  •         4 लोकतंत्र में बातचीत के द्वारा विवादों का निपटारा किया जाता है।
  •         5 गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों को दबाया जाता है।
  • प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें :
  • प्रश्न 3(i) औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए। 
  • उत्तर 3(i): औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए यह कथन गलत है क्योंकि तानाशाही में आर्थिक नीतियां जनता को फायदा देने के लिए नहीं बल्कि अपने फायदे के लिए बनाई जाती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जिम्मेदार सरकार होती है जो पारदर्शी तरीके से नीतियां बनाते हैं।
  • प्रश्न 3(ii) लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की  असमानता को कम नहीं कर सकता। 
  • उत्तर 3(ii): यह कथन गलत है क्योंकि
  •      1 लोकतंत्र में सबको मतदान करने का अधिकार होता है।
  •         2 लोकतंत्र सभी समुहो को बराबरी का मौका देता है।
  •         3 लोकतंत्र में सबको प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है।
  •         4 लोकतंत्र गरीब और पिछड़ों को आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था करता है।
  •         5 गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों को दबाया जाता है।
  • प्रश्न 3(iii) गरीब देशों की सरकार को अपने ज्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा,  स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
  • उत्तर 3(iii) यह कथन गलत है क्योंकि गरीब देशों की सरकारों को  गरीबी को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। अगर गरीबी कम होगी तो बुनियादी आर्थिक ढांचे अपने आप तैयार होने लगेंगे। आर्थिक विकास के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • प्रश्न 3(iv) नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
  • उत्तर 3(iv) नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है। यह कथन सही है क्योंकि अमेरिका जैसे अमीर देशों में भी आर्थिक असमानता है और अफ्रीका के गरीब देशों में भी।
  • प्रश्न 3(v) लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
  • उत्तर 3(v): लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता। यह कथन गलत है समान वोट के अधिकार के बावजूद राजनीति में पैसे वालों और दबंगों का कब्जा होता है। समान वोट के अधिकार के बाद जाति धर्म के आधार पर टकराव होते रहते हैं।
  • प्रश्न 4. नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियां की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए नीतिगत-संस्थागत उपाय भी सुझाएँ :
  • (i) उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओडिसा में दलितों और गैर-दलितों के प्रवेश के लिए अलग अलग दरवाजा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाजे से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
  • (ii) भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
  • (iii) जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
  • उत्तर:(I) यह स्थिति गरीमापूर्ण जीवन और भेदभाव की चुनौती है। इसके कारण दलितों को अपमान सहना पड़ता है। लोकतंत्र की इन चुनौतियों से निपटने के लिए कठोर कानून बनाने चाहिए। 
  •      (ii) यह स्थिति आर्थिक असमानता की चुनौती है। इससे निपटने के लिए किसान वर्ग की आर्थिक मदद करनी चाहिए। उनके ऋण माफ करने चाहिए।
  •      (iii) यह स्थिति सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती है। इससे निपटने के लिए सरकारों को पारदर्शी पुलिस व्यवस्था बनानी चाहिए।
  • प्रश्न 5. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है – लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक :
  • (i) लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है।
  • (ii) लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
  • (iii) हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
  • (iv) राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
  • उत्तर: (iv) राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
  • 6. लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें:
  • (क) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
  • (ख) व्यक्ति की गरिमा
  • (ग) बहुसंख्यकों का शासन
  • (घ) कानून से समक्ष समानता
  • उत्तर: (ग) बहुसंख्यकों का शासन
  • प्रश्न 7. लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन बताते हैं कि
  • (i) लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
  • (ii) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।(iii) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होतीं।
  • (iv) तानाशाहियाँ लोकतंत्र से बेहतर साबित हुई हैं।
  • उत्तर: (ii) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
  • प्रश्न 8. नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें –
  • नन्नू एक दिहाड़ी मशदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मशदूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीवेफट राशन कार्ड राशन विभाग के दफ्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसके अर्जी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया । इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ्तर आकर उसे ले जा सकते हो। अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग के सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।
  • नन्नू का उदाहरण क्या बताता है? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।
  • उत्तर: नन्नू के उदाहरण से हमें पता चलता है कि हर किसी को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
  • नन्नू के आवेदन देने के बाद अधिकारियों ने एक हफ्ते में ही उसका नया राशन कार्ड बना दिया। उस दफ्तर में बड़े अधिकारी पूरे सम्मान के स्वागत किया और कहा कि अपना आवेदन वापस ले लें। हमारे माता-पिता भी अपनी समस्याओं के लिए बार बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

अतिरिक्त प्रश्न बैंक

2 अंक वाले:-

प्रश्न 1. लोकतंत्र एवं विकास के मध्य संबंध स्थापित कीजिए।

उत्तर- (1) आर्थिक विकास कई कारकों मसलन देश की जनसंख्या के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।

(2) लोकतांत्रिक शासन से अच्छी सरकार की उम्मीद के साथ-साथ विकास की उम्मीद भी की जाती है। परंतु, तानाशाही वाले शासन में विकास की उम्मीद नहीं की जाती है।

प्रश्न.2. देश का आर्थिक विकास किन कारकों पर निर्भर है?

