वानर सेना ने कितने दिनों में समुद्र पर पत्थरों का पुल बना दिया? - vaanar sena ne kitane dinon mein samudr par pattharon ka pul bana diya?

1.वाल्मीकि रामायण के अनुसार रामसेतु का निर्माण वानर सेना ने उस वक्त किया था जब भगवान राम को रावण की नगरी लंका जाना था।

2.पुराणों के अनुसार रावण की लंका में जाने का कोई और रास्ता नहीं था। ऐसे में हनुमान जी की वानर सेना ने समुद्र में पुल बनाकर इसे बार करने का निर्णय लिया था।

3.मान्यता के अनुसार रामसेतु के निर्माण में 5 दिनों का वक्त लगा था। इसके तहत पहले दिन 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन का कार्य पूरा किया गया था। एक योजन करीब 13 से 15 किलोमीटर लंबा था।

4.धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रामसेतु की लंबाई 100 योजन है। जबकि इसकी चौड़ाई लगभल 10 योजन की है।

5.वाल्मीकि रामायण के अनुसार रामसेतु के निर्माण का कार्य शिल्पकार विश्वकर्मा के पुत्र नल ने किया था। हिंदू पुराणों में नल को रामसेतु का प्रथम शिल्पकार यानि इंजीनियर माना जाता है। वे वानर सेना का मार्ग दर्शन कर रहे थे।

वानर सेना ने कितने दिनों में समुद्र पर पत्थरों का पुल बना दिया? - vaanar sena ne kitane dinon mein samudr par pattharon ka pul bana diya?
6.रामसेतु भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच उथली चट्टानों की एक चेन है। समुद्र में इन चट्टानों की गहराई 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है।

7.कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी तक रामसेतु पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था, लेकिन 1480 ईस्वी में चक्रवात तूफान के कारण यह टूट गया और जलस्तर बढ़ने के कारण यह पानी में डूब गया था।

8.रामसेतु कितना पुराना है, इसे लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह पुल करीब 3500 साल पुराना है। वहीं कुछ अन्य के अनुसार इसे 7000 हजार साल पुराना बताया जाता है।

9.रामसेतु के निर्माण के लिए वानर सेना ने पत्थरों, पेड़ों की शाखाओं और पत्तियों का इस्तेमाल किया गया था। इस पुल की खास बात यह है कि समुद्र में ये पत्थर कभी डूबते नहीं थे।

10.वैज्ञानिकों के अनुसार रामसेतु पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल हुआ था वे‘प्यूमाइस स्टोन’ थे। ये पत्थर ज्वालामुखी के लावा से उत्पन्न होते हैं।

विषयसूची

  • 1 समुद्र पर पुल बनाने का काम किसने किया पुल बनाने में कितने दिन लगे?
  • 2 रामसेतु का निर्माण कैसे हुआ?
  • 3 क्यों राम सेतु एडम पुल कहा जाता है?
  • 4 रामेश्वरम से श्रीलंका की समुद्री दूरी कितनी है?
  • 5 वानर सेना का सेनापति कौन था?

समुद्र पर पुल बनाने का काम किसने किया पुल बनाने में कितने दिन लगे?

इसे सुनेंरोकेंपुराणों के अनुसार रावण की लंका में जाने का कोई और रास्ता नहीं था। ऐसे में हनुमान जी की वानर सेना ने समुद्र में पुल बनाकर इसे बार करने का निर्णय लिया था। 3. मान्यता के अनुसार रामसेतु के निर्माण में 5 दिनों का वक्त लगा था

क्या राम सेतु पुल अभी भी है?

इसे सुनेंरोकेंवर्तमान में यह पुल पानी में डूबा हुआ है मगर कुछ सदी पहले तक इसका इस्‍तेमाल होता था, यह बात वैज्ञानिक मान चुके हैं। यह पुल करीब 48 किलोमीटर लंबा है। राम सेतु मन्नार की खाड़ी और पॉक स्ट्रेट को एक-दूसरे से अलग करता है। कई जगह इसकी गहराई केवल 3 फुट है तो कहीं-कहीं 30 फुट तक है।

रामसेतु का निर्माण कैसे हुआ?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार जब असुर सम्राट रावण माता सीता का हरण कर उन्हें लंका ले गया था तब भगवान श्रीराम ने वानरों की सहायता से समुद्र के बीचो-बीच एक पुल का निर्माण किया था. इस पुल को ‘रामसेतु’ नाम दिगा गया.

