Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions Show सूर्य पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर प्रश्न 1. इस प्रकार सूर्य समस्त संसार का संचालन करने वाले सर्वशक्तिमान देवता हैं जो ऊर्जा तथा प्रकाश का अपरिमित भंडार ब्रह्माण्ड को प्रदान कर रहे हैं। प्रश्न 2. दूसरी कथा के अनुसार अदिति ने एक अवसर पर अपने पहले सात पुत्रों से कहा कि वे बह्माण्ड की सृष्टि करें। माता का आदेश कोई सन्तान पूरी नहीं कर सका। इसका कारण यह था कि उन्हें केवल जन्म के विषय में जानकारी थी। वे मृत्यु से पूर्णतया अनभिज्ञ थे। जीवनचक्र की स्थापना हेतु अमरत्व की आवश्यकता नहीं थी। इस कारण वे लोग माँ की इच्छा का पालन नहीं कर सके। निराश होकर अन्त में अदिति ने मंर्तंड से यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने तत्काल दिन और रात का सृजन कर दिया जो दिन जीवन एवं मृत्यु के प्रतीक थे। उक्त दोनों कथाएँ हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित हैं। यह घटनाएँ प्रतीकात्मक हैं। प्रश्न 3. प्रश्न 4. संज्ञा के प्रेम में दीवाना सूर्य ने उसे सारे ब्रह्मांड में दूढ़ना प्रारंभ किया। अश्व का रूप धारण कर वे संज्ञा के पास पहुंच गए। संज्ञा को सूर्य से दो संतानें हुई। जो अश्विनी कुमार कहलाते हैं, इनमें एक का नाम वासत्य तथा दूसरे का दक्ष है। प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. सूर्य के कई काम हैं तथा प्रत्येक काम के लिए वे सविता कहलाते हैं। विश्व का कल्याण करने के लिए, उनके अलग नाम हैं। उनका एक काम हर वस्तु को उत्प्रेरित करना है, इस कार्य के लिए उन्हें पूषण नाम से संबोधित करते हैं। उगते सूरज को वैवस्वत कहा जाता है। उनका एक दुष्ट रूप भग है। इस प्रकार सूर्य के विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग नाम हैं। सूर्य के विभिन्न कार्यों हेतु ‘अलग-अलग नामों की सूची इस प्रकार है सूर्य के कार्य कार्य के आधार पर सूर्य के नाम
प्रश्न 8.
प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. सूर्य भाषा की बात। प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर सूर्य लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
सूर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. सूर्य वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर I. निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न
5. प्रश्न 6. II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न
12. सूर्य लेखक परिचय – ओदोलेन स्मेकल (1928) भारतीय विद्याविद् यूरोपीय विद्वान ओदोलेन स्मेकन का जन्म 18 अगस्त, 1928 ई० में यूरोप के चेकोस्लोवाकिया देश के ओलोमोउत्स नगर से सटे गाँव ‘लोशोव’ में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चेकोस्लोवाकिया की राजधानी में हुई। तदनंतर प्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. तथा पी. एच. डी. की। पुनः वहीं से उन्होंने लोक साहित्य, ग्राम उपन्यास तथा अनुकरणात्मक शब्दों पर शोध कार्य भी संपन्न किया। स्मेकल कई वर्षों तक प्राहा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक रहे तथा दस से अधिक वर्षों तक भारत विद्या विभागाध्यक्ष के पद पर भी सुशोभित रहे। उन्होंने संसार के अनेक देशों एवं भारत की कई बार सांस्कृतिक यात्राएँ की, जिससे भारत के अनेक