उत्तर  (1) जनसंख्या का आकार

(2) वैश्विक स्थिति

(3) अन्य देशों से सहयोग

(4) देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताएँ

प्रश्न.3 अन्य सरकारों की तुलना में लोकतंत्र में निर्णय लेने में कितना समय लगता है?

 उत्तर  लोकतांत्रिक सरकार सारी प्रक्रिया को पूरा करने में ज्यादा समय ले सकती है, परन्तु यह सरकार ऐसे फैसले लेती है जो सभी लोगों को स्वीकार होंगे व अधिक प्रभावी होंगे।

प्रश्न.4. “तानाशाही व्यवस्था में आर्थिक विकास का स्तर लोकतंत्र से बेहतर होता है।” ऐसा क्यों? 

उत्तर  तानाशाही शासन में कानून सख्त और अनिवार्य होते हैं। जबकि लोकतंत्र में नेता व सरकार अपने लाभ के बारे में सोचते हुए, गरीबी दूर करने या आर्थिक विकास की तरफ अधिक ध्यान नहीं देत।

प्रश्न.5. लोकतांत्रिक राजनीति किसे कहते हैं?

उत्तर  लोकतांत्रिक राजनीति वह होती है जिसमें एक से अधिक राजनीतिक दल अस्तित्व में हो, जिसमें औपचारिक संविधान हो, जिसमें लगातार चुनाव होते हो तथा जो अपने नागरिकों को अनेक अधिकारों की गारंटी देता है।

प्रश्न 6.  लोकतंत्र आर्थिक असमानता तथा शोषण को कम नहीं कर सका है? उदाहरण दीजिए।

उत्तर) लोकतंत्र आर्थिक समानता तथा शोषण को कम नहीं कर सका है लेकिन हम देश में किसी को भी आर्थिक रूप से प्रगति करने से रोक नहीं सकते हर एक व्यक्ति को समान अवसर प्राप्त होते हैं तथा इसलिए अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं

प्रश्न 7.  लोकतंत्र का सबसे मौलिक परिणाम क्या होना चाहिए ?

उत्तर) लोकतंत्र का सबसे मौलिक परिणाम यह होना चाहिए कि यह एक वैधानिक सरकार का गठन करें जो जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप हो, जो जनता के प्रति जो सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हो तथा जो देश के नागरिकों की आशाओं पर खरी उतरती हो

प्रश्न 8.  लोकतंत्र के सफलता पूर्वक ढंग से कार्य करने के लिए कौन सी शर्तें हैं ?

उत्तर) 1. सभी नागरिकों को जागरूक होना चाहिए जिससे वह स्वयं ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को समझ सके। 

      2. सरकार के साथ नागरिकों का सहयोग करना आवश्यक है क्यों कि इससे सरकार ठीक ढंग से कार्य करती है तथा वह सार्वजनिक कार्यों में पूर्ण रूप से सक्रिय रहने चाहिए।

प्रश्न 9. क्या हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं के लिए लोकतंत्र को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं?

उत्तर. (1) जब हमारी कुछ उम्मीदें पूरी नहीं होती तो हम लोकतंत्र की अवधारणा को ही दोष देने लगते हैं। 

        (2) हमें यह मानना चाहिए कि लोकतंत्र शासन का एक स्वरूप भर है। यह केवल कुछ चीजों को हासिल करने की स्थिति बना सकता है।

3 अंक वाले:-

प्रश्न 1. “व्यक्ति की गरिमा और आजादी के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्था किसी भी अन्य शासन प्रणाली से काफी आगे है।” इस कथन को न्यायसंगत बनाइए।

या

लोकतंत्र व्यक्ति की गरिमा और आजादी को बढ़ाने में किसी भी अन्य प्रणाली से बेहतर क्यों है? कोई तीन कारण दीजिए।

या

प्रजातंत्र किस प्रकार व्यक्ति की गरिमा को बढ़ावा देता है?

