परीक्षा विशेष : विद्या प्राप्ति के सरल उपाय...
* विद्या प्राप्ति अथवा सफलता प्राप्ति हेतु प्रातःकाल नित्यकर्मों से निवृत्त होकर, स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र ग्रहण करके, किसी शांत और पवित्र स्थान में साधना पर बैठें।
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विद्या प्राप्ति के लिए सरस्वती मंत्र और इसका दैनिक जीवन में महत्व | Vidya Prapti Sarasvati Mantra and Its Significance in Hindi शिक्षा मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है हालांकि हर कोई पढ़ाई और बुद्धिमत्ता की बात नहीं करता है. जिस तरह वेदों ने कई समस्याओं के कई समाधान खोजे हैं, उसी तरह पूर्वजों ऋषियों ने भी इसके लिए कई समाधान
खोजे हैं. कई के बीच मंत्र जप एक शक्तिशाली उपाय है. मंत्र और जप द्वारा बनाए गए शक्तिशाली कंपन एक शरीर में दिव्य और आध्यात्मिक शक्तियों को सक्रिय करते हैं. प्रत्येक मंत्र हमारे शरीर में एक अनोखे तरीके से चक्रों को सक्रिय करता है. इसके अलावा इन शक्तिशाली मंत्रों का उपयोग बुद्धि और कुंडलिनी जागृत करने के लिए किया जाता है. इन मंत्रों की शक्ति न केवल सांसारिक समाधान प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है, बल्कि वे भगवान की मुक्ति और प्राप्ति के लिए भी हैं और इस तरह से इन मंत्रों की महिमा असीमित है. विद्या
प्राप्ति मंत्रों का जाप बुद्धिमत्ता के लिए किया जाता है, यह स्मरण शक्ति को बढ़ाता है, सीखने की शक्ति को तेज करता है और संचार कौशल को तेज करता है. ये मंत्र रचनात्मकता की प्रतिभा को बढ़ाते हैं. इन मंत्रों को छात्रों के लिए एकाग्रता और स्मृति की शक्ति में सुधार करने के लिए जाना जाता है. जो छात्र अच्छा प्रदर्शन करने या अपनी परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए संघर्ष करते हैं वे इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं. यहाँ शिक्षा और ज्ञान के मंत्रों की सूची दी गई है सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः! स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु। त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।। ऊँ ऐं महासरस्वत्यै नमः।।विद्या प्राप्ति मंत्र (Vidhya Prapti
Mantra)
1. सरस्वती विद्या मंत्र (Sarasvati Vidhya Mantra)
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥2. सम्पूर्ण विद्या प्राप्ति मंत्र (Sampurna Vidhya Prapti Mantra)
3. सरस्वती मंत्र (Sarasvati Mantra)
4. विद्या उपदेश मंत्र (Vidhya Updash Mantra)
ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै नमः।।
5. सरस्वती ज्ञान प्राप्ति मंत्र (Sarasvati Gyan Prapti Mantra)
वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ll
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कई बार परिस्थितियाँ कुछ ऎसी हो जाती है कि बच्चा पढ़ाई में पिछड़ने लगता है. माता-पिता के लिए यह एक तनाव का विषय बन जाता है. ऎसे में कुंडली में उस ग्रह की शांति तो करानी ही चाहिए जिसकी वजह से पढ़ाई में रुकावट आ रही हो, साथ ही विद्या प्राप्ति के जो अलग से मंत्र दिए गए हैं वह भी नियमित रुप से करने चाहिए जिसके परिणामस्वरुप बच्चे को अनुकूल फलों की प्राप्ति शीघ्र ही होगी.
विद्या प्राप्ति के साथ बच्चे का बौद्धिक विकास भी इन मंत्रों के करने से होगा. वैसे तो वैदिक परंपरा में विद्या प्राप्ति के लिए गायत्री मंत्र की महिमा का जिक्र किया गया है लेकिन तंत्रागम में शिक्षा से संबंधित सभी समस्याओं से निजात पाने के लिए सरस्वती मंत्र के साथ शिव के मंत्रो की उपयोगिता का उल्लेख मिलता है. दोनों ही प्रकार के मंत्रो को आप अपने बच्चों को करने के लिए कह सकते हैं और यदि बच्चा अभी छोटा है या मंत्र जाप में आनाकानी करता है तब बच्चे के माता-पिता इसे कर सकते हैं.
सरस्वती मंत्र
- वद वद वाग्वादिनि स्वाहा
- ऎं नम: भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा
- ऊँ ह्रीं ऎं ह्रीं सरस्वत्यै नम:
- ऊँ ह्रीं हसौ: ऊँ सरस्वत्यै नम:
- ऊँ ऎं ह्रीं सरस्वत्यै नम
उपरोक्त किसी भी एक मंत्र का चयन आप कर सकते हैं और इसे प्रतिदिन सुबह के समय 108 बार किया जाना चाहिए. यदि बच्चा स्वयं इतने ज्यादा मंत्र का जाप नहीं कर सकता तो आप खुद करें और बच्चे को आदत दालें कि वह अपनी पुस्तक अथवा कापी खोलने से पूर्व इनमें से किसी भी एक मंत्र को पाँच बार दोहराए.
यदि विधिवत तरीके से इस मंत्र का जाप किया जाए तब फलों की प्राप्ति जल्दी व अनुकूल मिल सकती है. आप किसी भी शुभ मुहूर्त में या शुक्ल पक्ष के किसी शुभ दिन में अपनी नित्य क्रियाओं से निपटकर स्नान आदि करने के बाद आचमन व प्राणायाम कर सरस्वती यंत्र की स्थापना करें. उसका पंचोपकार अथवा षोडशोपचार से पूजन कर सरस्वती मंत्र का प्रतिदिन जाप करें.
इन मंत्रों के अनुष्ठान के साथ यदि सिद्धसारस्वतस्तोत्र, नीलसरस्वती स्तोत्र अथवा सरस्वती अष्टक का पाठ भी किया जाए तो लाभ शीघ्र मिलेगा.
विद्या प्राप्ति के लिए शिव – मंत्र
- ऊँ नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधां प्रयच्छ स्वाहा
- ऊँ नमो भगवते परमशिवाय सुबुद्धि कुरु कुरु स्वाहा
- ऊँ ह्रीं दक्षिणामूर्तये तुभ्यं वटमूलनिवासिने । ध्यानैकनिरतांगाय नमोरुद्राय शम्भवे ह्रीं ऊँ ।।
वैसे उपरोक्त शिव मंत्रों का जाप किसी शिवालय में या एकान्त में या किसी निर्जन स्थान पर विधिवत रुप से नर्मदेश्वर, पार्थिदेश्वर या अन्य शिवलिंग की पूजा कर के उपरोक्त मंत्र में से किसी एक का जप करना चाहिए. इन मंत्रों की जप संख्या एक लाख होती है. इन मंत्रों के अनुष्ठान के साथ शिव शतनाम, शिवसहस्त्रानामस्तोत्र या शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ करने से लाभ अधिक होता है.