उत्तर प्रदेश की पहली सीएम कौन थी? - uttar pradesh kee pahalee seeem kaun thee?

एनी बेसेंन्ट सुश्री मायावतीविजयालक्ष्मी पंडितसुचेता कृपलानी

Solution : सुचेता कृपलानी भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थी, जो 1963 से 1967 तक उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। अक्टूबर 1963 में, वह प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। भारत के किसी राज्य में मुख्यमंत्री का पद धारण वाली वह पहली महिला थीं।

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उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे (First chief minister of UP) इसके बारे में हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी प्राप्त करेंगे तो चलिए सबसे पहले तो हम उनका नाम जान लेते हैं जो कि पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो दोस्तों उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री का नाम गोविंद बल्लभ पंत था । वह उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे चलिए अब हम इनके बारे में कुछ अन्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

भारत की आज़ादी से पहले भारत के क्षेत्र अलग – अलग Provinces (प्रान्तों) में बंटे हुए थे। उसी में एक प्रांत United Province था। भारत की आज़ादी के बाद इसी यूनाइटेड प्रोविन्सेस का नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया। उत्तर प्रदेश का गठन एक राज्य के रूप में भारत के लोकतांत्रिक देश घोषित होने के साथ ही यानी 26 जनवरी 1950 को ही हो गया था। इसके एक राज्य के रूप में स्थापित होते ही सबसे पहले गोविंद बल्लभ पंत को इस राज्य का मुखिया बनाया गया। तब इनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से ले कर 20 मई 1952 तक रहा था।

1952 में देश में पहली बार आम चुनाव हुए। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हुए। इसमें कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी। सरकार बनते ही एक बार फिर राज्य की कमान Govind Ballabh Pant को दी गयी। इस तरह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव गोविंद बल्लभ पंत के नाम जुड़ गया। मुख्यमंत्री के तौर पर इनका कार्यकाल 20 मई 1952 से 20 दिसंबर 1954 तक रहा था। बतौर मुख्यमंत्री इन्होंने पूरे कार्यकाल को मिला कर कुल 4 साल 335 दिन तक शासन किया। गोविंद बल्लभ पंत बरेली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर आए थे।

  • उत्तरप्रदेश की प्रथम महिला मुख्यमंत्री कौन थी 
  • उत्तरप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री कौन है

गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 10 सितंबर 1887 को हुआ था। इनकी मृत्यु 7 मार्च 1961 को हुई थी। गोविंद बल्लभ पंत की गिनती भारतीय इतिहास के बड़े नेताओं में की जाती है। आज़ादी की लड़ाई में इनकी भूमिका बेहद अहम रही थी। इनकी उपलब्धियों के कारण इन्हें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल सरीखे नेताओं की श्रेणी में रखा जाता है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इनकी भूमिका भी काफी अहम रही थी।

आज़ादी से पहले यानी जब उत्तर प्रदेश United Province हुआ करता था, तब भी यह इसके दूसरे मुख्यमंत्री नियुक्त किए गए थे। तब उनका कार्यकाल 1937 से 1939 तथा 1946 से 1950 तक रहा था। इसके बाद उत्तर प्रदेश के गठन के बाद भी इन्हें ही मुख्यमंत्री पद की ज़िम्मेदारी दी गयी थी।

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में तथा उसके बाद देश के प्रति इनकी उपलब्धियों को देखते हुए गोविंद बल्लभ पंत को 1957 में भारत का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया था।

दोस्तों आपको यह आर्टिकल उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री कौन थे कैसा लगा यह हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और अगर आपके प्रश्न उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से संबंधित कोई प्रश्न है तो वह भी हमसे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते हैं ।

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सुचेता कृपलानी (मूल नाम: सुचेता मजूमदार) (२५ जून,१९०८[1] - १ दिसम्बर, १९७४[2][3]) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। ये उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनीं और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं। वे प्रसिद्ध गांधीवादी नेता आचार्य कृपलानी की पत्नी थीं।

सुचेता कृपलानी का जन्म हरियाणा के अंबाला शहर में सम्पन्न बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सरकारी चिकित्सक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा कई स्कूलों में पूरी हुई क्योंकि हर दो-तीन वर्ष में पिता का तबादला होता रहता था। आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दिल्ली भेज दिया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से उन्होंने इतिहास विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की।

कॉलेज से निकलने के बाद, 21 वर्ष की उम्र में ही ये स्वतंत्रता संग्राम में कूदना चाहती थीं पर दुर्भाग्यवश वह ऐसा कर नहीं पायीं क्योंकि 1929 में उनके पिता और बहन की मृत्यु हो गयी और परिवार को संभालने की जिम्मदारी सुचेता के कंधो पर आ गयी। इसके बाद, वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में संवैधानिक इतिहास की व्याख्याता बन गईं।