या

लोकतंत्र में व्यक्ति की गरिमा को किस प्रकार बढ़ावा दिया जाता है? स्पष्ट कीजिए।

या

“लोकतंत्र किस प्रकार व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता को बढ़ाने में अन्य प्रकार की सरकारों से कहीं बेहतर है” उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (1) व्यक्ति की गरिमा और आज़ादी के मामले में लोकतांत्रिक 

(2) किसी भी समाज में टकराव की स्थिति तब पैदा होती है। जब उनको लगता है कि उनके साथ सम्मान का व्यवहार नहीं किया गया है।

(3) लोकतांत्रिक सरकारें सदा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करती

प्रश्न 2. उदाहरण की सहायता से स्पष्ट कीजिए कि लोकतंत्र में नागरिकों की गरिमा एवं स्वतंत्रता की गारंटी सबसे अधिक कैसे होती है?

या

क्या आप सहमत हैं कि व्यक्ति की गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने में, लोकतंत्र वास्तव में सफल रहा है? अपने दृष्टिकोण की पुष्टि किन्हीं तीन उपयुक्त तर्कों द्वारा कीजिए।

उत्तर- निम्नलिखित तरीकों से लोकतंत्र नागरिकों की गरिमा को बनाए रखता है

(1) महिलाओं की स्वतंत्रता और गरिमा लोकतंत्र में अच्छी तरह से सुनिश्चित है।

(2) लोकतंत्र यह सुनिश्चित करता है कि लोग संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उपभोग कर रहे हैं।

(3) आदर एवं स्वतंत्रता की भावना ही लोकतंत्र के आधार हैं। 

प्रश्न 3) लोकतंत्र के सिद्धांतों को जीवन के सभी क्षेत्रों में कैसे लागू किया जा सकता है?

उत्तर ) 1) लोकतांत्रिक फैसले में उन सभी लोगों से राय विचार करने तथा सहमति प्राप्त करने की प्रक्रिया शामिल है जो इस फैसले से प्रभावित होने वाले हैं

2) सभी व्यक्तियों को निर्णय निर्माण प्रक्रिया में भाग लेने का समान अधिकार है

3) किसी भी धनी शक्तिशाली व्यक्ति को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं है।

प्रश्न 4) लोकतंत्र नागरिकों की गरिमा को कैसे बनाए रखता है?

उत्तर) 1.लोकतंत्र सम्मान एवं स्वतंत्रता की भावना को जन्म देता है।

2. लोकतंत्र में सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार किया जाता है। किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, रंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता।

3 लोकतंत्र में महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा प्रदान किया जाता है जैसे राजनीतिक मामलों में महिलाओं के लिए आरक्षण है।

प्रश्न 5)  विश्व में लोकतंत्र के विचार का एक जोरदार समर्थन क्यों है ?

उत्तर) 1.  लोकतंत्र में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार ही शासन को चलाती है

         2.  यह एक वैद्य सरकार होती है जो संविधान के नियमों का पालन करती है

        3. लोग चाहते हैं कि वह अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करें वह लोग राजनीतिक दलों का निर्माण करते हैं और अपनी पसंद की सरकार बनाते हैं।

प्रश्न.6. जब सेना लोकतांत्रिक शासन को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः कौन सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती है?

उत्तर. (1) लोगों को स्वतंत्र भाषण देने या अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं रहता।

( 2 ) लोगों को स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग लेने का अधिकार नहीं रहता।

(3) लोगों को अपने संगठन, ट्रेड यूनियन इत्यादि स्थापित करने का अधिकार नहीं रहता।

प्रश्न. 7. किस प्रकार लोकतंत्र पारदर्शिता की गारंटी देता है?

उत्तर. (1) अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो वह इसका पता कर सकता है।

       (2) नागरिकों के पास इनके लिए साधन भी उपलब्ध है, जैसे सूचना के अधिकार द्वारा जानकारी हासिल करना।

       (3) लोकतंत्र व्यवस्था में ऐसी सरकार का गठन होता है जो कायदे कानून को मानती है और लोगों के प्रति उसकी जवाबदेही होती है।

प्रश्न. 8. लोकतंत्र को सफल कब माना जाता है?

उत्तर. (1) जब शासक जनता द्वारा चुना जाता और वह महत्वपूर्ण निर्णय लेता है व जनता की निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदारी हो ।

       (2) चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष हों।

       (3) लोगों के प्रति उत्तरदायी, जिम्मेवार सरकार बने, जो लोगों की जरूरतों और उम्मीदों पर ध्यान दे।

प्रश्न 9.  लोकतंत्र किस प्रकार नागरिकों को शांतिपूर्ण और सद्भावना पूर्ण जीवन देता है ? 

उत्तर 1) प्रत्येक नागरिक को मत देने और चुनाव लड़ने का अधिकार है।

      2) यह नागरिकों को सामाजिक समानता उपलब्ध कराता है

      3) लोकतंत्र टकराव तथा आपसी मतभेद को समाप्त करने में मदद करता है

प्रश्न 10. शिकायतें किस प्रकार लोकतंत्र को सफल बनाने में सहयोग देती हैं ? 