विशिष्ट व्यक्तियों, हिन्दी लेखकों, कवियों तथा राजनेताओं से उनका प्रत्यक्ष संपर्क हुआ। उन्होंने प्रथम तथा द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलनों में सक्रिय सहयोग किया था। बहुभाषाविद् स्मेकल की विशेष अभिरुचि का विषय आधुनिक भारत था। चूंकि आधुनिक भारत प्राचीन भारत का ही विकसित रूप है, अतः इसे समझने के लिए इसके स्वर्णिम अतीत की जानकारी अपेक्षित है। विद्वान् स्मेकल इस बात को समझते थे। हिन्दी भाषा से और वे शैक्षणिक तथा रुचिगत धरातल पर संबंध थे। उनके लिए हिन्दी ही भारत को जानने-समझने का प्रधान माध्यम थी, फिर भी वे इस बहुभाषी और बहुजातीय राष्ट्र की दूसरी भाषाओं तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधताओं की ओर से भी उदासीन नहीं रहे। वस्तुत: उनके अंदर इस देश को गहराई से और समग्रता से जानने-समझने की उत्कट इच्छा थी। इसकी पुष्टि उनकी कविताओं और निबंधों से होती है। इसी प्रक्रिया में उन्होंने भारतीय धर्म-संस्कृति से संबंधित प्रमुख प्रतीकों का अध्ययन किया था। उनका यह अध्ययन सूचनात्मक और सतही मात्र नहीं, प्रत्युत् उसमें ज्ञेय तत्त्वों को अनुभव प्रत्यक्ष करने की अभिलाषा थी। इस प्रकार वास्तव में ओदोलेन स्मेकल भारत विद्याविद् यूरोपीय विद्वानों की परंपरा की एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कड़ी थे। उनकी प्रमुख रचनाओं में प्रेमचन्द का गोदान, आधुनिक हिन्दी कविता का संकलन, भारतीय लोककथाएँ, भारत के नवरूप, ये देवता कहाँ से आए (निबंध), तेरे दान किए गीत, नमो नमो भारतमाता (कविता-संकलन) आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने चेक से हिन्दी एवं हिन्दी से चेक भाषाओं में अनेक अनुवाद भी किये। ये सारे कृतित्व भारत और हिन्दी के . ति उनके गहरे अनुराग को पुष्ट-प्रमाणित करते हैं। आखिर तभी तो वे भारत सरकार द्वारा विश्व हिन्दी पुरस्कार (1979 ई०) से सम्मानित-पुरस्कृत किये गये थे। सूर्य पाठ का सारांश ओदोलेन स्केवेल लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में सूर्य की महत्ता का वर्णन है। चेकोस्लोवाकिया यूरोप) के गाँव लोशोव में जन्मे स्कवेल ने भारत के गौरवशाली इतिहास का गहन अध्ययन किया। हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान भी स्मेकल द्वारा हमारे पौराणिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया गया तथ उससे संबंधित अनेक ग्रंथ उनके द्वारा लिखे गए। भारतीय धर्म-संस्कृति एवं सांस्कृतिक विविधताओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं को जानने-समझने की उनकी उत्कृष्ट लालसा थी। उनके द्वारा लिखी पुस्तक “कहाँ से आए देवता” में सूर्य के विषय में विश्व के विभिन्न देशों में प्रचलित मिथकों तथा भारत के पौराणिक ग्रंथों में वर्णित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवरण है। ‘ओदोनेल स्मेकल’ लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में ‘सूर्य’ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवेचन है। निःसन्देह सूर्य सम्पूर्ण ब्राह्माण्ड की गतिविधियों को संचालित करता है। सूर्य की न केवल भारत में ही पूजा-उपासना की जाती रही है, वरन् विश्व के अन्य प्राचीन धर्मों तथा समाजिक-संस्कृतियों में भी सूर्य पूजित होते रहे हैं। भारतीय पूजा-उपासना की प्राचीन-परम्परा तथा सार्वभौमिकता पर भी सम्यक् प्रकाश डाला गया