भारत में वन्यजीव संरक्षण के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए हैं?प्रकृति और अन्य वन्यजीव प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है। लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवास स्थान के साथ रक्षा करना भी ज़रूरी है।सबसे प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीवों के निवासस्थान की सुरक्षा किस प्रकार की जाए ताकि भविष्य में वन्यजीवों की पीढ़ियां और यहां तक की इंसान भी इसका आनंद ले सकें. यह लेख वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक चरणों से संबंधित है। Show
वन्यजीवों में ऐसे वनस्पति और जीव (पौधें, जानवर और सूक्ष्मजीव) शामिल हैं, जिनका मनुष्यों के द्वारा पालन-पोषण नहीं होता हैं. दूसरी ओर वन्य जीवों, वनस्पतियों और उनके आवासों की सुरक्षा करना ही संरक्षण है. इसलिए, हम कह सकते हैं कि प्रकृति और अन्य वन्यजीवों की प्रजातियों के महत्व को पहचानने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण आवश्यक है. लुप्तप्राय पौधें और जानवरों की प्रजातियों को उनके प्राकृतिक निवासस्थान के अंतर्गत सुरक्षा प्रदान करने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण महत्वपूर्ण है. सबसे प्रमुख चिंता का विषय यह है कि वन्यजीवों के निवासस्थान की सुरक्षा किस प्रकार की जाए ताकि भविष्य में वन्यजीवों की पीढ़ियां और यहां तक की इंसान भी इसका आनंद ले सकें. यह लेख वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक चरणों से संबंधित है. IUCN रेड डाटा बुक का क्या महत्व
है? Source: www. image.slidesharecdn.com 1. लुप्तप्राय जानवरों या पक्षियों की हत्या और उनपर कब्जा करने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कुछ कानून बनाए जाने चाहिए। यह एक दंडनीय अपराध होना चाहिए। ऐसे कानूनों को सकती से लागू किया जाना चाहिए और यह केवल कागज़ पर ही नहीं रह जाए इसका भी ध्यान देना अनिवार्य हैं. 2. जंगली पक्षियों और जानवरों की अंधाधुंध हत्या, चाहे बहुतायत में हो, वन अधिकारियों द्वारा अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 3. पूरे देश में जंगली जानवरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की अधिक संख्या की स्थापना की जानी चाहिए। 4. सरकार के विभाग को वनों के संरक्षण के संबंध में सभी वनों में आवधिक सर्वेक्षण करना चाहिए। उन्हें जंगली जानवरों और पक्षियों की सभी प्रजातियों की आबादी के बारे में ज्ञान होना चाहिए, जिससे कि उन्हें बाढ़ और अकाल के समय मदद मिल सके। एशियाई चीताः तथ्यों पर एक नजर Source: www.workingabroad.com - वन्य जीवों की उपस्थिति से पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता में वृद्धि होती है. - वैज्ञानिक मूल्य, यानी वैज्ञानिकों ने वन्य जीवन का अध्ययन करके ज्ञान प्राप्त किया है और विभिन्न औषधीय उत्पादों की भी खोज की है। - इससे आर्थिक मूल्य को भी बढ़ाया जा सकता है क्योंकि यह लकड़ी, फाइबर, मांस, खाद्य उत्पाद आदि जैसी कई मूल्यवान पदार्थों को प्रदान करता है। - जीवन रक्षा मूल्य भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पृथ्वी की जीवित व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखता है जो कि जीवन के अस्तित्व को सुनिश्चित करता है। गिर राष्ट्रीय उद्यानः एशियाई शेरों का घर खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर भारत में वन्य प्राणी संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, १९७२ भारत सरकार ने सन् १९७२ ई॰ में इस उद्देश्य से पारित किया था कि वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा उसके हाड़-माँस और खाल के व्यापार पर रोक लगाई जा सके।
भारत में वन और वन्य जीवन संरक्षण हेतु कौन कौन से कदम उठाए गए हैं?भारत में वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 'पर्यावरण संरक्षण अधिनियम', 'वन संरक्षण अधिनियम', 'राष्ट्रीय वन्य जीव कार्य योजना', 'टाइगर परियोजना', 'राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य', 'जैव-क्षेत्रीय रिजर्व कार्यक्रम' आदि चल रहे हैं। इन योजनाओं के कारण कुछ प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया गया है।
वनों को बचाने के लिए क्या करना चाहिए?(i) अधिक पौधे लगाएँ। (ii) पादप उत्पादों का विवेकतापूर्ण उपयोग करें। (iii) पशुओं द्वारा अतिचारण रोकें। (iv) वनों में और वनों के इर्द-गिर्द खाने खोदने और उद्योग लगाने के नियम लागू करने चाहिए।
वन संरक्षण के लिए कौन कौन से प्रयास करना चाहिए?सार्वजनिक सहकारिता और वन संरक्षण के लिए जागरूकता भी आवश्यक है। वन संरक्षण के लिए हम जरूरी कदम उठा सकते हैं जैसे कि बरसात के मौसम में सामुदायिक वानिकी के माध्यम से पौधों को बढ़ावा देना, जंगलों के रोपण और जंगलों के संरक्षण के लिए प्रचार और जागरूकता कार्यक्रम चलाने के द्वारा वन क्षेत्र में वृद्धि करना।
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