उत्तर 1) लोकतंत्र में स्त्रियों को समान अधिकार न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार दिया जाता है

      2) समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करना

     (3 ) मतभेदों को दूर करने के लिए लोकतंत्र संवैधानिक तरीका उपलब्ध कराता है यह जातीय समूहों के बीच टकराव को कम करता है

प्रश्न 11. लोकतंत्र किस प्रकार निर्णय निर्माण की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- (1) लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह विचार-विमर्श तथा चर्चाओं पर आधारित होता है। संभावित या उपयुक्त निर्णय पर पहुँचने से पहले सभी मुद्दों एवं समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की जाती है।

       (2) लोकतांत्रिक फैसले में हरदम ज्यादा लोग शामिल होते हैं। चर्चा करके फैसले होते हैं। बैठकें होती हैं। यदि किसी एक मसले पर अनेक लोगों की सोच लगी हो तो उसमें गलतियों की गुंजाइस कम-से-कम हो जाती है।

       (3) इसमें कुछ ज्यादा समय जरूर लगता है। इससे ज्यादा उग्र या गैर-जिम्मेदार फ़ैसले लेने की संभावना घटती है।

5 अंक वाले:-

प्रश्न 1. किस प्रकार तानाशाही या किसी अन्य वैकल्पिक सरकारों से तुलना करने पर लोकतांत्रिक सरकार बेहतर प्रतीत होती है?

या 

लोकतंत्र के किन्हीं तीन गुणों को बताइए।

या

लोकतंत्र को एक बेहतर शासन प्रणाली क्यों समझा जाता है? कोई तीन कारण बताइए।

या

अन्य शासन प्रणाली की अपेक्षा, लोकतंत्र को अधिक पसंद क्यों किया जाता है?

उत्तर- निम्नलिखित प्रकार से लोकतंत्र को अन्य शासन प्रणाली से बेहतर समझा जाता है 

(1) यह शासन का अधिक ज़वाबदेही वाला स्वरूप है तथा लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रखती है।

(2) लोकतंत्र के आधार व्यापक चर्चा और बहस हैं। इससे उग्र या गैर-जिम्मेदार फैसले लेने की संभावना घटती है तथा लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना बढ़ाता है।

(3) किसी भी समाज में लोगों के हितों और विचारों में अंतर होता है और लोकतंत्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है।

(4) लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है। यहाँ सबसे गरीब और अनपढ़ को भी वही दर्जा प्राप्त है जो अमीर और पढ़े-लिखे लोगों को है। यह नागरिकों का सम्मान बढ़ाता है।

(5) लोकतांत्रिक व्यवस्था दूसरे से बेहतर है, क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर मिलता है।

प्रश्न.2. लोकतांत्रिक सरकार किस प्रकार सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य स्थापित करती है?

उत्तर  (1) लोकतंत्र धर्म, जाति, भाषा या आर्थिक स्थिति के आधार पर विविधताओं में आपसी सामंजस्य पैदा करता है ताकि नागरिकों की स्वतंत्रता व गौरव की गारंटी दी जा सके।

(2) हर आर्थिक तबके को बराबर का वोट का अधिकार है, उसमें गरीबी या अमीरी का कोई अंतर नहीं रखा जाता।

(3) पुरूषों के साथ-साथ महिलाओं को भी बराबरी का वोट का अधिकार है।

(4) हर धर्म के लोग अपने धर्म-स्थल को बना सकते हैं, और अपने ही ढंग से पूजा पाठ कर सकते हैं।

(5) सरकारी नौकरियों में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता।

प्रश्न 3. लोकतंत्र किस प्रकार उत्तरदायी, जिम्मेदार और वैद्य सरकार का गठन करता है?

उत्तर  उत्तरदायी –

(1) लोकतंत्र गारंटी देता है कि लोगों को अपने शासक चुनने का अधिकार होगा। 

(2) नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर मिलता है।

वैद्य

लोकतंत्र सरकार सुस्त हो सकती है परन्तु यह लोगों की वैद्य सरकार होती है। इस सरकार में निर्णय संविधान के अनुरूप लिए जाते है। जब कोई राजनीतिक दल चुनाव में बहुमत प्राप्त कर लेता है, तो नई सरकार बना लेता है। यही चुनाव प्रक्रिया सरकार की वैद्यता पर मोहर लगाती है। जो केवल लोकतंत्र में संभव है।

जिम्मेदार –

(1) लोग चाहते हैं कि वे अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करें।