है। वेदों में एक पहिए सात शक्तिशाली घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य का वर्णन है। रथ पर. सवार होकर घूमते हुए वह समस्त संसार की गतिविधियों पर नजर रखता है। वह वेदों की साकार आत्मा और “त्रिदेव” का प्रतिनिधि है। अदिति एवं कश्यप की संतान सूर्य आकाशमंडल में विराजकर संसार में नवजीवन का संचार कर रहा है। सूर्य के विषय में हमारे पौराणिक ग्रंथों में अनेक गाथाएँ हैं। सूर्य की पूजा बारहों महीने होती है। उनकी आराधना की अनेक पद्धतियां हैं। आसीरीयाई, आकेदी, फिनिशियाई, ग्रीक, रोमन आदि सभ्यता एवं संस्कृति के भी मुख्य देवता सूर्य ही थे। विभिन्न देशों के धर्मग्रंथों में सूर्य के भिन्न नाम हैं। बेंद-अवस्ता में सूर्य को ‘हवर’ तथा ग्रीक भाषा में ‘हीलीऔस” कहा जाता है। ईसाईयों ने इन धार्मिक अवधारणाओं में से कुछ को अंगीकृत किया तथा उस आधार पर 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ मानने ले, जबकि इसके पूर्व वे 6 जनवरी को मनाते थे। निथराइयों की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। वैसे हर मिथक में सूर्य को योद्धाओं का देवता माना गया है। प्राचीन भारत में सूर्य मंदिरों को आदित्य गृह कहा जाता था। श्रीनगर के पास मार्तड तथा पाकिस्तान के मुलतान में सूर्य के भग्नावशेष हैं। सूर्य की विधिवत् पूजा अब केवल बिहार में ही बड़े पैमाने पर होती है जो दीपावली के छठे दिन ‘षष्ठी’ व्रत के रूप में मनायी जाती है। वैसे अफगानिस्तान में आर्य नामक जाति के नाम से अभी भी कुछ लोग रहते हैं, जो सूर्य, अग्नि, इन्द्र आदि देवताओं की उपासना वैदिक रीति से करते हैं। सूर्य कठिन शब्दों का अर्थ। लीग-स्थल पर तीन मील और समुद्र पर लगभग साढ़े तीन मील का नाम। परित्याग-छोड़ देना। बखूबी-विशेषताओं के साथ। सृजन-निर्माण। सारथि-रथ हाँकने वाला। अंश-हिस्सा। स्कंद-कंद। उत्प्रेरित-बढ़ावा देना। स्वस्तिक-एक प्रकार का प्रतीक। सम्प्रदाय-किसी मत के अनुयायिों की मण्डली। पुष्करिणी-छोटा तालाब। अर्ध्य-समर्पण। अक्षुण्ण-सुरक्षित। जेंद अवेस्ता-प्राचीन फारसी धर्म ग्रंथ जिसकी भाषा वेदों से मिलती-जुलती है। सूर्य महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या 1. रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिओ को परास्त करके बंदी
बना लिया तो उसकी खूबसूरत राजधानी पामीरा को ध्वस्त कर दिया गया लेकिन वहाँ के सूर्य मंदिर को आलीशान बनवा दिया। क्योंकि सूर्यादेव अजेय हैं। इसके बावजूद वहाँ के सूर्य मंदिर को भव्य बनाया गया। क्योंकि वे यह मानते थे कि सूर्यदेव अजेय हैं जिनपर मनुष्य विजय नहीं प्राप्त कर सकता। 2. वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भण्डार और धरती पर जीवन का संचालक बताया गाय है।
रामायण में भी सूर्य की उपासन करने का विधान है। वेदों में सूर्य के संबंध में क्या कहा था?सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है।
Iv वेदों में सूर्य के संबंध tilde 4 क्या कहा गया है?
Iv वेदों में सूर्य के संबंध में क्या कहा गया है v राधा को चंदन भी विषम क्यों महसूस होता है?एक अध्ययन अनुसार राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था।
साहनी शेरो को क्या आशीर्वाद देती है?Solution : माता यशोदा दोनों भाइयों को दीर्घजीवी होने का आशीर्वाद देती थी।
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