राम सेतु पुल की लंबाई कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंसमुद्र में इन चट्टानों की गहराई सिर्फ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है। इस पुल की लंबाई लगभग 48 किमी व 3 किलोमीटर चौड़ा है। रामसेतु भौतिक रूप में उत्तर में बंगाल की खाड़ी को दक्षिण में शांत और स्वच्छ पानी वाली मन्नार की खाड़ी से अलग करता है, जो धार्मिक एवं मानसिक रूप से दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोड़ता है

क्यों राम सेतु एडम पुल कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंएडम ब्रिज, रामेश्‍वरम एडम ब्रिज को रामसेतु या राम पुल के नाम से भी जाना जाता है जिसे भगवान राम के भक्‍त हनुमान की वानर सेना के द्वारा बनवाया गया था, ताकि इस पर चढ़कर सभी लंका पहुंच सकें और माता सीता को छुड़ा सकें। अत: इस पुल का नाम एडम ब्रिज पड़ गया।

समुद्र पर सेतु निर्माण का कार्य वानर सेना में से कौन कर सकता था?

इसे सुनेंरोकेंभगवान राम की सेना लंका तक पहुंच सके, इसके लिए समुद्र पर पुल बनाने का कार्य वानर सेना के 2 सर्वश्रेष्‍ठ वानर नल और नील ने इसके लिए सबसे पहले रामेश्‍वरम समुद्र में पत्‍थर फेंके थे। दरअसल नल और नील भगवान विश्‍वकर्मा के पुत्र थे, जिन्‍हें उस वक्‍त के निर्माण कार्यों की बारीकियों के बारे में भली-भांति ज्ञान था

रामेश्वरम से श्रीलंका की समुद्री दूरी कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंश्रीलंका के पास भारत का सबसे दक्षिणी हिस्सा रामेश्वरम है जहां से श्रीलंका की दूरी 271 किलोमीटर है अर्थात श्रीलंका और भारत की दूरी 271 किलोमीटर है

राम सेतु पुल कब बना?

इसे सुनेंरोकें- यूपीए सरकार के वक्त 2005 में इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया गया था। शुरुआत में इस प्रोजेक्ट की लागत करीब ढाई हजार करोड़ थी, जो कि अब 4 हजार करोड़ तक बढ़ गई है। इसके तहत बड़े जहाजों के आने-जाने के लिए करीब 83 किलोमीटर लंबे दो चैनल बनाए जाने थे।

वानर सेना का सेनापति कौन था?

इसे सुनेंरोकेंनील: वानर सेना में सेनापति और इंजीनियर. इन्होंने भी सागर पर सेतु निर्माण में प्रमुख योगदान दिया. नल और नील को ऋषियों ने श्राप दिया था कि वे जिस चीज को छुएंगे वह पानी में नहीं डूबेगी

समुद्र पर पुल तैयार करने में वानरों को कितना समय लगा?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, समुद्र पर पुल बनाने में वानरों को पांच दिन का समय लगा था। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया।

सेना ने कितने दिनों में सागर पर पुल तैयार कर लिया था?

Ram Setu: धर्मग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में समुद्र पर भारत और लंका के बीच एक विशाल सेतु (पुल) बनाया गया था. वह 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा था. आज की गणना के हिसाब से उस पुल की लंबाई 1200 किलोमीटर थी. श्रीराम की सेना ने उसे 5 दिन में तैयार कर दिया था.

राम सेतु का निर्माण कितने दिन में हुआ?

यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में रामायण काल में श्री राम नाम के साथ, उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था।

लंका पहुंचने के लिए राम की सेना को पुल बनाने में कितना है?

कितना लंबा है राम सेतु दरअसल, हर रिसर्च में अलग दावा किया गया है. हालांकि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये पुल काफी ज्यादा लंबा है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह पुल 100 योजन लंबा है. अगर योजन के हिसाब से बात करें तो एक योजना में 8 किलोमीटर होता है जबकि कुछ लोग इसे 12 किलोमीटर का बताते हैं.