(2) लोगों का विश्वास है कि लोकतंत्र ही उनकी समस्याओं को दूर कर सकता है।

प्रश्न 4. “लोकतंत्र किसी अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है” उदाहरण देकर कथन को न्यायसंगत ठहराइए।

या

लोकतांत्रिक सरकारें किस प्रकार अन्य प्रकार की सरकारों से बेहतर हैं? तुलना कीजिए।

या

अन्य प्रकार की सरकारों की तुलना में लोकतंत्र वाली सरकार किस प्रकार बेहतर है? स्पष्ट कीजिए।

या

 लोकतंत्र किसी अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर  लोकतंत्र, तानाशाही या अन्य प्रकार की सरकार से बेहतर है क्योंकि –

(1) यह नागरिको में समानता को बढ़ावा देता है सभी नागरिकों को एक नज़र से देखा जाता है, चाहे वह किसी जाति, धर्म, आर्थिक स्तर के हो सभी को सामान अधिकार प्राप्त हैं। 

(2) यह नागरिकों की गरिमा को बढ़ाता है यह लोगों के गौरव की रक्षा करता है व सम्मान करता है।

(3) विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। यह नागरिकों को बोलने की आजादी देता है। लोग सरकार की आलोचना कर सकते हैं व भाषण देने के लिए भी स्वतंत्र हैं।

(4) लोगों की अपनी सरकार चुनने का अधिकार होता है। लोकतंत्र में लोगों की अपनी सरकार होती है, क्योंकि वे उन द्वारा स्वयं बनाई गई होती है।

(5) इसमें गलतियों को सुधारने की गुजाइश होती है। यदि सरकार कोई नीति या कानून बनाती है, जो कुछ लोगों के हित में नहीं होता। लोकतंत्र में उसे सुधारा जा सकता है।

(6) यह सामाजिक आर्थिक समानता को सुनिश्चित करता है यह सामाजिक रूप से पिछड़े – व्यक्तियों का शोषण होने से बचाव करता है। व्यक्ति की गरिमा व समाज में प्रतिष्ठा को बढ़ाने में मदद करता है।

प्रश्न 5. लोकतंत्र के लिए आवश्यक शर्तों को स्पष्ट कीजिए।

या

‘लोकतंत्र’ शब्द को परिभाषित कीजिए। लोकतंत्र की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

या

लोकतंत्र का क्या अर्थ है? इसकी किन्हीं दो विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – (1) लोकतंत्र शासन का एक रूप है जिसमें जनता शासकों का चुनाव करती है और लोगों द्वारा चुने शासक सभी प्रमुख फैसले करते हैं।

एक अच्छे लोकतंत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(2) (i) राजशाही या तानाशाही से अलग, लोकतंत्र में शासक का चुनाव जनता द्वारा किया जाता है। शासक के रूप में वे जनता के प्रतिनिधि होते हैं तथा जनता की ओर से उन्हें फैसले लेने का अधिकार होता है।

प्रश्न 6. “लोकतांत्रिक सरकार वैध सरकार होती है।” कथन को न्यायोचित ठहराइए।

या

लोकतांत्रिक सरकार को एक वैध सरकार क्यों कहा जाता है?

उत्तर- निम्नलिखित तर्क इस बात की पुष्टि करता है कि लोकतांत्रिक सरकार वैध सरकार होती है।

(1) लोकतांत्रिक सरकार लोगों की अपनी शासन-व्यवस्था है। इसी कारण पूरी दुनिया में लोकतंत्र के विचार के प्रति ज़बरदस्त समर्थन का है। भाव है।

(2) संपूर्ण विश्व में लोग अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का शासन चाहते हैं।

(3) वे यह भी मानते हैं कि लोकतंत्र उनके देश के लिए उपयुक्त है।

(4) अपने लिए समर्थन पैदा करने की लोकतंत्र की क्षमता भी लोकतंत्र का एक परिणाम ही है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

(5) यह लोगों को अपने शासक चुनने का विकल्प प्रदान करती है।

प्रश्न 7. क्या लोकतांत्रिक सरकार एक कार्य कुशल सरकार होती है? विश्लेषण कीजिए।

उत्तर-(1) हाँ, एक लोकतांत्रिक सरकार कार्य कुशल सरकार है। 

(2) निम्नलिखित आधारों पर कुछ लोग मानते हैं कि लोकतंत्र कम कुशल सरकार प्रदान करती है

(i) लोकतंत्र में बातचीत और मोलतोल के आधार पर काम चलता है जो लोकतांत्रिक सरकार को अकुशल बनाती है।

(ii) गैर-लोकतांत्रिक सरकारें सभाओं में विचार-विमर्श या बहुसंख्यक एवं जनमत की परवाह नहीं करती। इसलिए ये तेज फैसले लेने एवं उन्हें लागू करने में सक्षम होती हैं।