सन १९३६ में अठाइस साल की उम्र में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य नेता जेबी कृपलानी से विवाह किया। सुचेता के इस कदम का उनके घर वालों के साथ महात्मा गांधी ने भी विरोध किया था। जेबी कृपलानी सिन्धी थे और उम्र में सुचेता कृपलानी से बीस साल बड़े थे। इसके अलावा गाँधीजी को डर था कि इस विवाह के कारण आचार्य जो उनके “दाहिने हाथ” थे, कहीं स्वतंत्रता संग्राम से पीछे न हट जाँय। आचार्य कृपलानी का साथ पाकर सुचेता पूरी तरह से राजनीति में कूद पड़ीं। 1940 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की महिला शाखा – ‘अखिल भारतीय महिला काँग्रेस’ की स्थापना की। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय होने के कारण उन्हें एक साल के लिए जेल जाना पड़ा। १९४६ में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। 1949 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था।

भारत के स्वतंत्र होने के बाद वह भारतीय राजनीति में सक्रिय हो गयीं। जब उनके पति व्यक्तिगत व राजनीतिक मतभेदों के कारण जवाहरलाल नेहरू से अलग हो गए और अपनी खुद की पार्टी किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई तब सुचेता भी इनके साथ हो लीं। 1952 में सुचेता किसान मजदूर पार्टी की ओर से न्यू दिल्ली से चुनाव लड़ी और जीतीं भी। पर शीघ्र ही राजनैतिक मतभेदों के कारण वह काँग्रेस में लौट आयीं। 1957 में काँग्रेस के टिकिट पर इसी सीट से वह दुबारा चुनाव जीतीं और राज्यमंत्री बनायीं गयीं। १९५८ से १९६० तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव थी।

1962 में सुचेता कृपलानी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा। वे कानपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गयीं और उन्हें श्रम, सामुदायिक विकास और उद्योग विभाग का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। १९६३ ई में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। १९६३ से १९६७ तक वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं। 1967 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से चौथी बार लोकसभा चुनाव लड़ कर जीत हासिल की।

सुचेता कृपलानी, अन्य वैश्विक नेत्रियों के साथ ; बाएँ से दाएं- उल्ला लैंडस्ट्रोम, बार्बरा कैसिल, कैराइन विल्सन, एलीनोर रूसवेल्ट (सन १९४९ में)

सन १९७१ में उन्होने राजनीति से संन्यास ले लिया। राजनीति से सन्यास लेने के बाद वे अपने पति के साथ दिल्ली में बस गयीं। निःसन्तान होने के कारण उन्होंने अपना सारा धन और संसाधन लोक कल्याण समिति को दान कर दिया। इसी समय, उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘एन अनफिनिश्ड ऑटोबायोग्राफी’ लिखनी शुरू की, जो तीन भागों में में प्रकाशित हुई। धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य गिरता गया और 1 दिसम्बर 1974 को हृदय गति रूक जाने से उनका निधन हो गया।

सुचेता कृपलानी भारत के किसी प्रदेश की पहली महिला मुख्य मंत्री थीं। ये बंटवारे की त्रासदी में महात्मा गांधी के बेहद करीब रहीं। वे उन चंद महिलाओं में शामिल हैं, जिन्होंने बापू के करीब रहकर देश की आजादी की नींव रखी। वह नोवाखली यात्रा में बापू के साथ थीं। वे दिल की कोमल तो थीं, लेकिन प्रशासनिक फैसले लेते समय वह दिल की नहीं, दिमाग की सुनती थीं। उनके मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य के कर्मचारियों ने लगातार 62 दिनों तक हड़ताल जारी रखी, लेकिन वह कर्मचारी नेताओं से सुलह को तभी तैयार हुईं, जब उनके रुख में नरमी आई।

यूपी का पहला सीएम कौन था?

संयुक्त प्रान्त.

यूपी के प्रथम महिला मुख्यमंत्री कौन थे?

सुचेता कृपलानी (मूल नाम: सुचेता मजूमदार) (२५ जून,१९०८ - १ दिसम्बर, १९७४) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थीं। ये उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनीं और भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थीं।

भारत के प्रथम मुख्यमंत्री का नाम क्या है?

चौधरी ब्रह्म प्रकाश.

उत्तर प्रदेश का सबसे अच्छा मुख्यमंत्री कौन है?

योगी आदित्यनाथउत्तर प्रदेश / मुख्यमंत्रीnull

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