(2) (i) इसके विपरीत, लोकतांत्रिक सरकार निर्णय प्रक्रिया में कुछ ज्यादा समय जरूर लेती है। चूंकि इन्हें प्रक्रियाओं को अपनाना पड़ता है, इसलिए इनके निर्णय अधिक प्रभावी एवं स्वीकार होते हैं।

(3) लोकतांत्रिक चर्चा में कई लोगों को शामिल किया जाता है। लंबे विचार-विमर्श से इसमें कुछ ज्यादा समय जरूर लगता है। परंतु इसके लाभ भी हैं। इन चर्चाओं से ज्यादा उग्र या गैर-जिम्मेवार फैसले लेने की संभावना घटती है।

(4) यदि एक विस्तृत चर्चा के बाद भी किसी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाती है। तो बहुमत से लिए गए फैसले का सम्मान होता है। लोकतंत्र में सभी निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं।

(5) परंतु अल्पसंख्यक या विपक्षी मतों पर भी उचित ध्यान दिया जाता है। लोकतंत्र में फैसले लेने में विपक्षी दलों की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। कभी-कभी सत्ताधारी दल या सरकार स्वयं गुणों के आधार पर विपक्षी दल के कुछ विचारों को अपना सकती है।

प्रश्न 8. लोकतांत्रिक सरकार और राजनीति के प्रारूपों का उल्लेख कीजिए। (2016-1N7UXWJ)

उत्तर- लोकतांत्रिक सरकार और राजनीति के तीन प्रारूप उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैध शासन है।

(1) उत्तरदायी-लोकतंत्र में इस बात की पक्की व्यवस्था होती है कि फैसले कुछ कायदे-कानूनों के अनुसार होंगे और अगर कोई नागरिक यह जानना चाहे कि फैसले लेने में नियमों का पालन हुआ है या नहीं तो इसके लिए नागरिकों को अधिकार और साधन उपलब्ध हैं। प्रमुख नीतियों और कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा और इसके कामकाज के बारे में जानकारी पाने के लिए नागरिकों को सूचना का अधिकार भी प्राप्त है।

(2) जिम्मेवार-लोकतांत्रिक सरकार जनता की माँग और हितों के प्रति संवेदनशील होती है और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयासरत रहती है और कुल मिलाकर भ्रष्टाचार से मुक्त शासन प्रदान करती है।

(3) वैध शासन-लोकतांत्रिक सरकार निश्चित रूप से अन्य शासनों से बेहतर है। यह वैध शासन-व्यवस्था है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था लोगों की अपनी शासन व्यवस्था है। इसी कारण से विश्व भर में लोकतंत्र के विचार के प्रति जबरदस्त समर्थन का भाव है

प्रश्न 9. लोकतंत्र के किन्हीं तीन अवगुणों की व्याख्या कीजिए।

या

लोकतांत्रिक सरकार को कम कार्य-कुशल सरकार क्यों समझा जाता है? कोई तीन कारण दीजिए।

या 

लोकतंत्र फैसले लेने में ज्यादा समय क्यों लेती है? वर्णन कीजिए।

 उत्तर- लोकतंत्र के निम्नलिखित अवगुण हैं- 

(1) लोकतंत्र में बहुधा यह देखने को मिलता है कि एक कार्यकाल के बीच में ही सरकार गिर जाती है तथा दूसरी नई सरकार बन जाती है। इसलिए, हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र में अस्थिरता होती है।

(2) लोकतंत्र में बातचीत और मोल-तोल के आधार पर काम किया जाता है।

(3) लोकतांत्रिक सरकार फैसले पर पहुँचने से पहले प्रक्रिया पूरा करने में बहुत अधिक समय लेती है।

(4) लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अकसर लोगों को उनकी ज़रूरतों के लिए तरसाती हैं और आबादी के एक बड़े हिस्से की माँगों की उपेक्षा करती हैं। भ्रष्टाचार के आम किस्से इस बात की गवाही देते हैं।

(5) वास्तविक जीवन में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ समाज में आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाई हैं। बांग्लादेश में आधी-से-ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है।

प्रश्न 10. लोकतंत्र के आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- (1) किसी देश का आर्थिक विकास वहाँ की जनसंख्या के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करता है।

(2) तानाशाही वाले कम विकसित देशों और लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले कम विकसित देशों के बीच का अंतर नगण्य-सा है।

(3) आर्थिक संवृद्धि के मामले में तानाशाहियों का रिकॉर्ड लोकतांत्रिक व्यवस्था की तुलना में थोड़ा बेहतर है।

(4) लोकतांत्रिक शासन के अंदर भारी आर्थिक असमानता पाई जाती है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों में समाज के 20 प्रतिशत लोगों का ही कुल राष्ट्रीय आय के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा है।

(5) तानाशाही और लोकतांत्रिक देशों के आर्थिक विकास दर में अंतर भले ही ज़्यादा हो लेकिन इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चुनाव ही बेहतर है, क्योंकि इसके अन्य अनेक लाभ हैं।

प्रश्न 11. प्रजातंत्र कहाँ तक देश के आर्थिक विकास के लिए एक अच्छी शासन व्यवस्था है?

उत्तर- (1) यह कहना सही है कि पिछले पचास वर्षों में तानाशाही देशों की आर्थिक विकास दर लोकतांत्रिक देशों की तुलना में उच्च रही है।

(2) किसी भी देश का आर्थिक विकास कई कारकों-मसलन जनता के आकार, वैश्विक स्थिति, अन्य देशों से सहयोग और देश द्वारा तय की गई आर्थिक प्राथमिकताओं पर भी निर्भर करता है।

(3) तानाशाही और लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के आर्थिक विकास दर में अंतर भले ज्यादा हो लेकिन इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चुनाव ही बेहतर है, क्योंकि उसके अनेक फायदे हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं

(i) यह उत्तरदायी, जवाबदेह और वैध सरकार प्रदान करता है।

(ii) यह जनता की स्वयं की सरकार होती है। 

(iii) यह असमानता और गरीबी में कमी लाने का प्रयास करता है।

(iv) यह सामाजिक विविधताओं में सामंजस्य स्थापित करता है।

(v) नागरिकों की गरिमा और आज़ादी को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 12. भारत में लोकतंत्र की सफल कार्यप्रणाली के लिए उत्तरदायी किन्हीं पाँच कारकों का वर्णन कीजिए।

या

उन कारकों को स्पष्ट कीजिए जो भारत में लोकतंत्र की सफलता की ओर इशारा करते हैं।

उत्तर- (1) भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव का शिकार हुई के लोगों के समान दर्जे और समान अवसर के दावे को बल दिया है। संभवतः इसी अहसास के चलते आम लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति ज्यादा चौकस हुए हैं।

(4) आर्थिक मोर्चे पर भी हमें असाधारण उपलब्धि हासिल हुई है।

(5) हमारे देश में लोकतंत्र से बहुत सारी उम्मीदें हैं। लोकतंत्र से लगाई गई उम्मीदों को किसी लोकतांत्रिक देश के मूल्यांकन का आधार भी बनाया जा सकता है। लोकतंत्र की एक खासियत है कि इसकी जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती। लोगों को जब थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गए हैं और लोकतंत्र से अच्छा काम चाहते हैं।

प्रश्न 13. लोकतंत्र में आर्थिक असमानता के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-(1) मुट्ठी-भर धन कुबेर आय और संपत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। इतना ही नहीं, देश की कुल आय में उनका हिस्सा भी बढ़ता गया है।

(2) गरीब और गरीब होते गए हैं। कई बार उन्हें भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में मुश्किल आती हैं।

(3) समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर करने के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। उनकी आमदनी गिरती गई है।

(4) बांग्लादेश में आधी से ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है।

प्रश्न 14. लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘गरीबी’ किस प्रकार एक मुख्य चुनौती है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-(1) साक्ष्य बताते हैं कि व्यवहार में, लोकतांत्रिक शासन उम्मीद के अनुरूप विकास नहीं कर सका है। उच्चतर आर्थिक समृद्धि हासिल करने में लोकतांत्रिक शासन की यह अक्षमता हमारे लिए चिंता का कारण है।

(2) अगर हम 1950 से 2000 के बीच के सभी लोकतांत्रिक शासनों तथा तानाशाहियों के कामकाज की तुलना करें तो पाएँगे कि आर्थिक समृद्धि के मामले में तानाशाहियों का रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर है।

(3) लोकतंत्र के भीतर अत्यधिक असमानताएँ होती हैं। मुट्ठी-भर धन कुबेर आय और सम्पत्ति में अपने अनुपात से बहुत ज्यादा हिस्सा पाते हैं। समाज के सबसे निचले हिस्से के लोगों को जीवन बसर के लिए काफी कम साधन मिलते हैं। फिर भी, लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें गरीबी के सवाल पर उतना ध्यान देने को तत्पर नहीं जान पड़ती।

प्रश्न 15. “क्या लोकतंत्र में वस्तुओं और अवसरों का न्यायोचित वितरण हो पाता है?” अपने उत्तर की पुष्टि में तीन उपयुक्त तर्क बीजिए।

या

“लोकतंत्र वास्तविक जीवन में आर्थिक असमानता को कम करने में काफी सफल नहीं प्रतीत होता है।” तीन तर्कों के द्वारा कथन का समर्थन कीजिए।

या

असमानता और निर्धनता को कम करने के संदर्भ में लोकतंत्र का मुख्य परिणाम क्या है? अपने उत्तर के पक्ष में कोई दो तर्क दीजिए।

या

“लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानताओं को कम करने में ज्यादा सफल नहीं हो पाई है।” पाँच प्रासंगिक तथ्यों की सहायता से कथन की व्याख्या कीजिए।

या

 “लोकतंत्र, आर्थिक असमानता एवं निर्धनता को कम करने में असफल रहा है।” क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर की पुष्टि में तर्क दीजिए।

उत्तर- नहीं, निम्नलिखित कारणों से लोकतंत्र में वस्तुओं और अवसरों का न्यायोचित वितरण नहीं हो पाता है

(1) मुट्ठी भर धन कुबेर आय और संपत्ति में अपने अनुपात से ज्यादा हिस्सा पाते हैं।

(2) दिन प्रति दिन गरीब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं जिससे वे भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और इलाज जैसी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

(3) हमारे मतदाताओं में गरीबों की संख्या काफ़ी बड़ी है; उन्हें परस्पर बराबरी का मौका उपलब्ध नहीं कराया जाता है। (4) लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकारें गरीबों के सवाल पर उतना ध्यान देने को तत्पर नहीं हैं।

(5) बांग्लादेश में आधी से ज्यादा आबादी गरीबी में जीवन गुजारती है। अनेक गरीब देशों के लोग अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए भी अमीर देशों पर निर्भर हो गए हैं।

प्रश्न 16. क्या लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं, स्पष्ट कीजिए।

या

किस प्रकार लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं?व्याख्या कीजिए।

या

“लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाएँ शांति और सद्भाव का जीवन जीने में नागरिकों के लिए मददगार साबित होती हैं।” इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।

उत्तर- (1) लोकतांत्रिक व्यवस्था सदभावपूर्ण सामाजिक जीवन – उपलब्ध कराती है। वह अपने नागरिकों को समानता पर आधारित सुदृढ़

प्रश्न 17. ‘शिकायतों का बना रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही है।’ इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।

या

‘शिकायतों का बना रहना’ किस प्रकार लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है? स्पष्ट कीजिए।

या

लोगों में व्याप्त असंतोष, किस प्रकार लोकतंत्र की सफलता को दर्शाता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर-(1) लोकतंत्र की एक खासियत है कि इसकी जाँच-परख और परीक्षा कभी खत्म नहीं होती।

(2) लोगों को लोकतंत्र से जब थोड़ा लाभ मिल जाता है तो वे और लाभों की माँग करने लगते हैं और वे लोकतंत्र से और अच्छा काम चाहते हैं।

(3) शिकायतों का बने रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही देता है। इससे पता चलता है कि लोग सचेत हो गए हैं और वे सत्ता में बैठे लोगों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने लगे हैं।

(4) लोकतंत्र के कामकाज से लोगों का असंतोष जताना लोकतंत्र की सफलता तो बताता ही है, साथ ही यह लोगों के प्रजा से नागरिक बनने की गवाही भी देता है।

(5) आज अधिकांश लोग मानते हैं कि सरकार की चाल-ढाल पर उनके वोट से असर पड़ता है और यह उनके अपने हितों को भी प्रभावित करता है।

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गणित

सच्ची जर्मन संस्कृति के आम लोगों में निहित है यह कथन किसका है?

ग्राटफ्रीड का मानना था की सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित है। यह राष्ट्र की आत्मा है। उन्होंने इसे 'वोलकजिस्ट' नाम दिया।

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के जनक कौन है?

'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' के संस्थापक थे श्री राम - shri ram was the founder of cultural nationalism.

ड्रीम बंधु कौन थे उन्होंने जर्मन राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में क्या योगदान दिया?

ग्रिम्सफेयरीटेल्स एक जाना-माना नाम है। जैकब ग्रिम और विल्हेल्म ग्रिम बंधुओं का जन्म क्रमशः 1785 और 1786 में जर्मनी के हनाऊ शहर में हुआ था। जिस समय ये दोनों भाई कानून की पढ़ाई कर रहे थे उसी समय उन्होंने शौकिया तौर पर पुरानी लोक कथाएँ इकट्ठा करना शुरू कर दिया। वे छह साल तक गाँव-गाँव जाकर यही काम करते रहे।

जर्मनी में राष्ट्रवाद का प्रतीक कौन था?

Solution : जर्मन राष्ट्र का प्रतीक जर्मेनिया को बनाया गया।